Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
01-04-2019, 01:48 AM,
#66
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
ये सब सुनने के बाद मैं रो पड़ी.... मेरी वजह से मेरी बेटी इतने साल अपने पापा के प्यार से महरूम रही! ये बात मुझे अंदर ही अंदर खाने लगी और ये दर लगने लगा की अगर मैंने इनको (अपने पति) को खो दिया तो ये परिवार जिसे आपने इतने प्यार से बाँधा है वो बिखर जाएगा| मुझसे नेहा के आँसूं बर्दाश्त नहीं हुए तो मैं उठ के उसके पास गई और उसके कंधे पे हाथ रख के उसे उठाया और बिस्तर पर ला कर लिटा दिया| ना तो मैं उस समय कुछ कहने की हालत में थी और ना ही नेहा! मैंने उसका सर थप-थापा के सुलाने की कोशिश की तो उसने मेरा हाथ झटक दिया और आयुष की तरफ मुँह कर के लेट गई| मैं अपना मन मसोस कर लेट गई....पर एक पल के लिए भी सो न सकी, सारी रात नेहा की कही बातें दिमाग में गूँजती रही| सुबह हुई तो अपने सामने "बड़की अम्मा और अजय " को देख मैं हैरान रह गई! मैंने तुरंत उनके पाँव छुए और उन्होंने बड़े प्यार से मुझे अपने गले लगा लिया और इनका हाल चाल पूछा| इतने में आयुष बाथरूम से निकला तो बाथरूम से भागा-भागा अपनी दादी जी के गले लग गया| नेहा भी उस समय कमरे में थी पर न जाने क्यों झिझक रही थी| वो बहुत छोटे-छोटे क़दमों से आगे बढ़ी और अपनी दादी के पाँव छुए पर उस समय अम्मा का ध्यान आयुष पर था तो उन्होंने उसे देखा नहीं| नेहा अपना सर झुकाये वापस सोफे पर बैठ गई| मैंने तुरंत माँ (सासु माँ) को फोन कर दिया|
अम्मा जा के इनके पास बैठ गईं और सर पर हाथ फेरने लगीं| आँखों में आंसूं लिए मेरी तरफ देख के बोलीं; "बेटी ...तूने भी मुझे मानु की इस हालत के बारे में नहीं बताया?" मेरा सर झुक गया क्योंकि इस हफदडफडी में मुझे याद ही नहीं रहा| मैंने तो अपने माँ-पिताजी तक को नहीं बताया था| शायद उन्हें मेरी हालत समझ आ गई.... तभी अजय ने सवाल पूछा; "भाभी... मानु भैया को हुआ क्या?"
अब आगे.......
मैंने रोते हुए उन्हें सारा सच बता दिया...ये सुन के बड़की अम्मा और अजय दोनों स्तब्ध रह गए| कोई कुछ बोल नहीं रहा था.... बड़की अम्मा इनके (मेरे पति के) सर पर हाथ फेर रही थीं| आधा घंटा बीत गया था....तभी दरवाजा खोल कर सब एक-एक कर अंदर आये| पिताजी (मेरे ससुर जी) ने अम्मा के पाँव हाथ लगाए पर अम्मा अब भी कुछ नहीं बोलीं| फिर माँ (मेरी सासु माँ) ने पाँव हाथ लगाये पर अम्मा फिर भी कुछ नहीं बोलीं| आखिर कर पिताजी (ससुर जी) ने ही उनकी चुप्पी का कारन पूछा| मुझे तो लगा की अम्मा मेरा गुस्सा उन सब पर उतार देंगी पर बात कुछ और ही नकली|
"मेरा बेटा यहाँ इस हालत में है और तुमने (ससुर जी) मुझे कुछ बताया ही नहीं? मुझे ये बात समधी जी से पता चली! इतनी जल्दी तूने पराया कर दिया?" अम्मा ने भीगी आँखों से कहा|
"नहीं भाभी ऐसा मत बोलो! मैंने भाईसाहब के फ़ोन पर कॉल किया था....फिर उन्हें सारी बात बताई पर उन्होंने बिना कुछ कहे फोन काट दिया| फिर मैंने अजय बेटा के फ़ोन पर कॉल किया था पर किसी ने फ़ोन नहीं उठाया| हारकर मैंने समधी जी को फ़ोन किया और आप तक खबर पहुँचाने को कहा|" पिताजी (ससुर जी) ने मिन्नत करते हुए कहा|
ये सब सुन कर अम्मा को तसल्ली हुई पर उन्हें गुस्सा भी बहुत आया की बड़के दादा ने ऐसा किया और उन्हें कुछ भी नहीं बताया| वो दिन सिर्फ और सिर्फ चिंता में बीत गया.... ऊपर से नेहा भी अकेला महसूस कर रही थी| मैंने अनिल से उसे कहीं बाहर ले जाने को कहा पर वो नहीं गई| अगले दिन उसका स्कूल था और उसे देख के मुझे बहुत दुःख हो रहा था| मैंने इशारे से नेहा को अपने पास बुलाया, चूँकि कमरे में सारे लोग मौजूद थे तो मैंने उसे अपने साथ चलने को कहा| माँ (सासु माँ) को जाते हुए ये कहा की मैं और नेहा थोड़ा walk लेके आ रहे हैं| "बेटा मैं.... आपसे कुछ कहूँ?" नेहा ने कुछ भी नहीं कहा पर मुझे तो उससे अपनी बात कहनी ही थी|
"बेटा.... अम्मा ने आपको देखा नहीं...वो आयुष से बात कर रही थीं ना|" पर नेहा कुछ बुदबुदाने लगी और जब मैंने उससे पूछा की आप क्या बोल रहे हो तो वो बोली; "अगर देखा भी होता तो वो मुझे उतना लाड़ तो नहीं करती जितना वो आयुष को करती हैं! उझे आयुष से जलन नहीं होती....बुरा लगता है जब कोई उसे प्यार करे और मुझे ignore करे! एक बस पापा ......." इतना कहते हुए वो रूक गई| मेरा गाला भर आया और मैंने किसी तरह खुद को संभालते हुए कहा; "बेटा....आपके पापा को कुछ नहीं होगा! भगवान कभी हमारे साथ ऐसा नहीं करेंगे... कम से कम आपके साथ तो कतई नहीं करेंगे| अच्छा आप चिप्स खाओगे?" उसने फिर कोई जवाब नहीं दिया और एक कोने में कड़ी हो के डूबते हुए सूरज को देखने लगी| मैं भी उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी तो उसके साथ कड़ी हो गई और उसे कंपनी देने लगी|
"बेटा आपको याद है वो दिन जब हम तीनों पहली बार मूवी देखने गए थे?" नेहा ने हाँ में सर हिलाते हुए कहा| "उस दिन हमने कितना enjoy किया था ना..... पहले मूवी .... फिर lunch .... उस दिन आपने पहली बार 'पापा' बोला था| आपके पापा ने आपको कभी बताया नहीं पर उन्हें सबसे ज्यादा ख़ुशी उस दिन मिली थी.... वो उस दिन बहुत-बहुत खुश थे! इतना खुश की उस दिन उन्होंने मुझे और मैंने उन्हें अपना जीवन साथी माना था!" ये सब सुनके नेहा के चेहरे पर भीनी सी मुस्कान फ़ैल गई थी!
"और आपको आपका स्कूल का पहला दिन याद है? कितना रोये थे आप..... और कैसे पापा ने आपको समझा-बुझा क स्कूल छोड़ा था|" नेहा मुस्कुराने लगी थी|
"बेटा सच.... पापा आपको मुझसे भी ज्यादा प्यार करते हैं!" ये सुन के उसे खुद पर गर्व महसूस होने लगा और मुझे लगा की उसका मन अभी कुछ हल्का हुआ है| इतने में अंदर से पिताजी (ससुर जी) ने हमें अंदर बुलाया| अगले दिन बच्चों का स्कूल था तो पिताजी और सबब के सब घर जा रहे थे| चूँकि मैं पिताजी से वचन ले चुकी थी की जब तक इन्हें (मेरे पति) को होश नहीं आता मैं यहाँ से नहीं जाऊँगी इसलिए उन्होंने मुझे साथ चलने को नहीं कहा| जबकि बड़की अम्मा और मेरी माँ ने मुझे साथ चलने को कहा परन्तु माँ (सासु माँ) ने सब को समझा दिया| अगले दो दिन मैं बस दुआ करती यही... इन्तेजार करती रही की इन्हें जल्द ही होश आ जायेगा| तीसरे दिन मैं इनके (अपने पति के) पास स्टूल पर बैठी इनके हाथ को अपने हाथ में लिए उन सुनहरे पलों को याद कर रही थी की तभी अनिल आ गया|
"दी.... खाना|" बस इतना बोल कर उसने खाना टेबल पे रख दिया और जाके सोफे पर बैठ गया ओस अपने मोबाइल पर कुछ देखने लगा| मैंने ही कौतुहलवश उससे पूछ लिया; "क्यों रे.....'दीदी' शब्द में से अब सिर्फ 'दी...' ही बोलेगा तू?" पर उसने कोई जवाब नहीं दिया| वो मुझसे नजरें तक नहीं मिला रहा था.... उसका ये रवैया तब से है जब से मैंने माँ-पिताजी को अपने द्वारा किये पाप के बारे में बताया था| घर में मेरे सास-ससुर के आलावा कोई नहीं था जो मुझसे ठीक से बात कर रहा हो| मेरे माँ-पिताजी ने तो मुझसे जैसे कन्नी ही काट ली थी! नजाने मुझे क्या सूझी मैंने बेशर्म बनते हुए बात आगे शुरू करने के लिए उससे सवाल पूछा; "अच्छा ये बता तेरा हाथ का दर्द कैसा है?" मेरा सवाल सुन कर वो मेरी तरफ अचरज भरी आँखों से देखने लगा और मुझे ताना मारते हुए बोला; "मेरा हाथ के दर्द के बारे में पूछने में आप कुछ लेट नहीं हो गए?" "हम्म्म्म..... जानती हूँ बहत लेट हो गई......" मेरी ये बात सुन कर वो जिंदगी में पहली बार मुझ पर गरज पड़ा!
"आपको किसी की भी जरा सी परवाह नहीं है! ना अपने भाई की...ना माँ-पिताजी की और ना ही जीजू की!" ये सुन कर मेरा सर शर्म से झुक गया पर अब्भी उसकी भड़ास पूरी तरह से नहीं निकली थी|
"ये देखो ....." ये कह कर उसने अपनी शर्ट कमर पर से उठाई और मुझे उसकी कमर पर सर्जरी का निशान दिखाई दिया! "ये....ये क्या?" ये देख के मैं हक्की-बक्की रह गई और मेरे मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे!
"मेरा हर्निया का ऑपरेशन हुआ था.... और मुझे बताने की जर्रूरत तो नहीं की ये जीजू ने ही करवाया था... और इसे अभी ज्यादा दिन भी नहीं हुए..... जब जीजू मुंबई आये थे ये तब की बात है| पता नहीं उन्हें उस दिन क्या सुझा की वापस जाते हुए मुझे मिलने आ गए| मैं और माँ हॉस्पिटल में था तो उन्होंने सुमन से पूछा और वो उन्हें मेरे पास ले आई| मुझे इस तरह देख उन्होंने तुरंत डॉक्टर सरेंडर को फोन मिलाया और XXXX हॉस्पिटल में ले गए और अगले दिन ऑपरेशन के लिए पैसे भी जमा करा दिए| मैंने जो पैसे अपने ऑपरेशन के लिए सुमन से उधार लिए थे वो भी उन्होंने चुकता किये! वो तो ऑपरेशन तक रुकना चाहते थे पर माँ ने उन्हें जबरदस्ती वापस भेज दिया क्योंकि यहाँ आपको उनकी ज्यादा जर्रूरत थी!" मैं ये सब आँखें फ़ाड़े सुन रही थी.......|
"इस बारे में किसी को कुछ नहीं पता .... यहाँ तक की पिताजी को भी इस बारे में कुछ नहीं पता...मैंने माँ को मना किया था| एक तो पहले ही मेरी पढ़ाई के बोझ तले वो इतना दबे हुए हैं की उन्हें heart problem है और अब मेरा हर्निया के बारे में सुन कर वो परेशान हो जाते| माँ और मैं तो आपको और जीजू को भी नहीं बताने वाले थे ....पर नाजाने कैसे उन्हें सब पता चल जाता था| कुछ दिन पहले मैं और सुमन ड्रिंक कर रहे थे.... नशे की हालत में उसके मुँह से निकल गया, 'यार तेरे जीजू इतने बुरे भी नहीं दीखते.... फिर उन्होंने अपने से दस साल बड़ी औरत से जिसके दो बच्चे हैं और एक अभी पेट में है उससे शादी क्यों की?' ये सुन के मेरे तन-बदन में इस कदर आग लग गई की मैंने उसे एक तमाचा जड़ दिया और रात के दो बजे उसके घर से अपना सामान ले कर निकल पड़ा| रात अपने दोस्त के घर बिताई और अगले दिन सुबह जीजू को फ़ोन किया| उन्होंने फ़ौरन २०,०००/- रूपए मेरे अकाउंट में ट्रांसफर किये और बोला की दूसरी जगह rent पर कमरा ले और मुझे आज ही तेरे Lease Agreement की copy mail कर!
बोलो पता था आपको इस बारे में? ओह्ह! पता कैसे होगा? आपने तो आमरण मौन व्रत जो धारण कर रखा था!"
मेरे पास उसकी कही किसी बात का जवाब नहीं था| मैं बस पछता रही थी ...इसके अलावा कर भी क्या सकती थी| फिर वो दुबारा मुझे याद करते हुए बोला; "खाना ठंडा हो रहा है! खा लो!" और उठ कर चला गया| मैं बस वहीँ बैठी इन्हें मन ही मन "sorry" बोलती रही! शाम को जब अनिल और सब लोग दुबारा आये तो मुझे कुछ याद आया|
______________________________
Reply


Messages In This Thread
RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन - by sexstories - 01-04-2019, 01:48 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  बाप का माल {मेरी gf बन गयी मेरी बाप की wife.} sexstories 72 1,114 2 hours ago
Last Post: sexstories
  Incest Maa beta se pati patni (completed) sexstories 35 839 2 hours ago
Last Post: sexstories
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 15,000 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 7,200 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 4,905 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,758,133 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 577,661 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,344,306 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,028,545 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,806,107 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68



Users browsing this thread: 3 Guest(s)