Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:48 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तो तुम क्या करी मम्मी,,,

मैं क्या करती,,,, भला मर्दों के आगे औरतों का जोर चलता है वह तो अपनी मनमानी करने में लगे हुए थे मेरी चूचियों को चूसते चूसते वह काट भी ले रहे थे,,,,

क्या ऐसा करने में उन्हें मजा आ रहा था,,,

मजा तो आता ही होगा तभी तो एकदम पागलों की तरह मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे थे,,

और तुम्हें मम्मी,,, (उत्तेजना के मारे अपनी सूखे गले को अपने थुक से गीला करता हुआ बोला,,,।)

मुझे तो शुरु-शुरु में दर्द हो रहा था,,,, लेकिन तेरे पापा बिल्कुल बच्चे की तरह मेरी चूचियों को पी रहे थे,,, धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा,,,,, और मेरी भी इच्छा यह कह रहे थे कि वह मेरी चूची को और जोर-जोर से पिए,,,, तू भी तो जब छोटा था तो मेरी चूची को बिल्कुल तेरे पापा की तरह पीता था।,,,
( निर्मला ने यह बात शुभम को उकसाने के लिए बोली थी अब उसे देखना था कि यह तीर ठीक निशाने पर बैठा है या नहीं इसलिए वह शुभम के चेहरे की तरफ देखने लगी जो कि अपनी मां की यह बात सुनकर एकदम से खुश होता हुआ बोला,,,,।)

सच मम्मी क्या मैं भी तुम्हारी चूची को पीता था,,,
( शुभम आश्चर्य और उत्तेजना के साथ बोला निर्मला उसकी उत्सुकता देखकर मन ही मन प्रसन्न होने लगी और हल्के से मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

तो क्या तुझे क्या लग रहा है कि मैं झूठ बोल रही हूं,,( इतना कहने के साथ ही निर्मला अपने दोनों हाथों को अपनी चुचियों पर जोकि ब्लाउज के अंदर कैद थे उस पर रखकर जोर से दबाते हुए ) तेरे पापा ने जो मेरी चुचियों का हाल दबा दबा कर किए थे कि पूछ मत,मेरी गोरी गोरी दूध सी गोरी चुचीयां एकदम लाल टमाटर की तरह हो गई थी।,,,
( निर्मला अपनी बातों की गर्माहट का असर अपने बेटे के चेहरे के बदलते हावभ़ाव को देखकर अच्छी तरह से समझ रही थी। वह समझ चुकी थी कि उसकी अश्लील बातें सुनकर शुभम पूरी तरह से गर्म आ चुका है और उसके मन में उन बातों को लेकर के उत्सुकता भी बढ़ती जा रही है और ऐसा सच में था शुभम को भी चूची पीने का मजा लेना था वह भी देखना चाहता था कि चूची को मुंह में ले कर पीने से और दबाने से क्या वास्तव में बेहद आनंद की प्राप्ति होती है। निर्मला बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,।) और देखने और सोचने वाली बात यह है कि तेरे पापा के इस तरह की हरकत की वजह से मेरी चूचियों का आकार थोड़ा सा बढ़ गया था और मेरी नरम नरम चुचीयॉ एकदम कड़क हो चुकीे थी।


फिर क्या हुआ मम्मी,,,,, (शुभम उसी तरह से अपनी मां की जांघों को अपनी हथेली में दबोचने हुए और सहलाते हुए बोला अपनी मां की बातों को सुनकर उसके बदन में उत्तेजना की झाड़ियां फूट रही थी पजामे के अंदर उसका पेंट पूरी तरह से गदर मचाई हुए था वह बाहर आने के लिए तड़प रहा था जिसे वह बार-बार हाथ लगा कर दबा देने की कोशिश कर रहा था लेकिन यह कोशिश बिल्कुल नाकाम साबित हो रही थी और अपने बेटे की इस हरकत को देखकर निर्मला मन ही मन मुस्कुराते हुए उत्तेजना का भी अनुभव कर रही थी।)

फिर क्या था तेरे पापा ने तो मेरे पूरे बदन पर चुंबनों की झड़ी बरसाने लगे जैसे जैसे वह मेरे बदन को चूमते जा रहे थे वैसे वैसे उधर का वस्त्र अपने आप हट़ते जा रहा था। उन्होंने मेरे बदन से धीरे-धीरे करके साड़ी को उतार फेंका,,,,,( निर्मला की बात सुनकर शुभम की उत्तेजना बढ़ने लगी थी और उसकी सांसे तेज गति से चल रही थी। ) उसके बाद तो वह मेरे पेटीकोट की डोरी को एक झटके से खोल दिए,,,,( निर्मला बताते-बताते अपनी चूचियों को भी अपने ही हाथ से दबाए जा रही थी।)


इसके बाद क्या हुआ मम्मी,,,,( शुभम फिर से उतसुक्ता बस पूछा)

उसके बाद तो बेटा उन्होंने कब मेरे बदन से मेरी पेटीकोट भी निकाल कर बाहर फेंक दिया मुझे पता ही नहीं चला उनकी आंखों के सामने में बस एक छोटी सी पैंटी पहने बिस्तर पर कसमसा रही थी और अपने हाथों से अपनी पैंटी में छिपे खजाने को छुपाने की कोशिश कर रही थी। ( यह बोलते हुए निर्मला जानबूझकर शुभम की आंखों के सामने अपनी पैंटी पर हाथ रखकर बुर को छुपाने की कोशिश करने लगी अपनी मां की हरकत पर शुभम एकदम से कामोत्तेजीत हो गया,,, वह आंख भाड़े अपनी मां को हाथों से बुर छुपाते देख रहा था।)

फिर,,,,( इस बार उसके मुंह से उत्तेजना के मारे बस इतना ही निकल पाया)

फिर वह धीरे-धीरे मेरी पैंटी को पकड़कर नीचे की तरफ सरकारी लगे मैं अपना हाथ आगे बढ़ा कर उनके हाथ को पकड़ कर उन्हें रोकने की कोशिश करने लगी लेकिन वह कहां मानने वाले थे वह एक झटके में खींचकर मेरी पेंटी को मेरे पैरों से बाहर निकाल दिए,,,,

अब बिस्तर पर मैं तेरे पापा की आंखों के सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी मेरे बदन पर कपड़े के नाम पर एक रेशा भी नहीं था,,,, मेरा दूधिया गोरा बदन ट्यूबलाइट की रोशनी में और भी ज्यादा चमक रहा था। तेरे पापा मेरे रूप यौवन को देखकर एकदम उत्तेजित हो गए वह भी झट से अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगे हो गए,,,, उनका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,( अपने पापा के लंड के नाम पर शुभम आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखने लगा तो शायद निर्मला को अपने बेटे के हाव भाव से उसके मन में क्या चल रहा है यह पता चल गया और वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)
हां उस समय पहली बार में तेरे पापा के लंड को देख रही थी और अपनी जिंदगी में पहली ही बार किसी मर्द के लंड को देख रही थी इसलिए मुझे तेरे पापा का लंड बेहद बड़ा लग रहा था। लेकिन जब से मुझे तेरे लंड का दीदार हुआ है तब से तेरे पापा कर लंड तो तेरे लंड के सामने एकदम बच्चों के लंड की तरह नुन्नु की तरह लगता है,,,,।
( अपनी मां की बात सुनकर शुभम के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई और वह बोला,,,।)

फिर क्या हुआ,,,,


फिर तो तेरे पापा ने वह काम किया जो मैं कभी सपने में भी सोच नहीं सकती थी और ना ही मुझे कभी भी इस बात का ज्ञान था कि ऐसा भी होता है,,,

( अपनी मां की बात सुनकर शुभम के मन में एकदम से उत्सुकता बढ़ने लगी है और वहां आगे की बात जानने के उद्देश्य से बोला,,,।)

ऐसा क्या हो गया मम्मी जो तुमने कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,,,

बताते हुए मुझे तो शर्म आ रही है लेकिन तेरे और मेरे बीच में कोई भी अब बात छुपी नहीं रहना चाहीए इसलिए मैं तुझे बता रही हूं,,, तेरे पापा ने अपने हाथों से मेरी टांगों को खोलते हुए,,, मेरी बुर पर नजरें गड़ाते हुए,,, मेरी बुर की तरफ झुकने लगे जिसमें से मेरा रसीला नमकीन रस बह रहा था।,,, और मैं कुछ समझ पाती इससे पहले ही देखते ही देखते उन्होंने अपने होंठ को मेरी बुर पर रख दिए,,,, और मेरी बुर पर जीभ लगा कर चाटना शुरू कर दीए,,,,( अपनी मां कि इस तरह की बातें सुनकर शुभम का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया क्योंकि उसे भी अपनी मां की यह बात सुनकर बेहद आश्चर्य हुआ और उसके मुंह से अचानक ही निकल गया।)

पर,,,,

हां मैं जानती हूं तू क्या कहना चाहता है,,, उधर से तो पेशाब की जाती है यही ना,,,( और शुभम भी हां में सिर हिला दिया)
मेरी तेरे पापा से यही कहती रही लेकिन वह मेरी एक नहीं माने और अपनी मनमानी करते रहे लेकिन धीरे-धीरे जिस तरह से वह अपनी जीभ लगा लगा कर मेरी बुर चाट रहे थे मेरे बदन में उत्तेजना की चीटियां रेंगने लगी थी,,,, मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा और इस तरह से करते हुए उन्होंने तो अपनी जीभ से ही मेरी बुर से पानी निकाल दिया,,,,, ओर शुभम उस दिन जो मुझे सुख मिला था वैसा सुख तो मुझे आज तक नहीं मिल पाया क्योंकि तेरे पापा कुछ महीनों बाद मेरी बुर को चाटना ही बंद कर दिए,,, ( निर्मला के चेहरे पर बनावट उदासी के भाव तैरने लगे जिसे देख कर शुभम समझ गया कि उसकी मां उदास है इसलिए वह कुछ देर शांत रहने के बाद बोला,,,।)

मम्मी तो,,,, तुम,,,,,,,( शुभम रुक रुक कर बोला,,, कुरवाई से आगे कुछ बोल पाता इसके पहले ही निर्मला बोल पड़ी,,,।)

हां शुभम मैं यही चाहती हूं कि तू भी उसी तरह से मुझे प्यार करें जिस तरह से मेरी पहली रात को तेरे पापा ने प्यार किया था,,,, आज तुम मुझे इतना प्यार कर कि मुझे एकदम से मस्त कर दे,,
( शुभम के लिए अपनी मां द्वारा यह खुला आमंत्रण था अपनी मां की बात सुनकर जिस तरह से वह बता रही थी कि उसके पापा को बुर चाटने मैं और उन्हें चटवाने में आनंद की प्राप्ति हो रही थी इस बात से शुभम के मन में भी उत्सुकता पूरी तरह से बढ़ चुकी थी।,,, वह भी अपनी मां की पूरी चाट कर देखना चाहता था कि उसमे कितना मजा मिलता है,,, दोनों के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित और उत्तेजित लग रहे थे और दोनों के मन में उत्सुकता पूरी तरह से बढ़ चुकी थी ,,, निर्मला अपने मन की बात कह कर एकदम खामोश हो चुकी थी और अपनी प्यासी आंखों से अपने बेटे की तरफ देख रही थी कि वह क्या बोलता है,,,, शुभम भी उत्तेजना के मारे अपनी मां की नशीली आंखों में डूबता चला जा रहा था वह मन ही मन तय कर लिया था कि जिस तरह से वह चाहती है उसी तरह का सुख उसे पूरी तरह से वह देगा,,,, इसलिए वह अपनी मां की आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।

मैं भी तुमसे उसी तरह से प्यार करना चाहता हूं,,,
( अपने बेटे की यह बात सुनकर निर्मला के गुलाबी होठों पर मादक मुस्कान फैल गई,,, शुभम धीरे-धीरे अपनी मां के चेहरे की तरफ झुकता चला गया और अगले ही पल अपने प्यासे होठों को अपनी मां के गुलाबी होठों पर रखकर चूसने लगा,,,)
03-31-2020, 03:48 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम अपनी मां के गुलाबी होठो पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया,
लाल लाल गुलाब की पंखुड़ियों से भी नरम स्पर्श शुभम को पूरी तरह से अपनी मस्ती में डूबने के लिए मजबूर कर दिया,,,

वह पागलों की तरह अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने होठों के बीच रख कर किसी चूसनीे की तरह चूसना शुरू कर दिया,,,, शुभम को आज पहली बार ऐसा लग रहा था कि वह है वास्तव में चुंबन की वास्तविकता से मुखातिब हुआ है। इससे पहले उसे इस बात का एहसास तक नहीं था कि औरतों के खूबसूरत होठो को चुमने से चुसने से बदन में अजीब प्रकार के सुख की अनुभूति होने लगती है । वह अपनी मां के होठों के मदन रस में डूबता चला जा रहा था,,, उसकी मा भी एक चुंबन में बराबर का साथ देते हुए उसके होठों को भी अपने होठों में भरकर चूसना शुरू कर दी थी,, इस बेहतरीन लजीज चुंबन के आदान-प्रदान में शुभम को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं चला कि कब उसकी मां की जीभ उसके मुंह में घुस कर उसकी जीभ को अंदर से चाटना शुरू कर दी है,,, निर्मला की हरकत पर शुभम को बेहद मजा आ रहा था और उसने भी अपनी जीत को अपनी मां के मुंह में डालकर सोचना शुरु कर दिया दोनों के चुंबनों के आदान-प्रदान के साथ-साथ दोनों के लार का भी आदान प्रदान हो रहा था। निर्मला को भी बेहद उत्तेजना के साथ साथ रोमांचकारी अनुभव हो रहा था,,, इस तरह से तो आज तक उसके पति ने भी उसका चुंबन नहीं लिया था। दोनों दोनों पहली बार चुंबन की क्रिया से और उसके आनंद से अवगत हो रहे थे। शुभम तो पागलों की तरह से लगभग अपनी मां के होठों को दांतो से काटते हुए चबा रहा था। और अपने बेटे की इस हरकत में निर्मला को मज़ा भी बहुत आ रहा था वो खुद अपने बेटे को होंठ को दांत से दबा दे रही थी,,,, शुभम फोटो को चोदते हुए एक हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही निर्मला के खरबूजों को दबाना शुरु कर दिया,,,, निर्मला एकदम गर्म होने लगी थी होठो सें होंठ सटे होने के बावजूद भी उसके मुंह से घुटी घुटी सी सिसकारी की आवाज़ आ रही थी,,,,,। होठो को चूसते हुए और साथ ही स्तन मर्दन में शुभम के साथ-साथ निर्मला को भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,

यह गाढ़ चुंबन दोनों के मिलन का प्रतीक था। दोनों के होठ एक दूसरे के थुक में सने हुए थे। पूरे कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्मा चुका था। धीरे धीरे शुभम अपनी मां की चुचियों को दबाता हुआ आगे की तरफ बढ़ रहा था और एक हाथ से ब्लाउज के बटन को भी खोलना शुरू कर दिया था। ब्लाउज के सारे बटन बेहद टाइट थे क्योंकि निर्मला की बड़ी बड़ी चूचियां एकदम खरबूजे की तरह गोल गोल थी जोकि उसके ब्लाउज में ठीक से संमा नहीं पा रही थी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे निर्मला ने जबरदस्ती अपने दोनों खरबूजाे को छोटे से ब्लाउज में ठुंसकर कैद किया हो। शुभम ऐसा लग रहा था कि जैसे अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने होठों से अलग होने ही नहीं देगा और उसकी मां भी एक हाथ ऊपर की तरफ ले जाकर अपने बेटे के सिर पर रखी हुई थी और उत्तेजना के मारे कसके उसके बालों को अपनी मुट्ठी में भीेचकर जबरदस्त होठों की चुसाई कर रही थी और करवा भी रहीं थी। कुछ देर तक शुभम की उंगलियां ब्लाउज के बटन से उलझी रही लेकिन उसे खोलने में शुभम को जरा भी कामयाबी हासिल नहीं हुई,,,, निर्मला इस बात को अच्छी तरह से समझ गई और वह यह भी जानती थी की वह अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को बड़ी मुश्किल से उस ब्लाउज के अंदर कैद करके रखी थी इसलिए तो ब्लाउज के सारे बटन एकदम टाइट थे जो कि जिस तरह से एक हाथ से शुभम ब्लाउज के बटन खोलने की कोशिश कर रहा था,,, ऊससे एक भी बटन खुलना नामुमकिन था। जिस तरह से शुभम मस्ती के साथ उसके होठों की चुसाई भी कर रहा था और उसके ब्लाउज के बटन खोल देने के लिए जूझ भी रहा था,,, जो देखकर निर्मला मन ही मन बेहद खुश हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा उसकी चूचियों को नंगी करके उसे मुंह में भर कर पीना चाहता है। निर्मला भी यही चाहती थी कि जल्दी से ब्लाउज के बटन खुल जाए और उसकी नंगी बड़ी बड़ी चूचियां शुभम के हाथों में हो और वह उसकी चॉकलेटी रंग की निप्पल को अपने मुंह में भर कर चुसनी की तरह चूस डालें,,, लेकिन अपने बेटे को इस तरह से तड़पता हुआ देखकर उसे मजा आ रहा था साथ ही वह भी अपने होठो में उसके होंठ को भरकर बड़ी लिज्जत के साथ होठ की चुसाई कर रही थी।


लेकिन जिस तरह से शुभम रह रह कर उसकी चूचियों को हथेली में जितना हो सकता था ऊतना भर कर जोर जोर से दबा रहा था जिसकी वजह से निर्मला की उत्तेजना में निरंतर बढ़ोतरी हो रही थी। उसकी सांसे तेज गति से चलने लगी थी उसके मुंह से गर्म सिसकारियों कि आवाज बढ़ती जा रही थी जिससे पूरा कमरा गूंज रहा था उससे बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह खुद ही अपने दोनों हाथों से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी और अगले ही पल वहां अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल कर,,,, अपने बेटे को सांसो की गति के साथ उठ बैठ रही भारी भरकम छाती के दर्शन कराने लगी,,,, पेंटी के साथ हाथ निर्मलाने ब्रा भी मरून रंग की पहन रखी थी,,, जो भी उसके गोरे दूधिया रंग पर बेहद जंच रही थी। दोनों बेहद उत्तेजित हो चुके थे। निर्मला अपने बेटे के होठों को चूसते हुए का एक अपने होंठ को उसके होंठ से अलग कर ली और उसके चेहरे को अपनी हथेली में भर कर उसकी आंखों में बड़ी ही नशीली अंदाज में देखने लगी,,,, शुभम की सांसे बड़ी तेज चल रही थी,,, उसके मुंह से ढेर सारी लार टपक रही थी,,, उसके चेहरे के हाव भाव को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी मां का इस तरह से होठो को अलग करना उसे अच्छा नहीं लगा और इस बात को शायद निर्मला भी समझ गई थी,,, इसलिए वह बड़े ही मादक स्वर में बोली,,,,,

ब्लाउज के बटन खुल गए हैं,,,,

( इतना सुनते ही अपने आप ही शुभम की नजर उसकी मां की छातियों की तरफ चली गई,,, यह कहना कि ब्लाउज के सारे बटन खुल गए हैं यह पूरी तरह से खुला निमंत्रण था कि अब चूचियों की बारी है,,,,,, शुभम भी अपनी मां की बात सुनकर अपनी मां की चुचियों की तरफ देखने लगा जो कि अभी भी यह बेशकीमती खजाना पर्दे के पीछे छुपा हुआ
था,,, बड़ी बड़ी चूचियां ब्रा में भी नहीं कमा पा रही थी इसलिए तो आपस में इतनी ज्यादा सटि हुई थी कि उसके बीच की लकीर बहुत ही ज्यादा गहरी हो चुकी थी,,, गहरी लकीर और बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर शुभम का लंड ठुनकी मारने लगा,,,, शुभम भौचक्का सा कभी अपनी मां की बड़ी बड़ी छातियों को ऊपर नीचे होता हुआ देखता तो कभी उसके चेहरे की तरफ देखता,,,, निर्मला शायद अपने बेटे के मन की बात को भाप गई,,, और वहां अपने दोनों हाथों को अपनी छातियों पर ले जाकर नरम नरम उंगलियों को ब्रा की निचली पट्टी में अंदर की तरफ डालकर ब्रा कों ऊपर की तरफ उठा कर सरकाने लगी,,,, और देखते ही देखते निर्मला ने अपनी ब्रा को गले तक सरका दी जिसकी वजह से उसकी दोनों चूचियां छलक कर बाहर आ गई यह देख कर तो शुभम की आंखों मैं उत्तेजना की चमक फैल गई चूचियों का दूधिया पन और उसका ऊछाल देख कर मारे आश्चर्य के उसकी आंखें चौंधिया गई,,,, वह आंखें फाडे अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचियो को देखता ही रह गया,,,,

, सुबह आश्चर्य के साथ कभी अपनी मां की तरफ देखता तो कभी उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजों के जैसे चुचियों की तरफ देखता,,, कुछ पल के लिए तो उसे समझ में नहीं आया कि उसे करना क्या है। लंड में रक्त का प्रवाह इतनी तेज गति से हो रहा था कि, इस बात का उसे डर लगने लगा था कि कहीं उत्तेजना के मारे उसके लंड की नसें ना फट जाए। निर्मला को अपने बेटे की हालत पर तरस आ रहा था और हंसी भी आ रही थी उसकी हालत को देखकर इतना तो समझ ही गई थी कि अभी थी शुभम को बहुत कुछ सीखना बाकी था,, उसे एक मजे हुए खिलाडी के रूप में मैदान में उतरना बाकी था।

अब तक तो सिर्फ प्रैक्टिस मैच ही चल रही थी खरी कसौटी तो उसकी आज थी अब देखना यह था कि वह मैदान पर अपनी कला का जौहर किस तरह से दिखाता है,,,, क्योंकि निर्मला के बदन रुपी पीच का रुख कब और कैसे बदल जाए यह कहना बहुत मुश्किल था। पिच पर काफी नमी फैली हुई थी जिसकी वजह से पीच पूरी तरह से गीली हो रही थी,,, और ऐसी पीच पर एक मजा हुआ खिलाड़ी ही अपनी कला का जौहर पूरी तरह से दिखा सकता है। शुभम तो अभी नया नया ही था उसने अभी बहुत कुछ सीखना बाकी था फिर भी निर्मला की उम्मीदें ईस खिलाड़ी पर पूरी तरह से टिकी हुई थी। सारी संभावनाओं की उम्मीदों पर खरा उतरना शुभम के लिए बेहद जरूरी था। अब देखना यह था कि कितनी देर तक एक खिलाड़ी मैदान पर बैठा रहता है लेकिन इस बात का डर भी बराबर बना हुआ था कि नया नया होने की वजह से कहीं यह पत्ते के महल की तरह ढह ना जाए अगर ऐसा हो गया तो निर्मला फिर से एक हारे हुए खिलाड़ी की तरह प्यासी ही रह जाएगी,,,,

आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी दोनों की आंखों में एक दूसरे को अपने अंदर सामा लेने की प्यास बढ़ती ही जा रही थी,,,, निर्मला बड़े गौर से अपने बेटे की तरफ देख रही थी सांसो की गति मद्धम चल रही थी जिसकी वजह से उसके बड़े बड़े खरबूजे ऊपर नीचे होते हुए अपने करतब दिखा रहे थे,,, निर्मला की चुचियों कुछ ज्यादा ही बड़ी थी इसलिए ऊपर नीचे होते हुए ऐसा लग रहा था कि चूचियों के अंदर भरा हुआ दूध हिलोरे ले रहा है जौकी साफ तौर पर चुचियों के ऊपर उपसता हुआ नजर आ रहा था। शुभम को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है कभी निर्मला अपने बेटे को निर्देश देने के उद्देश्य से अपने हाथों से अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को पकड़कर दबाना शुरु कर दी और साथ ही गरम गरम सिसकारी उसके मुंह से निकलने लगी,,, अपनी मां की उन्मादक की स्थिति को देखकर शुभम भी पूरी तरह से कामोत्तेजित हो गया,,, और अपनी मां की आंखों में जागते हुए अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर जल्दी से बड़ी बड़ी चूचियां को अपनी हथेली में थाम लिया,,, नरम नरम और बड़ी बड़ी चूचियां हथेली में आते हीवह तुरंत उत्तेजना की स्थिति में जोर-जोर से अपनी मां की चुचियों को दबाना शुरु कर दीया,,,


गजब का सुख, अद्भुत एहसास शुभम के पूरे बदन में फैलने लगा था साथ ही निर्मला की हालत खराब होती जा रही थी जितनी ताकत लगाकर वह चूचियों को मसलता उतनी ही ज्यादा आनंदमय निर्मला हुए जा रही थी। उसके मुंह से बेहद गर्माहट भरी सिसकारी की आवाज़ आ रही थी।

सससससहहहहहह,,,, आहहहहहह,,,, बेटा बस ऐसे ही जोर-जोर से मसलता रेह,,,, बहुत मजा आ रहा है,,,,आहहहहहह,,,,,

,,,, देख तो सही तेरे हाथों में कितना जादू है तू जिस तरह से दबा रहा है मेरी निप्पल एकदम टाइट हो गई है,,,,ऊमममम,,,

इसे भी चूस बेटा मुंह में भर कर जोऱ जोर से पी,,,,,ससससहहहहह,,,,, तूने तो मेरी हालत खराब कर दिया जिस तरह से तू दबा रहा है इस तरह की ताकत तो तेरे पापा ने भी कभी इस पर नहीं लगाएं,,,,,, तेरे हाथों में बहुत ताकत है बस ऐसे ही जोर-जोर से दगा करे पर मेरी चूचियों को मुंह में भरकर जोर-जोर से पी,,,,

( निर्मला की प्यास बढ़ती जा रही थी जिस तरह से जोर जोर से शुभम अपनी मां की चुचियों को दबा रहा था ऐसा लग रहा था कि वह सारे रस को निचोड़ डालेगा,,, शुभम की नजर चूचियों के बीच की कड़क हो चुकी निप्पल पर ही टिकी हुई थी आज पहली बार वह निप्पल को इतने गौर से देख रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि निप्पल भी इतनी टाइट हो सकती है निर्मला के बदन में उत्तेजना की वजह से उसकी चूचियों के आकार में तो बढ़ोतरी हुई ही थी साथ ही दुबकी हुई निप्पल भी तनंकर एकदम टाइट हो चुकी थी लगभग एक छोटी सी उंगली की तरह हो गई थी,,,, शुभम भी उसकी मां की बात सुनकर चूची को मुंह में भरने के लिए लालायित हुआ जा रहा था,,,, इसके बाद वह तुरंत चूचियों पर झुकने लगा और अगले ही पल जितना हो सकता था उतना निप्पल सहित अपनी मां की चूची को मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया,,,, शुभम की इस हरकत पर तो निर्मला का पूरा बदन एकदम से गनगना गया। जिस तरह से वह चाहती थी उसी तरह से सुभम ने चूची पीने का ं शुरूआत किया था। निर्मला तो उत्तेजना में एकदम सरोबोर हो गई,,, एकदम से वह चुदवासी हो चुकी थी और अपने चुदास पन को बिल्कुल भी दबा नहीं पा रही थी और बिस्तर पर अपनी एड़ियां रगड़ रही थी।,,, शुभम पागलों की तरह चूचियों पर ही टूट पड़ा था वह तो ऐसे लगा हुअा था जैसे मानो चुचिया ना होकर के पका हुआ आम का फल हो,,,, और वह उसे दबा दबा कर उसमे का सारा रस निकाल कर पी जाना चाहता हो,,, वह कभी इस चूची को मुंह में भर कर पीता तो कभी दूसरी चुची को,,, निर्मला की सिस्कारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी,,, वह पागलों की तरह शुभम के बालों को भींचकर ऊसके मुंह को अपनी चुचियों पर दबाए हुए थीे ताकि वह अपना मुंह ऊपर ना उठा सके। और लगातार गर्म सिसकारियों के साथ शुभम को बोले जा रही थेी,,,।
03-31-2020, 03:48 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
आहहहहहह,,,, शुभम बस ऐसे ही चूस,,,, नीचोड़ डाल सारे रस को,,, मेरी चूचियों को जोर जोर से दबा कर पी, निकाल डाल सारा दूध इसमें से,,,आहहहह,,, शुभम बेटा बस ऐसे ही हां ऐसे ही,,,,,ओहहहहहह मां,,,,,, क्या गजब का चुसता है रे तू, मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि इतनी बेरहमी से भी इसे चूसा और दबाया जाता है। तु तो मुझे एकदम से मस्त कर दे रहा है,,,,,

( निर्मला एकदम से चुदवासी होकर मन में जो आ रहा था बड़बड़ाए जा रही थी,,,। और उसकी खुली बातों का शुभम पर भी बहुत गहरा असर पड़ रहा था वह तो अपनी मां की ऐसी बातें सुनकर एकदम से मस्त हो गया था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां इस तरह से भी बातें कर सकती है निर्मला पूरी तरह से चुदाई के रंग में रंग चुकी थी। शुभम अपनी मां की बातें सुनकर और जोर-जोर से चूचियों को दबाता हुआ पूरा का पूरा मुंह में भरकर पी रहा था अपनी उत्तेजना को काबू में ना रख सकने की वजह से वह चूचियों पर अपने दांत भी गड़ा दे रहा था,,, जिसकी वजह से चुचीयों पर दांत के निशान पड़ गए थे। अपने बेटे द्वारा इस तरह से चुचियों पर दांत गड़ा देना,,, उसे बहुत आनंदित और कामोत्तेजित कर दे रहा था। उसका पूरा बदन कसमसा जा रहा था और उत्तेजना के मारे वह अपनी पूरी छातियो को ऊपर की तरफ उठा दे रही थी,,, और शुभम जी बिहार उत्तेजित अवस्था में जैसे ही उसकी मां अपनी छातियों को ऊपर की तरफ उठाई वह अपने दोनों हाथों से और ज्यादा दबाव देते हुए चुचियों को दबाकर ऊपर की तरफ उठाने लगा जिससे निर्मला का बदन पूरा धनुष की तरह हो गया,,,,, अपनी मां की तरह की एक दम से उत्तेजन आत्मा की स्थिति को देखकर शुभम से रहा नहीं गया रहा तुरंत अपने दोनों हाथ को उसकी पीठ की तरफ ले जा कर के उसे कस के अपनी बांहों में भींजते हुए चूची को पीने लगा,,,, वह इतनी जोर से अपनी मां को अपनी बांहों में भीेचे हुए था कि निर्मला को ऐसा लगने लगा कि उसकी हड्डियां तक चटका देगा,,,, उसके मुंह से किस कार्य के साथ साथ हल्की कराहने की आवाज़ भी निकलने लगी,,,

आहहहहहह,,,, शुभम हड्डियां तोड़ देगा क्या,,?

मम्मी तुम ही तो बोली थी कि तेरे पापा इस तरह से मुझे अपनी बाहों में भरे थे कि हड्डिया तक चटका दिए थे।,,,
( शुभम चूची को मुंह में भरे हुएे ही बोला,,,,)

ओहहह,,, शुभम सच में तू एकदम तेरे पापा की ही तरह कर रहा है बल्कि मैं तो यह कहूंगी कि तेरे पापा ने भी इस तरह से मुझे प्यार नहीं किया था जिस तरह से तू कर रहा है। बस ऐसे ही करता रहे।

( निर्मला पूरी तरह से काम वासना में लिप्त हो चुकी थी,,, वह अपने बेटे से एकदम अश्लील शब्दों में बातें कर रही थी जो कि, शुभम की उत्तेजना को ज्यादा बढ़ा दे रही थी। पूरा कमरा चुदासमय हो चुका था पूरे कमरे में निर्मला की सिस्कारियां गूंज रही थी,,,। जिस बिस्तर पर उसे अपने पति के साथ होना था उस बिस्तर पर वह अपने बेटे के ही साथ रंगरेलियां मना रही थी। दोनों को किसी बात का डर रहेगा और ना ही उन्हें कोई रोकने वाला और ना ही कोई रोकने वाला था इसलिए तो दोनों आज बिस्तर पर खुलकर मजा ले रहे थे। निर्मला अर्धनग्न अवस्था में बिस्तर पर मचल रही थी शुभम के बदन पर अभी भी सारे कपड़े थे लंड इतना टाइट हो चुका था कि मैंने कभी भी फट जाएगा,,,, शुभम जी जान से अपनी मां की चुचियों को पी रहा था करीब एक-आध घंटा तक चुचियो का रस निचोड़ने के बाद वह अपने हाथ को निर्मला की जांघों के बीच घुमाने लगा,,, और अगले ही पल वह अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर पैंटी के ऊपर से ही घुमा रहा था,,,, बुर पर पैंट के ऊपर से ही हाथ का स्पर्श होते ही निर्मला का बदन कसमसाने लगा,,, उसकी दूर से लगातार मदन रस का स्राव हो रहा था जिसकी वजह से पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। जिसका एहसास शुभम को जल्द ही हो गया क्योंकि उसकी उंगलियां चिपचिपा रही थी वह पैंटी के ऊपर से ही अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर रगड़ना शुरु कर दिया। निर्मला के मुंह से आ रही शिसकारियों की आवाज और ज्यादा तेज होने लगी,,,, निर्मला की बुर मचल रही थी शुभम की जीभ का स्पर्श पाने के लिए,,, निर्मला को इस बात का एहसास हो गया कि जिस तरह का जादू उसने उसकी चूचियों पर किया है उसी तरह का जादू उसकी बुर भी चाह रही है।। अबे तो सुभम की भी इच्छा हो गई थी कि वह अपनी मां की रसीली बुर को बड़े इत्मीनान से देखें,,, इसलिए वह बड़ी बड़ी चूचीयो पर से अपना मुंह हटाया, उसकी सांसे बड़ी तेज गति से चल रही थी। वह अपनी मां की प्यासी आंखों में कुछ देर तक देखता रहा,,, हालांकि उसकी हथेलि अभी भी पेंटी के ऊपर से हो बुर को टटोलने में लगी हुई थी। निर्मला चाहती थी कि उसका बेटा अब सारा ध्यान उसकी बुर पर ही केंद्रित करें और ऐसा हुआ भी। वह दोनों हाथों से पेटीकोट की दूरी खोलने लगा वह अपनी उंगलियों में पेटीकोट की रोशनी डोरी को पकड़ कर उसे खोल रहा था। अंगुलियों का स्पर्श उसके चिकने पेट पर हो रहा था जिसकी वजह से उसका पूरा बदन कसमसा रहा था और उसकी सांसे तेज चल रही थी उसकी उत्तेजना दबाए नहीं दब रही थी। जिसकी वजह से डोरी खोलते समय बार-बार निर्मला के नितंब ऊपर की तरफ ऊठ जा रहे थे,, जिसे देखकर शुभम की भी हालत खराब हो रही थी,, अगले ही पल पेटिकोट की डोरी को खोल दिया जिंदगी में पहली बार वह पेटीकोट की डोरी खोल रहा था,, और इसी वजह से उसके बदन में सुरसुराहट बढ़ती जा रही थी।,, अपने बेटे की इस हरकत और उसकी इस अदा पर तो उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी। वह धड़कते दिल के साथ अपने बेटे की हर हरकत को बड़े गौर से देख रही थी उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल टमाटर की तरह तमतमा रहा था। शुभम की भी हालत खराब हो रही थी क्योंकि अब जो नजारा उसकी आंखों के सामने आने वाला था वह बेहद ही हसीन बेहद अतुल्य और बेहद अद्भुत था। उसे मालूम था कि उसकी मां का बेहद खूबसूरत और बेशकीमती खजाना पेटीकोट और पेंटिं के परदे के पीछे छिपा हुआ है,,। पेटिकोट की डोरी खुल चुकी थी और शुभम आश्चर्य और उत्तेजना ललित होकर कभी खुली हुई पेटीकोट को देखता तो कभी अपनी मां के चेहरे को देखने लगता जो कि वह भी उत्सुकता के साथ उसको ही देखे जा रहीे थी। दोनों की सांसें इतनी तेज चल रही थी कि कमरे के धुप्प सन्नाटे में सिर्फ दोनों की गहरी सांसो की ही आवाज सुनाई दे रही थी,,,। आगे क्या करना है यह सोचकर ही शुभम की सांसे बहुत तेज चल रही थी, ऊसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी। उसे अजीब सी घबराहट महसूस हो रही थी। पेंटिं का वह हिस्सा जिस जगह पर निर्मला की बूर थी वह पूरी तरह से मदन रस में भीग कर गीली हो चुकी थी। उत्तेजना के मारे शुभम का गला सूखता जा रहा था,,,, 2 घंटे यूं ही बीत चुके थे,,, शुभम ने इन दो घंटों में अपनी मां की खूबसूरत बदन का पूरी तरह से जायजा भी नहीं ले पाया था।,,, अब आगे क्या करना है इतना तो वह अच्छी तरह से जानता था और इसी इंतजार में उसकी मां भी प्यासी नजरों से उसी को ही देख रही थी,,,, शुभम अपने हाथ को आगे बढ़ाकर पेटीकोट के दोनों छोर को अपने हाथों से पकड़ लिया,,,, शुभम अब ऊसकी पेटीकोट को नीचे सरकाने वाला है यह जानकर निर्मला का पूरा बदन कसमसाने लगा,,,,

उत्तेजना की अजीब सी सुरसुराहट उसके पूरे बदन पर अपना कब्जा जमाने लगी शुभम अपने दोनों हाथों से पेटीकोट के दोनों छोर को पकड़े हुए था लेकिन उत्तेजना और डर के मारे उसके हाथ कांप रहे थे। शुभम जैसे ही पेटीकोट को पकड़कर नीचे की तरफ खींचा ही था कि उसका पूरा सहकार देते हुए निर्मला अपनी बड़ी बड़ी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी, ताकि शुभम उसकी पेटीकोट को आराम से निकाल सके,, निर्मला की यह अदा शुभम को बेहद कामुकता से भरपूर आनंददायक लगी,,, धीरे-धीरे करके बहुत पेटीकोट को उसके लंबे जितनी पेर में से निकाल कर बाहर फेंक दिया। पेटीकोट के बाहर निकलते हैं निर्मला खुद ही अपनी ब्लाउज के साथ साथ अपनी ब्रा को भी उतार फेंकी,,,, उसके बदन पर मात्र एक छोटी सी पेंटिं ही रह गई थी जोंकि, अपने अंदर बेशकीमती अनमोल खजाने को छुपाए हुए थी। निर्मला की बुर उत्तेजना से सराबोर हो चुकी थी और वह फूल कर एकदम गरम रोटी की तरह ऊपस आई थी,,, जो की पैंटी के ऊपर से भी साफ-साफ फूली हुई झलक रही थी। शुभम उत्तेजित अवस्था में बड़े ध्यान से अपनी मां की पेंटिं की तरफ देख रहा था। उसके देखने के अंदाज से ऐसा ही लग रहा था कि वह अपनी नजरों से ही भेंद कर अपनी मां की बुर तक पहुंच जाना चाहता है। निर्मला शुभम से बड़े ही मादक स्वर में बोली।,,,
03-31-2020, 03:48 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अब देखता ही रहेगा या इसे भी उतार कर मुझे पूरी नंगी करेगा,,,,,
( अपनी मां किस तरह की बातें सुनकर शुभम का दिल उत्तेजना के मारे और जोर से धड़कने लगा अपनी मां की तरफ से खुला निमंत्रण पाकर शुभम ने अपने कांपते हाथों से पेंटिं के दोनों छोर को पकड़ लिया,,,, पेंटी को पकड़ते ही नीर्मला की हालत खराब होने लगी वह गहरी गहरी सांसे लेने लगी। उसकी नंगी छातियां अंदर बाहर हो रही सांसो के गति के साथ ही हिलोरे मार रही थी।,,, निर्मला बड़ी बेसब्र हुए जा रही थी, उसे इंतजार था कि कब उसका बेटा उसकी पेंटिं को उतार कर उसे संपूर्ण रूप से नंगी करेगा,,,, शुभम भी बेहद उत्सुक नजर आ रहा था क्योंकि आज मैं पहली बार अपनी मां की बुर को एकदम गौर से और बड़ी बारीकी से उसका निरीक्षण करते हुए देखेगा,,, यह बात तो बिल्कुल अजीब थी लेकिन एकदम सही थी क्योंकि अभी तक भले ही शुभम ने अपनी मां की बुर में बहुत बार लंड डालकर उसे चोद चुका था,,, लेकिन अभी तक उसने अपनी मां की बुर को ठीक तरह से देखा नहीं था उसकी भौगोलिक रचना से संपूर्ण अवगत नहीं था। उसने अब तक उसे एक बेहद खूबसूरत छंद के रुप में ही जाना था जिसके अंदर वह अपने लंड को डाल कर चोदता था,,,। आज उसे मौका मिला था उसे अच्छी तरह से देखने का और समझने का इसलिए वह अपने कांपते हाथों की उंगलियों में पेंटिं की इलास्टिक को फंसाकर धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगा लेकिन पेंटिंग बस थोड़ी सी ही नीचे की तरफ हर किसी की कहीं रुक गई क्योंकि निर्मला ने इस बार अपनी गांड उचका कर पेंटिं निकालने में उसका साथ नहीं दी,,, तो शुभम अपनी मां की तरह देखकर अपने मन की लाचारी दर्शाने लगा,,,, उसकी मां भी अपने बेटे की लाचारी है अच्छी तरह से समझ रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके सहकार के बिना उसकी पैंटी निकलने वाली नहीं है। इसलिए वह फिर से अपनी कातिल अदा दिखाते हुए अपनी मतवाली भरावदार गांड को बिस्तर से थोड़ा ऊपर की तरफ कुछ कहा थी ताकि उसका बेटा आराम से उसकी पैंटी को निकाल सके, जैसे ही निर्मला ने अपनी गांड को ऊचकाई वैसे ही तुरंत शुभम अपनी मां की पैंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगा जैसे-जैसे पैंटी नीचे की तरफ सरक रही थी,,, वैसे वैसे बेशकीमती खा जाने का रास्ता साफ होता जा रहा था,,, शुभम के मन में बहुत ज्यादा उत्सुकता भरी हुई थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था साथ ही निर्मला भी बड़े ही बेसब्र हो कर अपने बेटे की हरकत को देख रही थी वह देखना चाहती थी कि उसकी नंगी बुर को देखकर उसके हाव भाव में कैसा परिवर्तन आता है।,, शुभम की आंखों की चमक बता रही थी कि वह अंदर ही अंदर बेहद उत्तेजित और प्रसन्न नजर आ रहा है। धीरे-धीरे करके शुभम ने अपनी मां की पैंटी को जांघो तक सरका दिया,,,, अपनी मां की जांघों के बीच का वह अद्भुत अविस्मरणीय कामुक नजारे को देखकर वह अपना सुध-बुध खो बैठा,, वह आंख फाड़े बस ऊस नजारे को ही देखे जा रहा था,,,, किसी कुछ भी सूझ नहीं रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका दिमाग एकदम सन्न् हो गया है। एक हाथ से जागो में अपनी पैंटी को नीचे की तरफ ले जाने लगा और जैसे ही उसकी पैंटी जांघो के नीचे घुटनों तक आई निर्मला खुद ही अपने पैर का सहारा लेकर,,,, अपनी पैंटी को अपनी लंबी गोरी चिकनी टांगों से बाहर निकाल दी अब निर्मला पूरी तरह से नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी,,, निर्मला के सामने भी इस तरह की स्थिति पहली बार ही आई थी कि वह अपने बेटे के सामने संपूर्ण तौर पर एकदम नंगी उसकी आंखों के सामने लेटी हुई थी लेकिन फिर भी निर्मला को जरा सी भी शर्म का एहसास नहीं हो रहा था,,,, वह अपने मन से और तन से पूरी तरह से शरमाया को त्याग चुकी थी। उसे तो बस मजा लेना था बल्कि शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी। क्योंकि आज वह भी पहली बार इतने करीब से अपनी मां को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख रहा था उसकी नजरें ऊपर से लेकर के नीचे पैरों तक बराबर घूम रही थी मक्खन जैसा चिकना बदन खूबसूरत ट्यूबलाइट की चमकती रोशनी में और भी ज्यादा दमक रही थी। शुभम की नजर खास करके जांघों के बीच ही टिकी हुई थी आज वह पहली बार अपनी मां की बुर की बनावट को देख रहा था और वैसे भी निर्मला की बुर थी भी बेहद खूबसूरत,,, इस उम्र में भी निर्मला की बुर की बनावट एकदम कुंवारी लड़कियों की तरह ही थी। क्योंकि उसके पति ने भी उसको पूरी तरह से नहीं भोगा था,,,, तुम बड़े गौर से अपनी मां की बुर की तरफ देख रहा था पर हल्के हल्के रोयेंदार मखमली बाल उगे हुए थे जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था। बुर एकदम कचोरी की तरह फूली हुई थी उसमें से मदन रस का रिसाव बराबर हो रहा था। निर्मला की बुर क्या थी बस एक हल्की सी लकीर ही नजर आ रही थी और उसके बीच में हल्का हल्का गुलाबी पत्तियां दिखाई दे रही थी ऐसा लग रहा था कि मानो कोई गुलाब का फूल अभी अभी ही खीेलना शुरु हुआ है। बुर की खूबसूरती और उसकी चमक दमक देखकर सुभम की तो आंखें आश्चर्य से चौंधिया सी गई थी,,,

उत्तेजना के मारे उसकी सांसे फुल रही थी। उसका अब सब्र करना बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था और भला सब्र हो भी कैसे जब एक भूखे इंसान के सामने स्वादिष्ट व्यंजनों से भरी थाली पड़ी हो तो भला वह अपने आप को कैसे रोक पायेगा वह तो उस पर टूट ही पड़ेगा यही हाल शुभम का भी हो रहा था उससे रहा नहीं गया और वह उत्सुकतावश अपने हाथ को आगे बढ़ाकर अपनी उंगलियों से अपनी मां की फूली हुई बुर को स्पर्श करने हेतु छु लिया,,, और जैसे ही निर्मला को इस बात का एहसास हुआ कि उसके बेटे ने अपनी उंगली से ऊसकी बुक़ को स्पर्श किया है तुरंत उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई,,,, वह पूरी तरह से गंनगना गई और उसके मुख से गर्म सिसकारी निकल पड़ी,,,
सिससससईईईईई,,,,,,,
03-31-2020, 03:49 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम अपनी मां की फूली हुई कचोरी जैसी बुर पर उंगली का स्पर्श करते ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी खास करके उसके लंड का तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया
उत्तेजना के मारे शुभम का गला सूखे जा रहा था,,, शुभम हल्के हल्के से अपनी ऊंगलियों को बुर के इर्द-गिर्द घुमाना शुरु कर दिया। निर्मला को अपने बेटे की यह हरकत बेहद आनंदित कर रही थी कि बदन में उत्तेजना के साथ-साथ गुदगुदी का भी एहसास हो रहा था।,,,,, शुभम एक हाथ से अपनी मां की मक्खन जैसी चिकनी जांघों को सहलाता हुआ उसकी फूली हुई बुर को हल्के-हल्के उंगलियों से सहला रहा था। निर्मला का बदन पूरी तरह से कसमसा रहा था। निर्मला के नस नस में चुदास पन की लहर दौड़ रही थी। उसके मुख से गर्म सिसकारियां नींकल रही थी और वह अपनी उत्तेजना को किसी भी हाल में दबा पाने की स्थिति में नहीं थी इसलिए वह अपने दांत से अपने गुलाबी होठों को काट रही थी। शुभम अपनी मां की स्थिति को देखकर और भी ज्यादा कामोत्तेजना का अनुभव कर रहा था वह बुर के इर्द-गिर्द घूमा रहे उंगलियों को आहिस्ता आहिस्ता बुर की पतली लकीर पर ले जाने लगा,,,, इस हरकत करके निर्मला की हालत और ज्यादा खराब होने लगी उसकी उत्तेजना सामाए नहीं समा रही थी,,, उस बदन पूरी तरह से कसमसा रहा था,, तभी शुभम ने उंगली से बुर की पतली लकीर से झांक रही गुलाबी पत्तियों को कुरेदना शुरू कर दिया,,, इतने में तो निर्मला के मुंह से हल्की सी चीख के साथ गर्म सिसकारियों का गुबार फूट पड़ा,,,

ऊूूूहहहहह,,,,, ऊहहहहहह,,,,, शुभम औह,,,,,,,,, शुभम तूने तो मुझे पागल कर दिया रे,,,,,,,, क्या जादू है तेरे हाथों में,,,,,,, मुझ से रहा नहीं जा रहा है शुभम,,,,,,, ( ऐसा कहते हुए निर्मला अपने दोनों हाथों से बिस्तर पर बिछी हुई चादर को मुट्ठी में भींच ली,,) बिल्कुल भी देर मत कर,,,,,,, मेरे बदन में आग लगी हुई है,,,,, चाट मेरी बुर को शुभम चाट,,,,,,, मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है पूरी कर दे मेरी ख्वाहिश को,,,, मैं तड़प रही हूं तुझसे अपनी बुर चटवाने के लिए,,,,,( निर्मला बदहवास सी अपने बेटे से बोले जा रही थी,,,, शुभम तो अपनी मां की गंदी बातें सुनकर एकदम से मस्त हुए जा रहा था। पहली बार किसी औरत के मुंह से इस तरह की बातें सुन रहा था,,,, पहले तो उसे यही लगता था कि सिर्फ लड़के ही गंदी बातें करते हैं लेकिन अब अपनी मां की बातें सुनकर उसे यकीन हो गया कि लड़कों की तरह औरतें भी इस तरह की बातें करती हैं।
लेकिन अपनी मां के मुंह से गंदी बातें सुनकर उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी। अपनी मां के मुंह से बुर चाटने वाली बात को सुनकर उसे तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई,,, वह भी अपनी मां की बुर को जीभ से चाटना चाहता था हालांकि इससे पहले उसे नहीं मालूम था कि औरतों की बुर को भी चाटा जाता है लेकिन जब से उसकी मां ने अपनी सुहागवाली रात की बात उसे बताई,,,ं तब से उसके मन में भी बुर चाटने की बात से उत्सुकता बढ़ गई थी।,,,, अपनी मां की बुर देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया था वह अपनी मां की बुर चाटने के लिए लालायित था। लेकिन पहल करने में उसे डर लग रहा था और यहां तो खुद ही उसके मन की बात उसकी मा ही अपने मुंह से बोलकर उसे अपनी बुर चाटने का निमंत्रण दे रही थी,,, तो भला इस तरह का लुभावना निमंत्रण पाकर दुनिया का कौनसा मर्द होगा जो इंकार करेगा,,,,, और वह भी निर्मला जैसी खूबसूरत औरत की रसीली बुर,,,,,
ऊफ्फ्फ्फ,,,,, गली मोहल्ले के लड़के बुढ़े सभी सिर्फ कल्पना में ही निर्मला की बुर के बारे में सोच कर ना जाने कितनी बार अपना पानी निकाल देते हैं पर यहां तो शुभम को पूरी तरह से निर्मला की बुर चाटने को मिल रही थी उसके मुंह में तो पानी आ गया था। सुभम अभी भी उंगली से हल्के हल्के बुर को कुरेद रहा था,,,, और बुर से लगातार मदन रस का रिसाव हो रहा था जो कि उसकी उंगलियों पर भी लग चुका था।,,, निर्मला अपने बेटे को इस तरह से सिर्फ ऊंगलियो से ही मजा लेता देख कर फिर से बोली,,,।

क्या देख रहा है बेटा,,, आना मेरी बुर पर अपनी जीभ रखकर चाट कर देख तुझे कितना मजा आता है ।लोग तो तरसते रहते हैं बुर चाटने के लिए इतनी खूबसूरत और रसीली बुर सब के नसीब में नहीं होती,,,,, आज अब बिल्कुल भी देर मत कर,,,,

( अपनी मां का खुला आमंत्रण और उसकी बातें सुनकर शुभम पूरी तरह से मस्त हो गया और वह भी अच्छी तरह से जानता था कि वास्तव में ऐसी खूबसूरत रसीली बुर सबको नहीं मिलती,,,, इसलिए वह अपने आपको ऐसा अवसर और मौके मिलने का पूरा फायदा उठाते हुए अपनी मां की बात मान कर वह अपनी मां की बुर पर झुकने लगा,,, निर्मला भी
अपनी बेटे को इस तरह से बुर पर झुकता हुआ देखकर अपनी टांगो को फैला कर उसके लिए जगह बना दी,,, ताकि वह खुली बुर को अच्छी तरह से अपनी जीभ से चाट सकें,,,,
धीरे धीरे शुभम बुर के एकदम करीब पहुंच गया वह इतना करीब पहुंच गया कि बुर से जागती हुई गर्मी का एहसास उसे अपने चेहरे पर होने लगा और साथ ही उसमें से आ रही मादक खुशबू उसके नथुनों में समाने लगी,,, उस मादक खुशबू को अपने अंदर महसूस करते हैं उसके उत्तेजना का पारा एकदम सातवें आसमान पर पहुंच गया,,, शुभम गहरी गहरी सांसे ले रहा था, जिसकी गर्माहट का एहसास निर्मला को भी अपनी पूर्व पर अच्छी तरह से हो रहा था अब तो निर्मला का सब्र टूटने लगा, उसका धैर्य जवाब देने लगा,,,,, वह अधीर होकर अपना एक हाथ आगे बढ़ाइए और उसे अपने बेटे के सिर पर रखकर उसके बालों को हल्के हल्के से सहलाने लगी साथ ही उस पर दबाव बनाते हुए ऊसे नीचे की तरफ ले जाने लगी,,, निर्मला बड़ी आतुर हो चुकी थी,,, वह अपने बेटे के सिर पर दबाव बनाते हुए उसे जल्द से जल्द अपनी पूरी चटवाना चाहती थी,,, और अगले ही पल शुभम का होंठ उसकी मां की रसीली बुर के गुलाबी पत्तियों पर स्पर्श हुआ,,,

सससससहहह,,,,,, शुभम,,,,,,,( इतना कहने के साथ ही निर्मला ने और दबाव देकर उसके पूरे होंठ को अपनी बुर से चिपका दी,,,, शुभम के दो बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगे उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब सच है उसे सब कुछ सपना की तरह लग रहा था। वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा इसकी मां खुद उसके सिर को पकड़कर अपनी बुर से चिपकाए हुए थी।,,, और उत्तेजित स्वर में बोली,,,

ससससहहहहह,,,, शुभम बेटा चाट मेरी बुर को,,, बस चाट तु बिल्कुल भी देर मत कर,,,, मेरी बुर तड़प रही है तेरी जीभ का स्पर्श पाने के लिए,,,,आााााहहहहहहह,,,, बेटा,,,
03-31-2020, 03:49 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( आखिरकार शुभम अपनी मां की तड़प और उसकी चाह देख कर अपनी जीभ को होटो से बाहर निकालकर अपनी मां की बुर पर रख दिया,,,, और बुर की ऊपरी सतह पर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया,,, निर्मला को इसका एहसास होने लगा कि उसके बेटे ने बुर को चाटना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से उसके बदन में उत्तेजना की चीटियां रेंगने लगी उसका बदन कसमसाने लगा,,, उसके मुंह से गर्म सिसकारीया फूट पड़ी,,,, वह हल्के हल्के बुर की गुलाबी पत्ती पर अपनी जीभ से चाट रहा था,,,, निर्मला की रेसीली बुर किसी रसमलाई की तरह पूरी तरह से रस में डूबी हुई थी,,,, शुभम की उत्तेजना का कोई ठिकाना नहीं था उसका वजन भी कसमसा रहा था बेहद आनंद की अनुभूति उसका मन मस्तिष्क और पुरा तन कर रहा था,,,, धीरे-धीरे उसे बुर चाटने में मज़ा आने लगा,,,, लेकिन अभी असली मजा से तो वह वंचित ही था क्योंकि अभी तक वह बुर के ऊपरी सतह पर ही जीभ से चाट रहा था,,, असली मजा तो बूर की गहराई में उतर कर चाटने में था। जिसका शुभम को अंदाजा तक नहीं था वह ऐसा समझ रहा था कि बुर की ऊपरी सतह पर ही जीभ से चाटा जाता है।,,, इसमें शुभम की कोई गलती नहीं है उसे तो अब तक यह भी ठीक से नहीं मालूम चल पाया था कि औरत को पूरी तरह से भोगा कैसे जाता है,,,। शुभम पूरी तरह से मासूम और नादान था। भले ही वह संभोग सुख की प्राप्ति कर चुका था लेकिन वास्तव में वह अभी नादान ही था दूसरी तरफ निर्मला की प्यास बढ़ती ही जा रही थी,,, जिस तरह से शुभम बुर को मात्र कुरेद कुरेद कर ही चाट रहा था उससे उसकी प्यास बढ़ना लाजमी ही था। वह ऊत्तेजना के मारे अपना सिर इधर उधर पटक रही थी। उससे बुर की खुजली बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,, उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी निर्मला भी यह अच्छी तरह से समझ गई कि उसका बेटा बुर में जीभ डाल कर नहीं चाटेगा,, क्योंकि वह शायद यह नहीं जानता कि बुर के अंदर जीभ डाल कर चाटा जाता है इसलिए वह मन में ही सोची की उसे निर्देश देना बेहद जरूरी है,,,, उसकी सिसकारियां लगातार पूरे कमरे में गूंज रही थी,,, और वह गरम सिसकारी लेते हुए बोली,,,,

सससहहहहहहह,,,, बेटा,,,,, बस ऊपर ऊपर ही चाटेगा कि अपनी जीभ को अंदर भी डालेगा,,,,,आााहहहहहह,,,, मुझे तड़पा मत अपनी जीभ को मेरी बुर के अंदर डाल कर चाट, मुझे मस्त कर दे सुभम,,,,,
( अपनी मां की बात सुनकर उसे इस बात का पता चला कि बुर के अंदर भी जीभ डाल कर चाटा जाता है,,,, और वह तुरंत अपनी मां के निर्देश का पालन करते हुए जीभ को अंदर डालने की कोशिश करने लगा,,, लेकिन इस तरह से जीभ का अंदर जाना मुमकिन नहीं था,,,, इस बात का पता निर्मला को चल गया और वह सिसकारी लेते हुए बोली,,,,।


ओहहहहहह शुभम ऐसे नहीं बेटा अपनी उंगलियों से मेरी बुर को थोड़ा सा फैला कर जीभ को अंदर डाल आराम से चली जाएगी,,,,,,

( शुभम तो पहले ही जीभ को अंदर डालने की पूरी कोशिश कर चुका था लेकिन अंदर जा नही रही थी,,, सही मौके पर अपनी मां से दिशा निर्देश पाकर शुभम तुरंत दूसरे हाथ के अंगूठे और उंगली का सहारा लेकर रसीली बुर को फेलाने लगा,,, सच में बुर की फांके अलग हो रही है,, यह देख कर शुभम की खुशी का ठिकाना ना रहा,, उसे अब अपनी मंजिल आंखों के सामने नजर आ रही थीे और वह तुरंत अपनी जीभ को बुर की गहराई में उतारता चला गया,,,,

निर्मला की रसीली बुर किसी झरने की भांति झर झर करके बह रही थी,,,, और उसने इसे झर रहा नमकीन पानी बुरनुमा तालाब में ईकट्ठा हो रहा था,,, जिसने शुभम अपना मुंह डालकर अपनी जीभ से उस नमकीन पानी के स्वाद को चख रहा था। पहले तो शुभम को बुर की नमकीन पानी का स्वाद एकदम कसैला लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे वही दूध का नमकीन पानी उसे अमृत की बूंद की तरह एकदम मधुर लगने लगा,,, शुभम अपनी उंगलियों से बुर की गुलाबी पत्तियों को बराबर फैलाए हुए था और उसने जहां तक हो सकता था वहां तक अपनी जीभ को डालकर बुर की गहराई में उतर जाना चाहता था। यही तो निर्मला को बेहद आनंदित कर रहा था आज वर्षों के बाद उसकी बुर में भी किसी मर्द की जीभ का स्पर्श हो रहा था। प्रसन्नता और उत्तेजना के मिले-जुले असर में निर्मला पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी। जिस तरह से शुभम चप्प,,,,,,,,, चप्प करके अपनी मां की बुर को चाट रहा था यह देखकर निर्मला की तो हालत खराब हुए जा रही थी। वह एक हांथ से अपनी गोल गोल चूचियों को पकड़ कर दबा भी रही थी और एक हाथ से अपने बेटे के बाल को अपनी मुट्ठी में भेींचकर उसे बराबर अपनी बुर के ऊपर दबाए हुए थी।,,,

ससससहहहहह,,,औहहहहह,,,,,, बेटा क्या गजब का चाट रहा है तु,,,,, ऐसे तो तेरे पापा ने भी पहली रात को भी नहीं चाटा था,,,,, तूने तो मुझे सुहागरात की हर बात को याद दिला दिया मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तू मेरा ही बेटा है,,,,, मैं खाना खा बरसों से यूं ही प्यासी पडी थी,,,आहहहहह,,,, और जोर-जोर से चाट पूरी जीभ अंदर डाल दे,,,, ओह मेरे राजा तू तो मुझे पूरी तरह से बर्बाद किए जा रहा है,,,,,आहहहहहहहह,,,,,
( निर्मला के मन में जो आ रहा था वह बोले जा रही थी शुभम भी अपनी मां के मुंह से अपने लिए राजा शब्द सुनकर और ज्यादा जोश में आ गया और जीभ को जोर-जोर से बुर के अंदर बाहर करने लगा जिसकी वजह से उसमें से चप्प,,,, चप्प,,,,, कि कामुक ध्वनि बहुत ही तेजी से आने लगी जो कि पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,, बुर चटाई में भी इतना ज्यादा मजा आता है यह शुभम को आज ही पता चल रहा था और निर्मला के लिए भी है कुछ हद तक बिल्कुल नया ही था क्योंकि जिस अदा और तड़प के साथ उसका बेटा उसकी बुर को चाटकर ऊसका पानी निकाल रहा था,,,, ऐसी बुर चटाई तो उसके पति ने भी कभी नहीं किया था। इसलिए तो निर्मला एकदम से मदहोश और बदहवास हो चुकी थी उसकी आंखें उत्तेजना के मारे मदहोशी के आलम में बंद हो चुकी थी। निर्मला की बुर से ढेर सारा मदन रस रहरहकर बाहर निकल जा रहा था। जिसकी वजह से निर्मला का पूरा बदन,,,, झटके के साथ बुरी तरह से हचमचा जा रहा था।,,,, शुभम का पूरा मुंह बुर के मदन रस में भीग चुका था।,,, निर्मला का बदन झटके पर झटका खा रहा था ।उत्तेजना के मारे बार-बार वह अपने भारी नितंबों को ऊपर की तरफ उठा दे रही थी,,, और शुभम भी मौके का फायदा उठाते हुए नीचे अपना हाथ डालकर अपनी मां की मदमस्त गांड को दबाते हुए बुर चटाई का मज़ा ले रहा था। शुभम के बदन में पूरी तरह से उत्तेजना ने अपना कब्जा जमा दिया था। लंड की नसों में रक्त का प्रवाह इतनी तेजी से हो रहा था कि जान पड़ता था कि लंड की नसें फट जाएगी।,,, दोनों की हालत खराब हुए जा रही थी इस दौरान निर्मला दो बार झड़ चुकी थी,,, जबकि निर्मला के साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था इस तरह से तो वह अपनी पहली रात में भी नहीं झढ़ी थी जिस तरह से आज उसके बेटे ने उसकी बुर चाट चाट कर दो बार झाड़ चुका था।
03-31-2020, 03:50 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
पलंग पर बिछाई हुई चादर पर सिलवटें पड़ चुकी थी। निर्मला पूरी तरह से पूरे बिस्तर पर अपने बदन को कस मसाते हुए इधर उधर झटक रहीे थेी। निर्मला के बदन के उत्तेजना का पारा पूरी तरह से थर्मामीटर को पार कर गया था। चुचियों का आकार कुछ ज्यादा ही बढ़ चुका था। उसका चेहरा उत्तेजना के मारे सुर्ख लाल टमाटर की तरह दमक रहा था। अब तो आलम यह था कि निर्मला से यह उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वह हल्के हल्के से अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाकर अपने बेटे के मुंह पर मार रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी बुर से अपने बेटे केमुंह को चोद रही हो,,,, अपनी मां की यह हरकत शुभम को भी बेहद कामोत्तेजित कर रही थी,,, पजामे के अंदर उसका लंड बाहर आने के लिए तड़प रहा था,,,, उसके लंड को अब उसकी खुराक चाहिए थी,, वह अब बुर के अंदर घुसना चाहता था ।शुभम खुद अपनी मां को चोदना चाहता था लेकिन वह अपने मुंह से बोल नहीं पा रहा था क्योंकि उसकी मां को बुर चटवाने में बेहद मजा आ रहा था,,,, लंड की तड़प तो उससे भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी।,,, निर्मला अपनी बुर चटवाते हुए उत्तेजना के मारे सिसक रही थी। उससे भी जब अपनी बुर की खुजली बर्दाश्त नहीं हुई तो वह खुद सिसकारियां लेते हुए बोली।

सससससहहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहहहहहहब,,,,, शुभम मेरे राजा,,,,,,, अब मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है।। अपनी जीभ निकालकर अब मेरी बुर में अपना लंड डाल दे मेरी बुर तड़प रही है तेरी मोटे लंड को लेने के लिए,,,, बस मेरे राजा बिल्कुल भी देर मत कर,,,, डाल दे मेरी बुर मैं तेरा लंड,,,,,, ओहहहहहह,,,, शुभम,,,,

( शुभम अपनी मां की रसीली और बेहद कामुक बातें सुनकर उसकी बुर चाटते चाटते रुक गया,,, रुकता भी कैसे नहीं उसकी मां ने बड़े ही कामुकता भरे स्वर में जो उससे चोदने के लिए आमंत्रण किया था। शुभम अपनी मां की मस्त बातों में खो सा गया,,, वह भी तो यही चाह रहा था,,,, उसका लंड पजामे में फटने की स्थिति में हो गया था,,,, वह तो ठीक समय पर उसकी मां ने उसे चुदाई करने के लिए आमंत्रित कर दिया वरना आज उसे ऐसा लग रहा था कि बिना चोदे ही उसका पानी निकल जाएगा,,, शुभम अपनी मां की बुर की कटोरी में से अपना मुंह निकाल दिया था और हांफते हुए अपनी मां की तरफ देख रहा था,,,, जो कि निर्मला भी खुद बेहद लालायित थी अपने बेटे के लंड को लेने के लिए।,, वह लंबी लंबी सांसे लेते हुए अपने बेटे से बोली,,,

बेटा अब अपने असली कार्यक्रम पर आते हैं ।तु मुझे तो पूरी तरह से नंगी कर दिया लेकिन अभी भी तू पूरे कपड़ों में ही है तू भी जल्दी से अपने कपड़े उतारकर मंगा हो जा मैं भी तेरे लंबे मोटे लंड को देखना चाहती हूं उसे चूमना चाहती हूं,,,,तु जल्दी से अपने कपड़े उतार,,,,

( अपनी मां की जल्दबाजी देखकर शुभम से भी रहा नहीं गया और झट से बिस्तर से नीचे उतर गया,,,, शुभम अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया टी शर्ट उतारने के बाद वह अपने पजामे की तरफ देखा तो पूरी तरह से तंबू बना हुआ था निर्मला भी उसी तंबू को देख कर मन ही मन उत्तेजित और प्रसन्न हुए जा रही थी शुभम अपने पजामे को उतारता इससे पहले ही निर्मला अपना हाथ आगे बढ़ा कर पजामे के ऊपर से ही उसके लंड को पकड़ ली। जिस मजबूती के साथ उसने पजामे के ऊपर से लंड को पकड़ी थी शुभम की आह निकल गई,,,, निर्मला खुद ऊसके पजामा को नीचे उतारने लगी और अगले ही पल उसके बेटे का टनटनाया हुआ खड़ा लंड उसकी आंखों के सामने झूल रहा था,,,, निर्मला भी शायद पहली बार ही अपने बेटे के लंड को इतनी नजदीक से और इतने गौर से देख रही थी इसलिए आश्चर्य के मारे उसकी आंख फटी की फटी रह गई,,,, निर्मला से रहा नहीं गया और वह अपनी ड्यूटी पर खड़े लंड को अपनी नंगी हथेली में पकड़कर एक दो बार उसे आगे पीछे करते हुए उसकी मजबूती को भांपने लगी,,, अपनी मां की ईस अदा पर शुभम की सिसकारी निकल गई,,,,, अपनी मां की नरम नरम और गरम हथेली में लंड का स्पर्श होते ही उसकी उत्तेजना में कई गुना की बढ़ोतरी हो गई। अपने बेटे के मजबूत लंबे लंड को देखकर निर्मला के मुंह में पानी आ गया और उससे रहा नहीं गया तो वह अपने बेटे के लंड को पकड़कर आगे की तरफ खींची जिससे शुभम भी उसकी तरफ बढ़ गया शुभम समझ नहीं पा रहा था कि उसकी मां क्या करने वाली है उसका लंड निर्मला के होठों से बस दो अंगुल ही दूर था वह आंख फाड़े बड़े गौर से लंड की बनावट को देख रही थी। उत्तेजना के मारे दोनों का गला सूख रहा था आधी रात से भी ज्यादा समय गुजर गया था लेकिन अभी तक वह दोनों अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाए थे क्योंकि रास्ता ही इतना सुहावना और कामुकता से भरा हुआ था कि मंजिल तक पहुंचने मैं दोनों को जल्दबाजी नहीं थी। निर्मला अपने प्यारे होठों को अपनी जीभ से चाट कर गीला करने की कोशिश करने लगी और यह देख कर शुभम की हालत खराब होने लगी वह देखना चाहता था कि उसकी मां क्या करने वाले हैं तभी वहां कुछ और सोच पाता इससे पहले ही निर्मला अपना मुंह आगे बढ़ा कर,अपने तपते प्यासे होंठ को अपने बेटे के लंड के मोटे सुपाड़े पर रख दी,,,, जैसे ही अपनी मां के गुलाबी होठों को आपने मोटे लंड के मोटे सुपाड़े पर महसूस किया उत्तेजना के मारे उसका पूरा बदन झनझना गया,,, शुभम तुरंत उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गया उसे अपनी मां से यह बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी वह तो कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी मां इस तरह की भी हरकत कर सकती है वह हल्के हल्के से लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ घुमा रही थी। और शुभम के भजन में सुरसुराहट की लहर दौड़ रही थी देखते ही देखते निर्मला धीरे-धीरे करते हुए लंड़ के मोटे सुपाड़े को पूरी तरह से अपने मुंह में भर ली,,,, शुभम को इस तरह से लंड को अपने मुंह में लेना अच्छा नहीं लग रहा था वह अपनी मां को रोकना चाहता था लेकिन क्या करें उसे भी इस तरह के आनंद में गोते लगाने को मिल रहा था इसलिए आनंद के वशीभूत होकर वह अपनी मां को रोक नहीं पाया,,,,,
निर्मला जो कि आज तक अपने पति के लंड को मुंह में नहीं ली थी अगर लीं भी थी तो उसे दो 4 सेकंड से ज्यादा मुंह में रख नहीं पाई थी और वह आज वासना में लिप्त होकर अपने ही बेटे के लंड को बड़े मजे लेकर चाट रही थी,,,,, शुभम अपने दोनों हाथ को अपनी कमर पर रखकर मजे लेकर यह नजारा देख रहा था। आज उसे उसकी मां एकदम कामदेवी लग रही थी जो की उसके ऊपर बहुत ही गहरा असर करते हुए मस्ती के सागर में उसे डुबोए ले जा रही थी।

शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी,,, उसके कमर अपने आप ही आगे पीछे हिलने लगी और वहां अनजाने में ही अपनी मां के मुंह में लंड डालकर उसे चोदना शुरू कर दिया निर्मला को भी अपने बेटे की इस हरकत पर बेहद आनंद की अनुभूति होने लगी और वह खुद अपने मुंह को आगे पीछे करते हुए जोर जोर से उसके लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी,,,, दोनों अपने अपने ढंग से पूरी तरह से मजा लेना चाहते थे। निर्मला को भी आज पहली बार लंड चूसने में बेहद मजा आ रहा था वह बता नहीं सकती थी कि आज अपने ही बेटे के लंड को चूस कर उसे कैसा महसूस हो रहा है वह तो बेहद प्रसन्न थी।उसकी बुर से लगातार मदन रस का रिसाव हो रहा था। कुछ देर तक यूं ही दोनो मजा लेते रहे निर्मला की बुर में चीटियां रेंगने लगी थी ।जिस तरह से वह अपने बेटे के लंड को मुंह में गले तक उतार कर ले रही थी उसी तरह से वह अब अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुदवाना चाहती थी ,,, । शुभम की भी हालत खराब हो रही थी वह भी अपनी मां की बुर में लंड डाला जाता था अगले ही पल निर्मला ने अपने मुंह में से अपने बेटे के लंड को बाहर निकाल दी और बुरी तरह से हांफने में लगी,,,

सच बेटा मैं तुझे बता नहीं सकती हूं कि लंड चुसने में मुझे आज कितना मजा आया है,,, मैंने जिंदगी में कभी भी इतना मजा लेकर लंड को कभी भी मुंह में नहीं ली थी,,, लेकिन तेरे लंड की बात ही कुछ और है,,,,।

( अपनी मां की बात सुनकर शुभम कुछ बोल नहीं पाया हालांकि वह भी कुछ बोलना चाहता था क्योंकि उसे भी बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी लेकिन वह तो खुद अपनी मां की हरकत पर बेहद आश्चर्यचकित हो गया था इसलिए वह अपनी मां की बात सुनकर कुछ भी नहीं बोला बस खामोश खड़ा रहा,,,,)

बहुत दम है रे तेरे लंड में (निर्मला एक बार फिर से अपने बेटे के खड़े लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,)
बस अब बिल्कुल भी देर मत कर आजा अपना असली खेल शुरू करते हैं,,,( इतना कहते हुए निर्मला बिस्तर पर पीठ के बल टांगे फैलाकर लेट गई यह देख कर कदम से भी रहा नहीं गया और वह अपना लंड हाथ में पकड़ कर बिस्तर की तरफ आगे बढ़ा,,,, गजब का कामुकता से भरा हुआ नजारा कमरे में देखने को मिल रहा था तकरीबन घड़ी में 1:00 बज रहा था पूरा शहर नींद की आगोश में सो रहा था जग रहे थे तो बस निर्मला और शुभम जो कि दोनों एक दूसरे के बदन में समाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे। निर्मला अपने बेटे के लंड की तरफ ही देख रही थी क्योंकि वह जानती थी कुछ ही सेकंड बाद उसका पूरा लंड उसकी बुर की गहराई नाप रहा होगा,,, इसलिए उत्तेजना और उत्सुकता के मारे उसका गला सूख रहा था। अगले ही पल शुभम अपनी मां की टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया,,,, और वह एक हाथं से अपने लंड को पकड़कर बुरके गुलाबी पत्तियों के बीच रखने के लिए आगे बढ़ा लेकिन इस तरह से उसे कुछ कमी सी महसूस होने लगी,,, तो वह दोनों हाथों से अपनी मां की मखमली मक्खन जैसी जांघों को पकड़कर अपनी जांघों पर चढ़ा लिया और ऐसा करते ही उसकी मां की बुर ठीक उसके लंड के टुकड़े से स्पर्श करने लगी,,, शुभम के लंड का सुपाड़ा जैसे ही उसकी बुर की गुलाबी पत्ती पर स्पर्श हुई उसकी बुर में चीटियां रहने लगी,,,, वह लंड को बुर में लेने के लिए तड़प उठी,,,, सुभम भी अपनी मां की तड़प को अच्छी तरह से समझ गया और लंड के मोटे सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर हल्के हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाना शुरू किया,,, बुर पूरी तरह से गिली थी इसलिए लंड का मोटा सुपाड़ा आराम से बूर के अंदर उतरना शुरू कर दिया,,,, जैसे जैसे लंड बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे निर्मला के चेहरे का हाव भाव बदलता जा रहा था वह बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए वह अपने होंठ को दांतों से कुचल रही थी,,,, तो ठीक है अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी और अपने दोनों हाथों से अपनी दोनो चुचियों को पकड़कर दबाना शुरु कर दी धीरे-धीरे शुभम अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ रहा था,, बुर के अंदर का सारा रास्ता साफ करते हुए वह आगे बढ़ रहा था।,,, शुभम बड़े गौर से अपनी मां की तरफ और उस की रसीली बुर की तरफ देख रहा था जिसमें उसका मोटा लंड धीरे-धीरे करके घुसता चला जा रहा था। आधे से भी ज्यादा लंड बुर के अंदर समा चुका था,,,, निर्मला की तो सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, वह बड़ी मस्ती और मदहोशी के साथ अपनी बड़ी बड़ी छातियों को अपने हाथों से मसले जा रही थी। आधा से भी ज्यादा लंड बुर में घुसने की वजह से अब उसे बूर के अंदर दर्द का एहसास होने लगा था। अब उसकी गरम सिसकारी के साथ-साथ दर्द से कराहने की भी आवाज आ रही थी,,, जो कि वह आवाज भी पूरे कमरे में कामोत्तेजना फैला रही थी।

आहहहह,,,,, शुभम,,,,,,ऊूूहहहहहहह,,,, शुभम बहुत दर्द कर रहा है,,,,,ओहहहहह,,, मां,,,,,, हीसससससस,,,,,,,
( शुभम अपनी मां के कराहने की आवाज की परवाह किए बिना ही आगे बढ़ता चला जा रहा था वह अपने दोनों हाथ से अपनी मां की मदमस्त बलखाती कमर को थाम लिया,,,, क्योंकि वह भी समझ गया था कि आगे का रास्ता थोड़ा कठिन है इसलिए वह अपनी मां की कमर को थामे कस के कमर को आगे की तरफ बढ़ाने लगा, जैसे-जैसे व कमर पर दबाव बढ़ा रहा था वैसे वैसे उसका मोटा लंड सब कुछ चीरता हुआ आगे बढ़ रहा था और इस वजह से निर्मला को दर्द का एहसास हो रहा था,,,, निर्मला को आज उसके बेटे का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा महसूस होने लगा था, क्योंकि वह पहले भी उसके लंड से चुद चुकी है और इस वजह से लंड आराम से चले जाना चाहिए था,,,, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा था फिर भी धीरे-धीरे करके शुभम ने अपने लंड को बुर की गहराई तक पहुंचा ही दिया,,, वह अपनी मां की कमर को थामे एक जबरदस्त प्रहार किया और लंड सब कुछ मिलता होगा बुर की गहराई में जाकर टकरा गया,,,, निर्मला अपने आप को रोक नहीं पाई और उसके मुंह से जबरदस्त चीख निकल पड़ी,,,,

ओहहहहहह, मां,,,,, मर गई रे,,,, आहहहहहहहहह,,,, शुभम तूने तो मार डाला रे ऐसे भी भला कोई करता है क्या,,,,
( निर्मला दर्द से कराहने लगी थी दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,,, निर्मला दर्द से छटपटा रही थी वह दर्द के मारे अपना सिर इधर उधर पटक रही थी,,,और जिस तरह से वह चीखी थी अगर घर में कोई और मौजूद होता तो उसकी चीथने की आवाज उसके कानों तक जरूर पहुंचती,,,, लेकिन इस बात का डर दोनों को बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि घर में तीसरा कोई भी मौजूद नहीं था।
निर्मला को बहुत दर्द हो रहा था लेकिन शुभम उसके दर्द की परवाह किए बिना ही एक बार और उसकी कमर को बराबर से पकड़ लिया,,,, कोई और वक्त होता तो शायद वहां रुक जाता लेकिन इस समय वह पूरी तरह से जोश से भरा हुआ था और यही निर्मला भी चाहती थी कि वह बिना रुके उसकी चुदाई करता रहे,,, निर्मला को इसी तरह की चुदाई से बेहद आनंद की प्राप्ति होती थी पहले वह दर्द से छटपटा रही थी लेकिन वह मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा बिना रुके की चुदाई करे,,, शुभम भी जैसे उसकी मां के मन की बात जान रहा हो इस तरह से,, बिना रुके आहीस्ता से अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा और सिर्फ झटके के साथ बुर के अंदर डाल दिया,,, लंड सीधे जाकर बच्चेदानी से टकरा गया,,,, और एक बार फिर से निर्मला की चीख पूरे कमरे में गूंजने लगी,,,, अब शुभम बिना रुके अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया,,, शुभम का लंड काफी मोटा और लंबा था, इस वजह से हर धक्के के साथ लंड निर्मला की बच्चेदानी को छु रहा ़ था। निर्मला को भी इसमें काफी मजा आ रहा था क्योंकि उसके पति के लंड ऊस जगह को कभी छु तक नहीं पाया था।
शुभम की रफ्तार धीरे धीरे बढ़ने लगी और साथ ही निर्मला की सिसकारीया भीे बढ़ती जा रही थी। शुभम अपनी कमर को एक पल के लिए भी नहीं रोक रहा था बल्कि वह और जोर-जोर से अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए हिला रहा था।बुर से आ रही फच्च फच्च की आवाज से पुरा कमरा गुंज रहा था। शुभम का हर धक्का इतना तेज था की हर धक्के के साथ पूरा पलंग मचर मचर कर रहा था। निर्मला के बदन के साथ साथ पूरा पलंग हचमचा जा रहा था। कुछ देर पहले निर्मला की चीखें और कराहने की आवाज आ रही थी जो की अब गरमा गरम संतुष्टि भरी सिसकारियों में बदल गई थी,,, निर्मला को आज चुदवाने में काफी मजा आ रहा था क्योंकि आज वह खुल कर चुदाई का मजा ले रही थी आज उसे किसी बात का डर नहीं था ना किसने के द्वारा देखे जाने का और ना ही पकड़े जाने का इसलिए उसे आनंद की अनुभूति भी बहुत ही ज्यादा हो रही थी। वह बल्कि जोर जोर से बोल कर अपने बेटे का हौसला और जोश दोनों बढ़ा रहेी थी।

और तेज और तेज शुभम और तेज चोद मुझे,,,, आहहहहहह शुभम तूने तो मुझे मस्त कर दिया,,,, देख कितनी तेजी से तेरा लंड मेरी बुर में अंदर बाहर हो रहा है ।शुभम तु बड़ी मस्ती के साथ चुदाई करता है,, बस ऐसे ही मुझे चोदता रहे,,,, आहहहहह,,,,, आहहहहहहहह,,,,, आहहहहहहहह,,,,,
( निर्मला अपनी बात पूरी कर पाती इससे पहले ही सुभम जोश में आकर लगातार धक्के धक्के देना शुरू कर दिया जिसकी वजह से ही निर्मला की सिसकारियां गु्ंजने लगी,,,
थोड़ी देर बाद जबरदस्त चुदाई की वजह से निर्मला का बदन अकड़ने लगा उसकी सिसकारियां तेज हो गई,,,, सुभम का भी यही हाल था वह भी समझ गया कि वह किनारे पर पहुंचने वाला है और वहं अपनी मां के ऊपर झुककर उसे अपनी बाहों में कस कर दबोच लिया,,, और जोर जोर से अपने लंड को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए झटके लगाने लगा,,,, और दो-चार झटकों के बाद ही निर्मला के साथ बात शुभम भी झड़ने लगा,,,।
03-31-2020, 03:56 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम के लंड से,, गरम गाढ़े पानी की पिचकारी बड़ी तेजी से निकली और निर्मला की कटोरी नुमा बुर को भरने लगी,,,
निर्मला अपने बेटे के लंड से निकली पिचकारी को अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों में साफ तौर पर महसूस कर पा रही थी।
अपने बेटे की पिचकारी अपनी बुर के अंदर महसूस कर के निर्मला उत्तेजना के मारे गदगद हुए जा रही थी। निर्मला इसी दौरान तीसरी बार झड़ी थी दो बार तो वहां बुरी चटाई में ही अपना पानी छोड़ चुकी थी। निर्मला लंबी लंबी सांसे भरते हुए रह रह कर पानी का फुहारा छोड़ रहे थे और उसके ऊपर नीचे हो रही बड़ी बड़ी छातियों के साथ साथ शुभम भी ऊपर नीचे हो रहा था। शुभम पूरी तरह से अपनी मां के बदन पर ढह चुका था उसका चेहरा उसकी बड़ी बड़ी छातियों के बीच,,, दाबा पड़ा था,,, दोनों इतना ज्यादा पानी छोड़े थे कि दोनों का नमकीन गाढ़ा पानी मिश्रित होकर निर्मला की बुर के बाहर बह रहा था,,, और निर्मला की मांसल चिकनीं जांघो को भिगो रहा था। थोड़ी ही देर में दोनों की सांसे पहले की तरह सामान्य हो गई निर्मला हल्के हल्के अपनी हथेली को अपने बेटे की नंगी पीठ पर फिरा रही थी। दोनों ने पहली बार कुछ ज्यादा ही अद्भुत और उन्मादक तरीके से अपने चरम सुख को प्राप्त किया था। निर्मला का ंगल़ा अभी भी सुखा हुआ था जिसे वह अपने थुक से गिला कर रही थी।,,, कुछ देर तक दोनों यूं ही एक दूसरे के बदन को अपनी बाहों में लेकर पड़े रहे,,, शुभम का लंड अभी भी ऊसकी मां की बुर में समाया हुआ था जो कि अब धीरे-धीरे सिकुड़ने की वजह से अपने आप ही बाहर आ रहा था। निर्मला ने इससे पहले कभी भी चुदाई का इतना उन्मादक आनंद की प्राप्ति नहीं की थी।
थोड़ी देर बाद शुभम अपनी मां के भजन के ऊपर से उठ कर अलग हुआ और उसके करीब ही पीठ के बल लेट गया उसकी सांसे बहुत ही गहरी चल रही थी,,,, दोनों एक दूसरे को देखने लगे निर्मला मादक मुस्कुराहट लिए अपने बेटे की आंखों में देख रही थी शुभम भी बड़े प्यार से अपनी मां की तरफ देख रहा था उसे लग रहा था कि कार्यक्रम समाप्त हो चुका है क्योंकि समय भी कुछ ज्यादा हो चुका था घड़ी में तकरीबन 3:00 बज रहे थे,,,, उसका लंड पूरी तरह से सिकुड़ कर उसके पेट पर लेट कर आराम कर रहा था,,,, । लेकिन शुभम का यह सोचना बिल्कुल गलत था क्योंकि निर्मला के मन में अभी बहुत कुछ चल रहा था एक प्यासी औरत की प्यास इतने से ही बुझ जाएे तो औरत इस हद तक कभी भी नही पहुंचतीं,,, वह अपने बेटे की तरफ मुस्कुरा कर देख रही थी शुभम को उसका मुस्कुराना बेहद उन्मादक लग रहा था,,, निर्मला मुस्कुराते हुए अपने बेटे से बोली,,,,
सुभम तु सच में जादूगर है तूने जो मेरे ऊपर ऐसा जादू किया है कि मैं तेरी दीवानी हो गई हूं,,,, जिस तरह का मजा तूने मुझे याद किया है इस तरह के मजे के बारे में तो मैंने कभी जिंदगी में कल्पना भी नहीं की थी,,, सच शुभम जिस तरह से तुने मुझे आज रगड़कर चोदा है तूने आज मुझे मेरी सुहागरात याद दिला दिया,,, और सच बताऊं तो पहली बार जब तेरे पापा के साथ में सुहागरात मनाई थी तब भी मुझे इस तरह का आनंद नहीं मिला था जिस तरह का आनंद की अनुभूति तूने मुझे कराया है।( शुभम अपनी मां के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर बेहद खुश हो रहा था। एक मर्द के लिए और क्या चाहिए कि जब एक औरत खुद उसकी मर्दानगी की तारीफ करें,,,, हर मर्द यही तो चाहता है कि उसकी चुदाई की तारीफ औरतं अपने ही मुंह से करें,,,,,
औरत के द्वारा किसी भी मर्द की मर्दानगी को अपने ही शब्दों में पुरस्कृत करना,,, मर्द के लिए दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार होता है और निर्मला भी अपने बेटे की मर्दानगी को अपने ही शब्दों में पुरस्कृत कर रही थी,,, जिससे शुभम की छाती और भी ज्यादा चौड़ी हो रही थी,,,, वह बहुत खुश था रात ज्यादा हो जाने की वजह से,,,, वह सोच रहा था कि अब उसकी मां सोने की तैयारी करेगी लेकिन निर्मला उसकी तरफ करवट लेते हुए बोली,,,,

बेटा तूने तो मेरा पसीना ही निकाल दिया,,,,( उसका इतना कहना था कि उसकी नजर शुभम की बिगड़े हुए लंड पर पड़ी तो वह मुस्कुराने लगी,,, वह हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के ढीले लंड को पकड़ते हुए बोली,,,)

देख शुभम,,मेरा ये शेर अपना शिकार करके लगता है थक गया, है,,,, देख कैसे आराम कर रहा है,,, इसे लगता है फिर से जगाना पड़ेगा,,,,( इतना कहते हुए वह अपने बेटे के ढीले लंड को मुट्ठी में भर ली,, जो कि ढीला होने के बावजूद भी किसी भी औरत का पानी निकाल दे इतनी स्थिति में तो था ही,,।निर्मला शुभम के ढीले लंड को मुट्ठी में भरकर हिलाने लगी जो कि नरम नरम अंगुलियों और हथेली का स्पर्श पाते ही एक बार फिर से उसमे जैसे जान आ गई हो,, और उसके नसों में रक्त का प्रवाह फिर से गतिमान होने लगा,,, ढीले लंड में हो रही हरकत को देखकर उसकी मां बोली,,,

अरे इसमें तो फिर से जान आ गई देख तो सही कैसे मुंह उठाने को लपक रहा है।,,,
(शुभम जी अपनी मां की हरकत की वजह से लंड में आए तनाव को बारीकी से देखने लगा,,, वह समझ गया कि उसकी मां इतनी आसानी से उसे छोड़ने वाली नहीं थी और ना ही वह खुद छुटना चाहता था।,,, वह तो खुद ही बेताब था अपनी मां की बुर में लंड डालकर सारी रात ऐसे ही पड़े रहने के लिए
कुछ ही देर में निर्मला की गरम हथेलियों का जादू उसके लंड पर पूरी तरह से छा गया, उसका ढीला लंड एक बार फिर से अपनी औकात में आ गया,,, जिसको देखकर निर्मला की बुर में फिर से पानी की बूंदे इकट्ठा होने लगी,,

आाहहहहह शुभम तेरा लंड तो फिर से तैयार हो गया है और कितनी जल्दी तैयार हो गया इसको देखकर तो मुझे यकीन ही नहीं हो पा रहा है,,,।

क्यों मम्मी,,,?


तेरे पापा का लंड मेरी बुर के अंदर पानी छोड़ता था तो ढीला होने के बाद घंटे लग जाते थे उसे दोबारा खड़े होने में कभी-कभी तो, उनके लाख कोशिश के बावजूद भी खड़ा नहीं हो पाता था,,,, और एक यह तेरा लंड है कि अभी अभी पानी छोड़ कर गिरा हुआ ही था कि मेरे हाथ लगाते ही दोबारा खड़ा होकर मोर्चा संभालने लगा,,, तेरे मे और तेरे लंड में बहुत दम है,,,।

थैंक्यू मम्मी,,,, (अपनी मां के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर शुभम खुश होते हुए बोला)

इसमें थैंक यू कहने की कोई जरूरत नहीं है बेटा बल्कि थैंक्यू तो मुझे तुझे कहना चाहिए था क्योंकि तेरी वजह से ही मुझे आज इतनी ढेर सारी खुशियां वापस मिली है। वरना मैं तुझे चुदाई की कला और उसके सुख को बिल्कुल भी भूल चुकी थी,,,( लंड को मुठीयाते हुए बोली,,,।)


एक बात कहूं मम्मी (निर्मला की हरकत की वजह से उसके बदन में एक बार फिर से सुरसुराहट होना शुरू हो गया था)

बोल तुझे अब कुछ भी मुझ से बोलने के लिए मेरी इजाजत लेना जरूरी नहीं है तेरे मन में जो आए वह सब बोल दिया कर,,,


मम्मी मुझे तुम्हारे मुंह से यह लंड,, बुर,,, चुदाई यह सब बहुत अच्छा लगता है।

ऐसा क्यों लगता है तुझे,,?( लंड को मुट्ठी में कसते हुए)
03-31-2020, 03:57 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
क्योंकि मैंने आज तक किसी लड़की या औरत को इस तरह के शब्दों का उपयोग करते हुए ना हीं देखा हूं ना हीं सुना हूं।
इसलिए तुम्हारे मुंह से यह शब्द शंकर ना जाने मेरे बदन में कैसी हलचल मचने लगती है।
( अपने बेटे की यह बात सुनकर निर्मला बहुत खुश हो रही थी वह जानती थी कि शुभम के मन में क्या चल रहा था और जो वह बोल रहा था वह ठीक भी था,,, उसने आज तक ऐसे शब्दों का उपयोग अपनी जिंदगी में भी कभी नहीं किया था,, वाक्यांश शुभम के साथ इस तरह के रिश्ते हो जाने की वजह से उसके मुंह से इस तरह की अश्लील शब्द बार-बार निकल रहे थे,, और उसे खुद यह सब बातें बोलने में बहुत मजा मिल रहा था। वह अपने बेटे की बात सुनकर बोली,,,।)

क्या सच में तुझे मेरी यह सब बातें अच्छी लगती है या तो मुझे यूं ही बना रहा है।

नहीं मम्मी कसम से मुझे यह तुम्हारी बातें बहुत अच्छी लगती हैं। लेकिन मम्मी क्या औरतें भी इस तरह की बातें गंदी बातें लंड बुर की चुदाई,,, चोदना,,, यह सब बातें करती हैं,,,,


हां तुम लड़कों की तरह औरतें और लड़कियां भी इस तरह की बातें करती हैं,,,( निर्मला अपने बेटे के लंड को बराबर हिलाते हुए बोल रही थी जो कि उसकी हथेली में एकदम कसता चला जा रहा था,,,, बाहों के दरमियान निर्मला की उत्तेजना भी फिर से पूरे बदन को अपने वश में करती जा रही थी।,,,)

लेकिन मम्मी मैंने तो कभी भी लड़कियों के मुंह से और ना ही औरतों के मुंह से इस तरह के शब्द सुने हैं,,,,।


मैं जानती हूं कि तेरे लिए ऐसा बिल्कुल नया है क्योंकि तू यह सब मामले में बिल्कुल भी नहीं पड़ता और तेरी दोस्ती भी लड़कियों से नहीं है इसलिए तो उन लोगों की बातें नहीं सुन पाता और यह भी नहीं जानता कि वह लोग कैसी बातें करती हैं,,।


मम्मी क्या तुम भी अक्सर ऐसी ही बातें करती हो?

नहीं रे मैंने आज तक ऐसी बातें कभी भी नहीं की लेकिन तेरे और मेरे बीच में जो इस तरह का नया रिश्ता बना है तब से मेरे मन में यह सब बातें बोलने की इच्छा जागरुक हो गई और मैं तुझसे ही यह सब बातें करने लगी,,,,, क्या तुझे मेरा इस तरह से बातें करना अच्छा नहीं लगता,,,,


नहीं मम्मी मुझे तो बहुत अच्छा लगता है तभी तो मैं कह रहा हूं,,,,
03-31-2020, 03:57 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
क्योंकि मैंने आज तक किसी लड़की या औरत को इस तरह के शब्दों का उपयोग करते हुए ना हीं देखा हूं ना हीं सुना हूं।
इसलिए तुम्हारे मुंह से यह शब्द शंकर ना जाने मेरे बदन में कैसी हलचल मचने लगती है।
( अपने बेटे की यह बात सुनकर निर्मला बहुत खुश हो रही थी वह जानती थी कि शुभम के मन में क्या चल रहा था और जो वह बोल रहा था वह ठीक भी था,,, उसने आज तक ऐसे शब्दों का उपयोग अपनी जिंदगी में भी कभी नहीं किया था,, वाक्यांश शुभम के साथ इस तरह के रिश्ते हो जाने की वजह से उसके मुंह से इस तरह की अश्लील शब्द बार-बार निकल रहे थे,, और उसे खुद यह सब बातें बोलने में बहुत मजा मिल रहा था। वह अपने बेटे की बात सुनकर बोली,,,।)

क्या सच में तुझे मेरी यह सब बातें अच्छी लगती है या तो मुझे यूं ही बना रहा है।

नहीं मम्मी कसम से मुझे यह तुम्हारी बातें बहुत अच्छी लगती हैं। लेकिन मम्मी क्या औरतें भी इस तरह की बातें गंदी बातें लंड बुर की चुदाई,,, चोदना,,, यह सब बातें करती हैं,,,,


हां तुम लड़कों की तरह औरतें और लड़कियां भी इस तरह की बातें करती हैं,,,( निर्मला अपने बेटे के लंड को बराबर हिलाते हुए बोल रही थी जो कि उसकी हथेली में एकदम कसता चला जा रहा था,,,, बाहों के दरमियान निर्मला की उत्तेजना भी फिर से पूरे बदन को अपने वश में करती जा रही थी।,,,)

लेकिन मम्मी मैंने तो कभी भी लड़कियों के मुंह से और ना ही औरतों के मुंह से इस तरह के शब्द सुने हैं,,,,।


मैं जानती हूं कि तेरे लिए ऐसा बिल्कुल नया है क्योंकि तू यह सब मामले में बिल्कुल भी नहीं पड़ता और तेरी दोस्ती भी लड़कियों से नहीं है इसलिए तो उन लोगों की बातें नहीं सुन पाता और यह भी नहीं जानता कि वह लोग कैसी बातें करती हैं,,।


मम्मी क्या तुम भी अक्सर ऐसी ही बातें करती हो?

नहीं रे मैंने आज तक ऐसी बातें कभी भी नहीं की लेकिन तेरे और मेरे बीच में जो इस तरह का नया रिश्ता बना है तब से मेरे मन में यह सब बातें बोलने की इच्छा जागरुक हो गई और मैं तुझसे ही यह सब बातें करने लगी,,,,, क्या तुझे मेरा इस तरह से बातें करना अच्छा नहीं लगता,,,,


नहीं मम्मी मुझे तो बहुत अच्छा लगता है तभी तो मैं कह रहा हूं,,,,


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