10-04-2019, 12:57 PM,
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RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
स्वीटी ने अपने हाथ उपर मेरे स्तनो पर फिराते हुए कहा- अच्छा से इन सब की आदत डाल लो. चाची भी ये सब करती है. वो ये सब तुम्हारे साथ भी कर सकती है.
मैं बोली- नही मैं उस प्रकार की नही हू!
अक्च्छा, पर तुम इस सब से मुकर नही सकती, ये साथ ही बहुत आरामदायक भी होती है.वो बोली.
मतलब तुम भी….मैं बोली.
हां बिल्कुल…मुझे तो इसमे बहुत मज़ा आता है!
और स्वीटी ने मेरा पूरा गाउन मेरे शरीर से अलग कर दिया…और मुझसे कहा- अब तुम गहरी नींद मे सो जाओ….और अपने हाथ मेरे स्तनो और गालो मे फेरने लगी…
मैने जैसे ही आँख बंद की घबराकर उठ कर बैठ गयी और स्वीटी से कहा- मैं जैसे ही आँखें बंद करती हू मुझे हवा मे उड़ते हुए लंड दिखाई देते है.
वो मेरे माथे से पसीना पोछते हुए बोली- इसीलिए तो लड़कियाँ आपस मे प्यार करती है. इसे शरीर के सारे बंधन खुल से जाते है.
मैं बोली- होते होंगे, पर मुझे ये सब पसंद नही.
ये दिन भर की गांदगी को भी सॉफ कर देते है दिलो-दिमाग़ से…और वो मेरे स्तनो को चूमने लगी…
मैं तड़प्ते हुए बोली- मैं लेज़्बीयन(समलंगिक) नही हू!
वो बोली- मैं हू!
और उसने भी अपना गाउन उतारकर फेंक दिया. और मेरी योनि पर हाथ फेरते हुए बोली- कितनी प्यारी योनि है!
मैं तड़प्ते हुए उसे इतना ही कह सकी- रुकूऊव…….
वो मेरी योनि को मूह लगाकर चूसे जा रही थी..और मैं तड़प्ते हुए बोली-बहुत अच्छा लग रहा है! बहुत बढ़िया…अब मुझे लंड नही दिखाई दे रहे है..अब सिर्फ़ बदहाल ही बदहाल नज़र आ रहे है…
मैं अपने आपको शुद्ध, स्वच्छ, साफ, तरो-ताज़ा, प्रकाशित महसूस कर रही थी.
स्वीटी ने ज़ोर से मुझे पकड़ लिया, ओर मेरे होठों का रस पीने लगी, मैं उसके होठों का रस पीने लगी.
स्वीटी ने मेरा स्तन दबाया और मैं उसके स्तन दबा रही थी, फिर वो मेरे स्तनो को मूह मे ले कर चूसने लगी, आह….. बोहत अच्छी तरह मेरे निपल्स को चूस रही थी, और करो स्वीटी है…..
जल्दी क्या है…….., फिर वो मेरे पैरो को फैला दी और मेरी योनि को अपनी ज़ुबान सा चाटने का साथ साथ उस मे उंगली भी करने लगी, मैं तो अपने स्तन ही दबा रही थी, फिर वो उठ गयी ओर बोली तुम भी ऐसा ही करो जैसा मैने किया मैने भी बिल्कुल वैसा ही उसकी योनि को अपनी ज़ुबान से चॅटा ओर 3 उंगलियाँ ले कर उसकी योनि मे डाल दी ओर उसे चोदने लगी, फिर उसने मुझे एक नया आंगल बताया मैं उस मे आ गयी जिसमे मेरी योनि स्वीटी के मूह और स्वीटी की योनि मेरे मूह मे आ गयी और हम दोनो योनिओ को चाट रही थी, ऐसा कुछ 10 मिनट ही किया था स्वीटी की योनि ने पानी का फ़ौवारा छोड़ दिया मेरे मूह पर, वो बोली इसे चाट ले बड़े मज़े की होती है या क्रीम, मैने ऐसा ही किया,
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10-04-2019, 12:57 PM,
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RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
फिर उसने मेरी योनि का रस निकालने के लिए अपनी योनि को मेरी योनि के साथ जोड़ कर घिसने लगी, उसने अपने होठ मेरे होठों के साथ जोड़ दिए ओर मैं उस का रस पीने लगी, वो बोली मेरी ज़ुबान का रस भी पी कर देख उसने ज़ुबान बाहर निकाल दी जो मैने अपना होठों के बीच रख कर चूसा वो बहुत तेज़ तेज़ घिसे जा रही थी, मगर योनि का टकराव कुछ देर बाद टूट जाता था, जिस से मज़ा खराब हो रहा था, उसने मेरी टांगे अपनी टाँगो के बीच मैंन रख ली जिस से उसको घिसने मैंन आसानी हुई ओर मुझे भी ज़्यादा मज़ा आने लगा, ओर मेरी योनि का पानी भी निकल गया जिस से मुझे बहुत शांति मिली, मज़ा आया ना स्वीटी ने पूछा मैने कहा बहुत, तो फिर करने का मूड है, हैं मगर अब मुझे बहुत नींद आ रही है………….और थोड़ी देर मे मैं चित्त होकर नींद के आगोश मे चली गयी. सुबह जब मैं उठी तो अपने आपको बहुत ही तरो-ताज़ा महसूस कर रही थी. बीते दिन की कारण जो बढ़न टूट रहा था वो दर्द अब काफूर हो चुका था. ये एक सुहाने दिन की शुरुवत होने वाली थी.
मैं अपने बिस्तर से उठी और नहा-धोकर, अपना गाउन पहना और चाची के रूम की तरफ चल पड़ी.
मैने चाची के दरवाज़े पे नॉक किया, तो अंदर से चाची की आवाज़ आई- अंदर आ जाओ !
मैने अंदर घुसते ही चाची से कहा- गुड मॉर्निंग चाची.
चाची दर्पण मे देखकर शृंगार कर रही थी. उन्होने मे मुझे भी दर्पण मे से देखते हुए अपने गालों पे ब्रश चलते हुए कहा- गुड मॉर्निंग. क्या बात है आज तुम बहुत खिली-खिली नज़र आ रही हो ?
मेरे पास आओ मेरी जान….इस घर की शान. तुम्हे पता नही होगा मैं तुम्हे पाकर कितना धन्य हो गयी हू. तुम ने कल वो करिश्मा कर दिखाया, मेरा मतलब तुम्हारी अकेली कल की कमाई तकरीबन तीन लड़कियों की कमाई से ज़्यादा थी.
मैं बोली- मैं अपनी तरफ से अपना पूरा सौ प्रतिशत देने की कोशिश की थी चाची.
चाची उठी और मेरे पास आकर मेरे बालों को सहलाते हुए बोली- और तुमने मज़े किए !
तुम यहाँ और 15 दिन रुक सकती हो. मैं तुम्हे यहाँ और 15 दिन रखने को तैयार हू.
थॅंक यू चाची..पर…मैं बोल ही रही थी..के चाची बोल पड़ी.
क्या हमने तुम्हे कोई तकलीफ़ दी है ? क्या मैने तुम्हारे साथ कोई धोका किया है ?
नही चाची, ऐसी कोई बात नही है. मुझे तो आप पर पूरा भरोसा है.
चाची मेरी चुचियों से थोड़ा उपर हाथ फेरते हुए बोली- तुम बहुत प्यारी हो. पर तुम इस बंधन से कभी छूट नही पओगि.
क्या ? मैने उन्हे प्रशन के भाव देते हुए बोली.
ये अक्सर उन औरतो को होता है जिनकी जिंदगी मे आत्यधिक सेक्स हो. उन्हे हर वक़्त एक मर्द की ज़रूरत पड़ जाती है.
मैं चाची पर हस्ते हुए बोली- अक्च्छा. मुझे तो इसका पता ही नही था!
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10-04-2019, 12:58 PM,
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RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
मैने अंडरवेर मे हाथ डालके उसके लंड को पकड़ लिया. और उसकी अंडरवेर निकाल के फेक दी. उसने भी मेरा गाउन निकाल दिया. मैं पूरी नंगी थी और उसका लंड हाथ मे लेके हिला रही थी और वो मेरे स्तनो को मूह से चाट रहा था. मेरे मूह से आह….. आह……. आह ऐसी आवाज़ निकल रही थी. मेरी योनि एकदम सॉफ-सुथरी थी, जैसे ही उसने देखा योनि बिना बालों के है, मूह डालके उसे चाटने लगा. मेरे मूह से अजीब अजीब आवाज़े निकल रही थी. 10 मिनट चाटने के बाद मेरा पानी छूटा और उसने पूरा पानी पी लिया .
मैं बोल रही थी चूसो और चूसो मेरी योनि की प्यास बुझाओ प्ल्स. फिर उसने मुझे बेड पे सुलाया और मेरी टाँगो मे बैठ गया और मेरे पैरो को फैलाया. मैं बोल रही थी अंडर डालो, जल्दी डालो. फिर उसने योनि के अंदर लंड को डाला उसका पूरा लंड मेरे अंदर गया जैसे ही उसका लंड अंदर गया मैने उसे कस्के पकड़ लिया और बोलती जा रही थी और ज़ोर्से करो , और ज़ोर्से करो. वो धक्के पे धक्के देता जा रहा था और मैं चिल्ला रही थी. 20 मिनट बाद, हम दोनो एक दूसरे की बाहों मे थे, वो अपना काम ख़तम करके मेरी योनि पर हाथ फेर रहा था, मेरा सारे अंग को छू रहा था….
मैं:- मुझे खुशी हुई के तुम फिर से आए. यहाँ तक कि एक तुम ही हो जिसके साथ मैं पहली बार भी झड़ी थी यहाँ और आज भी झड़ी हू.
वो बोला :- ये तो तुम्हारा ही जलवा है, जो मुझे यहाँ खीच लाता है. हमारे बीच एक केमिस्ट्री बन गयी है, जैसे हम एक-दूजे के लिए बने हो.
मैं बोली :- मैं तो तुम्हे जानती तक नही हू. तुम कौन हो ? क्या करते हो ?
वो बोला :- मेरा नाम अमित है. मैं यही के मरीने स्कूल मे हू.
मैं बोली :- तुम वहाँ क्या करते हो ?
वो बोला :- मैं अभी वहाँ ऑफीसर’स ट्रैनिंग के लिए आया हू.
मैं बोली :- एक सेलर जैसे फिल्मों मे होता है.
वो बोला :- तुम उन सब ढोंगियों से कैसे संभोग कर लेती हो ?
मैं बोली :- हर किसी को चमक-धमक पसंद है..और जिनको ये पसंद नही , वो किसी और को उठा लेते है.
वो बोला :- जैसे मैने तुम्हे पसंद कर लिया…..तुम मुझे अपनी वो नखरे नही दिखाती हो जो तुम अपने दूसरे कस्टमर्स को दिखाती हो…इसका मतलब तुम भी मुझे पसंद करती हो.
मैं बोली :- कहा जाए तो हां………थोड़ा बहुत…
वो बोला :- चलो फिर कही बाहर चले.
मैं बोली :- क्यू नही ? वैसे भी कल मेरी छुट्टी है.
वो बोला:- बढ़िया…हम दोनो कल एक शानदार डिन्नर करेंगे एक साथ.
मैं बोली :- नही, कल मैं राज के साथ खाने वाली हू.
वो बोला :- अच्छा, तुम्हारा मंगेतर.
मैं बोली:- हां, मैं उसे सर्प्राइज़ दूँगी.
वो बोला :- इसका मतलब, तुम्हे दो-दो आदमी चाहिए ?
मैं बोली :- मैं एक वेश्या हू, मैं ना कैसे कह सकती हू.
और मैं खिल-खिलाकर हंस पड़ी….जिससे अमित थोड़ा चिड गया और उसने मेरी गान्ड पे एक ज़ोर का तमाचा मारा और मैं हँसे जा रही थी उसकी शकल देख के…..हा..हा…हा…. रॅज़बेरी केफे हाँ यही तो वो नाम था जिसमे वो मुझे लेकर गया था. वो उस केफे की साइड वाली टेबल से मुझे देख रहा था और मैं उसे ये बोल के आई थी के मैं राज को फोन लगाके आती हू टेलिफोन बूथ से.
क्रमशः............................
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10-04-2019, 12:59 PM,
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RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
एक वेश्या की कहानी--6
गतान्क से आगे.......................
उसने मुझे टोका था- मेरे मोबाइल से लगा लो.
मैने कहा नही मुझे कुछ पर्सनल बातें करनी है, और उस वक़्त उसका चेहरा देखने लायक था.
खैर उस दिन वो मुझे बाहर घुमाने लाया था. मेरी भी उस दिन की छुट्टी थी तो मैं चाची से पूछकर उसके साथ चल दी. और अब जब वो मेरा टेबल पर इंतज़ार कर रहा कॉफी पी रहा है तो मैं लगी हू फोन बूथ पे.
फोन तो राज को लगा और मैं उसे नखरीले अंदाज से आक्टिंग करके फोन रखा और बाहर चली आई. और आकर उसके सामने वाली सीट पर बैठ गयी और उसे कहा-
राज का तो आज कोई बिज़्नेस डिन्नर है…… और ये कहकर अपनी कॉफी पीने लगी.
अमित- तो फिर हम तो कर ही सकते है.
मैं बोली- हां बिल्कुल, मेरी तरफ से हो जाए, इतना तो मैने कमा ही लिया है.
उसने कहा- बिल्कुल नही, मैं तुम्हारे राज के जैसे थोड़े ही हू.
मैं नाराज़गी जताते हुए खड़ी हुई और उसे बोली- सेलर इस तरह से उसके लिए बातें मत करो.
राज बहुत प्यारा है और हम एक-दूसरे को बेहद प्यार करते है…..और ये कहकर मैं वहाँ से जाने लगी.
अमित- ठीक है2….गुस्सा मत हो......नही करूँगा.
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एक शानदार रेस्टोरेंट के आलीशान टेबल पर बैठे मैं और अमित डिन्नर के लिए आए थे.
अमित- तुम इस तरह से कब तक अपनी जींदगी जीओगी ?
मैं- जबतक मैं राज के लिए पर्याप्त पैसे ना कमा लू और हमारी शादी ना हो जाए तबतक.
अमित- कंग्रॅजुलेशन्स !
मैं- थॅंक्स.
मैं- तुम्हारी ट्रैनिंग कब ख़त्म होगी ?
अमित- 1 महीना और, फिर सीधे समुंदर….शायद कोई फिशिंग बोट पे…वहाँ से ढेर सारी मछलियों को पकड़ कर यहाँ लाउन्गा.
मेरे हाथ मे मछली का टुकड़ा देख कर वो बोला- हो सकता है ये भी वही की हो.
हम वहाँ बैठ कर बातें कर ही रहे थे के तभी, वहाँ एक कपल आया जिसे देख कर मैं हैरान रह गयी.
अमित- वो औरत कौन है ?
मैं- मैं पता करके आती हू….मैने उस औरत की तरफ देखते हुए कहा और उसकी तरफ उठकर चल पड़ी.
जिस टेबल पे वो बैठे थे उस टेबल के पास जाकर खड़ी हुई और मुझे देखते साथ राज के पसीने छूट गये जो उस औरत के साथ आया था.
राज- तुम यहाँ क्या कर रही हो ?
मैं – तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?….तुम्हारा तो आज कोई बिज़्नेस डिन्नर था ना ?
राज- हां बिल्कुल सही, ये मोहतार्मा इच्छुक है मेरे बिज़्नेस मे…..उसने उस औरत की तरफ देखते हुए कहा.
वो औरत बहुत रहीस और खानदानी मालूम पड़ रही थी…उसने मेरी ओर देखते हुए राज से पूछा-
ये कौन है ?
मैं- मैं इसकी मंगेतर हू.
वो मेरी ओर मुस्कुराते हुए बोली- पर राज और मैं तो लगभग तीन सालों से एक-दूसरे के साथ है ! क्यू राज......... और उसे घूर कर देखने लगी.
मैं राज से- कह दो कि ये झूट है राज !
राज – मैं तुम दोनो को सब कुछ समझा सकता हू.
और वो औरत गुस्से मे वहाँ से उठी और राज को चिल्लाते हुए बोली- धोकेबाज़ !..........और वहाँ से जाने लगी.
राज- रागिनी सुनो तो, मैं तुम्हे सब कुछ समझा सकता हू.
राज ने मेरी तरफ देखा और फिर दौड़कर उस औरत के पीछे जाने लगा- रूको मैं तुम्हे सब समझाता हू.
मैं अपने आँसू, अपने गम, अपना टूटा हुआ दिल लेकर वापस अमित के पास आकर टेबल पर बैट गयी और फुट-फूटकर रोने लगी.
अमित- मेरे गालों को सहलाते हुए…चलो भी, अब परेशान मत हो……वैसे भी तुम उसके बिना ही अच्छी भली हो. अच्छा हुआ जो तुमने उसे छोड़ दिया.
मैने उसके एक हाथ अच्छे ज़ोर से अपने दोनो हाथों मे पकड़ लिया और अपने आँसू बहाने लगी. वो अपने एक हाथ से मेरे आँसू पोछता रहा.
आज अगर उस वक़्त अमित का सहारा ना होता तो शायद मैं कब की टूट कर बिखर गयी होती, आख़िर जिसके लिए मैने अपनी जींदगी का इतना अहम फ़ैसला लिया या यू कहु के अपनी जींदगी कुर्बान कर दी, उसी ने मुझे इतना बढ़ा धोका दिया. आज राज की इस करतूत से मेरा दिल छलनी हो गया. अमित ना होता तो शायद उसी रेस्टोरेंट मे मेरी लाश पड़ी होती.
आज अमित का बहुत बढ़ा सहारा मिला मुझे, ऐसा लगा जैसे मैं उसके एहसान तले दब गयी हूँ.
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हम अमित के घर आ पहुचे. मैं अब भी अमित के सहारे खड़ी थी. वो भी मुझे धाँढस बँधा रहा था. पता नही कैसे मेरे होठ उसके होठों तक पहुच गये और हमारे बीच किसिंग शुरू हो गयी.
मैं आज उस किसिंग मे अपनी सारी यादें, सारे गम, सारे दुख दूर कर देना चाहती थी.
और मैं खो गयी अमित के साथ उस किसिंग मे. अमित भी मेरा खुलकर साथ देने लगा था.
हम एक दूसरे को 10 मिनिट ऐसे ही किस करते रहे और उसने मेरी जीभ को चूसना शुरू कर दिया. उसके हाथ मेरे स्तन से खेल रहे थे. मेरी योनि गीली होती जा रही थी.
मैने धीरे से उसके लंड के उप्पर हाथ रखा तो पाया कि वो बिल्कुल कड़क हो चुका था जैसे एक लोहे की रोड हो. उसने मेरे फ्रॉक के बटन खोल दिए और किस करते करते मेरे स्तन को चाटना शुरू कर दिया. फिर उसने मेरे निपल्स को अपने मूह मे लिया और चूसने लगे जैसे कोई बच्चा दूध पी रहा हो. मैं तो सातवे आसमान मे थी.
मैं कहने लगी कि और ज़ोर से चूसो तुम्हारे ही हैं. वो एक हाथ से मेरे एक स्तन को दबा रहा था और एक स्तन को ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था. मेरे मूह से आह अहहहह अहहाहकी आवाज़े आ रही थी. फिर उसने दूसरा स्तन चूसना शुरू किया और पहले वाले को दबा ने लगा. मुझे उसने वहीं सोफे पे लेटा दिया और धीरे धीरे पेट और नाभि पे किस करने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि मैं आज इस सेक्स गेम मे राज को पूरी तरह भुला के अमित के रंग मे रंगना चाहती थी.
राज की ऐसी हरकत से मैं बहुत बुरी तरह से आहत हुई थी और अमित मेरे उस ज़ख़्म का बहुत आच्छे तरीके से इलाज़ कर रहा था. आज तो मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो जन्नत मिल गयी हो. फिर उसने मेरे योनि को किस किया तो मुझे 10000 वॉल्ट का करेंट लगा और मैं झाड़ गयी. क्यों कि अमित की हर्कतो से मैं बहुत उत्तेजित हो चुकी थी. अब वो मेरे योनि को किस करे जा रहा था और उसने अपनी पहले एक उंगली और फिर दूसरी उंगली भी डाल दी और उंगली से चुदाई शुरू कर दी.
और फिर उसने मेरे योनि पे अपने जीभ रख दी और मेरी योनि मे जीभ डाल के चोद्ना शुरू कर दिया. मुझे बहुत मज़ा आया. मैने धीरे से उसका शॉर्ट नीचे कर दिया और उसका रोड जैसा लंड फन फनता हुआ बाहर आ गया. मैने एक दम उसका लंड अपने मूह मे ले लिया और हम 69 पोज़िशन मे आ गये. वो मेरे योनि को अपने जीभ से चोद्ते जा रहा था और मैं उसका लंड चूस रही थी. इतना लंबा और मोटा हो गया था कि मेरे मूह मे आ नही रहा था पर फिर भी मैं अंदर तक ले रही थी.
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10-04-2019, 12:59 PM,
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RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मैंन पूरे ज़ोर से अपनी योनि उसके मूह पे दबा रही थी और उसने अपनी जीभ मेरे दाने पे टच कर दी और मैंन फिर एक बार झाड़ गयी. उसने मेरा सारा रस पी लिया. अब वो मेरे मूह मे अपना लंड ज़ोर ज़ोर से पेल रहा था. मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था कि आचनक वो बोला मैं आ रहा हूँ. मैने कहा कि आ जाओ. तो उसने एक ज़ोर का झटका दिया और मेरे मूह मे अपना सारा रस छोड़ दिया.
बहुत टेस्टी था, नमकीन और मीठा दोनो का मिक्स्चर था. वो अपना रस छोड़ते ही गया और मे सारा रस पी गयी. मुझे पहली बार इतना मज़ा आया था और मैं पहली बार अब तक दो बार झाड़ चुकी थी. उसका सारा रस पी कर लंड बाहर निकाला पर उसका लंड तो जैसे अब भी रोड की तरह कड़क था. दो मिनिट मेरे उप्पर ऐसे ही लेटे रहा और मेरे स्तन को चूस्ते रहा. फिर उसने मुझे थोड़ा सा और सीधा किया और अपना लंड मेरे योनि मे डालने लगा.
दो तीन धक्के मे वो अभी आधा ही गया था. उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स से लॉक कर दिया और एक ज़ोर के झटके मे ही अपना लंड पूरा का पूरा अंदर पेल दिया. ऐसा लगा कि उनका लंड मेरी ज़ुबान तक आ गया है. मुझे पहले तो बहुत दर्द हुआ पर थोड़ी ही देर मे मुझे बहुत अच्छा लगने लगा.
ऐसा लगा कि आज मैंन पूरी तरह से तृप्त हो गयी हूँ. फिर उसने धक्के मारने शुरू किया और मेरे स्तनो को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. मेरे निपल्स अब तक कम से कम 2 इंच लंबे हो गये हे. इतना मज़ा तो मुझे आज तक नही आया था. मुझे और जोश आने लगा और मैं एक बार फिर झाड़ गयी. पर वो रुकने का नाम ही नही ले रहा था. मैने एक नज़र टाइम पे डाली तो देखा कि हमे एक घंटा हो चुका था. पर वो तो जैसे रुकने वाला नही था और धक्के पे धक्के मारे जा रहा था.
मेरे मूह से अहहा अहः अहहह ह और ज़ोर से और ज़ोर की आवाज़ें आ रही थी. वो मेरे स्तनो को मसल रहा था कभी उनको चूस्ता कभी मेरे निपल्स को चूस्ता और कभी कभी काट रहा था. मुझे उसकी हर बात पे और जोश आता जा रहा था. फिर उसने एक ज़ोर का झटका मारा और अपना सारा रस मेरे योनि के अंदर छोड़ दिया. उसका रस जैसे मेरे अंग-अंग मे बह रहा था. इतना सारा रस था कि रुकने ना नाम ही नही ले रहा था. थोड़ी देर वो मेरे उप्पर ही लेटा रहा.
फिर थोड़ी देर बाद हम अलग हुए. उसका रस मेरे योनि से बह रहा था. मैने और उसने दोनो ने कपड़े पहने और बिस्तेर पे लेटने चली गयी.
मैने अभी लेटी ही थी कि वो मेरे पास मे आया और मेरे पास आकर लेट गया. सुबह-सुबह अमित बिस्तर पे अंगड़ाइयाँ ले रहा था. चदडार के उपर से उसका तना हुआ लंड अभी भी सॉफ नज़र आ रहा था. वो मुझे देखते साथ चौक के उठ बैठा.
मुझे बिल्कुल तैयार देखकर और मेरे हाथों मे चाइ और ब्रेकफास्ट की ट्रे थी शायद इसीलिए.
अमित:- कामिनी तुम और ये सब……
मैं:- तुम मुझे राधा भी कह सकते हो. ये मेरा असली नाम है.
मैने अमित के लिए अपने हाथों से चाइ बनाई और उसे चाइ सर्व की.
अमित मुझे देखते हुए बोला:- तुम कहाँ जा रही हो ?
मैं :- अमित तुम्हारे साथ बहुत अच्छा वक़्त बीता, पर मेरे लिए अब यहाँ से जाना ही अच्छा होगा.
मैने प्यार से अमित के गालों पर हाथ फेरा तो अमित ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला-
अमित:- मैं जल्द ही शिप का कॅप्टन बन जाउन्गा, फिर हम सारी दुनिया साथ मे घूमेंगे.
मैं:- क्या मैं ?
अमित :- जी, कॅप्टन की वाइफ से ही बात कर रहा हू मैं !
मैं :- मुझे तो अब इस सोच ही घिंन आती है अमित.
अमित :- ओह….तो तुमको समुद्रा से आलर्जी है.
मैं :- नही शादी से........... मैं भले ही कितनो से कितनी बार चुद चुकी हू….पर मुझे अब इससे सीख मिल चुकी है.
अमित :- सीख, कैसी सीख ?
मैं :- इसके लिए मैं राज का शुक्रिया अदा करती हू, जिसके कारण आज मेरे पास पैसो वाली एक नौकरी है. और मैं अब इसी के साथ चलती रहूंगी..... पर इस बार सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने लिए.
मैं:- अब ना कोई और अच्छी बातें और ना ही कोई वादें…..
और मैं वहाँ से चली आई. अमित को अकेला उस के बेड पर छोड़कर…..कुछ दूर बाहर चलकर वापस आई और उसे बोला-
मैं:- वैसे तुम तो जानते हो मैं कहाँ हू, अगर तुम मुझसे मिलना चाहो तो कभी भी आ सकते हो.
और फिर मैं दरवाज़ा बंद करके उसके रूम से बाहर निकल के आ गयी.
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वापस चाची के पास आकर मैं उन्हे अपने दिल का हाल बताने लगी. जो-जो मुझ पर कल बीती , उन्हे वो सब बताने लगी.
मैं :- चाची, मैं वहाँ पे अपने आपको गांदगी से लिपटी हुई महसूस कर रही थी….ऐसा लग रहा था किसी ने मुझे जीते जी नरक मे धकेल दिया हो.
चाची:- चलो, तुम्हे इसे कुछ सीख तो मिली, अब तुम ग़लती से भी दूसरे के लिए तो ऐसा नही करोगी ना.
मैं:- कभी नही, ग़लती से भी नही. अब मैं अकेले रहना चाहती हू. बिल्कुल आज़ाद अपने पैसो के साथ.
चाची :- मतलब मैं कह सकती हू, फिर से एक नयी जीवन की शुरुआत कर रही हो.
मैं:- बिल्कुल, बेशक.
और चाची ने प्यार से मेरी गान्ड को अपने हाथों से सहला दिया… शाम को फिर बाज़ार लगा, सारी वेश्या अपने - अपने कस्टमर को रिझाने लगी. मैं भी चाची के पास आकर खड़ी हो गयी थी. और अपने लिए एक कस्टमर ढूंड रही थी. दूर बैठा एक बुद्धा मुझे ही घूर रहा था.
तभी दरवाज़े पे मुझे राज दिखाई दिया.
मैं :- हे भगवान, ये तो राज है !
चाची मुझे संभालते हुए बोली – वो अब तुम्हे तुम्हारी इज़ाज़त के बिना छू भी नही सकता. तुम चाहो तो उसे गिरफ्तार भी करवा सकती हो.
मैं :- मैं क्या करू, मुझे कुछ समझ नही आ रहा है ?
चाची :- कुछ नही बस शांत रहो .
राज सीधा मेरे पास ही आया और आते ही कहा – हमे बात करनी चाहिए.
चाची बोली- उसके अभी पीरियड्स चल रहे है, किसी और दो ढूँढ लो.
राज :- फिकर मत करो. मैं बस उससे बात करना चाहता हू.
चाची मुझे देखते हुए बोली- मैं यही पर हू.
तभी मेरे पीछे से शीला अपने कस्टमर को निपटा कर आई और चाची के पास अपने पैसे जमा किए.
चाची- क्या बात है तुम मे से कोई भी आज तगड़ी कमाई नही कर रही हो ? ऐसे मे तो मैं कंगल हो जाउन्गि.
और फिर वो दूर से हम दोनो को देखने लगी.
मैं राज को लेकर वही कोने मे एक पर्दे पे पीछे ले गयी थी.
मैं :- तुम बिल्कुल बेकार आदमी हो राज.
राज :- इतना भी बेकार नही हू. आज तुम्हारे पास एक अच्छी जॉब है सिर्फ़ मेरे कारण (वो मुस्कुराते हुए बोला)
मैं उसकी मुस्कुराहट से चिड़ गयी थी, मैं बोली- सबसे पहले मैं तुम्हे जैल भिज्वाउन्गि.
राज :- किस जुर्म मे ? ………..मैने तो तुम्हारे पैसे भी नही लिए. कम से कम अब तक तो नही ही लिए है. जबकि तुम्हे मेरा कर्ज़दार होना चाहिए. ……………क्या करोगी तुम इतने पैसो का ? …………बॅंक मे अकाउंट खुल्वाओगि और वो भी बिना मेरे. इसमे तो कोई बुरी बात नही है. मेरी प्यारी नन्ही वेश्या !
मैं :- मैं तुम्हे कभी भी अपनी जिंदगी से दूर कर सकती हू, ये मेरी जिंदगी है !
राज थोड़ा और मुस्कुराते हुए- तुम्हे अब वेश्यावृत्ति के धंधे का लाइसेन्स मिल चुका है. और तुम नही चाहोगी के ये बात गाँव तक पहुचे समझी. इसलिए मुझे 60% चाहिए महीने के अंत तक.
क्रमशः............................
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RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
raj sharma stories
एक वेश्या की कहानी--7
गतान्क से आगे.......................
और वो मेरे होठों को अपने हाथों की उंगलियों से रौन्द्ता हुआ चला गया वहाँ से. और मैं वहाँ बेबस खड़ी सब देखती-सुनती रही.
उसके वहाँ से जाते ही चाची मेरे पास आई.
मैं – बहुत गंदा आदमी है चाची वो. मुझे ये जगह अभी के अभी छोड़ के जानी पड़ेगी चाची. मुझे मदद की ज़रूरत है. उसने मुझे डरा दिया है चाची.
और मैं चाची के गले लग के ज़ोर-ज़ोर से ढाहाड़े मार कर रोने लगी.
चाची ने मुझे शांत करते हुए कहा- मैं तुम्हारी मदद करूँगी, आख़िर मैं यहाँ किस लिए हू ? मुझे मालूम है हमे किस को पूछना चाहिए. हम बचाएँगे तुम्हे राज के चुंगल से. अगले दिन सुबह............
सारी वेश्याए हॉल मे जमा हो कर बातें कर रही थी.
रीता- याद है वो हमारी कॉल आई थी एक बहुत बड़े आदमी के यहाँ फंक्षन के लिए और हम सब ने वहाँ एंजाय किया था. वो कौन सा गाना था जो तुमने वहाँ गाया था.
चाची- मैं बताती हू, सुनो....
चाची सामने एक कुर्सी पर आकर बीच मे बैठ गयी और सारी लड़कियों ने तालियों से उनका अभिवादन किया.
चाची ने अपनी मादक आदाओ के साथ वो गाना शुरू किया....
"ये रात ये रात जली कि छिपकली रात ये रात
कड़ी और कोम्बदी की रात
ना उगली ही जाए ना निगली ही जाए
ये काली ज़हरीली रात
पल पल बलखाती पल पल ..."
और वो क्या मादक डॅन्स कर रही थी उस कुर्सी के साथ मैं तो बस उन्हे देखती ही रह गयी थी.
लेकिन वहाँ कोई और भी था जो डॅन्स नही बल्कि मुझे देख रहा था वो था फंक्षन ऑर्गनाइज़र जो लड़कियों को इधर-उधर के प्रोग्राम्स मे भेजता था.
जैसे ही चाची का डॅन्स ख़तम हुआ...वो मेरी ओर देखकर बोला--
तुम्ही कामिनी हो ना, बोलो हो ना. मैं यहाँ का ऑर्गनाइज़र हू, मैने तुम्हारे बारे मे बहुत कुछ सुन रखा है.
मुझे लगा शायद यही वो आदमी है जिसके बारे मे चाची ने कहा था और जो मुझे इस मुस्किल से निकाल सकता है.
मैने भी उसकी तरफ देखकर उसे बोला- आपसे मिलकर खुशी हुई.
वो- आओ यहाँ बैठो मेरे पास.
और चाची ने सबको वहाँ से जाने को बोल दिया ये कहकर के उनको अकेले मे मज़े करने दो. और सारी की सारी लड़कियाँ चाची के पीछे-पीछे हम दोनो को वहाँ अकेला छोड़कर चली गयी.
वो एक बूढ़ा आदमी था, पर इस वक़्त वो मेरे लिए किसी दूत से कम नही था, वोही एक ऐसा आदमी था जो मुझे इस मुसीबत से निकाल सकता था.
वो मेरे हाथों को चूमते हुए बोला- चाची सही बोल रही थी. तुममे कुछ अलग ही नशा है. तुम यहाँ की सबसे कोमल कली हो.
मैं- आपके हाथ कितने मजबूत है मिस्टर...........
वो- मिस्टर. केपर मेरा नाम है रोहित केपर, और मुझे खूबसूरती बेहद पसंद है.
ऐसा बोलकर वो मेरे हाथों को बेतहाशा चूमने लगा.
केपर – मैं उन्ही खूबसूरती को यहाँ-वहाँ भेजता हू जो मेरे काम की सराहना कर सके. मैं तो सिर्फ़ खूबसूरती की पूजा करता हू. जिसकी एक शुद्ध आत्मा है और वो संगीत से भी प्यार करता है.
वो मुझे अपनी बाहों मे समेटते हुए कहता है- तुम मुझे बेहद पसंद हो. ज़्यादातर लड़कियों के दलाल होते है. पर मैं तुम्हे उन सबसे दूर रखूँगा. क्या तुम मेरी बनना चाहोगी ?
और वो मुझे हर जगह चूमने-चाटने लगा.
मैं- इतने जल्दी कैसे ? …..अभी मैं थोड़ी घबराई हुई हू.
वो अचानक से मुझे दूर हटाते हुए गुस्से मे बोला- क्या तुम्हे ये सब से घृणा होती है ?
मैं – नही , बिल्कुल नही !
मैं उस बुड्ढे को रिझाते हुए उसकी कूबड़ को सहलाने लगी. उस बुड्ढे रोहित की बहुत ज़्यादा कूबड़ निकली हुई थी. मैं उसकी पीठ पर हाथ फिरा कर उसे शांत करने लगी के वो और भड़क उठा और बोला-
मेरी पीठ पर से हाथ हटाओ ये तुम्हारे लिए कोई भाग्यशाली आकर्षण का केंद्र नही बन सकता.
मैं उसे विनम्र होकर- मैं आपको नाराज़ नही करना चाहती थी मिस्टर. केपर. मुझसे बहुत बड़ी बूल हो गयी.
वो मेरे स्तनो को घूरते हुए बोला- जाओ, मैं तुम्हे सोचने के लिए कुछ वक़्त देता हू. पर हम दोबारा ज़रूर मिलेंगे.
और मैं उस हॉल ने निकलकर वापस बाकी की लड़कियों के पास आ गयी.
प्रीति - घबराओ मत ! तू बिल्कुल सुरक्षित रहेंगी मिस्टर. केपर के साथ. अब तो उनको ना भी नही कह सकते हम सब उनके साथ पहले भी जा चुके है.
और साथ ही साथ वो है तो बुड्ढे मगर उनका हथियार बहुत बढ़ा है. पीछे से ऋतु बोली. जैसा सभी बौनो और कुबड़ो का होता है. और सब खिलखिला कर हंस पड़ी.
रीना बोली- वो तुम्हे अपनी रानी बनाके रखेगा !
तभी चाची बोली- जैसे एक प्यारी सी गान्ड तबतक आगे नही बढ़ सकती जब तक उसे पीछे से धक्का नही दिया जाए.
और रीना ने अपनी गान्ड पर दो बार थपकी देकर दिखाया.
तभी एक नौजवान दरवाज़े पर यहाँ का काम संभालने वाली उस बूढ़ी औरत से लड़ते हुए अंदर दाखिल हुआ और हम सब के सामने आया.
उसने चाची की ओर देखते हुए कहा- अगर आपकी इज़ाज़त हो तो मैं, सीमा से कुछ बात करना चाहूँगा ?
चाची ने सीमा की ओर देखते हुए कहा- अगर सीमा चाहे तो ही.
तभी उस लड़के ने अपने हाथों से अपनी रिंग निकाली और सीमा ने उसे कहा- प्लीज़ यहाँ नही. अंदर चलो.
और वो दोनो वहाँ से चल दिए.
मैने रीता से पूछा- वो कौन है ?
रीता – वो सीमा का दलाल है, एक सचमुच का मर्द.
उसने ऐसे बताया जैसे वो कोई सूपरस्टार हो.
मैं- उसने तो मुझे डरा ही दिया था.
चाची- वो थोड़ा पागल है. उसे संभलकर ही रहना.
इतने मे उपर से ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ें आने लगी, तो हम सब मिलकर उपर की ओर भागने लगे सीमा के कमरे की तरफ.
चाची ने दरवाज़े पर खटखटाकर कहा- रॉकी दरवाज़ा खोलो अभी के अभी !
हम सब लोग सीमा की चिंता कर रहे थे. थोड़ी देर मे दरवाज़ा खुला और रॉकी बाहर आया.
और चाची से बोला- मुझे माफ़ करे. मैं आप सब की इज़्ज़त करता हू, पर इस रांड़ ने मेरे साथ धोका किया.
जब हम ने अंदर देखा तो सीमा लहू-लुहान पड़ी थी, उसके सिर और मूह से खून निकल रहा था.
चाची ने रॉकी को बोला- तुझे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.
रॉकी ने इतलाते हुए कहा- जैसे आप कहे, और वहाँ से चला गया !
हम सब दौड़े-दौड़े सीमा के पास गये और चाची ने पूछा- उसने क्या किया तेरे साथ ?
सीमा- उसने मुझे सिर्फ़ इसलिए मारा के मैं उसे ये नही बताती थी के मैं नीचे टेबल पर कितने पैसे देती हू.
चाची- इसको तुरंत नीचे ले जाओ और डॉक्टर को बुलाओ. लड़कियों नीचे ले जाओ, इधर-उधर देखने की कोई ज़रूरत नही है.
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RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
मैं और चाची वही खड़े थे. चाची बोली- ऐसे लोगो के लिए हमारे पास बॉक्सिंग ग्लव्स है.
मैं चाची से बोली- मेरे पेट मे हल्का सा दर्द है. क्या मैं अपने कमरे मे जाऊ ?
चाची- तुरंत जाओ डियर, इतनी देर बाद क्यू बताया. जाओ जाकर आराम करो.
मैं अपने कमरे मे नग्न अवस्था मे लेटकर आराम कर रही थी के दरवाज़े पे नॉक हुआ.
क्या मैं अंदर आ जाऊ ?
ये कोई और नही मिस्टर. केपर थे. वो अंदर आए और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया.
मैं – प्लीज़ अंदर आइए मिस्टर. केपर.
केपर- मैने सुना तुम्हे पेट दर्द है. क्या तुम घबरा गयी हो ?
वो सीधे टेबल के पास जाकर दो ग्लास मे वाइन डालते हुए कहते है- बदक़िस्मती से ऐसी घटना भी कभी-कभी हो जाती है.
और वो एक ग्लास मेरे और बढ़ाकर कहते है- पियो. ये बहुत ही उचे दर्जे की वाइन है. तुम्हे अच्छा लगेगा. चियर्स…………..
ग्लास ख़तम करके वो अपने कपड़े उतारने लगा.
केपर- तुम ऐसे क्या देख रही हो ?
मैं- कुछ नही, पर आप क्या कर रहे है ?
केपर- मैं अपनी सबसे खूबसूरत कोमल कली तो तोड़ने जा रहा हू.
वो अपना लिंग हाथ मे आगे पीछे करते हुए मेरे पास आए.
मैं- प्लीज़, मिस्टर. केपर. मैं अभी भी थोड़ी परेशान हू.
वो मेरे उपर चढ़ते हुए बोला- इसलिए तो मैं यहाँ आया हू. तुम बहुत अच्छी हो…..चलो एक दूसरे के दोस्त बन जाए.
वो मेरे उप्पेर कुच्छ झुका और मैं कुच्छ समझ पाती तभी उसने मेरे कंधों को पकड़ के एक कस के धक्का मारा मेरी टाँगे पूरी फैली थी .. इस लिए लंड को जगह बनाने मे को दिक्कत नही हुई मगर मेरी मा चुद गई.. मैं पूरी कस के चिल्ला दी.. मेरा पूरा बढ़न .. तड़प गया मुझे लगा कि मेरी चूत पूरी फट गई हो.
उसका पूरा लंड एक बार मे मेरी चूत की दीवारों पे दबाव डालता हुआ … मेरी चूत मे जा के धँस गया था.. वो हिल भी नही पा रहा था .. मैं तड़प के उससे लिपट गई .. तब उसने मेरी चिन को अपने मूह मे लिया और चूसने लगा .. और दोनो हाथो से मेरी चुचियों को दबाने लगा.. फिर तभी मुझे एहसास हुआ कि उसका लॅंड अब आगे पीछे होने लगा है ..
उसका लॅंड मेरी चूत की दीवारों पे रगड़ डालता हुआ मेरी चूत मे अंदर बाहर जाने आने लगा था.. तब मुझे धीमे धीमे मज़ा आने लगा.. और मैं उसका साथ देने लगी तब उसकी टक्कारे तेज़ होने लगी .. और मैं कमर उचका उचका के उसका साथ देने लगी अब मैं मस्त हो गई थी .. मुझे चुदवाने मैं बहुत माज़ा आ रहा था…
वो काफ़ी देर मेरी चुदाई करता रहा.. उसकी टक्कारे मेरे हौसले को और बढ़ा रही थी.. कभी वो मेरी गर्देन चूमता कभी मेरे होंटो पे अपने होंटो को रख के चूमता और धक्के पे धक्के दिए जा रहा था.. अब उसके धक्के मेरी चूत की जड़ पे लग रहे थे.. और मैं मस्ती मे चुदवाने लगी थी… उसका लॅंड मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था..
मैं पूरी टॅंगो को फैला चुकी थी .. वो खूब मज़े से चुदाई करने लगा.. जब उसका लॅंड मेरी चूत मे अंदर जाता मैं उचक जाती और जब बाहर निकलता तो अपने स्थान पे वापिस आजाती .. ये करते करते उसके धक्के मेरी चूत पे तेज़ हो गये और थोड़ी देर मे एक घायल शेर की तरह कुच्छ कस के धक्के मार मार के वो मेरे उप्पेर ही गिर गया उसके लॅंड ने शायद मेरी चूत के अंदर ही वीर्य छ्चोड़ दिया था..
और वो गरम गरम द्रव मेरी चूत से बह के बाहर आने लगा था.. उसका लॅंड अभी भी मेरी चूत मे ही घुसा हुआ था.. मैं वैसी ही पड़ी रही वो भी मेरी चुचियों पे अपना सिर रख के लेटा रहा और थोड़ी देर मे उसने अपना लॅंड मेरी चूत से निकाल लिया.. उसका लॅंड अब लॅंड नही रह गया था.. वो मुरझा के लुल्ली बन गया था..
मैं और रीता, रीता के कमरे मे बैठकर बातें कर रहे थे के जिंदगी कैसे-कैसे खेल दिखती है.
रीता :- मैं तुम्हारी लिए दुखी थी, पर शायद तुम्हारे लिए यही सही है. हर दिन की टेन्षन से अच्छा ही है. वो भी उस कामीने राज के कारण.
रीता :- पर देखना वो वापस ज़रूर आएगा. मैं तो ऐसा ही सोचती हू.
मैं :- पर मैने तो ये जगह छ्चोड़ने की सोच ली है. तुम क्या कहती हो रीता ??
रीता :- तुम्हारे पास बहुत सारे विकल्प है. तुम्हे किसी का गुलाम बनने की ज़रूरत नही है. और अब तो तुम्हारे पास हुनर भी है.
मैं :- मुझे ये काताई पसंद नही है.
रीता :- तो फिर तुम शो बिज़्नेस से क्यू नही जुड़ जाती. मैं केयी क्लब्स मे काम कर चुकी हू. तुम वहाँ बहुत पैसे कमा सकती हो.
मैं :- तुम कहाँ काम करती थी ??
रीता :- मैने ज़्यादातर आधुनिक नगरॉ मे ही काम किया है. मैं तुम्हे बहुत से अड्रेस दे सकती हू, जहाँ तुम्हे आराम से काम मिल जाएगा. तुम वो सब जगह के नाम और अड्रेस लिख लो. साथ ही मैं तुम्हारे लिए अपने कुछ चाहने वालो के हाथो ज़िकरा भी कर दूँगी.
वो दिन मेरी लिए वहाँ आखरी दिन था……..मैने सब से विदा लिया. वहाँ से जाते वक़्त सारी लड़कियाँ मुझसे गले मिल- मिल कर रो रही थी. सबसे दुखी तो चाची थी. आख़िर उनकी सबसे पसंदीदा और कस्टमर्स की जान जो अब वो जगह छ्चोड़ के जा रही थी.
मैं भी भावनाओ मे डूबकर सबके साथ रोने लगी. चाची ने मुझे बाहर टॅक्सी तक छ्चोड़ा और फिर रोते हुए अंदर चली गयी. और मैने टॅक्सी वाले को रेलवे स्टेशन चलने को कह दिया.
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ट्रेन के एक कॉमपार्टमेंट मे मैं बैठी पेपर पढ़ रही थी. मैने शॉर्ट स्कर्ट पहन रखी थी. मेरे सामने एक बुड्ढ़ा बैठा था. वो मेरी ही तरह कोई इंग्लीश न्यूसपेपर पढ़ रहा था.
जैसे ही ट्रेन मे से धूप की कुछ किरण मेरी टाँगो मे पड़ी वो घूर कर मेरी जाँघो को देखने लगा, जो की स्कर्ट उपर हो जाने के कारण सॉफ दिख रही थी.
जैसे ही मेरी नज़र उस पर पड़ी के- वो मेरी जाँघो को घूर रहा है. मैं वहाँ से उठी अपनी स्कर्ट को ठीक किया. अपना पर्स उठाया और कॅबिन के बाहर निकल गयी. वो बुड्ढ़ा मुझे बाहर निकलने तक घूरे ही जा रहा था.
कॉमपार्टमेंट से बाहर निकलकर मैने एक सिग्रटते जलाई और चैन से एक कश मारा. और कश मारते हुए इधर उधर देखने लगी. तभी मुझे बाजू वाले कॉमपार्टमेंट के बाहर एक जाना पहचाना से चेहरा दिखा. जिसे मैं शायद देखना नही चाहती थी. और वो भी मुझे ही घूरे जा रहा था.
वो मूह मे कुछ चबाते हुए मेरे पास आया और मुझे घूरते हुए कहा- शहर जा रही हो ?
मैं :- इस ट्रेन मे हू तो शहर ही जाऊंगी ना.
वो :- मैने तुम्हे चाची के यहाँ देखा था.
मैं :- और मैने भी तुम्हे वहाँ देखा था. क्या तुम मे बिल्कुल भी शरम नाम की चीज़ नही है, कितना गंदा बर्ताव तुमने सीमा के साथ किया था रॉकी.
रॉकी :- थोड़ा गुस्से मे अपने मूह मे जो चबा रहा था उसे थुक्ते हुए- मैने उसके लिए खून तक बहा दिया और वो अपनी बातो से मुकर गयी. ये मुझे कातयि पसंद नही है.
रॉकी :- तुम्हे अपनी ज़बान का पक्का रहना होगा अगर तुम रॉकी के साथ हो तो…….नही तो तुम गये….
मैं :- तुम तमाशा बनाते हो ?
रॉकी :- अब तुम कॉन से वेश्याघर जा रही हो ?
मैं :- कोई भी वेश्याघर नही. मैं अब ये सब छ्चोड़ रही हू.
रॉकी :- बहुत अच्छे, इतने लाजवाब स्तनो के साथ तुम जो चाहो वो कर सकती हो.
उसने मेरे कपड़ो के अंदर हाथ डालकर मेरे स्तनो को ज़ोर से दबा डाला.
मैने उसे चिल्लाते हुए कहा- हरम्जदे !
रॉकी :- तुम हर किसी से नही चुद्वाती थी ना चाची के यहाँ.
मैं :- तुम जैसो के साथ तो बिल्कुल नही !
रॉकी :- वो तो मैं तय कर लूँगा.
मैं :- भाड़ मे जाओ तुम ! कुछ समझे के नही .
रॉकी ने मुझे गुस्से से देखा और मुझे एक तरफ धकेलते हुए कहा- चलो उस तरफ चलो.
मैं :- पागल हो गये हो क्या ?
पर उसने मेरी एक ना सुनी और मुझे धकेलते हुए कहने लगा- चलो भी ! कभी ट्रेन मे किया नही है क्या ?
और वो मुझे घसीटते हुए ट्रेन के बाथरूम मे ले गया. मैने चिल्लाते हुए कहा- मैं मदद के लिए चिल्लाउन्गि.
उसने अब मेरे उप्पेर के कपड़े उतार के मेरे अंडरगार्मेंट भी उतार दिए थे.
अब वो मेरे स्तनो को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
मैने भी उसके लंड को ज़ोर से दबाया, मुझे भी मज़ा आ रहा था पर मेरे से जयदा मज़ा वो ले रहा था.
क्रमशः........................
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10-04-2019, 12:59 PM,
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RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
एक वेश्या की कहानी--8
गतान्क से आगे.......................
अब हम दोनो बाथरूम के अंदर चले गये . वहाँ जाते ही उसने सबसे पहले मेरे सारे कपड़े उतार दिए ओर फिर अपने सारे कपड़े उतार लिए.
अब दोनो जिस्म एक होने जा रहे थे .वो मेरे स्तनो को चूसने लगा , बहुत ज़ोर से मेरे स्तनो को चूसने लगा.
उसकी साँसे ज़ोर-ज़ोर से शुरू हो गयी ओर मेरा दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा था .
सच मे मेरे स्तन इतने कठोर हो गये थे कि मानो जैसे कोई टेन्निस बॉल हो. उनका रंग एक दम गोरा था.
अब उसने मुझे झुका दिया और अपने लंड को चूसने लगा. मेरी हालत खराब हो रही थी. क्यूकी ट्रेन के बाथरूम मे मेरा ये पहला अनुभव था.
काफ़ी देर लंड को चूसने के बाद अब उसकी बारी थी. मैं भी उससे अपनी योनि को चुसाने लगी .
मेरी योनि एक दम उप्पेर सजी हुई गुलाबी थी, जैसे मानो गुलाब की पट्टी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था .
दोनो की दिल की धड़कने बहुत तेज चल रही थी . अब मैं अपना आपा खो चुकी थी. बार-बार उसे बोल रही थी कि, मेरे चूत मे डाल दो प्ल्ज़ अपना लंड प्ल्ज़्ज़.
वो अब मेरे पूरे जिस्म को चूसने मे लगा था. अब उसने मुझे थोड़ा झुका दिया ओर मेरे हाथ वॉशर पर रखवा कर उसे नीचे किया.
तब उसने अपना मोटा लंबा लंड निकाला उसके लंड को तना देख कर मैं बहुत खुश थी ओर बोली मैने अपने ज़िंदगी मे ऐसा लंड नही देखा.
फिर वो उप्पेर से जवान खूबसूरत भी था. उसकी उम्र उस समय कोई 21 की होगी. अब वो पागल हो चुका था. मुझे चोदने लगा उसने अब अपने लंड को धीरे से मेरी चूत मे डाल दिया.
मैने एक बार थोरी सी आह भरी फिर सब कुछ नॉर्मल था. उसने अब झटके लगाने शुरू किए तो मैं ज़ोर से चीखने से लगी.
उसने मुझे चुप किया, मैं बोली दर्द हो रहा है उसने मुझे समझाया . अब उसने फिर से झटके लगाने शुरू किए इस बार मैने उसका पूरा सहयोग दिया .
अब उसने झटको की स्पीड को और तेज किया . मेरे स्तन उसके हाथ मे थे, जिन्हे वो धीरे-धीरे दबा रहा था.
उसे भी अब मज़ा आ रहा था . अब एक बार उसका वीर्य निकल चुका था .
कुछ देर के लिए हम रुके फिर कुछ देर बाद उसका लंड फिर से तन गया. उसने इस बार मुझे ज़मीन पर लिटा दिया ओर मेरी टाँगे अपने कंधो पर डाल ली.
अब वो शुद्ध भारतिया शैली मे आ चुका था . उसने मुझे आगे सरकाया ओर अपना लंड इस बार ज़ोर से मेरी चूत मे डाल दिया, इस बार मैं कम चीखी .
अब वो ज़ोर से झटके दे रहा था . अबकी बार बहुत मज़ा आ रहा था .
अब धीरे धीरे वो भी सांखलीट हो रहा था ओर मैं भी संत्ुस्त हो चुकी थी. फिर टाइम भी बहुत जयदा हो चुका था . तो उसने मुझे छोड़ दिया .
छोड़ते ही मैं बोली मैने आज तक ऐसे कभी सेक्स नही किया था. आज कर लिया सच मे तुम मे बहुत दम है, जैसा मुझे रीता ने बताया था. वो भी बहुत खुश था …… जब मेरी आँखें खुली तो मैं रॉकी के साथ हम बिस्तर थी. रॉकी पूर्ण नग्न अवस्था मे था और मैं अधनग्न अवस्था मे उसके उपर लेटी हुई थी. जब मेरी आँखें खुली तो मैं रॉकी के उपर से उठी, तभी फ़ौरन रॉकी ने मुझे वापस अपनी ओर खीच लिया और मेरे स्तनो को चूस्ते हुए बोला,
रॉकी- तुम्हारे ये आम बहुत ज़्यादा रसीले है कामिनी. और वो उन्हे बेतहाशा चूमने लगा.
मैने टेबल पर पड़ी घड़ी पर नज़र दौड़ाई तो देखा उसमे 12.20 हो रहे थे.
मैं- 12.20, ओह्ह बहुत देर हो गयी !
रॉकी – तुम कहाँ जा रही हो ?
मैने फटाफट कपड़े उतारे और उसे कहा,
मैं- काम की तलाश मे.
रॉकी बिस्तर पर ही लेटे-लेटे बोला,
रॉकी- मैं भी तुम्हारे साथ आता हू.
मैं बाथरूम मे घुसते हुए उससे बोली,
मैं – उसकी कोई ज़रूरत नही है, रीता ने मुझे बहुत से अड्रेस और उनके नंबर्स दिए है और साथ मे कुछ सिफारिशी लेटर भी है.
रॉकी उठकर मेरे पर्स मे वो चीज़ें देखने लगा.
मैं- मैं अपनी जिंदगी के लिए कुछ बेहतर ढूंड ही लूँगी, जिसे मेरी नयी जिंदगी की शुरूवात हो सके !
रॉकी ने सारे नाम पते देखने के बाद मुझसे कहा
रॉकी – मैं यहाँ के सारे क्लब्स अच्छे से जानता हू, मैं वहाँ तुम्हे ले के चलूँगा.
और वो मेरे आने से पहले वापस जाकर बिस्तर पर लेट गया.
मैं बाथरूम से तैयार होकर वापस आई और उसे बोली,
मैं – बेहतर होगा के वहाँ मे अकेले ही जाऊ.
मैने रॉकी को बाइ कहा और उसे जैसे ही किस करने झुकी, रॉकी ने वापस मुझे बिस्तर पर खीच लिया. लेकिन मैं उसे छुटकर उससे दूर हटी उसे मुस्कुरा कर बाइ कहा, उसे रात को मिलने का बोलकर मैं कमरे से बाहर आ गयी.
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RE: Randi ki Kahani एक वेश्या की कहानी
रॉकी अपने बिस्तर से उठकर फोन के पास आया और वहाँ से उसने किसी का नंबर लगाया.
रॉकी – चिंटू ? मैं रॉकी बोल रहा हू. बिज़ी हो क्या ? मुझे कुछ ज़रूरी चीज़ो की व्यवस्था करनी थी.
इधर जहाँ मैं गयी थी वहाँ से भी निराशा ही हाथ लगी.
मैं- मुझे इस प्रकार से अस्वीकार करेंगे, इसकी उम्मीद नही थी मुझे. कोई काम नही. फिर भी मैं कोशिश करती रहूंगी. यहाँ सिर्फ़ रीता के बताए हुए क्लब्स नही है.
रॉकी – तुम ये सब भूल क्यू नही जाती ? क्लब्स मे काम करके तुम्हारी हालत खराब हो जाएगी. उसे तो अच्छा होगा तुम वहाँ काम करो जहाँ काई प्रकार के लोग आते है. नेता, अभिनेता, बड़े-बड़े रहीस और विदेशी लोग भी आते है.
मैं - मैं दुबारा एक वेश्या नही बनना चाहती हू !
रॉकी- और क्लब मे काम करना तुमको उचित लग रहा है. वहाँ पर पीना-पिलाना तुम्हारे लिवर को खराब कर देगा.
रॉकी मेरे पास आकर मेरे जाँघो को सहलाते हुए बोला- मैने तुम्हारे लिए एक बहुत बढ़िया काम जमाया है.
मैं- मुझे सीमा की तरह किसी भी दलाल की ज़रूरत नही है ! और मैने उसका हाथ अपने जाँघो पर से हटवा लिया.
रॉकी- मैं अपने आप मे अपमान महसूस कर रहा हू. तुमको क्या लग रहा है मैं तुमसे पैसे लूँगा ? भूल जाओ, तुम मुझ पर बिल्कुल भी भरोसा नही करती.
और वो बिस्तर के एक कोने मे जाकर बैठ गया.
मैं- क्या सचमुच मे मैं नेता,अभिनेताओं से मिल सकूँगी ?
रॉकी- तुम शर्त लगा सकती हो ! मैं अभी मिलन को बता देता हू.
मैं – वो कौन है ?
रॉकी – यहाँ का सबसे बढ़ा दलाल है. बहुत बढ़िया आदमी है. मैं अभी उसे अपनी मीटिंग जामाता हू. मिलन वो एक बुड्ढ़ा सा आदमी था जो मूह मे सिगार दबाए, हाथ मे छड़ी लिए बैठा हुआ था. हमारे वहाँ पहुचते ही उसने मुझे देखा और रॉकी से कहा
मिलन – ये तो बहुत खूबसूरत , ताज़ा और सुंदर स्तनो वाली लग रही है.
उसने मुझे देखा और मुझसे पूछा,
मिलन – क्या उम्र है तुम्हारी ?
मैं – 18.
मिलन – दरवाज़े तक चल के तो दिखाओ.
मैं अपनी मादक अदओ के साथ दरवाज़े की ओर बढ़ गयी. अपने कुल्हो को मतकाते हुए मैं दरवाज़े की ओर चली जा रही थी. वहाँ मौजूद हार्स शक़्स और औरत मेरे कुल्हो को ही घुरे जा रहा था. हर कोई मुझे ललचाई नज़रो से देख रहा था जैसे मैं कोई टपकता हुआ शहद हू और हर कोई मुझे खाना चाहता हो. मैं वापस मिलन के पास आ कर खड़ी हो गयी.
मिलन- तुम्हारे पास तो बहुत ही सुंदर मादक और नशीले कूल्हे है. अपने कूल्हे मेरी ओर तो करो मैं इन्हे छूकर महसूस करना चाहता हू.
मैने अपने कूल्हे उसके मूह के ओर कर दिए और वो थर्कि बुड्ढ़ा मेरे कुल्हो को दबा-दबा कर देखने लगा.
मिलन – बहुत ही नरम और मुलायम है.
मैने उसे थॅंक्स कहा और सीधे खड़े होकर पलट गयी.
मिलन – तुम्हे तो अव्वल दर्जे का घर मिलना चाहिए.
फिर उसने अपने चस्मे चढ़ाए और अपनी जेब से एक छोटी सी डाइयरी निकालकर उसे पढ़ने लगा और बोला-
मिलन – पी टी उषा .
मैं – कॉन वो ओलंयपिक्स वाली.
मिलन – नही, उनका नाम उषा है, पर उन्हे ओलंयपिक्स के खेलो से बहुत लगाव है. इसलिए उन्हे हम पीटी उषा कहते है. यहाँ का वो बहुत फेमस घर है.
तभी रॉकी बोला- हां , तुम्हे वो बहुत पसंद आएगा !
मैं रॉकी की तरफ घूर कर देखने लगी.
मिलन- शांति !
उसने वहाँ खड़े अपने आदमी को आवाज़ लगाई- सॅम ज़रा उषा चाची को कॉल तो लगाओ. उसने सॅम को नंबर दिया और सॅम नंबर लेकर एक तरफ चल दिया.
मिलन- तो तुम सब कुछ कर सकती हो, सही ?
रॉकी – मैं इसकी गॅरेंटी लेता हू.
मिलन- मैने कहा ना शांत बिल्कुल शांत !
और वो वहाँ से उठकर जाने लगा. उसके उठते ही रॉकी उसे जा-जा का इशारा करने लगा, और मेरे पास एक कुर्सी खीचकर बैठ गया.
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