Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 09:03 PM,
#51
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
खानदानी चुदाई का सिलसिला--17

गतान्क से आगे..............

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस कहानी का सत्रहवाँ पार्ट लेकर हाजिर हूँ

''बाबूजी मुझे आपका ये फ़ैसला मंज़ूर नही है. हम 3नो भाई एक छत के नीचे रहेंगे और एक ही बिज़्नेस करेंगे. मैं आपका फ़ैसला नही मान सकता.'' राजू अचानक से ये सब बातें सुन के स्तब्ध था.

''जी बाबूजी मैं भी राजू भैया के साथ हूँ. मुझे आपका ये फ़ैसला नही मानना'' सुजीत भी बोल पड़ा.

संजय ने सिर झुकाया हुआ था. वो कुच्छ सोच में था. फिर वो बोला. ''बाबूजी आपकी आग्या सिर माथे. आपने जो कहा उसके पिछे कुच्छ गहरी बात है. पर मैं इसमे आपसे कुच्छ कहना चाहता हूँ. आप बिज़्नेस का बटवारा ना कीजिए. हम 3नो भाइयों की अपनी अपनी स्ट्रेंत हैं और कमियाँ भी. पर हम 3नो मिलके बहुत अच्छे से काम करते हैं. आपको लगता है कि अगर आगे कोई दिक्कत होगी तो आप लॉयर से बात करके कुच्छ पेपर्स बनवा लीजिए और हम 3नो उसको साइन कर देंगे. पर फिज़िकली हमे एक साथ काम करने दीजिए. दूसरे घर में जगह कम है ये मैं मानता हूँ. अभी के लिए सब ठीक है. अगर करवाना है तो इसी घर में हम कुच्छ रूम्स एक्सट्रा बनवा लेंगे. एक फ्लोर और बनाई जा सकती है. या बाहर इसी घर से जुड़ते हुए कुच्छ रूम्स और बनाए जा सकते हैं. बस मुझे यही कहना है.'' संजय ने वापिस अपना सिर झुका लिया.

बाबूजी 3नो भाईओं की बातें सुन के भाव विभोर हो गए. उन्होने 3नो को अपने गले से लगा लिया. ''ठीक है मेरे बच्चों जो संजय ने कहा मैं उससे सहमत हूँ. तुम तीनो एक साथ रहो और आगे बढ़ो इससे ज़ियादा मेरे लिए खुशी की बात और कोई नही. पर 3 साल के बाद मैं अपनी रिटाइयर्मेंट का प्लान नही बदलूँगा. वो अपनी जगह कायम है.'' बाबूजी ने तीनो के सिर पे बारी बारी हाथ फेरा.

सभी की आँखें नम थी पर मन में खुशी थी. संजय ने 3 ड्रिंक्स और बनाए और भाईओं को पकड़ाते हुए चियर्स किया. ''बाबूजी ये हमारे परिवार की खुशी के लिए''. उसके ऐसा करने से माहौल जो कि सीरीयस हो गया था फिर से लाइट हो गया. ड्रिंक्स काफ़ी हो चुकी थी और सभी को नशा हो चुका था. संजय अब थोड़े मस्ती में आ गया था. ''बाबूजी आपसे एक बात कहनी थी पर मौका नही मिला था. दरअसल ये बात हम 3नो को कहनी थी पर आपके साथ अकेले में करनी थी. अच्छा हुआ आज ही मौका बन गया. राजू भैया बाबूजी को पिक्निक की बात बताइए ना.'' संजय सोफा पे आधा लुड़का हुआ था और मुस्कुरा रहा था.

''ह्म्‍म्म..नही रे तू बता मैं नही बता सकता..बाबूजी की छड़ी से मार नही खानी मुझे..'' राजू बोला.

''बताओ क्या बात है जो तुम नही बता सकते..मैं भी तो सुनूँ कि किस बात पे मैं तुम्हारी पिटाई करूँगा..'' बाबूजी ने सरल स्वाभाव से पुचछा.

''बाबूजी दारस्ल पिक्निक पे हम 3नो से कुच्छ ग़लती हो गई. पर आप सच मानिए वो ग़लती ही थी और कुच्छ नही. हमारा कोई भी ग़लत इरादा नही था....'' राजू बोला.

''अब बता भी नही तो वाकई में छड़ी उठाउँगा'' बाबूजी बोले.

''दरअसल बाबूजी पिक्निक में हम 3नो ने एक साथ एक औरत को ठोका..और वो औरत इस घर की सदस्य नही है....'' राजू बोलते हुए सिर झुकाए बैठा अपनी हँसी दबा रहा था.

''क्याअ..क्या कहा तूने...दोबारा बोल...साले तुम लोगों से सब्र नही हुआ..3नो बहुएँ भी तो सब्र करे बैठी हैं..'' बाबूजी थोड़े उत्तेजित होते हुए बोले.

''बाबूजी ..बाबूजी ..आप गुस्सा मत हो, आराम से पूरी बात सुनिए..मैं बताता हूँ '' और संजय ने फिर पूरी कहानी नमक मिर्च लगा के बता दी. उसकी बातें सुन के बाबूजी का लंड अब तंन गया. सब बातें सुन के उन्हे यकीन हो गया कि ये सब सच है. इसमे लड़कों की कोई ग़लती या शरारत नही. पर शरारत तो हुई थी पर किसने की ये उन्हे समझ नही आया. पूरी बात सुनने के बाद उन्होने फिर से किरण के जाने की बात पुछि और उसने क्या कहा था.किरण का सरला को लेके बोला गया डाइयलोग सुनते ही उन्हे यकीन हो गया कि ये सब सरला का किया धारा था.

''साली छिनाल..मेरे लड़कों को बिगाड़ती है...ये सब तेरी सास का किया हुआ है संजय...साली की चूत में काफ़ी दिन से लंड नही गया तो उसका दिमाग़ उल्टा चलने लग गया है. इसका तो कोई इलाज करना होगा..और वो भी जल्दी ही.'' बाबूजी धोती के उपर से लंड सहलाते हुए बोले.

'' बाबूजी आपकी बात सही है और आपका अंदाज़ा भी. दरअसल गाड़ी में बैठते हुए जो बात उन्होने कही और दूसरे जो गाड़ी में उन्होने किया उससे साफ है कि वो बहुत चुदासी हैं.'' संजय ने फिर गाड़ी में बैठने से लेके घर तक का सारा किस्सा बयान किया.

'' सुजीत तू तो किस्मत का बहुत धनी निकला रे..जो सरला को तेरे लंड के सपने आते हैं. साली को लगता है तेरा दिलवाना ही पड़ेगा...'' बाबूजी ने मुच्छों पे हल्के हल्के ताव दिया और मुस्कुराते रहे.

''बाबूजी एक बात कहूँ ..हम 3नो को चूत तो चाहिए पर जब आपको संयम बरतते हुए देखते हैं तो हममे हिम्मत आ जाती है.'' राजू बोला.

इस्पे बाबूजी ज़ोर से हंस दिए और फिर उन्होने कम्मो और उसकी सहेलिओंके साथ हुई बात का पूरा जिकर कर दिया. बाबूजी की बातें सुन के 3नो भाईओं के मूह खुले के खुले रह गए. उनकी उमर में 3 औरतों को एक साथ संतुष्ट करना....बाप रे बाप....

''बाबूजी अब मुझे समझ आया कि आपकी मूछे इतनी क्यो कड़क हुई पड़ी थी. लगता है हमारे आने से पहले आपने कम्मो की चूत का सेवन किया था...'' सुजीत हंसते हुए बोला.

''कम्मो का नही ....मुन्नी का ..वो अपना काम करवा के चली गई थी ..हां पर अगर तुम लोग गौर से देखते तो धोती पे कम्मो के होंठो का गीलापन नज़र ज़रूर आता...'' बाबूजी भी मुस्कुराते हुए बोले.
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