Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:41 PM,
#81
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम जैसे ही अपनी नानी के चरण स्पर्श किया वैसे ही उसकी नानी अपने नाती के अच्छे और संस्कारी व्यवहार को देखकर एकदम से गदगद हो गई और झट से उसे उठाकर अपने गले लगा ली,,,,

जीते रहो बेटा मुझे तुमसे यही उम्मीद थी वरना आजकल के छोकरे तो अपने बड़ों से ठीक से बात तक नहीं करते,,,,,( इतना कहते हुए वह अपने चश्मे को ठीक से व्यवस्थित करते हुए शुभम की तरफ ऊपर से नीचे देखकर बोली,,,)

सच में निर्मला शुभम को एकदम जवान हो गया है अब यह बिल्कुल भी बच्चा नहीं रहा,,,,,, और हां मैं इतनी देर से घंटी बजा रही थी तो तू क्या कर रहा था तुझे तो आकर झट़ से दरवाजा खोलना था,,,,।
( अपनी नानी के इस सवाल का वह जवाब नहीं दे पा रहा था वह अपनी मां की तरफ देखने लगा तो निर्मला ही बात को संभालते हुए बोली।)

अरे मम्मी इसके फाइनल एग्जाम आने वाले हैं ना तो उसी से विषय में तैयारी कर रहा था इसलिए उसे पता नहीं चला,,,,
( निर्मला बात को संभालते हुए बहाना बना दी थी जिस पर उसकी मम्मी को विश्वास भी हो गया था,,,, अब वह अपनी मां से सच्चाई तो बता नहीं सकती थी कि उनका नाती उनकी बेटी को जमकर चोद रहा था,,,, और उनकी बेटी को चुदवाने में इतना मजा आ रहा था कि वह जान बूझकर दरवाजा नहीं खोली,,,,)


चल अच्छा ठीक है,,,, मेरा बैग घर मे ले आ,,,
( शुभम की नानी आगे-आगे जाने लगी और निर्मला ने बेटे की तरफ विजयी मुस्कान बिखेरते हुए कमरे में जाने लगी,,, पीछे पीछे शुभम भी अपनी मां की गदराई गांड को मटकते हुए देखकर जाने लगा जिसको कुछ देर पहले ही जमकर रौंद रहा था।
घर में आते ही निर्मला की मम्मी कुर्सी पर बैठ कर पंखे की ठंडी हवा खाने लगी तब जाकर उन्हें थोड़ा सुकून मिला,,,,,, बातचीत का दौर शुरु हो चुका था निर्मला अपनी मम्मी से हंस-हंसकर बातें कर रही थी शुभम भी अपनी नानी को पाकर खुश था क्योंकि जब भी वह आती थी तो कुछ ना कुछ उसके लिए जरूर लाती थी। वैसे भी शुभम की नानी आज काफी महीनों बाद घर आई थी इसलिए तीनों कुछ ज्यादा ही प्रसन्न नजर आ रहे थे,,,,,, बातों ही बातों में पता चला कि शुभम की नानी आंख का इलाज करने आई हुई है। दरवाजे पर लगातार बज रही घंटी की आवाज को नजरअंदाज करते हुए कुछ देर पहले निर्मला अपने बेटे से चुदाई का अद्भुत आनंद लेते हुए सब कुछ भूल चुकी थी और दरवाजा खोलने की अफरा तफरी में अपनी मां को घर आया देखकर वह इस बात को बिल्कुल भी भूल चुकी थी कि,,,, सुभम उसके साथ पूरी तरह से खुल चुका था क्योंकि वह शुभम से सारी बातें करके उसे समझा ली थी और अब तो उसके लिए सारे रास्ते खुल चुके थे,,,, वह शुभम के साथ अब घर में चाहे जब किसी भी समय अशोक की गैरहाजिरी में चुदाई का सुख ले सकती थी और उसे इस बात की खुशी भी थी लेकिन जल्द ही उसका यह नशा काफूर हो गया क्योंकि उसकी मम्मी उसके घर पर आंखों का इलाज कराने आई थी,,,, जिसमें दस पंद्रह दिन लग सकते थे और इसीलिए जल्दी उसका प्रसन्नता से भरा हुआ चेहरा उदास हो गया। इस बात को शायद शुभम भी अच्छी तरह से समझ गया था कि उसकी आजादी पर कुछ दिन के लिए विराम लग चुका था इसलिए वह भी अपनी नानी के आने से अब खुश नजर नहीं आ रहा था। दोनों एक दूसरे की तरफ देखकर आंखों ही आंखों में अपनी उदास पन का इजहार कर दिए,,,,, अब शुभम और निर्मला के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था आज पहली बार निर्मला को अपनी मां का इस तरह से घर पर आना बहुत ही बुरा लग रहा था। दोनों की आजादी छीन चुकी थी दोनों को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे कुछ देर पहले उनके बदन में पर लग गए होैं और अभी उड़ने का मजा लिया भी नहीं था कि उनके पर को किसी ने जबरदस्ती नोच लिया हो,,,,, शुभम की नानी हंस हंस कर बोले जा रही थी लेकिन अब उनकी बातों को दोनों के कान सुनने से इंकार कर रहे थे। तभी इस बात का एहसास दिलाते हुए शुभम की नानी बोली।

क्या बात है तुम दोनों मेरी बात का कोई जवाब नहीं दे रहे हो और ना ही खुश नजर आ रहे हो कहीं ऐसा तो नहीं तुम लोगों को मेरा आना अच्छा नहीं लगा।


अरे नहीं नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैं आपको बता ही ना कि मेरे सर में थोड़ा सा दर्द है इसलिए और वैसे भी शुभम भी काफी परेशान है एग्जाम को लेकर के,,,, वैसे मम्मी घर पर सब कुछ ठीक है ना पापा कहते हैं भाभी कैसी हैं भैया और बच्चे,,,,,,,


अरे सब मजे में हैं वह लोग तो तुम लोगों के आने का इंतजार करते रहते हैं लेकिन तुम लोगों को इस शहरी जीवन से जरा भी फुर्सत मिले तब ना गांव का रुख करो,,,,,,,

नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है दरअसल उन्हें बिजनेस से और शुभम की पढ़ाई की वजह से बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था लेकिन इस बार गर्मियों की छुट्टी में हम लोग जरुर आएंगे गांव घूमने,,,,,,
( निर्मला का मन बिल्कुल उदास हो चुका था वह अपनी मां के सवालों का बिल्कुल भी जवाब देना नहीं चाहती थी लेकिन वह नहीं चाहती थी कि उसकी मां को जरा भी इस बात का एहसास हो कि उनके आने पर वह बिल्कुल भी खुश नहीं है। बेमन से वह अपनी मां के साथ बैठकर कुछ देर तक बातें करती रही,,,, तब वह अपनी मम्मी से बोली,,,,,,


मम्मी आप बाथरूम में जाकर थोड़ा सा फ्रेश हो जाओ मैं आपके लिए खाना लगा देती हूं उसके बाद खाना खाकर आप आराम कर लो,,,,,,

ठीक है बेटी,,,, वैसे भी मैं काफी थक गई हूं लेकिन तू मेरा बिस्तर अपने कमरे में लगाना क्योंकि मुझे चश्मा लगाने के बावजूद भी ठीक है फिर दिखाई नहीं देता है इसलिए मुझे तेरी जरूरत पड़ेगी,,,,, और तू सुभम मुझे जरा बाथरुम तक ले चल,,,,,, ( इतना कहते हुए वह कुर्सी पर से उठने लगी और शुभम भी उनका हाथ पकड़ कर बाथरूम की तरफ ले जाने लगा निर्मला वही कुर्सी पर बैठे-बैठे मन में बुदबुदाने लगी,,,, क्योंकि आप कमरा भी हाथ से जा चुका था। अपनी मां की आदत को अच्छी तरह से जानती थी उसकी मां को,,, जब भी वह पास में होती थी तो उसके पास ही सोने की आदत थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाई,,,, बस पैर पटक कर रह गई,,,,, नहा धोकर फ्रेश होने के बाद निर्मला की मम्मी खाना खा कर सो गई भाई तो बड़े आराम से चैन की नींद सो रही थी लेकिन निर्मला की नींद तो हराम हो चुकी थी।
निर्मला के साथ साथ शुभम भी उदास बैठा था,,,,
दोनों कमरे के बाहर बैठे हुए थे और कमरे में निर्मला की मां आराम से सो रही थी आज निर्मला को पहली बार उसकी खुद की मां मुसीबत लग रही थी क्योंकि दोनों के मजे में भंग पड़ गया था और यह सब निर्मला की मां की वजह से हुआ था। सोफे पर बैठा हुआ था निर्मला उसके करीब जाकर बैठ गई और उसे दिलासा देते हुए बोली।

मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि मम्मी इस तरह से आ जाएगी हम दोनों के बीच अच्छा तालमेल बैठ रहा था तभी यह मम्मी का आना मुझे अच्छा नहीं लगा,,,,,

मम्मी मुझे भी आज पहली बार नानी का घर आना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है पता नहीं क्यों मन बेचैन सा हो रहा है।( शुभम उदास मन से बोला और निर्मला अपने बेटे की यह बात सुनकर मन ही मन इस बात से प्रसन्न होने लगी थी उसका बेटा उसका दीवाना हो चुका था इसलिए इस तरह की बातें कर रहा है अपने बेटे के सर पर हाथ रखते हुए निर्मला बोली।)
कोई बात नहीं बेटा,,,, मैं जल्दी से जल्दी मम्मी को किसी आंख के अच्छे डॉक्टर को दिखाकर उनका इलाज कराकर इधर से रवाना कर दूंगी उसके बाद हम दोनों के लिए सब कुछ साफ हो जाएगा,,,,,,,( निर्मला मुस्कुराते हुए बोली अपनी मां की यह बात सुनकर शुभम को थोड़ी बहुत राहत हुई।)

सच मम्मी,,,, क्या फिर से हम दोनों,,,,,,( शुभम इतना कहकर खामोश हो गया इससे आगे वह कुछ बोल नहीं पाया,,,,, लेकिन निर्मला अपने बेटे की यह बात का मतलब अच्छी तरह से समझ गई थी इसलिए मुस्कुराते हुए अपने बेटे से बोली,,,,,)
क्या फिर से हम दोनों,,,,आं,,,, बोल क्या बोलना चाह रहा है,,,,,
( निर्मला चेहरे पर प्रसन्नता के भाव लिए अपने बेटे से आगे की बात पूछने लगी लेकिन शुभम शर्मा रहा था और शरमाते हुए बोला।)

कुछ नहीं मम्मी मैं तो यूं ही पूछ रहा था,,,,,


यूं ही नहीं तो जरूर कुछ कहना चाहता है लेकिन कह नहीं पा रहा है । बता और मुझसे शर्माने की कोई जरूरत नहीं है,,,, देख अब तो हम दोनों के बीच वह शब्द ही हो गया जो एक पति पत्नी और प्रेमी प्रेमिका के बीच होता है एक मर्द और औरत के बीच जो जिस्मानी संबंध होते हैं वह संबंध हम दोनों के बीच हो गया है इसलिए शर्माने की जरुरत नहीं है।
( निर्मला अपनी मीठी बात से शुभम को समझाने की कोशिश करने लगी लेकिन शुभम की शर्म अभी भी दूर नहीं हो पा रही थी यह बात अलग है कि बिस्तर पर नंगे होने के बाद वह सब कुछ भूल जाता था लेकिन बिस्तर से उतरते ही फिर से शर्म का लिबास तन पर ओढ़ लेता था। इसलिए फिर से शर्माते हुए बोला,,,,।)

सच में मम्मी नहीं कुछ और नहीं कहना चाहता था,,,,
03-31-2020, 03:42 PM,
#82
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
नहीं तू बिल्कुल झूठ बोल रहा है।( निर्मला अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा इस तरह से बताने वाला नहीं है उसके लिए उसे अपना जलवा दिखाना होगा इसलिए उसने अपने कंधे से साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दी जिससे एक बार फिर से उस की जवानी की दुकान का शटर खुल चुका था। शुभम की नजर जैसे ही अपनी मां के बड़े-बड़े खरबुजो पर गई वैसे ही तुरंत सुभम की जवानी चिकोटी काटने लगी,,,,,
ब्लाउज मे कैद अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को देख कर उसका लंड हीचकोले खाने लगा,,,, निर्मला अपने बेटे की हालत को देखकर जान गई कि उसकी चूचियों का जादू उसके ऊपर चलने लगा है इसलिए फिर से बोली,,,,)

बोलना शुभम तू क्या कह रहा था,,,,

मम्मी मै यहीं कह रहा था कि क्या हम फिर से वही कर पाएंगे,,,,( अपनी मां की चुचियों की तरफ मंत्रमुग्ध से देखते हुए)

क्या वही कर पाएंगे थोड़ा खुल कर बोलना शर्मा क्यों रहा है इतना कहते हुए निर्मला अपनी दोनों हथेलियों को अपनी चूची पर रखकर हल्के से दबाने लगी,,,, यह देख कर पजामे के अंदर शुभम का लंड गदर मचाने लगा। और वह बोला।)

मम्मी वही जो अभी तक करते आ रहे हैं,,,,,

निर्मला अपने बेटे के मुंह से गंदी बातें सुनना चाहती थी जो कि सभी लड़के आपस में किया करते थे लेकिन शर्म के मारे वह अभी भी अपने मुंह से गंदे शब्द नहीं निकाल पा रहा था। इसलिए वह थोड़ा झुंझला रही थी और फिर से बोली,,,,।)



क्या यार शुभम तू अभी भी इतना शर्मा रहा है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि बिस्तर में जो अपना दमखम दिखाता है वह तू ही है,,,, अच्छा एक बात बता तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं ना,,,,, तो एक काम कर मैं तुझे कैसी लगती हूं,,,,( अपने चेहरे पर हल्के से ऊंगलिया फेरते हुए,,,,),,,, अब तो बोल मैं तुझे कैसी लगती हूं,,,,,


तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो,,,,,,( शुभम फिर से शर्माते हुए बोला लेकिन शुभम की यह बात सुनकर निर्मला खुश हो गई,,,)

अच्छा यह बता सोच अगर मैं तेरी मम्मी ना होती और तेरे पड़ोस में रहती तो क्या तू आते जाते मुझे देखता,,,,,,
( अपनी मां की यह बात सुनकर बस थोड़ा सा सोचने लगा अब से सोचता होगा देखकर निर्मला बोली,,,,,)

देख तू ज्यादा सोच मत तो कुछ पल के लिए एकदम से भूल जा कि मैं तेरी मम्मी हूं तू मेरा बेटा,,,,, बस इतना ख्याल रखती तू एक जवान लड़का है और मैं एक औरत हूं और लड़के खूबसूरत औरत को किस नजर से देखते हैं तुझे यही बताना है। अब बता क्या तू मुझे आते जाते घूरता रहता,,,,,

( शुभम को आज उसकी मां का अंदाज कुछ ज्यादा ही बोल्ड लग रहा था लेकिन शुभम को अपनी मां के इस अंदाज से बेहद उत्तेजना का अनुभव हो रहा था जिसकी वजह से उसका लंड पजामें मैं खड़ा हो गया था,,,,, वह समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से खुल चुकी है और मजा लेने के लिए खुलना भी है बेहद जरूरी है। इसलिए वह बोला।)

हां मम्मी में जरूर तुम्हें आते जाते देखता रहता,,,

हां यह हुई ना कोई बात इस तरह से जवाब दिया कर तो हम दोनों को भी मजा आएगा। अच्छा यह बता क्या देखता क्या तू मेरे चूचिया देखता( दोनों हथेलियों को चूचियों पर रखकर घुमाते हुए) या मेरी मस्त गांड देखता,,,, या फिर मेरी गोरी गोरी कमर को देखता,,,,,

मम्मी मैं तुम्हारे पूरे बदन को देखता, तुम्हारी मदहोश कर देने वाली चु्चियां मटकती हुई गांड,,, गोरी गोरी चिकनी कमर सब कुछ तो है देखने लायक,,,,,

वाहहह,,, बेटा यह हुई ना कोई बात ऐसी जवाब दिया कर,,,,,
अच्छा हम अब अपनी बात पर आते हैं,,,,,

मम्मी कहीं नानी जग ना जाए,,,,,,


अरे इतनी जल्दी नहीं चलेंगी इतनी दूर की यात्रा करके आ रही है थक गई होंगी अभी तो चैन की नींद सोएंगी,,, हां लेकिन हम दोनों का जीना हराम कर दि हैं। इतना अच्छा मौका मिला था सब हाथ से जाता रहा,,,, अच्छा तू मुझसे पूछ रहा था ना कि अब कब कर पाएंगे तो जरा खुल कर बोल,,,

अरे मम्मी तुम तो एक ही बात पर अटकी हुई हो जानती तो हो तुम कि मैं क्या बोलना चाहता हूं।

हां तो यही बात अपने मुंह से बोल दे,,,,

अब मै तुम्हे कब चोद पाऊंगा,,,,,, ( शुभम नजरे नीचे झुका कर बोला,,,, ऊसकी यह बात सुनते ही निर्मला खुश हो गई,,,, और झट से उसे अपने सीने से लगा ली,,,, सीने से लगाते हुए बोली।)

यह हुई ना कोई बात,,,, अब तु पूरा मर्द बन चुका है। ( निर्मला और जोर से अपने सीने से लगा ली शुभम की तो हालत खराब होने लगी अपनी मा की नरम नरम चूची पर अपना चेहरा स्पर्श होते ही उसका लंड पूरी ताकत के साथ खड़ा हो गया।शुभम को बहोत अच्छा लग रहा था। शुभम उत्तेजना बस अपनी मां की चुचियों को पकड़ने ही जा रहा था कि तभी निर्मला उत्साहित होकर उसे अपने बदन से दूर करते हुए और उसके चेहरे को अपनी हथेलियों में भरकर उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोली,,,

शुभम,,,, शुभम तू नहीं जानता कि मैं कितनी खुश हूं,,,,,,,, आई लव यू शुभम,,,,,,, आई लव यू,,,,,,,,,,( शुभम तो आश्चर्य से अपनी मां को देखता ही रह गया तो समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां ऐसा क्यों कह रही है।) मैं जानती हूं शुभम कि तू क्या सोच रहा है लेकिन तू शायद मैं नहीं जानता कि मैंने अब तक की जिंदगी किस तरह से दुखो में गुजारी है,,,,, तेरे पापा से तो मुझे अब कोई भी उम्मीद नहीं है एक तरह से उन्होंने मेरी जिंदगी को मेरी जवानी को बर्बाद कर दिया है जिस प्यार के लिए मैं तड़पती रही सिसकती रही इस चाहत के लिए मैं इतनी बरसों से तेरे पापा का इंतजार करती रही उनके मुंह से चंद लफ़्ज़ सुनने को तरसती रही,,,,,, लेकिन यह तड़प यह शीसक,,,, तेरे पापा के कानों तक और ना ही उनके दिल तक सुनाई दी,,,,, तुझे देखती हूं तो मेरी सारी उम्मीदें मेरे सारे सपने फिर से मुझे नई जिंदगी देने के लिए बाहें फैलाए नजर आती है,,,,, शुभम कुछ दिनों में मैं तेरे बारे में इतना सोचने लगी हूं कि ऐसा लग रहा है कि मुझे तुझसे प्यार हो गया है,,,,, तेरे में मुझे एक प्रेमी नजर आता है मैं तुझे अपना प्रेमी बनाना चाहती हूं,,,,,,( निर्मला इतना कहते-कहते बेहद गंभीर मुद्रा में नजर आने लगी शुभम तो अभी भी आश्चर्य में था।) शुभम मैं तुझे अपना बेटा नहीं बल्कि तुझे अपना प्रेमी अपना सब कुछ बनाना चाहती हूं तेरे लिए मैं अपने दिल के सारे दरवाजे खोल चुकीे हूं। तू मेरे साथ कभी भी कुछ भी कर सकता है मेरे दिल के साथ साथ मेरे बिस्तर पर भी तेरा ही हक है। शुभम,,,,,,,( शुभम की दोनों हथेलियों को अपनी हथेली में भरते हुए) मैं पूरी तरह से तेरी हो चुकी हूं मैं तेरी प्रेमिका बनने के लिए तैयार हूं। क्या तुम मुझे अपनी प्रेमिका बनाएगा क्या तुम मेरा प्रेमी बनेगा शुभम मेरी उम्मीद को ठुकरा मत देना,,,, मैं नहीं चाहती कि हम कि हम दोनों का यह नया रिश्ता वासना की बुनियाद पर टिका हो,,,,,,, मैं चाहती हूं कि अपना नया रिश्ता दिल से जुड़ा हो ना कि सिर्फ बिस्तर से,,,,, बोल शुभम तू खामोश क्यों है। क्या तुम मुझे प्यार नहीं करता,,,,( शुभम तो अपनी मां की बात सुनकर आश्चर्य से आंखें फाडे़ देखे जा रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी मां यह सब बातें क्यों कर रही है,,,,, अपनी मां के ईस तरह से दबाव देते हुए पूछे जाने पर उसके मुंह से मम्मी निकल गया,,,,।)

मम्मी,,,,,,

बेटा यह सब तू भूल जा कि मैं तेरी मम्मी हूं तु मेरा बेटा है यह तो हम दोनों दुनिया के लिए,,,, बस अब यह ध्यान रख मैं तेरी प्रेमिका हूं और तु मेरा प्रेमी,,,,, बोल शुभम क्या चाहता हे,,, क्या तु मुझे बस चोदने के लिए ही रिश्ता रखना चाहता है या मुझे प्यार भी करता है बोलना मुझे बनाएगा अपनी प्रेमिका,,,,,, ( शुभम धीरे धीरे अपनी मां की बातों को समझ रहा था वह जानता था कि उसके पापा उसकी मां को प्यार नहीं दे पाते और वह प्यार के लिए तरस रही है,,,,, और जिस तरह से उसकी मां नजदीक आते हुए उसका हाथ पकड़े हुए थी,,, शुभम की उत्तेजना बढ़ती जा रही है उससे रहा नहीं जा रहा था,,,, वैसे भी तो दिल से जुड़ा रिश्ता और वह भी औरत और मर्द का आखिरकार बिस्तर पर ही जाकर सिमट जाता है इसलिए शुभम को ऐसे रिश्ते से कोई भी एतराज नहीं था और वैसे भी कौन नहीं चाहता कि निर्मला जैसी गर्लफ्रेंड हो भले ही वह एक औरत ही क्यों ना हो लेकिन निर्मला एक ऐसी औरत थी जोकी खूबसूरती और,,, सेक्सी तुमने किसी भी अल्हड़ मस्त जवानी से भरपूर लड़कियों को भी,,,, पछाड़ दे,,,,,ईसलिए शुभम को भी कोई ऐतराज नहीं था,, वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उत्तेजना उसके सर पर सवार हो चुकी थी एक बेहद खूबसूरत मदमस्त जवानी से भरपूर औरत को अपनी इतनी नजदीक पाकर वह एकदम से जोश में आ गया और अपना हाथ खड़ा कर वजह से अपनी मां के चेहरे को अपनी हथेलियों में भर कर बोला,,,,,,,

आई लव यू,,,,,, आई लव यू निर्मला,,,,, आई लव यू मैं तुम्हें अपनी प्रेमिका बनाने के लिए तैयार है और आज से तुम मेरी प्रेमिका,,,,,,( और इतना कहने के साथ ही अपने होठ को अपनी मां के गुलाबी होठों से सटा दिया,,,, और पागलों की तरह अपनी मां के होंठ को चूसना शुरू कर दिया कुछ ही देर में निर्मला भी उसका साथ देते हुए पागलों की तरह उसे अपनी बाहों में भरकर जीभ से जीभ चाटने लगी,,, दोनो को बेहद मजा आ रहा था उनके प्यार की शुरुआत का यह पहला चुंबन था जिसका दोनों बड़े आनंदित होकर के आनंद ले रहे थे। शुभम तो पहले से ही उत्तेजित अवस्था में था और अपनी मां के होटो को चुमता हुआ पागल होने लगा,, उससे रहा नहीं गया तो वह धीरे धीरे अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाने लगा,,,, निर्मला भी मदहोश होने लगी थी लेकिन दोनों आगे बढ़ने के बारे में सोचते कि तभी कमरे से निर्मला की मां की आवाज आई,,,,

अरे बेटी सुन तो कहां गई,,,,,,
03-31-2020, 03:42 PM,
#83
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
मदहोश हो चली निर्मला अपनी मां की आवाज सुनते ही जैसे होश में आने लगी हो शुभम के होठों को अपने होठों में भरकर चूसने का जो आनंद उसे मिल रहा था वह पल भर में ही जाता रहा,, शुभम का भी सारा मजा किरकिरा हो चुका था वो खुलकर अपनी मां से प्यार करना चाहता था उसकी बड़ी बड़ी छातियों को अपने हाथों से दबाना चाहता था। लंड एक बार फिर से तैयार हो चुका था रसीली बुर के अंदर प्रवेश करने के लिए,,, लेकिन एक बार फिर से शुरू होने वाले अध्याय पर विराम लग चुका था। निर्मला दरवाजे की तरफ गुस्से से देखते हुए पेर पटक कर चली गई।

शाम के वक्त अशोक जल्दी घर आ चुका था घर पर आने के बाद उसे पता चला कि उसकी सांसों में घर आई हुई है और वह भी अपनी सास की आदत से वाकिफ था इसलिए उसने अपने सोने का इंतजाम ड्राइंग रूम में ही सोफे पर ही कर लिया,,,,,,
अपनी मां के होते निर्मला को कोई खास मौका नहीं मिल रहा था शुभम के साथ मस्ती करने का हर पल उसकी मां उसके साथ ही होती थी क्योंकि समय समय पर निर्मला की जरूरत उसे पड़ती थी। शुभम भी मौका ढूंढ रहा था अपनी मां के साथ मस्ती करने का बार-बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां की रसीली बुर नजर आने लगती थी। वह अब तक संभोग सुख के अद्वितीय आवर्णन आनंद से वाकिफ हो चुका था अच्छी तरह से जान चुका था कि,,,,, दुनिया में चुदाई के सुख से बड़ा और कोई सुख नहीं है। इसलिए तो अपनी मां को भोगने की तड़प उसकी ओर ज्यादा बढ़ती जा रही थी। अपनी मां की गैरहाजिरी से परेशान हो चुकी थी निर्मला इसलिए उसका मन ठीक से स्कूल में भी नहीं लग रहा था।
शुभम अपनी मां के साथ मस्ती करना चाहता था इसलिए जब भी उसे मौका मिलता था वह किचन में या कहीं भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर लेता था और उसके बदन से छूट छाट लेने लगता था। या छेड़खानी निर्मला को भी अच्छी लगती थी लेकिन हर पल इस बात का डर लगता था कि कहीं उसकी मां उन दोनों को इस तरह की हरकत करते देख ना ले । इसलिए वह दोनों हमेशा संभल कर रहते थे।
दूसरी तरफ दिन ब दिन शीतल की नजर शुभम पर कुछ ज्यादा ही घूमने लगी थी। जब से वह निर्मला से शुभम के द्वारा मां बनने की बात की थी तब से शीतल का मन भी शुभम की तरफ कुछ ज्यादा ही घूमने लगा था। शीतल स्कूल में जब भी मौका मिलता तो शुभम को आंख भरकर घूरती रहती थी।
ऐसे ही एक दिन शुभम को अकेले ही स्कूल जाना पड़ा क्योंकि उसकी नानी की तबीयत थोड़ा खराब थी जिस वजह से निर्मला स्कूल नहीं जा पाई। शुभम को अकेला स्कुल अाया देखकर शीतल उसे अपने पास बुलाई और उससे बोली।

क्या हुआ शुभम तुम अकेले उसको आए हो तुम्हारी मम्मी क्यों नहीं आई?

आज नानी की तबीयत थोड़ा खराब थी इसलिए मम्मी स्कूल नहीं आई,,,,

ओहहह,,,, यह बात है चलो कोई बात नहीं मेरे से सोते ही तुम मुझे मेरी क्लास में मिलना और वैसे भी तुम आज टिफिन तो लाए नहीं होगे,,,,

नही आज नही लाया,,,,,

कोई बात नहीं तुम आज मेरे साथ टिफिन शेयर कर लेना,,,, अच्छा चलती हूं क्लास का समय हो गया है।( इतना कहकर वह मुस्कुरा कर अपनी क्लास की तरफ जाने लगी और शुभम वहीं खड़ा शीतल को क्लास में जाते देखता रहा,,,, यूं तो शीतल के साथ शुभम बहुत बार मिल चुका था लेकिन आज पहली बार वह शीतल को इतने करीब से और बड़े ही गौर से देखा था,,,,, शीतल बेशक बेहद खूबसूरत थी लेकिन इस बात से शुभम की नजरें थोड़ा बहुत अनजान थी क्योंकि इससे पहले उसने शीतल को कभी भी दूसरे नजरिए से नहीं देखा था लेकिन जब से उसने अपनी मां के साथ संबंध बनाए हैं औरतों के अंगों और उनकी रूपरेखा के बारे में अच्छी तरह से जाना है तब से औरतों को अक्सर घुर कर उनके देहलालित्य का रसपान करने लगा था। आज पहली बार ऊसने शीतल के बदन को गौर से देखा था,,,, बड़ी बड़ी चूचियां पतली लकीर लिए अपना जलवा पूरी तरह से बिखेर रही थी,,,, मदमस्त कर देने वाली गोरी कमर ट्रांसपेरेंट साड़ी में से अच्छी तरह से नज़र आ रही थी। शीतल के प्रति आज आकर्षित होने का एक बहुत बड़ा कारण यह भी था कि पिछले कुछ दिनों से वह चुदाई के सुख से वंचित हो चुका था वह अपनी मां को चोदने के लिए तड़प रहा था लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था इसलिए वह औरतों के देह लालित्य के रस पान करते हुए उन्हें भोगने का सपना देखने लग रहा था। इसलिए आज वह शीतल के बदन के प्रति कुछ ज्यादा ही आकर्षित हो रहा था। भाभी क्लास में चला गया और इसे सोने का इंतजार करने लगा वह इस बात से अपने दिल को तसल्ली दिलाना चाह रहा था कि कुछ भी ना सही कम से कम शीतल मैडम के खूबसूरत बदन को देखकर अपनी आंख तो सेंक सकेगा,,,,, इसलिए वह रीशेष होने का इंतजार करने लगा।
दूसरी तरफ सीता के मन में धीरे-धीरे वासना अपना घर बना रहा था वह शुभम के साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहती थी लेकिन इसके लिए उसे अपने बस में करना बेहद जरुरी था उसे अपने भदन का जलवा दिखाकर वह उसे बहलाना फुसलाना चाहती थी। उसे अपने बस में कर के शीतल उससे चुदवाना चाहती थी लेकिन सिर्फ चुदवाना ही उसका मकसद नहीं था। वह शुभम से चुद़कर चुदाई का आनंद लेना चाहती थी और उसके बच्चे की मां भी बनना चाहती थी।
ताकी मातृत्व सुख को वह भी भोग सके। शुभम जैसे जवान लड़के से नजदीकियां बढ़ा कर वह इस बात का भी अनुभव लेना चाहती थी कि इस उम्र में जवान लंड की रगड़ बुर के अंदर कैसा एहसास दिलाती है। शुभम के साथ इस तरह के शारीरिक संबंध को लेकर वह इस रिश्ते को सुरक्षित समझती थी और अगर कभी शुभम और उसके बीच का यह नाजायज संबंध निर्मला को पता भी चल जाए तो शायद वह ज्यादा नाराज नहीं होगी क्योंकि शुभम के साथ शारीरिक संबंध और मां बनने वाली बात हुआ शीतल से पहले भी कर चुकी है लेकिन शीतल इस बात को सुनकर नाराजगी नहीं दर्शाई थी।
इसलिए वह शुभम के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी बस अब देर थी शुभम को अपने बस में करने की और शीतल को अच्छी तरह से मालूम था कि मर्दों को किस तरह से अपने बस में किया जाता है इसीलिए तो रीशेष में शुभम को अपनी क्लास में टिफिन शेयर करने के बहाने बुलाई थी। उसे भी रिशेष की घंटी बजने का बड़ी बेसब्री से इंतजार था। आखिरकार इंतजार की घड़ी खत्म हुई और रिशेष की घंटी भी अपने समय पर बज गई।
पीतल की क्लास से सारे विद्यार्थी बाहर जा चुके थे वह कुर्सी पर बैठ करें शुभम के आने का इंतजार करने लगी बार बार उसकी नजर दरवाजे पर चली जा रही थी दूसरी तरफ शुभम भी शीतल की क्लास में जाने के लिए अपनी क्लास से बाहर निकल गया,,,, कुछ ही देर में वहां क्लास के बाहर दरवाजे पर खड़ा होकर के बोला,,,

मैम क्या मैं अंदर आ सकता हूं?
( शीतल तो शुभम को देखते ही खुश हो गई और मुस्कुराते हुए बोली।)
अरे हां आओ आओ मैं तो तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,,, ( इतना कहने के साथ यही वह अपने बैग में रखा टिफिन निकालकर टेबल पर रख दी,,,,, शुभम एक कुर्सी लेकर के उसके सामने बैठ गया,,,, शीतल टिफिन खोलकर,,, एक चम्मच शुभम को पकड़ाते हुए बोली,,,,,)

शुभम गहलोत चम्मच पकड़ो और दूसरा डिब्बा तो है नहीं इसलिए हम दोनों को एक में ही खाना होगा तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है,,,,
03-31-2020, 03:42 PM,
#84
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
नहीं मैम मुझे कोई एतराज नहीं है।
( शुभम को भला कैसे एतराज हो सकता था आज की कल की खूबसूरती से वह पूरी तरह से आकर्षित हो रहा था इतने नजदीक एक ही टिफिन में खाने के बारे में सोचते ही उसके बदन में उत्तेजना की कंपन पैदा होने लगी,,, झुठा खाने के बारे में सोच कर शीतल के बदन में भी हलचल सी होने लगी,,, एक जवान लड़के के साथ अपनी टिफीन शेयर करने में उसे आज काफी आनंददायक लग रहा था। वैसे भी आज कई वर्षों के बाद वह किसी लड़के के साथ अपना टिफिन शेयर कर रही थी उसी अपने स्कूल के दिन याद आने लगे।
क्योंकि स्कूली दिनों में ही वह लड़कों के साथ अपना टिफिन शेयर करती थी। टीफीन का ढक्कन खुलते ही पुलाब की खुशबू शुभम के नथुनो में जाने लगी शुभम की यह काफी फेवरेट डिश थी। पुलाव के साथ-साथ शीतल ने दो समोसे भी ले आई थी पहला चम्मच वह टिफिन में डालकर पुलाव खाते हुए शुभम से बोली,,,

खाओ शुभम शर्माओ मत,,,,,
03-31-2020, 03:43 PM,
#85
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( शीतल की बात सुनते ही शुभम भी चम्मच से लेकर पुलाव खाने लगा,,,,, खाते समय शीतल बड़े ध्यान से शुभम को देख रही थी। शुभम का मजबूत गठीला बदन उसकी आंखों में बस गया था वह मन ही मन शुभम के हथियार के बारे में कल्पना करने लगे और कल्पना करते हुए उसे अपनी बुर के अंदर सुरसुराहट सी महसूस होने लगी। उसे इस बात का अनुभव हो रहा था कि मजबूत शरीर होने की वजह से शुभम का लंड भी काफी तगड़ा होगा,,,,, लंच करते समय शीतल के मन में ढेर सारे ख्याल आ रहे थे वह गौर से शुभम की तरफ देखे जा रही थी शुभम भी नजरों को नीचे करके लंच का लिज्जत उठा रहा था और आंखों की कनखियों से शीतल की तरफ भी देख ले रहा था। शीतल को शुभम के द्वारा कनखियों में उसको ताकना अच्छा लग रहा था। वह समझ गई थी कि शुभम को उसका बदन देखना अच्छा लग रहा है।
इसी पल का लाभ लेकर शीतल अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू जानबूझकर नीचे गिरा दी,,,, पल्लू के नीचे सरकते ही ऐसा लगने लगा की जैसे दो पहाड़ियां खुले आसमान के नीचे आपस में जुड़ कर प्यार कर रहे हो,,,, शीतल की दोनों जवानिया ब्लाउज मैं कैद थी लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज नुमा कटोरे में कोई जवानी का रस घोल दिया हो और वह रस कभी भी ब्लाउज नुमां कटोरे मे से छलक कर बाहर आ जाएगा। शुभम तो आंखें फाड़े दोनो चुचियों को देखे जा रहा था खास करके चुचियों के बीच की गहरी घाटी को जिस में न जाने कितने रहस्य छिपे हुए था। शुभम चम्मच से निवाला तो मुंह में डाल दिया था लेकिन उसे चलाना भूल गया था वह मंत्रमुग्ध सा शीतल की जवानी को देखने लगा,,,,
शीतल जैसे इसी मौके की तलाश में थी और वह झट से बोली,,,,

क्या हुआ शुभम ऐसे क्या देख रहे हो,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह साड़ी का पल्लू अपने कंधे पर रखकर ठीक कर ली।

शीतल को इस बात का एहसास हो गया कि उसका चलाया हुआ तीर ठीक निशाने पर लगा था कि कल की बात सुनकर शुभम जैसे कोई चोरी करता पकड़ा गया हो इस तरह से हकलाते हुए बोला,,,,।)

कककक,,, ककक, कुछ नहीं मैम बस यूं ही,,,, ( डरते हुए पुलाव को खाते हुए बोला।)


क्या यूंही मैं जानती हूं कि तुम क्या देख रहे थे,,,,, तुम मेरे इन को( अपनी चूचियों की तरफ नजर गिरा कर) घूर कर देख रहे थे।
( शीतल की यह बात सुनकर शुभम को एकदम से डर गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी सफाई में क्या कहे उसके माथे पर पसीना ऊभरने लगा,,,, वह पूरी तरह से डर चुका था और डरते हुए बोला।)

नननन,,,, नहीं मेम एसी कोई भी बात नहीं है।

नहीं ऐसी ही बात है मैं लड़को को अच्छी तरह से जानती हूं कि वह लोग औरतों को घूरते रहते हैं और औरतों के कौन से अंग को घूरते रहते हैं।

मैम सच में ऐसा कुछ भी नहीं है बस गलती से मेरी नजर वहां चली गई थी।

शीतल शुभम की बात सुनकर और उसके सफाई देने का अंदाज और उसका झुठ देखकर खिलखिला कर हंसने लगी,,
शीतल को हंसता हुआ देखकर शुभम को कुछ समझ में नहीं आया की वह हंस क्यों रही है तभी शीतल हंसते हुए बोली।

अरे पागल मैं तुझे कुछ कह थोड़ी रही हूं मैं तो बस तुझसे पूछ रही हूं मैं जानती हूं कि तू जिस उम्र के दौर से गुजर रहा है यह सब उसमें आम बात है। और हां डरने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है। मुझे तू अपना दोस्त ही समझ,,,,,( तीतर की बात सुनकर शुभम को थोड़ी राहत हुई उसे लगने लगा कि शायद कि कल उसकी हरकत पर गुस्सा नहीं कर रही हैं तभी शीतल ने दो समोसे में से एक समोसा शुभम को थमाते हुए बोली।)

यह लो शुभम समोसे खाओ।
( शुभम भी हाथ आगे बढ़ाकर समोसा थाम लिया और उसे खाने लगा।)

अच्छा एक बात बताओ सुबह तुम काफी हैंडसम खूबसूरत और गबरु जवान लड़के हो क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है।
( शीतल के इस सवाल को सुनते ही शुभम की हालत पतली होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था की शीतल मैंम ये कौन सा सवाल पूछ ली। वह आश्चर्य से शीतल की तरफ देखने लगा।)

डरो मत शुभम में कुछ नहीं कहूंगी यह तो बस औपचारिकता बस तुमसे पूछ रही हूं क्योंकि मैं जानती हूं अधिकतर छोकरे लड़कियों के पीछे दीवाने होते हैं और इस उमर में गर्लफ्रेंड भी रख लेते हैं और तुम तो वैसे ही हैंडसम हो।,,,,

नहीं मैंम ऐसा कुछ भी नहीं है।( शुभम सफाई देते हुए बोला)

चलो कोई बात नहीं अच्छा है कि तुम इस तरह के लफड़े में नहीं पड़े हो,,,
( इतना कहने के साथ शीतल भी समोसा खाने लगी और मन में ढेर सारी बातें सोच रही थी,,,, जहां तक मैं शुभम को जानती थी तो वह सच ही कह रहा था कि उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। इसलिए वह उसे पूरी तरह से कुंवारा समझ रही थी और मनमोहन यह भी खयाली पुलाव पकाने लगी थी कि एक तुम कुंवारे लड़के के साथ उसके लंड से चुदने में कुछ ज्यादा ही मजा आएगा,,,, शुभम से चुदने के ख्याल मात्र से ही उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। पेंटी का गीलापन उसे साफ-साफ महसूस हो रहा था। शीतल पुरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी । तभी हम समोसा खाते हुए शुभम से मुस्कुराते हुए बोली।)

अच्छा सुबह में एक बात तो तय है कि तुम मेरी इन्हीं को ( चूचियों की तरफ नजरों से इशारा करते हुए )देख रहे थे ना।
देखो अब गलती से देखे या अपने मन से यह बात कोई मायने नहीं रखती है लेकिन तुम देख रहे थे ना।

( अब से तुम क्या बोलता है क्या छुपा था सब कुछ तो सामने ही था इसलिए वह नजर झुका कर शरमाते हुए बोला।)


जी हां,,,,

अरे तो शरमा क्यों रहे हो मैं तुम्हें डांट थोड़ी रही हूं,,,, अब यही क्लास में देख लो सारे लड़के मेरे इन्हीं को देखते रहते हैं तो मैं क्या करूं उन्हें यह कह दूं कि तुम मेरी ईनको मत देखा करो,,,,,
( शुभम शीतल की बातें सुनकर उत्तेजित होने लगा था उसके पैंट में खड़ा लंड गदर मचा रहा था। वह बार बार अपने खड़े लंड को एडजस्ट करने के लिए अपना हाथ पेंट की तरफ ले जा रहा था,, शुभम की यह कसमसाहट शीतल भाप गई,,,, वह समझ गई कि उसके बदन का जलवा उसके दिमाग और तन बदन में आग लगा रहा है उसका सीधा असर उसके पैंट के अंदर छुपे उसके हथियार पर पड़ रहा है। शुभम की इस कसमसाहट की वजह को देखने के लिए उसका जी मचलने लगा था वह अपनी आंखों को सेंकना चाहती थी,,, इसलिए वह जानबूझ कर चम्मच को टेबल से नीचे गिरा दी और उसे उठाने के लिए नीचे झुक गई शुभम को तो यह सब औपचारिक ही लग रहा था,,,, उसे क्या पता था कि शीतल ने चम्मच को जानबूझकर नीचे गिरा कर उसके हथियार का जायजा लेने के लिए नीचे झुकी है। चम्मच को उठाते समय जैसे ही शीतल की नजर कुर्सी पर बैठे शुभम की जांघों के बीच उठे हुए पेंट के भाग पर गई तो उसके बदन में गुदगुदी सी मचने लगी। उसकी अनुभवी आंखों में जांघों के बीच ऊठे हुए भाग को देखकर इस बात को महसूस कर ली की शुभम का लंड उसकी बुर के लिए एकदम परफेक्ट है। शीतल के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी थी उसकी दूर उत्तेजना के मारे फूलने पीचकने लगी थी ऐसा लग रहा था कि सारे बदन का लहू उसकी कमर के इर्द-गिर्द इकट्ठा होने लगा है। चेहरा सुर्ख लाल होने लगा था शुभम को कहीं किसी बात पर शक ना हो जाए इसलिए वह तुरंत चम्मच उठाकर कुर्सी पर बैठने लगी लेकिन इस बार अनजाने में ही उसके साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे सरक गया,,,, और एक बार फिर से शीतल की ब्लाउज में कैद दोनों दूध भऱी छातियां मुंह उठाए शुभम की तरफ देखने लगी,,,, शुभम बिचारा क्या करता,,,इस तरह का कामुकता से भरा नजारा किसी जवान लड़के के सामने तो क्या किसी बूढ़े के भी सामने नजर आएगा तो वह लंड पकडे उस नजारे का पूरा मजा लेगा,,,, और यही मजा शुभम भी लूट रहा था।लेकीन शीतल ईस बार ऊसे कुछ भी नही कही बल्की मुस्कुराते हुए अपने साड़ी के पल्लु को ऊठाकर अपने कंधे पर रख ली जैसे ही वह साड़ी के पल्लू को कंधे पर रखी वैसे ही तुरंत शुभम अपनी नजरों को नीचे कर लिया। शीतल की चूचियां शुभम के तन बदन में आग लगा चुकी थी। शीतल के रुप यौवन का जादू शुभम के ऊपर पूरी तरह से चल चुका था। वह अपनी साड़ी के पल्लू को संभालते हुए बोली।
03-31-2020, 03:43 PM,
#86
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
देखा फिर से तुम्हारी नजर मेरी इन पर पड ह़ी गई तुम्हारा दोष नहीं है तुम्हारी उम्र का दोष है।( इतना कहकर वह मुस्कुराने लगी। शुभम तो बेचारा झेंप सा गया,,,, उसके बोलने लायक कुछ बचा ही नहीं था। वह शर्म के मारे नजरें नीचे झुका लिया। दोनों लंच कर चुके थे,,, रिशेश का समय पूरा होने वाला था और शीतल शुभम के पेंट में बने तंबू को फिर से देखना चाहती थी इसके अंदर की कड़क पन को अपने शरीर पर अपने बदन पर महसूस करना चाहती थी खास करके अपने भरावदार नितंब पर,,,,,, लेकिन कैसे यह उसके समझ के परे था क्लास पूरी तरह से खाली थी शुभम के मन में क्या है यह वह नहीं समझ पा रही थी वह तो शुभम को अभी पूरी तरह से कुंवारा लड़का समझती थी।हां ये बात और ठीक कि उसकी हुस्न का जादू देखकर शुभम के अंगों में तनाव आ गया था लेकिन इतने से शीतल को यह समझ में नहीं आ रहा था कि क्या शुभम उसके साथ छुट़छाट लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है या नहीं,,,, इतनी जल्दी तो शीतल भी आगे नहीं करना चाहती थी वह शुभम के मन को पूरी तरह से जांच परख लेने के बाद ही कुछ करने की सोच सकती थी। यही सब सोचते वह वह कुर्सी पर से खड़ी हो गई और उसे देखकर तुरंत खड़ा हो गया लेकिन वह यह भूल गया कि उसके पैंट में तंबू बना हुआ है जो की शीतल की नजरों में कभी भी आ सकता है। इस बात पर जैसे ही उसका ध्यान गया तब तक देर हो चुकी थी क्योंकि शीतल की नजर जैसे ही वह खड़ा हुआ वैसे ही उसकी जांघों के बीच पेंट में बने तंबू पर ही चली गई। उस उठे हुए तंबू को देखकर पीतल के बर्तन में एक बार फिर से हलचल सी मच गई खास करके उसकी जांघों के बीच सुरसुराहट बढ़ने लगी। अब तो उसका दिल एकदम से मचल गया उसके कड़क पन को महसूस करने के लिए,,,, इसलिए वह कुछ बोली नहीं और अपना पर्श उठा कर,,, आगे आगे चलने लगी,,,, जैसे ही वह आगे बढ़ी सुदामा पूरी तरह से निश्चिंत हो गया और वह भी शीतल के पीछे पीछे चलने लगा,,,, शीतल तो बस मौके की ही तलाश में थी,,,, जैसे ही शुभम ठीक है इसके पीछे करीब पहुंचकर चलने लगा वैसे ही तुरंत जानबूझ कर शीतल नें हाथ में पकड़ा हुआ टिफिन का डिब्बा नीचे गिरा दी,,, और सही मौका देख कर तुरंत नीचे झुक कर टीफिन उठाने लगी,,,, ऐसा करते हुए वह पूरी तरह से नीचे झुक गई जिससे उसकी बड़ी बड़ी और भरावदार गांड ऊपर की तरफ उठ गई और ठीक हो के पीछे शुभम चला रहा था जो कि इस तरह से एका एक शीतल के झुकने की वजह से,,, वह अपने आप को रोक नहीं पाया और सीधे जाकर शीतल की बड़ी-बड़ी भरावदार गांड से टकरा गया,,,, शीतल तो यही चाहती थी थी जैसे ही शुभम उसकी बड़ी बड़ी गांड से टकराया उसके पेंट में बना हुआ तंबू सीधा जाकर साड़ी सहित उसकी गांड की दरार के बीचो बीच धंस गया,,,, शीतल की तो हालत खराब हो गई उसे शुभम का लंड अपनी गांड की दरार के बीचो-बीच धंसता हुआ पूरी तरह से महसूस होने लगा था। शीतल की हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी,,, ऊसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसी हालत में वह उसी तरह से झुकी रहे या खड़ी हो जाए,,, मजा तो उसे से बहुत आ रहा था। आज पहली बार उसके नितंबों पर किसी गैर मर्द के हथियार का कठोर पन महसूस हो रहा था। वह उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गदगद हो चुकी थी। दूसरी तरफ एकाएक शीतल की गांड से टकरा जाने की वजह से शुभम अपने आप को संभाल नहीं पाया और उसके दोनों हाथ शीतल की कमर पर चले गए जिसे वह अनजाने में ही थाम लिया,,, और इस वजह से एैसी स्थिति का निर्माण हो गया कि जैसे लग रहा था की सुभम शीतल को चोद रहा है।
दोनों पूरी तरह से उत्तेजित और आनंदित हो चुके थे। तभी शुभम जल्दी से पीछे हट़ते हुए बोला।
सॉरी मैंम
( अब झुके रहने से कोई फायदा नहीं था इसलिए शीतल भी खड़े होकर बोली।)

कोई बात नहीं,,, (तभी घंटी भी बज गई।)
03-31-2020, 03:43 PM,
#87
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शीतल के तन-बदन में वासना की आग सुलगने लगी थी,,
आज शुभम के टनटनाए हुए लंड के कड़कपन ने उसके बदन में सुरसुरी सी मचा दी थी। क्लास में विद्यार्थी आकर बैठ चुके थे,,, लेकिन शीतल का मन आज पढ़ाने में नहीं लग रहा था और लगता भी कैसे शुभम के लंड ने जो पूरी तरह से उसकी जवानी के द्वार पर दस्तक दे दिया था। शीतल ने किया अच्छी तरह से महसूस कर ली थी कि शुभम का लंड अद्भुत ताकत से भरपूर है। पेंट पर का उठान हीं बन उसके लंड की पूरी भौगोलिक रचना को बयां करती थी। कुर्सी पर बैठे-बैठे वह शुभम के बारे में ही सोच रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा है और ऐसे में उसका हथियार कुछ ज्यादा ही ऊफान मारता हुआ,,, अपनी ताकत बिखेरेगा,,, उसकी चूचियों के आकार को देखने मात्र से ही वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। इसलिए शीतल मन में सोच रही थी कि जो देखने मात्र से ही इतना ज्यादा उत्तेजित हो जाता है तो अगर उसे अपने रुप का पूरा जलवा दिखाएगी,,, तब उसके ऊपर उसके रूप का कैसा कयामत गिरेगा,,,, यह सोचकर ही शीतल का बदन उत्तेजना से गनगना जा रहा था। आज बहुत महीनों बाद उसकी बुर इस तरह गीली हुई थी। स्कूल में पहली बार उसके तन बदन में उत्तेजना पूरी तरह से छाई थी,,, और इसके पीछे शुभम का ही हाथ था शीतल उस पल को याद करके पूरी तरह से चुदवासी हो गई थी। जब वह एक बहाने से जो की थी और शुभम अपने आप को संभाल नहीं पाया था और सीधे जाकर के उसके भारी भरकम नितंबों से टकरा गया था। और नितंबों से टकराने की वजह से पेंट में बना तंबू साड़ी सहित गांड की दरार के अंदर तक उतर गया था। तभी उसे इस बात का अंदाजा लग गया था कि शुभम के लंड में बहुत ताकत है। अगर थोड़ा सा और ताकत लगाया होता तो उसके लंड का सुपाड़ा साड़ी के ऊपर से ही बुर के मखमली द्वार पर दस्तक दे चुका होता। अब शीतल का मन पूरी तरह से मचल उठा था वह शुभम के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए व्याकुल हो चुकी थी। लेकिन यह मंजिल इतनी आसान नहीं थी अपनी मंजिल को पाने के लिए उसे किस रास्ते से गुजर कर मंजिल तक पहुंचना है। इसके बारे में अभी वह पूरी तरह से तैयार नहीं थी लेकिन वह मंजिल तक पहुंचने के लिए अपना मन बना चुकी थी। वह अपने रुप यौवन के जादू से शुभम को पूरी तरह से अपने वश में कर लेना चाहती थी। शुभम तक पहुंचने का और उसे अपने बिस्तर तक ले जाने की पूरी रूपरेखा के बारे में वह सोचने लगी।

दूसरी तरफ से बम की भी हालत खराब हो चुकी थी एक तो कुछ दिनों से उसकी नानी की वजह से वह अपनी मां को चोद नहीं पाया था। संभोग के असीम सुख को प्राप्त करके उसे उस आनंद को लेने की आदत सी पड़ गई थी लेकिन रंग में भंग डालते हुए उसकी नानी की मौजूदगी उसे उस आनंद को लेने से रोक रही थी। एक तो उसका लंड पहले से ही तड़प रहा था निर्मला की बुर मैं जाने के लिए,,,, और ऊपर से शीतल की मदहोश कर देने वाली जवानी में उसकी हालत और खराब कर दी थी। छातियों के उभार ने जो उसके तन बदन में चुदास पन की जो लहर भर दी थी उससे उसके बदन में एक बार फिर से वासना की चिंगारी भड़कने लगी थी,,, और उसकी इस चिंगारी को शोला का रूप देते हुए शीतल ने जो झुकते हुए चम्मच उठाई,,,, और अपने आप को ना संभाल पाने की स्थिति में जिस तरह से वह उसकी भरावार बड़ी बड़ी गांड से टकराया था,,, गांड का घेरावपन और उसकी गर्माहट को अपने बदन में महसूस करके खास करके लंड पर महसुस करके,,, उसकी जवानी की आग पूरी तरह से भड़क चुकी थी।। शीतल के झुकने पर जिस तरह से वह उसके बदन से सटकर अनजाने में ही उसकी कमर को थाम लिया था वह एक पल तो ऐसा सोचने लगा कि जैसे वह सच में क्लास के अंदर शीतल की चुदाई कर रहा है। सच बेहद आनंदित और कामोत्तेजना से भरपूर वह पल था। उस पल को याद करके वह पूरी तरह से कामोत्तेजीत और चुदवासा हो चुका था उसका लंड तड़प रहा था,, रसीली बुर में जाने के लिए लेकिन आज उसके पास सब कुछ होते हुए भी खाली खाली सा लग रहा था। क्योंकि ना तो शीतल के साथ बहुत कुछ कर सकता था और ना ही घर पर जाकर अपनी मां को चोद सकता था क्योंकि घर पर तो नानी थी और यहां पर शीतल जोकि शुभम उसके साथ कुछ कर पाने की स्थिति में अभी नहीं था।
स्कूल से छूटकर वह घर चला गया शीतल उसका रास्ता देखती रही लेकिन शुभम जल्दबाजी में था इसलिए वह शीतल से नहीं मिल सका,,,,, घर पर पहुंचकर अपनी नानी को देखते ही उसका मन उदास हो गया। बात ही ना खाए वही कुर्सी पर बैठकर इस बारे में सोचने लगा कि कैसे वह अपनी मां की चुदाई करें और इस नानी को कितने दिन लगेंगे अपने घर जाने के लिए,,,, लेकिन उससे कुछ सूझ नहीं रहा था और वह कुछ देर तक वहीं बैठा रहा निर्मला की नजर जब शुभम पर पड़ी तो उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे लेकिन अपनी मां की हाजिरी की वजह से फिर से उसका चेहरा उदास हो गया। दोनों एक दूसरे के तन बदन के मिलन के लिए तड़प रहे थे । दोनों अति व्याकुल थे संभोग करने के लिए,,,, दोनों की हालत ऐसी हो गई थी जैसे किसी नए नए शादीशुदा जोड़े की होती है। क्योंकि शादी होने के बाद से ही लड़के और लड़की सबसे पहले अपनी जिस्मानी प्यास को बुझाने में लगे रहते हैं। कुछ महीनों तक दूल्हा-दुल्हन दोनों एक दूसरे को चुदाई का पूरा भरपूर सुख देने और लेने में लगे रहते हैं। ऐसे में उनके लिए एक पल भी जुदा होना महीनों के बराबर हो जाता है। मौका मिलने पर तुरंत कपड़े उतारकर संभोग सुख की प्राप्ति में लग जाते हैं। और ऐसे में अगर दोनों ना मिल पाए या किसी कारणवश परिवार के सदस्य की उपस्थिति में दोनों का मिलन संभव ना हो पाए ऐसी हालत में दोनों की मनोस्थिति का जो हाल होता है ठीक वैसा ही हाल निर्मला और शुभम का था। उन दोनों की भी हालत ऐसी हो चुकी थी कि मानो दोनों शादी करके पति पत्नी हो चुके हैं और किसी कारणवश दोनों का संसर्ग नहीं हो पा रहा है। और दोनों संभोग सुख ना पाने की स्थिति में एकदम से झुंझला रहे है।
शुभम को यूं उदास बैठा देखकर निर्मला भी उसके करीब बैठ गई। सब कुछ जानते हुए भी वह बोली।

क्या हुआ बेटा इतना उदास क्यों है।

मम्मी तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे तुम्हें कुछ पता ही नहीं,,,

मैं सब कुछ जानती हूं,,,( लंबी आहें भरते हुए) लेकिन कर भी क्या सकती हूं मजबूर हूं,,,,

मुझे तुमसे ढेर सारा प्यार करना है लेकिन नानी की वजह से नहीं कर पा रहा हूं,,,,

मैं तुम्हारी हालत समझ सकती हूं बेटा मैं भी तो तुमसे ढेर सारा प्यार करना चाहती हूं तुम्हें क्या लगता है कि मेरा काम हो गया है अभी तो शुरुआत है,,,, जिस तरह से तू तड़प रहा है उसी तरह से मेरी तरफ रही हूं मुझे लगा था सब कुछ साफ हो चुका है अब मैं जब चाहूं तुझसे प्यार कर सकती हूं।
लेकिन मम्मी के यहां जाने की वजह से सब कुछ,,,,,,( इतना कहते हुए अपनी मां की तरफ देखी जो की कुर्सी पर बैठकर नींद का झोंखा खा रही थी। )

मम्मी सब कब ठीक होगा मुझसे तो बिल्कुल रहा नहीं जाता तुम्हें देखता हूं तो न जाने मुझे क्या होने लगता है,,,,,( इतना कहते ही शुभम की नजर निर्मला की बड़ी बड़ी चूचियो पर चली गई,,, जोकि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी ऐसा लग रहा था कि बिल्कुल नंगी उसकी आंखों के सामने झुल रही हो,,,,) मुझे एकदम से,,,, दबाने का मन करने लगता है मुंह मे लेकर चूसने का मन करने लगता है,,,,
( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला की हंसी छूट गई लेकिन वह मुंह दबा ली ताकि कहीं उसकी मां न जग जाए,,,,,)

तू तो एकदम दीवाना हो गया है लगता है मेरे बगैर तेरा एक पल भी नहीं बीतता,,,,, क्या अभी भी तेरे बदन में कुछ-कुछ हो रहा है,,,,।
( अपनी मां के सवाल का जवाब वह बिना बोले बस हां में सिर हिला कर दे दिया। निर्मला अभी कुछ दिनों से शुभम का लंड देखे बिना दिन गुजार रही थी इसलिए उसकी बातें सुनकर उसका मन मचलने लगा और वह हांथ को आगे बढ़ा कर,, पैंट के ऊपर से ही उसके लंड को टटोलते हुए बोली,,)

ना देखूं तो कहां हो रहा है कुछ कुछ,,,,,,( इतना कहने के साथ ही जैसे निर्मला के नरम नरम ऊंगलियो पर पेंट के ऊपर से ही शुभम के खड़े लंड से हुआ,,,,, वैसे ही जैसे निर्मला को करंट लगा हो इस तरह से उसका पूरा बदन झनझना गया,,,, और वह कस के अपने बेटे के लंड को मुट्ठी में पकड़ते हुए बोली,,,)

अरे तू तो सच कह रहा था सच में तेरे बदन में कुछ-कुछ हो रहा है,,,,, ( निर्मला पेंट के ऊपर से ही उसके लंड को मसलने लगे शुभम को भी मजा आने लगा,,,, वह अपनी नानी की तरफ देखते हुए हाथ बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चूची को दबाने लगा,,,, अपने बेटे के द्वारा चूची दबाने में निर्मला को मजा आने लगा और वह मुस्कुराने लगी लेकिन उत्तेजना के मारे उसके बदन में सुरसुरी सी फैलने लगी थी,,,, उसका चेहरा सुर्ख लाल होने लगा बुर से पानी की बूंदे टपकने लगी,, निर्मला पूरी तरह से चुदवा सी होने लगी थी वह बार-बार अपने बेटे के लंड को पेंट के ऊपर से मसल मसल कर एकदम से लाल कर दी थी,,,, शुभम तो बार-बार अपनी नानी की तरफ देख ले रहा था और जोर-जोर से,,, अपनी मां की चुचियों को दबा रहा था कुछ ही देर में वह दोनों हाथों से ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां की चूची को दबाना शुरु कर दिया इस वजह से निर्मला की हालत और ज्यादा खराब होने लगी उसके मुंह से गर्म सिसकारी छूट में लगी जिसे वह काफी मुश्किल से कंट्रोल में किए हुए थी।

मम्मी मुझ से रहा नहीं जा रहा है मुझे तुम्हें चोदना है। ( शुभम उत्तेजना के मारे अपने मन की बात फोटो पर ला दिया था जिसे सुनकर निर्मला का भी मन चुदवाने के लिए करने लगा था लेकिन वह भी लाचार नजर आ रही थी। शुभम तो स्कूल में ही एकदम चुदवासा हो चुका था कुछ दीनो से,,ऊसे अपनी मां की बुर के दर्शन तक नहीं हुए थे और ऐसी हालत में शीतल ने उसके बदन में आग सी लगा दी थी,,,, क्योंकि इसने उसकी मां उसने उसके लंड को दबाते हुए भड़का दी थी। निर्मला की भी हालत खराब थी कुछ दिनों से उसकी बुर ने भीें लंड का

कुछ दिनों से उसकी बुर में लंड का स्वाद नहीं चखा था इसलिए वह भी अपने बेटे के लंड को लेने के लिए तड़प उठी,,,, वह कुछ सोचते हुए बोली,,,,।)

मैं बाथरुम में नहाने जा रही हूं तू चलेगा,,,,
( शुभम अपनी मां का इशारा अच्छी तरह से समझ गया था उसे भला क्यो इंकार होता,,, वह तो खुद ही अपनी मां को चोदने के लिए तड़प रहा था लेकिन फिर भी अपनी मां की बात सुनकर वह अपनी नानी की तरफ नजर घुमाया तो निर्मला बोली,,,,।)

तु ऊनकी चिंता मत कर वह सो रही है और वैसे भी हम दोनों बाथरुम में है इसका पता उन्हें थोड़ी चलेगा अगर ढुंढ़ेगी तो भी कमरे में ढुंढेंगी तब तक तो हम दोनों का काम हो जाएगा (,,निर्मला धीरे से उसके कान में बोली,,,, शुभम को अपनी मां का यह आइडिया अच्छा लगा और वह भी बाथरुम में जाने के लिए तैयार हो गया लेकिन वह बोला,,,,।)

तुम चलो मैं आता हूं,,,,
( निर्मला खुश हो गई और जल्दी से कुर्सी पर से उठ खड़ी हुई और बाथरूम की तरफ जाते हुए उसने बोलते गई,,,)

जल्दी आना,,,,,

( शुभम पैंट के ऊपर से अपने लंड को मसलते हुए अपनी मां को चाहती देखता रहा और मन में यही सोचता रहा कि आज उसकी मां की बुर में आग लगी हुई है जिसे उसे बुझा ना है इसलिए थोड़ी देर बाद वह भी बाथरूम की तरफ जाने लगा,,
जाते जाते वो अपने नानी की तरफ देखा तो वह अभी भी झोंके खा रही थी,,,,
दूसरी तरफ बाथरूम में निर्मला चुदवासी हो करके अपने बदन से साड़ी उतार फेंकी थी,,, और बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ कर अपने बेटे के आने का इंतजार कर रहे थी,,
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और कुछ ही पल में शुभम भी बाथरुम मै घुस गया,, बाथरूम में घुसते ही जैसे उसकी नजर उसकी मां पर पड़ी उसके बदन में हलचल सी मच गई,,, निर्मला उसके सामने केवल पेटीकोट और ब्रा में ही खड़ी थी बाकी के कपड़े उसने खुद ही उतार फेंकी थी इस हालत ने अपनी मां को देखते ही शुभम एकदम से चुदवासा हो गया और आगे बढ़ कर के अपनी मां को बाहों में भर कर चूमने लगा,,,, निर्मला भी कई दिनों से प्यासी थी इसलिए बाथरुम मे अपनी बेटे को अकेले पाकर वह भी शुभम को चूमने चाटने लगी,,, शुभम तो कसके अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया था। ब्रा में कैद चूचियां बाहर आने को क्या पढ़ा रहे थे जो कि उसके सीने से दबी जा रहीे थी,,, निर्मला से रहा नहीं गया तो वह खुद ही अपनी बेटे के टी शर्ट को ऊपर की तरफ सरका कर उतारने लगी,,, कुछ ही पल में शुभम अपनी मां की आंखों के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा था उसका टनटनाया हुआ लंड उसकी बुर में जाने के लिए हिचकोले खा रहा था। अपने बेटे की खड़े लंड को देखकर निर्मला तड़प उठी और आगे हांथ बढ़ाकर उसके लंड को पकड़ कर मुट्ठीयाने लगी,, वक्त और सब्र बहुत ही कम था इसलिए शुभम एक पल भी गंवाए बिना ही अपनी मां की पेटीकोट की डोरी को पकड़कर एक झटके से खींच दिया,,,, और तुरंत निर्मला की पेटीकोट नीचे गिर गई अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी मे हीं खड़ी थी जिसे शुभम ने तुरंत उसके बदन से अलग कर दिया और मां बेटे दोनों संपूर्ण नग्नावस्था में हो गए। दोनों अब एक पल भी रुक नहीं सकते थे इसलिए एक बार फिर से एक दूसरे के बदन से लिपटनें चिपकने लगे,,, शुभम एक बार फिर से अपनी मां को नंगी करके अपनी बाहों में भर लिया और उसका खड़ा लंड उसकी मां की बुर के द्वार पर ठोकर मारने लगा जिसकी वजह से निर्मला की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी,,, वह तुरंत गर्म सीत्कारी भरते हुए अपने हाथ को नीचे ले आए और अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़ कर उसके गरम सुपाड़े को अपने बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर,,, रगड़ने लगी ऐसा करने पर उसके मुंह से गर्म सिसकारी और तेज निकलने लगी,,,,

ससससहहहह,,,,,, आााहहहहहहहहह,,,,,, सुभम मुझसे रहा नहीं जा रहा है बस डाल दे तू अपने लंड को मेरी बुर में,,,,आहहहह,,,, बहुत गरम लंड है तेरा,,,,,

( शुभम भी अपनी मां की निप्पल को मुंह में भरकर चूसते हुए बोला,,,,,)

तुम्हारी बुर भी तो बहुत गर्म है इसलिए तो मेरा लंड इतना ज्यादा टाइट हो गया है,,

तो डाल दे अपने लंड को मेरी बुर में मेरी प्यास बुझा दे,,,,,,
( निर्मला के साथ-साथ शुभम भी एकदम उतावला हो गया था अपनी मां की बुर में लंड डालने के लिए,,,,, लेकिन उसको बहुत मजा आ रहा था इसलिए वह अपनी मां की चूची को पीते हुए हल्के हल्के से कमर हिला रहा था जिसकी वजह से उसके लंड का सुपाड़ा बुर के ईर्द गिर्द रगड़ खा रहा था,,,, लेकिन इस हरकत पर निर्मला की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,, वह जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी,,, उससे जब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह खुद ही अपने बेटे के लंड के सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर,,, अपनी कमर हटी की तरफ सरकाई तो बुर एकदम गीली होने की वजह से सुपाड़ा हल्का सा अंदर चला गया,,,, इतने से तो निर्मला के बदन की कामाग्नि और भी ज्यादा प्रज्वलित हो गई,,,, शुभम तो चूची पीने में व्यस्त था उसे आज चुची पीने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था। क्योंकि उसके तन बदन में शीतल की चूची के वजह से ही कामाग्नि भड़की थी,,,, निर्मला तो एकदम से कामोत्तेजित हो करके शुभम को अपनी बाहों में कस ली और खुद ही अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाने लगी,,, लेकिन उसका यह प्रयास बिल्कुल भी सफल नहीं हो पा रहा था वह एकदम से बेताब हो चुकी थी,,,,,

प्लीज शुभम प्लीज मुझसे रहा नहीं जा रहा है तेरे मोटे लंड को मेरी बुर में डाल दे चोद मुझे,,,,, चोद मुझे शुभम,,,,,,
( इधर निर्मला व्याकुल हुएें जा रही थी और दूसरी तरफ उसकी मां झोंके खाते-खाते कुर्सी पर से गिरते हुए बची तो उसकी नींद खुल गई,,,, उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए कुर्सी पर से उठ कर वह बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, बाथरूम में निर्मला और शुभम दुनिया से बेखबर,,, अपनी ही मस्ती में डूबे हुए थे । शुभम अपनी मां के उतावलेपन को देखकर वह भी एक दम से अधीर हो गया,,
वह उसी तरह से खड़े खड़े ही एक हाथ से अपनी मां की कमर को थाम कर दूसरे हाथ से उसकी मांसल जांघे को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा दिया और एक ही प्रहार में , आधे से भी ज्यादा लंड वह अपनी मां की बुर में उतार दिया,,, कमर को अच्छे से पकड़कर धीरे-धीरे चोदना शु्रु किया ही था कि तभी भड़ाक की आवाज के साथ दरवाजा खुला और दोनों की नजर दरवाजे पर चली गई,,,, निर्मला की मां अपने आप को संभालना पाने की वजह से लड़खड़ाते हुए सामने की दीवार से टकराने ही वाली थी कि उसके हाथ में हैंगर से लटका हुआ टॉवल आ गया जिसे वह पकड़ कर संभल गई,, लेकिन आंखों से चश्मा निकल कर नीचे गिर. गया,,, बाथरूम में निर्मला को आई हुई देखकर निर्मला की तो होश ही उड़ गए,,,,शुभम की भी हालत खराब हो गई । दोनों को लगने लगा कि आज वह लोग रंगे हाथ पकड़े गए हैं। दोनों कुछ भी बोलने लायक स्थिति मे नहीं थे। शुभम का आधा से भी ज्यादा लंड ऊसकी बुर मे घुसा हुआ था। दोनों जैसे के तेसे उसी स्थिति में खड़े थे। निर्मला समझ गए कि पकड़े हो गए हैं अब छुपाने से कोई फायदा नहीं था और वह हड़बड़ाहट में बोली,,,,

,,,,,मममममम,,,,,,,,मम्मी तुम,,,,,, तुम,,,, यहां,,,,,,,,,,,,

अरे बेटी तू भी यहीं है ज़रा देख तो मेरा चश्मा नीचे गिर गया है। ( वह नीचे झुक कर अपना चश्मा ढूंढ रहीं थी,,, तभी निर्मला अपनी मां की तरफ ध्यान से देखी तो वह अब तक नीचे झुक कर चशमा ही ढुंढ रही थी। निर्मला को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां की नजर अभी तक उन दोनों पर नहीं पड़ी है। शुभम भी यह बात समझ गया,,,, और अपनी मां का इशारा पाते ही कपड़े लिए बिना ही वह नंगा ही बाथरुम से निकल गया।
03-31-2020, 03:43 PM,
#88
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
एक बार फिर से दोनों की प्यास बुझाने की बजाए और ज्यादा भड़क गई थी,,,, शुभम बिल्कुल नंगा ही बाथरुम से बाहर निकल गया था और भागता हुआ अपने कमरे में घुस गया था,,,
बाथरूम में निर्मला भी पूरी तरह से वस्त्र विहीन थेी,, बाथरूम में एकाएक अपनी मां को आया हुआ देखकर वह पूरी तरह से हड़बड़ा गई थी,,, वह तो उसकी मां का ध्यान ना होने पर सर्वप्रथम अपने बेटे को बाथरुम से निकालने का काम की थी उसके जाने के बाद भी उसे कपड़े पहनने की या अपने बदन को टावल से ढक लेने की भी शुध नही थी। वैसे भी ऐसे हालात मे इंसान सबसे पहले अपनी गलती को छुपाने की कोशिश करता है बाकी सब कुछ हुआ भूल जाता है और वही काम निर्मला ने भी की थी मौका देख कर सबसे पहले बाप ने बेटे को बाथरुम से बिना कपड़ों के ही बाहर भेज दी थी,,,, क्योंकि ऐसी हालत में अगर उसकी मां उन दोनों को देख लेती तो एक नया बखेड़ा खड़ा हो जाता और जो की अभी तक अपनी मां की संस्कारी लाडली बनी हुई बेटी थी वह एकाएक उसकी नजरों से गिर जाती,,,, बल्कि ऐसे हालात में अगर उसकी मां उन दोनों को देख लेती तो शायद उन्हें दिल का दौरा तक पड़ जाने की उम्मीद थी। क्योंकि शुभम की उम्र उस तरह की नहीं थी कि वह अपनी मां के साथ पूरी तरह से नग्न अवस्था में स्नान कर सके अब वह पूरी तरह से जवान लड़का हो चुका था और ऐसी हालत में अपनी मां के साथ नग्नावस्था में बाथरूम में होना सब कुछ बयां कर देता,,,
वह तो गनीमत थी कि निर्मला की मां की आंखों से चश्मा नीचे गिर गया बरवा चश्मा ढूंढने में ही व्यस्त हो गई और बाथरूम भी काफी लंबा था और निर्मला शुभम दोनों बाथरूम के कोने में खड़े होकर के एक दूसरे की प्यास बुझाने की कोशिश कर रहे थे,,,, और इसलिए निर्मला की मां की नजर सीधे उन दोनों पर नहीं पड़ी।,,,
अपनी मां को इस तरह से नीचे झुक कर चश्मा ढूंढने के लिए फर्स टटो लेते हुए देख कर और खुद को बचाने की हड़बड़ाहट में नग्नावस्था में ही निर्मला लगभग दौड़ते हुए अपनी मां के करीब गई और,,, फर्श पर गिरा चश्मा उठा कर अपनी मां की आंखो पर लगाते हुए बोली,,,

क्या मम्मी आप भी तो थोड़ा संभाल कर चला करिए और ऐसी क्या जल्दी पड़ गई थी कि आप इस तरह से बाथरुम में इतनी तेजी से अंदर आई,,, वह तो अच्छा हुआ कि सही समय पर आपके हाथों में टावल आ गया वरना आप गिर जाती,, आपको चोट भी लग सकती थी,,,,

अरे बेटी क्या करूं मुझे जोर की पेशाब लगी हुई थी तो मैं अंदर आ गई,,,, और जल्दबाजी मे मेरा पैर फीसल गया, ( चश्मा पहन कर वह उठने को हुई,,,तो निर्मला सहारा देकर उसे उठाने लगी जैसे ही वह अपने पैरों पर खड़ी हुई अपने चश्मे को ठीक करते हुए,,,) तू ठीक ही कह रही है अच्छा हुआ कि मेरे हाथों में टॉवल,,,( इतना कहते हुए वह एकदम शांत हो गई वह ऊपर से नीचे तक निर्मला को देखने लगी निर्मला पूरी तरह से नंगी थी,,,,,) हे भगवान,,,,,, निर्मला बेटी,,,,,
तू बाथरूम एकदम नंगी होकर जाती है तुझे शर्म नहीं आती तुझे जरा भी,,,,लाज लिहाज है की नही,,,, क्या औरतों को इस तरह से नहाना शोभा देता है,,,,, यह संस्कारी औरतों का काम बिल्कुल भी नहीं है निर्मला तु शहर में आकर एकदम बदल गई है।
( अपनी मां की बातों को सुनकर उसे अपनी स्थिति का भान हुआ तो झट से हैंगर पर लटके टॉवल को उठाकर अपने बदन से लपेट ली,,,)

क्या मां इस बाथरुम में मैं अकेली ही तो थी कपड़े पहन कर नहाऊ या कपड़े उतारकर क्या फर्क पड़ता है।,,,, ऐसे भी यहां कौन देखने वाला है।,,,

क्या पागलों जैसी बात कर रही है निर्मला पर इस तरह से नंगी होकर के नहाना संस्कार में नहीं है।

क्या मम्मी आप भी दकियानुसी बातों को लेकर के अभी तक चल रही है। अरे इस तरह से बाथरूम में चारदीवारी के अंदर बंद हो कर के कपड़े उतार कर नहा रही हुं तो इस में क्या हर्ज है।

हर्ज क्या है,, मैं इतना तो समझ सकती हूं कि शहर में रहकर रहने का रंग ढंग बदल ही जाता है लेकिन तू बंद चारदीवारी की बात कर रही है तो यह चारदीवारी बंद कहां है,,,, दरवाजा तो तू खुला छोड़ कर अंदर इस तरह से नंगी होकर के नहाने जा रही है,,,,,
( अपनी मां की बात सुनते ही उसे ख्याल आया कि लगता है शुभम जल्दबाजी में दरवाजा बंद करना भूल ही गया तब उसे अपनी और सुभम की गलती का एहसास हुआ,,,, वह बात को संभालते हुए बोली,,,।)

मम्मी दरवाजा भूलकर खुला छूट गया होगा वैसे मैं हमेशा खुला नहीं छोड़ती,,, और वैसे भी अगर खुला छूट गया तो इधर दूसरा है ही कौन जो मुझे इस तरह से देख लेगा,,,

क्यों शुभम घर पर नहीं है और वैसे भी तुझे इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि अब वह जवान हो रहा है,,,, ( जवान होने वाली बात सुनकर वह मन ही मन में बोली मुझे पता है मम्मी की मेरा बेटा जवान हो रहा है कभी तो उसके साथ में बाथरूम में मजा करना चाहती थी लेकिन ऐन मोके पर तुम जो चली आई,,,,) अगर मेरी जगह वही चला आता अोर तुझे ईस हाल में देखता,,, तो तू सोच वह क्या करता तेरे बारे में क्या सोचता हूं क्योंकि अब वह जवान हो रहा है,,,,( अपनी मां की ईस बात पर वह मन ही मन में बोली,,, मुझे देख कर वह क्या सोचता वह तो खुद ही मेरे नंगे बदन से आकर लिपट जाता,,,, और मुझे चोद देता,,,) तुझे अब इस बात का ख्याल रखना चाहिए,,,।

क्या मम्मी आप अभी छोटी सी बात का बतंगड़ बना रही हो ( वह अपने नंगे बदन टुवाल से छुपाते हुए बोली)
03-31-2020, 03:44 PM,
#89
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तु जैसे भी नहा तेरी मर्जी तेरा घर है,,,, (इतना कहकर वह बिना पेशाब की यही बाथरुम से बाहर चली गई,,, जैसी वह बाथरुम से बाहर गई उसकी जान में जान आई आज वह बाल बाल बची थी,,,, लेकिन एक बार फिर से अपनी मां पर वह क्रोधित होने लगी किसी गुस्सा आने लगा कि बेवजह चली आई गांव में आराम से रह रही थी,,,,। यहां खुद भी परेशान होने आई है और दूसरों को भी परेशान करने आई है,,, निर्मला का मन व्यथित हो गया था,,, आज कई दिनों बाद उसे फिर से मौका मिला था अपने बेटे के लंड को बुर में लेकर चुदवाने का लेकिन उसकी मां ने सारे किए कराए पर पानी फेंर दी थी,,,
निर्मला की कामवासना जिस तरह से भर के तू इस तरह से उसकी मां के बाथरूम में आ जाने की वजह से,,,, तुरंत ठंडी भी हो गई थी। लेकिन अपने बेटे के लंड की मोटाई और उसकी रगड़ अभी तक वह अपनीं बुर के अंदर महसूस कर रही थी,,,, एक बार फिर से वह चुदाई के सुख से वंचित रह गई थी,,,, निर्मला का सारा मजा किरकिरा हो गया था वह बेइमान से स्नान करने लगी,,,,
दूसरी तरफ कमरे में पहुंचते ही शुभम का ख्याली घोड़ा दौड़ने लगा था,,,, उसके मन में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि,,,, आखिर उसकी नानी बाथरूम में आ कैसे गई,,,, तभी उसे ख्याल आया कि जब वह बाथरुम में प्रवेश किया था तो वह अपनी मां को अर्धनग्न अवस्था में देखकर एकदम से उत्तेजित हो गया था और उसी उत्तेजना की वजह से वह बाथरुम में लॉक लगाना भूल गया था। अपनी ईस गलती पर उसे अपने आप पर बहुत गुस्सा आने लगा,,,,, उसके मन में ढेर सारी ख्याल आ रहे थे वह मन ही मन में सोच रहा था कि कहीं उसकी नानी ने उन दोनों को उस अवस्था में देख तो नहीं लिया था,,,, अगर कहीं सच में उन्होंने देख लिया होगा तब तो आज घर में कोहराम मच जाएगा,,,, सब कुछ बर्बाद हो जाएगा यही सब सोचते हुए वह कपड़े पहनने लगा,,,,, बस सोचने लगा कि आज अपने आप को बचाने के लिए वह बाथरुम में से पूरी तरह से नंगा ही भागते हुए अपने कमरे में आया था लेकिन अपनी अवस्था का उसे जरा भी भान नहीं था। अगर ऐसी हालत में कोई उसे देख लेता तो क्या सोचता,,, वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगा कि उसकी नानी ने उसे बाथरूम में ना देखी हो,,,
यही सब सोचते हुए मन में घबराहट लिए वह अपने कमरे से शाम हो गई लेकिन बाहर नहीं आया,,,
दूसरी तरफ निर्मला पूरी तरह से निश्चिंत हो चुकी थी वह समझ गई थी कि उसकी मां ने उन दोनों को नग्नावस्था में नहीं देख पाई थी नग्न अवस्था में क्या दोनों चुदाई ही कर रहे थे,,, ऐसा भी कह सकते हैं कि निर्मला की मां ने अपने बेटी को अपने ही नाती से चुदवाते हुए नहीं देख पाई थी,,,, मां बेटी दोनों बैठ कर बातें कर रहे थे कि तभी उसकी मां बोली,,,,

बेटी शाम हो गई लेकिन अभी तक सुबह मैं अपने कमरे से बाहर नहीं आया है जा कर देख तो कहीं उसकी तबीयत तो नहीं खराब है,,,,,
( अपने बेटे का इस तरह से कमरे में घुस कर बैठे रहना इसके पीछे का कारण उसे अच्छी तरह से मालूम था वह जानती थी कि शुभम बाहर आने से इस बात से डर रहा है कि कहीं नानी ने उसे बाथरुम में देख ना ली हो,,, इसलिए वह अपनी मां से बोली,,,।)
ठीक है मम्मी मैं अभी देख कर और उसे बुलाकर लातीे हुं।
( इतना कहकर वह शुभम के कमरे की तरफ जाने लगी लेकिन पकड़े ना जाने की पूरी तसल्ली के कारण निर्मला मन ही मन में मुस्कुरा रही थी,,,, वह अपने बेटे के कमरे के दरवाजे तक पहुंच कर जैसे ही दरवाजे पर दस्तक देने के लिए हाथ लगाई दरवाजा खुद-ब-खुद खुल़ गया,,,, उसे फिर से एक बार शुभम की गलती पर गुस्सा आने लगा और वह कमरे में प्रवेश करके देखी तो,, बिस्तर पर शुभम आराम कर रहा था वह सो रहा था बाहर केसे दरवाजे को बंद करके बिस्तर पर जाकर बैठ गई। और शुभम को ऊपर से नीचे तक बड़े प्यार से देखने लगी,,,,, नींद मैं होने के बावजूद भी उसका लंड की तरह से टाइट था और पजामे में तंबू बनाए हुए था। निर्मला से रहा नहीं गया और वहां झटसे पजामे के ऊपर से ही शुभम के लंड को अपनी हथेली में भर ली,,,, लंड के कड़क पन को अपनी हथेली में महसूस कर के उत्तेजना के मारे निर्मला ने कस के दबा दी,,,, और शुभम तुरंत नींद से जाग गया,,,, आंख खुलते ही बिस्तर पर अपनी मां को पजामे के ऊपर से लंड पकड़ा देखकर उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ गई लेकिन बाथरूम वाले,,, लफड़े की वजह से,,,वह बोला,,,

मम्मी नानी को क्या सब कुछ पता चल गया क्या उन्होंने हम दोनों को उस अवस्था में देख ली,,,
( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला को समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा अभी भी डरा हुआ है।

और अपने बेटे को थोड़ा सा परेशान करने के उद्देश्य से वह अपने चेहरे का भाव बदलते हुए बोली,,,,


तू एकदम बेवकूफ है बुद्धू है कितना बड़ा हो गया लेकिन जरा सी भी अक्कल नहीं है तुझमें,,,,

क्यों क्या हुआ मम्मी मुझसे कौन सी गलती हो गई,,, (शुभम परेशान होता हुआ बोला लेकिन इस दौरान निर्मला अपनी मुट्ठी में पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए थी।)

कौन सी गलती हो गई,,,, तुझसे तो बहुत बड़ी गलती हो गई है मैं कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तू इतनी बड़ी बेवकूफी वाली हरकत कर देगा,,,,( शुभम के चेहरे पर डर के भाव साफ नजर आ रहे थे जिसे देखकर निर्मला मन ही मन खुश हो रही थी)

क्या हो गया मम्मी,,,,

तू आज सब कुछ बर्बाद करके रख दिया इतना सपना देख कर रखी थी कि मैं तेरे साथ अच्छे तरीके से दिन रात चुदाई का सुख भोगूंगी,,, हमेशा तेरे लंड से मजे लूंगी,,,,, दिन रात हम दोनों ऐश करेंगे लेकिन तुनें सब किए कराए पर पानी फेर दिया,,,,,
( अपनी मां की बात सुनकर से तुम पूरी तरह से डर गया था वह समझ गया कि कोई जरूर बड़ी बात हो गई है उसकी नानी ने उन दोनों को नग्नावस्था में चुदाई करते हुए देख ली है,, शुभम का तो रोने जेसा मुंह बन गया,,,, उसका चेहरा देखते बन रहा था,,, निर्मला बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,,)

तुझे किसने कहा था दरवाजा खुला छोड़ने के लिए जब तू बाथरुम के अंदर आया तो क्या दरवाजा बंद नहीं कर सकता था,,,,,( शुभम को अपनी गलती का पूरी तरह से एहसास हो चुका था वह मन में मानने लगा कि ऊससे बहुत बड़ी गलती हो गई है। वह लगभग रोने जैसा हो गया और अपनी मां से बोला।)

मम्मी मुझसे सच में बहुत बड़ी गलती हो गई है बाथरूम में आते ही मुझे दरवाजा बंद कर देना चाहिए था लेकिन क्या करता,,, तुम्हें सामने देखते ही ना जाने मुझे क्या हो गया और तो और तुम खुद ही अपने कपड़े उतार रहे थे और ऐसी हालत में तुम्हें देखते ही मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया,,,, और मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और तुमसे जाकर लिपट गया,,,, ऐसी हालत में मैं दरवाजे को बंद करना एकदम से भूल गया।,,,,( शुभम अपने चेहरे पर घबराहट के भाव लिए हुए बोला,,,, अपने बेटे की बातें और उसके चेहरे पर घबराहट देखकर निर्मला को मजा आ रहा था वह थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,,)

एकदम पागल हो गया था क्या,,,,, अरे मैं कहीं भाग थोड़ी रही थी,,,, मैंने जब तुझे खुशी खुशी अपना तन बदन तुझ पर न्योछावर कर दी हूं तो तुझे इतनी जल्दबाजी दीखाने की क्या जरूरत थी आखिर अब मैं तेरी ही हुं।, थोड़ा बहुत सब्र किया होता तो इस की नौबत ही नहीं आती,,,,,,


तो क्या मम्मी नानी ने हम दोनों को देख ली,,,,

मैं तो एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई आखिर में अपनी सफाई में में क्या बताती जो कुछ भी था उनकी आंखों के सामने ही था,,,,


पर मम्मी नानी ने तो हम दोनों को देख नहीं पाई थी वह तो अपना चश्मा ढूंढ रही थी,,,,

चश्मा नहीं ढूंढ रही थी वह शर्म के मारे अपना मुंह छिपा रही थी,,,,,
( अपनी मां की बातों को सुनकर शुभम पूरी तरह से घबरा गया और उसकी घबराहट का असर उसके तनाव में आए लंड पर भी पड़ा,,,, डर की वजह से उसका लंड ढीला पड़ने लगा जो की रेत की तरह निर्मला की हथेली से फिसलता जा रहा था,,,, अपने बेटे की हालत देखकर निर्मला को उस पर तरस आने लगा लेकिन मन ही मन उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, लेकिन वह अपने बेटे को ज्यादा परेशान करना नहीं चाहती थी इसलिए हंसने लगी और उसे हंसता हुआ देखकर सो तुम को समझ में नहीं आया कि ऐसी हालत में थी वह क्यों हंस रही है इसलिए वह बोला,,,,।

मम्मी यहां हालत एकदम खराब है और आपको हंसी छूट रही है,,,,

अब हंसू नहीं तो क्या करूं,,,, तू देख कितना डरा हुआ है,,,
( शुभम को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां क्या कह रही है और क्यों कह रही है जबकि यह बात सच थीै कि वह डरा हुआ ही था,,,।) तू बहुत जल्दी घबरा जाता है,,,, कभी तो घबराहट की वजह से देख तेरा ये( पजामे के ऊपर से ही धीरे लंड को मुट्ठी में पकड़ते हुए,,) लंड कैसे सिकुड ़सा गया है।

मम्मी ऐसी हालत में यह लंड सिकुड़ेगा नहीं तो क्या लट्ठ की तरह खड़ा रहेगा,,,,

बेटा जिस विश्वास के साथ मैंने तुझे अपना सब कुछ सौंप चुकी हूं उस विश्वास को बनाए रखने के लिए तेरे लंड को डंडे की तरह खड़ा रहना ही जरूरी है,,,,

लेकीन नानी,,,, ( शुभम डरते हुए बोला,,,)

तुलसी चिंता मत करो उन्होंने कुछ भी नहीं देखी है,,,,

सच मम्मी,,,, ( शुभम एकदम से चंहकते हुए बोला,,,,)

शत प्रतिशत सच मै तो तुझे डरा रही थी,,,, और तू सच में एकदम से घबरा गया,,,,,,

मम्मी ऐसे हालात में घबराओ नहीं पता करो और वैसे भी तुमने मुझे सच बता कर मेरे सिर से बहुत बड़ा बोझ हटा दिहो,,,,


लेकिन तेरा लंड तो एकदम ढीला पड़ गया,,,,,

यह खड़ा भी तो तुमको देख कर ही होता है तो इसे खड़ा भी कर दो,,,( शुभम बड़े ही शरारती अंदाज में बोला,,,)

तू अब इस मामले में बहुत शैतान होते जा रहा है। ला खड़ा कर दु,,,,, ( इतना कहने के साथ ही निर्मला शुभम के पजामे को थोड़ा सा नीचे सरका कर दी और ढीले लंड को बाहर निकालकर उसे मुट्ठी में भरकर हिलाने लगी,,,, कुछ ही सेकंड में उसके ढीले लंड में तनाव न शुरू हो गया,,,दोनो एक दुसरे की आंखो मे डुबते चले जा रहे थे। निर्मला एक हांथ से अपने बेटे के लंड को मुठीया रही थी। और मस्त हुए जा रही थी।शुभम से भी रहा नही गया और वह तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही एक बार फिर अपनी मां की चुचियों को थाम लिया,,, निर्मला ह पर मदहोशी छाने लगी
वह अपनी तो ऐसे हॉट को अपने बेटे की हॉट के बिल्कुल करीब लेकर आने लगी और जैसे ही,,,, वह अपनी बेटे के करीब आई,,, कभी जैसे किसी लोहे को लोहा चुंबक अपनी तरफ तुरंत आकर्षित कर लेता है खींच लेता है,,, ठीक उसी तरह निर्मला के हॉठ उसके बेटे की हॉठ पर जाकर भिड़ गए,,, और तुरंत दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमना शुरू कर दिए,,,,, दोनों के बदन में मस्ती की लहर दौड़ने लगी,,,, निर्मला तो भूल ही गई कि वह शुभम को बुलाने आई थी,,,, दोनों के बदन में सुरुर चल ही रहा था कि तभी आवाज आई,,,,
,,,
अरे निर्मला इतनी देर कहां लगा दी,,,,, शुभम की तबीयत तो ठीक है ना,,,,,

( अपनी मां की आवाज को सुनते ही निर्मला की तंद्रा टूटी,,,, एक बार फिर से उसे अपनी मां पर गुस्सा आने लगा,,,,)
03-31-2020, 03:44 PM,
#90
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कुछ दिन तक यूं ही चलता रहा मां बेटे दोनों को किसी और की घर में युं दखलगिरि रास नहीं आ रही थी,,,, उत्तेजना और उन्माद की पराकाष्ठा दोनों को वासना की आग में झुलसा रही थी। दोनों के तन बदन मिलन को तरस रहे थे। अशोक भी घर में सास के होने की वजह से ज्यादातर समय बाहर ही रहता था अब तो वह रात को भी अपनी असिस्टेंट के साथ ही गुजारता था। निर्मला की मां को मोतियाबिंद का जिसका ऑपरेशन कराना था और वह डॉक्टर के वहां अपनी मां को ले कर दी गई लेकिन अभी भी डॉक्टर ने उसे दो दिन बाद ही ऑपरेशन करने को कहा,,, यहां तो एक-एक पल दोनों के लिए महीनों की तरह गुजर रहे थे ऊपर से यह 2 दिन,,, सोच कर ही इन दोनों के सब्र का बांध जवाब देने लगता।,,,
आखिर ऐसा क्यों ना हो,, ऐसा होना भी लाजमी था,,,, आखिरकार बरसों के बाद उसकी जिंदगी में पहली बार किसी जवान लड़के का और वह भी खुद के ही लड़के का,,
जबरदस्त तगड़ा मुसल जैसे लंड से चुदने को जो मिल रहा था। और शुभम जो जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही पहली बार जवानी का रस चख रहा था। और वह भी एक ऐसी मदमस्त कर देने वाली गुदाज बदन की महारानी निर्मला जोकी उसकी खुद की ही सगी मां थी,,,, जिसकी बदन से फूलों से चुराया हुआ मदन रस टपकता था। जिसके मदन रस में डुब के शुभम सारी दुनिया को भूल चुका था,,,, भला ऐसी औरत की जवानी का रस चखने के बाद शुभम अपने ऊपर तब तक सब्र रख पाता,,,,,, इसलिए तो वह व्याकुल था अपनी मां के खूबसूरत बदन के साथ मस्ती करने के लिए। लेकिन मस्ती करने के लिए उन दोनों को भी किसी प्रकार का मौका नहीं मिल पा रहा था इसलिए दोनों व्यथीत हो चुके थे। ऐसे ही एक दिन शुभम निर्मला और उसकी मां तीनों कमरे में बैठ कर बातें कर रहे थे,,,, लेकिन निर्मला और शुभम बातें तो जरूर कर रहे थे लेकिन दोनों का ध्यान बातो पर ना हो करके एक दूसरे को आंखों से इशारा करने में लगा हुआ था। निर्मला की मम्मी बिस्तर पर बैठी हुई थी और वह खुद कुर्सी पर बैठ कर बातें कर रही थी और शुभम अपनी मां के सामने वाली कुर्सी पर बैठ कर अपनी आंखों से अपनी मां के खूबसूरत बदन का रसपान कर रहा था। शुभम से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था बार-बार वह नजर बचाकर अपने पैंट में बने तंबू को हाथों से मसल दे रहा था और मसलने के साथ ही,,, अपनी मां को आंखों से इशारा करके दूसरे कमरे में चलने के लिए कह रहा था। और निर्मला थी कि अपनी मां के पैर दबाती हुई उसे सिर हिलाकर ना में जवाब दे रही थी। यह नजारा देखने में भले ही सामान्य था लेकिन इस नजारे में कामोत्तेजना पूरी तरह से भरी हुई थी। छेड़छाड़ और वह भी आंखों से,,,, एक दूसरे के बदन में उतर जाने वाले बदन भेद ईसारे,,,ऊफ्फ्फ्फ,,,, ऐसा लग रहा था मानो दोनों एक दूसरे को अपनी आंखों से ही चुदाई का पूरा सुख देना चाहते हो,,,,, निर्मला में भी कामोत्तेजना पूरी तरह से भर चुकी थी,,,,, वह बार-बार अपनी बेटी की नजरों से हो रहे उन्मादक इशारों का मतलब मन में ही भांपकर,,, पूरी तरह से चुदवासी होने लगी थी उसकी पैंटी अपनी रंगत मदन रस के रीसने की वजह से खो रही थी। निर्मला की मां थी कि उसे गांव का हाल समाचार बता रही थी जिस पर ना तो निर्मला का ही ध्यान था और ना ही शुभम का बस दोनों एक दूसरे को नज़रों ही नज़रों में खा जाने वाले इशारे कर रहे थे। शुभम के इशारे और निर्मला की ना नुकुर को देखते हुए ऐसा लग रहा था कि मानो,,, एक बहू अपनी सास का पैर दबा रही हो और,,, और उसी कमरे में बैठा उसका पति एकदम से कामाग्नि में जलकर अपनी पत्नी को दूसरे कमरे में चलने के लिए आंखों से इशारा कर रहा है और उसकी पत्नी शर्मो हया का गहना पहने अपनी सास की हाजिरी में दूसरे कमरे में जाने से इंकार कर रही हो,,,,, जबकि निर्मला का भी मन पूरी तरह से अपने बेटे से चुदवाने का हो चुका था लेकिन अपनी मां की हाजिरी में वह दूसरे कमरे में जाकर चुदवाना उचित नहीं समझ रही थी क्योंकि ऐसे में उसकी मां को शंका भी हो सकती थी और. वह उन लोगों को उस संभोग की स्थिति में देख भी सकती थी।,,, दोनों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें कैसे अपने तन बदन की प्यास बुझाए,,, शुभम का लंड. ऊसके पजामे में पूरी तरह से लोहे का रॉड बन चुका था। जिसे बार-बार वापस जाने के ऊपर से निकल दे रहा था और निर्मला की नजर उस पर चली जा रही थी जिसकी वजह से उसके बदन की भी कामाग्नि पूरी तरह से भड़क चुकी थी। शुभम के इशारे अभी भी लगातार जारी थे वह अपनी मां को किसी भी तरह से मनाना चाहता था ताकि वह बगल वाले कमरे में जाकर के चुदवा सके,,, लेकिन यह निर्मला के लिए शायद संभव नहीं था,,, शुभम अभी अपनी मां को मनाने में लगा हुआ ही था कि तभी उसकी नानी बोली,,,


शुभम बेटा

जी नानी,,,

बेटा जरा मेरी आंखों में दवा तो डाल दे काफी जलन महसूस हो रही है,,,,

जी नानी अभी डाल देता हूं,,,,,( इतना कहकर वह बेमन से टेबल पे रखी हुई आंखकी दवा को लेकर अपनी नानी के पास पहुंच गया और उसकी नानी ने तुरंत अपनी आंखों पर लगा चश्मा उतारकर पास में ही बिस्तर पर रख दी,,,,,, शुभम ने उसे आंख की दवा को लेकर उसमें से दो दो बूंद दोनों आंखों में डाल दिया,,,,, और वहीं अपनी नानी के पास ही बैठ गया,,,, निर्मला उठ कर पास में ही लगे आदमकद शीशे के सामने खड़ी होकर के अपने आप को संवारने में लग गई,,,,,
जैसे ही वह अपने बालों में लगी क्लिप को खोलें उसके रेशमी घने काले मुलायम बाल खुलकर हवा में बिखरने लगे,,,,, ऐसा लगने लगा मानो की,,, खुले आसमान में एकाएक काले घने बादल छा गए हो,,,,, खुले बालों में निर्मला का खूबसूरत चेहरा और भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगा,,, उसको पहले से ही शुभम का बाघ ने की ज्वाला में झुलस रहा था और उस पर अपनी मां की खूबसूरती को देख कर एक बार फिर से अपने आप को संभालना उसके लिए मुश्किल होने लगा,,,,, बाल को संभालते हुए अनजाने में ही उसके कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया,,,,, और शुभम को उसकी मां की बड़ी बड़ी चूचियां एकदम खुली भले ही ब्लाउज में कैद थी,,,, लेकिन निर्मला ने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी जिसकी वजह से उसकी चूचियों ब्लाउज के अंदर होने के बावजूद भी साफ साफ नजर आ रही थी। शुभम तो उन्हें देखते ही एकदम अपने आपें से बाहर हो गया,,,, और एक नजर अपनी नानी पर डाला जो कि अभी आंख बंद किए हुए थी,,,, अपनी नानी को इस तरह से आंख बंद किए हुएे देखकर उसके में थोड़ी सी हिम्मत हुई और वह,,, बिस्तर पर से उठ कर सीधे अपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसे बिना सोचे समझे ही अपनी बाहों में भर लिया,,,,, आईने मे शुभम को और खुद को उसकी बांहों में पाकर वह अपनी मां की मौजूदगी में एकदम से हड़बड़ा गई,,,, और अपने आप को छुड़ाते हुए दबी आवाज में बोली,,,,

शुभम तू पागल तो नहीं हो गया है क्या कर रहा है देख रहा है कमरे में मम्मी है तो भी तू,,,,

मम्मी तुम्हारा यह खूबसूरत बदन अरे तुम्हारी जवानी देख कर मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है,,,,

अरे मैं भागी नही जा रही हूं आज नहीं तो कल हम दोनों को मौका मिलेगा तो कर लेना लेकिन शर्म कर तेरी नानी कमरे में है अगर उन्होंने हम दोनों को देख लिया तो,,,,,( शुभम के दोनों हाथ पकड़ कर अपने आप को छुड़ाते हुए बोली,,,)

नहीं देख पाएंगी मम्मी अभी देखो ना नानीं आंखें बंद की हुई है। ( इतना कहते हो गए शुभम जबरदस्ती अपनी मां के ब्लाउज में हाथ डालकर चूची को दबाने लगा,,,,,) मम्मी बस आाज कर लेने दो जब तक वह ठीक हो जाएगी तब तक अपना काम हो चुका होगा,,,,

सससससहहहहहह,,,,, ऐसे मत दबा दर्द कर रहा है,,,,, एकदम पागल हो गया है छोड़ मुझे,,,,,( निर्मला अपने आप को छुड़ाने की कोशिश लगातार कर रही थी और शुभम था कि अपने हाथ से अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोल चुका था और दूसरे को खोलने की तैयारी कर रहा था कि तभी उसकी मां उस पर अपना हाथ रखकर उसे रोकते हुए बोली,,।)
शुभम प्लीज अभी रहने दे मेरा भी बहुत मन कर रहा है लेकिन क्या करूं मेरे मजबूर हूं तू इस तरह से करके हम दोनों को बदनाम करवा देगा और एक बार हम दोनों बदनाम हो गए तो कभी भी किसी के सामने नजरें तक नही ं मिला पाएंगे,,,,,। ( वह शुभम को लोक लाज क्या डर दिखाते हुए अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन शुभम पूरी तरह से कामांध हो चुका था अपनी मां की खूबसूरती देखकर वह एक दम से तड़प चुका था,,, इसी दौरान वह अपने पैंट में बने तंबू को अपनी मां के नितंबों के बीच की दरार में साड़ी के ऊपर से ही उसका दबाव बढ़ाने लगा,,, निर्मला भी अपने बेटे के मुसल जेसे लंड के कड़क पन को अपने नितंबों के बीच महसूस करके एकदम से चुदवासी हो गई,,,, वह बार बार अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करते हुए अपनी मां की तरफ देख ले रही थी जो कि अभी भी आंखें बंद करके बैठी हुई थी। थोड़ी ही देर में शुभम की हरकतों ने निर्मला को भी पूरी तरह से चुदवासी बना दिया,,,, उसके ऊपर का भी कंट्रोल वह खोने लगी,,,,, विरोध कर रहे उसके बदन के साथ-साथ उसका मन भी कमजोर पड़ने लगा। शुभम की कामोत्तेजना और उसकी उन्मादक हरकतों ने निर्मला के भी सब्र के बांध के साथ-साथ शर्मो-हया की दीवार को भी तोड़ने लगी,,,, बातों ही बातों में शुभम ने अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए और ब्लाउज के अंदर फड़फड़ा रहे दोनों कबूतर पंख फैलाकर हवा में उड़ने को पूरी तरह से तैयार हो गए वह हवा में उड़ते इससे पहले ही शुभम ने उन्हें अपनी हथेली में दबोच लिया,,,, और उन्हें मसलना शुरु कर दिया,,,, इस तरह से मसल ने से अगर पंख वाले कबूतर होते तो सच में उनकी प्राण पखेरु उड़ जाते लेकिन यह तो ब्लाउज के अंदर के रहने वाले कबूतर थे जो कि इस तरह से मसले जाने पर उनमें जान आ जाती है,,,, तभी तो इन कबूतरों का रंग सुर्ख लाल होने लगा और इनके आकार में भी वृद्धि होने लगी,,,, चॉकलेटी रंग की निप्पलनुमा
चोंच और भी ज्यादा नुकीली हो कर के,, ऐसा लग रहा था मानो कमान के ऊपर आक्रमण के लिए पूरी तरह. से तैयार है ।

उस तीर से घायल होने के बाद शायद प्राण बच भी जाएं,,, लेकिन बदन रोटी कमान से निकला यह बाण जिसको लग जाए तो उसका बचना असंभव ही है। यह बदन में इस तरह से प्रवेश करता है कि मन के ऊपर लिपटी हुई संस्कार और शर्म मर्यादा की चादर सब कुछ भेदकर इस पार से उस पार निकल जाता है। शायद यही शुभम पर भी हो रहा था तभी तुम शर्म ओ हया को त्याग कर अपनी नानी की कमरे में मौजूदगी को भी नजरअंदाज करते हुए उनकी ही बेटी के साथ संभोग सुख लूटने में लगा हुआ था। आईने में दोनों का प्रतिबिंब नजर आ रहा था निर्मला आईने में अपनी नग्न चूचियों को अपने बेटे की हथेली में देखकर शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,,, निर्मला से अब शुभम को रोक पाना मुश्किल हो जा रहा था वह बार-बार अपनी मां की तरफ नजर उठाकर देख ले रही थी,,, उन दोनों को यह बात अच्छी तरह से मालूम थी कि,,, जैसे ही उनकी आंख खुलेगी उनकी नजर सीधे उन दोनों पर ही पड़ेगी तब उन दोनों का क्या होगा लेकिन इस बात की फिक्र उन दोनों को बिल्कुल भी शायद नहीं थी बस थोड़ा सा डर था और वैसे भी जब वासना सिर ऊतपर सवार हो जाती है तो किसी भी बात का डर और किसी भी बात की फिक्र नहीं रह जाती। यही शुभम और निर्मला के साथ भी हो रहा था शुभम अपनी मां की खूबसूरत बदन को ऊपर से नीचे तक पूरी तरह से टटोलता जा रहा था।ईस टटोलाहत मे निर्मला को भी मजा आ रहा था।,,,, निर्मला भी इस शुभारंभ का अंत नहीं होने देना चाहती थी फिर भी ऊपरी मन से अपने बेटे को रोकने की कोशिश करते हुए बोली,,,,,

बेटा रहने दे मौका मिलते हीै बाद में मैं सब कुछ तुझे दे दूंगी लेकिन अभी रहने दे,,,,,,


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