RE: Sex Chudai Kahani ममेरी बहन के साथ कबड्डी
प्रिया की चीखे सुनने वाला पूरे घर में नहीं था इसलिए मैं निश्चिंत था।
प्रिया– भाई, धीरे से करो आआआऐईईईईईइ… न बहुत दर्द होता है।
मैं– मैंने तो पहले ही कहा था, तू ही कह रही थी डालो डालो, अब डाल दिया तो कह रही हो धीरे डालो।
प्रिया– हाँ भाई, पर धीरे से करो न !
मैं– ठीक है धीरे धीरे ही करूँगा अब।
मैंने धीरे से अपना लण्ड उसकी चूत में हल्का सा सरका दिया तो वो बोली- हाँ भाई, ऐसे ही करो, ऐसा करने से दर्द कुछ कम होता है।
पर मैं सोच रहा था कि अगर मैं ऐसे ही करता रहा तो हमारी चुदाई पूरी भी नहीं हो सकेगी और जिस हिसाब से यह करने के लिए कह रही है उस हिसाब से तो बहुत टाइम लग जाएगा।
इसलिए मैंने कुछ और ही सोच लिया पर इसके बारे में मैंने प्रिया को नहीं बताया और फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूची पकड़ी और बहुत तेज धक्का प्रिया की चूत पर दे मारा।
‘आआआऐईईईईइ म्मम्मा गईईईईईईईस्सस्सस…’ प्रिया की चीखें पूरे घर में गूंजने लगी।
मैंने भी उसकी चीखों को दबाने की कोशिश भी नहीं की क्योंकि मुझे पता था घर में कोई नहीं है, और मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था उसको चीखते चिल्लाते हुए देखकर।
मेरा आधा लण्ड प्रिया की चूत में समां गया था।
प्रिया को बहुत तेज दर्द हो रहा था और वो मुझे अपने दोनों हाथों से पीछे की ओर धकेल रही थी जिससे मेरा लण्ड उसकी चूत से निकल जाए पर मैंने भी उसको कस कर पकड़ा हुआ था नहीं तो मेरा लण्ड उसकी चूत से निकल गया होता।
वो अभी भी सिसक रही थी पर मैंने उसकी भी परवाह न करते हुए उसके कंधों को अपने दोनों हाथो से मजबूती से पकड़ा और फिर एक धक्का और उसकी चूत पर दे मारा।
‘आऐईईईइ आआऐईईईईईइ माआआअ मार्र्रर्र्र गआआआईईईईईईईइ…’
अबकी बार धक्का इतना तेज था कि वो बेड से कुछ ऊपर उछल गई, अगर मैंने उसको मजबूती से न पकड़ा होता तो यक़ीनन वो अब तक भाग गई होती, पर मैंने उसको हिलने तक नहीं दिया।
प्रिया मुझे बार-बार अपने से अलग करने की हर मुमकिन कोशिश कर रही थी, प्रिया की चूत से खून निकल कर बाहर आ गया था और अबकी बार उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।
प्रिया की सील को मैंने आज तोड़ ही दिया, जिसके कारण मैं तो बहुत खुश था पर इस वक्त प्रिया की हालत बहुत ख़राब हो रही थी।
प्रिया मुझे बहुत कुछ कह रही थी- आप को बोला था, आराम से करो पर तुम तो ऐसा कर रहे हो? आआईईईईईईईईइ जैसे मैं कहीं भागी जा रही थी।
और वो अपनी टांगों से मुझे हटाने की भरपूर कोशिश कर रही थी।
मैं उसके ऊपर लगभग लेट गया और उसके आँसू को अपने हाथ से साफ़ करते हुए बोला- सॉरी यार… पर मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और फिर टाइम भी ज्यादा नहीं था।
मैंने प्रिया से कहा- तुम्हें जो दर्द होना था, वो हो गया, अब तुमको भी कुछ देर बाद मज़ा आएगा।
तो प्रिया तुनक कर बोली- अच्छा ठीक है, पर अभी कुछ देर के लिए अपना लण्ड मेरी योनि से बाहर निकाल लो, बहुत दर्द कर रहा है।
मैंने प्रिया को बातों में लगाये रखा और साथ साथ ही उसकी चूचियों को भी सहलाता रहा पर उसकी चूत से अपना लण्ड बाहर नहीं निकाला।
कुछ देर बाद शायद प्रिया को दर्द में आराम हो गया था इसलिए वो अपनी गांड को बार बार हिला रही थी।
जैसे ही मुझे इस बात का एहसास हुआ तो मैंने भी अपना लण्ड चूत से बस इतना ही बाहर निकाला की चूत के अन्दर बस मेरे लण्ड का ही टोपा ही रहे।
क्योंकि पूरा लण्ड तो अभी तक प्रिया की चूत में गया ही नहीं था, कुछ लण्ड बाहर ही रह गया था इसलिए मैंने सोचा कि लण्ड बाहर निकाल कर फिर पूरा लण्ड डाल दूंगा उसकी चूत में।
बस फिर क्या था, जिस गति मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाला था, फिर वापस उसी गति से डाल दिया चूत में !
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