Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:22 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
सच में मामी तुमने कभी भी ऐसा नहीं की,,,
( बोली कुछ नहीं केवल ना में सिर हिला कर जवाब दि,,,)

क्या मामी,,,, जिस तरह से वह औरत बता रही थी मुझे तो ऐसा लगता है कि सारी औरतें चुदवाने से पहले आदमी के लंड को जरूर चुस्ती है।,,,

लेकिन मैंने कभी नहीं चुसी (वह तपाक से बोली),,,

मुझे तो लग रहा था कि आप भी उस औरत के कहे अनुसार जरूर लंड चूसती होंगी,,,

अच्छा यह बता तुझे कैसा लग रहा था।( चेहरे पर उत्तेजना के भाव लिए हुए वह बोली,,,।)

मामी सच कहूं तो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि औरते इस तरह की भी हरकत करती होंगी,,,, लेकिन एक अजीब प्रकार का सुख मुझे मिल रही था। जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।,,,
( शुभम की रसीली बातों की चोट उसकी बुर के गुलाबी पत्तियों पर ठोकर मार रही थी,,, उसे तो इस तरह की बातें सुनकर ही परम सुख की अनुभूति हो रही थी तभी तो उसकी बूर से निकल रहे मदन रस की वजह से उसका बिस्तर गीला होने लगा था।,,, वहलशुभम के मुंह से और ज्यादा सुनना चाहती थी इसलिए बोली,,,।)

कैसा सुख तुझे मिल रहा था मुझे भी बताएगा,,,

मामी अब मै तुम्हें कैसे बताऊं कि किस तरह का सुख मुझे मिल रहा था मैं कह तो रहा हूं जिंदगी में पहली बार वैसे सुख का एहसास मुझे हुआ था इसलिए बता पाना बिल्कुल ही मुश्किल है। कुछ इस तरह का सवाल तुम मुझसे पूछ रही हो यही सवाल मैं उस औरत से पूछा तो उसने भी मुझे इसी तरह का जवाब दी थी तो इतना तो तय है कि लंड चूसने में ओर चुसवाने में बेहद आनंद की प्राप्ति होती है।,,,,
( इतना कहकर शुभम एकदम शांत हो गया पूरे कमरे में सन्नाटा पसर गया ना तो उसकी मामी कुछ बोल रही थी और ना ही शुभम,,, शुभम अपने मन में आगे का प्लान बना रहा था वैसे भी कमरे का नजारा उत्तेजना से भरपूर था उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी सगी मामी बिस्तर पर इस तरह से अर्धनग्न अवस्था में बैठी होगी और ठीक उसके करीब वह अपना लंड उसके हाथ में दिए हुए खड़ा होगा।,,, शुभम अपनी मामी के चेहरे पर के हाव भाव को पढ़ रहा था जिस पर से साफ मालूम पड़ रहा था कि लंड को मुंह में लेकर चूसने की उत्सुकता उसके मन में भी बढ़ रही है,,, इसलिए वह बात को आगे ना बढ़ा कर सीधे सीधे बोल दिया,,।

एक काम क्यों नहीं करती मामी,,, अब देखो मैं तुम्हें बता नहीं पा रहा हूं कि मुझे लंड चुसवाने में कितना मजा मिल रहा था और यह भी बयां नहीं कर पा रहा हूं कि उस औरत को कितना ज्यादा मज़ा आ रहा था,,, तो क्यों ना ऐसा करें कि,,( थोड़ा सोच कर)
अब पता नहीं तुम्हें मेरी बात कैसी लगेगी हो सकता है तुम नाराज भी हो जाओ लेकिन,,,,लेकीन,,, ( इतना कहकर शुभम फिर से खामोश हो गया,,, शुभम जिस तरह से बोल रहा था उसकी मामी को थोड़ा बहुत शंका जरूर हो रहा था कि वह क्या कहना चाहता है।,, और जो वह कहना चाहता है इस बारे में सोच कर ही उसकी बुर से पानी की बूंदे टपकने लगी,,, और वह बोली,,,।)

तू कहना क्या चाहता है जरा खुल कर बोल,,,

मामी मैं यह कहना चाहता हूं कि,,, पहले यह बताओ कि तुम्हें अगर बुरा लगेगा तो तुम मुझे डांटोगी नहीं,,,

अच्छा चल मैं तुझे कुछ भी नहीं बोलूंगी (कुछ सेकंड तक सोचने के बाद बोली।)

देखो मामी तुम वादा की हो इसलिए मुझे कुछ बोलना नहीं यह बात मेरे मन में आई इसलिए बोल रहा हूं,,,
उस औरत को कितना मजा आया अगर यह जानना है तो,,,,,, तो क्यों ना सिर्फ एक बार ज्यादा नहीं बस एक बार,, तुम मेरे लंड को (लंड की तरफ देखते हुए) मुंह में ले कर देख लो,,,
( इतना सुनते ही जैसे कि उसकी फूली हुई बुर जोर जोर से सांस ले रही हो इस तरह से फुदकने लगी,,, उसे खुद के द्वारा लंड चूसने के बाद से ही इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होने लगा कि वह झड़ गई,,, उसका तनबदन एक दम से कसमसा गया। उसकी मुट्ठी एकाएक शुभम के लंड पर कसती चली गई,,, और इतना ज्यादा करती चली गई थी कुछ देर में ही शुभम के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और अगर वह मुंह से चीख नहीं निकालता तो शायद उसकी मामी और ज्यादा दबाती चली जाती,,, शुभम की चीख सुनकर जैसे उसका ध्यान टूटा हो इस तरह से वह शुभम की तरफ देखने लगी,,, अपनी मामी को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर वह बोला,,,

क्या करती हो मामी कितना दर्द करने लगा था,,,
( शुभम की बात सुनकर वह शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पाई।,,, वह बातों का मोड़ घुमाते हुए बोली,,,)

लेकिन सुभम मैंने कभी भी जिंदगी में जो तू बोल रहा है वैसा नहीं की हूं।

मैं जानता हूं मामी लेकिन हर काम जिंदगी में पहली बार ही किया जाता है अब देखो ना मुझे क्या मालूम था कि वह औरत मेरे साथ उस तरह का काम करेगी वह भी तो मेरे साथ पहली बार ही कर रही थी,,

शुभम अपनी मामी को अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से बहला रहा था। और उसकी मामी भी अपनी ऊफान मारती जवानी पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। वह मन ही मन सोच रही थी कि अगर सुबह जो कह रहा है सच है तो उसे भी एक बार आजमा ही लेना चाहिए हो सकता है औरतों को इसमें कुछ ज्यादा ही सुख मिलता हो,,,, वह अपने आप को शुभम के लंड को अपने मुंह में लेने के लिए पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी।,,, वह तो एक झटके में ही शुभम के लंड को पूरी तरह से अपने गले में उतार लेना चाहती थी लेकिन शर्म की दीवार उसे रोक रही थी,,, वह चाह रही थी कि शुभम खुद अपने लंड को उसके मुंह में डालें ताकि उसे खुद पर शर्मिंदा ना होना पड़े,,, इसलिए वह उत्तेजना से भर कर शुभम के लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़कर आगे की तरफ खींच रही थी जिसकी वजह से शुभम को बहुत मजा आ रहा था लेकिन अपनी मम्मी को कुछ भी जवाब देता हुआ ना देख कर एक बार फिर से वह बोला

क्या हुआ मामी,,, तुम खामोश क्यों हो गई आखिरकार तुम्हें भी अनुभव ले लेना चाहिए औरत होकर अगर औरतों वाली हरकत और औरतों के हक़ का सुख ना मिल पाए तो ऐसी जिंदगी किस काम की,,,

लेकिन शुभम मुझे बहुत शर्म आ रही है मैंने कभी भी ऐसा नहीं की और अगर किसी को पता चल गया तो,,,
( उसकी मामी शुभम की बात सुनकर बोली,,, यह उसका पहली बार ही था इसलिए मन में थोड़ा डर बना हुआ था लेकिन औरतों के मुंह से यह कहना कि अगर किसी को पता चल गया कोई देख लिया कुछ हो गया इन सब बातों का एक ही मतलब होता है कि औरत पूरी तरह से तैयार है और एक बात को शुभम भी अच्छी तरह से समझ गया था और यह भी समझ गया था कि उसे खुद ही आगे बढ़ना होगा,,, इसलिए वह बोला।)

क्या मामी बेवजह डर रही हो किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा,,, बस तुम एक बार हां कर दो बाकी सब मैं संभाल लूंगा,,,

( शुभम की बात सुनकर उसे थोड़ी हिम्मत आई लेकिन जवाब मे वह कुछ भी नहीं बोली,,, बस हल्का सा इशारा रुपी हामी भरते हुए वह अपने बंद होठों को शुभम की नजरों में झांकते हुए हल्के से खोल दी,, शुभम अपनी मामी का इशारा समझ गया,, वह समझ गया था कि उसकी मामी को शर्म महसूस हो रही है लेकिन वह भी अपने मुंह में लेना ही चाहती है,,, अब उसे समझाने में अपना वक्त जाया नहीं करना चाहता था इसलिए बिना कुछ बोले,,, एक हाथ से अपनी मामी का हाथ पकड़कर अपने लंड के ऊपर से हटाया और धीरे धीरे अपनी कमर वाला भाग आगे की तरफ बढ़ाने लगा उसकी मामी शुभम की इस हरकत का मतलब समझ गई थी,,,
उत्तेजना और उत्सुकता के मारे उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, अब हालत यह हो गई थी कि वह चाहती तो भी शुभम को आगे बढने से रोक नहीं पाती धीरे धीरे शुभम का मूसल जैसा लंड उसके मुंह के बिल्कुल करीब आ गया था। इतना करीब कि सुपाड़े की गर्मी उसे अपने होठों पर महसुस हो रही थी कामोत्तेजना से भरी हुई उसकी मामी की बुर फुदकने लगी थी।,,, शुभम का दिल भी जोरों से धड़क रहा था।


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