Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 01:53 PM,
#50
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
थोड़ी देर बाद सुमन ने उसके हाथ को पकड़ा और अपने कमर से उपर सरकाते हुए धीरे धीरे अपने मम्मे तक ले गयी. जैसे ही सुनील ने अपने हाथ के नीचे सुमन के मम्मे को महसूस किया वो तड़प के अलग हो गया.

‘एनफ मोम – समर ने आपको पागल कर दिया है – ये ये क्या करना चाहती हो – डॅम दट…….’ आगे बास्टर्ड बोलता बोलता सुनील रुक गया .

‘क्या मेरा दोस्त आज मुझे थोड़ा भी सकुन नही दे सकता’ ये कहते हुए सुमन की आँखों में आँसू आ गये

सुनील का दिमाग़ फटने लगा – सुमन के आँसू वो देख नही सकता था सुमन जो चाहती थी वो कर नही सकता था – उसने अपनी आँखें बंद कर ली और सागर को याद करने लगा फिर से वही बात उसके दिमाग़ में गूँजी – ट्रस्ट युवर मोम.

‘डॉन’टी टेस्ट मी सो मच मोम’ सुनील की आँखों में आँसू आ गये.

उसकी आँखों में आँसू देख सुमन तड़प उठी – अभी मंज़िल बहुत दूर थी – सुनील अभी दर्द के साए से बाहर नही निकला था – उसे अपने बेटे पे नाज़ होने लगा – जिसकी मर्यादा की दीवार इतनी मजबूत थी.

लेकिन आगे तो बढ़ना ही था – उसे उस भंवर से निकालना ही था . सुमन ने उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया – ट्रस्ट मी- कहके अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए.

सुनील पत्थर का तो नही बना था – आख़िर था तो इंसान ही बहकने लगा और दोनो में एक गहरा स्मूच शुरू हो गया – अब जब सुमन उसके हाथ को अपने मम्मे तक ले गयी उसके हाथ नही हटे अंदर का जानवर थोड़ा जाग गया था और उसने सुमन के मम्मे को दबाना शुरू कर दिया.

‘अहह धीरे मेरी जान इतनी ज़ोर से नही’ सुमन अपने होंठ हटा के बोली और फिर से अपने होंठ सुनील के होंठों से चिपका दिए.

सुनील धीरे धीरे सुमन के मम्मे दबाने लगा सहलाने लगा – लिंगेरी इतनी पतली थी और अंदर ब्रा भी नही थी – सुनील को यही लग रहा था कि वो अपनी मा के नंगे मम्मे मसल रहा है – बंद आँखों से भी आँसू टपकने लगे.

‘ये था सेक्स का पाँचवा लेसन’ सुमन अलग होते हुए बोली लेकिन जब सुनील की बंद आँखों से टपकते हुए आँसू देखे तो हिल के रह गयी.

ये कैसा इम्तिहान था जो दोनो माँ बेटा दे रहे थे – वक़्त के पेट में क्या छुपा है – होनी अपना कॉन सा रंग दिखाती है – ये तो वक़्त के साथ ही पता चलेगा 



सुनील की आँखों से टपकते हुए आँसू देख जहाँ एक बार फिर उसे सुनील पे गर्व हुआ - लेकिन वहीं उसे अपनी सारे प्रयास विफल होते हुए नज़र आए.

सुमन को गुस्सा चढ़ने लग गया और सुमन ने ज़ोर का चाँटा लगा दिया सुनील को.

सुनील तो हिल के रह गया चान्टे की आवाज़ पूरे रूम में गूँज रही थी .

उसे समझ में नही आया आज पहली बार उसकी माँ ने उसे थप्पड़ मारा था – बचपन में कभी किसी शरारत पे मारा होगा तो उसे याद नही था.

‘वाइ डॉन’ट यू ट्रस्ट मी – वाइ आर यू क्राइयिंग?’ सुमन गुस्से में बोली.

‘बिकॉज़ आइ आम युवर सन – वी कॅन’ट डू दिस’ सुनील उतनी ही ज़ोर से चिल्लाया

‘ कॅन’ट यू बिहेव लाइक आ फ्रेंड फॉर वन नाइट अट लीस्ट”

‘अट दा सेम टाइम आइ कॅन’ट फर्गेट आइ’म युवर सन – क्यूँ कर रही हो ऐसा मोम – क्यूँ – क्यूँ – क्यूँ – मुझे सेक्स लेसन्स की ज़रूरत नही – सीख जाउन्गा वक़्त के साथ – और अब तो मैं वो दर्द भी भुला चुका हूँ – जो उस कड़वे सच ने दिया था – आइ हेट समर मोम – आइ हेट हिम – भगवान करे वो मेरे सामने कभी ना आए’

सुमन उसे देखती रह गयी - क्या बेटा जन्मा था उसने --- लेकिन समर के लिए जो नफ़रत सुनील के अंदर समा चुकी थी वो सुमन को पसंद नही आई – वो सोचने पे मजबूर हो गयी – क्या वाक़यी में उसका बेटा उस दर्द से बाहर निकल चुका है – उसे कुछ समझ नही आया और उसकी रुलाई निकल पड़ी.

‘बस मॉम – बस – बहुत दर्द सह लिया हम दोनो ने – अब बस करो – और एक वादा करो मुझ से कभी समर की शक़ल नही देखोगी’

‘सुनील ये नही हो सकता – हम चारों एक दूसरे से जुदा नही हो सकते – हम एक ऐसे बंधन में बँध चुके हैं जिससे कोई तोड़ नही सकता’

‘बंधन माइ फुट ‘ सुनील ज़ोर से चिल्लाया 

उसकी दहाड़ के आगे सुमन हिल गयी.

‘कॅन’ट यू सी ही यूज़्ड यू ऑल – ही यूज़्ड दा वीकनेस ऑफ डॅड टू गेट यू – क्या ये 4 जिस्म और एक जान लगा रखा है’

सुमन डर गयी – उसे सुनील की बातों में वो दिन याद आने लगा जब वो घर पहुँची थी और सागर को सविता के साथ हमबिस्तर देखा था – और बाहर समर बैठा किस तरहा मुस्कुरा रहा था. 

सुमन फुट फुट के रोने लगी – जिंदगी उसे कहाँ से कहाँ ले आई थी. वो हार गयी थी उसकी परवरिश जीत गयी थी – उसका बेटा उसे वापस मिल गया था – वो ना सिर्फ़ दर्द के सागर से बाहर निकल आया था – वो उस कड़वे सच को भी पहचान गया था – जिस से सागर और सुमन अंजान रहे --- आख़िर कुछ तो असर समर का आना ही था सुनील में – बस फ़र्क सिर्फ़ परवरिश का था.

तभी सोनल की कॉल आने लगी सुनील के फोन पे. 

क्यूँ आई ये कॉल इस वक़्त – क्या हुआ था ? – क्या सिर्फ़ अपने प्यार से बात करने के लिए फोन किया था 

'कूल डाउन मोम - एनफ - जो होना था हो गया - अब उस कड़वे पास्ट को भूल जाओ'

सुमन को बिलखता देख वो सोनल की कॉल लेना भी भूल गया था.

तब सुमन का मोबाइल बजने लगा - कॉल सोनल ही कर रही थी.

इस से पहले सुमन कॉल पिक कर पाती कॉल कट गयी और फिर से सुनील का मोबाइल बजने लगा

इस बार सुनील ने फट से कॉल पिक करी -------

‘दी इस वक़्त'

‘जल्दी आ डॅड को हार्ट अटॅक हुआ है – जल्दी आ भाई प्लीज़ ‘

‘घबराओ मत दी कल पहली फ्लाइट से हम आ रहे हैं’ – कॉल कट हो गयी .

सुमन सवालिया नज़रों से सुनील को देख रही थी .

‘मोम वो…वो… डॅड को हार्ट अटॅक ………..’

सुमन ये सुन पत्थर बन गयी 

‘मोम मैं वापस जाने का अरेंज्मेंट करता हूँ – वी मस्ट टेक दा फर्स्ट फ्लाइट बॅक होम’

सुमन तो बस बेजान हो के रह गयी थी – उसका सागर इस वक़्त तकलीफ़ में था और वो……उस से काफ़ी दूर.



ये रात थी कहर की रात.
ये रात थी रिश्तों को बदलने वाली रात.
ये रात थी ज़िम्मेदारी उठाने वाली रात.
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