Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 02:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तुझे क्या लगता है कि मैं इन सब बातों के बारे में उसे चर्चा नहीं किया हम उसे समझाने की लाख कोशिश किया लेकिन वह बिल्कुल भी नहीं मानी वह दूसरी औरतों की तरह बनना ही नहीं चाहती,,, वह कहती है कि इस तरह की हरकत करने के लिए उसके संस्कार ऊसे इजाजत नहीं देते,,,, मैं फिर भी उसे समझाया कि अपने पति के साथ तो वहां किसी भी हद तक जा सकती है और वैसे भी किसी गैर मर्द के साथ तो उसे करना नहीं था लेकिन फिर भी वह नहीं मानी और इसी वजह से मैं उससे दूर होता गया,,,,।
( इस बात को सुनकर शुभम मन ही मन में बोला कि अच्छा हुआ कि तुम उससे दूर होते चले गए और मैं उसके बिल्कुल करीब पहुंच गया वरना ऐसी खूबसूरत औरत को भोगने का सुख शायद उसे नसीब नहीं हो पाता,,,।)

चल अच्छा अब मैं जाता हूं आखिरकार तूने अपनी मनमानी कर ही लिया जो मैं नहीं कहना चाहता था वह तुझसे कहना ही पड़ा,,,,

कोई बात नहीं पापा,,, ऐसा समझो कि आप अपने बेटे से नहीं बल्कि अपने दोस्त से अपने दिल का हाल बता रहे हैं,,,।
( अपने बेटे की बात और उसकी समझदारी देखकर अशोक मुस्कुरा दिया और उसके सर पर हाथ रखते हुए बोला,,,।)

अच्छा चल मुझे देर हो रही है मुझे ऑफिस जाना है और तुझे कभी भी किसी चीज की जरूरत पड़े तो मुझे बोल देना बिल्कुल भी मत हिचकिचाना,,,
( इस बात पर वह मन ही मन बोला कि मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे बस तुम्हारी बीवी चाहिए और मैं उसे तुम्हारी आंखों के सामने चोदना चाहता हूं,,, लेकिन ऐसा कहने की हिम्मत उसमे अभी नहीं थी,,,)

ठीक है पापा जब भी मुझे किसी चीज की जरूरत पड़ेगी मैं आपसे मांग लूंगा और तुम्हें भी वादा करना होगा कि उस चीज के लिए मुझे कभी भी इनकार नहीं करोगे,,,,

ठीक है मैं वादा करता हूं कि तुम्हें कभी भी किसी चीज के लिए मना नहीं करुंगा,,,, अब मैं चलता हूं बाय,,
( इतना कहकर अशोक शुभम के कमरे से बाहर निकल गया अपने ऑफिस जाने के लिए शुभम कुछ देर वहीं बैठा रहा और अपने पापा की कही बातों पर गौर करने लगा,,, अपनी मां के बारे में सोचने लगा कि उसके हाथ पांव और उसके पूरे शरीर को संस्कारों ने अपनी जकड़ में रखा हुआ था जिसकी वजह से वह इतनी उम्र में भी प्यासी रह गई थी,,,, और अच्छा ही हुआ कि यह संस्कार और मर्यादा की दीवार ने उसे इतने वर्षों तक अपनी कैद में जकडे रखा जिसकी वजह से,,, आज वह खूबसूरती और कामुकता की देवी उसके बिल्कुल करीब है।,,, शुभम अपनी मां को याद करके एकदम मदहोश हुएें जा रहा था,,, वह बिस्तर पर बैठे-बैठे अपनी आलस मरोड़ते हुए बोला,,,

ओहहहहह,,, निर्मला मेरी जान अब तो तुम्हारे खूबसूरत बदन की खुशबू भी मेरे अंदर से आने लगी है,,,,। ऐसा कहते हुए उसके लंड में तनाव आ गया,, और वहां अपने लंड को पेंट के ऊपर से ही मसलते हुए अपनी मां को याद करने लगा,,, अपने बाप के मुंह से सारी बातों को सुनकर उस को सुकून महसूस हो रहा था,,,, वह मन ही मन में यह सोच कर बहुत खुश हो रहा था कि आज पहली बार किसी बाप ने अपने बेटे को अपनी निजी जिंदगी के पन्नों को खोलकर बताया होगा और वह भी खुद अपनी ही बीवी के बारे में और अपने ही बेटे को यह सब सुनकर शुभम काफी उत्तेजित हो चुका था वह अपने बाप की कमजोरी जानता था और यह भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां को क्या चाहिए,,,, वह अच्छी तरह से जानता था कि अपने बाप के राज को किस समय उपयोग में लाना है इस बारे में सोचकर वह काफी उत्साहित भी था।
ऐसे ही दिन गुजरते जा रहे थे जब भी मौका मिलता है तो शुभम और निर्मला एक दूसरे के अंगों को अपने बदन में उतार लेने की प्रतिस्पर्धा में उतर जाते अपनी प्यास को बुझाने में निर्मला अपना तन मन सब कुछ न्योछावर कर चुकी थी शुभम भी एक भी मौका नहीं खोता था अपनी मां की चुदाई करने के लिए,,,, वह कभी भी घर में कर जहां कहीं भी एकांत पाता तो वह अपनी मां को चोदने में कोई भी कसर नहीं बाकी रखता था और उसकी मां भी अपने बेटे से चुदने में किसी भी प्रकार की हिचकिचाहट नहीं रखती थी,,,, ईन दीने अशोक बार-बार निर्मला के साथ शारीरिक संबंध बनाने की उत्कंठा जाहिर करता लेकिन हर बार कोई न कोई बहाना धर के निर्मला उसके आग्रह को ठुकरा देती थी,,,। अशोक को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ऐसे ही धीरे-धीरे दिन गुजरते जा रहे थे,,,,

ऐसे ही एक दिन घर में कोई नहीं था,,,, सुबह का समय और छुट्टी का दिन था शुभम बाथरूम में नहाकर टॉवेल लपेट रहा था और निर्मला किचन में खाना बना रही थी कि तभी मोबाइल की घंटी बजी और वहां रसोई घर से बाहर आकर अपना मोबाइल रिसीव करके बड़ी ही उत्साहित स्वर में बात करने लगी क्योंकि गांव से उसकी मां का फोन आया था,,,।
04-01-2020, 02:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
हेलो मम्मी कैसी हैं आप,,,

बस बेटा मैं तो एकदम ठीक हूं तू कैसी है,,,

मैं भी ठीक हूं,,,
( तभीे केवल टावल लपेटकर शुभम बाथरुम से बाहर आ गया,, बाथरुम से बाहर आकर वह गैलरी में आया तो उसकी नजर सीधे सिढ़ीयों के पास खड़ी होकर बात कर रही निर्मला पर पड़ी,,,,, खुले खुले बाल और बालों से टपक रहे पानी की वजह से गीली हो चुकी उसके ब्लाउज मे से साफ साफ नजर आ रही काली रंग की ब्रा की काली पट्टी नजर आ रही थी जो कि गोरे बदन पर और भी ज्यादा जच रही थी,,,, शुभम की नजर निर्मला के बदन पर ऊपर से नीचे की तरफ बराबर घूम रही थी,,, खास करके शुभम अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को घूर रहा था जिसमें कि बेहद थिऱकन हो रही थी। शुभम से रहा नहीं गया और वह अपने कमरे में जाने की वजाय सीढ़ियों से नीचे उतर कर सीधे अपनी मां के करीब पहुंच गया जोकि फोन पर अपनी मां से बातें कर रही थी,,,,

और जाते ही शुभम पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया एक तो पहले से ही अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर उसका लंड खड़ा होने लगा था जो कि इस तरह से उसे अपनी बाहों में भरने की वजह से उसका लंड पूरी तरह से टनटना कर खड़ा हो गया,,, इस तरह से एकाएक शुभम के द्वारा बाहों में भरने की वजह से निर्मला चौंक उठी,,,, औरत के मुंह से आउच निकल गया,,,, तभी सामने से उसकी मां बोली,,,,

क्या हुआ बेटी ईस तरह से चौकी क्यों?,,,

कककक,,, कुछ नहीं मम्मी चूहा आ गया था,,,, ( तब तक शुभम अपनी मां की गर्दन को चूमने लगा,,,,)
और बता मम्मी क्या हाल है घर में सब ठीक है ना,,,।

अरे सब ठीक है यहां सब मजे में है,,,,

और पापा,,,

तेरे पापा भी बिल्कुल ठीक है,,, तू बता सब कुछ ठीक है ना दामाद जी कैसे हैं,,,

दामाद जी भी ठीक है ऑफिस गए हैं,,,,।( तभी सुभम उत्तेजित होने लगा,,, वह अपनी मां की गोरी गर्दन को चोदते चोदते अपने दोनों हाथ को आगे की तरफ लाकर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबोच लिया वह उत्तेजना में इतनी जोर से चुचियों को मसला था कि निर्मला के मुंह से फिर से आह निकल गई,,,।)
आहहहहह,,,,

क्या हुआ बेटी तू चीख क्यों रही है,,,,

कुछ नहीं मम्मी वही चुहा है बार-बार परेशान कर रहा है,,,,


यह चूहा भी ना ठीक से हम दोनों को बात भी नहीं करने दे रहा है,,, अच्छा अपना शुभम कैसा है बहुत ही सुंदर लड़का है मेरा तो मन करता है कि उसे अपने पास बुला लूं,,,,

अरे मम्मी अब वह बच्चा थोड़ी रहा,,, वह बड़ा हो गया है,,,तुम
नहीं जानती कितना शरारत करता है,,,। अब तो बड़ा परेशान करने लगा है,। ( शुभम की हरकतें बढ़ती जा रही थी वहां ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को दबाते दबाते धीरे-धीरे ब्लाउज के बटन भी खोल दिया,,,, निर्मला कोभी शुभम कि इस तरह की हरकत में बेहद आनंद मिल रहा था वरना उसे वह कब से रोक दी होती,,, शुभम जल्दी से ब्रा की स्ट्रेप को पकड़कर उपर की तरफ कर दिया और अपनी मां की नंगी चूचियों को हथेली में भर भर कर मसलने लगा,,,।)

क्यों परेशान करने लगा है उसे रोका कर,,,,

अरे मम्मी तुम नहीं समझोगी अब वह जवान हो गया है,,, उसे कितना भी रोकने की कोशिश करो वह नहीं रुकता और अपनी मनमानी करके ही रहता है,,,। ( शुभम अपनी हरकतों की वजह से निर्मला के बदन मेभी कामाग्नि को भड़काने लगा,,, वह चूचियों को मसलते मसलते एक हाथ नीचे की तरफ ले जा कर के साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाने लगा,,,
निर्मला उसे रोकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसकी हरकत की वजह से उसकी बुर में खुजली होने लगी थी,,, और वैसे भी आज रविवार का दिन था घर पर शुभम और उसके सिवा कोई नहीं था इसलिए वह शुभम को वह जो करता था उसे करने दे रही थी और साथ में खुद भी मजे ले रही थी,,,।)

क्या सच में निर्मला वह इतना शरारती हो गया,,है।

अब क्या बताऊं मम्मी बहुत शरारत करने लगा है पहले तो मान भी जाता था लेकिन अब तो बिल्कुल नहीं मानता,,, ना तो मुझे दिन में आराम मिलता है और ना ही रातों को चैन मिलता है इतना ज्यादा परेशान करने लगा है।

बेटा आप कर भी क्या सकते हैं इकलौता लाड़ला जो है,,,
( तभी शुभम उत्तेजना की वजह से साड़ी को पूरी तरह से कमर तक चढ़ाकर,,, पेंटिं को साईड में करके अपने एक ऊंगली को बुर के अंदर डाल दिया,,,,)

आहहहहहह,,,,,,, ( निर्मला के मुख से फीर से चीख निकल गई,,,।)

अब क्या हुआ बेटी,,,,

क्या बताऊं मम्मी ऐसा लगता है कि मैं चूहा भी शुभम से मिला हुआ है बार-बार परेशान कर रहा है,,,,।( शुभम के साथ-साथ निर्मला भी पूरी तरह से उत्तेजित होने लगी थी क्योंकि शुभम जी और जोर से अपनी उंगली को बुऱ के अंदर बाहर कर रहा था,,,, और साथ में अपने खड़े लंड को साड़ी के ऊपर से ही गांड की दरार में धंसा रहा था। निर्मला पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसे बहुत मजा आ रहा था खास करके ऐसी अवस्था में अपनी मां से बात करने में उसे अजीब प्रकार की सुख की अनुभूति हो रही थी,,,,। तभी शुभम अपना टावल भी निकाल फेंका और पूरी तरह से नंगा हो गया,,, नंगे लंड को शुभम साड़ी को और ऊपर की तरफ उठा कर ऊसकी मदमस्त गोरी गांड पर रगड़ने लगा,,, नंगे लंड की रबड़ को अपनी नंगी गांड पर महसुस करके निर्मला पीछे की तरफ देखने लगी,,, निर्मला की नजर अपने बेटे के खड़े लंबे लंड पर अटकसी गई तभी सामने से उसकी मां बोली,,।)

बेटा इतना परेशान कर रहा है तो उसे पकड़ क्यों नहीं लेती,,,

क्या करूं मम्मी मेरी हिम्मत नहीं हो रही है यह चूहा कुछ ज्यादा ही बड़ा है,,,,।( निर्मला मुस्कुराते हुए अपने बेटे के लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,।,,, शुभम लगातार अपनी मां की बुर को अपनी उंगली से पेल रहा था,,) क्या करूं मुझे डर भी लग रहा है क्योंकि इधर-उधर काट ले रहा है,,,।

तो हिम्मत करके पकड़ ले बेटा वरना ज्यादा परेशान करेगा,,,

तुम कहती हो तो मम्मी मैं ट्राय करती हूं,,,,।( इतना कहने के साथ ही निर्मला अपना एक हाथ पीछे की तरफ ले जा कर के अपने बेटे के लंड को पकड़ी थी की तभी उसकी गर्माहट महसूस करते ही उसे झट से छोड़ दी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी गरमा गरम साइलेंसर को छु ली हो,,,)

आऊच्च,,,,,


अब क्या हुआ?

बड़ा चुहा है मम्मी काटने दौड़ता है,,,।

अरे तू कैसी औरत है कितनी हड्डी करती हो कर के एक छोटे से चूहे से डरती है,,,

मम्मी दूर रहकर बातें करने से कुछ नहीं होता अगर आप इधर होती तो आप भी ऊसे नहीं पकड़ पाती इतना बड़ा चूहा, है ।
( शुभम उत्तेजना के परम शिखर तक पहुंच गया था और साथ ही उस शिखर पर अपनी मां को भी लिए जा रहा था दोनों की हालत खराब हुए जा रही थी,,, निर्मला का मन ललच अपने बेटे के लंड को पकड़ने के लिए,,,, इसलिए वह फिर से अपने हाथ को पीछे ले जाकर एक बार फीर से अपने बेटे के लंड को पकड़ लि और उसे आगे पीछे करते हुए मुट्ठीयाने लगी,,,, और उसे मुट्ठीयाते हुए बोली,,,।)

पकड ल़ी हूं मम्मी,,,

सच बेटा,,,

हां मम्मी बड़ी मुश्किल से पकड़ी हूं,,,

देखना बेटा संभाल कर पकड़ना कहीं तुझे काट ना ले,,

मम्मी काटने की तो बहुत कोशिश कर रहा है लेकिन मैंने इसका मुंह अपनी हथेली में दबोच रखी हूं,,,,

बहुत अच्छे बेटा ऐसे ही पकड़े रहना,,,,
( निर्मला फोन पर अपनी मां से बातें करते हुए अपने बेटे के लंड को पकड़कर और भी ज्यादा गर्मा गई थी,,, ऊसे भी चुदने की खुजली मची हुई थी,,,, दोनों के बदन में कामाग्नि की तपिश बराबर तप रही थी,,, शुभम पूरी तरह से तैयार था अपनी मां को चोदने के लिए और निर्मला भी पूरी तरह से अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदने के लिए तैयार थी,,,, शुभम अपनी मां को इशारा करके झुकने के लिए कह रहा था ताकी वह अपनी मां को पीछे से चोद सके,,, लेकिन निर्मला झुकने की बजाए फोन पर बात करते हुए बोली,,,

रुको मम्मी मैं इसे छोड़ आऊं वरना फिर से परेशान करेगा,,,

हां-बेटी तू जा जल्दी से छोड़ कर आ,,,,,
( निर्मला को आज बेहद उत्तेजना का अनुभव हो रहा था मां अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए ही सीढ़ीयो की तरफ आगे बढ़ी,, शुभम को समझ पाता इससे पहले ही सीढ़ियों पर बैठकर पीछे की तरफ लेट गई,,, और अपनी दोनों टांगो को फैला कर अपने बेटे के लंड को पकड़े हुए उसके सुपाड़े को अपनी बुर के मुहाने पर रख दी,,, और अपने बेटे को हाथ से इशारा करते हुए लंड को बुर में डालने के लिए बोली,,,, शुभम एक पल भी गवाए बिना अपनी कमर का दबाव बुर की तरफ बढ़ाने लगा और देखते ही देखते उसका पूरा समुचा लंड बुर में उतर गया,,, जैसे ही उसने देखी थी शुभम का पूरा लंड ऊसकी बुर में समा गया है,,, वह फिर से फोन को कान पर लगाते हुए बोली,,,

बोलो मम्मी,,,,( उत्तेजना की वजह से उसकी आवाज में थोड़ी थरथराहट थी।)

छोड़ दी बेटा,,,

हां मम्मी मैंने उसे इसकी बिल में छोड़ दी,,,

आराम से चला गया ना,,,

हां मम्मी अपने काम से चला गया आखिरकार बिल भी तो उसी ने बनाया था इसलिए तो उसे जाने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हुई,,,,

चलो अच्छा हुआ कि तूने ऊसे रास्ता दिखा दी वरना और ज्यादा परेशान करता,, ।

हां मम्मी खुद भी परेशान हो रहा था और मुझे भी परेशान कर रहा था,,,,( तब तक शुभम अपनी मां की बुर में लंड को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से निर्मला की सांसे उखड़ने लगी थी,,, निर्मला लंबी लंबी सांसे भरने लगी और उसकी गहरी सांसों की आवाज सुनकर उसकी मां बोली,,,,।)

क्या हुआ बेटा तुम इतना हाफ क्यों रही है।

कुछ मम्मी और क्या है थोड़ा जल्दी-जल्दी गई थी ना इसलिए आने जाने में सांस चढ़ गई।

तो इतनी जल्दी भी क्या थी आराम से उसे छोड़ दी होती,,,

अरे मम्मी मैं तो आराम से ले जा रही थी लेकिन वह चूहा जल्दबाजी में था अगर जल्दी नहीं करती तो ना जाने कहां का कहां घुस जाता,,,
( शुभम को अपनी मां की दो अर्थ वाली भाषा को सुनकर बहुत ही आनंद आ रहा था,,,, और अपनी मां की बात सुनकर वह और भी ज्यादा उत्तेजित होकर के जोर जोर से धक्के लगा रहा था जिसकी वजह से निर्मला की सिसकारी छूट जा रही थी और वह बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू करके उस सिसकारी की आवाज को दबाए हुए थी,,, लेकिन तभी शुभम ने इतनी तीव्र गति से अपने लंड ऊसकी बुर के अंदर बाहर करना शुरू किया कि कितना भी दबाने के बावजूद भी उसके मुंह से सिसकारी की आवाज निकल ही गई,,,,

सससहहहहहह आहहहहहहह,,,,,,

यह केसी आवाज़ थी बेटा तुझे दर्द हो रहा है क्या,,,
( अब निर्मला क्या बोलती उसके मुंह से सिसकारी की आवाज फुट पड़ी थी लेकिन फिर भी बहाना बनाते हुए बोली)

मम्मी जल्दी-जल्दी जाने में मेरा हाथ दीवाल से लग गया और थोड़ा सा छिल गया जिसकी वजह से दर्द होने लगा है,,,।

ज्यादा तो नहीं लगी,,,

नहीं मम्मी ज्यादा नहीं लगी,,,,( निर्मला इस तरह से अपने बेटे से चुदाई का पूरा आनंद ले रही थी उसके हर धक्के के साथ उसकी सांसे उखड़ने लग रही थी,,,

शुभम पूरी तरह से मदहोश हो चुका था। उसके बदन में मस्ती की लहर दौड़ रही थी वह मस्ती के साथ अपनी मां की दोनों नंगी चूचियों को अपनी हथेली में जोर जोर से दबाते हुए,, जोर जोर से धक्के लगा रहा था,,, शुभम के हर धक्के के साथ निर्मला का लावा पिघलता जा रहा था। बड़ी मुश्किल से निर्मला अपनी सांसो को संभाले हुए थी,,, अपनी गहरी चल रही सांसो को वह अपने काबु में करना चाहती थी लेकिन उससे हो नहीं रहा था,,,,,, तभी उसकी मां बोली,,,

अरे तेरे चूहे के चक्कर में मैं तुझे अपनी बात बताना तो भूल ही गई,,,

( निर्मला अपनी मां की बात सुन कर कुछ बोल पाती इससे पहले ही शुभम ने इतनी जोर जोर से धक्के लगाना शुरु कर दिया कि उसके मुंह से आखिरकार सिसकारी की आवाज फुट ही पड़ी,,,।,,,,

ससससहहहहह,,,,, आहहहहहहह,,,,,,


यह कैसी आवाज़ है बेटी,,, तुझे दर्द हो रहा है क्या,,,,?

कुछ नहीं मम्मी जल्दी-जल्दी आने जाने की वजह से मेरी सांसे भारी हो चली थी,,,,

अरे तो इसमें जल्दी करने वाली क्या बात है आराम से ले जा कर के छोड़ती तू,,,,

मैं तो आराम से ही ले जा रही थी मम्मी लेकिन चूहे को जल्दबाजी मची हुई थी इसलिए जल्दी करना पड़ा,,,,

अच्छा पहले तू जा करके पानी पी ले,,,

मम्मी बस निकलने ही वाला है,,,,( निर्मला के मुंह से ऊत्तेजना के कारण ेएकाएक निकल पड़ा और वह अपनी गलती को जानकर अपने ही जीभ को अपने दांत से दबा ली,,, )

क्या निकलने वाला है यह तू क्या कह रही है मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,


ऐसी कोई भी बात नहीं है मम्मी लेकिन आप कौनसी असली बात बताना चाह रहीे थी,,,

अरे वही बताने के लिए तो मैंने तुझे फोन की थी,,,, तेरे छोटे भाई की शादी तय हो गई है,,, आज से 10 दिन बाद की तारीख रखी हुई है,,,,

अरे वाह मम्मी यह तो तुमने बहुत ही अच्छी खबर सुनाई,,,
( तभी शुभम 2,,,,4 धक्के और बड़ी तेजी से लगा दिया,,,)


आहहहह आहहहहह,,,,

अरे यह कैसी आवाजें तू निकाल रही है,,,,

कुछ नहीं मम्मी खुशी की वजह से वाह-वाह कह रही थी,,,,

तुझे जल्दी आना है कोई बहाना नहीं चलेगा आखिर मेरे छोटे भाई की शादी है पहले आएगी तभी ना रंगत जमेगी,,,

कोई बात नहीं मम्मी मैं पहले आ जाऊंगी,,,
( कभी शुभम अपनी चरम शिखर की तरफ पहुंचते हुए जोर जोर से धक्के लगा कर चोदने लगा,,,, और दो चार धक्कों के बाद ही झड़ गया,,, साथ में निर्मला भी अपना मदन रस छोड़ दी,,, जैसे ही उसे महसूस हुआ कि शुभम के लंड नें पिचकारी छोड़ दिया है,,,, तभी राहत की सांस लेते हुए उसके मुंह से निकल गया,,,,।)

हो गया,,,

क्या हो गया,,,

अरे मम्मी मेरे छोटे भाई की शादी तय हो गई वह भी सेटल हो जाएगा,,,, इसलिए कह रही हूं कि सब कुछ सही हो गया,,,

अच्छा ठीक है चल अब मैं फोन रखती हूं और तू जल्दी आ जाना सबको लेकर के आना ऐसा ना हो की सिर्फ तू ही आ जाए,,,बाकी सब रह जाए,,,,
( दोनो के बीच बातें चल ही रही थी की शुभम निर्मला के ऊपर से उठ कर खड़ा हो गया निर्मला भी अपने कपड़े ठीक करते हुए बोली,,,।)

मम्मी मैं और सुभम तो आ जाएंगे लेकिन उनका कोई भरोसा नहीं है काम के सिलसिले में उन्हें बाहर भी जाना पड़ता है लेकिन मैं पूरी कोशिश करूंगी ऊन्हैं साथ लाने की,,,

ठीक है बेटा तुम लेते आना अच्छा मैं रखती हूं,,,
( इतना कहने के साथ ही फोन कट हो गया)
04-01-2020, 02:59 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि उसे गांव जाना था बहुत साल बाद उसे आज गांव जाना हुआ था,,,, अक्सर वह गांव कभी कबार ही जा पाती थी जब कभी सादी विवाह का अवसर आता था तब,,,,,, और अब अवसर आया था कि जब उसे गांव जाना पड़ रहा था,,, ऐसे तो वह बहुत खुश थी लेकिन तभी उसे इस बात का ख्याल हुआ कि यहां तो वह जब जाती थी तब अपने बदन की प्यास अपने ही बेटे से बुझवा लेती थी,, लेकिन यह गांव में कैसे मुमकिन होगा क्योंकि वहां तो पूरा परिवार इकट्ठा रहता है,,,, यह ख्याल आते ही वह चिंतित हो गई लेकिन फिर कभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि इधर रह कर भी कभी कभार उसे बिल्कुल भी मौका नहीं मिलता था लेकिन उसका बेटा कैसे भी करके चोदने का जुगाड़ बना ही लेता था तो उधर भी वह कोई ना कोई जुगाड़ जरूर बना लेगा यह ख्याल आते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई,,,, तभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि शुभम के लंड से निकला सारा माल धीरे-धीरे करके उसकी बुर से नीचे टपक रहा था जोंकि उसकी जांघों को भिगो रहा था,,,, वह कुछ देर पहले के पल को याद करके संतुष्ट होने लगी आज पहला मौका था कि जब वह फोन पर अपनी मां से बात करते हुए अपने ही बेटे से चुदवा रही थी,,,, जिसका एहसास बेहद सुखद था,,,,। निर्मला को अपनी बदली हुई जिंदगी पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था बहुत बिल्कुल भी यकीन नहीं कर पा रही थी कि वह पहले वाली ही निर्मला है क्योंकि हमेशा पर्दे में रहती थी और किसी भी प्रकार की अश्लील बातों से या ऐसे कोई कर्म जिससे खुद की और खानदान की बदनामी हो कोसों दूर रहा करती थी लेकिन अब उसमें इतना ज्यादा बदलाव आ गया है कि,,,, वह खुद अपने आप पर विश्वास नहीं कर पा रही थीे कि वह वही निर्मला है,, जो अब घर में अपने ही बेटे से चुदकर एकदम संतुष्ट होती आ रही थी,,, और वह भी चोरी छिपे नही बल्कि एकदम बेशर्मों की तरह,,,, निर्मला मुस्कुराते हुए बाथरूम की ओर चल दी क्योंकि उसे अपनेी बुर को धोकर साफ करना था,,,।
कुछ देर बाद वह बाथरुम से बाहर आई तब तक शुभम तैयार हो चुका था निर्मला बेहद खुश थी,,,, शुभम अपनी मां को खुश होता हुआ देखकर बोला,,,,

क्या बात है मम्मी आज ज्यादा खुश नजर आ रही हो लगता है कि आज मेरा लंड तुम्हारी बुर में कुछ ज्यादा ही घुस गया है,,,।

अरे वह तो हमेशा ही मेरी बुर की गहराई नापता है,,,, और सच बताऊं तुझे इस तरह से तू इतनी तेज तेज धक्के मार रहा था मुझे तो लग रहा था कि तू लंड को मेरे पेट में उतार देगा,,,

क्या करूं मम्मी छोटा पड़ जाता है वरना सच में मैं पूरा का पूरा उतार डालता,,,

छोटा पड़ जाता है,,,,, अरे बदतमीज तेरा लंड तो एकदम गधे के लंड की तरह है,,, और तू कह रहा है कि छोटा पड़ जाता है,,, तेरा लंड किसी भी औरत के लिए सबसे ज्यादा लंबा है,,, तभी तो मेरी चीख निकाल देता है तू,,,,,


पर मुझे तो छोटा ही लगता है मैं सोचता हूं कि एकाद ईंच और बड़ा होता तो और मजा आता,,,

एकदम मादरचोद हो गया है तू,,,,, सांड़ जैसा लंड रखा है फिर भी बोलता है कि छोटा है,,,,,

मम्मी तुम्हारे मुंह से गाली मुझे बहुत अच्छी लगती है,,,,।

तो क्या मैं तुझे हरदम गाली देती रहूं (निर्मला मुस्कुराते हुए बोली)

हां,,,,, दीया करो,,,,

तू सच में पागल है क्या तुझे गाली सुनने में ईतना अच्छा लगता है,,,। तब तो तेरे दोस्त भी तुझे जब गाली देते होंगे तो तू ऊन्हे कुछ नहीं कहता होगा,,,,

नहीं ऐसी बात नहीं है मुझे सिर्फ तुम्हारे मुंह से सुनना अच्छा लगता है दोस्तों के मुंह से नहीं,,,,

मेरे मुंह से तुझे क्यों अच्छा लगता है,,,,।

क्योंकि तुम एक औरत हो और मेरी मम्मी है इसलिए ना जाने क्यों तुम्हारे मुंह से मुझे गाली अच्छी लगती है (इतना कहते हुए वह निर्मला के करीब जाने लगा)

कौन सी गाली तुझे अच्छी लगती है,,,

मादरचोद,,,,,( ब्लाउज के ऊपर से ही अपने मां की चूची पर हाथ रखते हुए बोला,,,।)

वह तो तू हो ही गया है । (निर्मला मुस्कुराते हुए बोली)

मैं समझा नहीं,,,,

तुझे गाली का मतलब पता भी नहीं है और तुझे अच्छा भी लगता है,,,,।

हां मुझे अच्छा लगता है लेकिन मम्मी इसका मतलब क्या होता है,,,।

जो तू मेरे साथ करता है,,


साफ-साफ बताओ ना पहेलियां क्यों बुझाती हो,,, ( ऐसा कहते हुए शुभम एक बार फिर से अपनी मां को पीछे से बाहों में भर कर चूचियों को दबाने लगा,,।)

साफ-साफ कहूं तो,,, जब एक बेटा अपनी मां को ही चोदने लगता है तो,,,वह मादरचोद हो जाता है।,,,,
( अपनी मां की ऐसी बातें सुनकर शुभम के बदन में फिर से शुरूर चढ़ने लगा,,,, कुछ देर पहले ही पानी छोड़ चुका उसका लंड फिर से तनाव में आने लगा,,, वह अपनी मां की मस्त बातों को सुनकर मस्त होता हुआ जोर-जोर से चूचियों को दबाना शुरु कर दिया,,, जिसकी वजह से निर्मला के बदन में भी काम भावना ऊफान मारने लगा,,, और उसके मुंह सें स्तन मर्दन की वजह से दर्द के साथ सिसकारी छुटने लगी,,,।)

सससहहहहहह,,,,,, क्या कर रहा है,,,,


वही जो एक मादरचोद करता है,,,,।


तू तो एकदम पक्का मादरचोद बन गया,,

बनाया किसने है,,,?

धत्त,,,, बदमाश हो गया है तू,,,,,
( निर्मला अपने बेटे की हथेलियों से स्तन मर्दन का आनंद लेते हुए बोली,,,,)

मम्मी तुम पहले से ही ऐसे ही भोसड़ा चोदी थी कि अब बन गई,,,
( अपने बेटे के मुंह से अपने लिए इस तरह की गाली सुनकर निर्मला एकदम आश्चर्य में पड़ गई,,,, उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि शुभम इस तरह की अश्लील शब्दों का प्रयोग करेगा और वह भी उसके ही लिए इसलिए अपने लिए भोसड़ा चोदी का संबोधन सुनकर,,, निर्मला उत्तेजना में एकदम से गनगना गई,,,, इस गाली को सुनकर उसे अपने बचपन का दिन याद आ गया जिसे बचपन कहना ठीक नहीं था क्योंकि वह उस समय जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी,,, और कुदरत ने तो वैसे ही उसको बेइंतहा खूबसूरती बख्शी थी,, उस समय वह गांव में पढ़ाई कर रही थी,,, गांव के लड़कों के साथ-साथ स्कूल के लड़के भी उसकी खूबसूरती के दीवाने थे,,, ऐसे ही उसकी एक सहेली थी जिसका नाम नीलम था,,, वह भी खूबसूरत थी,,, लेकिन निर्मला जितनी खूबसूरत नहीं थी और वह एक लड़के से प्यार करती थी जिसके पीछे वहां हमेशा लगी रहती थी लेकिन वह उसे बिल्कुल भी भाव नहीं देता था क्योंकि वह निर्मला के पीछे पड़ा था और निर्मला उसे बिल्कुल भी भाव नहीं देती थी क्योंकि वह,,, प्यार व्यार के चक्कर से कोसों दूर थी।
जब भी नीलम उस लड़के से बात करनी को चलती तो वहां कोई ना कोई बहाना बनाकर वहां से हट जाता और हमेशा निर्मला के ही इर्द गिर्द नजर आता,,, यह बात हमेशा नीलम को खटकती रहती थी एक दिन वह उस लड़के को जबरदस्ती पकड़ कर उसी से यह पूछने लगे कि वह उससे प्यार करता है कि नहीं,, लेकिन वह लड़का इनकार कर दिया और बोला मैं तो निर्मला से प्यार करता है जबकि वह एक तरफा ही प्यार था जबकी इस बारे में कुछ भी नहीं जानती थी,,, बिना कुछ सोचे समझे नीलम अपनी सहेली निर्मला से झगड़ा करने लगी और अपनी सहेलियों के बीच उससे गाली गलौज करने लगी,, उस दिन उसने निर्मला को रंडी छिनाल भोसड़ा चौदी और ना जाने कौन कौन सी गाल़ी देकर उसे बेइज्जत करदी,,,, उस दिन नीलम की गाली गलौज से निर्मला बेहद शर्मिंदगी महसूस करने लगी और वह रोने लगी उस दिन उसे अपने सहेली द्वारा दी गई गाली बहुत ही भद्दी लगी थी जिसकी वजह से उसे बहुत दुख हुआ था,,, लेकिन आज वही भद्दी गाली,,,, भोसड़ा चोदी जैसा संबोधन अपने लिए अपने ही बेटे के मुंह से सुनकर बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और बहुत ही अच्छा भी लग रहा था,,,,,,, इसलिए वह मुस्कुराते हुए शुभम से बोली,,,।)

शुभम तू यह सब गाली कहां से सीख गया,,,

बस दोस्तों के मुंह से सुना था इसलिए आज तुम्हें कह दिया,,,

और कैसी-कैसी गाली देते हैं तेरे दोस्त,,,

रंडी छिनार बैंनचोद मादरचोद,,,भोसड़ा चोदी,,,,

छी,,,,, तेरे दोस्त तों बहुत गंदे हैं क्या तुझे भी ईस तरह की गाली देते थे,,,,

तो क्या खेल खेल मे वह लोग सब को गाली देते हैं,,,( इतना कहने के साथ ही वह एक बार फिर से ब्लाउज के बटन खोलने लगा लेकिन निर्मला भी उसे रोक नहीं रही थी क्योंकि कुछ देर पहले कुछ देने के बावजूद इस समय फिर से उसकी बुर गीलीं होने लगी थी,,,, अगले ही पल शुभम ने एक बार फिर से अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए और उसकी नंगी चूची को हाथ में भरकर मसलने लगा,,,,।)
ससससहहहहह आहहहहहहह शुभम धीरे से मसल दर्द हो रहा है,, अभी अभी तो तूने किया था और फिर शुरू हो गया,,,

क्या करूं मम्मी तुम्हें देखता हूं तो मेरा लंड बेकाबू हो जाता है,,,

धत्त,,, शैतान,,,,, ( अपनी हथेली को शुभम की हथेली पर रखकर जोर से दबाते हुए बोली,,, यह शुभम का हौसला बढ़ाने के लिए उस ने की थी और इसीलिए शुभम भी और जोर से मसलते हुए बोला,,,।)

अच्छा मम्मी तुम बताई नहीं कि तुम पहले से ही भोसड़ा चोदी थी या अब बन गई हो,,,

अब बन गई हूं,,,, तेरे लंबे और मोटे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए भोसड़ा चोदी बन गई हुं।,,,,,,,, क्यों तुझे अच्छा नहीं लगता,,,,

मुझे तो बहुत अच्छा लगता है मम्मी जब तुम अपनी टांगे फैलाकर अपना भोसड़ा मेरे लिए खोलती हो,, तब मन करता है कि ईसमें समा जाऊं,,,,( ऐसा कहते हुए शुभम साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां की बुर को हथेली में दबोच लिया,,, जिससे निर्मला उत्तेजना के मारे सिहर उठी,,,।) मम्मी तुम मेरी हो और हमेशा मेरी ही रहना,,,, तुम्हारी इस खूबसूरत बदन पर तुम्हारी चूची पर तुम्हारी मदद से गांड पर तुम्हारी बुर पर बस मेरा ही हक है,,,, किसी और के लिए. ईसे ( निर्मला की टांगों को पकड़ कर) मत खोलना,,

( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला एकदम भाव विभोर हो गई और बोली,,,।)

इस पर तेरा ही हक है यह टांगे खुलेगीे तो बस तेरे लिए ही,, किसी और के लिए नहीं,,,,

लेकिन पापा (इतना कहकर शुभम खामोश हो गया)

बिल्कुल भी नहीं खुलेंगी अब तों मैं तेरे पापा को जरा भी भाव नहीं देती,,,,

मुझे अब उनके लंड की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है मेरी बुर में बस तेरे लंड के लिए जगह है,,,,,

( दोनों की वार्तालाप एकदम अश्लील होती जा रही थी और दोनों को बेहद मजा भी आ रहा था कुछ देर पहले दोनों ही अपना मदन रस निकाल चुके थे लेकिन शुभम की हरकत की वजह से शुभम के साथ-साथ निर्मला भी पूरी तरह से कमोत्तेजित हो चुकी थी,,,, शुभम का लंड एक बार फिर से अपनी मां की रसीली बुर की शेयतर करने के लिए तैयार हो चुका था,,, जो की सीधे उसके नितंबों पर धस रहा था। शुभम श्रेया एक पल का भी विलंब करना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था इसलिए वह एक हाथ से अपने पेंट की बटन खोल कर,,, पेंट को नीचे सरका दिया,,, उसका लंबा मोटा लंड हवा में लहराने लगा और अगले ही पल वह पास में पड़ी स्टूल को अपनी तरफ खींच कर उस पर बैठ गया,,,, निर्मला उसे देखती रही और वह अपनी मां की तरफ देखकर अपने लंड को मुठीयाने लगा,,, दोनों के बदन में मदहोशी छाने लगी थी उन दोनों की आंखों में एक दूसरे के अंदर समा जाने की प्यास साफ झलक रही थी,,, अपने बेटे के खड़े लंड को देख कर एक बार फिर से निर्मला की लार टपकने लगी,,, पूरा माहौल चुदास से भर चुका था,,,, निर्मला का भी लावा पिघलने लगा था। निर्मला चुदास से भर चुकी थी और खुद ही अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,, दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबते चले जा रहे थे,,,, निर्मला अपनी साड़ी उठाकर अपनी पैंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगी,, और अगले ही पल वाह अपनी पैंटी को अपनी सुडौल टांगों से बाहर निकाल फेंकी ,,, निर्मला के बदन में उत्तेजना के साथ-साथ मदहोशी छा चुकी थी उसकी आंखों में देख कर ऐसा लग रहा था कि शराब की पूरी बोतल गटक गई है।,,, अपने बेटे के लंड को देखकर वास्तव में उसे नशा सा हो गया था और वह अपने बेटे को ललचाने के लिए अपनी बुर को अपनी हथेली से मसलते हुएगरम सिसकारी छोड़ने लगी,,,

सससहहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहहह,, सससससस,, शुभम मेरे राजा देख मेरी बुर तेरे लंड को देखकर कैसे पिघल रही है। बस अब बिल्कुल भी देर मत कर अपने लंड को चोद़कर अपनी मां की प्यास बुझा दे।,,,,,

( निर्मला अपने बेटे को अपनी बुर का रास्ता दिखाते हुए उसे आमंत्रित कर रही थी और शुभम अपने लंडनुमा गाड़ी को पूरी तरह से गियर में डालने के लिए तैयार था,,,, वह भी जोर-जोर से अपने लंड को हीलाते हुए बोला,,,

ओहहहहहह मेरी जान मेरीे निर्मला देख मेरा लंड भी तेरीे बुर में जाने के लिए तड़प रहा है,,,, अब बिल्कुल भी देर मत कर,,,,,, मेरी रानी,,,,, आजा मेरे लंड पर बैठ जा आजा मेरी जान,,, बिल्कुल भी देर मत कर,,,,,
( शुभम पूरी तरह से मदहोश होकर अपनी मां को अपनी तरफ बुलाने लगा,,, उसकी मां की बुर में खुजली मची हुई थी इसलिए वह मादक अदा के साथ अपने कदम बढ़ाते हुए अपने बेटे के करीब जाने लगी,,, निर्मला की नजर अपने बेटे के मोटे लंड पर ही टिकी हुई थी,,, वह अपने बेटे के बिल्कुल करीब पहुंच गई और अपनी साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठा कर अपनी दोनों टांगों को स्टूल के इर्द-गिर्द रखते हुए,, अपनी भारी भरकम गांड को लंड के ऊपर रखने को हुई थी की,,, शुभम अपने दोनों हाथों से अपनी मां की मदमस्त गांड को थामते हुए बोला,,,
ओहहहहहहहह मेरी जान तू बहुत खूबसूरत है तेरी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता है बस अपनी गांड को मेरे लंड पर रख दे मेरी जान,,,, मेरी रंडी मेरी छिनार मेरी भोसड़ा चोदी ले मेरे लंड को अपने भोसडे में डाल ले,,,,,

( अपने बेटे के मुंह पर गंदी बातें सुनकर निर्मला और ज्यादा उत्तेजित हो गई और अपनी बुर की गुलाबी चूत को अपने बेटे के लंड के सुपाड़े पर रखते हुए,,, बैठने लगी,,, शुभम भी अपनी मां की कमर थाम कर उसे नीचे की तरफ दबाने लगा और देखते ही देखते शुभम का मोटा लंबा लंड उसकी मां की बुर में पूरी तरह से खो गया,,,,, बस फीर क्या था निर्मला अपने बेटे के लंड पर कूदना शुरू कर दी,,,, दोनों एक दूसरे में समाने के लिए पूरी तरह से उत्तेजित हो गए निर्मला शुभम को अपनी बाहों में भर कर जोर जोर से अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के लंड पर पटक रही थी,,,, जिसकी वजह से शुभम पूरी तरह से मस्त हो चुका था और वह भी नीचे से ऊपर की तरफ धक्के लगा रहा था,,,, निर्मला को इस समय अपने तरीके से चुदवाते हुए अगर कोई देख लेता तो जीत हरकत और मदहोश होकर मां अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में ले रही थी उसे देखकर निर्मला को रंडी ही समझता,,,
और वैसे भी औरतों को चुदवाने में असली मजा तभी आता है जब वह लंड लेते समय एकदम रंडियों की तरह हरकत करतीे हैं,,, शुभम पूरी तरह से चुदास से भर चुका था,,, और वहां अपनी मां की बड़ी-बड़ी पपाया की जैसी चूची को मुंह में भरकर उस का रस पीने लगा था,,,, जिससे निर्मला के उन्माद में निरंतर वृद्धि होती जा रही थी,,,,
फच्च,,,,, फच्च,,,,, की आवाज से पूरा डाइनिंग हॉल गुंज रहा था,,, निर्मला की गर्म सिसकारियां इतनी तेज हो इतनी ज्यादा उन्मादक ठीक है अगर कोई सिर्फ उसकी सिसकारियों की आवाज सुने तो ऐसा ही लगेगा की वह कोई पोर्न क्लिप की आवाज सुन रहा है,,,,। मदहोशी और संपूर्ण रूप से वासना युक्त चुदाई का खेल चल रहा था,,,, निर्मला भी किसी पोर्न स्टार से कम नहीं लग रही थी वह जिस तरह से शुभम के लंबे लंबे पर कूद-कूद कर लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार रही थी ऐसा ही लग रहा था कि जैसे वह गंदी फिल्मों की हीरोइन हो,,,, शुभम को अपने लंड की गोलाई पर निर्मला की बुर की दीवारें कसती हुई महसूस हो रही थी,,,, जिससे उसको आभास हो चुका था कि निर्मला पानी छोड़ने वाली है और वैसे भी वह भी चरमोत्कर्ष के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था निर्मला जोर-जोर से अपने बेटे के लंड पर कूद रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई धोबी कपड़े को बड़े से पत्थर पर पटक-पटक कर धो रहा है,,,,, दोनों की सांसो की गति तेज होने लगी थी निर्मला के मुंह से गरम सिसकारी की आवाज और ज्यादा तेज होती जा रही थी,,,,

ससससहहहहह आहहहहहहहह,,,,,,, ऊहहहहहहहह,,,, ओ मेरे राजा ऐसे ही चोद मुझे और जोर जोर से चोद,,,,, आहहहहहहह,,,,, चौद अपनी रानी को,,,, मेरी बुर का भोसड़ा बना दे,,,,,( अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सुभम एकदम जोश से भर गया,,, और वह बिना रुके नीचे से तेजी से धक्के लगाने लगा जिससे लगातार नैन मिला के मोसे सिसकारी छूटने लगी)
आहहहह,,,,,,, आहहहहहह,,,,, आहहहह,,,,, आहहहहहह आाहहहहहहहहहह,,, मेरे राजा मेरे शुभम मैं तो गई मैं तो गई मेरे राजा,,,,,आहहहहहहहहह,,,,,, ऊइईईईीीईई मा,,,,,,
( इतना कहने के साथ ही वह अपने बेटे के लंड पर कूदते हुए पानी छोड़ दी और दो चार धक्कों के बाद ही शुभम भी अपने लंड की पिचकारी बुर में छोड़ दिया,,, दोनों एक बार फिर से संतुष्ट हो चुके थे,,,, दोनों कुछ देर बाद शांत हुए तो,, निर्मला शुभम के लंड के ऊपर ऊठते हुए बोली,,,

अभी कुछ देर पहले ही धो कर आई थी तु फिर से गिला कर दिया,,,

गीला होने तो आती हो,,,, ( ऐसा कहते हुए वह अपने कपड़े पहनने लगा निर्मला भी पड़ सकता है पढ़ी हुई अपनी पैंटी को उठाकर अपनी टांग में डालते हुए बोली,,,

अरे मैं तुझे एक बात तो बताना भूल ही गई,,,, जब तुम मुझे फोन पर बात करते हुए चोद रहा था तो वह मम्मी का ही फोन था,,, तुझे पता है तेरे मामा की शादी फिक्स हो गई है और हमें अगले हफ्ते ही गांव जाना है,,,

वाहहहह मम्मी तुमने तो मुझे बहुत अच्छी खबर सुनाई मुझे भी गांव जाने में बहुत मजा आता है,,,

लेकिन एक बात की टेंशन है,,,

टेंशन किस बात की टेंशन,,,

अरे यार यहां पर तो हम दोनों को यह सब करने के लिए मौका मिल ही जाता है लेकिन वहां पूरा परिवार होगा वहां कैसे मौका मिलेगा और मुझे तो जब तक तेरा लंड नहीं ले लुं तब तक मुझे चैन की नींद नहीं आती,,,,

कोई बात नहीं मम्मी तुम फिकर मत करो वहां भी मैं कोई ना कोई जुगाड़ ढूंढ ही लूंगा,,,

मुझे तेरे पर पूरा भरोसा है (निर्मला मुस्कुराते हुए बोली)
04-01-2020, 03:00 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अशोक अपनी ऑफिस में निश्चिंत होकर बैठा था वह बेफिकर इसलिए था क्योंकि शुभम ने जिस हालत में उसे उसकी ही ऑफिस में किसी गैर औरत के साथ रंगरेलियां मनाते हुए उसे पकड़ा था उस वाक्या को करीब करीब 10 दिन जैसा हो गया था,,, और घर में किसी भी प्रकार का कोहराम नहीं मचा था,,, इसका मतलब साफ था कि शुभम ने इस राज को राज ही रखा था,,,,।,,, वह मन में ही सोच रहा था कि अगर शुभम ने उसके राज को निर्मला से बता दिया होता तो क्या होता घर में कोहराम मच गया होता,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था इस बात की संतुष्टि उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी,,, अशोक अपनी ऑफिस की चेयर पर बैठकर इस बारे में सोच ही रहा था कि,,,, उसके मोबाइल की रिंग बजने लगी वह पहले पेंट की बाई जेब में मोबाइल को तलाशने के लिए टटोला,,,, लेकिन ऊस जोब में मोबाइल नहीं था तो वहां अपनी दाएं जेब में टटोला तू मोबाइल उसी जेब में रखा हुआ था,, वह मोबाइल को जेब से निकाल कर उसकी स्क्रीन पर देखा तो नंबर अनजाना सा लग रहा था,, वह कॉल को रिसीव करके कान पर लगाते हुए बोला,,,

हेलो कौन,,,,, ?

मैं बोल रही हूं,,,,,
( सामने किसी लड़की की आवाज सुनकर,,, अशोक सचेत हो गया वैसे भी उसने कहीं औरतों के साथ अफेयर करके खत्म कर दिया था इसलिए मैं सोचा था कहीं किसी उनमें से किसी का फोन तो नहीं आ गया,,,, इसलिए वह अनजान बनते हुए बोला,,,,, ।)


मैं कौन मेरे ख्याल से मैं तुम्हें नहीं जानता,,,,,


इतने जल्दी आवाज़ भी भूल गए,,,,,,

( सामने से फोन पर इस बात को सुनकर अशोक फिर हैरान हो गया उसे यकीन होने लगा कि यह उन औरतों में से किसी एक का फोन है इसलिए उसे अंदर ही अंदर डर लगने लगा कि कहीं कोई पैसे की मांगनी ना करने लगे,,,,, )


देखो तुम कौन हो मैं नहीं जानता और तुम्हारी आवाज़ भी मैं नहीं पहचानता साफ-साफ बताओ कौन हो,,,,,


क्या सच में तुम मेरी आवाज नहीं पहचानते मुझे तो हैरानी होती है,,,,,

( अब तो अशोक का दिमाग खराब होने लगा,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह लड़की है कौन और इस तरह से पहेलियां क्यों बुझा रही है,,,, इसलिए गुस्से में बोला)


देखो तुम कोई भी हो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और अगर तुम अपनी पहचान नहीं बताओगी तो मैं फोन कट कर दूंगा,,,

नहीं नहीं ऐसा मत करना मैं मधु बोल रही हूं तुम्हारी छोटी बहन,,,,,,,, ( सामने से जल्दबाजी और घबराहट भरी आवाज आई,,,,, मधु नाम सुनते ही अशोक के चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गई मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मधु ने उसे फोन की है,,,,, इसलिए चहकते हुए अशोक बोला,,,, )


मधु तु मुझे तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है कि तू फोन की है,,, तुझे पता है 5 साल गुजर गए इन 5 सालों में आज पहली बार तूने मुझे फोन कि है,,,,,


हां जानतीे हुं भैया इन 5 सालों में बहुत कुछ बदल गया,,,, मेरी गलती की सजा तो मुझे मिलनी ही थी,,,,

गलती की सजा मैं कुछ समझा नहीं कि तू क्या कह रही है,,,
( अशोक चिंतित स्वर में बोला,,,।)

भैया तुम तो अच्छी तरह से जानते हो कि मैं पूरे परिवार के खिलाफ जाकर अपने बॉयफ्रेंड के साथ भाग कर शादी की इस वजह से पूरे परिवार ने मुझ से हर तरह से रिश्ते को तोड़ दिया,,,,, मुझे लगा था कि मैंने सही फैसला भी हूं लेकिन कुछ ही महीनों में मुझे पता चल गया कि मेरा फैसला बिल्कुल गलत था जिसके साथ मैं सब कुछ छोड़ कर अपना जिंदगी बसर करने चली थी,,,, वह बिल्कुल निकम्मा निकला,,, 6 महीने बाद ही वहं मुझे मारने पीटने लगा मेरी जिंदगी नर्क से भी बदतर कर दिया उसने,,,,


क्या कह रही है मधु तू इतना कुछ सहती रही और हमें बताई भी नहीं,,,,, तुम मुझसे उसकी बात करा मैं अभी उसे बताता हूं


इसकी कोई जरूरत नहीं है भैया मैं उसका घर छोड़ चुकी हूं और अब मुझे दोबारा उस नर्क में नहीं जाना है,,,,

मतलब तू अभी रहती कहां है,,,,?

यही एक जगह भाड़े के मकान में रहती हूं और एक ऑफिस में काम करके अपना गुजारा चला रहीे हु।,,, लेकीन भैया,,, मुझे इस शहर में बिल्कुल भी नहीं रहना है क्योंकि आते-जाते कहीं भी वह मुझे परेशान करने लगता है,,,,।


तो तू,, गांव चली गई होती,,,,


कोशिश की थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ वह लोग मुझे अपनाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है वह लोग तो ईतना तक कहते हैं कि तू मेरे लिए मर गई,,,, अब तुम ही बताओ भैया मैं कहां जाऊं किसके पास जाऊं तुम तो अच्छी तरह से जानते हो की अकेली औरत खुली किताब की तरह होती है जिसके पढ़ने को हर कोई उलटना पलटना चाहता है,,,,।
मेरी आखिरी उम्मीद बस तुम ही हो तुम ही मुझे सहारा दे सकते हो,,,,,

( मधु की आवाज सुनकर अशोक की आंखों में चमक आ गई और वह,,, बोला,,,।)

हां,,, हां,,,, क्यों नहीं मधु अच्छा हुआ तु मेरे पास फोन की,,,,
तू बेझिझक मेरे पास आ सकते हैं मेरे घर का दरवाजा तेरे लिए हमेशा खुला है आखिर तू मेरी छोटी बहन है,,,,।

ओह थैंक्यू भैया मैं तुमसे यही उम्मीद रख रही थी,,,,

तो एक काम कर जल्दी से अपना बोरिया बिस्तर बांध कर इधर आ जा,,,, बाकी तुझे क्या करना है मैं सब तेरे आने के बाद बताऊंगा,,,,


ठीक है भैया मैं 1 हफ्ते के भीतर ही वहां आ जाऊंगी तब तक मेरी सैलरी भी मिल जाएगी,,,,,,

ठीक है मधु जल्दी आना अब तो मैं तुझसे मिलने के लिए बेचैन हो रहा हूं,,,, आई लव यू,,,,, (अशोक कुटिल मुस्कान मुस्कुराते हुए बोला,,, मधु अपने भाई के मुंह से आई लव यु सुन कर मुस्कुराने लगी और वह भी प्रसन्न होते हुए बोली )

लव यू टू भैया,,,,,,( इतना कहने के साथ ही मधु ने फोन काट दी,,,,।)

अशोक की पुरानी यादें ताजा हो गई,,,,, उसे वह दिन याद आने लगा जब वह गांव में ही रहता था और वहां पर रहकर अपनी पढ़ाई पूरा कर रहा था तब मधु अपनी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी उसकी जवानी भी उसे चिकोटी काट रही थी,,, उसकी सहेलियों में कुछ ऐसी पहेलियां थी जो कि लड़कों के चक्कर में ज्यादा रहती थी और उन्हीं की संगत में मधु भी उन्हीं की तरह होती जा रही थी,,, अपनी सहेलियों के मुंह से उनकी चुदाई की कहानी सुनकर मधु कि अपने पैर के साथ-साथ अपने पर भी फैलाने के चक्कर में थी यहां तक कि वह अपनी उस स्कूल में कुछ बॉयफ्रेंड बना रखी थी और उनके साथ शारीरिक संबंध भी बना चुकी थी जवानी पूरे उफान पर थी बदन की प्यास बुझाई नहीं बुझ रही थी,,, एक तरह से मधु एकदम प्यासी लड़की थी
अशोक तो पहले से ही मन चला था उसने भी कई लड़कियों को अपनी गर्लफ्रेंड बनाया था और वह भी उनके साथ शारीरिक संबंध बना चुका था इसलिए वह अच्छी तरह से जानता था कि,,, चुदाई का शोक अगर एक बार मिल जाए तो बार-बार उसे पाने की इच्छा होती है,,,
ऐसे ही एक दिन अशोक को चोदने की इच्छा हो रही थी,,,, लेकिन इस समय उसके पास किसी भी तरह से अपनी प्यास बुझाने के लिए उसकी कोई भी गर्लफ्रेंड उसके करीब नहीं थी ऐसे में उसे अपने ही हाथ का सहारा लेना पड़ रहा था इसलिए वह बाथरूम की तरफ जाने लगा था कि वह आराम से एकदम नंगा होकर के नहाते नहाते अपने हाथ से अपने लंड को हिलाकर पानी निकाल सके,,,, बाथरूम में पहुंचने से पहले ही जब वह अपनी छोटी बहन मधु के कमरे के करीब पहुंचा तो कमरे में से हल्की हल्की सिसकारी की आवाज़ आ रही थी,,,, अशोक इस तरह की सिसकारी की आवाज को अच्छी तरह से पहचानता था क्योंकि जब वह लड़कियों को चोदता था तो इसी तरह की आवाजें आती थी,,, इसलिए उसके कान खड़े हो गए, वह दबे कदमों से,,, दरवाजे के करीब जाने लगा उसकी किस्मत अच्छी थी,,, दरवाजा अंदर से बंद नहीं था वह हल्के से दरवाजे को खोल के अंदर की तरफ देखा तो,,, उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया,,, क्योंकि अंदर कमरे में उसकी छोटी बहन मधु जो की जवानी से एकदम भरपूर हो चुकी थी वह अपने बिस्तर पर एकदम नंगी लेटी हुई थी और अपनी ही हथेली से, अपनीे बुर को जोर-जोर से मसलते हुए गर्म सिसकारी छोड़ रही थी,,, चुदास पन से भरा हुआ अशोक जो कि बुर की तलाश में इधर उधर भटक रहा था,,, अंदर का नजारा और अपनी बहन को इस हालत में देख कर उसे लगने लगा कि उस का जुगाड़ अब घर में ही होने वाला है,,,, वह कुछ देर तक वहीं खड़े होकर अपने लंड को सहलाते हुए अंदर का नजारा देखने लगा । बिस्तर पर मधु पुरी तरह से कामातुर होकर छटपटा रहीे थी,, उससे अपनी जवानी की तड़प बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,, तभी बिस्तर पर पड़े मोटे बैगन को देखकर अशोक का लंड ठुनकी मारने लगा,,, उसे यह समझते देर नहीं लगी कि बिस्तर पर रखा वह मोटा बैगन मधु अपनी बुर में डालने वाली है,,, यह सोचकर ही अशोक का लंड बेकाबू होने लगा,,, वह मन ही मन अपनी बहन को चोदने की इच्छा बना लिया,,,,,, वह ऐन मौके पर अपनी बहन के सामने आना चाहता था ताकि उसके लिए छुपाने जैसा कुछ भी ना हो,,, इसलिए अशोक सही मौके का इंतजार करने लगा और अंदर मधु की हालत पल-पल बेकाबू होती जा रही थी उसकीे बुर में ऐसा लग रहा था कि जैसे चिटिया रेंग रही हो,,, वह जोर-जोर से अपनी हथेली से अपनी बुर की गुलाबी पत्ती जो कि अभी पूरी तरह से खीली भी नहीं थी उसे रगड़ रही थी,,,, मधु की गरम सिसकारी की आवाज अशोक के लंड के सब्र के बांध को तोड़ रही थी,,, कीें तभी मधु बिस्तर पर पड़े बैंगन को उठाकर
अपनी बुर पर रगड़ति हुई उसे बूर के अंदर उतारने लगी,,,,,
अशोक के लिए यही सही मौका था,,,,, अशोक जल्दी से दरवाजा खोलकर कमरे में प्रवेश करने लगा यह देखकर मधु एकदम से घबरा गई और पास में बड़ी चादर को अपने बदन पर ढंकने लगी,,, और अशोक एक हाथ से दरवाजे पर कड़ी लगाते हुए मधु की तरफ देखते हुए बोला,,,
04-01-2020, 03:00 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अब इसकी कोई जरूरत नहीं है मेरी बहना मैं सब कुछ देख चुका हूं,,

तततत,, तुम कहना क्या चाहते हो भैया,,,,,( मधु घबराते हुए बोली और अशोक उसके करीब धीरे धीरे कदम बढ़ाते हुए बोला,,।)

अब मेरे कहने और तुम्हारे समझने के लिए कुछ भी नहीं बचा है,,।( इतना कहने के साथ ही अशोक अपनी बहन के बदन के ऊपर से चादर खींच कर नीचे फर्श पर फेंक दिया एक बार फिर से मधु पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,

मधु अपनी हालत की वजह से अपने भाई के सामने इस हालत में एकदम शर्मिंदगी महसूस कर रही थी उसे शर्म आ रही थी इसलिए वह अपने हाथों को पर्दा बनाकर अपने अंगों को छुपाने की भरपूर कोशिश करने लगी,,, वह पूरी तरह से घबरा गई थी इसलिए वह अशोक से बोली,,

यह क्या कर रहे हो भैया,,,,,

मैं वही कर रहा हूं मधु जो तुम चाहती हो,,,,

मैं कुछ समझ नहीं रही हूं तुम क्या कहना चाहते हो,,, और तुम मेरे साथ इस तरह का व्यवहार क्यों कर रहे हो,,,,


मधु मेरी बहन तुम बिल्कुल नादान बनने की कोशिश मत करो,,, मैं सब कुछ देख चुका हूं और यह भी जानता हूं कि तुम्हारी बुर मे आग लगी हुई है और उस आग को बुझाने के लिए तुम्हें एक लंड की जरूरत है।

यह क्या कह रहे हो भैया,,,,( मधु अपने भाई के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर आश्चर्य के साथ बोली,,,।)

देखो मधु अब बनने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,,, अगर मैं चाहूं तो जो तुम बंद कमरे के अंदर अभी-अभी कर रही थी वह सब कुछ मम्मी पापा को बता दूंगा तो सोचो तब तुम्हारी क्या हालत होगी,,,,,( इतना कहते हुए अशोक अपने हाथ को मधु की मखमली जांघो पर फिराने लगा,,,, जिसकी वजह से मधु शर्म के मारे संकोचाने लगी,,, फिर भी हिम्मत करते हो बोली,,,।)

ककककककक,,,,, क्या कर रही थी मैं,,,,,,


मुझसे छुपाने की कोई जरूरत नहीं है मैं सब कुछ देख कर ही कमरे में आया हूं और तुम वही कर रही थी जो मैं अपने हाथ से बाथरूम मे करने जा रहा था,,,, और इसको (पास में पड़े बेगन को हाथ में लेकर) अपनी बुर में डाल रही थी।
( इतना सुनते ही मधु के पास कुछ भी छुपाने जैसा नहीं था इसलिए वह ्रुआांसी होते हुए बोली,,,, ।)

भैया प्लीज मुझे माफ कर दो और मम्मी पापा से कुछ मत बताना,,,,

तुझे प्लीज बोलने की कोई जरूरत नहीं मालूम तू तो अपनी जरुरत पूरी कर रही थी जैसे कि मैं अपनी जरुरत पूरी करने के लिए बाथरूम जा रहा था,,,,

मैं कुछ समझी नहीं भैया,,,,

देख तू बैगन को अपनी बुर में डालकर अपनी प्यास बुझाने की कोशिश कर रही थी,, और मैं (अपने पैंट की बटन खोलते हुए अगले ही पल अपने टंनटनाए हुए लंड को बाहर निकाल कर हाथ से हीलाते हुए) अपने ईस लंडं को हाथ से हीला कर उसका पानी निकालने जा रहा था,,,,
( मधु एक तो पहले से चुदवाती थी अपने भाई का खड़ा लंड देखकर उसकी बुर में खुजली मचने लगी वह समझ चुकीे थेी कि उसका भाई उसे चोदना चाहता है। लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए बोली,,,।)

भैया तुम क्या कह रहे हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,

मधु अब भोली बनने की कोई जरूरत नहीं है,,, मैं जानता हूं कि इस समय तु लंड के लिए तड़प रही है और मैं बुर के लिए
क्यों ना हम एक दूसरे से अपनी ज़रूरत पूरी कर ले,,,( मधु बार-बार अशोक के लंड की तरफ देखे जा रही थी जिसको वह अपने हाथों से हिला रहा था,,, उसकी जवानी से भरी बुर पानी पानी हुए जा रही थी अब तो वह भी यही चाह रही थी कि उसका भाई अपने लंड को उसके बुर में डालकर चोद डाले,,,, लेकिन वह इस बात को अपने मुंह से नहीं बोल सकती थी फिर भी वह अपने भाई को रोकते हुए बोली,,,

नहीं भैया ऐसा नहीं हो सकता हम दोनों भाई बहन हैं और भाई बहन में इस तरह का रिश्ता पाप कहलाता है,,

देखने चलें हम दोनों भाई बहन नहीं है इस समय में एक प्यासा मर्द हुं और तु प्यासी औरत है,,, मेरे पास लंड है और तेरे पास बूर है जो की एक दूसरे में समाने के लिए तड़प रहे हैं।,,,,

लेकी,,,,,,,, ( मधु कुछ बोल पाती से पहले ही वह उसे रोकते हुए उसे बिस्तर पर लिटाने लगा,,, और उसकी दोनों चुचीयों को हाथ में भरते हुए बोला,,,)

बस अब कुछ बोलने की जरूरत नहीं है,,,,,

( इतना कहने के साथ ही वह अपनी बहन मधु पर टूट पड़ा उसकी चूचियों को कभी हांथो से दबाता तो कभी मुंह में भर कर पीने लगता है,,, मधु को भी बहुत मजा आ रहा था पूरा कमरा उसकी सिसकारियों से गूंज रहा था। अगले ही पल अशोक ने अपने लंड को अपनी बहन की बुर में पूरी तरह से उतार दिया,,, मधु को ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका पूरा बदन हवा में उड़ रहा है अशोक अपनी बहन को चोदना शुरू कर दिया था भाई-बहन का पवित्र रिश्ता दोनों मिलकर तार-तार कर चुके थे,,,, यह सिलसिला जो एक बार शुरू हुआ तो वह तब तक चलता रहा जब तक मधु अपने बॉयफ्रेंड के साथ भाग कर शादी नहीं कर ली,,,
उस दिन के बाद आज 5 वर्षों के अंतराल पर अब जाकर मधु का फोन आया था,,,, इसलिए अशोक मन ही मन खुश हो रहा था,,, क्योंकि वह अब अपनी सेक्रेटरी रीता से तंग आ चुका था,,,, ऐसे मे वह पहले से ही किसी नए जुगाड़ में था,,,और एन मौके पर उसकी छोटी बहन मधु का फोन आने से उसके नए जुगाड़ की तलाश का अंत आ चुका था,,,, वह मन ही मन खुश हो रहा था कि तभी ऑफिस का दरवाजा खुला और रीता ऑफिस में दाखिल हुई जिसके चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वह काफी गुस्से में थी,,,,
04-01-2020, 03:00 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
रीता को इस तरह से ऑफिस में आता देखकर अशोक को अच्छा तो नहीं लगा,, लेकिन वह कर भी क्या सकता था,, रीता को पहले से ही वह हर तरह की छूट दे रखा था,,,, पुरानी यादो के झरोखों से अशोक बाहर आ चुका था,,, रीता के चेहरे की तरफ देखकर वह भी समझ गया कि रीता आज गुस्से में इसलिए वह कुछ बोलती ऊससे पहले ही वह बोल पड़ा,,,

क्या हुआ रिता तुम्हारा चेहरा क्यों बुझा-बुझा सा है,,,,

चलो यह तो अच्छा हुआ कि तुम्हें इस बात का पता तो चल गया कि मेरा चेहरा बुझा बुझा सा है,,,, और इसके पीछे का कारण भी तुम अच्छी तरह से जानते हो,,,,,,


मैं समझा नहीं कि तुम क्या कहना चाहती हो,,

बनो मत अशोक तुम अच्छी तरह से जानते हो कि मैं क्या कहना चाहती हूं,, मुझे पैसों की सख्त जरूरत है और तुम मुझे वादा करके पैसे देने से इंकार कर रहे हो,,,


मैं कब इनकार किया,,,,

इंकार नहीं किए लेकिन तुम्हारा मतलब साफ़ दिखाई दे रहा है,,,,( रीता चेयर को अपनी तरफ खींच कर उस पर बैठते हुए बोली,,,।)

देखो रीता मैं सच कहूं तो इस समय मेरे पास पैसे नहीं है इसलिए मैं तुम्हें समय नहीं दे सकता,,,,( अशोक साफ-साफ जता देना चाहता था कि उसकी अब उसे जरूरत नहीं है क्योंकि कुछ देर पहले ही फोन पर उसका दूसरा जुगाड़ जो कि उसकी खुद की बहन थी वह बन चुका था,,, इसलिए अब वह रीता से पीछा छुड़ाने के उद्देश्य से बोला,,,।)

पैसे नहीं है,, मुझसे तो झूठ बोलने की कोशिश तुम बिल्कुल मत करना क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि यह तुम्हारा बहाना है,,,,। मुझे पैसे चाहिए और आज ही चाहिए,,,,,
( रीता गुस्से में बोल रही थी और अशोक उसपर ध्यान दिए बिना ही फाइल चेक करने लगा वैसा जताना चाह रहा था कि उसकी बातों का उस पर कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा है।)

अशोक,,,,( गुस्से में उसके हाथों से फाइल छीनते हुए,,) मैं तुमसे कुछ कह रही हूं और तुम हो कि मेरी बात पर ध्यान दिए बिना ही अपना काम कर रहे हो मैं तुम्हें पागल दिखती हूं क्या,,,, पैसे देते हो या नहीं इतना मुझे साफ-साफ बता दो,,

( रीता कि यह बात अशोक को धमकी भरी लगी इसलिए उसे गुस्सा आ गया और वह गुस्से में बोला,,,।)

रीता मैं तुम्हें एक फूटी कौड़ी नहीं दूंगा तुम अच्छी तरह से जानती हूं कि मैंने तुम्हारे ऊपर पैसों की बारिश कर दिया हूं तुम्हें क्या नहीं दिलाया फ्लैट गाड़ी ऐसो राम की सारी चीजें,,, लेकिन तुम्हारी लालच बढ़ती जा रही है इसलिए मैं अब तुम्हें एक रुपया नहीं देने वाला,,,,

तो तुम मुझे मुफ्त का नहीं देते आ रहे हो,,, उसके बदले में तुमने मेरा इस्तेमाल किए हो तुम्हारा बिस्तर गर्म करती आ रही हूं तब तुम जाकर मुझे बिस्तर गर्म करने के एवज में पैसे दीए हो,,,, यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानते हो और मैं भी कि तुम्हारी बीवी बिल्कुल ठंडी है जिसके साथ तुम्हें सोने में मजा नहीं आता इसके लिए तुम मेरे पहलू में आकर गर्माहट लेते आ रहे हो,,,,, मैं हूं तो तुम्हारी इज्जत बची हुई है वरना ना जाने किसी कॉल गर्ल के साथ मुंह मारते फिरते,,,

तो तुम भी एक कॉल गर्ल की ही तरह हो,,, जिसका काम है पैसे लेकर बिस्तर गर्म करना और अब तक तुम भी यही करती आई हो,, और इसके बदले में मैंने तुम्हारी सोच से भी ज्यादा धन दौलत तुम पर लुटा चुका हूं,,, लेकिन अब तुम्हारा काम खत्म हुआ और तुम जा सकतीे हो,,,,।
( अशोक का यह बे रूखापन देखकर और अपने लिए उसके मुंह से कॉल गर्ल की थी उपमा को सुनकर रीता अंदर ही अंदर झुलस गई उसके गुस्से का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया,,, वह चिल्लाते हुए बोली,,,,।)

अशोक इतना जरूर याद रखना कि जब एक औरत किसी मर्द के लिए अपनी टांगों को खोल सकती हैं तो वक्त आने पर उसकी टांगों के बीच लात भी मार सकती है तुमने जो मेरा आज अपमान किए हो इसका बदला तो मैं तुम से लेकर रहुंगी,,, और अपने पैसे भी तुम से लेकर रहूंगी तुम मुझे अभी ठीक से समझ नहीं पाई मैं तुम्हारी विवाहित जिंदगी में आग लगा दूंगी,,,,

तुझे जो करना है कर लेना मैं तेरी धमकियों से डरने वाला नहीं हूं गेट आउट,,,,,

तेरे जैसा दोगला इंसान मैंने आज तक नहीं देखी,,,, अपनी भोल़ी भाली बीबी को इतना बड़ा धोखा दे रहा है,,, मैं तुझे सिर्फ 2 दिन का समय देती हूं इन 2 दिनों में तो मुझे 1000000 रूपया देकर मुझे हमेशा के लिए भूल जाओ और मैं भी तुझे हमेशा के लिए भूल जाओगी लेकिन तूने अगर इन 2 दिनों में मुझे 1000000 रुपए नहीं दिए,,,, तो मै तेरी जिंदगी उजाड़ कर रख दूंगी,,, तूने जो मेरे साथ अब तक रंगरेलिया मनाया है वह सारी कहानियां मैं तेरी बीवी कोे सुना दूंगी,,,, और तेरे और मेरे बीच में जिस्मानी तालुकात को बताते हुए तेरी बीबी से मुझे बिल्कुल भी शर्म नहीं आएगी क्योंकि तू ही मुझे कॉल गर्ल बोल रहा है तो अब तू देखना यह कॉल गर्ल क्या करती है,,,,,,।
( इतना कहने के साथ ही वह चेयर पर से उठी और पैर पटकते हुए ऑफिस का दरवाजा जोर से खोल कर बाहर जाते हुए उसे बड़ी तेजी से बंद कर दी,,, अशोक उसे जाते हुए देखता रह गया उसकी आखिर में दी हुई धमकी सेवा थोड़ा घबरा गया लेकिन यह सोचकर वह शांत हो गया कि भला एक औरत अपने नाजायज रिश्ते को किसी औरत को कैसे बता सकती है ईसलिए वाह शांत हो गया और अपने ऑफिस का काम करने लगा,,,,

निर्मला के साथ साथ उसकी सहअध्यापिका शीतल भी पूरी तरह से शुभम की दीवानी हो चुकी थी,,,, शीतल शुभम के मर्दाना ताकत को अपने जिस्म में महसूस करना चाहती थी वह उसकी मर्दानगी को अपनी आंखों से साक्षात दर्शन करना चाहती थी,,,, क्योंकि वह पैंट के ऊपर से तो उसके मुसल जैसे लंड को पकड़कर,, उसके मोटे पन और उसकी मजबूती का जायजा ले चुकी थी इसलिए वह उसका साक्षात दर्शन करने के लिए तड़प रही थी,,,, इतनी बोल्ड औरत होने के बावजूद भी उसने अभी तक अपने पति के लंड के सिवा किसी और के लंड के दर्शन नहीं किए थे,,,, हालांकि इच्छा तो उसकी बहुत होती थी पर वह अपने कदम को उस दिशा की तरफ आगे बढ़ाने में हिचकिचाती थी क्योंकि इसमें बदनामी का भी डर का लेकिन जब से उसकी मुलाकात शुभम से हुई थी तब से उसके अंदर का डर कुछ हद तक खत्म हो चुकी थी और वह शुभम के लंड को देखने के लिए उसे हाथों में लेकर उसी गर्माहट को महसूस करने के लिए उसे हीलाने के लिए,,, और उस मजबूत लंड को अपने बुर की गहराई में उतार कर अपने पतिव्रता सिद्धांत को दूर करने के लिए तड़प रही थी,,,,,

स्कूल में रिशेष हो चुकी थी,, निर्मला को रिपोर्ट तैयार करने के लिए इसलिए वह क्लास में ही बैठकर अपना रिपोर्ट तैयार कर रही थी लेकिन शीतल की हालत पल पल खराब हो जा रही थी वह तो बस मौका ढूंढती थी बस शुभम से मिलने के लिए,,,, क्लास में बैठ कर दरवाजे से बाहर जागती हुई शुभम के देख जाने का इंतजार कर रही थी लेकिन जहां तक उसको उम्मीद थी कि शुभम उसे नजर नहीं आने वाला है क्योंकि वह इस समय अपनी मां के साथ उसकी क्लास में लंच कर रहा होता है,,,, लेकिन शीतल की किस्मत बहुत तेज थी उसे शुभम उसकी क्लास से बाहर जाता हुआ नजर आ ही गया,,,, उसे देखते ही वह तुरंत उसे आवाज़ लगाई,,,

शुभम,,,,, शुभम,,,,,,,,,( वहां दो बार उसका नाम पुकारी ही थी कि शुभम आगे कदम बढ़ा गया,,, चेहरे पर आई प्रसन्नता के भाव क्षण भर में ही उदासी में बदल गए लेकिन तभी शुभम दो कदम पीछे चलकर कनखियों से शीतल की तरफ देखने लगा और देखते हुए बोला,,,,।

आपने मुझे आवाज दी मैडम,,,,
( दोबारा शुभम को आवास के बाहर आया हुआ देखकर शीतल के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव फिर लौट आएं और वह चहकती हुई बोली,,,,।)

हां हां,,,,,,, शुभम,,,, आओ मैं तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,,


मेरा इंतजार लेकिन क्यों मैडम,,,, (इतना कहते हुए वह क्लास में प्रवेश किया)

शुभम मैं तुमसे पहले भी कह चुकी हूं कि सबके सामने मुझे भले ही मैडम कहां करो लेकिन अकेले में तुम मुझे सिर्फ शीतल बुलाया करो,,,,
( इतना सुनकर शुभम के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और वह मुस्कुराते हुए बोला,,,।)

ठीक है मैडम,,,, मेरा मतलब है की शीतल,,,,
( शुभम के मुंह से यह बात सुनकर शीतल मुस्कुरा दी,,।)

लेकिन शीतल तुम मुझे,,,,,, मतलब है कि मेरा इंतजार कर रही थी लेकिन क्यों,,,,?
04-01-2020, 03:00 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अरे बताती हु थोड़ा रुको तो तुम तो एक साथ सब कुछ पूछ डाल रहे हो,,,, ( इतना कहते हुए कि शीतल दरवाजे की तरफ बढ़ी,,, और दरवाजे के दोनों पल्लो को हल्कें से बंद करते हुए बोली,,,,।) देखो शुभम मुझे यह तो नहीं समझ में आ रहा है कि यह बात तुमसे कहना चाहिए कि नहीं लेकिन जब तक तुमसे कह नहीं लूंगी तब तक शायद मेरे दिल को तसल्ली नहीं मिल पाएगी,,,,,
( जिस समय शीतल दरवाजे के दोनों पल्लो को बंद करने के लिए हल्के हल्के कदम बढ़ा रही थी उसी समय शुभम की नजरें शीतल के संपूर्ण बदन पर ऊपर से नीचे तक चक्कर काट रही थी,,, खास करके शुभम की नजरों का निशाना शीतल की मटकती हुई गांड पर टिकी हुई थी जो कि चलने की वजह से उसके नितंबों के दोनों फांतों के बीच अजीब सी थिऱकन हो रही थी,,, शीतल की गांड भी बेहद बड़ी और गोल गोल की जिसको नजर भर कर देखने मात्र से ही लंड से पानी निकलने की गुंजाइश बनी रहती है। यही हाल शुभम का भी हो रहा था वह एक टक शीतल की बड़ी बड़ी गांड को देख रहा था,,,, और जैसे ही शीतल दरवाजे को थोड़ा सा बंद करके गुमी हुई थी कि उसकी नजर शुभम की नजरों को पकड़ ली थी और वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि शुभम उसकी बड़ी बड़ी गांड को भी देख रहा था और यह समझते ही उसके चेहरे पर मुस्कान फैल़ गई,,, शीतल को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर शुभम हड़ बढ़ाते हुए बोला,,,।)

शशशश,,, शीतल मेम,, आप जो भी,, कहना चाहती हो बोल दो,,,

मैं बोल तो दूं लेकिन मुझे डर है,,,

डर,,, किस बात का डर,,,,

यही कि तूम मेरी बात मान कर मेरे दिल को तसल्ली दे पाओगे कि नहीं,,,,

मैडम आपके मन में जो भी है वह बोल दो मैं जरूर जैसा आप चाहती हो वैसा ही करूंगा,,,,,
( शुभम के मन में गुदगुदी हो रही थी क्योंकि वह जानता था कि शीतल कुछ इस तरह का ही बात करने वाली है,,,,, इसलिए उसके पैंट के आगे वाला भाग उठने लगा था,,, जिस पर शीतल की नजर पड़ते ही उसकी बुर में गुदगुदी होने लगी,, शुभम की बातें सुनकर उसे थोड़ी हिम्मत मिल रही थी,,, शीतल बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,, ।)

शुभम या तो तुम अच्छी तरह से जानते हो कि उस दिन स्कूटी पर अनजाने में ही मैंने तुम्हारा वो पकड़ ली थी,,,,

क्या मैडम मेरा मतलब है कि शीतल,,, ( शुभम सब कुछ जानते हुए भी तपाक से बोला,,,,)

तुम अच्छी तरह से जानते हो शुभम में किस बारे में बात कर रही हुं,,, इसलिए मैं तुमसे कोई भी बात घुमा फिराकर नहीं कहना चाहती जो बात है मैं तुमसे साफ-साफ कह देना चाहती हूं क्योंकि वैसे भी तुम को मैं पसंद करती हूं,,,,
( सीतल की यह बात सुनकर सुबह मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रहा था,,,,।)


देखो शुभम उस दिन स्कूटी पर अनजाने में ही मैं पीछे की तरफ हाथ ले जाकर के,,, पैंट के ऊपर से ही तुम्हारे लंड को पकड़ लीे थी,,,

यह क्या कह रही हो मैडम मुझे उस बात के लिए बेहद शर्मिंदगी महसूस हो रही है,,,,। ( शुभम जानबूझ कर शर्मिंदा होने का नाटक करते हुए बोला।)

नहीं नहीं सुबह तुम्हें उस बात के लिए शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं है,,,,, बल्कि वह तो मेरा सौभाग्य था कि मेरे हाथों में तुम्हारा लंड आ गया,,,, ( शीतल इतना कहते हुए टेबल पर इस तरह से झुक गई कि,,,, उसकी बड़ी बड़ी गांड साड़ी में कैद होने के बावजूद भी बड़ी बारीकी से और बड़ी ही सफाई से शुभम को उसके आकार का पूरी तरह से पता चलते हुए दिखाई दे रहा था वह जिसको देखकर सुभम बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,, क्योंकि शीतल में जानबूझकर अपनी मदमस्त गांड को शुभम की तरफ की हुई थी,,,।)

सौभाग्य,,,,, कैसा सौभाग्य मैडम,,,,,
04-01-2020, 03:00 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम तू औरतों के मन की बात को समझने के लिए अभी छोटा है लेकिन यह भी अच्छी तरह से जानती हूं कि,, भले ही तू औरतों को समझने के लिए अभी छोटा है लेकिन औरतों के लिए तेरा हथियार बहुत बड़ा है,,, तू शायद नहीं जानता की औरत को जिंदगी में उसकी प्यास बुझाने के लिए बड़े लंड की कामना होती है लेकिन ऐसा लंड सब के नसीब में नहीं होता उस दिन जब अनजाने में तेरा लंड मेरे हाथ में आया तभी मैं उसकी मजबूती और उसके आकार को लेकर के उत्तेजित हूं और बेहद उत्साहित भी हूं,,,,( शीतल अपनी इस बात का शुभम पर क्या प्रभाव पड़ता है यह देखने के लिए वह अपनी नजरों को शुभम की तरफ घुमाई तो शुभम अभी भी उसकी मदमस्त गा को ही देख रहा था,,,, यह देखकर पीतल के चेहरे पर फिर से मुस्कान फैल गई,,,,
और वहां शुभम के चेहरे के हाव भाव को पढ़ते हुए बोली,,,,।

मैं जानती हूं शुभम कि मेरे मुंह से इस तरह की अश्लील बातों को सुनकर तुम्हे बड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन टीचर होने से पहले मैं एक औरत हूं,,,, और हम औरतों की किस्मत में,,,, शायद ही तेरे जैसा लंबा लंड हो ज्यादातर तो ऐसा नहीं होता और मेरी किस्मत में भी शायद नहीं है इसलिए तो जब मैं पेंट के ऊपर से ही,,,, मेरे लंड को पकड़कर उसे महसूस की तब से मैं तेरे लंड के दीदार को तरस रही हूं,,,,,,, लेकिन यह बात तुझसे कहने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन जब तक तुझसे कहती भी नहीं तब तक मुझसे रहा भी नहीं जाता और आज मौका देखकर तुझसे मैं यह बात कर रही हुं।
( शीतल की ऐसी मस्ती भरी बातें सुनकर शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसके चेहरे का रंग लाल होने लगा था और उत्तेजना की वजह से उसके पैंट में पूरी तरह से तंबू बन चुका था जिसे देखकर शीतल की बुर में कुलबुलाहट हो रही थी,,,,,। शुभम प्यासी नजरों से शीतल की तरफ देखते हुए बोला,,,।

लेकिन मैडम जो कुछ भी हुआ वह अनजाने नहीं हुआ उसमें मेरी कोई गलती नहीं है और मैं इसमें कर भी क्या सकता हूं,,,


तुम सब कुछ कर सकते हो इसलिए तो मैं तुम्हें यहां बुलाई हूं।।।।

लेकिन मैडम में,,,,,,,,
( शुभम कुछ और बोल पाता इससे पहले ही वह उसकी बात को बीच में काटते हुए बोली,,,।)

शुभम तुम सब कुछ कर सकते हो,,( इतना कहने के साथ ही वहां शुभम की तरफ घूम गई क्योंकि वह अच्छी तरह से जान गई थी कि शुभम के लिए उसके नितंब दर्शन काफी हो चुका था अब उसके स्तन दर्शन की बारी थी,,,, और शीतल ने शुभम को अपने स्तन दर्शन कराने के लिए बात बाद में ही अपने नितंबों के दर्शन कराते हुए ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खोल चुकी थी,,,, और जैसे ही वह शुभम की तरफ घूमी थी शुभम की प्यासी नजरों की दो उसके छातियों की दोनों गोलाई पर जाकर अटक गई थी,,,, और शुभम की आंखें आश्चर्य के फटी की फटी रह गई थी क्योंकि जो उसने देखा था उसकी उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी ऊपर के ब्लाउज के दोनों बटन खुले हुए थे जिसमें से उसकी आधी से भी ज्यादा चुचीया बाहर को छलक रही थी,,,,, वह आंख फाड़े बस चूचियों को ही देखे जा रहा था,,,, शीतल का चलाया तीर ठीक निशाने पर लगने की वजह से वह बहुत प्रसन्न हो रही थी,,,, वह और ज्यादा अपने सीने को थोड़ा सा उठा कर बोली,,,

शुभम तुम मेरे लिए मेरे मन की इच्छा पूरी करोगे ना,,,

लेकिन मैडम मैं क्या कर सकता हूं,,,,( वह शीतल की चुचीयो की तरफ प्यासी नजरों से देखता हुआ बोला,,,,।)

तुम सब कुछ कर,,,,( इतना कहने के बाद भी शीतल जानबूझकर नीचे पेन गिरा दी,।) ओहहहहह,,, ( इतना कहने के साथ ही वह पेन उठाने के लिए नीचे झूकी,, और जैसे ही वह नीचे झुकी उसकी बड़ी बड़ी भारी भरकम चूचियों का वजन बाकी बचे बटन नहीं झेल पाए,,, और दोनों चूचियां छलक कर ब्लाउज से बाहर आ गए,,,,, शुभम की चौकन्नी आंखें यह नजारा बड़ी बारीकी से अपने जेहन में कैद करती चली जा रही थी,,,, शीतल मुझे अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी दोनों सोच लिया उसके ब्लाउज से बाहर आ गई लेकिन फिर भी वहां शुभम की नजरों से बचा कर अपनी चुचियों को ब्लाउज में वापस डालने की बजाय,,, सीधी खड़ी हो गई और जानबूझकर इस बात का एहसास कराते हुए कि उसे इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं था कि उसकी चूचियां ब्लाऊज के बाहर आ गईे हैं और वह बोली,,,,।

आऊच्च,,,,,, यह क्या हुआ ( इतना कहने के साथ ही वह चार-पांच सेकेंड तक यूं ही खड़ी रही ताकि शुभम नजर भर कर की नंगी जवानी जो की चुचियों से साफ नजर आ रही थी उसे देख सकें,,,, और उसके सोचने के मुताबिक ही हो रहा था,,, शुभम मदहोश होकर उसकी चूचियों कोई देखे जा रहा था जो कि ब्लाऊज से बाहर किसी पके हुए आम के बड़े-बड़े फल की तरह नजर आ रही थी,,, उसके जी मैं तो आ रहा था कि वह दोनों आम को पकड़कर मुंह में भरकर चूस डाले लेकिन वह अपने आप पर संयम रखे हुए था,।

यह चुचिया भी ना देख नहीं रहा है कितनी बड़ी बड़ी हो गई है,,,( एक हाथ से चूची को पकड़कर लगभग शुभम की तरफ दिखाते हुए,,,) अच्छा हुआ कि इनके भार से मेरे ब्लाउज के बटन नहीं टूटे वरना आज कैसे घर जा पाती,,,,

आपको अच्छे से बटन लगाना चाहिए था,,,( शुभम उत्तेजना की वजह से लगभग कांपते स्वर में बोला,,,)

अरे ठीक से ही लगाई थी इस उम्र में यह चूचियां भी बेलगाम हो जाती है चाहे जितना भी कस कर पकड़ने की कोशिश करो इधर-उधर छटक ही जाती है,,,,,,( इतना कहने के साथ ही शीतल अपनी दोनो चुचियों को बारी-बारी से पकड़कर ब्लाउज में डालते हुए ब्लाउज के बटन लगाते हुए बोली,,,,)

शुभम मैं एक गलती की वजह से माफी चाहुंगी,,,, पता नहीं तुम मेरे बारे में क्या सोच रहे होंओगे,,,,( शीतल इस गलती से अनजान बनते हुए बोली लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी कि नितंब दर्शन के बाद बहुत ही अच्छी तरह से उसने अपने स्तन दर्शन भी शुभम को करा चुकी थी,,,, उसे शुभम के पेंट में बना तंबू देखकर इस बात का एहसास होने लगा कि कहीं उसी जवानी के थर्मामीटर का पारा पिघलना जाए इसलिए ऐन मौके पर वह अपनी चुचियों को ब्लाउज में कैद कर चुकी थी,,,, लेकिन वह यह बात को भी अच्छी तरह से जानती थी की उसके दोनों अंगों के दर्शन की वजह से उसने अपनी जवानी का जादु पूरी तरह से शुभम के ऊपर चला चुकी थी,,, शुभम पूरी तरह से,,,, उसकी जवानी के आगोश में सम्मोहित हो चुका था,,, शुभम मदहोश होते हुए बोला,,।

नहीं मैडम मैं तुम्हारे बारे में कुछ भी गलत नहीं सोच रहा हूं यह तो अनजाने मे हीं हो गया,,, अच्छा तो मैं अब जाऊं,,,,

लेकिन तुमने मेरी इच्छा ही कहां पूरी कीए हो जो जा रहे हो,,,,


कैसी इच्छा,,,,,


मैं तुम्हारे लंड को देखना चाहती हूं उसके साछात दर्शन करना चाहती हो मैं देखना चाहती हूं कि तुम्हारे लंड की मोटाई और लंबाई किस कदर तक औरत की बुर में हलचल मचा सकती है,,,,( शीतल जानती थी कि रिषेश पूरी होने वाली है इसलिए साफ-साफ बोल दी,,,,।)

लेकिन मैडम इधर,,,,

( शुभम के मुंह से इधर शब्द सुनकर शीतल समझ गई कि शुभम भी पूरी तरह से तैयार हो चुका है अपने लंड के दर्शन कराने के लिए बस थोड़ा सा झिझक रहा है,,, इसलिए वह उसकी झिझक दूर करते हुए बोली,,,।)

कोई बात नहीं सुभम ईधर तुम्हें किसी बात की डर नहीं है जब तक रिशेश की घंटी नहीं लग जाती तब तक कोई भी कमरे में नहीं आ सकता यह मेरी सख्त हिदायत है सभी विद्यार्थियों के लिए,,,
04-01-2020, 03:00 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
लेकिन मैडम मुझे,,,,,

तुम बिल्कुल भी मत घबराओ देखो मुझे भी पता है कि तुम्हें यह सब अच्छा लग रहा है वरना पेंट में तुम्हारा लंड पूरी तरह से खड़ा नहीं होता,,,,

( शुभम भी अब बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहता था वह भी चाहता था कि जल्द से जल्द शीतल उसके हथियार को देखकर उसकी मर्दाना ताकत का जायजा ले ले ताकि जितना देखने के लिए बेताब है उसे अपनी बुर मे लेने के लिए तड़प उठे,,, इसलिए वह जानबूझकर करने का नाटक करते हुए धीरे-धीरे कांपते हाथों से अपने पेंट की बटन खोलने लगा और यह देख कर शीतल की सांसे ऊपर नीचे होने लगी वह दो कदम और आगे बढ़कर शुभम के बिल्कुल करीब खड़ी हो गई,,,, पल पल उत्तेजना का माहौल बढ़ते जा रहा था दोनों के बदन में ऊन्माद अपनी चरम सीमा पर थी,,, शीत शुभम की पेंट पर ही टिकी हुई थी जैसे-जैसे वह पेंट के बटन को खोलते जा रहा था वैसे शीतल की सांसे और तेज गति से चलती जा रही थी

शीतल से रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द शुभम के लंड के दर्शन करना चाहती थी,,,,वह तंबु को देखकर इस बात का अंदाजा लगा चुकी थी कि शुभम का लंड आम लंड से कहीं ज्यादा गुना ताकतवर है,,,,। अगले ही पल शुभम पेंट के बटन को खोल कर पेंट को नीचे की तरफ सरका दिया अंडरवियर में उसका आकार साफ साफ नजर आ रहा था लेकिन अब शीतल पर सब्र करना बिल्कुल भी कठिन हो चुका था इसलिए वह आगे बढ़कर अपने ही हाथों से शुभम के अंडरवियर को एक झटके में नीचे जांगो तक सरकादी,,,

अंडरवियर के नीचे आते ही क्यों नजारा शीतल की आंखों के सामने आया उसे देखकर शीतल के होश उड़ गए उसकी सांसे अटक गई और उसका गला सूखने लगा,,,,, क्योंकि आज तक उसने ऐसा नजारा कभी नहीं देखा था,,,, यह नजारा पीतल की कल्पना के परे था और उसकी आंखें जो कुछ देख रही थी उसका दिमाग यह मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था कि एक जवान होते लड़के का लंड इतना मजबूत और इतना लंबा मोटा हो सकता है,,,,। उत्तेजना की कोई सीमा नहीं होती ना तो उस पर किसी का बस नहीं चलता है ना ही वह किसी के पाबंद की गुलाम है,,, इस बात को साबित करते हुए शीतल की बुर से मदन रस की दो चार बूंदे टपक पड़ी,,, जो कि इस बात का सबूत था कि शुभम के लंड को देखकर शीतल उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी,,, अंडरवियर को एक झटके से नीचे की तरफ खींचने की वजह से लंड में लहरपन आ गया था जिसकी वजह से शुभम का लंड दो तीन बार झटके खाते हुए ऊपर से नीचे की तरफ नजर आने लगा लेकिन उसका लंड इतना ज्यादा कड़क और टाइट था की इससे ज्यादा लहरा ही नहीं सका,, बस एकदम मुंह उठाए छत की तरफ देख रहा था,,,,
शीतल ने लंड ईतना ज्यादा कड़कपन कभी नहीं देखी थी,,
शीतल पूरी तरह से शुभम के लंड को देखकर एकदम सम्मोहित हो चुकी थी,,,,, तभी शुभम ने शीतल की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए लंड को अपने हाथ में लेकर उसे जोर-जोर से ऊपर से नीचे की तरफ हीलाने लगा,,,, शुभम की इस हरकत की वजह से और हवा में लहराते हुए लंड को देख कर शीतल की हालत पूरी तरह से खराब हो गई,,,, वह शुभम के मोटे लंड को अपने हाथ में लेकर उसकी गर्माहट को महसूस करना चाहती थी उसकी मोटाई को अपनी हथेली में महसूस करके यह अंदाजा लगाना चाहती थी कि यह लैंड उसकी बूर की दीवारों को कितना चौड़ा कर सकता हैं,,,,। इसलिए वहां शुभम के लंड को पकड़ना चाहती थी उत्तेजना के मारे उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी साथ ही उसकी पेंटी भी पानी पानी हो चुकी थी,,, शीतल अपनी अभिलाषा को पूरी करने के लिए उसे पकड़ने के लिए अपना हाथ आगे की तरफ बढ़ा रही थी शुभम को भी इसी पल का इंतजार था वह भी चाहता था कि शीतल अपने नरम नरम हाथों में उसके लंड को पकड़े,,, नाजुक नाजुक उंगलियों से उसे सहलाए,,,, और यही करने के लिए अपना हाथ लंड की तरफ बढ़ा ही रही थी कि,,,, तभी रीशेष पूरी होने की घंटी बज गई,,, घंटी की आवाज सुनकर शुभम को बहुत गुस्सा आया,,,, शीतल भी रिशेष पूरी होने की घंटी की आवाज सुनकर मायूस हो गई,,,,, शुभम के लिए अब वहां इस हालत में ज्यादा देर तक खड़े रहना उचित नहीं था क्योंकि किसी भी समय कोई भी क्लास में आ सकता था बहुत जल्दी से पेंट को ऊपर चढ़ाया और बटन बंद करके,,, शीतल से बिना कुछ बोले क्लास के बाहर चला गया।
04-01-2020, 03:00 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
सुभम फिर से अपनी क्लास में चला गया था लेकिन जाते-जाते शीतल की तड़प को और ज्यादा बढ़ा गया था। शीतल कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि किसी का लंड इतना दमदार और तगड़ा हो सकता है उस दिन स्कूटी के पीछे बैठे शुभम के सिलेंडर को पेंट के ऊपर चाहिए अनजाने में पकड़ लेने से ही शीतल को इस बात का आभास हो गया था कि पैंट में छुपा हुआ शुभम का हथियार सामान्य तौर पर होता है वैसा नहीं है। इसलिए उसे देखने की इच्छा उसके मन में प्रबल हो चुकी थी अपनी ईच्छा को वह आखरी ओप देने के लिए अपनी क्लास में बुलाकर उसे अपना लंड दिखाने को बोला बस यही इच्छा शुभम अपनी पेंट उतार कर पूरी कर सका, जबकि शीतल की इच्छा बहुत कुछ करने की थी लेकिन क्लास में और वह भी रितेश के समय वह अपना मन भर कर अपनी इच्छा को पूरी नहीं कर सकती थी लेकिन इस दौरान जो नजारा उसकी आंखों के सामने पेश आया था उस नज़ारे ने पीतल के तन-बदन में काम की ज्वाला को पूरी तरह से भड़का दिया था। शीतल का गला उत्तेजना की वजह से पूरी तरह से सूख गया था मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि उसने जो देखी है वास्तव में हकीकत है लेकिन यह झूठ लाया भी नहीं जा सकता था क्योंकि,,, जो उसने देखी थी वह अपनी खुली आंखों से देखी थी। सही मायने में औरत की संतुष्टि के लिए इसी तरह के लंड की जरूरत होती है, लेकिन यह आमतौर पर संभव नहीं हो पाता कुछ लोगों के ही नसीब में इस तरह का दमदार लंड लिखा होता है,,, जिससे वह अपनी बुर को पिघला कर आत्म संतुष्टि प्राप्त करतीे हैं। शीतल की आंखों के सामने अभी भी शुभम का लंबा मोटा लंड हिलता हुआ नजर आ रहा था जिसकी वजह से उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और वह अपनी गीली पेंटी के कारण अपने आप को असहज महसूस कर रही थी। क्लास में बच्चों को पढ़ाने में उसका मन अब बिल्कुल भी नहीं लग रहा था। शुभम के लंड को देखने के बाद उसे इस बात का पूरी तरह से एहसास हो गया कि उसकी रातें अब तक बेस्वाद ही गुजर रही है। उसकी आंखें इस समय कुछ और देखने को तैयार ही नहीं थी पूरी क्लास विद्यार्थियों से भरी पड़ी थी लेकिन उसे ऐसा लग रहा था कि बेंच पर बैठा हुआ हर विद्यार्थी शुभम ही है। बार बार टन टनाए हुए लंड पर ऊपसी हुई नसें उसकी बुर्के अंदरूनी नसों को संकुचित कर दे रही थी जिसकी वजह से उसे अपने बदन में उत्तेजना का भर पूर अनुभव हो रहा था। वह उसके लंड को अपने हाथ से पकड़ नहीं पाई उसकी उपसी हुई नसों को अपनी उंगलियों से स्पर्श नहीं कर पाई, और ना ही उसके कठोरपन को अपनी मुट्ठी में भरकर उस की गर्माहट को महसूस कर पाई। शुभम कैलेंडर की आंखों के सामने होने के बावजूद भी वह अपनी ईन इच्छाओं को पूरी ना कर सकने की वजह से अपने आप को कोस रही थी वह अपना मन मसोसकर रह गई,,,। लेकिन उसे इस बात की बेहद खुशी थी कि क्लास के अंदर जो कुछ भी हो रहा था वह उसके कहने पर ही हो रहा था। शुभम का लंड यूं ही अपने आप नहीं खड़ा हो गया था। मर्दों की उत्तेजना के पीछे नारी की देह रचना उसकी बनावट और नारी की मस्ती भरी बातों का बहुत बड़ा कारण होता है और इन सब बातों पर गौर करते ही मर्द पल भर में उत्तेजना का अनुभव करने लगता है और तुरंत उसका लंड ऊत्थान की स्थिति में आ जाता है। और मर्दों में आए इन सब बदलाव को देख कर अंदाजा लगाना एकदम सरल हो जाता है कि मर्द इस समय एकदम से चुदवासा हो चुका है। और उसके मन में नारी देह को भोगने की लालसा प्रबल हो चुकी है और यहीं से बदलाव क्लास के अंदर शुभम के बदन में भी पूरी तरह से देखने को मिल रहा था। और इसी बात को लेकर शीतल बेहद खुश और उत्साहित थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके खूबसूरत मरोड़ दार अंग, उसकी भारी भरकम गोल गोल नितंब और उसकी नग्न चूचियों को देखकर ही शुभम क्लास में पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और इसी वजह से उसका लंड भीें पूरी तरह से खड़ा हो गया था। इस बात से शीतल पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी की शुभम भी उसके देह लालित्य का दीवाना हो चुका था, तभी तो वह जैसा बोल रही थी वैसा वह करते जा रहा था। इस खेल में ही शीतल इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और जिसकी वजह से उसकी पैंटी पूरी तरह से उसके मदन रस में भिगोकर पानी पानी हो चुकी थी, और तो और इस तरह का अनुभव और अपने बदन में उत्तेजना की लहर को पहली बार महसूस कर रही थी इस वजह से वह बेहद हैरान और आश्चर्य में थे लेकिन एक बात तो तय था,,, जब इस ऊपर में खेल में ही उसे इतनी ज्यादा आनंद और उत्तेजना काम तो हो रहा था तो जब वह शुभम के साथ संभोगरत होते हुए उसकी मजबूत तगड़े लंड को अपनी बुर की गहराई में उतारेगी,,, तब उसका क्या हाल होगा यही सोचकर उसके तन-बदन में सुरसुराहट मच जा रही थी।,,,
दूसरी तरफ आज क्लास में जो हुआ उसकी वजह से शुभम बेहद उत्तेजित था। क्लास में उसका भी मन नहीं लग रहा था जिस तरह से शीतल बेंच पर झुककर साड़ी के ऊपर से ही अपनी भरावदा़र भारी भरकम धार के दर्शन करा रही थी उसे देखकर शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। जो कुछ ी क्लास में हो रहा था इतना तो वह समझ गया था कि वह अनजाने में तो बिल्कुल भी नहीं हो रहा था। शीतल का यूं जानबूझकर बैंच. पर झुक कर अपने नितंबों का दर्शन कराना,,, जानबूझकर अपने ब्लाउज के बटन खोलना और तो और यह जानते हुए भी कि झुकने की वजह से उसकी चूचियां बाहर आ जाएंगी,, फिर भी झुककर स्तन दर्शन कराना,,, और जानबूझकर ही अपनी चुचियों को दिखाते हुए ब्लाउज में कैद करना,,, यह सब अनजाने में नहीं हुआ था यह सब सोची समझी साजिश थी। और शुभम इस साजिश की वजह से बेहद खुश था क्योंकि जिस तरह से वह शुभम के लंड को देखने के लिए उत्साहित थी सुगम को लगने लगा था कि उसकी जिंदगी में चोदने के लिए एक बेहद कमसिन बुर और मिलने वाली हैं। लेकिन कब मिलेगी कैसे मिलेगी कहां मिलेगी इस बारे में उसे कुछ भी नहीं पता था। सुबह इस बात से बेहद उत्साहित था कि आने वाला समय बेहद हसीन होने वाला है।

निर्मला अपने गांव जाने की तैयारी में जुटी हुई थी उसने अपने लिए और शुभम के लिए नए कपड़े की खरीदारी की थी । दो दिन उसे गांव जाने में रह गए थे। इस दौरान वहां रेलवे की टिकट के रिजर्वेशन के लिए बार-बार पूछताछ की लेकिन शादी का समय चल रहा था इसलिए रिजर्वेशन मिलना बेहद मुश्किल था आखिरकार प्रिजर्वेशन ना मिलने की उम्मीद में वह अपनी कार से ही गांव जाने का फैसला कर ली। 2 दिन बाद उसे गांव के लिए निकलना था लेकिन उसे गांव जाना है उसके भाई की शादी है इस बारे में उसने अभी तक अशोक को कुछ भी नहीं बताई थी। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि अशोक उसके साथ गांव जाने वाला नहीं है वह अपने काम में ही हमेशा मस्त रहता है। लेकिन फिर भी उसे एक बार छोटे भाई की शादी की ईत्तला कर देना बेहद जरूरी था।
एक दिन वह ऑफिस के लिए निकल ही रहा था की अचानक उसकी मोबाइल की घंटी बजने लगी और उस समय निर्मला किचन में नाश्ता तैयार कर रही थी अशोक जब मोबाइल की स्क्रीन पर अपनी छोटी बहन मधु का नंबर देखा तो उत्साहित हो गया। और मोबाइल पर मधु से बातें करने लगा। मधु से यह पूछने के लिए फोन की थी कि उसे किस दिन आना है और अशोक ने उसे 2 दिन बाद आने के लिए बोल दिया। अशोक मधु का फोन कट करके मोबाइल जेब में रख ही रहा था कि किचन से निर्मला बाहर आते हुए बोली,,

सुनते हो मेरे छोटे भाई की शादी तय हो चुकी है और 2 दिन बाद हमें उसकी शादी में गांव जाना है अगर आप चलते तो बहुत अच्छा होता।( निर्मला उससे बेमन से पूछ रही थी क्योंकि वह भी यही चाहती थी कि वहं उसके साथ गांव ना जाए ताकि गांव में शुभम और निर्मला मौज मस्ती कर सकें,, और जेसा वह चाहती थी वैसा ही जवाब अशोक के मुंह से सुनकर निर्मला मन-ही-मन बेहद खुश होने लगी पहले तो वह निर्मला के मुंह से गांव जाने वाली बात सुनकर हैरान हो गया लेकिन तभी उसे एक बात का ख्याल आया कि 2 दिन बाद ही तो उसकी छोटी बहन मधु इधर आ रही है और ऐसे में अगर निर्मला और उसका बेटा शुभम गांव के लिए निकल जाएंगे तो उसके लिए कुछ दिन तक मधु के साथ खुलकर ऐश करने को मिल जाएगा और वैसे भी बहुत महीने गुजर गए थे वह किसी और के साथ शारीरिक संबंध बना कर मजा नहीं ले पाया था अपनी सेक्रेटरी रीता की चुदाई कर करके अब वह थक चुका था ऊससे उसका मन भर चुका था,,, उसी नई जवानी के फूल की तलाश रही थी कि तभी उसी झोली में उसकी ही छोटी बहन मधुआ गिरी जिसकी जवानी के रस को वह एक बार फिर से मुंह लगाकर पीना चाहता था और यही मौका उसके लिए सबसे सही भी था इसलिए वह निर्मला से बोला,,,।)


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