Sex Chudai Kahani ममेरी बहन के साथ कबड्डी
08-07-2017, 10:34 AM,
#18
RE: Sex Chudai Kahani ममेरी बहन के साथ कबड्डी
रात को खाना खाने के बाद मामी ने प्रिया को बोला- आज ठण्ड ज्यादा ही हो गई है, तुम बेड के अन्दर से रजाई निकाल लेना, नहीं तो रात में ठण्ड लगेगी।

प्रिया ने कहा- ठीक है मम्मी, हम रजाई निकाल लेंगे।

इसके बाद मामा और मामी हमें जल्दी सोने के लिए बोल कर अपने कमरे में आज कुछ ज्यादा ही जल्दी अन्दर चले गए।

फिर हम चारों भी ऊपर के रूम में आ गए।

तब तक बारिश भी थम चुकी थी पर हवा अभी भी चल रही थी जिसके कारण हम सभी को ठण्ड भी लग रही थी, इसलिए सबसे पहले प्रिया ने बेड से दो ही रजाई निकाली और हम चारों उन दोनों रजाई में बैठ कर बातें करने लगे क्योंकि अभी 9:30 ही बजे थे।

मुकेश और पारुल एक रजाई में बैठे थे और प्रिया और मैं दूसरी रजाई में।

मेरी जाँघ प्रिया की जाँघ से सटी हुई थी पर न तो प्रिया ने कुछ हरकत रजाई के अन्दर की और न ही मैंने क्योंकि अभी लाईट जल रही थी और हम नहीं चाहते थे कि ऐसी कोई हरकत उन दोनों की नजर में आये जिससे उन्हें कोई भी शक हो।

कुछ देर बात करने के बाद पारुल ने कहा भी- चलो भाई आज अन्ताक्षरी खेलते हैं।

तो मुकेश भी बोल पड़ा- हाँ दीदी, मैं भी खेलूँगा।

फिर सबकी सहमति से हम चारो अन्ताक्षरी खेलने लगे।

हमें अन्ताक्षरी खेलते हुए रात के 10:30 बज चुके थे और ठण्ड भी बहुत हो रही थी इसलिए मुकेश और पारुल अपनी रजाई में लेट चुके थे।
मुकेश और पारुल एक रजाई में बेड के एक कोने में लेट हुए थे, प्रिया भी अब लेटने की तैयारी में थी जो अब तक मेरे साथ रजाई में बैठी थी।

प्रिया ने लेटते हुए मुझसे कहा- भाई, लाईट बंद कर दो, कहीं ऐसा न हो कि हम सो जाएँ और लाईट जलती रहे।

मैं उठा और कमरे की लाईट बंद कर दी, अब कमरे में इतना अँधेरा हो चुका था कि हमें एक दूसरे के चेहरे भी नजर नहीं आ रहे थे।

तब तक प्रिया भी लेट चुकी थी और उसका मुँह पारुल की तरफ था क्योंकि वो करवट लेकर लेटी हुई थी।

मैं फिर से प्रिया की रजाई में घुस गया, जैसे ही मैं रजाई के अन्दर बैठा तो मेरा हाथ प्रिया के चूतड़ से छू गया।

मुझे कुछ अजीब सा लगा तो मैंने उसके चूतड़ को सही से हाथ फेर कर देखा तो पता चला कि प्रिया ने सलवार उतार दी थी, वो नीचे से पूरी नंगी थी।

हम अब भी चारों अन्ताक्षरी खेल रहे थे और मैं बैठा हुआ प्रिया की नंगी चूत को सहला रहा था।

कुछ ही देर में प्रिया की चूत गीली हो गई।

फिर मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी और उसकी चूत को अपनी उंगली से ही चोदने लगा।

कुछ देर बाद प्रिया ने मुझसे कहा- भाई आप भी लेट जाओ।

प्रिया के कहने पर मैं भी उसी रजाई में लेट गया, उसकी गांड अब भी मेरी तरफ थी, तो मैं भी करवट ले कर लेट गया।

मेरा लण्ड प्रिया की गांड से छू रहा था और मैं अपने एक हाथ से प्रिया की चूची दबा रहा था।

प्रिया के बदन पर अभी कमीज बाकी था जिसके कारण मैं उसकी चूची को सही से पकड़ नहीं पा रहा था इसलिए मैंने प्रिया के कमीज को ऊपर की ओर खींचते हुए इशारा किया कि वो अपना कमीज भी उतार दे।

मेरी यह बात प्रिया आसानी से मान गई और वो थोड़ा ऊपर हुई और रजाई के अन्दर ही अपना सूट उतरने लगी।

उसके सूट उतारने मैं मैंने भी उसकी मदद की और कुछ ही पलों बाद उसका कमीज उतर गया।

अँधेरा इतना था कि उसके कमीज उतारने का किसी को कुछ भी पता नहीं चला।
अब प्रिया पूरी नंगी मेरे साथ लेटी थी।

कुछ देर बाद मेरा लण्ड भी पूरी तरह से खड़ा हो गया और अब शायद प्रिया की गांड में चुभ रहा था इसलिए तो प्रिया ने अपना एक हाथ पीछे की ओर किया और मेरे लोअर को पकड़ कर नीचे करने लगी।

हम अभी तक अन्ताक्षरी ही खेल रहे थे और उन दोनों को यह नहीं पता था कि हम अन्ताक्षरी के साथ साथ कुछ और भी खेल रहे हैं।
रजाई के अन्दर की हलचल को वो देख नहीं सकते थे क्योंकि पूरे कमरे में अँधेरा जो था।

मैंने भी प्रिया की मन की बात को समझते हुए अपना लोअर और अपनी टी शर्ट पूरी तरह से निकाल दी।

अब प्रिया और मैं पूरी तरह से नंगे थे।

फिर मैंने अपने हाथ से अपना खड़ा लण्ड प्रिया की चूत से सटा दिया और उसके मम्मे दबाते हुए हम ऐसे ही लेटे हुए हम अन्ताक्षरी खलते रहे थे।

मेरा लण्ड प्रिया की चूत से सटा हुआ था इसलिए प्रिया की चूत और भी गीली हो गई, उसकी चूत से इतना पानी निकला कि मेरा लण्ड भी उसकी चूत के पानी से गीला हो गया।

जब मुझे अपने लण्ड पर गीलेपन का एहसास हुआ तो मैंने उसकी चूची जरा जोर से दबा दी।

जैसे ही मैंने प्रिया की चूची जोर से दबाई, तो वो कुछ ऊपर की तरफ उछल पड़ी पर अपने मुंह से जरा भी आवाज नहीं निकाली और उसी वक़्त मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी नीचे वाली बगल में डाल दिया।

फिर जैसे ही वो नीचे हुई तो मैंने उसकी दूसरी चूची भी पकड ली।
अब मेरे दोनों हाथो में प्रिया के मम्मे थे और उनको मैं धीरे धीरे दबा रहा था।

इधर प्रिया ने अपनी गांड ओर भी पीछे की ओर कर दी और अपना एक हाथ अपनी चूत के नीचे लाकर मेरे लण्ड को पकड़ा ही था।

तभी पारुल ने कहा- मुकेश तो सो गया है तो हम तीनों ही अन्ताक्षरी खेलते हैं क्योंकि मुझे अभी नींद नहीं आ रही।

पारुल की आवाज सुनकर प्रिया ने मेरा लण्ड नहीं छोड़ा बल्कि जो वो कर रही थी वो करते करते रुक जरुर गई थी।

पारुल की बात सुनकर प्रिया ने भी कहा- मुझे भी नींद आ रही है तो तुम दोनों ही खेल लो और इतना कह कर प्रिया ने अपना मुंह भी रजाई में छुपा लिया।

मैंने प्रिया के चूचे दबाते हुए पारुल से कहा- कोई बात नहीं, इनको सोने दो, हम दोनों ही खेलते हैं।

फिर पारुल और मैं अन्ताक्षरी खेलने लगे और रजाई के अन्दर प्रिया अपना काम करने लगी।

प्रिया ने मेरा लण्ड अपनी चूत के छेद पर लगाया और फिर खुद ही अपनी गांड पीछे की ओर कर दी जिससे मेरे लण्ड का टोपा उसकी चूत में घुस गया और वो कुछ पल के लिए रुक गई, फिर प्रिया ने अपना हाथ पीछे ले जाकर मेरे नंगे चूतड़ पर हाथ से इशारा किया की पूरा लण्ड चूत में पेल दो।

प्रिया का इशारा मेरी समझ में आ गया था तो मैंने उसके चूचे को दोनों हाथ से दबाते हुए नीचे अपना लण्ड प्रिया की चूत पर दबा दिया।

मेरा लण्ड अभी आधा ही गया था कि प्रिया ने फिर से मुझे मेरे चूतड़ को पकड़ कर रुकने का इशारा किया तो मैं रुक गया और उसके चूचे दबाते हुए उसकी पीठ पर चुम्बन करने लगा।

तभी पारुल ने अपना गाना ख़त्म किया और बोली- भाई, ‘य’ से गाना है।

मैं प्रिया के मम्मे मसलते हुए गाना सोच रहा था, अभी कुछ ही देर हुई थी कि प्रिया ने फिर इशारा किया कि अब डालो, तभी मुझे भी गाना याद आ गया।
‘याहूऊऊऊऊऊऊऊ’ इतना कहते ही मैंने प्रिया की दोनों चूची को मसलते हुए एक जोर का घक्का उसकी चूत पर मारा और फिर गाना गाने लगा।


मेरा पूरा लण्ड प्रिया की चूत की गहराई में जाकर खो गया था।

प्रिया के मुंह से बस ‘ऊऊह्ह्ह्हूऊऊऊऊ’ की ही आवाज निकल पाई थी क्योंकि उसने अपना मुंह अपने एक हाथ दबा लिया था और जो आवाज निकली भी थी तो वो इतनी तेज नहीं थी कि पारुल उसको सुन सके।

मेरा गाना ख़त्म होने के बाद पारुल मेरे दिए हुए शब्द से गाना सोचने लगी और मैं प्रिया के बूब्स दबाता हुआ उसकी पीठ और गर्दन पर किस कर रहा था।

हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे, न तो प्रिया ने ही अपनी चूत हिलाई और न ही मैंने अपना लण्ड।
बस चूत में लण्ड डाले दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे।

कुछ देर बाद पारुल भी गाना सोचते सोचते वो भी सो गई।

जब काफी देर हो गई तो मैंने प्रिया के बूब्स दबाते हुए पारुल को आवाज दी- पारुल ! पारुल ! पारुल सो गई क्या?

पर पारुल ने कोई जवाब नहीं दिया वो सो चुकी थी।

प्रिया ने मुझसे धीरे से कहा– मेरे सजना, पारुल सो गई है।

यह तो मुझे भी पता चल चुका था इसलिए मैंने पीछे से ही अपने लण्ड को बाहर खींचा और कई धक्के उसकी चूत पर मार दिए।

प्रिया के मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थी पर बहुत धीरे धीरे।

फिर मैंने उसकी चूत से अपना लण्ड निकाला और उसको अपनी ओर घुमा लिया।

अब हमारे चेहरे एक दूसरे के सामने थे।
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