Sex Hindi Kahani रंगीन आवारगी
06-26-2017, 12:44 PM,
#4
RE: Sex Hindi Kahani रंगीन आवारगी
रंगीन आवारगी - 3

गतान्क से आगे...................

मैं और शशि अपने शाहर चल पड़ी. सफ़र के कारण हम ने स्कर्ट्स और टॉप्स पहन ली थी. अवी की चुदाई मुझे भूल नही रही थी. शशि बार बार अपने यारों के साथ मुझे चुदाई के मज़े लेने की बात कर रही थी और मैं उत्तेजित हो रही थी. इस बारी मेरे साथ ना जाने क्या होने जा रहा था.

हम ने घर पर फोन कर दिया था कि हम आ रहे हैं. संजय ने बताया कि वो दोपहर के बाद घर पहुचे गा क्यो कि उसका मॅच है. मैं और शशि 11 बजे घर पहुचे. पहले घर शशि का आता था इस लिए मैं वहीं थोड़ी देर के लिए रुक गयी. मोना कॉलेज जा रही थी और जिम्मी का कोई पता नही था. घर आते ही शशि बोली,"बोल बिंदु रानी आज शाम को दिखाए तुझे अपने शहर का जलवा. मेरे यारों की मंडाली तो वेट कर रही होगी चोदने के लिए मुझे. कहो तो तेरा भी टांका भिड़वा दूं? साली दो दो मर्दों से एक साथ चुदवाओ गी तो सब कुच्छ भूल जाओगी, मेरी बन्नो.

एक लंड चूसोगी तो दूसरा तेरे गालों पर सैर करेगा. एक यार तेरी चूत चाते गा और दूसरा तेरी गांद चुसेगा. अब यहाँ किसी का डर भी नही है. शाहिद का फार्महाउस है वहीं प्रोग्राम बना लेंगे, क्यो ठीक है ना?" शशि ने मुझे आलिंगन मे ले लिया था और साली मेरे साथ चिपक रही थी. मुझे याद आ रहा था कि उसके यार ग्रूप मे उसको चोदते हैं और उनके लंड बहुत बड़े हैं. मुझे उत्तेजना होने लगी और ऊपर से शशि के हाथ मेरे जिस्म पर रेंगने लगे. हम दोनो उस वक्त लंबी स्कर्ट्स और कॉटन की टॉप्स पहने हुई थी. शशि मुझ से लिपटती हुई सोफे पर ले गयी.

जैसे ही मैं सोफे पर बैठी तो शशि ने मेरी स्कर्ट्स को ऊपर उठा कर मेरी जाँघो पर हाथ फेरना शुरू कर दिया. साली के हाथ मुझे करेंट मार रहे थे. उसके बड़े बड़े मम्मे मेरे मुख के सामने थे और उसकी मनमोहक सुगंध मेरे नाक मे घुस रही थी. मैने देखा कि शशि की आँखों मे वासना के लाल लाल डोरे तेर रहे थे. "शशि, साली बेह्न्चोद, अब मुझे तो छ्चोड़ दे. मैं कोई लड़का हूँ?

जब तेरे यार मिलेंगे तो चुदवा लेना अपनी चूत साली" लेकिन शशि पर तो और ही भूत सवार था. उसकी साँस मुश्किल से चल रही थी और उसका हाथ मेरी पॅंटी के अंदर घुस रहा था. मेरी उत्तेजना भी बढ़ रही थी. "क्या शशि साली एक लेज़्बीयन है?" ये सवाल मेरे दिमाग़ मे कौंधा. लेकिन वो लेज़्बीयन थी या नही, मेरी चूत भीग गयी थी अपनी सहेली के स्पर्श से."ओह बिंदु मेरी जान तू तो पहले ही प्यासी है, साली तेरी चूत तो पानी छ्चोड़ रही है. घर खाली है, बेह्न्चोद इसका फयडा उठाते हैं.

मुझे अपने जिस्म के हर उस हिस्से को चूम लेने दे जिस को मेरे विमल भैया ने चूमा है. ओह मदर्चोद तेरी चूत तो किसी आग की भट्टी की तरह तप रही है!!! मुझे अपने साथ मस्ती करने दे और खुद भी मेरे साथ मस्ती कर ले. वा क्या मस्त मम्मे हैं तेरे!! कैसे कड़े हो गये हैं शशि का हाथ लगते ही!!! जल्दी से अपने कपड़े उतार डाल रानी और ले ले मज़े ज़िंदगी के!!"

शशि ने अब तब मेरी पॅंटी एक तरफ खींच कर दो उंगलियाँ मेरी चूत मे घुसा डाली थी और मुझे हैरानी इस बात की थी कि मेरी चूत और माँग रही थी. मेरे हाथ अपने आप शशि की चुचि पर चले गये और मैं उसको दबाने लगी. इस बिगड़ी हुई औरत ने मुझे अपने वश मे कर लिया था. मेरी सहेली मुझे मंतर मुग्ध कर चुकी थी. उसकी हर बात मेरे अंदर की औरत का एक नया भाग नंगा कर रही थी, एक नयी उमंग जागृत कर रही थी. अब मैं इस चालू शशि के नग्न जिस्म से लिपट जाना चाहती थी, उसकी जिस्म के उभारों को स्पर्श करना चाहती थी और उसकी हर गहराई को चूम लेना चाहती थी.

मैं अपने आप अपने कपड़े उतारने लगी और उधर शशि भी नंगी होने लगी. जब मैने अपनी स्कर्ट उतार डाली और टॉप भी उत्तर फेंका तो मेरी पॅंटी का चूत के सामने वाला हिसा गीला हो चुका था. शशि का जिस्म भी गर्मी और उत्तेजना के कारण पसीने से भीग गया था."शशि, तू लेज़्बीयन हो क्या? ये कैसी आग लगा दी है तुमने मेरे अंदर की मैं तुझ से लिपटना चाहती हूँ, चूमना चाहती हू....ओह्ह्ह्ह भगवान मैं तुझे प्यार करना चाहती हूँ....ऐसी आग तो तेरे भैया ने भी नही लगाई थी जब उसके सामने नंगी हुई थी मैं...मैं तेरे अंदर समा जाना चाहती हूँ, तेरे हाथ, तेरी ज़ुबान अपने मचलते हुए जिस्म पर महसूस करना चाहती हूँ.....

हे शशि मुझे संभाल मैं बहक रही हूँ!!" कहते हुए मेरे होंठ उसके पसीने से भीगी गर्दन पर चले गये और मैं उसकी गर्दन को चूमने लगी, चाटने लगी. ऐसा प्यार का अनुभव मुझे ज़िंदगी मे पहली बार हो रहा था.

"उफफफफफफ्फ़....उई.....आअहह....

आाअगगगगगगग!!! हां मेरी बन्नो.....तू ठीक कह रही है....शशि एक चालू लड़की है....एक गश्ती है...लेकिन केवल मज़े लेने के लिए चालू बनी है शशि!!! मैं ज़िंदगी का हर मज़ा लेना चाहती हूँ...हर मज़ा लिया है मैने...जिस्म का हर मज़ा...बिंदु मेरी जान जो आनंद औरत दूसरी औरत को दे सकती है वो शायद एक मर्द भी नही दे सकता.....एक औरत की सेक्स की सुगंध दूसरी औरत ही सूंघ सकती है..आज हम एक हो जाएँ.....तुझ पर मेरा भी उतना ही अधिकार हो जितना विमल भैया का है...रानी अपना पति तो पहले ही सौंप चुकी हूँ तुझ को....बहुत सुंदर है तू मेरी रानी....ये तेरी चूत का रस तो चमक रहा है तेरी पॅंटी पर चाट लेना चाहती हूँ मे मेरी रानी! विमल भैया के साथ सुहागरात मनाई थी तुमने, मेरी रानी आज अपनी सहेली के साथ लेज़्बीयन दिन मना ले.....मेरी लेज़्बीयन प्रेमिका बन जाओ मेरी रानी!!!" शशि भी उत्तेजना की सीमा पर कर चुकी थी और मेरी पॅंटी को नीचे खींच रही थी. उसकी उंगलियाँ मे एक अजीब बेचैनी थी. उत्तेजना मे मैने भी उसकी गर्दन को काट खाया.
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