Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:22 PM,
#41
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में ऐसे जकड़े हुए थे मानो कि एक दूसरे के अंदर समाने की कोशिश कर रहे हो। कमरे का माहौल पूरी तरह से खराब हो चुका था। बरसों से निर्मला जिस चीज को लेने के लिए तड़प रही थी वह चीज उसकी बुर के अंदर समाया हुआ था। वह जोर-जोर से अपनी मां को चोद रहा था पूरा पलंग उसके हर धक्के के साथ हील रहा था। थोड़ी ही देर में वह दोनो अपनी चरम सुख के करीब पहुंचने लगे थे। शुभम जोर जोर से धक्के लगाने लगा था।
तभी दोनों का बदन अकड़ने लगा और शुभम की एक जबरदस्त प्रहार के साथ ही,,,,, निर्मला की चीख निकल गई और वह भलभलाकर झड़ने लगी,,,,, वह चीख के साथ ही उठ कर बैठ गई,,,,, बैठकर जब गौर की तो वहां शुभम नहीं था,,,, बगल में अशोक बेसुध होकर सोया हुआ था,,,,, ऊसका गाउन कमर तक चढ़ा हुआ था और उसकी उंगलियां बुर के अंदर समाई हुई थी,,,,,, बहुत जोर जोर से सांसे लेते हुए हाथ रही थी दूर से निकल रहा नमकीन पानी उसकी हथेली को पूरी तरह से भीगो चुका था। अपनी हालत को देखकर वह हैरान थी,,,,,, लेकिन फिर अपनी हालत और हकीकत का ख्याल होते ही उसे अपने आप पर ही हंसना आ गया,,,,,
पंखा चालू होने के बावजूद भी उसके बदन से पसीने की बूंदे टपक रही थी उसे इस बात से राहत थे कि इतना कुछ होने के बावजूद भी अशोक की आंख नहीं खुली थी। वरना उसकी तेज चल रही सांसो की आवाज से अभी भी पूरा कमरा गूंज रहा था। अपने बेटे के साथ संभोग सुख लेते हुए इस प्रकार का सपना देख कर निर्मला पूरी तरह से हैरान भी थी और उत्तेजित भी।,,,, उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि इस तरह के भी सपने उसे आ सकते हैं। सपना देखते ही होगा तो यह सोच रही थी कि आज बरसो की तपस्या पूरी होने को आ गई थी। लेकिन आंख खुलते ही उसका सपना टूट गया था। वह मन ही मन सोचने लगी कि,,,, अगर सपना इतना कामोत्तेजना से भरा हो सकता है तो हकीकत कितनी रंगीन होगी,,,,, यह ख्याल मन में आते ही उसकी बुर सुरसुराने लगी,,,, और वह फिर से हथेली को अपनी गर्म बुर पर रख कर सो गई।।

शीतल की शादी की सालगिरह को बस 2 दिन ही बचे थे।
उसे अपने हाथों में मेहंदी लगाना था वैसे भी वह मेहंदी बड़ी अच्छी रचना देती थी इसलिए वह बैठकर अपने हाथ में मेहंदी लगाने लगी,,,, मेहंदी लगाते हुए उसे अपने बेटे से जुड़ी सारी उत्तेजना से भरपूर बातें याद आने लगी,,, बार बार उसकी आंखों के सामने फिर से उसके बेटे का खड़ा लंड तेरने लग जाता था,,,, बार-बार उसे उसके बेटे के लंड से निकलती हुई पिचकारी नजर आने लग रही थी,,,, जिसके कारण वह अपने बदन में कामोत्तेजना का अनुभव कर रही थी। और वहां पकने वाली बात तो उसे काफी परेशान किए हुए थी बार-बार वही सोच रही थी काश वो सपना सच हो जाता,,,,,,


कभी अपने एक हाथ में मेहंदी लगाते लगाते उसके मन में आईडिया सुझा,,, और वह तुरंत अपने बेटे को आवाज लगाने लगी,,,,, वह आवाज लगाती रही थी और दूसरे हाथ से अपने ब्लाउज के दो तीन बटन को खोल भी चुकी थी कंधे पर रखा पल्लू नीचे की तरफ सरका दी थी,,,, जिससे कि उसकी भरपूर जवानी किसी फिल्म. की तरह पर्दे पर नजर आ रही थी। घर पर केवल शुभम और निर्मला ही थे। निर्मला के हाथ में पूरी तरह से मेहंदी लग चुकी थी। तभी शुभम अपने कमरे से निकल कर बाहर आया और बाहर आते ही अपनी मां को बोला।

क्या हुआ मम्मी (इतना कहने के साथ ही उसकी नजर अपनी मां पर पड़ी तो अपनी मां को देख कर उसकी आंखें चौंधिया गई,,, इसमें शुभम का भी कोई कसूर नहीं था यह तो निर्मला तू इतनी खूबसूरत की सादगी में भी सबकी नजरें उसके ऊपर ही टिकी रहती थी और इस समय तो वह कयामत लग रही थी,,,, रेशमी बाल खुले हुए हवा में लहरा रहे थे,,,, काली कजरारी आंखें बार बार पलक झपकने की वजह से ऐसा लग रहा था कि बादल में तारे टिमटिमा रहे हैं,,, कुदरती लाल लाल होंठ हल्के से खुले हुए जिसके बीच में थोड़ा सा सफेद मोतियों सा चमकता दांत नजर आ रहा था। जो आपको निर्मला की खूबसूरती का वर्णन था बाकि जिस तरह से किसी धातु पर सोने का पानी चढ़ा कर उसकी खूबसूरती को और भी ज्यादा निखार मिलाया जाता है उसी तरह से,,, निर्मला की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाले खूबसूरत अंग तो और भी ज्यादा कयामत ढा रहे थे,,,, साड़ी का पल्लू जो कि माथे पर या कंधे पर होने की वजह से औरत की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाती है लेकिन जब यह पल्लू कमर से सरक कर नीचे आ जाए तो,,, खूबसूरती के सांचे में ढाला असली कयामत नजर आने लगता है,,,, यही हाल निर्मला का भी था निर्मला का बजन कितना खूबसूरत था उतना ही कयामत ढाने वाला भी था ब्लाउज के ऊपर के तीनों बटन खुले हुए थे। जिसमें से उसकी आधे से भी ज्यादा चूचियां नजर आ रही थी,,,, और चूचियों के बीच की गहरी लकीर तो अलग ही बखेड़ा खड़े किए हुए थी। गोलाईयों के इर्द-गिर्द ऊपसी हुई ऊपरी सतह गजब का स्तन दर्शन करा रही थी,,,,, कुल मिलाकर निर्मला खूबसूरती,,, आकर्षण और कामोत्तेजना की परिभाषा नजर आ रही थी। शुभम तो बस देखता ही रह गया वह भी भूल गया कि उसकी मां ने उसे बुलाई थी,,, और वह यही पूछने के लिए आया था कि वह क्यों बुला रही है लेकिन वह अपनी मां का रूप रंग देखकर एकदम दंग रह गया था और पूछना ही भूल गया,,,, अपने बेटे को इस तरह से ललचाई आंखों से अपने बदन को घूरता हुआ देखकर निर्मला मन ही मन प्रसन्न होने लगी,,, शुभम अपनी मां के बदन के आकर्षण में पूरी तरह से खो चुका था। निर्मला ही अपने बेटे का ध्यान भंग करते हुए मुस्कुरा कर बोली।
बेटा तुझे तो मालूम ही है की पीतल की शादी की सालगिरह कल ही है,,, इसलिए मैं वहां जाने की तैयारी कर रही थी एक हाथ में तो मेहंदी लगा चुकी हूं( मेहंदी वाले हाथ को शुभम की तरफ बढ़ा कर) लेकिन मेरा सर दुखने लगा है।

मुझ से दूसरे हाथ में मेहंदी लगाई नहीं जाएगी इसलिए तू ही लगा दे,,,,,
( निर्मला की बात सुनकर जैसे होश में आया हो इस तरह से बोला।)

मममममम,,,,, पपपपप,,,, पर मम्मी मुझे तो आता ही नहीं,,,,

अरे मुझे पता है तुझे थोड़ा बहुत आता है,,,,, एक दिन तू ने ही तो मेरे हाथों में लगाया था,,,,, चल अब जल्दी लगा मेरा सर भी दर्द कर रहा है।
( थोड़ा-बहुत शुभम को मेहंदी लगाना आता था इसलिए वह
बिना कुछ बोले वहीं बैठ गया और मेहंदी से अपनी मां के हाथों की खूबसूरती को बढ़ाने लगा,,,,, नरम नरम हाथ को अपने हाथ में पकड़कर शुभम की हालत खराब होने लगी बार-बार मेहंदी लगाते हुए उसकी नजर निर्मला की बड़ी बड़ी चूची ऊपर चली जा रही थी जोकि ब्लाउज में तीन बटन खुले होने की वजह से उसमें समा नहीं रहे थे बाकी के बचे ब्लाउज के बटन चूचियों के वजन की वजह से तन चुके थे,,, ब्लाउज की हालत देख कर ऐसा लग रहा था कि कभी भी ब्लाउज के बटन टूट जाएंगे और उसकी बड़ी-बड़ी दोनों चुचीयां नंगी होकर,,, शुभम की आंखों के सामने तनकर खड़ी हो जाएंगी,,,, शुभम मेहंदी लगाते हुए बराबर अपनी मां की छातियों पर नजर गड़ाए हुए था जोकि निर्मला इस बात से बिल्कुल भी बेखबर नहीं थी वह तो शुभम की इस हरकत से अंदर ही अंदर खुश हो रही थी। कुछ ही देर में उत्तेजना के मारे सुभम का लंड पैंट के अंदर तन कर खड़ा हो गया,,,, चूचियों की गोलाई देखकर ब्लाउज की स्थिति कुछ ठीक नहीं लग रही थी। शुभम तो मन ही मन यही आस लगाए बैठा था कि काश यह ब्लाउज के बटन टूट जाते तो उसकी आंखों को गरमी मिल जाती,,,, निर्मला को भी अपनी बेटी के सामने अपने बदन की नुमाइश करने में बेहद आनंद मिल रहा था।
धीरे धीरे करके निर्मला की पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और यही हाल शुभम का भी था उसका लंड पेंट में तंबू बनाए हुए था।
दोनों के बदन में उत्तेजना की काम लहर पूरी तरह से छा चुकी थी। अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव करते हुए और अपनी आंखों को अपनी मां की खूबसूरत और कामुक बदन को देख कर सेक रहा था। निर्मला के दोनों हाथों में मेहंदी लग चुकी थी,,,,

बस मम्मी देखो तो अब मैं भी कैसी लगी है। ( शुभम इतना कह कर वहीं बैठा रहा उठा बिल्कुल भी नहीं क्योंकि वह जानता था कि उठने पर उसके पैंट में बना तंबू उसकी मां जरूर देख लेगी,,,, और यही निर्मला भी देखना चाहती थी इसलिए बोली,,,,)

बहुत अच्छा तो लगाया है तूने अच्छा एक काम कर ड्रावर में से बाम लाकर मेरे माथे पर लगा के थोड़ी मालिश कर दे,,,
( दरअसल निर्मला का यह बहाना था वह तो शुभम की पेंट का तंबू देखना चाहती थी अपनी मां की बात सुनकर मैं थोड़ा सा परेशान हो गया था लेकिन क्या करता है बाम कर लगाना भी जरूरी था इसलिए बेमन से वह खड़ा हुआ लेकिन खड़े होकर वह अपने पेंट के तंबू को छिपा ना सका,,,, और जल्दी से ड्रोवर की तरफ बढ़ गया लेकिन निर्मला ने उसके पैंट में बने तंबू को देख ली थी,,, और मन ही मन खुश होने लगी,,,,,
पेंट में बने तंबू को देखकर वह फिर से अपने बेटे के लंड के बारे में कल्पना करने लगी,,,,, कल्पना करते ही उसकी बुर से पानी रिसने लगा,,,, तब तक शुभम ड्रोवर मै से बाम तो नहीं लेकिन विक्स की छोटी डीबिया जरूर ले आया,,,,

मम्मी बाम तो नही मिला लेकीन विक्स ले आया,,
03-31-2020, 03:22 PM,
#42
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कोई बात नहीं इसी को लगा दे थोड़ी बहुत तो राहत मिल ही जाएगी । ( शुभम के पेंट में बने तंबू की तरफ नजर गड़ाते हुए बोली,,,, वह भी अपनी मां की नजर को पहचान गया और झट से कुर्सी के पीछे चला गया,,,, निर्मला के ठीक पीछे शुभम खड़ा था और बीक्स की डिब्बी को खोल रहा था बिक्स की डिब्बी खुल पाती इससे पहले उसके हाथ से छूटकर नीचे की तरफ गिरी,,,, लेकिन वह डिब्बी सीधे जाकर निर्मला के ब्लाउज के बीचों-बीच की पतली गहरी दरार में जाकर फंस गई। यह देख कर तो शुभम परेशान हो गया लेकिन परेशान से ज्यादा वह उत्तेजना का अनुभव करने लगा,,,, जिस जगह ्विक्स की डीबियां गिरीे थी उस जगह को लेकर निर्मला काफी उत्तेजित थी,,, क्योंकि उसके दोनों हाथ में मेहंदी लगी हुई थी,,,, ऐसे मे वह जाहिर तौर पर अपने हाथ से उस डीब्बी को तो निकाल नहीं सकती थी,,,, और शुभम था कि गिरने वाली जगह को देखकर काफी हैरान था ऐसे में वह क्या करे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसकी परेशानी को समझते हुए निर्मला बोली।

अब देख क्या रहा है इसे निकाल तो सही,,,,, मेरे हाथ में मेहंदी लगी है वरना मैं ही निकाल देती,,,,,,

( अपनी मां की बात सुनकर उसके बदन मे उत्तेजना की लहर दौड़नें लगी,, वह तो ना जाने कब से बेताब था अपनी मां की चुचियों को पकड़ने के लिए,,,, और यहां तो उसकी मां खुद ऊसे मौका दे रही थी। भला वह इतना सुनहरा मौका हाथ से कैसे जाने देता,,, वह ठीक अपनी मां के सामने आकर खड़ा हो गया,,, उत्सुकता और उत्तेजना की वजह से उसे इस बात का एहसास भी नहीं हुआ कि उसकी पेंट में तंबू बना हुआ है और उसकी मां की नजर ठीक उसके तंबु पर ही है। वह अपना हाथ अपनी मां की चुचियों की तरफ बढ़ाया लेकिन उसका हाथ कांप रहा था,,, उसकी उंगलियां कांप रही थी जैसे ही वह,,, डिब्बी को लेने के लिए अधिक होने ब्लाउज में हाथ डाला वैसे ही उंगलियों के कंपन की वजह से डिब्बी और अंदर चली गई,,,, ब्लाउज की हालत पहले से ही खराब थी ब्लाउज में जरा सा भी तनाव बढ़ने से ब्लाउज के बटन टूट सकते थे,,,,, इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,,

मम्मी ब्लाउज इतना तना हुआ है कि अगर एक उंगली भी अंदर जाएगी तो हो सकता है ब्लाउज का बटन टूट जाए,,,

नननन नननन,,,, ऐसा बिल्कुल मत करना यह मेरा पसंदीदा ब्लाउज है। एक काम कर ईसके बटन खोल दे तब विक्स की डीब्बी भी मिल जाएगी,,,,
( शुभम तो यही चाहभी रहा था। उसके हाथ में तो जैसे लड्डू आ गए थे उसने एक पल का भी विलंब किए बिना अपने दोनों हाथों की उंगलियों से अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोलने लगा,,,, लेकिन ऊसकी उंगलियां लगातार कांप रही थी यह देखकर निर्मला को मजा आ रहा था। धीरे धीरे करके उसने अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए,,,, सारे बटन खुलते ही ऊसकी बड़ी बड़ी चुचीयां बिल्कुल. नंगी हो गई क्योंकि जानबूझकर उसने आज ब्रा भी नहीं पहनी थी।
शुभम तो अपनी मां की नंगी चूचियों को देखकर एकदम उत्तेजित हो गया,,,, ऊसकी पेंट में बना तंबू और ज्यादा भयानक नजर आने लगा,,, अब विक्स का किसको ख्याल था। वह तो ना जाने कब से नीचे गिर चुकी थी। शुभम अपनी मां की चुचियों को देखे जा रहा था और निर्मला अपने बेटे के पेंट में बने तंबु को देखे जा रही थी। शुभम अपनी मां की चुचियों को हाथों से छूना चाहता था उन्हें हथेली में लेकर दबाना चाहता था,,,, सब कुछ उसकी आंखों के सामने ही था लेकिन फिर भी वह आगे बढ़ने से कतरा रहा था।
तभी निर्मला अपने बेटे के तंबू को देखते हुए बोली,,,,

बेटा अभी तक तुझे राहत नहीं मिला क्या,,,,

मिल तो गई मम्मी,,,,,


तो फिर तेरा खड़ा क्यों है?

कुछ नहीं मम्मी यै तो ऐसे ही,,,

नही ला मुझे दिखा तो,,, तू जल्दी से खोलकर मुझे दिखा ने देखूं तुझे राहत मिली या अभी भी परेशानी है।
( अपनी मां की बात सुनकर थोड़ी तो हिचकिचाहट उसके मन में थी लेकिन फिर भी वह उत्तेजना का अनुभव करते हुए जल्दी से अपने पेंट की बटन खोल कर,,, तुरंत पेंट को जांगो तक कर दिया और अपने खड़े लंड को दिखाने लगा निर्मला नजर भर कर अपने बेटे के लंड को देख पाती उससे पहले ही गाड़ी का होरन बजने लगा शुभम समझ गया कि उसके पापा आ गए हैं उसने जल्दी से पेंट पहन लिया।।
उसकी मां भी जल्दी से बोली,,,
जल्दी से मेरे ब्लाउज के बटन बंद कर तेरे पापा देख लेंगे तो क्या समझेंगे,,,,,
03-31-2020, 03:24 PM,
#43
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अशोक को कमरे में आने से पहले ही जल्दी-जल्दी शुभम ने अपनी मां की कपड़ों को व्यवस्थित कर दिया था,,,, अशोक घर में प्रवेश किया तो उसे जरा सी भी भनक नहीं लग पाई कि कमरे में कुछ देर पहले क्या चल रहा था उसने बस निर्मला के हाथों में लगी मेहंदी को देखा और अपने कमरे में चला गया,,,, अशोक को अपने कमरे में जाते ही निर्मला ने राहत की सांस ली,,,,, लेकिन सारे किए कराए पर पानी फिर गया था। आज दूसरी बार अपने बेटे के लंड को इतने करीब से देखने का शुभ अवसर प्राप्त की थी,,,, जैसे ही शुभम ने अपने हाथ से अपने पेंट को खोलकर नीचे जांघो तक लाया था। और शुभम का खड़ा लंड हवा में लहरा ही रहा था कि गाड़ी का हॉर्न सुनाई दिया और सारे दृश्य पर जैसे परदा सा पड़ गया,,,, शुभम भी काफी उत्तेजित नजर आ रहा था एक तो वैसे ही उस की मां की अस्त व्यस्त कपड़ों की स्थिति के कारण काफी काम उत्तेजना का अनुभव अपने बदन में कर रहा था और करता भी कैसे नहीं,,, क्योंकि निर्मला भी तो यही चाहती थी इसलिए तो वह खुद ही अपने ब्लाउज के दो तीन बटन को अपने हाथों से खोलकर अपनी चूचियों का ज्यादातर हिस्सा बाहर की तरफ दिखा रही थी ताकि शुभम की नजर उस पर पड़ते ही उसके अंदर चुदास का कीड़ा रेंगने लगे। और वैसा हुआ भी शुभम की नजर अपनी मां पर पड़ते ही वह अपने बदन में कामोत्तेजना का अनुभव करने लगा था। ऊपर से उसके नरम नरम हथेली को अपने हाथ से पकड़ कर मेहंदी लगाते हुए जो उन्मादक नजारा देख कर अपनी आंखों के साथ-साथ अपने बदन को भी सेंक. रहा था। वह नजारा उसके बदन में हलचल मचा दिया था। वैसे भी आज पहली बार उसने अपनी मां की नंगी बड़ी बड़ी चूचीयो को देखा था। हालांकि उसने अपनी मां को अब तो काफी बार नंगी देख चुका था लेकिन अपनी मां के बदन के कुछ अनोखे और अनमोल पन्ने खुलने बाकी थे जिसमें से आज एक और अद्भुत और अपने आप में ही प्रचुर कामोत्तेजना का भंडार लिए हुए उत्तेजनात्मक पन्ना खुल चुका था। अपनी मां के बदन के ईस पन्ने के खुलते ही चूची की मनोरम में बनावट उसकी संरचना और गोलाकार रचना को देखकर वह विष्मय में पड़ गया था। उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि वास्तव में चूची का आकार और उसकी गोलाइयां इतनी ज्यादा कामोत्तेजित कर देने वाली होती है कि आदमी का खड़े-खड़े ही पानी निकल जाए। अभी तक तो वह केवल चुचियों के बीच की गहरी नहर के सामान लकीर को देख कर ही उत्तेजित हुआ करता था और उसको लेकर के ना जाने कैसी कल्पनाए कर कर के अपने खड़े लंड को शांत करने की पूरी कोशिश किया करता था।
पहले की ही तरह आज भी उसका नसीब बड़े जोरों पर था उसकी मां के हाथों में मेहंदी लगी हुई थी,,, और विक्स की डिब्बी उसके नसीब के जोर के कारण हीै ऐसी जगह जाकर गिरी थी,,,,,, जिस जगह के बारे में सोच कर ही जांघों के बीच के हथियार में उत्थान आना शुरू हो जाता है।
शुभम यही सोच रहा था कि यह शायद उसके नसीब के जोर से ही हुआ है लेकिन यह नहीं जानता था कि यह सब उसकी मां की ही सोची समझी साजिश थी वह खुद यही चाहती थी कि उसका बेटा उसके बदन को देखकर उत्तेजित हो,,,, और ऐसा हुआ भी था। अपनी मां की नंगी बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर शुभम एकदम हैरान था उसकी खूबसूरती से उसकी आंखें चौंधिया सी गई थी,,,, अपनी मां की चुचियों को देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया था वह अपनी मां की चुचियों को दोनों हाथों से पकड़कर उसे दबाना चाहता था उसे मुंह में भर कर पीना चाहता था। वह ऐसा कर भी सकता था क्योंकि निर्मला भी यही चाहती थी लेकिन शुभम में पहल करने की अभी हिम्मत नहीं थी। वह तों अपनी मां की चुचियों को देखकर ही अपनी उत्तेजना के थर्मामीटर को बढ़ा रहा था। अपने सिर में बिक्स लगवाने के लिए शुभम को बोली थी वह विक्स लगाने की शुरुआत करता इससे पहले ही ऐसा लग रहा था कि सच में कुदरत दोनों पर मेहरबान थी इसलिए तो प्लान में ना होने के बावजूद भी,,, कुछ ऐसा घटित हो गया था कि शुभम को खुद अपने हाथों से ही अपनी मां के ब्लाउज के बाकी बचे बटन को खोलना पड़ रहा था। शुभम तो जैसे उत्तेजना के घोड़े पर सवार हो गया था उसकी सांसे तीव्र गति से टप टपाते हुए दौड़ रही थी। शुभम प्रसन्नता के नाव पर सवार होकर उन्माद की लहरों को चीरता हुआ आगे बढ़ रहा था,,,, उस की उंगलियां अपनी मां के ब्लाउज के बटन पर हरकत कर रही थी और धीरे-धीरे करके उसने ब्लाउज के बाकी बचे बटन को खोल दिया और बटन की खुलते ही,, दोनों फड़फड़ाते हुए कबूतर बाहर आ गए उनको देखकर तो शुभम की आंखें फटी की फटी रह गई,,,, उत्तेजना के मारे निर्मला की दोनों निप्पले तन कर एकदम टाइट हो चुकी थी,,,, शुभम का का मन कर रहा था कि दोनों हाथों में भरकर वह अपनी मां की चुचियों को दबाए. लेकिन ऐसा वह कर. सका। बस हल्के-हल्के उंगलियों का स्पर्श ऊस पर होते ही इतने मात्र से ही वह एकदम प्रसन्न और उत्तेजित हो गया था।
और जैसे ही उसकी मां मैं पेंट को खोलकर अपने लंड को दिखाने के लिए कहीं तो शिवम को लगने लगा था कि आज जरूर कुछ ना कुछ बात आगे बढ़ेगी,,,, और शायद बात आगे भी बढ़ जाती इसलिए तो उसने तुरंत अपनी मां की बात मानते हुए अपनी पेंट को खोलकर नीचे जांघो तक सरका दिया था। खड़े लंड को देख कर उसकी मां की आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई थी। अपने बेटे के तने लंड को देखकर उसकी बुर में पानी आ गया था। वह अपने बेटे के लंड के साथ कुछ कर पाती इससे पहले ही गाड़ी की आवाज सुनकर वह हड़ बड़ा गई थी। उसका पति कहीं यह सब देख ना ले इसलिए उसने शुभम को जल्दी से कपड़े पहनने और उसके ब्लाउज को जल्दी से बंद कर के कपड़ों को व्यवस्थित करने के लिए बोली,,,,,
शुभम भी घबरा गया था लेकिन अपनी मां की चुचियों को पकड़ने की ख्वाहिश ब्लाउज के बटन को बंद करने के साथ ही पूरी होनी लीखी थी इसलिए,,, वह जैसे ही अपनी मां के ब्लाउज के बटन को बंद करने लगा तो उससे ठीक से बटन लग नहीं पा रहा था क्योंकि उसे ब्लाउज के बटन लगाने का अनुभव बिल्कुल भी नहीं था तो निर्मला ने ही उसे चुचीयो को हाथों से पकड़कर ब्लाउज में कैद कर के बटन लगाने को बोली,,,, यह सुनते ही उसे लगने लगा कि चूचियों को पकड़ने की हसरत उसकी पूरी हो जाएगी और ऐसा हुआ भी वह अपनी मां की चुचियों को पकड़कर ब्लाउज में कैद कर के बटन लगा भी दिया और वह जब अपनी मां की चूची को हाथ से पकड़ा था तो उससे रहा नहीं गया और वह कसके के एक बहाने से अपनी मां की चूची को दबा दिया,,,, जैसे ही उसने अपनी मां की चूची को दबाया था वैसे ही निर्मला के मुंह से गर्म सिसकारी निकल गई थी। ऊपर से एकदम साफ और कड़क दिखने वाली सूची अंदर से इतनी रुई की तरह मुलायम होगी इस बात का अंदाजा शुभम को चूची को दबाने पर ही पता चला था। उसका मन तो और कर रहा था उसे कब तक के दबाने का लेकिन क्या करता है कि पापा जी आ गए थे इसलिए उसने जल्दबाजी में चूचियों को दबा कर उसे ब्लाउज में कैद करते हुए जल्दी-जल्दी बटन लगाकर अपनी मां के कपड़ों को व्यवस्थित कर दिया।
यहां पर दोनों के लिए ही बड़ा उत्तेजनात्मक और कामुकता से भरा हुआ था यह नजारा दोनों के मन पर गहरा असर कर गया था।
03-31-2020, 03:24 PM,
#44
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
रात को सोते समय वह मन में यही विचार करके सोई थी कि कल जैसा फिर से उसे सपने में उसका बेटा आ कर जमकर ऊसकी चुदाई करें।,,, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं हां इतना जरूर था कि अपने बेटे का ख्याल करके सोते समय उसकी बुर पानी से सरोबोर हो चुकी थी,,,, बगल में अशोक लेटा हुआ था लेकिन उसके करीब होने से भी कोई फायदा नहीं था। कल उसे परिवार सहित शीतल ने अपने घर पर उसकी शादी की सालगिरह पर बुलाई थी,,,,, वह मन मे सोची की अशोक के कल के प्रोग्राम के बारे में कुछ बात करें हो सकता है बातों बातों में ही उसका मूड बन जाए और उसकी बुर में छोटा ही सही लंड तो नसीब हो,,, निर्मला उससे बात करने के लिए जैसे ही उसकी तरफ नजर घुमाई तो वह निर्मला की तरफ पीठ करके सो चुका था अब उसे जगह पर बात करने का कोई फायदा नहीं था और वैसे भी वह निर्मला के साथ शीतल की सालगिरह पर जाता भी नहीं,,, निर्मला उसकी आदत को जानती थी। वह भी मन मार के सो गई,,,,
तकरीबन 3:00 बजे फिर से वही आदत के अनुसार अशोक ने निर्मला के ऊपर चढ़ कर बिना किसी प्यार के एहसास और संवेदना के बगैर उसकी चुदाई करने लगा,,,, वह ऐसा करना भी नहीं चाहता था वह तो उसे बाथरुम जाने के लिए उठना पड़ा और जब बाथरुम जाकर वापस लौटा तो निर्मला के अस्त व्यस्त कपड़ों को देखकर खास करके गाउन को कमर तक चढ़ जाने की वजह से उसके मदमस्त गोरी बड़ी बड़ी गांड नजर आ रही थी जिसे देखते ही एकदम से चुदवासा हो गया और निर्मला की चुदाई करने लगा,,,, अशोक की चुदाई से निर्मला को कुछ खास मजा नहीं आ रहा था लेकिन यही मौका था अशोक से कल के प्रोग्राम के बारे में बात करने का,,, क्योंकि वह अशोक को बिना बताए जाना भी नहीं चाहती थी क्योंकि ऐसा करने पर अशोक उस पर बेवजह गुस्सा करता,,, इसलिए अशोक जब जोर जोर से धक्के लगा रहा था तभी उसने कल के प्रोग्राम के बारे में उसे बताना शुरू कर दी,,,, लेकिन इस तरह के मौके पर निर्मला की बातें सुनकर अशोक निर्मला पर गुस्सा करने लगा और उसे चोदते हुए साफ-साफ बोल दिया कि तुम्हें जाना हो तो चले जाना मैं नहीं आऊंगा मुझे ऑफिस में बहुत काम है। इतना कहकर अपना काम करके वह फिर से सो गया,,,।
03-31-2020, 03:24 PM,
#45
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
आज निर्मला को शीतल की सालगिरह में जाना था वैसे तो उसने पूरे परिवार सहित उसे आमंत्रित की थी लेकिन वह जानती थी कि अशोक उसके साथ जाने वाला नहीं है। जिसके बारे में उसने चुदवाते समय रात को ही इस बात की पुष्टि करली थी। निर्मला को रह-रहकर अशोक के ऊपर तरस आ जाती थी,,,,,, और गुस्सा भी आता था वह उसे अब कोसते हुए मन ही मन में बड़बड़ आती रहती थी की न जाने कैसा मर्द है कि,,,,, इतनी खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी वह अपनी बीवी पर जरा सा भी ध्यान नहीं देता,,,, इसकी जगह कोई और मर्द होता तो उसे पाकर इतना खुश होता कि दिन-रात उसकी पूजा करता रहता और दुनिया का हर सुख चाहे वह आर्थिक हो या शारीरिक सब कुछ देता।


निर्मला इन सब बातें काम करते वक्त सोच रही थी लेकिन फिर अशोक का ख्याल अपने दिमाग से निकाल कर अपने आप को काम में व्यस्त कर ली। घर का सारा काम निपटा कर ऊसे शीतल की सालगिरह में जाने के लिए तैयार होना था।


शाम के 6:00 बज रहे थे उसे नव बजे तक शीतल के घर पहुंचना था। शुभम को तैयार होने के लिए कहकर वह अपने कमरे में खुद तैयार होने के लिए चली गई। थोड़ी ही देर में शुभम तो तैयार हो चुका था लेकिन निर्मला को तैयार होने में मजा नहीं आ रहा था क्योंकि बिना नहाए कहीं वह जाती नहीं थी,,, इसलिए तैयार होने के पहले उसने सोची की जाकर थोड़ा नहा लुं तब वह फ्रेश भी हो जाएगी और तैयार होने में अच्छा भी लगेगा। ऐसा सोच कर वह बाथरुम की तरफ चल दी उसे आज बहुत अच्छा लग रहा था। किसी भी प्रकार की पार्टी में आना जाना वैसे तो उसे पसंद नहीं था लेकिन आज की बात कुछ और थी कुछ दिनों से उसके सोचने-समझने और देखने के रवैये में जो बदलाव आया था उस बदलाव का असर उसके पहरावे पर साफ तौर पर दिखाई देता था। अब वह इस तरह के कपड़े पहनती थी जिसमें से उसके बदन की झलक दिखाई देती हो खासकर के ब्लाउज,,,,, अब वह डीप गले वाला ही ब्लाउज पहनती थी जिसमें से उसकी आधी चूचियां बाहर को झलकती हुई नजर आती थी और बीच की गहरी लकीर साफ साफ नजर आती थी। ब्लाउज भी बेक लेस जिसमे से उसकी नंगी और चिकनी पीठ भी साफ साफ नजर आती थी।


निर्मला बाथरूम में प्रवेश करते ही अपने बदन से धीरे धीरे कर के सारे कपड़े उतार फेंकी,,, और अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई। बाथरूम में एकदम एकांत पाकर और अपने बदन पर एक भी कपड़ा ना पाकर निर्मला को उत्तेजना का अनुभव होने लगा। वैसे भी प्राकृतिक तौर पर एकांत में जब भी स्त्री या कोई भी पुरुष संपूर्ण नग्नावस्था में होता है तो प्राकृतिक रुप से अपने अंगो से अपने आप ही खेलने लगता है। ऐसा ही कुछ निर्मला के साथ भी हो रहा था एकदम नंगी होकर के उसके दिमाग में भी उत्तेजना का प्रसार होने लगा और अपने हाथों से ही वह अपने बदन को स्पर्श करने लगी,,,, वह अपनी हथेली में अपनी दोनो चुचियों को-लेकर जोर-जोर से दबाते हुए सिसकने लगी। ऐसा करने में उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी और साथ ही उसकी कल्पना में उसका बेटा घूम रहा था इसलिए तो जल्द ही उसकी बुर से नमकीन पानी रिसने लगा। एक हाथ से अपनी चूचियों को दबाते हुए दूसरे हाथ से उसने सावर का नोब घुमा दी,,, और सावर में से ठंडे पानी का झरना फूट पड़ा क्योंकि उसके दिमाग को ठंडा करने लगा लेकिन बदन में जो कामोत्तेजना की गर्मी थी उस गर्मी को पाकर ठंडा पानी भी गर्म होने लगा। धीरे-धीरे करके उसने दूसरी हाथ की उंगली को अपनी बुर में प्रवेश करा दी और उंगली को अंदर बाहर करते हुए अपनी बुर को अपने हाथों से ही चोदने लगी। निर्मला को इस प्रकार से अपने बदन से खेलने में बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी। वह जोर जोर से अपनी उंगली को अपनी बुर में अंदर-बाहर पेलते हुए गरम सिसकारी ले रही थी। निर्मला अपने हाथों से अपनी चूची को पकड़कर उसे थोड़ा सा ऊपर उठा दी और खुद भी अपने चेहरे को नीचे झुका कर चुकी के निप्पल को अपने मुंह में दबाकर चूसने लगी । ऐसा करने में उसे जरा भी दिक्कत पेश नहीं हो रही थी क्योंकि उसकी चूचियों का साइज ही बहुत बड़ा था जो कि आराम से उसके मुंह तक पहुंच रहा था। एक उंगली से अपनी बुर को चोदने के साथ-साथ अपनी चूची को भी अपने ही मुंह से पीने की वजह से उसकी कामोत्तेजना लगातार बढ़ती जा रही थी। उत्तेजना की वजह से उसके बदन में एक अजीब सी कंपन हो रही थी,,,,, खास करके उसकी बड़ी-बड़ी नितंबों में जैसे जैसे वह अपनी उंगली को बुर में जल्दी-जल्दी अंदर बाहर करते हुए चरम सुख के करीब पहुंच रही थी वैसे वैसे उसकी नितंबों की थीरकन और ज्यादा बढ़ती जा रही थी।
और कुछ देर बाद ही उसकी बुर से नमकीन पानी का फव्वारा फूट पड़ा। और गहरी गहरी सांसे लेते हुए वह अपने चरमोत्कर्ष का आनंद लेने लगी वह झड़ चुकी थी,,,, संभोग सुख तो नहीं लेकिन संभोग सुख के बिल्कुल करीब का अनुभव उस ने पा ली थी।वह झड़ने के बाद नहाना शुरु कर दी धीरे-धीरे करके उसने अपने बदन पर साबुन लगा कर अपने बदन की चिकनाई को और ज्यादा बढ़ाने लगी।


पूरे बदन पर साबुन अच्छी तरह से लगाकर वह फिर से सावर के नीचे खड़ी हो गई और सावर का ठंडा पानी उसके बदन पर साबुन के झाग को धोते हुए उस के उजले बदन को और भी ज्यादा खूबसूरत करने लगा। नहाते नहाते सफेद पेशाब लगने का एहसास होने लगा,,,,,


दूसरी तरफ शुभम को भी पेशाब का प्रेशर बढ़ने लगा तो वह बाथरुम की तरफ चल दिया,,,,, बाथरूम के दरवाजे तक पहुंचा तो बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था और अंदर से सावर की आवाज़ आ रही थी इसलिए वह दरवाजे पर ही रुक गया,,, अंदर जरूर उसके मतलब का सामान पूरी तैयारी में है पैसा उसके मन में ख्याल आते ही उसके दिल की धड़कन तेज होने लगी और उसकी नसीब जोरों पर थी क्योंकि उसने देखा तो दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था। जल्दी-जल्दी में निर्मला बाथरूम में तो आ गई थी लेकिन उसने दरवाजा बंद करना भूल गई थी और यही लाभ शुभम को मिलने वाला था। शुभम का दिल जोरो से धड़क रहा था वह धीरे-धीरे हल्का सा दरवाजे को खोलकर अंदर नजर दौड़ाया तो,,,, बाथरूम के अंदर का नजारा देखकर उसके लंड ने ठुनकी लेना शुरु कर दिया। शुभम के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी नजारा भी कुछ इस तरह का ही था निर्मला बाथरुम में संपूर्ण नग्नावस्था में खड़ी होकर नहा रही थी उसकीे बड़ी बड़ी गांड नहाते समय कुछ ज्यादा ही मटक कर रही थी जिसको देखकर शुभम की हालत खराब होने लगी। शुभम की सांसे तीव्र गति से चलने लगी और तुरंत उसके पैंट में तंबू बन गया। यह नजारा ही शुभम को चुदवासा करने के लिए काफी था कि तभी अगला नजारा देख कर उसकी और भी ज्यादा हालत खराब होने लगी निर्मला नहाते नहाते ही पेशाब का प्रेशर बढ़ने की वजह से नीचे बैठ गई,,,,, और सुरसुरा कर पेशाब करने लगी,,,, यह नजारा देखते ही शुभम की सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,, उसका दिमाग एकदम सुन्न हो गया उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन उसकी नजरें अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को देखे जा रही थी और अपनी मां को पेशाब करता हुआ देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था देखते ही देखते निर्मला अपने बेटे की आंखों के सामने ही पेशाब कर लीे लेकिन इस बात का एहसास उसे बिल्कुल भी नहीं हुआ कि दरवाजे पर शुभम खड़ा होकर उसे देख रहा है।
03-31-2020, 03:25 PM,
#46
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला देखते ही देखते पेशाब कार्य को संपूर्ण करके खड़ी हो गई और अपनी मां को खड़ी होता देखकर शुभम समझ गया कि अब उसका यहां खड़ा रहना ठीक नहीं है इसलिए वह झट से अपने कमरे में चला गया।,,,

शुभम बाथरूम का नजारा देखकर एकदम सन्न हो गया था कमरे में आकर अपने बिस्तर पर वाह एक दम शांत होकर बैठ गया था। उसने जो आज देखा था वह बड़ा ही कामोतेजक था उसका पानी निकलते निकलते बचा था।

उसे बैठे-बैठे काफी समय हो गया था। और समय भी निकला जा रहा था उसे लगा कि उसकी मां तैयार हो गई होगी इसलिए सीधे वह अपनी मां के कमरे की तरफ चल दिया कमरे का दरवाजा बंद था। उसने बाहर से अपनी मां को आवाज लगा या।।

मम्मी तैयार हो गई कि नहीं,,,

हां हो रही हूं तू हो गया कि नहीं,,,,,,

हां मैं तो कब से हो गया,,,,,,

अच्छा,,,,, तू अंदर आ जा मैं 10 मिनट में तैयार हो जाती हुं। ( निर्मला की आवाज ऐसी आ रही थी ऐसा लग रहा था कि उसने मुंह में कुछ भरी हो,,,, अपनी मां की बात सुनकर शुभम दरवाजे पर हल्के से हाथ रखा तो दरवाजा अपने आप ही खुल गया और वह सीधे कमरे में घुस गया कमरे में घुसते ही जैसे ही उसकी नजर निर्मला पर पड़ी तो वह फिर से दंग रह गया। निर्मला केवल टावल में खड़ी थी और टावल के किनारी उसने मुंह से दबाकर पकड़ रखी थी,, इसलिए तो उसके मुंह से इस तरह की आवाजें आ रही थी । निर्मला टॉवल भी इस तरह का पहनी हुई थी कि टॉवल उसके जांघों से ऊपर तक ही पहुंच रही थी जो कि वह थोड़ा सा भी अलमारी के ऊपर वाले ड्रावर की तरफ हाथ बढ़ाती तो उसकी बड़ी बड़ी नितंब दिखने लग रही थी। यह देख कर तो शुभम की सांस ही अटक गई थी,,,,ऊसे कुछ सुझा नहीं वह बस आंख पड़े अपनी मां की नग्नता का रसपान करता रहा। निर्मला अलमारी में कुछ खंगाल रही थी वह अपने लिएे कपड़े ढुंढ रही थी लेकिन उसे इतना अच्छी तरह से मालूम था कि जिस तरह से वह खड़ी है उसका बेटा उसके बदन को प्यासी नजरों से घूर रहा होगा। प्रभात जानबूझकर ऊपर वाले ड्राइवर की तरफ हाथ बढ़ा ने लगी क्योंकि उसे इतना अंदाजा लग गया था कि ऐसा करने पर उसकी टावल नीचे से ऊपर की तरफ उठ जा रही थी और उसकी गांड का बहुत ही अच्छा खासा हीस्सा शुभम की आंखों के सामने तैरने लग रहा था। और ऐसा करने में निर्मला को अब बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी। वह अलमारी में से अपनी साड़ियों को बारी-बारी से देखते हुए शुभम की तरफ बिना देखे हुए ही बोली,,,,

शुभम मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं पार्टी में क्या पहन कर जाऊं,,,,,, इतनी सारी साड़ियां है लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
( शुभम की तो हालत खराब थी वह अपनी मां की नंगी बदन को देखकर अब उत्तेजना का अनुभव करते हुए मस्त हुए जा रहा था और उसके पैंट में,,,

शुभम के पेंट में अच्छा कौशल तंबू बन चुका था जो कि कभी भी उसकी मां की आंखों के सामने नजर आ सकता था इस बात से घबराते हुए वह झट से बिस्तर पर बैठ गया। और बोला।)

मम्मी आप कुछ भी पहनो आप पर तो बेहद अच्छी लगेगी,,,,


ऐसा क्यों? ( इस बार वह अपने बेटे की तरफ नजर घुमाकर देखते हुए बोली।)

क्योंकि तुम सुंदर हो इसलिए जो भी पहनोगी अच्छी लगेगी।
( अपने बेटे की मुंह से अपनी तारीफ सुनकर निर्मला को अच्छा लगा वह मुस्कुराते हुए फिर बोली,, लेकिन अभी भी वह टॉवल को अपनी दातों से ही पकड़े हुए थी। )

लेकिन फिर भी तू ही बता कि आज मैं क्या पहनु? ( निर्मला फिर से अपने हाथ को ऊपर की तरफ उठाकर साड़ी को ढूंढने का नाटक करते हुए अपनी गांड शुभम को दिखाने लगी और वह शुभम देखकर एकदम मस्त होने लगा वह तो मन ही मन यही सोच रहा था कि अगर कुछ भी नहीं पहनोगी तो भी चलेगा,,,,,, लेकिन फिर भी वह अपनी पसंद बताते हुए बोला)

मम्मी आप वहां आसमानी रंग की साड़ी पहन लो पार्टी में बहुत अच्छा लगेगा,,,,,
( अपने बेटे की पसंद जानकर निर्मला खुश हुई क्योंकि उसे भी आसमानी रंग की साड़ी भी पहनकर जाने की इच्छा हो रही थी अशोक से तो अब यह सब पूछना मतलब पत्थर पर सिर मारने के बराबर था इसलिए वह अपने बेटे से ही यह पुछ कर संतुष्ट हो रही थी। वहां अलमारी में से आसमानी रंग की साड़ी और उसके मैचिंग का ब्लाउज और पेटीकोट निकाल कर बाहर टेबल पर रख दी। लेकिन शुभम की तो हालत खराब हो रही थी वो जानबूझकर बिस्तर पर बैठ गया था ऐसा ना करता तो,,,,, उसके मन के अंदर क्या चल रहा है यह उसकी मां को देखकर समझते देर नहीं लगती। निर्मला इस हालत में बेहद खूबसूरत और कामुक लग रही थी शुभम अपनी मां को इस अवस्था में सीधे नजर से नहीं देख रहा था बल्कि बार बार नजर तिरछी कर के देख ले रहा था। और यह देखकर निर्मला अंदर ही अंदर खुश हो रही थी अब उसे भी जल्दी तैयार होना था क्योंकि समय काफी हो रहा था।
शुभम तू अपनी नजरें बचा रहा था बार-बार वह मुझे फर्श की तरफ देख नहीं रहा था,,,,, तभी उसकी मां ने जो बोलीे वह सुनकर वह एकदम से सन्न हो गया,,,,,


शुभम मेरी पैंटी तो दे,,,,

( इतना सुनकर शुभम तो सक पका किया वह फटी आंखों से अपनी मां की तरफ देखने लगा कि वह क्या कह रही है। शुभम के चेहरे के हाव भाव को देखकर निर्मला को समझते देर नहीं लगी कि वह शायद उसकी बात को ठीक से समझ नहीं पाया इसलिए वह दुबारा बोली।)

अरे ऐसे क्या देख रहा है मेरी पैंटी पर ही तो तू बैठा है,,,, ला जल्दी दे मै पहनु।
( निर्मला अपने बेटे से इस तरह की बातें करने में बिल्कुल भी हीचकीचा नहीं रही थी। बल्कि उसे तो बहुत मजा आ रहा था। अपनी मां की बात सुनकर शुभम के चेहरे पर घबराहट के भाव नजर आने लगे और वह नजर ए नीचे करके देखा तो वास्तव में वह अपनी मां की पैंटी पर ही बैठा हुआ था। उसने जल्दी से थोड़ा सा बिस्तर पर से उठ कर अपने नीचे से अपनी मां की पैंटी निकालकर अपनी मां की तरफ उछाल दिया,,,,, और निर्मला हवा में उछली हुई पेंटिं को पकड़ने की कोशिश करते हुए उसके मुंह से टावल की किनारी छूट गई और टॉवल अगले ही पल उसके बदन से गिरता हुआ नीचे उसके कदमों में जा गिरा,,,,,आहहहहहह,,,,, एक गरम सिसकारी शुभम के मुंह से निकल गई जब उसने यह नजारा देखा तो,,,,, उसकी मां एक बार फिर उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी हो गई,,,,, उसका गोरा दुधिया बदन ट्यूबलाइट के उजाले में एक बार फिर से चमकने लगा,,,,, शुभम तो आंखें फाड़े अपनी मां को ही देखे जा रहा था। यह देखकर निर्मला मुस्कुराने लगी लेकिन उसने अपने बदन को फिर से टावल उठाकर ढंकने का बिल्कुल भी दरकार नहीं की,,,,, वह शायद यही चाहभी रही थी। इसलिए तो वहां बिना किसी दरकार के अपनी पैंटी को उठाते हुए बोली।


क्या कर रहा है शुभम हाथ में तो दे सकता था। ( निर्मला अपनी पैंटी को उठाकर झटकने लगी,,,,)
03-31-2020, 03:25 PM,
#47
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
ससस,,,, सॉरी मम्मी,,,,,( इतना कहकर वह अपनी नजरें नीचे झुका लिया,,, लेकिन निर्मला अपने बेटे के सामने भी एकदम बिंदास होकर अपनी पैंटी को पहनने लगी। अपनी लंबी लंबी चिकनी गोरी टांगो को पैंटी में डालकर वह धीरे-धीरे सरका कर अपनी जांघो तक ला दी,,,, और इतने पर ही अटका कर एक नजर शुभम पर डाली तो वह तिरछी नजर से उसे ही देख रहा था दोनों की नजरें जब आपस में टकराई तो शुभम शरर्मा कर फिर से नजरें झुका लिया,,,, यह देखकर निर्मला के चेहरे पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,,, निर्मल ने अपनी पैंटी को जांघो तक लाकर जानबूझकर अटका दी थी। ताकि वह उसकी चिकनी और तरोताजा बुर को देख सके लेकिन डर के मारे शुभम नजर उठा कर अपनी मां की जांघों के बीच के उस खूबसूरत द्वार को देख ना सका। यह कसमसाहट उसके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी क्योंकि उसने अब तक अपनी मां के बदन के सारे अंगो को देख चुका था लेकिन वही एक अंग को अभी तक नहीं देख पाया था। बल्कि अभी तो उसके पास पूरा मौका भी था लेकिन ना जाने कौन से डर की वजह से वह आंख उठाकर जांगो के बीच की उस जगह को देख नहीं पाया। निर्मला भी मुस्कुराते हुए पैंटी को पहन ली और पहनने के बाद उसे इधर उधर से खींचकर ठीक से आरामदायक स्थिति में कर ली। अभी तो मात्र उसके बदन पर पैंटी ही चढी़े थी बाकी का पूरा बदन नंगा ही था। लेकिन आज ना जाने निर्मला को कौन सा जुनून सवार था कि अपने बेटे की उपस्थिति में भी शर्माए बिना ही संपूर्ण रूप से नंगी होकर कि अपने कपड़े बदल रही थी। पेंटी पहनने के बाद वह शुभम से बोली,,,,,,

शुभम तेरे पीछे मेरी ब्रा भी है उसे भी दे दे,,,, लेकिन फ़ेंक कर नहीं मेरे हाथ में दे,,,,,
( इस बार ब्रा मांगने पर फिर से शुभम की हालत खराब होने लगी पेंट में लंड पूरी तरह से तंबू बनाए हुए था उसकी हालत फसल खराब हुई जा रही थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि बिना छुए हि आज उसका पानी निकल जाएगा। वह अपने आप को संभालते हुए पीछे हाथ बढ़ाकर बिस्तर पर से ब्रा उठाया जो की बहुत ही मुलायम थी। और खड़े होकर अपनी मां को थमाया लेकिन इस बार वह अपनी उत्तेजना को छिपा ना सका,,,, उसकी मां की नजर उसके पैंट में बने तंबू पर पड़ ही गई और उस तंबू को देखकर निर्मला के बदन में सुरसुराहट सी दौड़ गई। वह मुस्कुराते हुए शुभम के हाथ से ब्रा को लेकर पहनने लगी। वह शुभम की तरफ देखते हुए अपनी चूची को एक एक हाथ से पकड़ कर ब्रा के अंदर कैद करने लगी और शुभम यह नजारे को छुपते छुपाते देखे बिना अपने आप को रोक नहीं पा रहा था। यही सब निर्मला को बहुत ही ज्यादा उत्तेजना का अनुभव करा रहा था और उसे मजा भी बहुत आ रहा था। धीरे धीरे करके ऐसे ही शुभम की उत्तेजना को बढ़ाते और उसे अंदर ही अंदर तड़पाते हुए निर्मला अपने कपड़े पहन ली,,,, आसमानी साड़ी में निर्मला एकदम परी की तरह खूबसूरत लग रही थी जिसको देखकर शुभम की आंखें उसके बदन की खूबसूरती की चमक से चौंधिया सी गई थी। घर से निकलते निकलते वह शुभम पर आखरी बार अपने हुस्न का जलवा बिखेरते हुए बोली,,,,,

शुभम बेटा लगता है मेरे ब्लाउज की डोरी ठीक से बंधी नहीं है तू जरा इसे ठीक से बांध दे तो,,,,
( अपनी मां की यह बात सुनते ही शुभम की उंगलियां तो पहले से ही कांपने लगी,,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा वह धीरे धीरे चलते हुए अपनी मां के करीब आया और उसके पीछे खड़े होकर के धीरे-धीरे ब्लाउज की रेशमी डोेरी को खोलने लगा,,, डोरी को खोलते हुए उसके हाथ कांप रहे थे,,, उसकी उंगलियों के कंपन को निर्मला अपनी पीठ पर साफ महसूस कर रही थी और मन ही मन प्रसन्न भी हो रही थी। अगले ही पल उसने अपने हाथ की उंगलियों का सहारा लेकर ब्लाउज की डोरी को खोल दिया और खोलने के बाद उसे ठीक से बांधते हुए,,, उसमे गीठान मार दिया,,,, चिकनी गोरी पीठ पर ब्लाउज की डोरी कसते ही पीठ की खूबसूरती और भी ज्यादा निखरने लगी। लेकिन तभी उसकी नजर ब्लाउज के साइड से निकली हुई ब्रा के स्ट्रैप पर पड़ी,,,,, उसे देखते ही वह अपनी मां से डरते हुए बोला,,,,

मम्मी आपकी ब्रा की स्ट्रेप बाहर निकली हुई है।

( अपने बेटे की बात सुनकर उसके भी बदन में हलचल सी मच गई,,,, और मुस्कुराते हुए वह बोली।)

कोई बात नहीं बेटा तू उसे अंदर की तरफ कर दें,,,,
( शुभम फिर से अपने कांपते उंगलियों से अपनी मां की ब्रा की स्ट्रेप को ब्लाउज के अंदर की तरफ सरकाने लगा,,, यही सही मौका देखकर निर्मला अपने बेटे की तड़प को और ज्यादा बढ़ाते हुए बोली,,,,)

बेटा लगता है कि तेरे उसमे अभी तक आराम नहीं हुआ है,,,
( शुभम अपनी मां की हर बात को समझ नहीं पाया और उसकी ब्रा की स्ट्रैप को ब्लाउज के अंदर उंगली से सरकाते हुए बोला,,,)

कीसमे,,,,,,,

अरे तेरे लंड में और किसमे,,,, लगता है फिर से तेरे लंड की अच्छे से मालिश करनी पड़ेगी तब जाकर इस में,,, आराम होगा,,,,,

( अपनी मां की मुझे ऐसी खुली बातें सुनते ही शुभम के दिल की धड़कन तेज हो गई और पेंट के अंदर से ही लंड ने सलामी भरना शुरु कर दिया,,,,,, वह अपना बचाव करते हुए बोला,,,)


ननननन,, नननन,,, नही मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है मुझे आराम है,,,( इतना कहने के साथ ही वह ब्रा के स्ट्रैप को ठीक कर दिया,,,,, निर्मला शुभम की तरफ घूमी और अपनी नजर को उसके पैंट में बने तंबू की तरफ घूमाते हुए बोली,,,,)

आराम है तो फिर इतना तना हुआ क्यों है? ( इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर जाने लगे तो शुभम भी पीछे-पीछे अपनी मां के पिछवाड़े को देखता होगा जाने लगा वह अपने मां की इस बात का जवाब नहीं दे पाया,,,, घर से बाहर आते हैं वहां के राज में से गाड़ी बाहर निकालने के लिए गई मौसम खराब हो रहा था हल्की हल्की बारिश होने लगी थी। )

शुभम और निर्मला दोनों घर के बाहर आ गए थे । बाहर का मौसम कुछ कुछ खराब होने लगा था हल्की हल्की बारिश हो रही थी आसमान में काले बादल पूरी तरह से छा चुके थे,,, ऐसा लग रहा था कि पूरे शहर को अपनी गिरफ्त में कर लिए हो। निर्मला गैराज मैं जा कर गाड़ी स्टार्ट कर के घर के मेन गेट तक लाइ,,, जहां पर शुभम गाड़ी का दरवाजा खोलकर आगे वाली ही सीट पर अपनी मां के करीब बैठ गया।
और निर्मला एक्सीलेटर पर पैर दबाते हुए गाड़ी को गति प्रदान करने लगी। निर्मला के घर से शीतल घर की दूरी तकरीबन 1 घंटे की थी। चारों तरफ घने बादल की वजह से अंधेरा हो गया था,,,,, निर्मला बहुत अच्छे से तैयार हुई थी और वह आज बेहद खूबसूरत और साथ ही बड़ी सेक्सी लग रही थी। वैसे तो वह दूसरे मर्दों के लिए हमेशा से सेक्सी ही थी लेकिन आज सेक्सी शब्द की परिभाषा को पूरी तरह से उसने अपने अंदर उतार ली थी और सेक्सी पन का एहसास उसे खुद भी हो रहा था। इस तरह के कपड़े उसने कभी पहले नहीं पहनेी थी,,, डीप गले का ब्लाउज और वह भी पूरी तरह से बेतलेंस,,, बस एक पतली सी रेशमी डोरी ब्लाउज को बांधने के लिए,,,, और ऊपर से ट्रांसपेरेंट साड़ी जिसमें से छुपाना चाहो तो भी अपने बदन को छुपा नहीं सकते और वैसे भी निर्मला को कुछ छुपाना नहीं था इसलिए तो उसने इस तरह की साडी पहनी हुई थी।
03-31-2020, 03:25 PM,
#48
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला सामान्य गति से ही अपनी गाड़ी को आगे बढ़ा रहे थे वह बहुत ही संभाल कर गाड़ी चलाते थे वह बार-बार शुभम की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रही थी और इस तरह से अपनी मां को मुस्कुराता हुआ देखकर,,,, उसके दिल की घंटियां बजने लगती थी। बार-बार उसे बाथरुम वाला नजारा याद आ जा रहा था,,,, वह अपने नसीब को मन ही मन धंयवाद भी कर रहा था कि अच्छा हुआ था कि उसे इस समय पेशाब लग गई थी और वह बाथरुम की ओर आ गया था वरना इस तरह का अद्भुत और कामुकता से भरा उन्मादक. द्रश्य का लाभ वह कभी भी नहीं ले पाता। का मन ही मन सोच कर उत्तेजित होने लगा कि कितना काम होते देना से भरा हुआ वह नजारा था किस तरह से उसकी मां बाथरूम में अपने पूरे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर नहा रही थी। उस की नंगी चिकनी पीठ और उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड पानी में भीग कर कैसे चमक रही थी। किस तरह से वह खड़ी हो करके नहा रही थी और उसकी गांड मटक रही थी ऊसके गांड की थिरकन देख कर के उसके लंड की हरकत बढ़ने लगी थी। और तो और उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब होने लगी जब उसकी मां नहाते नहाते नीचे बैठ कर पेशाब करने लगी,,,, सच में यह नजारा देख कर तो वह इतना ज्यादा कामोत्तेजित हो गया था कि उसे लगने लगा की कहीं उसका लंड पानी ना छोड़ दे,,,, यह सब उसकी मां के अनजाने में ही हुआ था उसकी मां यह नहीं जानती थी कि शुभम यह सब देख रहा है और अगर वह जान भी लेती तो शायद जो चीज अनजाने में हुई थी वह जानबूझकर उसकी आंखों के सामने निर्मला की जानकारी में ही हो जाती। वह सब पल याद करके उसके लंड के ऐंठन बढ़ने लगी थी।


लेकिन उसे यह नहीं समझ में आ रहा था कि आखिर उसकी मां नग्नावस्था में भी बिना जी जाती उसकी आंखों के सामने क्यों कपड़े बदल रही थी जबकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। उसकी मां इतनी शर्मीली थी कि उसके सामने इस तरह की अर्धनग्न अवस्था में भी नहीं आती थी और आज तो वह उसकी आंखों के सामने ही एकदम बेफिक्र होकर के नग्नावस्था में अपनी पैंटी ब्रा और कपड़े पहन रही थी।


आखिर निर्मला ऐसा क्यों कर रहीे थी यह शुभम के समझ के बाहर हो रहा था। अाखिर उसकी मां उसकी आंखों के सामने ऐसा क्यों कर रही थी,,,, कहीं वो जानबूझकर तो उसे अपना बदन नहीं दिखा रही थी,,,, कभी उसे उसके दोस्तों की कही बात याद आने लगी जब खेल के मैदान में उसका दोस्त बता रहा था कि उसकी सगी भाभी भी उसकी आंखों के सामने इसी तरह की हरकत करती थी नहाने के बाद वह टावल में ही बाहर चली आती थी,,,, तो कभी खुद उसी से ही बाथरुम में ही टावल मांगा करती थी और टावल लेते समय,,
भीे एकदम नग्न अवस्था में ही रहती थी। और अपने देवर को देखकर मुस्कुराती भी थी,,, उसके दोस्त ने यह भी कहा था कि जिस तरह से वह अपना नंगा बदन दिखाती थी,, उसे मोटे ताजे लंड की जरूरत थी,,,, वह अपनी भाभी के इशारे को समझ कर और उसकी जमकर चुदाई कर दिया उसके बाद से वह लगातार अपनी भाभी को रोज यही चोदने लगा,,,,, वह उस दिन साफ-साफ बताया था कि जब औरत इस तरह की हरकत करने लगे तो समझ जाने का कि उसका चुदवाने का मन कर रहा है तभी वह अपना बदन दिखा कर अपनी तरफ आकर्षित कर रही है।


अपने दोस्त की कही बात याद आते हैं शुभम का लंड ठुनकी मारने लगा,,,, वह सोचने लगा कि क्या उसकी मां भी एक दम से चुदवासी हो गई है,,,,,, इसलिए वह उसे अपना नंगा बदन दिखाती है। क्या वह भी यही चाहती है कि उसका ही बेटा उसको ़ चोदे,,,,,, हां बिल्कुल ऐसा ही है तभी तो वह मुझे अपना नंगा बदन दिखा कर मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। और पिछले कुछ दिनों से उसके बर्ताव में भी काफी बदलाव आ गया है कपड़े पहनने का ढंग ही बदल गया है। अगर उसके मन में ऐसा कुछ नहीं होता तो तैयार होते समय जिस तरह से वह केवल टॉवल में ही थी मुझे कमरे में आने को ना कहती,,, और अगर भूल से आ भी गया होता तो,,,, मेरी उपस्थिति में वह एकदम बिंदास होकर कपड़े नहीं बदलती बल्कि मुझसे शर्माती,,, और तो और जिस तरह से उसके बदन से टावल गिर गई थी और वह नंगी हो गई थी,, य,वह झट से टावल उठाकर अपने बदन पर लपेट लेती। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि बेझिझक होकर के उसी तरह से ना तो अपने बदन को छुपाने की रत्ती भर कोशिश ही की और ना ही मुझसे जरा सा भी शरमाई बल्कि,,, बेझिझक होकर मुझसे अपनी पैंटी मांगी,,,,, अगर वह सामान्य होती तो इस तरह की हरकत बिल्कुल भी ना करती क्योंकि इससे पहले उन्होंने अपने पहनने के एक भी कपड़े मुझसे कभी नहीं मांगी,,,, और तो और जिस तरह से वह बार-बार पेंट उतार कर लंड दिखाने की बात कर रही थी इससे साफ़ लगता है कि जरूर उसके दोस्तों की कही बात शत प्रतिशत सच है। जरुर वह एकदम चुदवासी हो गई हैं।
दोस्तों की कही बातें उसकी अंतरात्मा को एकदम झकझोर गई। यह सब उसके लिए बड़ा ही आश्चर्यजनक भी था और उसे प्रसन्न करने वाला भी था। क्योंकि वह सोचने लगा कि अगर सच में कुछ ऐसा है तो उसका काम और भी आसान हो जाएगा,,,, इधर तो ऐसा हाल हो जाएगा कि प्यासे को कुएं के पास जाना ही नहीं पड़ेगा बल्कि कुंआ ही प्यासे के पास चलकर आएगा,,,,, उसका मन प्रसन्नता से भर गया उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि उसका सपना बहुत ही जल्द सच हो जाएगा। उसे लेकिन इस बात से हैरानी भी हो रही थी कि अगर उसके दोस्तों की कही बात सच निकली तो क्या सच में उसकी मां उसेसे चुदवाएगी उसके मोटे ताजे लंड को अपनी बुर मे लेगी,,,, वह तो कल्पना करके ही एकदम मस्त हुए जा रहा था कैसा लगेगा जब उसकी मां अपनी टांगे फैला कर उसका मोटा लंड अपनी बुर में डलवा कर चुदवाएगी,,,,,


क्या सच में इतना मोटा ताजा और लंबा लंड औरत की छोटी सी बुर में घुस जाता है और घुसता है तो उन्हें कैसा लगता है,, यह सब बातें उसे एकदम परेशान किए हुए थी। क्योंकि एक बात तो सत प्रतिशत सच ही थी कि उसने औरतों के हर अंग को लगभग देख ही चूका था,,,,, वह भी अपनी मां का ही लेकिन अभी तक उसने मुख्य केंद्र बिंदु बुर के दर्शन नहीं कर पाया था।


उसके मन में तो लड्डू फूट रहे थे । लेकिन यह बात भी उसके लिए जानना जरूरी था कि क्या सच में वह जैसा सोच रहा है ठीक वैसा ही होगा अगर कहीं उसके दोस्तों की बातें गलत निकली तो और उसकी मां यह सब जानकर कि उसका बेटा उसके बारे में गंदे विचार कर रहा है तो वह क्या सोचेगी,,,,, कहीं सब कुछ उल्टा ना हो जाए यह ख्याल मन में आते ही उसके मन में उदासी छा गई और वह मन ही मन सोचने लगा कि कैसे भी है वह हो वह अपनी मां के मन की बात को जरूर जान कर रहेगा।

बाहर का मौसम धीरे धीरे बिगड़े नहीं लगा था हल्की हल्की हो रही बारिश अब थोड़ा तेज हो चुकी थी। अपने बेटे को किसी ख्यालों में खोया हुआ देखकर निर्मला बोली,,,,

क्या हुआ बेटा तू इतना उदास क्यों है क्या सोच रहा है?

कुछ नहीं मम्मी मैं आपके ही बारे में सोच रहा था। ( उसके मुंह से एकाएक निकल गया उसे समझ में नहीं आया कि वह क्या बोले अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला मुस्कुरा दी और वह मुस्कुराते हुए बोली।)

मेरे बारे में,,,,,, मेरे बारे में ऐसी कौन सी बात तो सोच रहा है कि एकदम गहराई में डूब गया,,,,,,


यही मम्मी कि मैंने आपको और पापा को एक साथ कहीं भी आते जाते लगभग नहीं देखा ना तो किसी शादी में आप दोनों साथ में जाते हैं ना किसी की पार्टी में और ना ही कभी मार्केट ही जाते हैं। मुझे यह सब बड़ा अजीब लगता है दूसरों के मम्मी पापा हमेशा साथ में घूमते फिरते रहते हैं हंसते बोलते रहते हैं लेकिन मेरे पापा इस तरह से क्यों करते हैं। ( शुभम बात को संभालते हुए एक ही सा में सब कुछ बोल गया,,,
अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला को भी हैरानी हुई कि आज वह ऐसा क्यों पूछ रहा है। इसलिए वह बोली।)

तू ऐसा क्यों पूछ रहा है?

इसलिए मैं पूछ रहा हूं कि आज देखो ना पापा को हमारे साथ आना चाहिए था ।लेकिन वह नहीं आए क्या आपने उन्हें बताया था।

हां बेटा,,,,, मैंने तो तुम्हारे पापा को साथ में आने के लिए बोली थी। ( निर्मला गहरी सांस लेते हुए बोली) लेकिन उन्हें मुझसे ना जाने कौनसी दुश्मनी है कि मेरे साथ कहीं भी आना जाना पसंद नहीं करते। ( गाड़ी का स्टेयरिंग हल्के हल्के घुमाते हुए बोली।)

लेकिन ऐसा क्यों है मम्मी?

पता नहीं बेटा ऐसा क्यों है!


मम्मी,,, पापा का यह व्यवहार मुझे तो बिल्कुल भी समझ में नहीं आता।


बेटा इतने सालों में तो मैं तेरे पापा के व्यवहार को नहीं समझ पा रही तो तू कहां से समझ पाएगा,,,,( वह शुभम की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए बोली। कुछ देर तक शांति छाई रही लेडीज परफ्यूम के साथ निर्मला के बदन की मादक खुशबू भी कार में उत्तेजना जगा रही थी। )
03-31-2020, 03:25 PM,
#49
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कार में लेडीज परफ्यूम की खुशबू के साथ-साथ निर्मला के खूबसूरत बदन की मादक खुशबू भी फैली हुई थी। धीरे धीरे बारिश का जोर बढ़ता जा रहा था निर्मला हमेशा से बड़ी ही सावधानी के साथ धीमी गति से ही गाड़ी चलाती थी। कुछ देर तक दोनों खामोश थी बैठे रहे शुभम ही खामोशी को तोड़ते हुए बोला।

मम्मी पापा आपसे प्यार तो करते हैं ना!

क्यों ऐसा क्यों पूछ रहे हो? ( निर्मला मुस्कुराते हुए बोली)

नहीं ऐसे ही,,,,,


ऐसे ही कैसे कुछ तो बात है तभी तुम ईस तरह से पूछ रहे हो।


मम्मी,,,,,,,,,,, पापा हम लोगों के साथ ज्यादा समय नहीं बिताते,,,,,,,, हमेशा जब देखो बिजनेस,,, बिजनेस,,,, बिजनेस,,
इसलिए मैं ऐसा पूछ रहा हूं।

तुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तेरे पापा मुझसे प्यार नहीं करते ओर तुझे यह सब प्यार वार के बारे में कैसे मालूम,,,,,,,


मम्मी मे अब बड़ा हो गया है थोड़ा बहुत तो मुझे भी समझ में आता ही है,,,,,
( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला को थोड़ी हैरानी हुई लेकिन ऊसे अच्छा भी लगा यह सुनकर कि उसका बेटा बड़ा हो गया है । तभी तो उसका हथियार भी इतना जानदार हो गया था। निर्मला मुस्कुराते हुए बोली,,,,,।)

अच्छा तू अब बड़ा हो गया है,,,,,, कहीं तुझे तो प्यार व्यार नहीं हो गया,,,


नहीं मम्मी मुझे यह सब मैं बिल्कुल भी इंट्रेस्ट नहीं है,,,,,,( शुभम शरमाते हुए बोला।)

अरे अभी तो तूने ही कहा कि अब तु बड़ा हो गया और अब कह रहा है कि मुझे ईसमें इंटरेस्ट नहीं है। ऐसा क्यों क्या तुझे लड़कीयां अच्छी नहीं लगती। ( निर्मला बड़े ही सहज भाव से शुभम से बोली धीरे-धीरे वह अब खुलने लगी थी,,,, वह बातचीत के जरिए अपने बेटे के मन की बात को जानना चाहती थी ऊसे अब अच्छा लगने लगा था,,,, लेकिन शुभम अपनी मां की बात को सुनकर थोड़ा परेशान सा हो गया था कि वह निर्मला के सवाल का क्या जवाब दें क्योंकि आज तक सच में उसे प्यार व्यार का मतलब ही नहीं मालूम था लेकिन तभी उसे अपने दोस्त की बात याद आ गई जो कि उस दिन बता रहा था कि जिस तरह के सवाल निर्मला पूछ रही थी वैसे ही सवाल उसकी भाभी उससे पूछ रही थी,,,, जो कि ऐसे सवालों का मतलब साफ होता है कि औरत धीरे धीरे खुल रही है या तो इस तरह के सवाल पूछ कर सामने वाले की झिझक को खत्म करना चाहती है। उसका दोस्त तो अपनी भाभी के सवालों का सीधा सीधा और थोड़ा मिर्च मसाला लगाकर जवाब देता था जिसकी वजह से वह अपनी भाभी के साथ संभोग सुख का मजा ले पाया,, अपने दोस्त की बात याद है आते हैं उसके बदन में झुनझुनी सी फैल गई.
कुछ देर तक अपने बेटे को किसी ख्यालों में डूबा देखकर निर्मला फिर बोली।)

क्या हुआ बेटा क्या सोच रहा है।

कुछ नहीं मम्मी आपके सवाल के बारे में ही सोच रहा हूं।

मैंने ऐसा क्या पूछ ली जो तू इतना सोच रहा है । (निर्मला मुस्कुराते हुए बोली,,, निर्मला को मुस्कुराते हुए देखकर शुभम के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ जा रही थी अपनी मां की गुलाबी होठों को देखकर उसके बदन में झुनझुनी का एहसास हो रहा था। तेज चल रही हवा की वजह से निर्मला की बालों की लटे उसके गालों पर घूम जा रहीे थी,,, शुभम अपनी मां की खूबसूरती को अपनी आंखों से पीता हुआ बोला।)


तो क्या करूं मम्मी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है की क्या बोलूं,,,, मुझे तो यह भी नहीं मालूम कि प्यार कैसे किया जाता है क्या करते हैं प्यार में आपको मालूम है क्या,,,,,, ( शुभम बड़ी चालाकी से जवाब देता हुआ बोला वह भी अपने दोस्त की बताई हुई बात पर चलते हुए बातों ही बातों में बहुत कुछ जान लेना चाहता था और बोल भी देना चाहता था।)

ममममम,,,, मुझे,,,, मुझे क्या मालूम,,,,,( निर्मला अपने बेटे के इस सवाल पर शक पकाते हुए बोली।)

अरे भला आपको कैसे नहीं मालूम हो सकता है,,,,, आप तो इतनी बड़ी है आप भी तो पापा से प्यार की होंगी पापा ने भी आपसे प्यार किए होंगे,,,, तो आपको तो पता ही होगा,,,,,, बताओ ना मम्मी प्लीज,,,, ( शुभम अपनी मम्मी से आग्रह करते हुए बोला वह अपनी मम्मी के मन की बात जानना चाहता था बात करते हुए भी उसकी निगाह बार-बार अपनी मम्मी के बदन पर चारों तरफ घूम रही थी और इस बात का एहसास निर्मला को अच्छी तरह से हो रहा था लेकिन निर्मला को भी अपने बेटे की इस ताक झांक में बड़ा ही आनंद मिल रहा था। अपने बेटे की इस बात पर निर्मला थोड़ी परेशान जरूर हुई लेकिन वह भी शायद यही चाहती थी। धीरे-धीरे बातों के जरिए आपस में दोनों खुलना चाहते थे। )

बेटा यह सब बताने की चीज थोड़ी है तो अपने आप ही हो जाता है और उम्र के साथ साथ प्यार करना भी इंसान सीख जाता है तुझे भी तो तेरे दोस्तों ने कुछ ना कुछ तो बताया ही होगा,,,, क्योंकि इस मामले में दोस्त ही एक शिक्षक की तरह होता है जो कि अपने दोस्त को इन सब बातों के बारे में बताता है। हां मैंने भी तेरे पापा से प्यार की थी। लेकिन उनके व्यवहार के कारण अब मेरा दिल टूट गया,,,,,, लेकिन तेरे दोस्त भी तो मुझे कुछ बताते ही होंगे ऊनसे तू कुछ तो सीखा होगा,,,,
( शुभम अब अपनी मां के सवाल का जवाब क्या देते क्यों बताता वह अपनी मां को उसके दोस्त सिर्फ चुदाई के बारे में ही बातें करते हैं। एक दूसरे की मां के बारे में गंदी बातें करते हैं कोई अपनी मां को चोद चुका है तो कोई अपनी भाभी को और कोई एक दूसरे की मां को चोदना चाहते हैं। यह सब बातें उसके दोस्त करते थे क्योंकि वह अपनी मां को
नहीं बता सकता था। लेकिन जिस तरह से उसकी मां जिद कर रही थी वह सोचने लगा कि अगर वह सच में बता दे तो वास्तव में उसकी मां की मन में क्या चल रहा है वह साफ तौर पर जाहिर हो जाएगा,,, अगर उसकी मां बात को सुनकर गुस्सा करे तो समझो उसके मन में जरा भी गंदगी नहीं है और अगर गुस्सा ना करें तो जरूर कुछ ना कुछ उसके मन छिपा हुआ है।,,,,, वो अभी सोच ही रहा था कि बारिश का जोर बढ़ने लगा अब तो बादलों की गड़गड़ाहट भी बढ़ने लगी। मौसम का मिजाज देख कर निर्मला को थोड़ी चिंता होने लगी अभी शीतल का घर काफी दूर था। वैसे तो अगर तेजी से कार दौड़ाती तो 1 घंटे मे हीं पहुंच जाती लेकिन आराम से चलाने की आदत की वजह से काफी समय हो गया था अंधेरा छा चुका था हाईवे पर स्ट्रीट लाइट जल चुकी थी लेकिन तेज वर्षा के जोर के कारण कुछ साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था। गाड़ी के हेडलाइट की रोशनी में भी ज्यादा दूर तक देखा नहीं जा रहा था। मौसम पूरी तरह से बिगड़ चुका था। ऐसे हालात में निर्मला के लिए गाड़ी चलाना उचित नहीं था यह बात वह खुद भी जानती थी। बार बार आसमान में हो रही बादलों की गड़गड़ाहट से वह घबरा जा रही थी।

एक तरफ उसके मन में घबराहट भी हो रही थी और एक तरफ वह अपने बेटे के मुंह से यह सुनना चाहती थी कि उसके दोस्त प्यार व्यार कि किस तरह की बातें उससे करते हैं।,,,, शुभम को भी लगने लगा था कि यही मौका ठीक है वह भी सब कुछ खुलकर बता देगा हो सकता है उसके लिए भी मस्ती के दरवाजे खुल जाए। वह भी मौसम का मिजाज देख कर थोड़ा सा घबरा रहा था। आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ने लगी थी। निर्मला बड़े ही धीमी गति से कार को आगे बढ़ा रही थी,,, क्योंकि दो मीटर से ज्यादा की दूरी ठीक से नजर ही नहीं आ रही थी। तेज हवा के साथ साथ तेज बारिश हो रही थी जिसकी वजह से सब कुछ धुंधला धुंधला सा नजर आ रहा था। निर्मला को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह शीतल के घर तक पहुंचेगी कैसे पार्टी भी शुरू हो गई होगी यह सब सोचकर वह बड़ी चिंतित नजर आने लगी। कुछ देर पहले बड़ा ही रोमांटिक माहौल के बीच उसके मन में शुभम के हालात को जानने की बड़ी ही उत्सुकता थी लेकिन अब मौसम का मिजाज देख कर वह चिंतित हो गई थी। ऐसे खराब मौसम में उसने कभी भी गाड़ी नहीं चलाई थी इसलिए उसके चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी। काफी देर से दोनों के बीच में खामोशी छाई रही क्योंकि सुबह मैं इस बात का इंतजार कर रहा था कि उसकी मां फिर से उसे ज़ोर देकर पूछे और वहां धीरे धीरे सब कुछ बता दे,, ताकि उसे भी ठीक तरह से पता चले कि उसकी मम्मी के मन में क्या चल रहा है।वह बार बार उसके सामने अपने अंको का प्रदर्शन लगभग नग्नावस्था में क्यों कर रही है आखिर वह चाहती क्या है? और दूसरी तरफ निर्मला की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी जबसे शुभम उसके सपने में आकर उसकी जबरदस्ती चुदाई करके गया है तब से वह यही चाहती थी कि उसका यह सपना हकीकत में बदल जाए,,, और वह जिस सुख का अनुभव सपने में भी करके एक दम मस्त हो गई थी उसे हकीकत में करके किस तरह का आनंद की अनुभूति होती है उस अनुभूति का अनुभव करना चाहती थी । निर्मला का मन और दिमाग दोनों अब वासना के वशीभूत हो चुके थे।, संभोग सुख प्राप्त करने की प्रबल भावना उसके मन में प्रजव्लित हो चुकी थी।
बरसात अपने पूरे जोर पर था हवा की जगह अब आंधीे चलने लगी थी। गाड़ी में तेज बौछार आ रही थी इसलिए निर्मला ने दोनों तरफ के कांच को बंद कर दी। निर्मला आज मौसम के मिजाज को देखते हुए अच्छी तरह से समझ गई थी कि ऊससे ड्राइविंग कर पाना बड़ा मुश्किल होगा।
ऐसे हालात में शीतल के घर पहुंच पाना बहुत मुश्किल सा हो गया था।
निर्मला के मन में यही सब चल रहा था कि तभी उसने अपनी गाड़ी को एका एक बहुत जोर से ब्रेक मारी,,,, जोर से ब्रेक मारते ही,,,,,,चीईईईईईई,,,,, की जबरदस्त आवाज के साथ ही गाड़ी अपनी जगह पर ही रुक गई गाड़ी रुकते ही निर्मला की जान में जान आए क्योंकि अगर वह ऐसा नहीं करती तो सामने वाली कार से टक्कर हो जाती जोकि तेज बारिश और हवा की वजह से ठीक से दिखाई नहीं दे रही थी,,,,,,,,

मम्मी लगता है कि गाड़ी चला पाना आसान नहीं होगा (शुभम तेज बारिश को देखते हुए बोला।)

मैं भी यही सोच रही हूं बेटा समय भी काफी हो गया है अब शीतल के घर भी पहुंच नहीं पाएंगे वहां तो पार्टी शुरू हो गई होगी। और इतनी तेज बारिश और हवा की वजह से ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा है,,,,, देखा नहीं तूने अगर ठीक समय पर ब्रेक नहीं मारी होती तो गाड़ी की टक्कर हो जाती ।

गाड़ी को इस तरह से हाईवे पर खड़ी भी नहीं रह सकते जिस तरह से हमें दिखाई नहीं दिया उस तरह से दूसरे गाड़ी वालों को भी इतना नहीं दिख रहा होगा ऐसे में टक्कर होने का डर बना रहेगा।


तो अब क्या करें मम्मी,,,,,( शुभम चिंतित स्वर में बोला।)

रुक जा कुछ सोचती हूं,,,,,,,,
( इतना कहकर निर्मला इधर-उधर नजर दौड़ाने लगी,,,, उसकी बात भी सही थी हाईवे पर गाड़ी खड़ी करने का मतलब था किसी भी गाड़ी का टक्कर होना मुमकिन था,,,,
निर्मला इधर उधर नजर दौड़ा कर सेफ जगह ढूंढ रही थी कि तभी उसे हाईवे के बगल में ही एक खाली जगह नजर आई,,,
निर्मला धीरे-धीरे गाड़ी को आगे बढ़ाते हुए हाईवे से नीचे गाड़ी को उतारने लगी और अगले ही पल निर्मला हाईवे से नीचे गाड़ी उतार कर एक घने पेड़ के नीचे गाड़ी को खड़ी कर दी,,,, यहां लंबी लंबी घास भी हुई थी चारों तरफ घने पेड़ पौधे भी लगे हुए थे जिसकी वजह से गाड़ी ठीक से नजर भी नहीं आती और यह जगह सुरक्षित भी थी। बरसात अभी भी जोरो से बरस रही थी। गाड़ी को खड़े होते ही शुभम बोला।


यह कहां ले आई मम्मी यहां पर चारों तरफ लंबी लंबी ऊंची घासे है। और यहां से अब तो हाईवे भी ठीक से नहीं नजर आ रहा है।


हां तो यही जगह तो एकदम सुरक्षित है। जहां पर रुक कर हम लोग बारिश थमने का इंतजार करेंगे और बारिश के कम होते ही यहां से चले जाएंगे तब तक के लिए हमें यहीं रुकना पड़ेगा ऐसे हालात में हाईवे पर रुकना भी ठीक नहीं है। ( निर्मला शुभम को समझाते हुए बोली।)

ठीक है मम्मी लेकिन बारिश को देख कर लगता नहीं है कि बारिश इतनी जल्दी बंद हो जाएगी और अब तो हम लोग पार्टी में भी नहीं पहुंच पाएंगे,,,, शीतल मैडम खामखा नाराज होंगी,,,,


नहीं नाराज होंगे आंखें तुंहें भी तो पता ही होगा कि बारिश बहुत तेज पड़ रही है अच्छा रुकने उसे फोन करके बोल देती हूं।
( इतना कहने के बाद निर्मला अपनी पत्नी से मोबाइल निकाल कर शीतल का नंबर डायल करने लगे लेकिन तेज बारिश की वजह से नेटवर्क ही नहीं मिल पा रहा था तीन चार बार ट्राई करने के बाद हैरान होकर वाह मोबाइल को फिर से पर्स में रखते हुए बोली।)
धत तेरे की नेटवर्क ही नहीं मिल रहा,,,,

सारा मजा किरकिरा हो गया मम्मी,,,,, पूरा प्लान चौपट हो गया,,, तुम कितनी अच्छी तरह से तैयार हुई थी पार्टी में जाने के लिए लेकिन तुम्हारा मूड भी ऑफ हो गया होगा,,,।
03-31-2020, 03:26 PM,
#50
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
हां सो तो है लेकिन मौसम के आगे कर भी क्या सकते हैं।
( निर्मला और शुभम दोनों का मूड ऑफ हो गया था क्योंकि दोनों के बीच बड़े ही अच्छी तरीके से वार्तालाप हो रहे थे और यह वार्तालाप धीरे धीरे गर्माहट का अंदेशा लिए आगे बढ़ रही थी लेकिन मौसम की वजह से सारा मजा किरकिरा हो चुका था। गाड़ी का कांच बंद होने की वजह से परफ्यूम और निर्मला के बदन की मादक खुशबू का मिलाजुला बेहद मादक सुगंध पूरी गाड़ी में बड़ी तीव्रता के साथ अपना असर दिखा रही थी। शुभम को परफ्यूम की खुशबू से ज्यादा बेहतर और उत्तेजनात्मक खुशबू उसकी मां के बदन से आ रही सुगंधित खुशबू लग रही थी । दोनों के बीच फिर से खामोशी छाई रहीं निर्मला स्टेयरिंग पर अपना हाथ रख कर शुभम की ही तरफ देखे जा रही थी धीरे-धीरे निर्मला के बदन में वासना की गर्मी फैलती जा रही थी। शुभम का खूबसूरत चेहरा निर्मला को ऊन्मादित कर रहा था,,,, शुभम का गठीला बदन निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर फैला रहा था।
वैसे देखा जाए तो हालातों पर माहौल का भी गहरा असर पड़ता है और मौसम का मिजाज जरूर थोड़ा सा खराब था लेकिन जितना खराब था ऊतना ही एक औरत एक मर्द के लिए बेहद रोमांटिक और उत्तेजनात्मक भी था । और इस समय कार में भले ही एक मां और एक बेटा बैठा हुआ था लेकिन इस तरह के बरसाती मौसम में और वह भी हाइवे के किनारे सुनसान जगह पर और एक बंद कार में,,, यह हालात ओर एकांत किसी भी पवित्र रिश्ते चाहे वह कैसा भी हो चाहे भाई-बहन का हो या फिर मां-बेटे का हो,,,,, उनके बीच का पवित्र रिश्ते की डोरी टूट कर बिखर जाती है केवल उनके बीच रिश्ता रह जाता है तो सिर्फ एक मर्द और एक औरत का । और आज जिस तरह का एकांत और मौसम का साथ शुभम और निर्मला को मिला था और दोनों के अंदर जो काम भावना एक दूसरे के बदन को देखकर प्रज्वलित हो चुकी थी उससे यही लग रहा था कि आज की रात इन दोनों के पवित्र रिश्ते के बीच की मर्यादा की डोऱ संस्कारों की डोर टूट कर तार-तार हो जाएगी। इसलिए तो इस तरह के बरसाती माहौल में एकदम सुनसान जगह पर एकांत पाकर अपने बेटे को एकटक निहारते हुए मुस्कुरा रहीे थी,,, शुभम अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर बोला।


क्या मम्मी तो सारा मजा किरकिरा हो गया पार्टी में जा नहीं पाए और तुम हो कि इस तरह से हंस रही हो,,,,,
,,,
अब हंसो नहीं तो क्या करूं ,,,,,, वैसे एक बात कहूं जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है।( निर्मला मुस्कुराते हुए बोली।)


क्या खाक जो भी होता है अच्छे के लिए होता है इतनी तूफानी बारिश मे हमें इस तरह से हाइवे के किनारे सुनसान जगह पर रुकना पड़ा यह क्या अच्छा हो रहा है।


हां बेटा जो भी होता है अच्छे के लिए होता है तू इस तरह से उदास मत हो हम दोनों इसी जगह पर पार्टी मनाएंगे बस,, मैं हूं ना तू चिंता मत कर,,,,,

( निर्मला की बात शुभम को अजीब लग रही थी आखिर ईस जगह पर कैसे पार्टी मनाएंगे,,,,,।)


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