Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
01-04-2019, 01:43 AM,
#40
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
"ये आप क्या कर रहे हो?"
सवाल तो मैंने पूछ लिया ........पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया| बस चुप-चाप टकटकी बांधे मुझे देखने लगे| उनकी नजरें मुझे चुभ रही थीं...... कारन क्या था मैं जानती थी! मैं ही उनके हताश होने का कारन थी! मैं चाह के भी उन्हें वो प्यार नहीं दे पा रही थी .....जिस पे उनका हक़ था! आमतौर पर अगर ऐसा कुछ होता था तो मैं उनके गले लग जाया करती थी और बस इतना करने से ही उन्हें अपनी गलती का एहसास हो जाया करता था और वो बड़े प्यार से बोलते; "Sorry जान...आगे से ऐसा मैं कभी नहीं करूँगा!" पर आज हालात कुछ और थे! मेरे अंदर वो पहले वाली संगीता नहीं थी जो अपना प्यार जाहिर किया करती थी! उस समय मैं ज्यादा देर उनके सामने खड़ी नहीं रह सकी और वापस मूड के नीचे आ गई| मैं कमरे में बच्चों का homework करने में मदद कर थी की तभी ये भी नीचे आ गये| मैं जानती थी की मेरी वजह से ये इतने तड़प उठे की cigarette को छुआ| मैं जानती हूँ की आज तक इन्होने cigarette कभी नहीं पी और ना ही आगे कभी पिएंगे! मुझे लगा था की ये अपनी नाराजगी जाहिर करेंगे पर नहीं......इन्होने ऐसा कुछ भी नहीं किया! बल्कि इन्होने आके मुझसे प्यार से पूछा; "जान पिक्चर चलना है?" पर मैंने ना में सर हिलाया और डाइनिंग टेबल पे आ के बैठ गई और सब्जी काटने लगी रात के लिए|
उनकी ना सुनके मैं सोच में पड़ गया की मेरी संगीता को क्या हुआ? उस संगीता को जिसे मैं प्यार करता हूँ......जो मेरी पत्नी है..... मेरे बच्चों की माँ.....मेरे होने वाले बच्चे की माँ ..... आखिर उसे हुआ क्या है? वो कहाँ चली गई? क्या मेरा प्यार कम पड़ गया है उसके लिए? या शायद अब मेरे प्यार में वो ताकत नहीं जो उसे फिर से हँसा दे! उसका हर गम भुला दे! मेरी हर बात मैंने वाली मेरी पत्नी कहाँ चली गई? मैं क्या करूँ की वो फिर से हँस पड़े? इस घर में जो गम का सन्नाटा फैला है उसे सिर्फ और सिर्फ उसकी हँसी ही दूर कर सकती थी| उनकी किलकारियां सुनने को तरस गया था....मुझे लगा था की शायद पिक्चर जाने के बहाने वो थोड़ा रोमांटिक हो जाएं या फिर मैं थोड़ा रोमांटिक हो जाऊँ...पर यहाँ भी बदनसीबी ने दरवाजा मेरे मुँह पे दे मारा| ठीक है..."ऐ किस्मत कभी तू भी मुझ पे हँस ले.....बहुत दिन हुए मैं रोया नहीं!!!"
अब बारी थी बच्चों की, जिन्हें कल से मैं समय नहीं दे पाया था और मेरा मानना था की उन्हें अभी से सब पता होना चाहिए वरना आगे चल के वो मुझे और संगीता को गलत समझेंगे| नेहा तो सब जानती थी, समझती थी पर आयुष ज्यादा डिटेल नहीं जानता था| और मैं इतना निराश महसूस कर रहा था की मैंने सोचा की आयुष को भी ये सब पता होना चाहिए!
मैं: आयुष....नेहा...बेटा इधर आओ| पापा को आप से कुछ बात करनी है|
मैं बिस्तर में बैठ गया और रजाई ले ली| मेरी पीठ bed post से लगी थी और दोनों बच्चे मेरी अगल-बगल आके बैठ गए| नेहा मेरे दाहिने तरफ थी और आयुष मेरी बायीं तरफ|
मैं: बेटा आप दोनों को कुछ बातें बतानी है| ये बातें आपको पता होनी चाहिए| कल जो कुछ भी हुआ वो सब इन्हीं बातों के कारन हुआ| दरअसल मैं आपकी माँ से बहुत प्यार करता हूँ और वो भी मुझे बहुत प्यार करती हैं| पर आपकी मम्मी की शादी उस इंसान से हुई है जो कल आया था|
नेहा: वो...पुराने पापा?
मैं: हाँ..... पर आपकी मम्मी उसे नहीं बल्कि मुझे प्यार करती थीं| वो बहुत गन्दा इंसान है....आप (नेहा) तो जानते हो? वो शराब पीता है.... आपकी माँ को मारता-पीटता था| जब आप (नेहा) पैदा भी नहीं हुए थे तभी से आपकी मम्मी मुझे प्यार करती थीं पर उन्होंने कभी मुझे नहीं बताया| आपको याद है जब आप पहली बार इस घर में आये थे, उस दिन आपकी मम्मी ने मुझे बताया की वो मुझसे कितना प्यार करती हैं| पर तब मैं एक Teenager था...शादी नहीं कर सकता था! फिर जब मैं गाँव आया तब …… बेटा उन दिनों आपकी मम्मी और मैं बहुत नजदीक आ गए| इतना नजदीक की हम एक दूसरे के बिना रह भी नहीं सकते थे| मैं उन्हें बहुत चाहने लगा था .... तभी आयुष भी उनकी कोख में आया था| आयुष....बेटा आप मेरे ही बेटे हो ...मेरा खून!
नेहा: और मैं?
मैं: बेटा आप .....मेरा खून नहीं हो पर मैं आपसे भी उतना ही प्यार करता हूँ जितना मैं आयुष को करता हूँ और शायद उससे ज्यादा ही| क्या आपको कभी ऐसा लगा की मैं आपसे प्यार नहीं करता?
नेहा: नहीं....पापा मैं जानती हूँ की आप सबसे ज्यादा मुझसे प्यार करते हो!
मैं: बेटा (आयुष) …….उसे (चन्दर) लगता है की आप उसके बेटे हो पर आप तो मेरे बेटे हो! इसलिए वो आपको जबरदस्ती अपने साथ ले जाना चाहता था|
आयुष: मैं नहीं जाऊँगा उसके साथ!
मैं: बिलकुल नहीं जाओगे| आप मेरे बेटे हो ....और पापा हैं ना आपके पास तो कोई आपको मुझसे अलग नहीं कर सकता| और कल आपने देखा की आप की दीदी ने अपने बड़े होने का कैसे फ़र्ज़ निभाया? आप बहुत तंग करते हो ना दीदी को और कल देखो उन्होंने ना केवल आपको बल्कि आपकी मम्मी को भी संभाला! I’m proud of you beta (Neha)!!!
मैंने नेहा को गले लगा लिया|
आयुष: I LOVE YOU दीदी!
नेहा: I LOVE YOU TOO आयुष!
दोनों मेरे सीने से लग गए और मैंने उनको खूब प्यार किया और फिर हम pillow fight करने लगे| दोनों एक team में और मैं अकेला! आयुष तो मेरी छाती पे बैठ के मुझे मारने लगा और नेहा भी बगल में बैठ गई और मुझे तकिये से मारनी लगी| पूरे घर में बच्चों की हँसी गूंजने लगी| मेरा आत्मविश्वास जो टूटने लगा था वो फिर से वापस आ गया और मैं सोच लिया की मैं संगीता को फिरसे हँसा के रहूँगा, पर जर्रूरत थी एक मौके की!
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन - by sexstories - 01-04-2019, 01:43 AM

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