RE: Sex Chudai Kahani ममेरी बहन के साथ कबड्डी
कुछ देर हम ऐसे ही पड़े रहे, फिर मैंने प्रिया से पूछा- तुमको कैसा लगा?
तो बोली- बहुत मज़ा आया भाई, अगर मुझे पहले पता होता कि इस खेल में इतना मज़ा आता है तो मैं रात को ही आपसे चुद गई होती।
मैंने प्रिया को कहा- चोद तो मैं तुझे रात को ही देता पर रात को घर में सब थे इसलिए तुझे मैंने रात को छोड़ दिया था।
प्रिया ने मुझसे कहा- भाई, अब जल्दी से उठो, सबके आने का समय हो रहा है।
मैंने टाइम देखा तो प्रिया सही कह रही थी, इसलिए मैं उठा और फिर प्रिया को उठाने के लिए अपना हाथ दिया तो प्रिया मेरा हाथ पकड़ कर उठ गई।
उठते ही उसने बिस्तर पर देख तो कुछ खून के धब्बे देखे तो उसने पूछा- भाई, ये क्या है?
तो मैंने उसको बताया- जब कोई लड़की पहली बार चुदती है तो उसकी चूत से कुछ खून निकलता है, पर अब कोई फ़िक्र की बात नहीं है, अब तुम कली से फ़ूल बन गई हो।
मैंने और प्रिया ने देखा कि उसकी चूत से मेरा वीर्य और प्रिया का कामरस और खून तीनों मिक्स हो कर निकल रहा था।
यह देख कर हम दोनों ही मुस्कुरा दिए।
फिर प्रिया की चूत को मैंने अपने रूमाल से साफ़ किया और अपने लण्ड को भी साफ़ किया, फिर मैंने अपने कपड़े पहने और प्रिया ने वो कपड़े न पहन कर सूट सलवार पहने।
उस बिस्तर को प्रिया ने छुपाकर रख दिया जो की हमारी प्रेमलीला की गवाही दे रहा था।
कुछ देर बाद पारुल और मुकेश भी आ गए, प्रिया को कुछ चलने में दिक्कत हो रही थी पर उसने यह महसूस नहीं होने दिया कि उसको कोई दिक्कत है।
मैं उन दोनों के आने से पहले ही टी वी चला कर बैठ गया था और प्रिया खाना गर्म कर रही थी जब वो दोनों आये।
फिर हम चारों ने मिलकर खाना खाया, खाना खाने के बाद प्रिया बर्तन साफ़ करने के लिए नीचे चली गई और पारुल अपनी बुक निकाल कर पढ़ने बैठ गई और साथ में मुकेश को भी पढ़ने के लिए अपने पास बैठा लिया।
मैं भी टीवी बंद करके नीचे प्रिया के पास रसोई में पहुँच गया, प्रिया रसोई में खड़ी होकर सिंक में बर्तन धो रही थी।
मैंने उससे पीछे से पकड़ लिया और उसके बूब्स को दबाने लगा तो प्रिया ने चौंकते हुए पीछे देखा, तो पीछे मैं खड़ा था।
उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा– भाई, अभी कुछ मत करो, मुझे बूब्स में और नीचे दर्द हो रहा है और फिर मम्मी भी आने वाली हैं। अब जो भी करना हो रात को करना, मैं रात को बिल्कुल भी मना नहीं करुँगी।
मुझे भी लगा कि प्रिया सही कह रही है, अगर लड़की की पहली बार चुदाई हुई है तो उसको कुछ समय तक दर्द तो रहता ही है और उसकी चूत सूज भी जाती है।
उस वक़्त सिर्फ मैंने प्रिया के सेब जैसे गाल पर एक चुम्बन किया और उसके पीछे से हट गया और उससे बोला- अगर तुमको ज्यादा तकलीफ हो रही है तो मैं मदद कर देता हूँ काम करवाने में।
इस पर प्रिया हंसती हुई बोली- रहने दो मेरे सजना, मैं खुद कर लूँगी और यह दर्द तो बहुत मीठा मीठा सा है, इस दर्द में भी मुझे मज़ा आ रहा है।
अभी हम बात कर ही रहे थे कि तभी मामी भी आ गई, मैं तो उससे अलग ही था तो कोई ऐसे बात नहीं हुई जिससे उनको जरा सा भी शक होता कि दाल में कुछ काला है।
मामी के आते ही प्रिया ने उनको खाना लगा कर दिया।
मामी खाना कहते हुए मुझसे बात कर रही थी, कुछ घर की तो कुछ बाहर की, बस ऐसे ही समय निकलता चला गया।
शाम को सात बजे तक मामा जी भी आ गए, मामाजी के आने के कुछ देर बाद ही फिर से बारिश शुरू हो गई।
आज की बारिश कल की बारिश से बहुत तेज थी, बारिश के साथ साथ हवा भी चल रही थी जिसके कारण आज शाम को ठण्ड भी क्यों ज्यादा ही हो गई थी।
रात को खाना खाने के बाद मामी ने प्रिया को बोला- आज ठण्ड ज्यादा ही हो गई है, तुम बेड के अन्दर से रजाई निकाल लेना, नहीं तो रात में ठण्ड लगेगी।
प्रिया ने कहा- ठीक है मम्मी, हम रजाई निकाल लेंगे।
इसके बाद मामा और मामी हमें जल्दी सोने के लिए बोल कर अपने कमरे में आज कुछ ज्यादा ही जल्दी अन्दर चले गए।
फिर हम चारों भी ऊपर के रूम में आ गए।
तब तक बारिश भी थम चुकी थी पर हवा अभी भी चल रही थी जिसके कारण हम सभी को ठण्ड भी लग रही थी, इसलिए सबसे पहले प्रिया ने बेड से दो ही रजाई निकाली और हम चारों उन दोनों रजाई में बैठ कर बातें करने लगे क्योंकि अभी 9:30 ही बजे थे।
मुकेश और पारुल एक रजाई में बैठे थे और प्रिया और मैं दूसरी रजाई में।
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