01-12-2019, 02:39 PM,
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RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
विजय…उसको छोड़ो ये…सोचो …सुमन पे क्या बीतती होगी…जब भी वो अपने जुड़वा बेटे के बारे में सोचती होगी…मुझे हर हाल में सुनेल का सही इलाज़ करवा उसे ठीक करना है और सुमन की गोद में उसे वापस डालना है……याद करो वो दिन जब तुम्हारे अबॉर्षन की बात पे तुम कैसे तड़प गयी थी….उसके साथ तो धोखा हुआ है वो भी इतना बड़ा…उसके बेटे को उसे जुदा कर दिया गया…और ये बोल दिया कि वो मरा हुआ पैदा हुआ….काश वो समर आज जिंदा होता तो उसे चीर फाड़ के रख देता…काश उस वक़्त मैं उसके पीछे पड़ गया होता…तो इतनी ज़िंदगियों के साथ नही खेल पाता वो…
आरती ..मैं सुमन का दुख भी समझती हूँ…पर ज़रा सोचो…सागर के बाद आज उसके पास सुनील है…वो सुनील की बीवी बन चुकी है ..खुश है उसके साथ…सवी को क्या मिला..वीरानापन..तन्हाई…और आगे इतनी बड़ी जिंदगी पड़ी है…वो तिल तिल कर रोज मार रही है…उसे बचा लो…ये हम दोनो का फ़र्ज़ है उसे ..एक नयी जिंदगी देना……आज जो वो है..उसकी वजह भी तो हम हैं…ये प्रायश्चित तो हमे करना ही पड़ेगा…
विजय…ये सब इतना आसान नही…जिस समाज में हम …
आरती…तुम कब्से समझ की परवाह करने लगे…अगर इतना ही समाज से डरते थे ..तो मुझे अपनी बीवी कैसे बना लिया…क्या अब हम समाज से छुप के कहीं जी रहे हैं…
विजय….आरती तुम भावनाओं में बहक रही हो अभी…सो जाओ थोड़ी देर….आज रूबी की सगाई है…बहुत काम करना है…
आरती मन ही मन ठान लेती है…वो सविता को वापस विजय की जिंदगी में ला के रहेगी…चाहे कुछ भी करना पड़े….सोचते सोचते उसकी आँख लग जाती है….
सुबह के 5 बज चुके थे और मिनी ने सुनेल को उठा दिया…दोनो ने हल्क फूलका नाश्ता किया…तयार हुए और एरपोर्ट की तरफ निकल पड़े…
जैसे जैसे सुनेल एरपोर्ट की तरफ बढ़ रहा था…वैसे वैसे उसका मानसिक बंधन सुनील के साथ कमजोर होता जा रहा था…
जैसे ही सुनेल की फ्लाइट उड़ी…सुनील को महसूस हुआ कि उसका जुड़वा भाई फिर उस से बहुत दूर जा चुका है..अब उस तक पहुँचने का बस एक तरीका था और वो थी सवी…..वही बता सकती है समर ने क्या क्या गुल खिलाए थे……सुनील को सवी पे गुस्सा आने लगा….इतने साल …इतने साल तक उसने ये बात छुपा के रखी…और तो और समर की मोत के बाद भी नही बताया…बहुत दावे करती थी कि मुझे प्यार करती है..क्या इसे प्यार कहते हैं…च्िी
सुनील अब बस रूबी की सगाई ठीक से होने तक का इंतेज़ार कर रहा था…..उसे क्या मालूम था कि विजय भी इस खेल में कूद चुका है……हालाँकि विजय कुछ ग़लत नही चाहता था…पर सुनील की तड़प को बढ़ाने का एक कारण ज़रूर बनता जा रहा था…
सुमन सोचते सोचते अपने मरे जुड़वा बेटे को भूल…अपने आनेवाले बेटे की कल्पना में खो गयी थी…कैसा होगा वो…किसके उपर जाएगा….क्या वो सुनील की कॉपी होगा….या मेरी…या हम दोनो का मिला जुला रूप होगा….हम दोनो के प्यार की एक पहचान होगा….
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सवी रूबी के कमरे में आई ...मिनी का समान पॅक किया और हाउस कीपिंग को बुला कर वो समान मिनी के पास भिजवा दिया......
रूबी बस चुप चाप काटर दृष्टि से अपनी माँ को देख रही थी....
समान भिजवाने के बाद ...सवी एक ठंडी सांस ले कर ...वहाँ बिस्तर पे ढह सी गयी...
सब कुछ इतनी जल्दी इतनी तेज़ी से हो रहा था कि उसे एक पल भी नही मिल रहा था कि शांति से कुछ सोच सके....
मिनी और सुनेल की मुलाकात कब हुई....ये सोचते सोचते दिमाग़ में बॉम्ब सा फुट गया....रमण कहाँ है...मिनी और रमण की शादी हो चुकी है और मिनी पागलों की तरहा सुनेल के पीछे पड़ी है...ये क्या माजरा है...उसके मुँह से निकल गया....रमण.....????
सवी की नज़रें रूबी की तरफ उठ गयी….
सवी…रूबी रमण नही आया यहाँ……और मिनी अकेली चली आई सबके साथ…क्या दोनो में झगड़ा हुआ….
रूबी ….क्या जवाब दूं….कुछ पल सोचा और फिर….मम्मी ना तो रमण इस दुनिया में रहा और ना ही समर डॅड. रमण के जाने के बाद मिनी कहीं नही गयी वो हम लोगो के साथ ही रहती है…
सवी के लिए समर जीता या मरता कुछ फरक नही पड़ता था …पर रमण आख़िर उसका बेटा था…जो बस ग़लत रास्ते पे चला गया था…और उसकी उस हालत के ज़िम्मेवार वो खुद और समर ही तो थे….सवी की आँखों से आँसू टपक पड़े….
रूबी…मम्मी उसका साथ बस इतना ही था…अब अपने दिल को मत दुखाओ..आपके पास सुनील जैसा बेटा भी तो है…
तड़प के रह गयी सवी…सुनील को वो किसी और नज़र से देख ही नही पा रही थी..इसीलिए तो देल्ही छोड़ कोचीन चली गयी..
रूबी…ओह लगता है आप अब भी सुनील से प्यार करती हो….बदल लो मम्मी खुद को वरना और कितने दुख झेलोगी……वो मर जाएगा…अपने और दोनो भाभियों के बीच किसी को नही आने देगा …..और फिर राजेश भी तो आपका बेटा है…विजय पापा का बेटा…विमल भी तो आपका बेटा ही बनेगा…इतनी मृगतृष्णा भी अच्छी नही होती मम्मी…जिंदगी में कुछ सकुन चाहिए तो खुद को बदलना पड़ता है..जैसे मैने खुद को बदला..
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01-12-2019, 02:40 PM,
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RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
शायद आज की रात ही वो रात थी...जब सुमन के गर्भाशय ने एक नये जीव को अपने अंदर स्थान देना था........जब दोनो के बीज एक दूसरे में समा कर एक नया रूप धारण करने वाले थे.....
सुमन...सिसकती हुई सुनील को पुकारती है.........सुनील....तुम प्यार करते वक़्त कुछ बोलते क्यूँ नही....
सुनील..उसके निपल को मुँह से निकल जवाब देता है....जब भी मैं तुमसे और सोनल से प्यार करता हूँ...मैं मैं कहाँ रहता हूँ...मैं तो खो जाता हूँ.....मेरा वजूद तुम दोनो में समा जाता है...बात तो मेरी रूह तुम दोनो की रूह से करती है...ये जिस्म तो बस एक मध्यम बन के रह जाता है
सुमन....ओह गॉड....काश तुमने पहले जनम लिया होता...काश तुम ही मेरे पहले और आखरी शोहर होते.....
सुनील....अगर ऐसा होता तो जिंदगी को जिंदगी क्यूँ कहते......वो उपर बैठा मदारी...अपने ही खेल खेलता है......मज़ा आता है उसे अपनी रचना के साथ खिलवाड़ करने में.....
सुमन...अब आ जाओ........समा जाओ...मुझ में...हमारा बच्चा इंतेज़ार कर रहा है......अपना अस्तित्व पाने के लिए.......उसकी रूह तड़प रही है...मेरे अंदर साँस लेने के लिए
सुनील...सुमन की आँखों में देखता है...जहाँ एक वत्सल्य इंतेज़ार कर रहा होता है...अपने उदर में एक नये जीव की स्थापना करने के लिए...
सुनील का लंड जैसे ही सुमन की चूत को छूता है....
अहह सुनील.....सिसक पड़ती है वो.......
सुनील अपने लंड को धीरे धीरे सुमन की चूत में डालने लगता है और सुमन एक बेल की तरहा उसके साथ लिपट जाती है...जो लज़्ज़त ..जो अहसास सुमन आज महसूस कर रही थी...वो उसे पहले कभी महसूस नही हुई थी...
जिंदगी अपना एक चक्कर पूरा करने जा रही थी....जिस उदर से एक रूह ने अपना आकार पाया था...आज वही रूह...उसी उदर में...एक और रूह को आकर देने जा रही थी....
पता नही सबके साथ ऐसा होता है या नही ...पर सुमन के साथ ऐसा हो रहा था और सुनील...खो चुका था...भूल चुका था खुद को.....वो बस इस वक़्त उस रूह के अधीन था...जो सुमन की रूह से कब का मिल चुकी थी....जिस्मो का मिलन तो बस एक बहाना होता है.......एक रास्ता होता है.....दो रूहों के मिलन का......आज वो मिलन पूरा होने जा रहा था......क्यूंकी आज वो एक नयी रूह को अपने जीवन में स्थान देने जा रही थी....
दोनो के जिस्म का मिलन चलता रहा ...कमरे में जिस्मो से निकली सिसकियाँ गूँजती रही ....और आख़िर वो पल आ ही गया....जब सुनील के स्पर्म ने सुमन के एग से मिलन कर लिया.......जिसका पता उन्हें कुछ दिन बाद ही लगना था........पर दोनो की रूह इस बात को जान चुकी थी.....और प्रसांता से भरपूर थी....जो सुमन के चेहरे से इस वक़्त झलक रही थी........
दोनो धीरे धीरे नींद की आगोश में चले गये...
यहाँ सब रूबी को ले कर अलग अलग सोच रहे थे और उधर.....
मिनी......सुनेल चलो तुम्हें वो जगह दिखाती हूँ...जहाँ पहली बार मिले.
सवी......हां बेटी ले जा इसे ...शायद तेरा प्यार ही इसे वापस ले आए....
मिनी ...सुनेल को अपने साथ उस रेस्टोरेंट पे लेगयि.....देखो सुनेल..मैं यहाँ बैठी थी अपनी सहेलियों के साथ और तुम वहाँ बैठे थे अपने दोस्तों के साथ जब पहली बार हमने एक दूसरे को देखा था.....याद करो सुनेल....वो मंज़र ...वो लम्हा...हम बस एक दूसरे को देखते ही रहे थे...हमारी नज़रें एक दूसरे को छोड़ ही नही रही थी.....याद करो जान...
सुनेल अपना सर पकड़ वहीं रेस्टोरेंट की कुर्सी पे बैठ गया.....
मिनी...कोई बात नही जानू...धीरे धीरे सब यादा जाएगा...मत ज़ोर डालो दिमाग़ पे.........
फिर मिनी कॉफी मँगवाती है....दोनो चुप चाप कॉफी पी कर वहाँ से निकल पड़ते हैं........
मिनी कार ड्राइव करती हुई जुहू बीच जा पहुँची और सुनेल को बीच के एक निर्जन स्थान पे ले गयी.....
मिनी सुनेल से सट्ते हुए....यही वो जगह है..जहाँ तुम मुझे ले कर आने लगे थे ....और यहाँ आ कर तुम बहुत शैतान बन जाया करते थे.........बोलते बोलते मिनी का चेहरा लाल सुर्ख हो गया...वो दिन उसके सामने आने लगे ...जब सुनेल मिनी को यहाँ लाता था कितनी देर दोनो यहाँ बैठे रहते थे और यहीं पहली बार सुनेल ने मिनी को किस किया था...
मिनी सुनेल को आस भरी नज़रों से देखने लगी.....
मिनी के होंठ थर थराने लगे....हरी साड़ी में इस वक़्त वो किसी अप्सरा से कम नही दिख रही थी........मिनी बिल्कुल से सुनेल से सट के खड़ी हो गयी.....और उसकी छाती पे अपना सर रख दिया....
मिनी के इस तरहा करीब आने से सुनेल हिल सा गया........उसका जिस्म गरम होने लगा ...और ना चाहते हुए भी उसने मिनी को अपनी बाँहों में बाँध लिया...
मिनी....ओह सुनेल....बहुत तडपी हूँ तुम्हारे बिना......बहुत तडपी हूँ......
मिनी ने अपना सर उँचा कर अपने होंठ आगे बढ़ा दिए........
सुनेल उसकी आँखों में देखने लगा जहाँ पूरा समर्पण और प्यार का सागर लहरा रहा था....
समुद्र में उफ्फान आ गया और सुनेल के होंठ आगे बढ़ गये और मिनी के होंठों को छू गये...
दोनो खुद को भूल गये ...ये भी भूल गये कि वो कहाँ हैं और दोनो का स्मूच गहरा होता चला गया
काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने में लगे रहे.....शायद बरसों की प्यास आज भुजाने में लगे हुए थे......वक़्त की सुई अपनी चल पे चलती जा रही थी...सूरज अपना आज का सफ़र समाप्त करने जा जा रहा था...आसमान पे लालिमा फैलती जा रही थी........तब कहीं जा के दोनो एक दूसरे से अलग हुए और मिनी ने शरमा के नज़रें झुका ली....दोनो फिर धीरे धीरे चलते हुए पार्किंग की तरफ बढ़ने लगे....
अभी दोनो कार में बैठे नही थे कि एक मोटरसाइकल वहाँ आ के रुकी और उसपे बैठे आदमी ने जब अपनी हेल्मेट उतारी तो उसकी नज़र सुनेल पे पड़ी जो कार में बैठने जा रहा था...उस आदमी की आँखें फैलती चली गयी ...उसने फिर से हेल्मेट पहन लिया ...
जैसे ही मिनी की कार आगे बढ़ी ...वो आदमी एक दूरी बना उनकी कार का पीछा करने लग गया...
वो आदमी तब तक इनका पीछा करता रहा जब तक ये घर नही पहुँच गये.......
मिनी जब कार से उतरी तो बेहद शरमा रही थी........
दोनो घर में घुसे और मिनी अपने बेडरूम में भाग गयी ...सवी हालमें बैठी टीवी देख रही थी...उसके सामने काफ़ी सारी आलबम्स पड़ी थी...
सुनेल सवी के पास जा कर बैठ गया...
सवी...अरे चेंज तो कर...सारे कपड़ों पे रेत लगी हुई है...मैं तुम दोनो के लिए कॉफी बनाती हूँ...
सुनेल सर खुजाता हुआ अपने बेडरूम में चला गया और अटॅच्ड बाथरूम में घुस्स गया...
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सुबह जब रूबी की नींद खुली तो खुद को बहुत तरो ताज़ा महसूस कर रही थी......बाथरूम में घुस गयी नहाने और रात को सुमन ने जिस तरहा उसके बदन को प्यार किया था...वो सब उसकी आँखों के सामने आने लगा...बदन में गर्मी बढ़ने लगी......लेकिन फिर जब सुमन की बात याद आई सुनील को भूलने की बस उसकी बहन बनी रहने की..तो सारी खुशी गायब हो गयी ...चाह कर भी सुनील को अपने दिल से नही निकाल पा रही थी...
नहा के बाहर निकली और कपड़े पहन लिए...
दूसरे कमरे में सुमन बाथटब में नहाती हुई...रात के सुनहरी पल याद कर रही थी........जीवन को एक नया मायना मिलने वाला था....उसके ख़यालों में बस आनेवाला बच्चा ज़्यादा रहने लगा था
नहाते नहाते सुमन अपनी चूत सहलाने लगी और सुनील के लंड को याद कर मुस्कुराने लगी........
सुमन टाइम लगा रही थी नहाने में....जब तक वो बाहर निकली....सुनील और सोनल दूसरे बाथरूम में नहा कर तयार हो चुके थे.....
आज सुमन के चेहरे की चमक देखने वाली थी....सुनील से रहा नही गया और उसने सुमन को खींच उसके होंठों को पीना शुरू कर दिया...
दोनो को देख सोनल भी गरम होने लगी थी...पर अभी वक़्त नही था....रूबी किसी टाइम आ सकती थी और आज राजेश और कवि से भी मिलना था...उनका आगे का प्रोग्राम डिसकस करने...कवि उनके साथ जा रही थी ..या फिर वापस देल्ही आ रही थी...
सुमन सुनील से अलग हुई और तयार होने लगी....
जब तक सुमन तयार हुई रूबी आ चुकी थी...
फिर सभी रेस्टोरेंट चले गये ...जहाँ विजय, राजेश, आरती और कवि इनका इंतेज़ार कर रहे थे...
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