RE: rajsharmastories धोबन और उसका बेटा
"हा मा मज़ा तो बहुत आ रहा है"
"अभी क्या मज़ा आया है बेटे अभी तो और आएगा, अभी तेरा माल निकाल
ले फिर देख मैं तुझे कैसे जन्नत की सैर कराती हू"
"हाई मा, ऐसा लगता है जैसे मेरे में से कुच्छ निकालने वाला है,
है निकाल जाएगा"
"तो निकालने दे निकाल जाने दे अपने माल को" कह कर मा ने अपना हाथ
और ज़यादा तेज़ी के साथ चलना शुरू कर दिया. मेरे पानी अब बस
निकालने वाला ही था, मैने भी अपना हाथ अब तेज़ी के साथ मा के
अनारो पर चलाना सुरू कर दिया था. मेरा दिल कर रहा था उन प्यारे
प्यारे चुचियों को अपने मुँह में भर के चुसू, लेकिन वो अभी
संभव ऩही था. मुझे केवल चुचियों को दबा दबा के ही संतोष
करना था. ऐसा लग रहा था जैसे की मैं अभी सातवे आसमान पर उर
रहा था, मैं भी खूब ज़ोर ज़ोर सीस्यते हुए बोलने लगा "ओह मा, हा
मा और ज़ोर से मस्लो, और ज़ोर से मूठ मारो, निकाल दो मेरा सारा पानी"
पर तभी मुझे ऐसा लगा जैसे की मा ने लंड पर अपनी पकर ढीली
कर दी है. लंड को छोर कर मेरे आंडो को अपने हाथ से पकर के
सहलाते हुए मा बोली "अब तुझे एक नया मज़ा चखती हू, ठहर जा"
और फिर धीरे धीरे मेरे लंड पर झुकने लगी, लंड को एक हाथ से
पाकरे हुए वो पूरी तरह से मेरे लंड पर झुक गई और अपने होतो को
खोल कर मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया. मेरे मुँह से एक आ
निकाल गई, मुझे विश्वास ऩही हो रहा था की वो ये क्या कर रही है.
मैं बोला "ओह मा ये क्या कर रही हो, है छ्होर ना बहुत गुदगुदी हो
रही है" मगर वो बोली "तो फिर मज़े ले इस गुदगुदी के, करने दे
तुझे अच्छा लगेगा".
"ही, मा क्या इसको मुँह में भी लिया जाता,"
"हा मुँह में भी लिया जाता है और दूसरी जगहो पर भी, अभी तू
मुँह में डालने का मज़ा लूट" कह कर तेज़ी के साथ मेरे लंड को
चूसने लगी, मेरी तो कुच्छ समझ में ऩही आ रहा था, गुदगुदी और
सनसनी के कारण मैं मज़े के सातवे आसमान पर झूल रहा था. मा ने
पहले मेरे लंड के सुपारे को अपने मुँह में भरा और धीरे धीरे
चूसने लगी, और मेरी र बरी सेक्सी अंदाज़ में अपने नज़रो को उठा के
बोली, "कैसा लाल लाल सुपारा है रे तेरा, एक डम पाहरी आलू के
जैसे, लगता है अभी फट जाएगा, इतना लाल लाल सुपरा कुंवारे
लार्को का ही होता है" फिर वो और कस कस के मेरे सुपारे को अपने
होंठो में भर भर के चूसने लगी. नदी के किनारे, पेर की छाव
में मुझे ऐसा मज़ा मिल रहा था जिसकी मैने आज तक कल्पना तक
ऩही की थी. मा अब मेरे आधे से अधिक लौरे को अपने मुँह में भर
चुकी थी और अपने होंठो को कस के मेरे लंड के चारो तरफ से
दब्ए हुए धीरे धीरे उपर सुपारे तक लाती थी और फिर उसी तरह से
सरकते हुए नीचे की तरफ ले जाती थी. उसकी शायद इस बात का अच्छी
तरह से अहसास था की ये मेरा किसी औरत के साथ पहला संबंध है
और मैने आज तक किसी औरत हाथो कॅया स्पर्श अपने लंड पर ऩही
महसूस किया है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए वो मेरे लंड
को बीच बीच में ढीला भी छ्होर देती थी और मेरे आंडो को
दबाने लगती थी. वो इस बात का पूरा ध्यान रखे हुए थी की मैं
जल्दी ना झारू. मुझे भी गजब का मज़ा आ रहा था और ऐसा लग
रहा था जैसे की मेरा लंड फट जाएगा मगर. मुझसे अब रहा ऩही
जा रहा था
|