RE: rajsharmastories धोबन और उसका बेटा
"समझना क्या है बुरछोड़ी, तू तो मेरी जान है, देख ना तेरी इस बुर में मैं अपना यही मोटा लॉरा डाल के छोड़ूँगा, चुडवाएगी ना साली, बोल नाआआआअ, चुड़वायएएगी ना, खूब गालिया भी दूँगा, गांद तक का ज़ोर लगा के छोड़ूँगा, है रे मेरी चुड़दकर मा, कितनी मस्त माल है तू, सच में कब से तुझे छोड़ने की तम्माना थी, हर रोज सोचता था की तेरी इस मस्तानी बुर में लॉरा डाल के हच हचा के छोड़ूँगा तो कितना मज़ा आएगा, आज मेरा सपना सच होगी"
"हा, हा, बहँचोड़ कर लियो ना अपना सपना सच, तेरी मा के बुर में गढ़े का लॉरा मधर्चोड़, कैसे अपनी मा को छोड़ने का सपना देखता था, देखो साले भरूवे को, रंडी की औलाद, कुटिया के पिल्ले आ चोद दे, तेरी गांद में जितना डम हो उतना डम लगा के चोद दे मधर्चूऊऊऊद्दद द्द्द्दद्ड"
हम दोनो अब पूरी तरह जोश में आ गये थे और एक दूसरे से गुटम गुटा होते हुए एक दूसरे का चुंबन कर रहे थे और एक दूसरे के अंगो से खेल रहे थे. कभी मेरे हाथ उसकी चुचियों को दबाते थे कभी मैं उसके बुर को मुति में भर के दबाता था कभी अपनी उंगलिया उसके चूत में डाल के खूब ज़ोर ज़ोर से आगे पिच्चे करता था. मा भी मेरे होंठ और गालो को चूस्ते हुए खूब ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड को मसालते हुए मुठिया भी रही थी और मेरे आंडो से खले रही थी.. मा अब मेरे उपर आ चुकी थी और मैं उसके नीचे दबा हुआ था और उसके ****अरो को मसालते हुए उसकी गांद की दरार में उंगली डाल रहा था. तभी मा सीधा होते हुए मेरे उपर बैठ गई और अपनी दोनो जाँघो को मेरे कमर के दोनो तरफ कर के मेरी च्चती को चूमने लगी और अपने ****अरो को आगे पीछे कर के मेरे लंड पर अपनी बुर को रगर्ते हुए ज़ोर ज़ोर से सिकिया लेने लगी और लगभग चिकते हुए बोली "आज मत छ्होरना बेटे, जाम के कूट देना मेरी ओखली को अपने मूसल से, मेरी इस बिलबिलती हुई बिल में अपने साँप को घुसा के इसकी सारी खुजली मिटा देना बेटा, है चल जल्दी से मेरी बुर को चाट तो ज़रा" कह कर वो मेरी च्चती के उपर आ के बैठ गई. फिर अपने ****अरो को उठा के मेरे मुँह के सिधाई मेरे मुँह के उपर ले आई. मा ने अपने दोनो जाँघो को फैला कर मेरे मुँह से लगभग 6 इंच की दूरी पर रखा हुआ था. और मुझे देखते हुए मेरे बालो को पकर के मेरे गर्दन को उपर उठाते हुए बोली "चल ज़रा अcचे से छत मेरी इस निगोरी बुर को फिर तुझे जन्नत का मज़ा चकती हू".
"हा मा, मेरे मन भी तेरी चूत का रस पीने का कर रहा है जल्दी से सता दे अपनी चूत मेरे होंठो से, उस वाक़ूत तेरी बक-बक के चक्कर में तो ये काम अधूरा ही रह गया था"
मैने देखा की मा की चूत के गुलाबी होंठ ठीक मेरी आँखो के सामने खुले हुए थे. उसका झांतो से ढाका भज्नासा लाल नज़र आ रहा था. और गांद की सीकुर्ी हुई छेद फैल और सिकुर रही थी. उस गुलाबी दुपडुपते हुए चूत की छेद पर रंगहीन पानी सा लगा हुआ था जो की रोशनी में चमक रहा था. मेरे मुँह में उस छेद को देख कर पानी भर आया था. मैने अपने प्यासे तारपते होंठो को अपनी गर्दन उठा के चूत के मोटे फांको से भीरा दिया. मेरे होंठ अब मा की निचले होंठो से मिल चुके थे. मा ने भी धीरे धीरे अपने ****अरो का वज़न मेरे चेहरे पर दल दिया. मैं अब चूत के गुलाबी होंठो को अपने मुँह में भर कर चूस रहा था. अपनी जीभ को नुकीला कर के मैने बुर के छेद में सरका दिया. चूत में जीभ के जाते ही मा एक डम से सिसकार उठी और अपनी ****अरो को ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरी जीभ से ही अपनी चूत को मरवाना चाहती हो. मैने भी अपना पूरा जीभ पेल दिया था, और तेज़ी से चूत में घूमने लगा. मा की जंघे कांप रही थी. उसने दोनो हाथो से अपने चुचियों को पकर के रखा हुआ था और, खूब ज़ोर ज़ोर मसल रही थी. उसके होंठो से कपटी हुई आवाज़ में सिसकारिया निकल रही थी. मेरे दोनो हाथ उसके ****अरो से चिपके हुए थे और मैं पूरे चूत को मुँह में भर भर के चूस रहा था. चूत के गुलाबी होंठो को अपने होंठो में भर के चूस्टे हुए, जीभ को बुर के अंदर लिबलिबते हुए मैं चूत से निकलते हुए रस को कुत्ते की तरह से लॅप लॅप करते हुए छत रहा था. मा एक डम जोश में आ चुकी थी और अब उसके लिए ऐसा लगता था जैसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, और वो खूब ज़ोर ज़ोर से अपनी चुचियों को एक हाथ से मसालते हुए दूसरे हाथ से मेरे सिर को पकर के और ज़ोर से अपनी बुर पर चिपकते हुए बोली "चूस ले मेरी चूत, खा जा सारे रस को मधर्चोड़ साले, खा जा अपनी मा के बुर को, ओह उूुुुुुुुुुुउउ घह, मेरे भज्नाशे को पकर के चूस ना, काट के खा जा उसको मेरे चुड़दकर बलम, ले और ले और लीईए". मैने जल्दी से उसके भज्नसे को मुँह में भर लिया और खूब ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा और अपनी खुरदरी ज़बान को उसके उपर फिरा कर चाटने लगा. भज्नसे को चटवाने से मा का जोश दुगुना हो गया और वो और ज़्यादा सिसकरने लगी. चूत को मुँह पर रगर्ते हुए बोली "चूस ले चूस ले बेटा, है है मेरे चोदु सैय्या, कहा था तू अब तक, अगर पहले पाता होता की तू ऐसा चूत चतु है तो जाने कब की तुझे अपनी चूत दे देती और मज़े से चुड़वति. चूस ले बेटा, मा की बुर से अब जब भी रस निकलेगा तेरे लिए ही निकलेगा मेरे चोदु सैय्या"
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