Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:57 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

मैं तो अभी-अभी ऐसी बातें करने लगी और वह भी तुझसे ही लेकिन अपनी शीतल मैडम है ना,,,,( शीतल मैडम का जिक्र आते ही शुभम अपनी मां की बातों को और गौर से सुनने लगा,।) वह तो हमेशा इसी तरह की बातें करती रहती है।
( शीतल मैडम के बारे में अपनी मां की बातें सुनकर शुभम के मन में वह क्या बातें करती थी यह जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी इसलिए वह बोला।)

कैसी बातें करती थी मम्मी,,,,

अरे यही चुदाई,,,, लंड,,,, बुर,,,,, यही सब बातें उसके मन में हमेशा घूमती रहती हैं,और अक्सर वह मुझसे ऐसी बातें करती थी।( निर्मला शुभम के खड़े लंड को मुट्ठीयाते हुए बोली,,,,। अपनी मां की बातें सुनकर शुभम के मन में यह जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी,,
कि शीतल उसकी मां से कैसी बातें करती थी और किस बारे में बातें करती थी इसलिए वह अपनी मां से बोला,,।


बताओ ना मम्मी शीतल मेंम आपसे कौन सी बातें करती थी और किस बारे में,,,,
( निर्मला का मुड पूरी तरह से बन चुका था लंड की गर्माहट उसकी हथेलियों से होते हुए उसकी जांघों के बीच की पतली दरार तक पहुंच गई थी ।जहां पर उत्तेजना के मारे उसकी बुर का नमकीन पानी धीरे धीरे धीरे करके नीचे टपकने लगा था।,,, निर्मला अब दूसरे प्लान में ही जुड़ी हुई थी, वह अब फिर से अपनी बेटे से चुदना चाहती थी इसलिए अपने बेटे की बात को टालते हुए बोली,,,।)

अरे बेटा जाने देना वह क्या बातें करती थी उससे क्या लेना-देना हम अपने खेल को आगे बढ़ाते चलते हैं,,,,।
( अपनी मां की टालने वाली बात सुनकर शुभम झट. से बोला।)

नहीं मम्मी प्लीज बताओ ना वह कैसी बातें करती हैं क्योंकि मुझे यकीन नहीं हो रहा है किसी शीतल मेंम भी इस तरह की बातें कर सकती हैं।

शुभम तुझे मुझ पर भी भरोसा था कि मैं इस तरह की बातें नहीं कर सकती हूं,,, लेकिन फिर भी कर रही हूं ना,,,, वैसे उसी तरह से शीतल मेम भी इस तरह की बातें करती हैं। जिस तरह से तुम लड़कों कामन गंदी बातें करके संतुष्ट होता है उसी तरह से औरतों का भी मन गंदी बातें करके संतुष्ट होता है।

लेकिन मम्मी यह तो बताओ कि वह बातें क्या करती थी,,,

( निर्मला समझ गई कि उसका बेटा शीतल की बातें सुनकर ही मानेगा इसलिए वह बोली,,,,।)

बस ऐसे ही मुझसे मजाक किया करती थी की आज तो भाई साहब तुझे सोने नहीं दिए होंगे,,, रात भर तेरी चुदाई किए होंगे तेरी बुर से लंड निकाले ही नहीं होंगे,,,,,,( अपनी मां के मुंह से शीतल मैम की बातें सुनकर शुभम आश्चर्यचकित हो गया)
तू है ही इतनी खूबसूरत कि तुझे देखते ही किसी का भी मन तुझे चोदने के लिए करने लगता है,,,, और तो और वह यह भी कहती थी कि लंबे लंड से औरतों को ज्यादा मजा आता है।,,,,

सच मम्मी,,,,, (शुभम आश्चर्य के साथ बोला)


हां बेटा मैं बिल्कुल सच कह रही हो और तो और वह तेरे बारे में भी गंदा ही सोचती है,,,,,
( इस बार अपनी मां की बात सुनकर शुभम एकदम से दंग रह गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां जो बोल रही है वह सच कह रही है इसलिए अपनी मां की बात कंफर्म करने के लिए वह बोला,,,।)


क्या बात कर रही हो मम्मी ऐसा नहीं हो सकता भला वह मेरे बारे में क्या बातें करेंगी,,,, तुम मुझे सिर्फ बहका रही हो,,,।


देख सकता हूं कोई और समय होता तो शायद मैं तुझसे यह बोलती भी नहीं लेकिन तेरे और मेरे बीच में ऐसी कोई भी बात नहीं सीखनी चाहिए इसलिए मैं तुझे सब बता रही हूं। मैं सच कह रही हूं वह तेरे हट्टे-कट्टे शरीर पर एकदम फिदा हो गई है।
( अपनी मां की बात सुनकर शुभम का दिमाग सन्न रह गया और वह बोला।)

क्या कह रही थी मम्मी वह मेरे बारे में,,,।
( शुभम बेहद उत्सुक नजर आ रहा था अपनी मां के मुंह से शीतल के मन की बातें जानने के लिए निर्मला इस समय बेहद कामातुर हो चुकी थी इसलिए इस तरह की बातें करने में उसे बिल्कुल भी असहज नहीं लग रहा था इसलिए वह बोली।)

शुभम तू शायद यकीन नहीं करेगा,,,( निर्मला के हाथ में अभी भी शुभम का खड़ा लंड था इसलिए वह ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थी) तेरे मजबूत शरीर को देखकर वह मन ही मन तेरे लंड के बारे में कल्पना करती है,,, और वह भले ही मजाक में यह बात कही हो लेकिन वह तुझसे चुदना चाहती है,,,,।( यह सुनकर तो शुभम की हालत खराब होने लगी वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि शीतल उसके बारे में इस तरह के ख्यालात रखती है मन ही मन प्रसन्न हो रहा था और यह बात का जिक्र होते ही उसे क्लास वाली बात याद आने लगी जिस अदा से वह उससे बातें करते हुए ब्लाउज के अंदर छिपे अपने बड़े-बड़े चुचियों को दिखा रही थी,,, और तो और चम्मच उठाने के बहाने जिस तरह से उसने अपने भारी भरकम नितंबों को जानबूझकर उसके लंड से सटाया था,,, इससे साफ तौर पर तय था कि पीतल सचमुच उसी से चुदवाना चाहती है। शुभम एक पल के लिए शीतल के ख्यालों में खो गया यह देख कर निर्मला बोली,,,।


क्या हो गया कहां खो गया,,,,, कही शीतल की तो याद आने नहीं लगी,,

नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है,,,,


हां देखना कहीं मेरी सौतन मत रख लेना,,,,( इतना कहकर वह हंसने लगी,,, शुभम आश्चर्य से अपनी मां की कही बात और उसे देखकर हैरान हो गया,,, क्योंकि सोतन वाली बात से उसके बदन में भी सुरसुरी सी मच गई,,, निर्मला की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसने कहा कि अपनी मुट्ठी में अपने बेटे के लंड को भींच ली इसकी वजह से शुभम के मुंह से आह निकल गई,,,,, निर्मला से बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था,,,, एक बार फिर से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और वह बिना कुछ बोले अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, जैसे ही नंबर का सितारा उसके मुंह में घुसा तुरंत शुभम के मुंह से सिसकारी की आवाज आ गई,,,

ससससहहहहह मम्मी,,,,,,

( आज तो निर्मला अपने बेटे के लंड को बिल्कुल भी छोड़ नहीं रही थी कभी मुंह में तो कभी अपी बुर,,,, में,,,, जैसे लग रहा था कि आज वह अपने बेटे के लंड से सारा रस निचोड़ डालेगी,,,, देखते ही देखते धीरे-धीरे वह अपने बेटे कें मोटे लंबे लंड कोे गप्प से मुंह में निगल गई,,,,, एक अद्भुत एहसास शुभम के पूरे बदन में दौड़ने लगा उसके मुंह से लंबी सिसकारी निकल गई मस्ती के आलम में उसकी आंखें मूंदने लगी,,, और देखते ही देखते निर्मला अपने बेटे के लंबे लंड को क्रीम रोल की तरह पुरा मुंह मे भरकर चूसना शुरू कर दि,,, शुभम का एक हाथ अपने आप निर्मला के सिर पर चला गया और वह अपने हाथों से बालों में लगा हुआ बक्कल खोल दिया जिसकी वजह से निर्मला की रोशनी बालों का गुच्छा खुल गया,,, और निर्मला के रेशमी मुलायम बाल हवा में लहराने लगे,,,, निर्मला बड़े मजे लेकर अपने बेटे के लंड को चूस रही थी,,, जिंदगी में पहली बार उसे लंड चुसाई करने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। अपने बेटे के लंड को पूरा गले तक उतारकर वह बड़े ही कामुक तरीके से लंड को चूसने का मजा ले रही थी,,, कि तभी उसे अपने पति का वह तरीका याद आ गया जब वह बेमन से कभी उसके लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और वह उसके पूरे बदन को अपने ऊपर चढ़ा कर,, उसकी भारी भरकम गांड को अपने मुंह पर रखकर उसकीे बुर को चाटना शुरू कर दिया था,,, इस अवस्था में निर्मला को बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी वही दमा दम मस्त हो चुकी थी लेकिन यह ज्यादा देर तक नहीं कर पाया क्योंकि निर्मला को लंड चूसने में दिक्कत होती थी उसे लंट चुसाई मैं बिल्कुल भी मजा नहीं आता था और ना ही उसका मन करता था,,,, उस दिन वाली बात जो कि उस बात को भी बरसों बीत गए थे आज कमरे में अपने बेटे के साथ एक ही बिस्तर पर उसके लंड को चूसते हुए उस दिन की बात याद आते हैं उसके बदन में सुरसुराहट होने लगी और वही तरीका आजमाने का मन उसका करने लगा,,,, वह अपने बेटे के लंड को चूसते हुए धीरे से अपने पूरे बदन का वजन अपने बेटे पर रख दी शुभम को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां क्या कर रही है और देखते ही देखते निर्मला पूरी तरह से अपने बेटे के ऊपर चढ़ गई हालांकि अभी भी उसके मुंह में उसके बेटे का लंड पूरी तरह से घुसा हुआ था। निर्मला एकदम सही स्थिति में आ गई थी उसकी भारी भरकम गांड ठीक शुभम के मुंह के ऊपर थी जिसे वह तिरछी नजर से बराबर देख रही थी शुभम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि यह उसके लिए बिलकुल भी नया तरीका था लेकिन अपनी आंखों के ठीक सामने अपनी मां की भारी-भरकम गांड और उसकी गुलाबी बुर को देखकर उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई,,,, निर्मला उसे अपने मुंह से कुछ बताना नहीं चाहती थी वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या करता है वह सिर्फ उसे इशारा करके निर्देश देना चाहती थी जिसके लिए वह अपनी भारी भरकम गांड को हल्के से नीचे झुका कर,, अपनी रसीली बुर को अपने बेटे के चेहरे पर रगड़ने लगी,,,, बुर की गर्माहट और रगड़ाहट चेहरे और होठो पर पड़ते ही शुभम की हालत खराब होने लगी,,,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां क्या कर रही है लेकिन जो भी कर रही थी उससे निर्मला की उत्तेजना तो बढ़ ही रही थी साथ ही शुभम भी बेहद कामोत्तेजित हो चुका था। अपनी मां की रसीली बुर को अपने होंठों के इतने करीब पाकर शुभम बुर चाटने की लालच को दबा नहीं पाया और वह अपनी जीभ से बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, निर्मला के बदन में तो सनसनी की लहर दौड़ गई जो वह चाहती थी वही उसका बेटा कर रहा था,,, उत्तेजना के आवेश में आकर निर्मला और जोर-जोर से अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूस ना शुरू कर दी,,, शुभम को भी इस पोजीशन में अपनी मां की बुर चाटने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ ले जाकर के पीछे से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को पकड़ लिया और जोर लगा कर खुद ही उसकी गांड को ऊपर नीचे करते हुए बुर चाटने का मजा लेने लगा,,,, यह पल शुभम और निर्मला के लिए बेहद अद्भुत और उत्तेजित कर देने वाला था,,, अपने पति के साथ यही क्रिया करने में निर्मला को खास उत्तेजना का अनुभव नहीं हुआ था लेकिन उसके बदन में सुरसुराहट जरूर हुई थी,,, लेकिन आज की बात कुछ और थी वहीं क्रिया को आज अपनी बेटे के साथ करने में निर्मला कामोत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गई थी,, अनजाने में जिस पोजीशन में दोनों एक दूसरे के अंगों को एक साथ मुंह में ले कर मजा ले रहे थे,,, ऊन दोनों को उस पोजीशन को संभोग की क्रिया में कौनसी उपनाम से नवाजा गया है इस बारे में थोड़ा सा भी ज्ञान नहीं था वैसे भी उस पोजीशन को किस नाम से जाना जाता है यह जानना उन दोनों के लिए बिल्कुल भी जरूरी नहीं था,, और ना ही किसी भी प्रकार की उत्सुकता ही थी बस दोनों को मजा लेना था और दोनों अपने आप मजा ले रहे थेनिर्मला की बुर से लगातार रिसाव हो रहा था जो कि शुभम के चेहरे को पूरी तरह से भिगो दिया था। शुभम खूब मजे ले लेकर अपनी मां की बुर को चाट रहा था जितना हो सकता था वह उतनी गहराई तक अपनी जीभ को अंदर तक घुसेड़ कर अंदर से मदन रस को जीभ से निकाल निकाल कर चाट रहा था। दोनो की सांसे तीव्र गति से चल रही थी कमरे में बिल्कुल सन्नाटा फैला हुआ था बस दोनों की गहरी चल रही सांसो की ही आवाज गूंज रही थी। कुछ देर तक दोनों इसी तरह से एक दूसरे के अंगों के साथ खेलते रहे,, शुभम तो बेहद उत्तेजित होकर के अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्ती को दांतों के बीच मे भर कर दबा दे रहा था जिससे निर्मला की सिसकारी निकल जा रही थी,,,, निर्मला को इतना ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी कि वह एक बार फिर से झढ़ गई और भलभलालाकर ढेर सारा पानी अपने बेटे के चेहरे पर ही ऊगल दी,,, शुभम भी काफी देर से उत्तेजना को दबाए हुए था। उसे लगने लगा कि उसके लंड से भी पानी निकल जाएगा दूसरी तरफ निर्मला को जोरो से पेशाब लग गई,,, उसका बाथरूम में जाना बेहद जरूरी था इसलिए वह अपनी बेटे के लंड को अपने मुंह में से जल्दी से बाहर निकाल दि,,, यह शुभम के लिए भी अच्छा ही था क्योंकि वह भी झड़ने के ही कगार पर था। निर्मला तुरंत अपने बेटे के ऊपर को उठ कर बिस्तर के नीचे खड़ी हो गई,,
03-31-2020, 03:57 PM,
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क्या हुआ मम्मी,,,

कुछ नहीं बेटा मुझे जोरों से पेशाब लगी है,,,( निर्मला के मुंह से पेशाब लगने वाली बात सुनते ही शुभम का लंड ठुनकी मारने लगा,,, निर्मला इधर-उधर बिस्तर पर कपड़े ढुंढ रही थी ताकि वह पहनकर बाहर जा सके,,, निर्मला को इस तरह से इधर-उधर ढुंढ़ते हुए देखकर शुभम बोला,,,।)

क्या हुआ मम्मी क्या ढूंढ रही हो,,,

अरे कपड़े ढूंढ रही हुं ताकि उसे पहन कर बाथरूम जा सकूं,,


लेकिन मम्मी मेरे और तुम्हारे सिवा यहां तीसरा है ही कौन जो तुम्हें देख लेगा इसलिए कपड़े पहन कर जाना जरूरी नहीं है,,,
तुम नंगी भी जा सकती हो बाथरूम,,,( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला सोचने लगी कि उसका बेटा सही कह रहा है आज बिल्कुल नंगी होकर बाथरूम जाने का अनुभव भी वह महसूस करके देखना चाहती थी,,,,। इसलिए वह कमरे से बाहर संपूर्ण नग्नावस्था में जाने के लिए तैयार हो गई,,,,
03-31-2020, 03:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला पूरी तरह से तैयार थी इसलिए वह हाथ में आई चादर को वापस बिस्तर पर फेंक दी,, वह अपने बेटे की तरफ कामुक मुस्कान फेंकते हुए दरवाजे की तरफ जाने लगी,, बिस्तर पर बैठा शुभम अपनी मां को गांड मटकाते हुए जाता देखकर वह भी बिस्तर पर से खड़ा होता हुआ बोला,,,

रुको मम्मी मुझे भी पेशाब लगी है मैं भी चलता हूं।( इतना कहकर वह भी पीछे-पीछे आ गया उसे भी नग्नावस्था में आता देखकर निर्मला मुस्कुरा दी,,, दरवाजा खोलकर निर्मला कमरे से बाहर आ गई उसे मालूम था कि घर में तीसरा कोई भी मौजूद नहीं है फिर भी वह आदत के अनुसार चारों तरफ देखने लगी,, शुभम ठीक उसके पीछे ही खड़ा था जिसकी नजर निर्मला की बड़ी बड़ी गांड पर ही टिकी हुई थी। निर्मला बड़े ही कामुक अदा सै आगे बढ़ने लगी,, बड़ी-बड़ी मटकती हुई गांड को देखकर शुभम की उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी एक तो पहले से ही उसकी मां ने उसके लंड को मुंह में लेकर दोबारा लंड की हालत खराब कर दी थी और ऊपर से यह मटकती हुई गांड,,,ऊफ्फ्फ्फ,,,,, शुभम पर कयामत बरसा रही थी। निर्मला इस तरह से अपने घर में तो क्या अपने कमरे में भी पूरी तरह से नंगी होकर चहल-कदमी नहीं की थी पूरी तरह से लगना वस्था में घर में इधर-उधर घूमने का यह पहला अनुभव था,,, और इस अनुभव ने तो उसके बदन में उत्तेजना की गजब की सुरसुरी मचा रखी थी,,,, यह पल उसके लिए बेहद आनंदित कर देने वाला था,,,, कमरे में इस तरह से बिंदास होकर के एकदम नंगी घूमने का अनुभव उसे बेहद रोमांचित कर रहा था। वह बार-बार पीछे पलटकर शुभम की तरफ देख रही थी जोकि उसके ही नंगे बदन का रसपान कर रहा था और उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था।,,, अगले ही पल वह बाथरूम का दरवाजा खोल कर अंदर घुस गई और उसके पीछे-पीछे शुभम भी बाथरूम में चला गया,,,, यह दूसरा मौका था जब दोनों एक साथ बाथरूम में थे इसके पहले भी एक बार बाथरूम में दोनों स्थित होने पर उस पल का फायदा उठाते हुए एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश कर चुके थे लेकिन ऐन मौके पर ही निर्मला की मां के आ जाने पर सारे किए कराए पर पानी फिर गया था,,, लेकिन आज उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं थी क्योंकि आज उन्हें कोई भी रोकने वाला नहीं था और ना ही कोई बात रूम में बिना बताए घुस आने वाला था क्योंकि घर में दोनों के सिवा कोई भी नहीं था इसलिए तो शुभम बाथरूम में प्रवेश करते ही दरवाजा ना बंद करके दरवाजा खुला छोड़ दिया था,,,, बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ देना यह दोनों की मानसिकता को उजागर करती थी ।
यही इस बात की प्रतीति कराता था की अब इन दोनों को किसी बात का न तो डर है और ना ही किसी की परवाह है,,,।
घर का बाथरूम भी काफी बड़ा था तकरीबन 10 बार 10 फीट का बड़ा ही मॉर्डन टाइप का बाथरूम था। दोनों मां बेटी उस बाथरूम में संपूर्ण नग्नावस्था में एक-दूसरे को मुस्कुराते हुए देख रहे थे लेकिन निर्मला इस समय कुछ असहज हो रही थी क्योंकि उसे पेशाब का प्रेशर कुछ ज्यादा ही तेज आया हुआ था और वह अपने बेटे के सामने थोड़ा सा शर्मा रही थी
तभी शुभम अपनी मां के करीब आगे बढ़ता हुआ बोला,,,

मम्मी उस दिन भी हम दोनों इसी तरह से एक ही बाथरुम में थे उस दिन दे हम दोनों के बीच बहुत कुछ हो चुका होता अगर नानी एन मौके पर ना गई होती तो,,,

आ भी गई थी तो क्या हो गया था हम दोनों उस दिन भी अपने इस कार्यक्रम को आगे बढ़ा सकते थे,,,( निर्मला बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)
तू जानता है शुभम उस दिन बाथरूम में मेरी बहुत इच्छा हो रही थी तेरे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,, मैं तुझसे चुदने के लिए एकदम तड़प रही थी,,, लेकिन मेरा पानी निकलता है इससे पहले ही तेरी नानी ने पूरा काम बिगाड़ दिया,,,,

तुम कब कह रही हो मम्मी,,,( इतना कहते हुए शुभम अपनी मम्मी के बेहद करीब आ गया,,, इतना करीब कि उसका खड़ाा लंड निर्मला के पेट पर रगड़ खाने लगा। और निर्मला एकदम से उत्तेजित हो गई और हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के लंड को पकड़ ली।

ससहहहहहहह,, मम्मी मेरा लंड तुम्हारे हाथ में आते ही ना जाने मुझे क्या होने लगता है,,,,( शुभम सिसकते हुए बोला,,, अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला मुस्कुराते होंगे और लंड को पकड़कर अपने पेट पर उसके सुपाड़े को रगड़ते हुए बोली,,,।)

क्या होने लगता है मेरे लाल,,,,,


ऐसा लगता है कि मैं पूरा लंड तुम्हारी बुर में डालकर चोद डालूं,,,


तो डालकर चोदता तो है तू और तुझे मना भी किसने किया है,,,,,,
( इतना कहते हुए निर्मला जोर-जोर से लंड के सुपाड़ें को अपनी मक्खन जैसे चिकने पेट पर रगड़ने लगी,,,, वह इतनी गरम हो चुकी थी कि उसकी सिसकारी निकल जा रही थी,,
दोनों के बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था दोनों बेहद गर्म हो चुके थे,, निर्मला से रहा नहीं जा रहा था उसके हाथ में शुभम का मोटा तगड़ा लंबा लंड था और उसका मन बार-बार उसे मुंह में लेकर चूसने को कर रहा था,, उसे प्रेशर भी बड़ी तेजी से आई थी लेकिन वह लंड़ को अपने मुंह में लेकर चूसने के लालच को दबा नहीं पाई और नीचे झुकते हुए अपनी बेटे के खड़े लंड को गप्प से अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, शुभम तो अपनी मां के इस अदा पर जैसे हवा में उड़ रहा हो ऐसा अनुभव करने लगा,,, उत्तेजना औरॅ बदन में चढ़ रहे ऊन्माद की वजह से उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, धीरे-धीरे करके मेरे मौला अपनी बेटी के लंबे लंड को पूरी तरह से मुंह में निगल गई जोकि उसके गले तक पहुंच रहा था फिर भी बिना किसी तकलीफ के वह उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, और लंड को चूसते हुए वह अपनी टांगो को फैला कर बैठ गई,,, उसे अपन भी बड़े जोरों से लगी थी इसलिए वह अपनी पेशाब को ज्यादा देर तक रोक नहीं पा रही थी,,, इसलिए लंड को मुंह में लेकर चुसते हुए वह पेशाब करना शुरु कर दी,,,,
बुर से बड़े प्रेशर के साथ निकल रही पेशाब की धार की आवाज बेहद सुरीली लग रही थी जो कि सिटी के रूप में सुनाई दे रही थी और उस आवाज को शुभम के कानों तक पहुंचते ही,,,, शुभम की हालत खराब होने लगी वह बेहद कामातुर हो गया,,, निर्मला उसकी टांगों के बीच में ही पेशाब कर रही थी शुभम ने अपने टांग को थोड़ा और फैला दिया,,,
शुभम अपनी नजरों को नीचे करके अपनी मां की बुर से निकल रहे पेशाब के तेज बहाव को देखकर बेहद कामोत्तेजित हो गया,, वह चुदास पन से एकदम व्याकुल होने लगा, और हल्की हल्की अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुए अपनी मां के मुंह में ही लंड को अंदर बाहर करने लगा,,, एक तरह से वह. अपनी मां के मुंह को चोदना शुरू कर दिया।,, निर्मला लंड को चुस्ती हुई बड़ी तेजी से अपनी पेशाब को बाहर निकाल रही थी जिसमें से आ रही सीटी की आवाज पूरे बाथरूम में गूंज रही थी और यह आवाज दोनों को चुदवासा बना रही थी,,,, निर्मला बड़ी तेजी से अपने बेटे का लंड चूस रही थी और सुभम भी बड़ी तेजी से अपनी कमर को आगे पीछे करता हुआ हिला रहा था।
थोड़ी ही देर में निर्मला पेशाब करके भारीग हो गई थी,,, उसका मन आप अपने बेटे के लंड को बुर में डलवा कर चुदवाने को कर रहा था,,,, इसलिए वह कुछ देर तक और अपनी बेटे के लंड को चुसकर उसे अपने मुंह से बाहर निकाल दी,,,, वह खड़ी होते हुए बोली,,,

बस बेटा अब डाल दे अपने लंड को मेरी बुर में क्योंकि मुझ से रहा नहीं जा रहा है उस दिन जो काम बाथरूम में अधूरा छूट गया था उसे आज पूरा कर दें,,,,
( इतना कहते हुए वह खड़ी हो गई और अपनी मद मस्त भराव दार गांड को अपने बेटे की तरफ परोश कर जैसे ही दीवार की तरह मुंह करने को हुई कि,,,, शुभम जल्दी से अपने दोनों हाथ से अपनी मां की कमर को पकड़कर अपनी तरफ घुमाते हुए बोला,,,,।)

रुको तो सही मम्मी मुझे भी तो मलाई चाप लेने दो,,,
( निर्मला कुछ समझ पाती इससे पहले ही सुभम अपने घुटनों के बल बैठ कर अपना मुंह अपनी मां की गुदाज जांघों के बीच डालकर बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, अपने बेटे की जीभ़ अपनी बुर पर महसूस करते ही एक बार फिर से निर्मला की हालत खराब होने लगी और वह एकदम से तड़प उठी,,, एक बार फिर से वहां कामातुर होकर के अपने बेटे से अपनी बुर चटवाने लगी,,,, दोनों इस पल का बेहद भरपूर फायदा उठा रहे थे निर्मला एकदम बेशर्म हो चुकी थी और वैसे भी इस तरह का मजा लेने के लिए हर औरत को बेशर्म बनना ही पड़ता है अगर वह बेशर्म ना बने शर्म के पर्दे में रहे तो इस तरह का अद्भुत आनंद की प्राप्ति उसे कभी भी नहीं हो सकती,,,, इसलिए तो निर्मला भी बरसों से ओढ़ रखी शर्मा हया की चादर को निकाल फैंकी थी। क्योंकि अब तक संस्कार और दकियानूसी खयालात में उसे इस तरह के अतुल आनंद से कोसों दूर रखे हुए था, संभोग के अद्भुत सुख से वह अब तक वंचित ही रही थी,,,। इसलिए तो आज वह बेहद खुलकर अपनी बेटे के साथ आनंद के सागर में गोते लगा रही थी। शुभम बड़े मजे ले लेकर अपनी मां की बुर के अंदर जीभ डाल डाल कर ऊसकी मलाई को गले के अंदर गटक रहा था।
कसैला नमकीन रस उसे किसी अमृत की बूंदों से कम नहीं लग रहा था,,, कुछ देर तक सुदामा ऐसे ही हम अपनी मां की मलाई को जीभ से चाटता रहा,,,, लेकिन अब उसका लंड बेहद विस्फोटक स्थिति में आ गया था,,,, इसका लावा कभी भी पिघल कर बाहर आ सकता था,,, इसलिए सुबह में जरा भी देर करना उचित नहीं समझा और जांघो के बीच से अपना मुंह बाहर निकाल कर खड़ा हो गया,,,, निर्मला कामातुर हो कर सुभम को ही देखे जा रही थी और शुभम अपनी मां की कमर को थाम कर वापस उसी दीवार की तरफ घुमाते हुए खड़ा कर दिया,,, परिपक्वता और बेशर्मी से भरपूर हो चली निर्मला को समझते देर नहीं लगी कि उसे अब क्या करना है,,, वह भी जल्दी से दीवार के सहारे खड़ी होकर के अपनी भरावदार मस्त गांड को उभार कर किसी स्वादिष्ट व्यंजन की थाली की तरह अपने बेटे के सामने परोश दी,,,, शुभम अपनी मां की बड़ी-बड़ी और गोलगोल गांड देखकर एकदम कामातुर हो गया उसकी आंखों में चमक नजर आने लगी,
शुभम से बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथों से अपनी मां की गोल-गोल गांड की दोनों फांकों पर चपत लगाने लगा,,,, देखते ही देखते सुभमने दो चार चपत जड़ दिए,,, निर्मला के मुख से कराहने की आवाज आ गई,,,

आहहहह,,, आहहहहह,,, आहहहहहहह,,,,, क्या कर रहा है शुभम मुझे दर्द हो रहा है,,,,,,

क्या करूं मम्मी तुम्हारी गांड ही इतनी मस्त है कि मुझ से रहा नहीं जा रहा है,,,,


तो डाल देना अपना लंड इसीलिए तो तेरी तरफ उठा कर रखी हूं,,,, ( निर्मला मदमस्त होते हुए बोली गांड पर चपत लगने की वजह से भले ही उसे दर्द का एहसास हो रहा हो लेकिन शुभम की इस हरकत से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई उसे बहुत ही आनंददायक लग रहा था,,। बस उसे याद इंतजार था कि कब उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर के अंदर समाता है,,,। शुभम भी तड़प रहा था,,, वह एक हांथ से अपनी मां की मदमस्त गांड को पकड़ते हुए,,, अपने लंड के मोटे सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच सटाकर लंड के मोटे सुपाड़े को आहिस्ते आहीस्ते बुर के अंदर सरकाने लगा,,,, बुर पहले से ही ढेर सारा पानी छोड़ रही थी जिसकी वजह से पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी,,, लंड का मोटा सुपाड़ा बड़े आराम से बुर के अंदर प्रवेश कर गया,,, जैसे-जैसे बुर के अंदर लंड जा रहा था वैसे वैसे निर्मला आनंद के सागर में डूबती चली जा रही थी। धीरे-धीरे करके सुभम ने अपना आधा लंड अपनी मां की बुर में डाल दिया,,,, निर्मला की तो सिसकारी फूटने लगी थी,,, वह मदमस्त होकर अपनी हथेली को बाथरूम की टाइल्स पर रगड़ रही थी। शुभम अब अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और कचकचा कर एक जबरदस्त धक्का मारा कि उसका पूरा लंड बुर की गहराई नापने लगा,,, निर्मला के मुंह से चीख निकल गई,,,,

आाााहहहहहह,,, शुभम इतनी जोर से क्यों डाला रे अंदर,,,ऊहहहहहह. मर गई रे मां,,,,,, शुभम तू बड़ा नालायक हे रे इतनी तेज कहीं डाला जाता है।,,,आहहहहह,,,,, कितना दर्द कर रहा है सच में तू बड़ा बेदर्द है,,,,आहहहह,,,,, आहहहहहह,, शुभम,,,,,, ( निर्मला और कुछ कह पाती इससे पहले ही शुभम लंड को बाहर की तरफ खींच कर तीन-चार धक्के और लगा दिया,,,, शुभम रुकने वाला नहीं था और पूरा जोश से भर चुका था वह अब बुर को चोदना शुरू कर दिया था।,,, थोड़ी ही देर में निर्मला के मुंह से आ रही दर्द से कराहने की आवाज सिसकारी में बदल गई,,,, वह बेहद आनंदित हो उठी,,,, बाथरूम में चुदवाने का इसका पहला मौका था पहली बार तो वह सफल नहीं हो पाई थी लेकिन इस बार बार पूरा मजा लेकर के खुले तौर पर अपने बेटे से बाथरूम में चुदवाने का आनंद लूट रही थी,,,, शुभम भी बहुत कामोत्तजीत नजर आ रहा था तभी तो वह गांड पर बार-बार चपत भी लगाता जा रहा था,ऐसा नहीं था कि निर्मला को गांड पर थप्पड़ पड़ने की वजह से दर्द ना हो रहा है उसे दर्द भी हो रहा था लेकिन इस दर्द में उसे बेहद आनंद की अनुभूति भी हो रही थी। निर्मला इतनी ज्यादा चुदवासी हो चुकी थी कि वह पीछे की तरफ अपनी बड़ी बड़ी गांड को ठेलकर जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार लेना चाहती थी,,, अपनी मां का उतावलापन देखकर शुभम से भी रहा नहीं गया और वहां बड़ी तेज गति से जबरदस्त प्रहार करते हुए धक्के पर धक्का लगाने लगा,,, शुभम का हर प्रहार इतना तेज था कि हर धक्के के साथ निर्मला सीधे बाथरूम की दीवार से सट जाती थी। निर्मला नरम गरम मांसल जांघों से शुभम की जांघ जब भी टकरा रही थी,,,चप्प चप्प की बेहद उन्मादक आवाज पूरे बाथरूम में गूंज रही थी,,,, शुभम की कमर बड़ी तेजी से हिल रही थी इस तरह की चुदाई के लिए निर्मला बरसों से तड़प रही थी,,, आज उसकी यह तड़प शांत हो रही थी बहुत मजा आ रहा था दोनों आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे,,, तकरीबन एकाध घंटे की जबरदस्त चुदाई के बाद,,, निर्मला का बदन अकड़ने लगा उसकी सिसकारी और ज्यादा तेज हो गई,,,, शुभम समझ गया कि उसकी मां का पानी निकलने वाला है और वह भी बेहद करीबी था इसलिए उसके धक्कों की रफ़्तार और ज्यादा तेज हो गई,, थोड़ी देर बाद दोनों एक साथ तेज सिसकारी लेते हुए झडने लगे,,,, दोनों एक बार फिर से संतुष्टि पूर्वक अपने चरम सुख को प्राप्त कर लिए थे,। इसके बाद तो कमरे में आकर भी दोनों ने सुबह 5:00 बजे तक जबरदस्ती चुदाई का कार्यक्रम जारी रखा,, दोनों बहुत थक चुके थे इसलिएें बिस्तर पर पड़ते ही नींद की आगोश में चले गए,,,,, जब उन दोनों की नींद खुली तो सुबह के 10:00 बज रहे थे।
03-31-2020, 03:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
गजब के सुखमय और अद्भुत दौर से दोनों गुजर रहे थे उन दोनो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी जिंदगी में इस तरह के हालात पैदा होंगे कि,,, दोनों मां बेटे के पवित्र रिश्ते को भूलकर सारी मर्यादा लांग जाएंगे। इसमें दोनों का कसूर था भी और नहीं भी हालात ही कुछ ऐसे पैदा हो गए थे कि कुछ और सोचने समझने का समय ही नहीं था हालांकि ज्यादातर गलती इसमें निर्मला की ही थी अगर वह चाहती तो यह सब होता ही नहीं लेकिन बरसों की प्यास ने उसे मजबूर कर दिया था,,, पति का प्यार ना पाकर अतृप्त निर्मला मैं मजबूर हूं अपने ही बेटे से अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए एक मर्द का काम ली,,, शुभम तो नया-नया जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा था उसके बदन में जोश के साथ साथ औरतों के बदन की खुशबू और उनकी बनावट के बारे में जानने की उत्कंठा भरी हुई थी और इसी उत्कंठा का फायदा उठाते हुए निर्मला ने अपने ही बेटे से शारीरिक संबंध स्थापित कर ली,,, जो कि समाज की नजरों में बहुत बड़ा पाप था लेकिन यह पाप,, निर्मला के लिए किसी नई जिंदगी से कम नहीं थी। दोनों खुलकर इस पल का फायदा उठा रहे थे।
रात भर की घमासान चुदाई के बाद दोनों की नींद दूसरे दिन देर से खुली जिसकी वजह से दोनों स्कुल नहीं जा पाए।,,, स्कूल ना जाने का फायदा उठाते हुए दोनों दिन भर अपने चुदाई कार्यक्रम को आगे ही बढ़ाते रहें,,,,।
स्कूल में शुभम को नहीं आया देखकर शीतल की बेचैनी बढ़ने लगी थी। शुभम के पेंट में बना तंबू उसके बदन की गर्मी को बढ़ा देता था शीतल की तड़प और बेचैनी इस कदर बढ़ चुकी थी कि वह अपने कमरे में रात भर उसके पैंट में बने तंबू को लेकर के और उसमें के दमदार हथियार की कल्पना कर कर के ही वहं अपने हथेली के अपनी रसीली बुर को रगड़ रगड़ कर ना जाने कितनी बार ऊसका पानी निकाल चुकी थी।,,,
एक लड़के की मर्दानगी कि दो अौरते दीवानी हो चुकी थी,, एक ने तो उसके मर्दानगी का स्वाद चख ली थी,,, और उसकी पूरी तरह से कायल हो चुकी थी,,,, और दूसरी ने तो अभी तक केवल कल्पना में ही सपनों की सेज सजा रखी थी,,,, जिस पर वह शुभम के साथ ना जाने कैसे कैसे काम क्रीडांगण का अद्भुत खेल खेल भी डाली थी,,,, लेकिन उसे अपनी अपनी कल्पना को हकीकत का स्वरूप देना था जिस के जुगाड़ में वह पूरी तरह से लगी हुई थी शुभम को भी उस पल का बेचैनी से इंतजार था जब शीतल की गोरी गोरी बाहों में वह खुद को संमाता हुआ देखेगा,,,, जब से सुबह मैं अपनी ही मां के मुंह से यह सुना है कि वह उससे चुदना चाहती है तब से शुभम के भी कल्पना का घोड़ा बड़ी रफ्तार से दौड़ रहा था,,,,,,, वह भी शीतल को भोगना चाहता था। शुभम ज्यादा अच्छी तरह से समझ गया था कि वह किसी भी औरत को अपने लंड की ताकत से मस्त कर सकता है और उसे पूरा यकीन था कि जिसे समय सुबह पीतल की बुर में अपना लंड डालकर अपनी ताकत का परिचय उसे कराएगा तो वह भी उसकी पूरी तरह से दीवानी हो जाएगी।,,
अपनी खूबसूरत हसीन बीवी को नजरअंदाज करके अशोक अपनी ही दुनिया में मस्त था अपनी सेक्रेटरी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर वह उसे अपनी रखेल की तरह रखता था उसके लिए उसने ना जाने कितने पैसे खर्च कर डाले थे अपने ही पैसों का उसे फ्लैट ले कर दिया था उसका पति तो कुछ करता नहीं था सारा दिन शराब के नशे में चूर रहता था जिसका फायदा हुआ अच्छी तरह से उठाते हुए उसके साथ रोजाना संबंध बनाता था। अशोक इन सब चीजों में बहुत माहिर था मजबूर औरतों खूबसूरत औरतों को वह किसी भी तरह से हासिल करके उनसे अपनी प्यास बुझाता था,,,, लेकिन उसकी यह सेक्रेटरी कुछ ज्यादा ही चालाक थी समय-समय पर वह अशोक से पैसे की मांग करती थी और अशोक उसके मोहजाल में उसके रूपयौवन के रस के प्यास में,, कामांध होकर सब कुछ लुटा रहा था ऐसा नहीं था कि वह निर्मला से बेहद खूबसूरत थी वह निर्मला की खूबसूरती के आगे उसकी जुति बराबर थी। लेकिन बिस्तर पर बंद कमरे के अंदर जिस तरह कि वह हरकत करती थी किसी पोर्न स्टार से कम नहीं थी और यही हरकत तो अशोक चाहता था जो कि उसकी यह सेक्रेटरी पूरी तरह से अशोक को खुश करने में अपने सारे कामी दाव पेंच लगा देतीे थी।,,,
ऐसे ही एक दिन अशोक अपनी ऑफिस में बैठकर फाइल चेक कर रहा था कि तभी उसकी सेक्रेटरी ऑफिस का दरवाजा बिना नौकरी ऑफिस में दाखिल हुई और ऑफिस को लॉक कर दी,,,, अशोक अभी अपनी नजरें उठाकर उसे देख भी नहीं पाया था कि वह तुरंत उसके पीछे पहुंचकर,, उसके गले में अपनी नंगी बाहें डाल दी वह,,, इसलिए मैं ब्लाउज पहनी हुई थी जिसमें से उसकी नंगी बदले आराम से नजर आती थी,,,, अशोक उसे कुछ कहता इससे पहले ही वह उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दी अपने दांत के बीच उसके काम को हल्के से भरकर काटते हुए बोली,,,

आई लव यू अशोक मैं तुम्हारे प्यार की दीवानी हो चुकी है मैंने आज तक तुम्हारे जैसा हैंडसम आदमी नहीं देखा और ना ही तुम्हारे जैसी किसी में मर्दानगी है।
( इतना कहने के साथ ही वह अशोक के चेहरे को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,, जैसे ही अशोक का मुंह छत की तरफ हुआ,,, वैसे ही वह सीधी खड़ी हो गई जिसकी वजह से उसके बड़े-बड़े खरबूजे अशोक के चेहरे पर स्पर्श करने लगे और वह खुद अपने ही हाथों से अपनी चुचियों को पकड़कर अशोक के चेहरे पर ब्लाउज के ऊपर से ही रगड़ने लगी इतने में तो अशोक एक दम मस्त हो गया और अपने दोनों हाथ ऊपर की तरफ उठाकर ब्लाउज के ऊपर से ही ऊसकी चुचीयो को दबाना शुरु कर दिया,,,

ओहहहह अशोक और जोर-जोर से दबाओ तुम्हारे हाथों में आते ही इसके भी भाग्य खुल जाते हैं मेरा पति तो किसी काम का नहीं है, बस सारा दिन शराब के नशे में धुत रहता है अगर तुम ना होते तो ना जाने मेरी यह जवानी कहां पर बारबाद हो रही होती।,,,,( वह अपनी बातों के यादों में अशोक को पूरी तरह से दीवाना बना रही थी और अशोक भी मदहोश होता हुआ जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबा रहा था। और वह गरम सिसकारी लेते हुए,,,,।


ससससहहहहह,,, ओहहहहहह, अशोक मेरे राजा और जोर-जोर से दबाओ,,,,आहहहहहह,,, अशोक,,,,
( ऑफिस के अंदर अशोक की सेक्रेटरी ने अशोक को एकदम कामातुर कर दी थी,,, सुबह गर्म सिसकारी लेते हैं अशोक को अपनी चुचियों के मर्दन का आनंद प्रदान कर रही थी। तभी वहां अपने ब्लाउज के बटन को खोलते हुए बोली,,,।)

रुको अशोक नंगी चूची को दबाने में और ज्यादा मज़ा आएगा ( इतना कहने के साथ ही अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपने हाथ से अपनी ब्रा को ऊपर चढ़ा दी,,, ऐसा करते ही उसकी नंगी बड़ी बड़ी खुशियां अशोक के चेहरे पर थिरकन करने लगी,,, अशोक तो एक दम से पागल हो गया और वह तुरंत अपनी हथेली में जितना हो सकता था ऊतनी चुचियों को पकड़कर दबाना शुरु कर दिया,,,, पीछे से ठीक तरह से दबाने का मजा ना तो अशोक ले पा रहा था और ना ही वह खुद आनंद ले पा रही थी इसलिए वह आगे आ गई जहां से अशोक उसकी चूचियों को पकड़कर अपने मुंह में भर कर चुसना शुरु कर दिया,,,, तभी वह अपना एक हाथ धीरे-धीरे नीचे की तरफ ले जाने लगी और पेंट के ऊपर से ही अशोक के खड़े लंड को दबोच ली,,,, उसकी इस हरकत पर अशोक की आह निकल गई और पैंट के ऊपर से ही जोर जोर से लंड को मसलते हुए वह बोली,,,,।

अशोक तुम्हारा तो एकदम खड़ा हो गया है बहुत जल्दी तैयार हो जाते हो,,,,

मेरी जान तुम्हारे हाथ का जादू ही कुछ इस तरह से है कि मेरे बदन पर लगते ही सबसे पहले मेरा एंटीना खड़ा हो जाता है।

ओहहहहह,,,,, अशोक तभी तो मैं तुम्हारे लंड की दीवानी हूं।
( इतना कहने के साथ ही वह नीचे बैठ गई और कुर्सी को अपनी तरफ घुमा कर अशोक के बेल्ट को खोलने लगी,,, उसकी इस हरकत से अशोक के बदन में रोमांच फैल गया उसके बदन में सुरसुराहट की लहर दौड़ने लगी,,, वहं समझ गया कि अब वहं उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने वाली है,,,
बस यही अदा तो अशोक को बहुत अच्छी लगती थी और मैं यही चाहता भी था जिस तरह से वह गंदी गंदी बातें करके उसे मजा देती थी और एक पोर्न स्टार की तरह सब कुछ करती थी जो की फिल्मों में एक पोर्न स्टार अपने साथी कलाकार के साथ करती है। उसकी गंदी गंदी बातें अशोक की उत्तेजना में बढ़ोतरी करते थे,,,, वह खुद ही उसके लंड को पकड़ कर मुंह में लेकर तब तक चुसती जब तक कि उसका पानी नहीं निकल जाता था और उसके लंड से निकली पिचकारी को वह पूरा मुंह में गटक जाती थी। यही सब हरकतों का तो वह दीवाना था । उसकी नरम नरम ऊंगलियों के स्पर्श से ही उसके बदन में गुदगुदी होने लगी,,,, अगले ही पल उसने उसके पेंट को ढीला करके पैंट की ज़िप खोल दी और अंडरवियर में से उसके लंड को बाहर निकाल ली,,,, अशोक के लंड को हाथ में पकड़कर उसे हल्के हल्के मुठ्ठीयाने लगी,,, अशोक के बदन में पूरी तरह से शुरूर चढ़ने लगा था। वह अशोक के भजन में पूरी तरह से आग लगा देना चाहती थी इसलिए अशोक को दिखाते हुए अपनी जीभ से अपने लाल-लाल होठों को चाटते हुए आगे बढ़ी,, और लंड के बेहद करीब पहुंचकर अपनी जीभ से उसके सुपाड़े को चाटना शुरु कर दी,,,, उसकी हरकत से अशोक पूरी तरह से कामातुर हो गया,,, वह चाहता था कि वह उसके पूरे लंड को मुंह में लेकर चूस ना शुरू कर दे इसलिए तो वह बार-बार अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा दे रहा था ताकि वह पूरे लंड को मुंह में भर ले,,, लेकिन वह अशोक को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी इसलिए बार-बार अपनी जीत को पीछे की तरफ खींच कर बस उस पर हल्के हल्के स्पर्श कर रही थी,,,,,, जिससे आशोक की हालत और ज्यादा खराब होने लगी थी,,,, उसको रहा नहीं गया तो वह बोला,,,

ओ मेरी रानी ऐसे नहीं बस पूरा लंड मुंह में लेकर चूसो,,,,
( ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अशोक के कुछ बोलने का इंतजार ही कर रही थी,,,, अशोक की बात सुनते ही वहां बड़े ही मादक स्वर में बोली,,,,।)

मेरे राजा मेरे सरकार तुम्हारे लंड को तो मैं मुंह में लेकर चूस ही लुंगी,, लेकिन कुछ दिनों से मेरे हाथ बहुत तंग है मुझे कुछ पैसों की जरूरत है,,,,

वह इतना कहते हुए बार-बार लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ से हल्के हल्के स्पर्श करा रही थी जिससे अशोक के बदन की गर्मी और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,, उससे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,, वह जल्द से जल्द चाहता था कि वह उसके मुंह में लंड. भरकर चुसना शुरु कर दे इसलिए ऊसकी बात मानते हुए बोला,,,


मेरी जान मेरे रहते हुए तुम्हारे हाथ कभी तंग नहीं रहेंगे बोलो ना तुम्हें कितना पैसा चाहिए,,,,,
03-31-2020, 03:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( अशोक की बात सुनते ही उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई वह समझ गई कि अब वह पूरी तरह से मस्तीया चुका है,, इस हालत में उससे अपने मन की कोई भी बात मनवाना कोई मुश्किल काम नहीं था इसलिए वह एक बार फिर से अपनी जीभ का स्पर्श लंड की सुपाड़ो के चारों तरफ कराते हुए बोली,,,,।

ज्यादा नहीं चाहिए,,,,, बस दो लाख चाहिए मेरे राजा,,,,,
( वह अच्छी तरह से जानती थी कि दो लाख की बात सुनते ही वह मुंह बनाने लगेगा इसलिए वहं दो लाख का जिक्र करते ही झट से उसके पूरे सुपाड़े को अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दी,,,, और उसकी इस हरकत पर अशोक की गर्म सिसकारी निकल गई,,,,,।)

ससहहहहहहह,,,, मेरी जान बस ऐसे ही चूसो,,,,

दोगे ना मुझे ₹2 लाख,,,,

( अशोक क्या कहता इसी का तो है दीवाना था और वह भी अच्छी तरह से जानती थी उसकी कमजोरी को इसलिए तो आप उसकी कमजोरी का पूरा फायदा उठा रही थी और अशोक में मस्ती में डूबते हुए हां कह दिया।)

हां मेरीे जान मैं दूंगा तुम्हें दो लाख रुपया, बस तुम पूरा मुंह में भरकर चुस्ती रहो।( रीता जानती थी की अशोक इस अवस्था में आकर कभी भी किसी भी बात के लिए इनकार नहीं कर पाता,,, और गीता अशोक को इसी अवस्था में लाकर ना जाने कितनी बार अपनी बात मनवा चुकी थी। अशोक के हामी भरते हैं रीता बिना देरी किए लंड के सुपाड़े के साथ-साथ उसका आधा लंड भी मुंह में भरकर चुसना शुरू कर दी,,,
अशोक तो जैसे हवा में उड़ रहा हो रीता पूरी तरह से उसके ऊपर छा़ चुकी थी,,, कुछ देर तक,, यूं ही उसके लंड को मुंह में लॉलीपॉप की तरह चूसने के बाद,,, रीता खड़ी हुई और अपनी साड़ी को कमर तक उठा ली,,,, अशोक समझ गया कि उसे अब क्या करना है इसलिए वह कुर्सी पर से उतरना चाहता था कि तभी रीता ने अपने एक पैर को उसकी जान पर रखकर उसे कुर्सी पर बैठे रहने का इशारा कि,,, अशोक इसका मतलब समझ नहीं पा रहा था तो रीता उसे बोली,,,

अशोक मेरी जान आज तुम कुछ नहीं करोगे जो करना है मुझे ही करना है इसलिए तुम सिर्फ बैठे रहो,,, बस थोड़ा सा आगे की तरफ आकर बैठ जाओ,,,,,,
( अशोक रीता के कहे अनुसार थोड़ा सा आगे आकर बैठ गया जिसकी वजह से उसका लंड कुर्सी के किनारे तक आकर खड़ा हो गया रीता अपने हुस्न का जादू अशोक के ऊपर पूरी तरह से चला चुकी थी,,, वह हांथ से अपनी गुलाबी रंग की पैंटी को,,,, नीचे नहीं उतारी बल्कि उसे थोड़ा सा अपनी फुली हुई बुर के किनारे सरकादी ताकि उसकी बुर की गुलाबी रंग की गुलाबी छेद नजर आने लगे,,,, अशोक एकदम कामातुर होकर रीता की हर हरकत को देख रहा था रीता पूरी तरह से तैयार थी वह अशोक की तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गई और अपनी साड़ी को बराबर कमर के ऊपर पकड़ कर अपनी गांड को पीछे की तरफ झुकाने लगी अशोक को समझते देर नहीं लगी कि रीता क्या करने वाली है इसलिए वह बेहद रोमांचित हो गया रीता धीरे-धीरे करके अपनी गांड को अशोक के लंड के ऊपर रगड़ना शुरु कर दी,,, अशोक की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,,,, रीता खुद ही अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अशोक के लंडं को पकड़कर उस के सुपाड़े को अपनी बूर के मुहाने पर लगा दी,, और धीरे-धीरे उस पर बैठने लगी अगले ही पल अशोक का पूरा लंड रीता की बुर के अंदर समाया हुआ था।
अशोक को कुछ भी नहीं करना था रीता खुद ही उसके लंड पर उठना बैठना शुरु कर दी,,,, अशोक को बेहद आनंद की अनुभूति होने लगी अशोक रीता से जिस तरह की उम्मीद रखता था,वह उसकी उम्मीद पर पूरी तरह से खरी ऊतरती थी। अशोक से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर रीता की बड़ी गांड को थाम लिया,,,

ओहहहहह,,, रीता मेरी जान तुम्हारी ईसी अदा का तो मैं दीवाना हो चुका हूं। तुम मुझे एकदम मस्त कर देती हो इससे तो मुझे स्वर्ग की अप्सरा भी नहीं दे सकती और रीता मेरी जान ऐसे ही करती रहो,,,,,
( दोनों मस्त हुए जा रहे हैं अशोक तो पागल हो चुका था रीता भी एकदम मदहोश हो चुकी थी तुम की बुर में लंड का सुख उसे मिल रहा था और ऊपर से वह अशोक को ₹2 लाख देने के लिए मनवा चुकी थी इस बात की डबल खुशी की वजह से वह और जोर-जोर से अशोक के लंड पर अपनी गांड पटक कर रही थी। पूरे ऑफिस में दोनों की गर्म सिसकारी की आवाज गूंज रही थी,,,, वह तो अच्छा था कि अशोक ने इसी वजह से ही ऑफिस को साउंड क्यों बनवाया था ताकि अंदर की आवाज और बातें बाहर न सुनाई दे क्योंकि बाहर सारा ऑफिस स्टाफ बैठकर अपना-अपना काम कर रहा था लेकिन किसी को भनक तक नहीं लग पा रही थी कि अंदर उनके अशोक साहब उनकी पर्सनल असिस्टेंट के साथ संभोगरत हैं। रीता पूरी तरह से अपनी मदमस्त गांड को अशोक के लंड पर पटक पटक कर उसके लंड का पानी निकाल दी और खुद भी झड़ गई,,,, सब कुछ शांत होने के बाद अशोक ने उसे ₹2लाख का चेक लिख कर दिया है जिसे वह लेकर ऑफिस से बाहर आकर अपने केबिन में बैठ कर काम करने लगी।,,, इसी तरह से रहता अशोक से आए दिन पैसे ऐंठते रहती थी,,, और अशोक जो की वासना का पूरी तरह से पुजारी हो चुका था रीता की हर एक अदा पर पैसे लूटाता रहता था। लेकिन धीरे-धीरे अशोक को अब इस बात का एहसास होने लगा कि रीता ने उससे ढेर सारे पैसे एंड चुकी है और आए दिन उससे पैसे लेते ही रहती थी,,,, धीरे धीरे अशोक अब रीता को पैसे दे देकर तंग आ चुका था और रीता मैं भी उसका इंटरेस्ट कम हो चुका था रीता आप उसे गले में फंसी किसी हड्डी की तरह लगने लगी थी,,,,, अब उससे पीछा छुड़ाना चाहता था लेकिन कैसे यह उसे समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि अशोक ने उसके साथ कुछ ज्यादा ही समय बिता लिया था,,,,।
दूसरी तरफ निर्मला और शुभम को जब भी मौका मिल रहा था तो वह मौके का फायदा उठाने से बिल्कुल भी चूक नहीं रहे थे। निर्मला और शुभम आपस में पूरी तरह से खुल चुके थे। शुभम अब अपनी मां की हर काम में हाथ बताने लगा था यहां तक कि घर के साथ सफाई को लेकर कपड़े धोने में भी वह अपनी मां की मदद करने लगा था। यहां तक कि अब तो वह बाजार में साथ ही जाकर खरीदी भी करने लगा था।
ऐसे ही 1 दिन छुट्टी का दिन था निर्मला सभी गंदे कपड़े करो इकट्ठा कर रही थी क्योंकि उसे वह धोना था,,,, शुभम नाश्ता कर चुका था अपनी मां को इस तरह से गंदे कपड़े ईकट्ठे करते हुए देखकर वह बोला,,,,

मम्मी क्या कर रही हो,,,

देख नहीं रहा है आज इन्हें धोना है ,, ईसे धोते धोते ही शाम हो जाएगी और मुझे शाम को खरीदी करने भी जाना है।,,,

खरीदी करने,, क्या खरीदी करने जाना है मम्मी,,,,


अरे जो भी खरीदना है वह बाद मै,,, पहले ईन कपड़ो को तो धो लुं, । चल तू भी कपड़े धोने में मेरी मदद करा।

मम्मी चलो आज घर के पीछे कपड़े धोते हैं,,,,

मैं भी यही सोच रही थी क्योंकि वहां खुला हुआ है,,, कपड़े धो कर सुखाने में अभी काफी आसान रहता है,,,, चल वहीं चलते हैं।
( इतना कहकर दोनो घर के पीछे कपड़े धोने चले गए वहां पहुंचते ही निर्मला ने सारे,कपड़ों को बड़े से बर्तन में भिगो दी ताकि धोने में आसानी रहे:। कपड़ों को धोते समय निर्मला के सारे कपड़े गीले हो गए,,, शुभम अपनी मम्मी के ठीक सामने ही बैठकर कपड़ों को धो रहा था निर्मला ने साड़ी को ऊपर जांघो तक चढ़ा रखी थी,,, जिसकी वजह से ऊसकी जांघों के अंदर काफी कुछ नजर आ रहा था। जिसमें नजर पड़ते ही,, शुभम कपड़े धोते हुए अपनी मां से बोला,,,

मम्मी तुम्हारा सब कुछ नजर आ रहा है,,।
( अपने बेटे की बात सुनकर लेकिन वह मुस्कुराने लगी उसे मालूम था कि क्या नजर आ रहा है इसलिए वह भी बात को बनाते हुए मुस्कुरा कर अपने बेटे से बोली,,।)

क्या नजर आ रहा है तुझे,,,?

तुम्हारी बुर,,,


क्यों उसे देख कर तुझे अच्छा नहीं लग रहा है,,,

मम्मी मुझे तो बहुत अच्छा लगता है बल्कि मैं तो हमेशा तुम्हारी बुर को देखना चाहता हूं,,,,

तो देखना तेरे लिए ही तो मैं इस तरह से बैठी हूं ताकि तू मेरी बुर को देख सके,,,


सच मम्मी,,,,

हां रे तुझे नहीं दिखाऊंगी तो किसे दिखाऊंगी तू ही तो है जो इसकी इतनी कदर करता है वरना तेरे पापा की चलती तो अभी तक सूख रही होती,,,,
( अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली और वैसे भी वह सच ही कह रही थी सही समय पर निर्मला ने अपनी बुर को सही हाथों में सौंपी थी वरना,,, आज तक वह सूखे जमीन की तरह सावन की बूंदों को तरसती रहती,,,।)

मम्मी पापा पागल है जो इतनी खूबसूरत बीवी के होते हुए भी वह उस पर ध्यान नहीं देते,,,, अगर मेरी ऐसी बीवी,,,( इतना कहते ही वह एकदम से अटक गया,,, निर्मिला उसकी तरफ देखने लगी,, वह इतना चाहती थी कि वह आगे क्या बोलता है लेकिन वह एकदम खामोश होकर कपड़े धोने लगा,,, उसको इस तरह से खामोश देखकर निर्मला बोली,,,।)

क्या कहां तुने,,, अगर तेरी होती तो,,,,,, क्या करता तू,,,
( निर्मला जानना चाहती थी कि वह क्या कहना चाहता है इसलिए इस बात पर कुछ ज्यादा ही जोर दे रही थी।) बोलना क्या कह रहा था तु,,,,

मम्मी मैं यह कह रहा था कि अगर मेरी ऐसी बीवी होती तो मैं उसे बहुत प्यार करता हूं उसे इतना प्यार करता कि वह सारी दुनिया को भूल कर बस मेरी बाहों में ही खोई रहती।,,,
( शुभम इतना कहकर कपड़े धोने लगा लेकिन अपने बेटे की यह बात सुनकर निर्मला सोच में पड़ गई उसके मन में ढेर सारी उमंगे जगने लगी,,,, अपनी मां को इस तरह से उदास होता देखकर शुभम उसका मन बहलाने के लिए बोला,,,।)

मम्मी,,, एक काम करो अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी होकर कपड़े धो बहुत मजा आएगा वैसे भी यहां पर हम दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं है और ना ही यहां कोई देख सकता है।

अपने बेटे की यह बात सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,,

मैं तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जांऊगी लेकिन तुझे भी अपने सारे कपड़े उतारने होंगे,,,

ठीक है मुझे मंजूर है,,,,
( थोड़ी देर में दोनों ही पूरी तरह से नंगे हो गए,, दोनों एकदम नंगे होकर कपड़े धोने लगे शुभम का लंड तनकर एकदम लोहे की रोड की तरह हो गया,,, निर्मला अपनी गांड मटकाते हुए कपड़े ले जाकर रस्सी पर डाल रही थी,,, यह देख कर शुभम का लंड जोर मारने लगा,,,,, शुभम से रहा नहीं गया और वहां जल्दी से जाकर अपनी मां को पीछे से पकड़कर बाहों में भर लिया खड़े लंड की रगड़ गांड पर महसूस होते ही निर्मला भी कामातुर हो गई,,, घर के पीछे होने की वजह से यहां पर किसी के देखने का डर बिल्कुल भी नहीं था इसलिए दोनों बिंदास नग्नावस्था में कपड़े धो रहे थे शुभम एकदम से चुदवासा हो गया था,,, और वहीं दीवार से सटाकर अपनी मां की बुर में लंड डालकर चोदना शुरू कर दिया,,, शुभम के साथ-साथ निर्मला का भी यह पहला अनुभव था कि वह दोनों खुले में इस तरह से चुदाई का आनंद ले रहे थे। कुछ देर तक सुभम अपनी मां की बुर में जोर जोर से धक्के लगाते रहा,,, और उसके बाद वह अपने मां की बुर में ही झड़ गया,,,,।
दोनों वहीं नहा भी लिया क्योंकि निर्मला ने शुभम से बोली थी कि शाम को मार्केट चलना है।,,,,
03-31-2020, 04:02 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
सपेरेंट साड़ी में निर्मला बेहद खूबसूरत लग रही थी ऊसकी खूबसूरती की परिभाषा मैं दुनिया की किसी भी तुलनात्मक वस्तु को आंकना निर्मला की खूबसूरती पर प्रश्न उठाने के बराबर था।,,, निर्मला के कमरे में दाखिल होता हुआ शुभम अपनी मां को देखा तो देखता ही रह गया । निर्मला स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी,,, कमरे में दाखिल होते ही शुभम की नजर निर्मला के भरदार नितंबों पर पड़ी जो कि इस समय साड़ी कुछ ज्यादा उसके पति होने की वजह से गांड का उभार कुछ ज्यादा ही उत्तेजनात्मक असर दिखा रहा था।,, नंगी चिकनी पीठ के बीच की लकीर कुछ ज्यादा ही गहरी नजर आ रही थी जोकि नीचे कमर तक अपने कामुकता का असर दिखा रही थी,,, कमरे में दाखिल होता हुआ वह अपनी मां से बोला,,,

मम्मी तुम तैयार हुई कि नहीं,,,

अरे देखना बेटा मेरे ब्लाउज की डोरी मुझसे बांधी नहीं जा रही है जरा तू मेरी मदद कर देना,,
( शुभम तो पहले से ही लालायित हो रहा था अपनी मां के करीब जाने के लिए इसलिए निर्मला की बात सुनते ही वह झट से अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया,,, निर्मला के बदन से लेडीज परफ्यूम की हल्की हल्की लेकिन बेहद ही मादक खुशबू आ रही थी,,, जिसकी वजह से शुभम पर उत्तेजना का असर होने लगा पेट पर कसी हुई पीले रंग की ब्रा की रेसिपी पति को अपनी उंगलियों में फंसाकर हल्के से नीचे की तरफ खींचा जिसकी वजह से मांसल बदन पर पीले रंग की पट्टी फिसलते हुए दो अंगूल नीचे आ कर रुक गई,,, ब्रा की पट्टी कशी होने की वजह से निर्मला के खूबसूरत बदन पर लीटी पड़ जा रही थी,,, जिसकी वजह से निर्मला की खूबसूरती में चार चांद लग जा रहा था ।शुभम अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर ब्लाउज की डोरी को थाम लिया और ऊसे कस कर बांध दिया इस तरह की मदद लेकर निर्मला को भी बेहद खुशी हो रही थी शुभम से रहा नहीं गया और वहां अपनी मां की नंगी पीठ को चूम लिया और बोला,,,,


तुम बहुत खूबसूरत हो मम्मी,,,

थैंक यू शुभम तू बहुत अच्छा है कि मेरी खूबसूरती की तारीफ तो करता है तेरे पापा से तो यह लब्ज सुनने को मैं तरस गई हूं,,,।


कोई बात नहीं करनी पापा नहीं करते तो क्या हुआ मैं तो तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ करता हूं,,,


तभी तो मुझे फिर से जीने की उमंग मिल रही है चल अच्छा बहुत देर हो गई हमें मार्केट भी चलना है,,,
( इतना कहकर निर्मला और सुभम दोनों गाड़ी में बैठकर मार्केट की तरफ निकल गए,,,, निर्मला गाड़ी चलाते समय मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि शुभम उसकी अब हर तरह से मदद करने लगा था एक पति और एक प्रेमी को जिस तरह से व्यवहार करना चाहिए था उसी तरह का व्यवहार वह उसके साथ कर रहा था जिसको लेकर निर्मला के मन में ढेर सारी भावनाएं जन्म ले रही थी। बार-बार उसके मन में यह भावना जन्म ले रही थी कि काश शुभम उसका प्रेमी होता या उसका पति होता तो उसकी जिंदगी कितने आराम से और कितनी खुशी खुशी कट जाती वह उसे कितना प्यार देता,,,
निर्मला यह सब सोच कर बड़ी दुविधा में पड़ी हुई थी,,। निर्मला मन ही मन सोच रही थी कि शुभम उसे हमेशा एक पत्नी या प्रेमिका की तरह ट्रीट करें,,, उसके साथ उसका व्यवहार जिस तरह से एक प्रेमी या पति का होता है उसी तरह से वह उसके साथ व्यवहार करें,,, समाज की नजरों में घर के बाहर भले ही वह दोनों मां बेटे हों लेकीन घर की चारदीवारी के अंदर दोनों एक पति पत्नी और प्रेमी प्रेमिका की तरह ही पैसा रहे थे क्योंकि दोनों के बीच के मां बेटे की दीवार न जाने कब से गिरकर धराशाई हो चुकीे थी,,, वह मन ही मन अपने बेटे को अपना प्रेमी या पति बनाने की ठान चुकी थी और आज मार्केट आने का उसका मकसद यही था क्योंकि दूसरे दिन वैलेंटाइन डे था और इस वैलेंटाइन डे के दिन वह अपने बेटे के सामने वह अपने प्यार का इजहार करना चाहती थी लेकिन यह सब शुभम के लिए एकदम सरप्राइस था इसलिए उसने उसे कुछ भी नहीं बताई थी। निर्मला अच्छी तरह से जानती थी कि उसके प्रपोज को शुभम अच्छे से एक्सेप्ट कर लेगा बल्की वह तो निर्मला के इस प्रस्ताव से बेहद प्रसन्न हो जाएगा। यह सब सोचकर निर्मला बेहद उत्सुक हो चुकी थी और यह ख्यालात कि अपने ही बेटे को अपना प्रेमी बनाएगी इस बात को लेकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई जिसकी वजह से उसकी रसीली बुर से मदन रस का रिसाव होने लगा,,,,
थोड़ी ही देर में दोनों मार्केट पहुंच चुके थे,,,,, एक जगह पर गाड़ी पार्क करके दोनों शॉपिंग मॉल में दाखिल हो गए,,,,
अंदर दाखिल होते ही उसने इस बात का एहसास हुआ कि उसने तो पर गाड़ी मे हीं भूल गई है इसलिए शुभम को वहीं रुकने को बोल कर वह वापस पार्किंग की तरफ आने लगी,,,
, निर्मला पार्किंग में आकर गाड़ी से अपना पर्स निकाल कर फिर से मॉल की तरफ जाने लगी,,, दूर बैठा रेस्टोरेंट की खिड़की से विनीत यह सब देख रहा था निर्मला पर नजर पड़ते हैं गुजरे हुए पल की यादें उसकी आंखों के सामने तैरने लगे उसका मुंह निर्मला की खूबसूरती देखकर खुला का खुला रह गया पलभर में ही उसे अलका याद आ गई ऐसे ही वह मार्केट में अलका से मिला था,,,,। जिसकी खूबसूरती मे वह पूरी तरह से डूब चुका था,, लेकिन आज उसकी नजरों ने जो देखा था उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था।
वह जिस औरत को देख रहा था उसकी खूबसूरती के आगे अलका की खूबसूरती कुछ भी नहीं थी,,,, बल्कि विनीत की नजरें जिसे देखकर आश्चर्यचकित हो गई थी वह खुद खूबसूरती की मिसाल और सुंदरता की परिभाषा थी,,। उससे रहा नहीं गया और वह रेस्टोरेंट से बाहर आ गया उसकी नजरें लगातार निर्मला के बदन के चारों तरफ घूम रही थी,,, वह निर्मला की खूबसूरती देखकर उसके बदन का जायजा अपनी नजरों से ही लेने लगा पीले रंग की ट्रांसपेरेंट साड़ी ब्लाउज में से झांकती उसकी बड़ी बड़ी चूचियां,,, किसी बेहद उत्तम किस्म के खरबूजे की तरह कड़क लग रही थी उसके लाल लाल होंठ ऐसे लग रहे थे मानो,,, पूरे बदन का रक्त उसके होठों में ही उतर आया हो,,, मॉल से निकलकर पार्किंग में जाते समय विनीत ने निर्मला के भरावदार गांड का अपनी नजरों से जायजा लिया था जिसे देखते ही उसके लंड नें एक गर्म आह भरी थी।,,,, निर्मला को देखते ही दिन अच्छी तरह से समझ गया था कि भले ही अलका खूबसूरती में सबसे आगे हो लेकिन अगर निर्मला की खूबसूरती से उसकी तुलना किया जाए तो वहां निर्मला की खूबसूरती के आगे पानी भर्ती नजर आएगी,,,, निर्मला इस बात से बेखबर की कोई लड़का उसे नजर भर कर बड़े ही प्यासी नजरों से देख रहा है वह एकदम अपनी ही मस्ती में पार्किंग से बाहर आ रही थी,,, कि तभी उसे हल्का सा ठोकर लगा और वह गिरते गिरते बची लेकिन उसके हाथों से उसका पर्स छूट कर नीचे गिर गया,,,, मौके की तलाश में खड़ा विनीत जल्दी से लगभग दौड़ते हुए उसके करीब गया और उसका पर्स ना उठा कर उसे संभालते हुए उठाने लगा,,, उसे सहारा देकर उठाते हुए विनीत ने उसकी बांहों को थाम लिया था जिसका नरम नरम एहसास उसके बदन में किसी करंट की भांति लग रहा था,,,, ऐसा गुरदास बदन और ऐसा मखमली एहसास विनीत ने कभी भी अपने बदन में महसूस तक नहीं किया था। निर्मला को उठाते समय उसकी नजरें ब्लाउज में से बाहर झांक रही ऊसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर टीकी हुई थी जिसे देखकर उसका मन कर रहा था कि अपनी हथेली में भरकर उसे दबा दें और उस पर मुंह लगाकर उसका सारा रस निचोड़ कर पी जाए,,,, लेकिन तभी निर्मला विनीत का सहारा पाकर खड़ी हो गई,,, और खुद को गिरने से बचाने के लिए विनीत को धन्यवाद देते हुए बोली,,,,।

धन्यवाद बेटा तुम नहीं होते तो शायद मैं गिर गई होती,,,

कोई बात नहीं होती है तो मेरा फर्ज ं था मैं आपको गिरने नहीं देता,,,,( तभी उसकी नजर पर्स पर पड़ी और वह पर्स उठाकर उसे थमाते हुए ।) लीजीए आंटी जी आपका पर्श,,

थैंक्यू बेटा ( उसके हाथ से पर्स लेते हुए बोली)

( विनीत उसके साथ फ्लर्ट करना चाहता था वह उसे आजमाना चाहता था की कही बातों से वह उसे अपने बातों की जादू में फसा लेता कि वह उसके साथ अलका की तरह मजे ले सकें,,, इसलिए वह बोला,,,।)

तुम बहुत खूबसूरत हो आंटी मैंने तुमसे ज्यादा खूबसूरत अभी तक किसी औरत को नहीं देखा,,,।

थैंक्यू बेटा (इतना कहकर वह बोल की तरफ जाने लगी तो विनीत भी उसके पीछे-पीछे आते हुए बोला)

आप रहती कहां हो आंटी जी,,,
( उस लड़के की यह बात सुनकर निर्मला समझ गई कि उसका इरादा ठीक नहीं है इसलिए उसे डांटने के उद्देश्य से थोड़ा गुस्से में बोली,,,।)

तुमसे मतलब तुम होते कौन हो ऐसा पूछने वाले,,,,

कुछ नहीं आती मैं तो बस यूं ही पूछ रहा था।
( उसकी बात सुनकर भी नहीं समझ गया कि यह अलका की तरह डरपोक औरत नहीं है बल्कि शायद इधर उसकी दाल नहीं गलने वाली,,, काफी देर हो जाने की वजह से शुभम भी पार्किंग की तरफ ही आ रहा था।,, अपनी मां को इस तरह से उस लड़के से बात करता देखकर वह बोला,,।)

क्या हुआ मम्मी कितनी देर लगा दी,,, मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं। और यह कौन है?

कोई नहीं बेटा मेरा पैर फिसल गया तो इस लड़के ने संभाल लिया,,,,

मम्मी आपको चोट तो नहीं लगी,,,, ( शुभम चिंता व्यक्त करते हुए बोला)

नहीं बेटा सब ठीक है,,,।

थैंक यू दोस्त,,,

इसमें थैंक यू किस बात की यह तो मेरा फर्ज था,,,।

चलो मम्मी देर हो रही है,,,।
( इतना कहकर शुभम जाने लगा और निर्मला भी उस लड़के को गुस्से से देखते हुए मॉल में चली गई,,, निर्मला का गुस्सा और शुभम की कद काठी को देखकर,,, विनीत को राहुल याद आ गया जिसने उसका इतना बुरा हश्र किया था। वह मन में सोचने लगा कि यह लड़का तो राहुल से भी तगड़ा है कहीं इधर उलझ गया तो यह तो उसका और भी बुरा हाल कर देगा। वह बस निर्मला के खूबसूरत बदन को देखकर हाथ मसलता रह गया । इसी वजह से निर्मला इस मार्केट में कभी भी खरीदी नहीं करती थी, वह अच्छे मार्केट में जाती थी जो कि यहां से 4 किलोमीटर दूर था। यहां इसी तरह के लफंगे लोग मिला करते थे।

वह तो आज समय की कमी की वजह से वह इस मार्केट में आ गई। ( जो पाठकगण विनीत के बारे में नहीं जानते वह होता है जो वो हो जाने दो,,, कहानी पढ़कर उसके चरित्र के बारे में जान सकते हैं।)

निर्मला मॉल में प्रवेश कर चुकी थी,,, एक तरफ वैलेंटाइन डे के अवसर के लिए ढेर सारे गिफ्ट रखे हुए थे और साथ ही वैलेंटाइन स्पेशल कार्ड के लिए अलग काउंटर सजाया हुआ था। जहां पर लड़के लड़कियों की भीड़ कुछ ज्यादा ही थी।
वह शुभम को इस बात का अंदेशा भी नहीं होने देना चाहती थी कि वह क्या खरीदने आई है इसलिए उसे किसी बहाने से दूसरे काम पर पर उसके मनपसंद की चीज खरीदने को भेज दे और खुद जल्दी से,,, अपने लिए वैलेंटाइन कार्ड और भी सामान खरीद कर गिफ्ट पैक करवा ली,,,, निर्मला वैलेंटाइन कार्ड पर अपने दिल की बात लिख कर शुभम को देना चाहती थी,,,,

दोनों खरीदी कर चुके थे,,,,शाम ढल चुकी थी, अंधेरा हो रहा था। इसलिए निर्मला घर जल्दी वापस लौट आई।
03-31-2020, 04:02 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला ने मॉल से लाया सब सामान को अपने कमरे में रख दी शुभम बार-बार अपनी मां से यह जानने की कोशिश करता रहा कि आप फिर वह क्या खरीदी है लेकिन वह बात को टालतीे रही,,, वह शुभम को सरप्राइस देना चाहती थी। शुभम ने मोल़ से अपने लिए कुछ कपड़े खरीदे थे। वैलेंटाइन डे के बारे में उसे कुछ मालूम नहीं था बस इतना जानता था कि वैलेंटाइन डे पर एक दूसरे को गिफ्ट दिया जाता है लेकिन उसने आज तक इस तरह के कल्चर को नहीं अपनाया था इसलिए वैलेंटाइन डे के खास मौके पर लड़के लड़कियों को क्या गिफ्ट देते हैं या क्या प्रपोज करते हैं इस बारे में उसे कुछ भी मालूम नहीं था और यह बात निर्मला भी अच्छी तरह से जानती ही थी क्योंकि शुभम की जीवन में अब तक किसी भी लड़की ने प्रवेश नहीं किया था। इसलिए वह प्यार व्यार की बातों से कोसों दूर था। उर्मिला को इस बात की खुशी भी थी कि वह शुभम के जीवन में सबसे पहले आने वाली पहली औरत थी जिसके बारे में शुभम काफी कुछ जानता और समझता था। निर्मला को इस बात का डर अब बराबर लगने लगा था कि कहीं किसी लड़की के चक्कर में शुभम ना पड़ जाए अगर वह ना भी पड़े तो शुभम की पर्सनालिटी इस तरह की थी कि कोई भी लड़की उसकी दीवानी हो जाए और यह नहीं चाहती थी कि उसका प्यार किसी और लड़की के साथ बट जाए,,, इसलिए तो निर्मला ने मन में तय कर ली थी कि वह शुभम को अपने प्यार में पूरी तरह से नहला देगी ताकी वह अपने रूप योवन के जादू में उसे पूरी तरह से अपने वश में कर ले और जहां तक की उसका सोचना बिल्कुल सच ही था क्योंकि शुभम भी पूरी तरह से अपनी मां के प्रति आकर्षित था सोते जागते हमेशा उसे अपनी मां का खूबसूरत नंगा बदन ही नजर आता था। निर्मला के जीवन में आज तक उसका कोई भी प्रेमी नहीं था ऐसा नहीं था कि लड़के उसके पीछे मरते नहीं थे बल्कि वह खुद किसी लड़के को अभी तक अपने करीब नहीं आने दी थी और ना ही उन्हें प्रेमी बनाने का सपना देखी थी उसके जीवन में अगर मर्द का प्रवेश हुआ था तो वह पहला अशोक ही था जो कि उसका पति बनकर उसके जीवन में आया था और उसके जीवन को नर्क के समान बना दिया था और दूसरा उसका बेटा शुभम जो कि बेटा होने के बावजूद भी वह एक प्रेमी और पति का फर्ज निभा रहा था जो सुख उसे अशोक से प्राप्त नहीं हुआ वह सुख ऊसे बराबर मिल रहा था। इसलिए तो वैलेंटाइन डे के खास मौके पर वहां शुभम को अपना प्रेमी बनाने का प्रस्ताव रखना चाहती थी वह शुभम ने प्रेमी के साथ साथ अपने पति का भी छवि देखने लगी थी वह मन ही मन इस बारे में कल्पना करके एकदम रोमांचित हो उठती थी कि अगर सच में शुभम उसका पति होता तो उसकी जिंदगी कितनी अलग होती कितनी खुशनुमा से उसकी उम्र गुजरती । यही सब सोचकर निर्मला शुभम को अपना बनाने के लिए वैलेंटाइन डे कोही अपने दिल की बात उसे कहकर प्रपोज करना चाहती थी इसको लेकर वह काफी रोमांचित भी थी।,,

दूसरे दिन स्कूल में शीतल भी अपने दिल की बात तो हमको कहना चाहती थी वह जानती थी कि आज वैलेंटाइन डे है आज वह सुबह से अपने मन की बात करके रहेगी ऐसा निर्धार कर के वह बाजार से एक खूबसूरत गुलाब का फूल भी खरीद ली थी जो कि वह शुभम को ही देने के लिए खरीदी थी। उसे मन में इस बात का डर भी था कि अगर पैसे दिए थे वह लोग को कहीं शुभम लेने से इंकार कर दिया तो और अगर वह ले भी लिया और इस बात की खबर निर्मला को हो गई तो क्या होगा,,,, कहीं उसकी इस हरकत की वजह से निर्मला नाराज ना हो जाए,,,, तभी वह अपनी इस शंका के हल को भी खोजली,,,, वह मन में यह भी सोच ले कि अगर निर्मला को इस बात से बुरा लगेगा तो वह कह देगी कि मैं तो बस ऐसे ही उसे गुलाब का फूल दे रही हूं मैं उसे अपना बॉयफ्रेंड थोड़ी बनाना चाहती हूं,,,। उसे यकीन था कि उसकी यह बात पर निर्मला जरूर विश्वास कर लेगी,,,
वह स्कूल के बाहर लेकिन इस तरह से खड़ी होकर शुभम का इंतजार करने लगी ताकि निर्मला उसे देख ना ले,,, अभी थोड़ी देर बाद दोनों की गाड़ी पार्किंग में आकर रुकी और दोनों कार से बाहर निकल गए दोनों बहुत खुश नजर आ रहे थे और एक दूसरे से हंस कर बातें भी कर रहे थे उन दोनों को साथ में और उन लोगों की खुशी देखकर शीतल को उन से जलन होने लगी वह मन ही मन सोचने लगी कि काश निर्मला की जगह वह होती तो,,, शुभम का वह भरपूर फायदा उठाती,,, भले ही वह रिश्ते में उसका बेटा होता लेकिन बेटा होने के बावजूद भी वह उसके लंड से चुदती जरूर,,, और शीतल जैसी खूबसूरत और सेक्सी मां पाकर वह भी ऊसे जरूर चोदता।
और इस रिश्ते को बनाने के लिए उसे पहले पहल करने से भी कोई एतराज नहीं था और भला शुभम एक बेटा होने के बावजूद भी अपनी मां को क्यों नहीं छोड़ता बकरे खूबसूरत और सेक्सी मां खुद अपने बेटे के लंड को लेने के लिए तैयार है तो भला बेटे को इस बात से क्यों इंकार होगा,,, वह तो खुद ही बेताब होगा रसीली बुर में अपना लंड डालकर चोदने के लिए,,,
शीतल शुभम को आवाज देकर अपने करीब बुलाना चाहती थी लेकिन शुभम निर्मला एक दूसरे के बिल्कुल करीब होकर बातें करते स्कूल में चले आ रहे थे जिससे शीतल को जरा भी मौका नहीं मिला कि वह शुभम को आवाज दे सके क्योंकि वह अकेले में शुभम को गुलाब देना चाहती थी लेकिन यह मौका ऊसके हाथ से जाता रहा।,,,

अपनी क्लास में प्रवेश करते ही निर्मला की नजर टेबल पर पड़ी,, तो टेबल पर फूलों का बुके रखा हुआ था। जिसे देखते ही निर्मला खुश हो गई और जैसे ही वह क्लास में प्रवेश की वैसे ही क्लास के सारे लड़के और लड़कियां,,, एक साथ खड़े होकर निर्मला को वैलेंटाइन विश किया अपने विद्यार्थियों के द्वारा इस तरह के स्वागत किए जाने पर निर्मला बहुत खुश हो गई जिसकी खुशी उसके चेहरे को देखकर साफ पता चलती थी वह भी जवाब में क्लास में बैठे सारे विद्यार्थियों को वैलेंटाइन विस की और बोली,,,

मुझे तुम लोगों का इस तरह से वैलेंटाइन विश करना बहुत ही अच्छा लगा देखो बच्चों वैलेंटाइन सिर्फ जरूरी नहीं है कि प्रेमी प्रेमिका का ही हो,,, वैलेंटाइन हर उस शख्स के लिए है जो दूसरों के लिए अपने दिल में प्यार स्नेह और इज्जत रखता है। थैंक्यू,,,,,,
( निर्मला की बात सुनकर क्लास के सारे विद्यार्थी खड़े होकर तालियों से उसका स्वागत किया क्लास में बैठे कुछ लड़के ऐसे भी थे जो मैडम को अलग से वैलेंटाइन विश करना चाहते थे उनके दिल की यही तमन्ना थी कि वह गुलाब का फूल अपनी मैडम को देकर बदले में वह निर्मला के गाल यां होठों को चूम कर वैलेंटाइन मनाए,,,, लेकिन यह वह लोग जानते थे कि संभव नहीं है क्योंकि निर्मला काम मिजाज क्लास में कुछ ज्यादा ही कड़क था। निर्मला कुर्सी पर बैठकर उन फूलों को देख रही थी और मन ही मन सोच रही थी कि मैं विद्यार्थी तो उसे वैलेंटाइन विश कर दिया था शुभम भी उसे वैलेंटाइन विश करता तो उसे और ज्यादा खुशी होती बदले में उसे अपनी बाहों में भरकर उसे प्यार भरा चुंबन देती,,,,

दूसरी तरफ शीतल शुभम को गुलाब का फूल देकर उसे अपने मन की बात बताने के लिए तड़प रही थी,, और रिशेष में उसे मौका मिल गया शुभम को इशारा करके अपनी क्लास में बुलाई शुभम तो पहले से ही तड़प रहा था शीतल से मुलाकात करने के लिए क्योंकि जब से उसकी मम्मी ने उसे यह बताई थी कि शीतल उससे चूदना चाहती है तब से शुभम की नजरों में शीतल को पाने की प्यास और ज्यादा बढ़ चुकी थी। शीतल के एक इशारे पर वह तुरंत उसे क्लास में पहुंच गया,,, शीतल ऊससे आज एकदम सीधी बात कर लेना चाहती थी,,, घुमा-फिराकर वहां अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहती थी वह जानती थी कि औरतों के इशारे पर ऐसे नौजवान छोकरे तो क्या बुड्ढे भी फिसल जाते हैं,,, और शुभम तो अभी-अभी जवानी कि बाहर देख रहा था उससे ज्यादा उत्सुकता और किसे होगी औरतों के बदन के बारे में जानने के लिए,,, इसने मुझे पक्का यकीन था कि उसकी प्रपोजल को शुभम कभी भी नहीं ठुकरायेगा बल्कि वह तो खुश हो जाएगा,,,, शीतल मन में यही सब सोच रही थी और उसे देखकर शुभम बोला,,,।

क्या बात है मैडम आप मुझे इस तरह से,,,,( शुभम आगे कुछ कहता इससे पहले ही वह उसकी बात काटते हुए बोली,,,।)
देखो सुबह मैं तुमसे ज्यादा घुमा फिरा कर बात नहीं करना चाहती तुम तो अच्छी तरह से जानते हो कि आज वैलेंटाइन है,,,, और वैलेंटाइन को क्या होता है यह भी अच्छी तरह से जानते होगे,,,( शुभम शीतल की बातों को बड़े गौर से सुन रहा था और उसके सवाल पर सिर्फ अपना सिर हिला कर जवाब दे रहा था,,,) इस मौके पर लड़के लड़कियां अपने दिल की बात एक दूसरे को बताते हैं उनके दिल में क्या है यह जिसको वह चाहते हैं उसे बताते हैं,,,।( इतना कहते हुए वह जानबूझकर हल्के से झुकी ताकि उसके कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे गिर जाए और ऐसा हुआ भी, साड़ी का पल्लू नीचे गिरते ही ब्लाउज में से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर झांकने लगी, जिसे शुभम आंखें फाड़े देखता ही रह गया,,,,।
और यह देखकर शीतल खुश हो गई,,,, वह साड़ी का पल्लू तुरंत अपने कंधे पर डालते हुए,,।) सुभम मैं भी तुमसे अपने प्यार का इजहार करना चाहती हूं मैं जानती हूं कि तुम्हारे और मेरे बीच में उम्र का जो फासला है वह कभी भी भरने वाला नहीं है लेकिन मैं तुमसे बेहद प्यार करने लगी हूं,,,,
( शुभम तो शीतल की बात सुनकर एकदम से सन्न रह गया मुझे यकीन नहीं हो रहा था किसी तरह से इस तरह की बातें करेंगीे उसकी बातों को सुनकर उसे बेहद खुशी भी हो रही थी।) मैं जानती हूं कि तुम्हें थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन यह बिल्कुल सच है । (इतना कहते हुए वह एकदम के एकदम करीब पड़ने लगी शुभम की तो सांसे तेज हो चली थी,,, कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें धीरे-धीरे शीतल शुभम के एकदम करीब पहुंच गई,,, शीतल कैभी बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी क्योंकि आज तक उसने ऐसी बात किसी से नहीं कही थी। अगले ही पल वह शुभम कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसे अपनी बाहों में भर ली
शुभम कि सांसे और ज्यादा तेज चलने लगी,,,,,
03-31-2020, 04:03 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शीतल की गुदाज बाहों में शुभम को अपना वजूद पिघलता हुआ महसूस हो रहा था। शीतल की इस हरकत से उसका लंड तुरंत खड़ा हो गया था जोकि शीतल को उसकी जांघों के बीच फिर से महसूस होने लगा था,,,, शीतल की भावनाए ऊसके काबू में बिल्कुल भी नहीं थी वह तुरंत अपने गुलाबी होठों को शुभम की खोज पर रखकर उसके होठों को चूसने लगी,,, शुभम कहां पीछे हटने वाला था जो चस्का उसकी मां ने उसे लगाया था,,, शीतल ने फिर से उसे भड़का दी थी और वह खुद अपनी बाहों को शीतल के बदन पर कसते हुए जवाब में उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया,,,, दोनों एक दूसरे में खोने लगे शीतल को इस बात का भी चेहरा एहसास नहीं हुआ कि वह दोनों क्लास में यह सब कर रहे हैं वह शुभम की चाहत में एकदम खो गई उसके लंड की ठोकर साड़ी के ऊपर से ही बुर पर दस्तक दे रही थी,,, जो कि शुभम के लंड की मजबुती का सबूत पेश कर रही थी। शीतल के बस में होता तो वह आज ही और अभी ही अपने सारे अरमान पूरे कर लेती लेकिन समय हो चुका था इसलिए वह अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए शुभम से अलग हुई,,,
शुभम के साथ-साथ शीतल की भी सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी,,,, उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया था,,, शीतल मुस्कुराते हुए शुभम की तरफ देखने लगी जवाब में शुभम भी मुस्कुरा दिया,,, शीतल को यही मौका ठीक लगा और वह अपने पर्स में रखा हुआ ताजा गुलाब का फूल निकाल कर शुभम की तरफ बढ़ाते हुए बोली आई लव यू शुभम मुझे यकीन है कि तुम मेरे इस प्रस्ताव को नहीं ठुकराओगे,,, (शुभम कुछ बोल नहीं रहा था बस शीतल की तरफ देखे जा रहा था,,)
क्या हुआ शुभम तुम खामोश क्यों हो,,, मेरे ईस फुल को स्वीकार करके मुझे अपने प्यार की दासी बना लो,,, और हां इस बात की खबर तुम्हारी मम्मी को बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए वरना वह मेरे बारे में ना जाने क्या सोचेंगी,,,
( शुभम के लिए तो यह एक मौका था क्योंकि अब उसकी बांहों में शीतल भी थी जो कि बेहद खूबसूरत अोर मदमस्त बदन की सेक्सी औरत थी,,,,, वह झट से हाथ बढ़ाकर शीतल के हाथों से गुलाब का फूल ले लिया,,,, शुभम का ध्यान ब्लाउज में सांसों के साथ ऊठबैड़ रहे उसकी चूचियों पर ही था। शुभम के बदन में भी उत्तेजना बढ़ने लगी वह भी अपने प्यार का इजहार करना चाहता था और वह झट से एक कदम आगे बढ़ाकर एक बार फिर से खुद ही शीतल को अपनी बाहों में भरकर अपने होंठ को उसके होठ पर रखकर चूसना शुरू कर दिया,,, शुभम के इस व्यवहार और उसके ईजहार को स्वीकार करने की अदा देख कर शीतल एकदम से गदगद हो गई और वह भी कसके शुभम को अपनी बाहों में भर ली,,, शुभम मौका देखकर अपना एक हाथ उसकी चुची पर रखकर दबाने लगा। वह आगे बढ़ पाता इससे पहले ही रीशेष पूरी होने की घंटी बजने लगी,,,, शुभम अब ज्यादा देर क्लास में रुकना नहीं चाहता था,,,, और वह जल्दी से गुलाब के फूल को अपने जेब में रखकर बाहर निकल गया,,,, शीतल शुभम को क्लास से बाहर जाते देखती रही आज उस का तन बदन शुभम की बाहों में आकर पिघलने लगा था उसे अपनी पैंटी गिली महसूस होने लगी क्योंकि उसकी बुर ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था,,,। लंड की ठोकर का अहसास उसे अपनी बुर पर अभी तक हो रहा था वह बहुत खुश नजर आ रही थी।

शाम को घर पर निर्मला बेताब थी अपने दिल की बात शुभम को बताने के लिए लेकिन वह अपने मुंह से अपने प्यार का इजहार नहीं करना चाहती थी इसलिए वह वैलेंटाइन कार्ड पर अपने दिल की बात लिख चुकी थी,,,, और वहां उसे गिफ्ट पैक के साथ शुभम की कमरे में रख दी थी ताकि शुभम आराम से उसके लिए वैलेंटाइन कार्ड पर उसके प्यार का इजहार को पढ़कर उसके प्यार को स्वीकार कर सकें। वह किचन में खाना बना रही थी,,, शुभम किचन में आकर पानी पीने लगा और पानी पीने के बाद जैसे ही वह अपना मुंह पोछने के लिए अपनी जेब में हाथ डालकर रुमाल निकालने लगा जो रुमाल के साथ सीतल का दिया हुआ गुलाब भी नीचे फर्श पर गिर गया,,,, निर्मला ऊसे तिरछी नजरों से देख रही थी। उसने उसकी जेब से गिरा हुआ गुलाब का फूल भी देखली और फूल को देख कर,,, वह आश्चर्य के साथ बोली,,,


शुभम यह गुलाब का फूल तुम किसके लिए लाए हो मेरे लिए,,,( शुभम के लिए छुपाने लायक कुछ भी नहीं था वह कुछ बहाना बनाता इससे पहले ही निर्मला ने उसे रास्ता दिखाते हुए सब कुछ अपने मुंह से ही बोलती और वह भी हड़ बड़ाते हुए बोला,,)

हंंहंहं,,, मम्मी मेरे गुलाब का फूल तुम्हारे लिए लाया हूं आज वह वैलेंटाइन था ना,,,,

( निर्मला तो अपनी बेटे के मुंह से यह बात सुनकर एकदम खुशी से गदगद हो गई,,, शुभम अपनी मां को खुश होता हुआ देखकर उसकी तरफ गुलाब का फूल आगे बढ़ा दिया जिसे निर्मला भी प्यार से लेकर उस गुलाब के फूल को चूम ली।)

शुभम मै भी तेरे लिए कुछ लाई हूं वैलेंटाइन डे के अवसर पर देने के लिए वह तेरे कमरे में रखा हुआ है,,

सच मम्मी क्या लाई हो मैं अभी देख कर आता हूं,,,
( शुभम अपने कमरे की तरफ आगे बढ़ता है इससे पहले वह ऊसे रोकते हुए बोली,,,।)
अभी नहीं बेटा तेरे लिए वह एक सरप्राइज़ है,( इतना सुनकर शुभम वहीं रुक गया) जब तू खाना खाकर अपने कमरे में जाएगा तब उसे खोलकर देखना अभी बिल्कुल भी मत देखना,,,,

ठीक है मम्मी,,,
( निर्मला के साथ-साथ शुभम के मन में भी सरप्राइज़ को देखने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी)

निर्मला बहुत खुश थी वह बड़े चाव से रसोई का काम कर रही थी, उसने बड़े प्यार से,,, अपने दिल की बातों को शब्दों में ढालकर वैलेंटाइन कार्ड पर लिख डाली थी अब देखना यह था कि उन शब्दों का असर शुभम पर किस तरह से पड़ता है वैसे तो निर्मला को पूरा यकीन था कि उसके प्रस्ताव को शुभम जरूर खुशी खुशी मान जाएगा वैसे भी उसे दोनों के बीच के रिश्ते को लेकर के कोई भी दिक्कत नहीं थी वह तो बहुत खुश था,,,, निर्मला अच्छी तरह से जानती थी कि आज की रात अशोक घर नहीं आने वाला था,,, उसे लगता था कि वह बिजनेस के सिलसिले मैं कहीं बाहर गया हुआ है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था वह अपनी पर्सनल सेक्रेटरी रीता के साथ वैलेंटाइन मनाने शहर के बाहर गया हुआ था। वैसे भी वह कहीं भी गया हो इस समय उसके पास भरपूर मौका था यही बात उसके लिए बेहद खास थी। अपनी मां के द्वारा मिलने वाले सरप्राइज़ को लेकर शुभम भी काफी उत्सुक और उत्साहित था। उसे बिल्कुल भी आईडिया नहीं था कि उसकी मां उसे क्या सरप्राइज़ देने वाली है बार-बार उसका मन कह रहा था कि जाकर अपने कमरे में निर्मला का दिया हुआ सरप्राइज़ देख ले,, लेकिन उसे निर्मला ने ही खाना खाने के बाद ईत्मीनान से देखने के लिए बोली थी इसलिए वह अपनी मां की बात को टाल नहीं सका,,,,
बार-बार उसे शीतल की याद आ रही थी शीतल ने जिस तरह से उसे अपने दिल की बात कहते हुए प्रपोज की थी वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसे कोई औरत इस तरह से प्रपोज करेगी,,,, शीतल की खूबसूरती और उसकी कामुक अदा का वह दीवाना हो गया था जिस तरह से उसने उसे अपनी बाहों में भरते हुए उसके होठों को चूस रही थी उसे साफ साबित हो रहा था कि शीतल की प्यास शुभम के प्रति बहुत ही ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,। शीतल के चुंबन से शुभम की हालत खराब हो गई थी उस पल को याद करके पजामे में उसका लंड तन कर खड़ा हो गया था।,,, वह कुर्सी पर बैठकर यही सोच रहा था कि क्या उसकी मां की तरह शीतल भी उससे सच मे चुदना चाहती है,,, वह मन में अपने आप से ही सवाल कर रहा था और उसका जवाब भी ढूंढ रहा था,,,, वह मन में ही सोचने लगा कि जैसा कि उसकी मां ने बताया था कि शीतल उस से चुदवाने के लिए तड़प रही है उसे देखते हुए एकांत में उसका इस तरह से काम आती है वह कर उसे चूमने लगना उसकी मां की कही गई बात पर मोहर नुमा दस्तखत थी। वह मन में यह भी सोचने लगा कि शीतल मैडम की चुची भी काफी बड़ी है जिसे दबाने में उसे बहुत मजा भी आ रहा था,,, बातों में मौके पर रिशेष पूरी होने की घंटी बज गई वरना वह ब्लाउज के बटन खोल कर शीतल की चूची को अपने मुंह में भर कर पीना शुरु कर देता,,,, क्लासरूम की बातों को याद करके शुभम का बदन उत्तेजना के मारे गंनगना गया,,, उसे इस बात की उत्सुकता और इंतजार भी था कि कब शीतल उसे अपनी बुर चोदने के लिए देती है वह अपने आप को बड़ा खुशनसीब समझ रहा था क्योंकि एक औरत को तो वह चौद ही रहा था अब दूसरी औरत भी उसे जल्द ही चोदने को मिलने वाली थी। कुर्सी पर बैठे-बैठे मन में शीतल के नंगे बदन की कल्पना करने लगा, वह एकदम से चुदवासा हो गया था,,, शीतल की हरकत को याद करके उसके बदन की कामाग्नि बढ़ती जा रही थी वह मन में ही सोचने लगा था कि शीतल की बुर कैसी दिखती होगी हालांकि अब उसे इतना तो पता ही चल गया था कि औरतों की बुर का भूगोल किस प्रकार का होता है वरना जब तक उसने अपनी मां की बुर के दर्शन नहीं किए थे तब तक वह कल्पना में ना जाने कैसे-कैसे आकार को लेकर उत्तेजित हो जाया करता था लेकिन अब तो वह औरत के बदन के हर एक अंग से पूरी तरह से वाकिफ हो चुका था इसलिए उनके अंगों के बारे में सही गणित लगाते हुए कल्पना करना उसके लिए कोई कठिन कार्य नहीं था। शीतल को याद करके वह इतना ज्यादा चुदवाया हो गया था कि उसके मन में हो रहा था कि अभी किचन में जाकर अपनी मां की बुर में लंड डालकर उसे चोद डाले,,, लेकिन अभी वह खाना बना रही थी इसलिए वह अपने आप पर संयम रखकर बैठा रहा।।
03-31-2020, 04:03 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
खाना खाते-खाते रात के करीब 10:00 बज गए निर्मला अपने कमरे में चली गई वैसे तो निर्मला के साथ-साथ से बंधी उसके कमरे में जाना चाहता था क्योंकि घर पर उसके पापा नहीं थे लेकिन वह अपनी मां की तरफ से मिला सरप्राइज़ भी देखना चाहता था इसलिए पहले वह अपने कमरे में चला गया,, कमरे में प्रवेश करते ही उसकी नजर टेबल पर रखे लाल बॉक्स पर पड़ी,, उस बॉक्स पर नजर पड़ते हैं उसकी दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी मां ने उस बॉक्स में ऐसा क्या रखी है जिसे वह खुद नहीं बता सकती धरती दिल के साथ वह टेबल की तरफ आगे बढ़ा,,, बॉक्स को बड़े ही सलीके से और खूबसूरती से सजाया हुआ था बॉक्स पर लगे लाल रिबन को वहां काटकर बॉक्स को खोलने लगा,,,,, बॉक्स से हलके परफ्यूम की खुशबू आ रही थी जो कि शुभम को मदमस्त बना रही थी। तभी बॉक्स में रखें गुलाब के फूल जो की बहुत ही खूबसूरती से प्लास्टिक के रेपर में लपेट कर रखा हुआ था उसकी नजर,, ऊस पर पड़ी और वह उस फूल को उठा लिया,,, उस खूबसूरत गुलाब के फूल को देखकर शुभम का मन रोमांचित हो गया,,,,, कभी उसने एक छोटा सा बॉक्स उसे नजर आया और वह उस बॉक्स को खोलने लगा,,,, जिसमें चांदी की लकी रखी हुई थी उसे देखकर शुभम बेहद खुश हो गया वह समझ गया कि उसकी मां ने उसके लिए खरीदी है क्योंकि कुछ दिन पहले ही वह अपनी मां से लकी लेने की बात कर रहा था। वह इस बात से और ज्यादा खुश हो गया क्योंकि वह तो लड़की की बात कहकर भूल गया था लेकिन उसकी मां को उसकी बात याद रह गई थी जो कि उसे देखकर वह अपना वादा पूरा भी कर दी थी वह मन ही मन अपनी मां को धन्यवाद देने लगा तभी उसकी नजर बॉक्स में रखें वैलेंटाइन कार्ड पर पड़ी,,,, वह उत्सुकतावश उसे उठाकर देखने लगा जिस पर लिखा हुआ था,,,,,, माय लवींग लवर,,,

( कार्ड के ऊपर लिखे इन तीन शब्दों को पढ़कर उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, उसके हाथ कांपने लगे थे और अपनी का प्रति अंगुलियों से वैलेंटाइन कार्ड को खोलकर देखा तो अंदर भी कुछ लिखा हुआ था वह मन ही मन में पढ़ने लगा,,,

डियर शुभम,,,,
मैं बहुत दिनों से तुझसे यह बात कहना चाहती थी लेकिन अपने मुंह से कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी मैं बरसों से सच्चे प्यार के लिए तरसती आ रही हूं इससे पहले मैंने कभी भी इस तरह का पत्र ना तो लिखी हूं और ना ही किसी को लिखकर दी हूं,,, शुभम मैं जानती हूं कि जो हम दोनों कर रहे हैं या समाज की नजरों में पाप है लेकिन तु भी अच्छी तरह से जानता था कि मैं अपने हालात के आगे मजबूर हो चुकी थी ऐसे में मुझे सहारे की जरूरत थी जो कि वह सहारा मुझे तुझसे मिला मैं तुझसे प्यार करने लगी हूं जो प्यार मुझे अपने पति से मिलना चाहिए था वह प्यार मुझे तुझसे मिल रहा है इसलिए मैं तुम्हारे अंदर अपने लिए एक प्रेमी और पति देखने लगी हूं। दुनिया की नजर में भले ही हम कुछ और हो लेकिन घर की चारदीवारी के अंदर मैं चाहती हूं कि तु मेरा प्रेमी और पति बन कर रहे,,, यह फैसला मैंने तुझ पर छोड़ रखी हूं अगर तुझे मेरा यह प्रस्ताव स्वीकार है तो मेरे कमरे का दरवाजा तेरे लिए खुला है चले आना मैं तेरा इंतजार करूंगी,, आई लव यू ,,,,
तेरी निर्मला,,,,,

वैलेंटाइन कार्ड पर लिखा हुआ यह खत पढ़कर शुभम का पूरा वजूद कहां पर गया उसके पूरे बदन में उत्तेजना की लहर दोनों में लगी चेहरे पर मंद मंद मुस्कान तैरने लगी उसे भला इस बात के लिए क्यों इंकार होने लगा था वह भी यही चाहता था कि घर की चारदीवारी के अंदर निर्मला भी उसकी प्रेमिका या पत्नी बन कर ही उसे प्यार दे,,, अपनी मां के दिए इस सर प्राइज से उसके बदन में उत्तेजना की लहर अपना असर दिखाने लगी, पजामे मैं ऊसका मोटा लंड तनकर एकदम लोहे की छड़ की तरह हो गया था। शुभम का मन चुदाई के लिए तड़प उठा,,, वह अपनी मां की कमरे की तरफ जाने लगा जहां पर निर्मला बड़ी बेसब्री से उसका इंतजार कर रही थी,,,,, वह अच्छी तरह से जानती थी कि शुभम उसके प्रस्ताव को जरूर स्वीकार करेगा इसलिए तो वह एकदम बन ठनकर बिस्तर पर लेटी हुई थी लेकिन बिस्तर पर लेटने का अंदाज भी उसका बड़ा ही कामुक था वह पीठ के बल लेटी हुई थी अपने लाल-लाल होठों पर गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी बाल छोटे से रिबन में बैठे हुए थे ब्लाउज के दो बटन जानबूझकर वह अपने हाथों से ही खोल रखी थी साड़ी का पल्लू बदन से दूर बिस्तर पर फैला हुआ था जिसकी वजह से उसका चिकना मांसल पेट और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था और उसकी खूबसूरती को बढ़ाते हुए उसकी गहरी नाभि किसी छोटी सी बुर की तरह नजर आ रही थी वह एक टांग को घुटनों से मोड़ रखी थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी जांघो के नीचे तक सऱक आई थी। और उसकी मोटी मोटी चिकनी केले के तने की सामान मदमस्त कर देने वाली नंगी जांघे ट्यूब लाइट की रोशनी में फिर से अपना जलवा बिखेर रही थी। यह कामुक नजारा देख कर तो दुनिया का कोई भी मर्द अपने होशो हवास खो बैठे सच में निर्मला के बदन का पोर पोर कामुकता से छलक रहा था निर्मला ने दरवाजा खुला छोड़ रखी थी,,, अपने आशिक अपने महबूब के इंतजार में वह अपनी पलके बिछाए हुए थी कि तभी,,, खुले दरवाजे पर दस्तक हुई वह समझ गई कि उसका सरताज दरवाजे पर खड़ा है उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई जब तक की आवाज सुनकर वह अंगड़ाई लेते हुए बोली,,,,

खुले दरवाजे पर दस्तक देने की क्या जरूरत है,,,, अंदर आ जाओ।
( अंदर से निर्मला की आवाज सुनकर शुभम दरवाजे को खोलकर कमरे में प्रवेश किया,,,, और कमरे में घुसते ही वह दरवाजे को लॉक कर दिया,,, निर्मला उसे कमरे में आता देखकर उसकी तरफ करवट लेकर अपना हाथ अपने सिर पर टिका कर उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखने लगे और मुस्कुराते हुए बोली,,,,

मुझे पूरा यकीन था कि तू मेरे प्रस्ताव को जरूर स्वीकार करेगा और मेरे प्यार के शुरुआती प्रकरण पर अपनी हामी का हस्ताक्षर करके मुझे अपना बनाएगा,,,,

मैं कोई पागल नहीं हूं कि इतनी खूबसूरत औरत का प्रस्ताव ठुकरा दूंगा बल्कि मैं तो तुम्हारे इस प्रस्ताव से एकदम खुश हूं,,,( सुभम मुस्कुराते हुए बोला,,)

सच शुभम,,,, तू बिल्कुल नहीं जानता कि मैं आज कितनी खुश हूं।,,, मेरे मन में बस यही एक तमन्ना दबी हुई थी,,, कि मेरा भी कोई प्रेमी हो मुझे भी दिलो जान से कोई प्यार करने वाला हूं जो मेरी जरूरत का ख्याल रखें मुझे अपना बनाकर रखें मुझे बहुत प्यार करें मेरी वह दबी हुई तमन्ना अब जाकर पूरी हो रही है,,,,( इतना कहते हुए निर्मला अपना एक हाथ आगे बढ़ा दी,,, और उसे शुभम ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके हाथ को थाम लिया,,,) आई लव यू शुभम,,,,,,,,,,,,,,,,, (इतना कहकर वह शुभम को अपनी तरफ खींची,,, शुभम भी उसकी तरफ खींचता चला गया,,,, दोनों की धड़कनें तेज चल रही थी बंद कमरे के भीतर दो बदन फिर से एक होने के लिए तड़प रहे थे अपने बेटे से अपने प्यार का इजहार करके निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़नें लगी थी,, वह शुभम को अपनी बाहों में समा लेना चाहती थी,,,, शुभम भी यही चाहता था कमरे में प्रवेश करते ही उसकी नजर निर्मला पर पड़ी थी और किसकी हालत को देख कर उसके बदन में काम भावना प्रज्वलित होने लगी थी मोटी मोटी नंगी जांघों को देखकर उसका लंड ठोकरें मार रहा था,,, ब्लाउज के दो बटन खुले होने की वजह से आधे से ज्यादा चुचिया बाहर को छलक रही थी,,, अपनी मां के मुंह से आई लव यू सुनकर वह भी जवाब में बोला,,,,।)

आई लव यू मम्मी,,,,,,
( अपने बेटे के मुंह से यह शब्द सुनकर वहां एक झटके से शुभम को अपनी तरफ खींची जिसकी वजह से वह अपने आप को संभाल नहीं पाया और सीधे जाकर निर्मला के ऊपर ही गिरते गिरते बचा लेकिन अपने आपको निर्मला के ऊपर गिरने से बचाते बचाते वह अपनी मां के चेहरे के इतना करीब पहुंच गया कि उसकी मां के गुलाबी होंठ और उसके होठों के बीच बस एक अंगूल का फासला रह गया,,,, दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबते चले गए दोनों की गर्म सांसे एक दूसरे के चेहरे पर गर्माहट फैला रही थी,,,, निर्मला अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर,, शुभम के चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए बोली,,,,,,,

मम्मी नहीं शुभम निर्मला बोलो अब से तुम मुझे घर के अंदर सिर्फ निर्मला कह कर ही पुकारोगे,,,,
( इतना कहने के साथ ही निर्मला ने अपने गुलाबी होठों को शुभम के होठों पर रखकर उसे चूमना शुरू कर दी,,, कुछ ही सेकंड में एक दूसरे की जबान को दोनों चाटते हुए फ्रेंच किस का मजा लेने लगे,,,,, शुभम से रहा नहीं गया और वह अपना एक हाथ बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चूची को दबाना शुरु कर दिया,,,, निर्मला शुभम के होठों को चूसते हुए सीसीयाने लगी,,,, दोनों को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी शुभम अपनी मां को नाम लेने वाली बात का आग्रह सुनकर और ज्यादा उत्तेजित हो चुका था,,,, उससे रहा नहीं गया और वह चुंबन लेने के दौरान बोला,,,,

ओह निर्मला मेरी जान,,,,, तुम बहुत अच्छी हो तुम बहुत प्यारी हो तुम्हारी जैसी औरत मैंने आज तक नहीं देखा (इतना कहने के साथ बहुत फिर से पागलों की तरह अपनी मां के गुलाबी होठों पर ही टूट पड़ा और उसे जितना हो सकता था उतना मुंह में भर कर चूसने लगा,,,, निर्मला की अपने बेटे की इस तरह की बात सुनकर कामोत्तेजना से चूर हो गई,, उसकी काम भावना जो कि पहले से ही प्रज्वलित थी शुभम के द्वारा उसका नाम लेकर उससे प्यार करने की चेष्टा को देख कर और भी ज्यादा भड़क उठी,,, वह भी अपने दोनों हाथ को शुभम के सिर पर रखकर उसके बालों को उत्तेजना वश भींचकर कर वह भी होंठ के रस पीने का आनंद लेने लगी। कुछ देर तक दोनों यूं ही एक दूसरे के होठों का रस निचोड़ डालने कि होड़ में होठो का रस पान करते रहे,,,, दोनों जब एक दूसरे से अलग हुए तो दोनों बुरी तरह से हांफ रहे थे। निर्मला बहुत खुश नजर आ रही थी,,,,, वह लगभग हांफते हुए शुभम से बोली,,,,

बस ऐसे ही,,,, ऐसे ही मुझे पुकारा कर,,, प्यार करते समय ऐसे ही मेरा नाम लेकर मुझे प्यार किया कर,,,, तुझे शायद पता नहीं है कि तेरे नाम लेकर मुझे प्यार करने से कितनी खुशी मिलती है मुझे ऐसा लगता है कि मेरा पति मेरा प्रेमी मुझे प्यार कर रहा है यही चाहती हूं मै।,,,, तू बोल एैसा ही करेगा ना मेरे साथ मेरी ख्वाइश पूरी करेगा ना,,,, शुभम मेरे राजा,, बोलना खामोश क्यों हैं,,,,,

जो आप कह रही हो मुझे अच्छा ही लगेगा,,,,,


ऐसे नहीं देखा उसे तो मुझे ऐसे बोलना कि जैसे तू अपनी प्रेमिका या पत्नी से बात कर रहा है तो मुझे अपनी पत्नी की तरह ही ट्रीट करना,,,, मेरी यही ख्वाहिश है,,,।

हां मम्मी सॉरी निर्मला अब से तुम मेरे लिए मेरी पत्नी ही हो और मैं तुम्हारा पति होने के नाते जब चाहूं तब तुम्हें चोद सकता हूं (इतना कहने के साथ ही हुआ निर्मला की मखमली जांगो पर हाथ फेरने लगा,,, बदलते हुए माहौल को देखकर शुभम की ऐसी हरकत की वजह से उत्तेजना के मारे निर्मला ा के मुंह से सिसकारी छूट गई,,,)
ससससससहहहहहहह,,,,, शुभम मेरे राजा,,,,, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है आ जाओ मेरी बाहों में और अपनी पत्नी को अपने लंड से चोदकर तृप्त कर दो,,,,, ( निर्मला की आंखों में मदहोशी का नशा छाने लगा था और शुभम उसकी चिकनी मखमली जांघों को सहला रहा था उसके लंड कि नशे इतनी ज्यादा कड़क हो चुकी थी की थोड़ा सा भी दबाव पड़ने पर वह फट सकती थी। शुभम से भी रहा नहीं गया रहा था आतुरता और उत्कंठा की प्रतीक्षा अब खत्म हो चुकी थी,,, वह उठकर खड़ा हो गया और उसके खड़े होते ही पजामे में जबरदस्त तंबू नजर आने लगा जिसे देखकर मिलाकर मुंह में पानी आ गया,,,, निर्मला भी अपनी प्यास बुझ़ाने के लिए आतुर थी, । वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर पजामे के ऊपर से ही लंड को मुट्ठी में भरते हुए बोली,,,

ओहहहहह,,,,,, मेरे राजा,,,,, शुभम मेरे राजा,,, तेरे इसी मोटे लंड ने तो मुझे पागल कर दिया है ।इसी लंड की तो मैं दीवानी हो चुकी हूं तेरे लौंडे को देखती हूं तो ना जाने मुझे क्या होने लगता है एक नशा सा पूरे बदन में छाने लगता है। सससससहहहहह आज जी भर कर तेरे लंड से इतनी प्यास बुझाऊंगी,,,,
( अपनी मां के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर शुभम एकदम उत्तेजित हुए जा रहा था अपने लंड की तारीफ सुनकर उससे रहा नहीं गया और वह पजामे को पकड़कर नीचे सरका ते हुए बोला,,,,)
तो चुस मेरी रानी,,,,,, ले चूस पूरा मुंह में भर कर चुस,,,, मेरी जान मेरी निर्मला अब तो मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है मेरे लंड को पूरा मुंह में भर कर चुस,,, पूरा गले में उतार ले,,,, पी जा पूरे रस को मेरी जान मेरी रानी,,,,,आहहहहहह,,,,
( शुभम की बातों ने उसे और ज्यादा चुदवासी कर दिया और,, वह पागलों की तरह,,, अपने बेटे के लंड को मुट्ठी में भरकर उसे अपने मुंह में लेकर चूस ना शुरू कर दी शुभम की तो हालत खराब हुए जा रही थी क्योंकि जिस तरह से आज वह उसके लंड को चूस रही थी ऐसा लग रहा था कि उसके सारे रस को निचोड़ डालेगी,,,,,गुु गु गु गु ऊऊऊ,,,,, कि घुटी हुई आवाज निर्मला के गले से आने लगी और शुभम पागलों की तरह अपनी कमर हिलाता हुआ ऐसा लग रहा था कि अपनी मां के मुंह को ही चोद रहा हो,,,, ले और चूस पूरा मुंह में भर कर चूस मेरी जान पूरा बहुत मजा आ रहा है,,,,,
03-31-2020, 04:03 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
दोनों मां बेटे खूब मजा ले रहे थे अशोक शहर के बाहर किसी होटल में अपनी पर्सनल सेक्रेटरी के साथ मजे कर रहा था उसे क्या मालूम था कि घर में उसकी बीवी गुलछर्रे उड़ा रही है और वह भी अपने ही बेटे के साथ,,,, दोनों पागलों की तरह एक दूसरे के बदन से मजे ले रहे थे,, शुभम जोर-जोर से कमर हिलाते हुए अपनी मां के मुंह में ही गले तक लंड उतार दे रहा था जिसका मजा निर्मला बड़े ही चाव से उठा रही थी,, शुभम को लगने लगा था कि कहीं लंड का पानी उसकी मां के मुंह में ही ना निकल जाए उसके लिए वह लंड को बाहर खींच लिया और जैसे ही वह लंड को मुंह में से बाहर निकाला,,,, निर्मला लंबी लंबी सांसे लेने लगी,,, लंबा मोटा लंड उसके गले में अटक रहा था लेकिन फिर भी चुदासपन के अंसर में वह पूरे लैंड को मुंह में उतार लेना चाहती थी। शुभम को मजा आ गया था निर्मला प्यासी नजरों से उसकी तरफ देख रही थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुर में खुजली बढ़ती जा रही थी,,, एक हथेली को जांघो के बीच ले जाकर अपनी गुलाबी बुर की पत्तियों को मसलने लगी उसकी हरकत देखकर शुभम को इस बात का पता अब चला कि उसने पेंटी भी नहीं पहनी थी। क्या देख कर शुभम का लंड फोन की मारने लगा वह शुभम के लंड की तरफ देखते हुए बोली


ओ मेरे राजा अपनी बीवी की प्यास बुझा दे,, उसकी बुर में खुजली मची हुई है तुम्हारे लंड को लेने के लिए तड़प रही है बस अपने लंड को मेरी बुर में डाल कर चोद डालो मुझे,,,, अब मुझे बिल्कुल भी मत तड़पाओ मेरे राजा आ जाओ आ जाओ चढ़ जाओ मुझ पर,,,,
( अपनी मां का बेहद कामुक निमंत्रण पत्र एवं अपने आप को रोक नहीं पाया और पलंग पर चढ़ गया उसे पलंग पर चढ़ता देखकर निर्मला ने खुद ही अपनी टांगो को फैला दी,,,, बुर की गुलाबी पत्तियों को खुला हुआ देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और वह अपनी मां से बोला,,,।)

ऐसे नहीं मेरी निर्मला रानी पहले मैं तेरी बुर के रस को अपनी जीभ से चाट कर पीऊंगा,,, उसके बाद तेरी रसीली बुर में अपना लंड डालकर तुझे चोदूंगा देखना आज मैं तेरी बुर के छेद को अपने लंड से और ज्यादा बड़ा कर दुंगा।

तो करना मेरे राजा तुझे इंकार किसने किया है न चाहत मेरी बुर को अपनी जीभ से चाट पूरा रस पीजा इसका,, (ऐसा कहते हुए निर्मला अपनी कमर को ऊपर की तरफ ऊचका,, दी,,,,,, यह देख कर शुभम से रहा नहीं गया और वह अपनी मां की बुर पर झुक गया मैं तुरंत अपनी जीभ को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच सटाकर चाटना शुरु कर दिया,,,, निर्मला तुरंत सी सीयाने लगी,,, जैसे जैसे वह जीभ की चोट बुर की गुलाबी की पत्तियों पर मार रहा था वैसे वैसे उसका बदन उत्तेजना की लहर में कसमसा रहा था।
निर्मला जोश में आकर शुभम के बाल को अपनी मुट्ठी में भींचकर जोर से उसके मुंह को अपनी बुर से सटाए हुए थी।
सससहहहहहह,,,,आाहहहहहहहहहह,,,, मेरे राजा बस ऐसे ही चाट,,,, ऊम्ममममममम,,,,, ओहहहहहहह मेरे सैंया,,,, आहहहहहह,,, चाहत अपनी रानी की बुर को जोर-जोर से चाट,,,, खाजा मेरी बुर को,,, अपनी मां की ऐसी बातें सुनकर शुभम और जोर-जोर से बुर में जीभ डाल कर चाटना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर में निर्मला का पहला स्खलन हो गया,,,, जिसे शुभम बड़े चटकारे लेकर पूरा का पूरा गटक गया,,,,,
निर्मला एक दम मस्त हो गई थी लेकिन अब उसे मोटे तगड़े लंड की जरूरत थी वह अपनी बुर मे शुभम का लंड डलवाना चाहती थी,,, जो कि इस बात को उसे बोलने की जरूरत नहीं थी यह सब उसके चेहरे के हाव भाव को देखकर साफ पता चल रहा था कि उसकी बुर में खुजली मची हुई थी,, शुभम की तड़प रहा था अपनी मां की बुर में लंड डालने के लिए इसलिए वह तुरंत घुटनों के बल बैठकर दोनों हाथों को अपनी मां की भराव दार गांड के नीचे ले गया और उसे उठाते हुए अपनी जांघ पर रख दिया,,, निर्मला कि सांसे तीव्र गति से चलने लगी उसकी बुर उत्तेजना के मारे फुल कर गरम रोटी की तरह हो गई थी,,। शुभम अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां की बुर में डालने की तैयारी कर रहा था और निर्मला खुद अपने हाथों से अपने ब्लाउज के बाकी बचे बटन को खोल रही थी,,,,, शुभम उत्तेजना में एकदम सरोबोर हो चुका था एक पल का भी बिलंब ऊससे सह पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था । अपनी मां को इस तरह से खुद ही अपने ब्लाउज के बटन खोल कर देख कर शुभम का लंड ठुनकी लेने लगा,,, शुभम अपने लड़के लंड को हाथ में लेकर उसे हिलाते हुए सुपाड़े का वार गुलाबी बुर की पत्तियों पर करने लगा,,,

सससससहहहहहह,,,, मेरे राजा अब इतना क्यों तड़पा रहा है बस डाल दे अपना पूरा लंड मेरी बुर में,,,( इतना कहते हुए निर्मला अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल चुकी थी,,, ब्लाउज के अंदर उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी जिससे पता चल रहा था कि निर्मला कितनी ज्यादा उतावली थी वह कमरे में आते हैं अपनी ब्रा और पैंटी उतार चुकी थी,, ताकि उसे उतारने में व्यर्थ का समय ना गुजारना पड़े।)

ओह निर्मला मेरी जान तुम्हारी बड़ी बड़ी चूचियां देख अगर तू ना जाने मुझे क्या होने लगता है मन करता है कि तुम्हारे बड़ी-बड़ी चुचियों को खा जाऊं,,,,,

खाजा मेरे राजा,,,,,, तुझे रोका किसने है । लेकिन पहले अपना यह मुसल तो मेरी बुर में डाल बहुत बेचैन हो रही है मेरी बुर,,,,

देख रहा हूं मेरी रानी,,,( सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ते हुए) तेरी बुर का दाना बहुत ज्यादा फुदक रहा है।,,,

तो मुझे इतना क्यों तड़पा रहा है । (अपनी चूचियों को अपने दोनों हथेली में भरकर दबाते हुए),,,

तेरी बुर की गर्माहट अपने लंड पर महसूस कर रहा हूं देख रहा हूं कि तेरी बुर कितनी गरम है,,,,।

तो क्या महसूस हो रहा है तुझे,,,

यही कि तेरी बुर की गर्मी मेरे लंड को पिघला देगी,,,,

सससहहहहहहह,,,,,,, मेरे राजा यह बुर होती ही इतनी कमबख्त है कि किसी की शर्म नहीं भर्ती जो भी ईस पर स्पर्श होता है उसे पिघला देती है,,,, जरा संभलकर कहीं ऐसा ना हो कि वक्त से पहले ही तेरा लंड पिघल जाए और मैं प्यासी रह जाऊं,,,, ( जोर से अपनी चूची को दबाते हुए)

मुझ पर भरोसा रख मेरी रानी( लंड कै सुपाड़े को बुऱ की गुलाबी पत्तियों के बीच हल्के से दबाते हुए,,) मेरा लंड घोड़े के लंड के बराबर है जब तक तेरी बुर से पानी का फव्वारा दो तीन बार ना छुड़ा दे तब तक इसका पानी नहीं निकलने वाला,,,।

तो बस शुभम मेरे राजा अपनी निर्मला को इस तरह से मत तड़पा डाल दे पूरा लंड मेरीे बुर में और जबरदस्त चुदाई कर दे मेरी बुर की,,,,

तू देखती जा मेरी रानी तेरी गुलाबी बुर को चोद चोद कर मैं कैसे लाल कर देता हूं,,,,
( दोनों मां बेटी के बीच की सारी दूरियां सारे रिश्ते और सारे शर्मा मर्यादा की डोर पूरी तरह से तार-तार हो चुकी थी दोनों जिस तरह की अश्लील शब्दों में एक दूसरे से बात कर रहे थे इस बात का जरा भी एहसास तक नहीं हो रहा था कि वह दोनों रिश्ते में मां बेटे हैं,,, बल्कि दोनों के व्यवहार को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि दोनों पति पत्नी हो,,, प्यासी निर्मला बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी उसके दोनों हाथ उसकी खुद की चुचियों को दबा दबा कर उसका रस निचोड़ने में लगे हुए थे,,,, उसकी गुदाज मोटी मोटी जांघे शुभम की जांघों पर टिकी हुई थी दोनों के जांघों का स्पर्श दोनों के तन-बदन में जवानी का जोश भर दे रहा था। शुभम पूरी तरह से कूच करने के लिए तैयार हो चुका था,,,, दो योद्धाओं के बीच खेले जाने वाले इस महायुद्ध के लिए रणभूमि पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी,,,, अब देखना यह था कि इस रणभूमि में कौन सा योद्धा कितनी देर तक टिका रहता है,,,, शुभम अपने पूरे शस्त्र सरंजाम से युक्त होकर रणभूमि में उतर चुका था,,, शुभम ने अपने शस्त्र को अपने हाथ में लेकर अपने लक्ष्य को भेदने के लिए आगे बढ़ते हुए अपनी शस्त्र का अग्रभाग अपने लक्ष्य के मुखारविंदु पर सटा कर,, अपने सस्त्र पर अपनी ताकत का दबाव बढ़ाया और उसका शस्त्र अपने लक्ष्य को भेदते हुए,,, अपने लक्ष्य बिंदु के अंदर प्रवेश करने लगा शुभम का वार अचूक था जिसकी वजह से सामने का योद्धा धराशाई होता हुआ नजर आने लगा और लक्ष्य भेदन का दर्द ना सह पाने की वजह से,,, उसके मुंह से कराहने की आवाज आने लगी,,
महा योद्धा अपने आप को संभाल पाता इससे पहले ही शुभम ने अपने शस्त्र को पूरी तरह से अपने लक्ष्य को भेदने में पूरी ताकत लगाते हुए उसे जड़ तक उतार दिया,,, जिसकी वजह से सामने वाले योद्धा की चीख निकल गई और उसकी चीख सुनकर,,,,, शुभम के चेहरे पर विजयी मुस्कान तैरने लगी,, उसे अपने सस्त्र पर गर्व होने लगा क्योंकि उसे अपने शस्र पर पूरा यकीन था कि इसका वार कभी भी खाली नहीं जाता,,,,
शुभम का लंड उसकी मां की बुर में जड़ तक गड़ चुका था। धीरे से अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा और लंड के टोपे को बुर के अंदर हल्का सा रहने दिया ताकि दोबारा वह बड़ी तेजी से अपने लंड को बुर के अंदर डाल सके,, निर्मला अपने आप को संभाल पाती इससे पहले ही शुभम ने एक जोरदार और धक्का मारा लंड फिर से उसकी बुर की गहराई नापने लगा,,,, शुभम अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया था,,, शुभम और निर्मला के लिए उन दोनों की जिंदगी का यह पहला वैलेंटाइन था और सही मायने में वैलेंटाइन के सही अर्थ को वह दोनों आज ही समझ पाए थे इससे पहले दोनों की जिंदगी में जितने भी मौसम आए थे,,,, बहुत सारे मौसम दोनों की जरूरतों के मुताबिक उनके एहसास से कोसों दूर से ही गुजर गए थे। शुभम की कमर बड़ी तेजी से हिलने लगी थी निर्मला भी जवाबी कार्रवाई में अपनी भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ दम लगाकर उछाल दे रही थी जिसका असर शुभम पर बहुत गहरा हो रहा था वह अपने आप को संभाल पाने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था उसका जोश आपे से बाहर हो रहा था।,,, शुभम गहरी सांस लेते हुए अपनी मां की जबरदस्ती चुदाई कर रहा था और निर्मला अपने ही हाथों से अपनी चुचियों का रस निकाल देने में लगी हुई थी दोनों एक दूसरे की आंखों में मदहोशी से देख रहे थे निर्मला अपनी दोनों चुचियों को हथेली में पकड़कर अपने बेटे के आगे परोसते हुए उसे चूचियों को दबाने और पीने का आमंत्रण दे रहे थे यह आमंत्रण शब्दों में ना होकर महज इशारों में ही हो रहा था और यह इशारा शुभम बड़ी अच्छी तरह से समझ रहा था,,, वैसे भी चुदासपन का असर ही कुछ अलग होता है जो कि शब्दों में नहीं बस इशारों में ही बयां होता है,,,,। शुभम भी अपनी मां का इशारा और उसका आमंत्रण स्वीकार करते हुए उसकी तरफ झुकने लगा और अगले ही पल बड़ी बड़ी चूची को अपने हाथ में लेकर दबाना शुरु कर दिया जिसकी वजह से निर्मला के मुंह से गर्माहट भरी सिसकारी निकल गई।
सससससहहहहहहह,,,, ओहहहहह मेरे राजा ऐसे ही दबाव जोर जोर से दबा पीछे मेरी चूचियों के रस को इस पर बिल्कुल भी रहम करना,,, यह बड़ी बेरहम है ना जाने कितने वर्षों से यह मुझे तड़पा रही है,,,,

तू चिंता मत कर मेरी जान अब तेरी चूचियां सही हाथ में आ गई है देखना में इसका क्या हश्र करता हूं,,,,,
( और शुभम अपनी मां की चुचियों को जोर-जोर से दबाता हुआ) तू बहुत परेशान कर रही है मेरी रानी को मेरी निर्मला को बहुत तड़पाती है तू अब देखना मैं तेरा कैसे रस निचोड़ता हूं,,,( ऐसा कहते हुए शुभम चूचियों को मुंह में भर कर पीने लगा और साथ ही अपनी कमर की रफ्तार को और ज्यादा तेज कर दिया उसकी बढ़ती हुई रफ्तार को देखकर निर्मला अपने दोनों हाथ उसकी पीठ से नीचे की तरफ ले जाते हुए अपनी दोनों हथेलियों में शुभम की गांड को दबोच ली और उसके ऊपर नीचे होती हुई कमर के साथ साथ अपनी हथेलियों का भी दबाव उसकी गांड पर बराबर बनाए हुए नीचे से अपनी गांड को ऊछाल दे रही थी। दोनों बराबर एक दूसरे को टक्कर दे रहे थे शुभम का मोटा लंबा लंड बड़े आराम से फच फच करता हुआ उसकी मां की बुर के अंदर बाहर हो रहा था जिसका आनंद बड़ी बखूबी से निर्मला अपनी गांड को ऊपर की तरफ उछाल उछाल कर ले रही थी,
शुभम का कहना बिल्कुल सच साबित हो रहा था क्योंकि वह रणभूमि में 45 मिनट से ज्यादा समय हो गया था जहां पर वह अपनी कला का जौहर दिखा रहा था और उसके हर बार पर निर्मला म्हात होती हुई नजर आ रही थी,,,, शुभम किसी भी तरह से अपने आप को पीछे हटने के लिए विवश नहीं पा रहा था बल्कि वह जी जान लगाकर रणभूमि में टिका हुआ था। रणभूमि में हमेशा दो योद्धा एक दूसरे को परास्त करने में लगे होते हैं लेकिन इस रणभूमि में अपने सामने के योद्धा का दम और ताकत और हालात के साथ जुझने का पराक्रम देखकर,,
बेहद खुशी होती है इसलिए तो निर्मला नाम की योद्धा अपने सामने वाले योद्धा की वीरता और पराक्रम को देख कर मन ही मन बेहद प्रसन्न हो रही थी।

जिस तरह से चुदवासा होकर शुभम ने अपने लंड को अपनी मां के मुंह से बाहर खींचकर निकाला था उसे देखकर निर्मला को ऐसा लग रहा था कि शुभम झड़ने के बिल्कुल करीब पहुंच गया है और वह शायद ज्यादा देर तक नहीं टिक पाएगा और ताश के पत्तों की तरह ढेर हो जाएगा,,, लेकिन उसके सोचने के विपरीत शुभम बराबर का टक्कर दे रहा था और बिना हतास हुए वह उसकी बुर पर चोट पर चोट लगाए जा रहा था। निर्मला को शुभम की कही बात याद आ गई कि सच में उसका कहना एकदम सार्थक हो रहा था कि उसका लंड घोड़े का लंड है और जब तक दो तीन बार उसका खुद का पानी नहीं निकाल देगा तब तक उसका पानी नहीं निकलेगा और यह बात बिल्कुल सच साबित हो रही थी क्योंकि निर्मला की बुर एक बार पानी फेंक चुकी थी और दूसरी बार फेंतने की तैयारी में थी,,, शुभम पूरी ताकत के साथ अपनी मां को हुमुच हुमुच कर चोद रहा था। उसके लंड की बड़ी-बड़ी गोलियां जब जब निर्मला के नितंबों से टकरा रही थी तब तब ठाप ठाप की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे शुभम लगातार अपनी मां की चुचियों को बारी-बारी से चूस और दबा रहा था,,,, तभी एक जोरदार धक्के के साथ निर्मला की बुर ने फिर से पानी फेंक दी,,,, निर्मला की बुर पूरी तरह से पनिया चुकी थी जिसकी वजह से उसने से फच फच की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,,,। शुभम की सांसो की गति तेज चलने लगी थी वह अपनी मां की बुर में जोर जोर से धक्के लगाते हुए बोले जा रहा था,,,

ले मेरी जान और ले ले मेरा पूरा लंड ले खाजा,,,,, मेरी निर्मला रानी तू बहुत अच्छी है बहुत खूबसूरत है तेरी बुर और भी ज्यादा खूबसूरत है देख मेरा लंड कैसे तेरी बुऱ के अंदर बाहर हो रहा है,,,,।

हारे शुभम मेरे राजा तू बहुत मस्त चोेदता है तू बहुत चुदक्कड़ है आज तू एकदम मादरचोद बन गया है।।
( आज पहली बार से मैंने अपनी मां के मुंह से इस तरह की गाली सुनी थी और यह गाली सुनकर शुभम का जोश दुगना हो गया था शुभम इस तरह की गाली की वजह से डबल जोश के साथ अपनी मां की चुदाई करते हुए बोला,,,।)

हां निर्मला रानी मैं मादरचोद हो गया हूं लेकिन तू भी एकदम गंदी हो गई है देख कैसे अपने बेटे से अपनी टांग फैलाकर चुदवा रही है,,,,, तू बहुत मस्त है मेरी जान,,,,( इतना कहते हुए और जोर जोर से धक्के लगाने लगा और 10,,,,,15 धक्कों के साथ ही वह भी अपने लंड की पिचकारी बुर के अंदर मार दिया। निर्मला भी इसी के साथ ही एक बार और अपना पानी छोड़ दि,,, शुभम अपनी मां की चुचियों पर डह पड़ा,,,, निर्मला के साथ-साथ वह भी बुरी तरह से हांफ रहा था। दोनों के बदन पसीने से तरबतर हो चुके थे हालांकि निर्मला के बदन पर अपनी भी कपड़े थे थोड़ी देर बाद दोनों शांत हुए निर्मला अपनी नाजुक नाजुक उंगलियों से अपने बेटे के बालों को सहला रही थी और उसका लंड ढीला पड़कर अपने आप ही उसकी बुर से बाहर आ गया। निर्मला के चेहरे पर संतुष्टि जनक एहसास साफ झलक रहा था वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी वह अपने बेटे के बालों को होले होले सहलाते हुए बोली,,,,

शुभम तू बहुत अच्छा लड़का है मैंने कभी सोची भी नहीं थी कि मेरी प्यास तू बुझाएगा,,, जिंदगी में पहली बार मुझे वैलेंटाइन डे का मतलब समझ में आया है मेरे अंदर भी प्यार का एहसास होने लगा और वह प्यार मुझे तुझसे मिल रहा है मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे तेरे जैसा लड़का मिला,,,, ( शुभम अपनी मां की बात को गौर से सुन रहा था और धीरे-धीरे चूची को अपने मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया,,,।)
आहहहहहह क्या कर रहा है,,,,( शुभम ने निप्पल को हल्के से दांत से काट लिया जिसकी वजह से निर्मला की आह निकल गई),,,

कुछ नहीं मेरी रानी मैं तो प्यार कर रहा हूं,,,,

तेरे प्यार करने का स्टाइल बड़ा घातक होता है,,,

ऐसा क्यों मेरी जान,,,, (वहं हाथ से चूची को दबाते हुए बोला।)

मुझसे प्यार करते समय कितना बेरहम हो जाता है तू तुझे इस बात का भी एहसास नहीं होता कि मुझे कितना दर्द करता है।( निर्मलाउसी तरह से उसके बालों को सहलाते हुए बोली,,,)

शुभम को मालूम था कि उसकी मां किस बारे में बात कर रही है फिर भी अनजान बनते हुए बोला,,,


दर्द,,,,,, कैसा दर्द मेरी रानी,,,,,,

अब बंद मत ऐसे कह रहा जैसे कि तुझे कुछ पता ही नहीं है,,,

सही में निर्मला मुझे कुछ भी नहीं मालूम तू किस बारे में बात कर रही है,,,।( वह दूसरी चूची को मुंह में भरते हुए बोला,,,)

अरे बुद्धू तब की बात कर रही हुं जब तू अपने लंड को मेरी बुर में डाल कर मुझे चोदता है,,,,,, तब मुझे बहुत दर्द करता है।

दर्द करता है (आश्चर्य के साथ) लेकिन जब मैं अपने लंड को तुम्हारी बुर में डालकर जोर जोर से चोद देता हूं तब तो तुम्हारे मुंह से,,,आाहहहहह,,,, ऊहहहहहहहहह,,,,,,, सससससहहहहहह,,, जैसी मस्ती भरी आवाजे आती है।

धत,,,,, वह तो जब मज़ा आने लगता है तब इस तरह की आवाज निकलती है उसके पहले तो दर्द करता है ना,,,,( थोड़ा रुक कर) लेकिन एक बात कहूं सुबह जब तक चुदाई में दर्द का एहसास नहीं होता तब तक चुदवाने में मजा भी नहीं आता,,,,

सच मेरी जान,,,,

हां रे मैं बिल्कुल सच कह रही हूं औरतों को चुदवाने में तभी मजा आती है जब मर्द के लंड से उसकी बुर में दर्द होने लगे उसके मुंह से चीख भरी आह निकल जाए,,,,, तभी तो चुदाई का असली मजा शुरू होता है,,,,,


निर्मला मेरी रानी है सच बताऊं तो मुझे भी तभी मजा आती है जब तुम्हारे मुंह से इस तरह की आवाजें आने लगती है तब मेरे धक्के और भी ज्यादा तेज हो जाते हैं,,,, ( शुभम की बात सुनते ही निर्मला मुस्कुराने लगी,,, लेकिन तभी उसे उसकी जांघों के बीच चुभने का एहसास होने लगा वह समझ गई कि शुभम का लंड फीर से चोदने के लिए तैयार हो रहा है,,,, वह तुरंत अपना एक हाथ नीचे ले जा कर के अपने बेटे के लंड को पकड़े तो उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका लंड फिर से पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जो कि उसकी बुर के मुहाने पर रगड़ खा रहा था वह उसे हाथ में पकड़ते हुए बोली,,,,


मेरे राजा तेरा लंड तो एक बार फिर से देख कैसे खड़ा हो गया,,,


निर्मला मेरी छम्मक छल्लो तू है इतनी सेक्सी कि तुझे देखते ही मेरा तो क्या मुर्दों का भी लंड खड़ा हो जाएं तेरी गर्म बातों ने मुझे फिर से तैयार कर दिया है,,,,

तो तेरा इरादा क्या है,,,,,( उत्तेजना बस होकर अपने होंठ को अपने दांत से दबाते हुए बोली)


मेरा इरादा तो बिल्कुल नेक है मैं फिर से तेरी लूंगा लेकिन इस बार पीछे से,,,,

हां वह तो देख ही रही हूं कि तेरे इरादे कितने नेक ं हैं,,,, चलो मैं भी तैयार हूं तुझे पीछे से देने के लिए क्योंकि मुझे भी बहुत मज़ा आता है जब तू मेरी पीछे से लेता है,,,,, लेकिन संभाल कर पीछे से मेरी बुर ही लेना कही मेरी गांड मत मार लेना,,,(इतना कह कर निर्मला हने लगी,,,, लेकिन शुभम अपनी मां की मस्ती भरी बात सुनकर बोला।)

सच कहूं तो निर्मला मेरी जान मैं जब भी तेरी बड़ी-बड़ी गोल-गोल गांड देखता हूं तो मेरा सबसे पहला मन यही करता है कि मैं तेरी गांड मारु,,,,

( अपने बेटे का इरादा सुनते ही वह जल्दी से बोली)

नहीं नहीं ऐसा मत करना मुझे बहुत दर्द होगा तू मेरी गांड का छेद तो देख ही रहा है कितना छोटा है तेरा लंड का सुपाड़ा कितना मोटा है एक बार गया तो तू मेरी गांड ही फाड़ देगा,,, नहीं मैं तुझे गांड मारने नहीं दूंगी,,,,,


औहहहह निर्मला मेरी रानी मेरी बहुत इच्छा होती है पूरी गांड मारने के लिए काश मुझे तेरी गांड मिल जाती तो मजा ही आ जाता,,,,

देख तू अपना सारा ध्यान मेरी बुर पर ही लगा मेरी जान के बारे में जरा भी मत सोचना जब कभी इच्छा हुई तो जरूर तुझे अपनी गांड मरवाऊंगी लेकिन मुझे डर बहुत लगता है,,,, अभी तो सिर्फ मुझे चोद मेरी बुर की प्यास बुझा,,,, ( निर्मला विक्रम बातों से एकदम उत्तेजित हो गई थी उससे रहा नहीं जा रहा था)


चल ठीक है कोई बात नहीं जिस दिन बहुत ज्यादा मन करेगा उस दिन मैं तेरी एक नहीं सुनूंगा चल अब जल्दी से घोड़ी बन जा,,,,( इतना कहते हुए शुभम अपनी मां के बदन के ऊपर से उठ गया,,, निर्मला भी बेहद चुदवासी हो चुकी थी,, वह भी जल्दी से बिस्तर पर से उठी और घोड़ी की तरह बन गई,, उसे भी बहुत जल्दी थी अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी बुर में लेने के लिए,,,, शुभम के सामने उसकी मां घोड़ी बनी हुई थी शुभम अपनी मां को घोड़ी बनी देख कर उसे चोदने के लिए एकदम लालायित हो गया। गोल गोल बड़ी बड़ी गांड देखकर उसका मन उसकी गांड मारने को करने लगा लेकिन इस समय ऊसकी मा तैयार नहीं थी इसलिए वह अपने मन की बात को दबा ले गया,,,, लेकिन अपनी मां की गोरी गोरी चमकत़ी हुई गांड देखकर उससे रहा नहीं गया और वह दो चार चपत फिर से अपनी मां की गोरी गांड पर लगा दिया,,,, जिसकी वजह से एक बार फिर से निर्मला को मुंह से कराहने की आवाज आ गई लेकिन उसे भी इस तरह की चपत अपनी गांड पर पड़ता देख कर उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती थी,,,,
शुभम बिल्कुल भी देर किए बिना एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां कि गुड़ के मुहाने पर रखकर जोरदार धक्का मारा और एक साथ में ही उसका पूरा लंड बुर के अंदर उतर गया,,,, दोनों हाथ से अपनी मां की गदराई गांड को पकड़कर वह जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया।
आहहहहहह ऊहहहहहहहह कि गरम मस्ती भरी आवाजों के साथ निर्मला भी चुदाई का मजा लेने लगी,,,, करीब 40 मिनट बाद जोरदार चुदाई करके सुभम फिर से अपनी पिचकारी बुर में ही छोड़ दिया,,,,,
दोनों तृप्त होकर वैसे ही एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले सो गए,,,,


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