Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:04 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तो तू जा मुझे कार की विंडो में से अपनी साड़ी उठाकर पेशाब करते हुए देखा तो उसे कैसा लग रहा था।( निर्मला स्टेरिंग संभालते हुए और अपनी नजरों को सामने टीकाकर बोली।)


अरे कैसा क्या लग रहा था मेरा तो लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,जी मे आ रहा था कि मैं भी तुम्हारे पीछे खड़े होकर तुम्हारी बुर में लंड पेल दूं।,,,,


तो पेला क्यों नहीं?( निर्मला उत्सुकता के साथ बोली।)

अरे उस समय मैं ऐसा कैसे कर सकता था।


क्यों नहीं कर सकता था,,,,?

कोई अपनी मां को चोदता है क्या,,? और वैसे भी मुझे चोदना कहां आता था।

अगर तुझे चोदना आता तो क्या तू मुझसे पूछे बिना ही मुझे चोदने,, लगता,,,( निर्मला स्टेरिंग संभालते हुए शुभम की तरफ देखते हुए बोली)

नहीं शायद मैं ऐसा नहीं कर सकता हां लेकिन इच्छा तो मेरी बहुत हो रही थी।

ईससे पहले से ही बहुत इच्छा हो रही थी या उस समय रात के समय बारिश के माहौल में और मुझे पेशाब करते हुए देखकर तेरी इच्छा होने लगी थी,,,।


सच कहूं तो पहले से ही ऐसी इच्छा होती थी लेकिन उस समय कार में तुम्हें अपनी साड़ी उठाकर पेशाब करते हुए देखकर मेरा लंड फड़फड़ाने लगा था। सच अगर मुझे पता होता कि, तुम मुझसे चुदवाने के लिए तैयार हो तो मैं जरूर तुम्हारी इजाजत लिएे बिना ही चोदना शुरू कर देता,,,, लेकिन क्या तुम भी पहले से ही तैयार थी या कार में ही तुम्हारे मन में यह ख्याल आया,,,,,

( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि इस तरह की बातों में उसे बेहद मजा आ रहा था और सफर भी अपने आप कटते चला जा रहा था। अपने बेटे के साथ इस तरह की खुली चर्चा करने में उसे बेहद उत्तेजना का अनुभव हो रहा था। वह भी खुले तौर पर अपने बेटे के सवाल का जवाब देते हुए बोली ।)

पहले तो मेरे मन में ऐसा कुछ भी नहीं था लेकिन धीरे-धीरे जब मैं तेरे पेंट में बना तेरा तंबू देखती तो ना जाने मुझे क्या होने लगता था। तेरे पेंट में बने तंबू को देखकर मुझे इतना तो यकीन हो गया था कि तेरा लंड बहुत दमदार है और तब से मेरी बुर में ना जाने कैसी हलचल सी मचने लगी थी,,,,

( शुभम बड़े गौर से और मजे लेकर अपनी मां की बात सुन रहा था इस तरह की गरम बातें सुनकर उसके लंड में जान आ रही थी उसके पेट में फिर से तंबू बनना शुरू हो गया था।)
मैं शुरु से ही अपने आप पर बहुत कंट्रोल करती आ रही थी लेकिन मुझे लगता नहीं था कि मैं ज्यादा दिन तक अपने आप पर कंट्रोल कर पाऊंगी क्योंकि वैसे भी मेरा तन बदन पहले से ही प्यासा था। मेरी बुर पहले से ही एक मोटे तगड़े लंड के लिए तड़प रही थी लेकिन मैं यह बात किसी से कह नहीं पा रही थी। लेकिन उस रात को हाइवे के किनारे और घने पेड़ के नीचे बरसती बारिश में मेरे सब्र का बाद एक दम से टूट गया था,,, मैं जानबूझकर तुझे उकसाने के लिए विंडो से अपनी बुर दिखाते हुए पेशाब कर रही थी। क्योंकि मैं जानती थी कि तुम मुझे जब पेशाब करते हो इतनी नजदीक से मेरी बुर देखेगा तो तेरा मन एकदम से चुदवासा हो जाएगा,,,, मैं चाहती तो कार के बाहर जाकर भी पेशाब कर सकती थीै लेकिन उस रात को ना जाने मुझे क्या हो गया था मैं चुदवाने के लिए एकदम से तड़प उठी थी।,,, और जब तू भी पेशाब करने के लिए विंडो से अपने नंगे खड़े लंड को बाहर निकाल दो पेशाब करने लगा दो कुछ गरम नजारे को देखकर मेरे सब्र का बांध एकदम से टूट गया। मैं उसी समय फैसला करने की आज की रात में तेरे लंड का स्वाद चख कर रहूंगी,,, मैं उस समय एकदम से भूल गई कि तू मेरा बेटा है और मैं तेरी मां हूं उस पल में मां बेटे के संबंध को पूरी तरह से अपने दिमाग से निकाल चुकी थी बस मेरे दिमाग में यही था कि तु एक जवान मर्द है जिसके पास बहुत ही मोटा तगड़ा औरतों को संतुष्टि प्रदान करने वाला लंड है। और मैं प्यासी औरत हूं जिसके पास मर्दों को अपने बस में करने के लिए उसकी रसीली बुर है,,, जो की बहुत प्यासी है और उसे एक दमदार तगड़े लंड की जरूरत है,,।बस फिर क्या था मैं तेरा लंड को पकड़कर अपनी बुर पर रख दी और तू भी मां बेटे के रिश्ते को पूरी तरह से भुलकर अपने लंड को मेरी बुर के अंदर उतारता चला गया।,,,

( निर्मला को इस तरह की बातें करने मैं बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और सुभम की हालत ख़राब हुए जा रही थी उसका लंड पूरी तरह से तैयार हो चुका था।,,, उत्तेजना के मारे शुभम का गला सूख रहा था वह थुक से अपने गले को गीला करते हुए और पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए बोला।)

लेकिन तुम्हें कैसे मालूम था कि मैं तुम्हें चोदने के लिए तैयार हो जाऊंगा,,,,,


बेटा अपनी मां को देखकर लंड खड़ा हो जाए,,, और वह अपनी मां को पेशाब करते हुए बड़े ही कामुक नजरों से देखता हो,, तो कैसे पता नहीं चलेगा कि वह इशारा मिलने पर अपनी मां को चोदेगा नहीं देखा था ना तूने जैसे ही मैं तेरे लंड को पकड़कर अपनी बुर पर रखी थी,,, तू बिना रुके एकदम सांड की तरह एक ही रफ्तार में किस तरह से मेरी बुर के अंदर अपने लंड को धड़ाधड़ अंदर-बाहर कर रहा था।

( इतना कहने के साथ ही निर्मला हंसने लगी और साथ में शुभम भी हंसने लगा,,,, दोनों को बहुत मजा आ रहा था सफर धीरे-धीरे करता चला जा रहा था दोपहर हो चुकी थी 3:00 बज रहा था अब दोनों को भूख भी लगना शुरू हो गई थी,,,।
हाइवे के किनारे ढेर सारे ढाबे बने हुए थे निर्मला उसी एक ढाबे पर अपनी कार खड़ी कर दी खाना तो वह साथ में लाई गई थी लेकिन फिर भी वह एक ढाबे में गई जहां पर कुछ फैमिली और कुछ सवारियां बैठकर भोजन कर रहे थे। शुभम और निर्मला दोनों कुर्सी पर बैठकर खाने को मंगाए और साथ में घर से लाया भोजन भी निकाल कर बैठ गए थोड़ी ही देर में खाना खाने के बाद,,,, निर्मला और शुभम वहीं रुक कर बाकी सवारियों के साथ आराम करने लगी क्योंकि लगातार निर्मला चार-पांच घंटे से कार चला रही थी उसकी कमर दुखने लगी थी करीब आधे घंटे तक आराम करने के बाद वह निकलने के लिए उठी,,,, वह पहले तो इधर उधर देख कर लेडीज बाथरूम देखने लगी लेकिन उधर पर ऐसा कुछ भी सुविधा नहीं था उसे जोरों की पेशाब लगी थी,,। तभी उसकी नजर कुछ औरतों पर पड़ी जो की ढाबे के पीछे की तरफ से आ रही थी और जा रही थी उसे यकीन हो गया कि वह औरते भी शौच करने के लिए ही ढाबे के पीछे जा रही हैं, तो वह भी धीरे से उठी और पीछे की तरफ जाने लगी तो वहां पर सच में औरतें पेशाब करने के लिए ही जा रही थी यह जानकर के चेहरे पर सुकून के भाव नजर आने लगे क्योंकि उसे बहुत जोरों से पेशाब लगी थी। अपनी मां को पीछे की तरफ जाते देखकर शुभम समझ गया कि वह पेशाब करने जा रही है उसे भी पेशाब लगी थी लेकिन उस साइड से नहीं जा सकता था क्योंकि वह औरतें ही आ जा रहे थे इसलिए वह ढाबे के दूसरे तरफ से पीछे की तरफ जाने लगा,,,,, निर्मला ढाबे के पीछे की तरफ जाते समय उसकी नजर थोड़ी ही दूर पर गई तो वहां पर कुछ आदमी बैठे हुए थे जोकि औरतों को ही पेशाब करते हुए देखकर आपस में हंसी ठिठोली कर रहे थे एक बार तो निर्मला के मन में हुआ कि वह उधर पेशाब करने ना जाए,,, लेकिन वह ज्यादा देर तक पेशाब को रोक भी नहीं सकती थी इसलिए उसे जाना ही पड़ा वह जानती थी कि उन मर्दों की निगाहें उसके ऊपर ही टिकी हुई है क्योंकि मर्दों की नजर हमेशा गोरी चमड़ी पर कुछ ज्यादा ही फीसलती है। लेकिन निर्मला इसमें बिलकुल मजबूर हो चुकी थी क्योंकि पेशाब की तीव्रता कुछ ज्यादा ही थी और उसे पेशाब करना बहुत जरूरी था वैसे मैं वह अपने मन को मजबूर करके झाड़ियों के बीच पेशाब करने जाने लगी,, कभी उसके करीब से एक औरत पेशाब करने के लिए जाते हुए निर्मला से बोली,,,

देख रही हो बहन इतना बड़ा डाटा खोल रखा है लेकिन औरतों के लिए पेशाब करने के लिए एक छोटा सा बाथरूम नहीं बनवा रखा है।,,,

बनवा दिया होता तो औरतो को पेशाब करते हुए कहा देख पाता, इसीलिए तो उसने बनवाया नहीं ताकि आराम से औरतों की गांड को देख कर मजा ले सकें,,,,( निर्मला भी उस औरत के सुर में सुर मिलाते हुए बोली लेकिन उस औरत की वजह से उसमें थोड़ी हिम्मत आ गई थी और वह दोनों झाड़ियों के बीच पेशाब करने के लिए आगे बढ़ चली,,, वहां पहुंचते ही उस औरत ने तुरंत अपनी साड़ी को ऊपर कमर तक उठाइ और पेसाब करने बैठ गई उसे भी बड़े जोरों से पेशाब लगी हुई थी,,, उसे देखकर निर्मला भी अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,, दूसरी तरफ बैठ कर औरतों के पेसाब करने के नजारे को देखकर मदमस्त हो रहे मर्दों की आंखें जब निर्मला की गोरी गोरी टांगों पर पड़ी तो उनके होश उड़ गए,,,, वह लोग टकटकी बांधे बस निर्मला को ही देखे जा रहे थे निर्मला यह जान रही थी कि वह लोग उसे ही देख रहे हैं लेकिन वह उन लोगों की तरफ नहीं देखना चाहती थी वरना उन लोगों को ऐसा लगता है कि वह जानबूझकर उन लोगों को अपनी गांड का दर्शन करा रही है।

इसलिए वह भी बेझिझक उस औरत की तरह अपनी सारी को कमर तक उठा ली और पेंटी को जांघो तक. नीचे कर दी,,, और तुरंत नीचे बैठ कर पेशाब करने लगी उन मर्दों की तो होश ऊड़ गएे जब उन लोगों की नजर निर्मला की बड़ी-बड़ी और गोरी गांडशपर पड़ी,,, सभी के लंड एक साथ खड़े हो गए थे, इतनी ज्यादा उत्तेजना का असर ऊन लोगों में होना लाजिमी था,, क्योंकि उन लोगों ने अभी तक इतनी खूबसूरत औरत ना तो देखी थी और ना ही इतनी खूबसूरत औरत की नंगी गांड का कभी दर्शन किए थे। ऐसी खूबसूरत गांड को देखते देखते उन लोगों का पानी निकल जाने का डर बना हुआ था,,,, उनमें से ही एक ने अपने लंड को मसलते हुए बोली,,,

यार कसम से मैंने तो अपनी जिंदगी में ऐसी खूबसूरत औरत नहीं देखी और ना ही इतनी खूबसूरत गांड देखि है मेरे लंड का तो बुरा हाल हो गया है।,,,,,



तेरा ही नहीं हम लोगों का भी यही हाल हो रहा है कसम से ऐसी औरत मिल जाए तो,, रात भर इसकी बुर में लंड डालकर पड़े रहे,,,,

( निर्मला की मस्त मस्त गांड के दर्शन करके यह लोग मस्त हुए जा रहे थे और आपस में ख्याली पुलाव पका रहे थे दूसरी तरफ से शुभम झाड़ियों के पास पहुंच गया था और जल्दी से अपने लंड को बाहर निकालकर मुतना शुरू कर दिया था उन औरतों से करीब 2 मीटर की दूरी पर खड़ा होकर वह पेशाब कर रहा था जहां से निर्मला के बगल में बैठ कर पेशाब कर रही औरत की नजर उस पर पड़ गई,, उस औरत की नजर सीधे शुभम के खड़े लंबे झूलते हुए लंड पर ही पड़ी और उसके मोटे-ताजे लंड को देखकर वह दांतो तले उंगली दबा ली,,, और ना चाहते हुए भी आखिरकार उसके मुंह से निकल ही गया,,,

बाप रे बाप इंसान का हा या गधे का,,, जिस औरत की बुर में जाएगा उसके तो परखच्चे उड़ा देगा,,,

उस औरत की बात सुन रही निर्मला एकदम से सकपका गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या कहे जा रही है। जब वह अभी नजरें उठाकर चकर पकऱ देखने लगी तो,, करीब 2 मीटर की दूरी पर झाड़ियों के बीच खड़ा शुभम उसे नजर आ गया जोकि पेशाब कर रहा था निर्मला की भी नजर उसके झुलते लंड पर पड़ी तो वह समझ गई कि सारा मामला क्या है। अपने बेटे के हथियार की तारीफ दूसरी औरत के मुंह से सुनकर वह मन ही मन खुश होने लगी।

थोड़ी ही देर बाद शुभम निर्मला अपनी कार में आकर बैठ गए थे और निर्मला कार को फिर से हाईवे पर दौड़ाने लगी थी।
04-01-2020, 03:04 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला और शुभम अपनी कार में बैठ गए और निर्मला ने तुरंत गाड़ी का गियर बदलते हुए आगे की तरफ बढ़ गई। निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी क्योंकि जिस तरह के हालात इस समय उसके सामने आए थे, शायद इस तरह के हालात उसके आंखों के सामने पहले कभी भी नहीं आया था। इस तरह से खुले में किसी ढाबे के पीछे बैठ कर पेशाब करने का अनुभव उसे बड़ा ही उत्तेजनात्मक और कामोत्तेजना से भरपूर लग रहा था ऐसा नहीं था कि पहले वह किसी आंखो के सामने अपने नितंबों का प्रदर्शन करते हुए पैशाब की हो, क्योंकि अभी तक स्कूल में रोज ही उसे इस तरह के हालात का सामना करना पड़ता था या यूं कह सकते थे कि निर्मला को इस तरह के हालात में ही पेशाब करने का अपना अलग ही मजा मिल रहा था।,,, वह रोड पर स्टीयरिंग को इधर-उधर घूमाते हुए उस पल को याद करके पूरी तरह से गंनगना जा रही थी। वास्तव में यह भी एक बड़ा ही अजीब पन होता है जब एक औरत मजबूर होकर ऐसे हालात में खुले में पेशाब करती है जबकि उसे यह पता होता है कि उसे
उसे तीन चार लोग पेशाब करते हुए देखकर उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुंच चुके होते हैं और ना जाने कैसे-कैसे ख्यालात उसके बड़े-बड़े नितंबों को देखकर मन ही मन में करते रहते हैं। निर्मला यही सब सोचते हुए बड़ी सफाई से अपने हाथ को स्टेरिंग पर घुमा रहे थे बार-बार उसके मन में वह पल याद आ जा रहा था जब वह यह सब जानते हुए भी कि ढाबे पर बैठे हुए कुछ लोग उसकी तरफ देख रहे हैं फिर भी मजबूरीवश वह उन लोगों के सामने अपनी साली को उठाकर और अपनी बड़ी-बड़ी गोरी गांड के दर्शन उन लोगों को कराते हुए पेशाब करना पड़ रहा था । यह सब मन ही मन सोचते हुए वह मुस्कुरा रहीे थी,, निर्मला को इस तरह से मुस्कुराता हुआ देखकर शुभम बोला।

क्या हुआ मम्मी ऐसे क्यों मुस्कुरा रही हो?

क्या करूं बात ही कुछ ऐसी है कि ना चाहते हुए भी हंसी आ रही है।

क्या बात है मुझे तो बताओ।

अरे जब मुझे बहुत जोर की पेशाब लगी थी तो मुझे ढाबे के पीछे मूतने के लिए जाना पड़ गया था,।

तो इसमें क्या हुआ ? (शुभम अपनी मां की तरफ आश्चर्य से देखता हुआ बोला ।)

अरे पहले सुन तो सही ऐसे तो मैं वहां जाने वाली नहीं थी। लेकिन एक औरत उस तरफ जा रही थी तो मुझे भी थोड़ी हिम्मत हुई ओेर मै भी उसके पीछे पीछे चल दी। लेकिन जैसे ही मैं पेशाब करने के लिए अपनी साड़ी को कमर तक उठाने के लिए हुई की,, मेरी नजर ऊन बेशरम आदमियों पर पड़ी जो कि मेरी तरफ ही देख रहे थे और आपस में कुछ फुसफुसा रहे थे। मुझे पहले तो बहुत शर्म आई लेकिन तभी मुझे पेशाब कभी प्रेशर इतनी जोरो से लगा था कि उन लोगों के सामने खुलकर मूतने के सिवाय मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था।
(शुभम अपनी मां की ऐसी बातों को सुनकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था और साथ ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी जिससे कि उसके पेंट के आगे वाला हिस्सा अपने आप उठने लगा था)

फिर तुमने क्या की मम्मी?

मैंने क्या किया मुझे थोड़ी ना अपनी पेंटिं गीलीं करना था मैं भी कुछ देर के लिए एकदम बेशर्म बन गई और ना चाहते हुए भी अपनी साड़ी को कमर तक उठा कर मुतने में बैठ गई।
( ऐसा कहकर निर्मला फिर से मुस्कुराने लगी और अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराता हुआ देखकर शुभम ंबोला)

तुम सच में मम्मी एकदम बेशर्म हो लेकिन एक बात तो एकदम तय है कि तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड को देखकर उन लोगों का लंड खड़ा हो गया होगा और उन लोगों में से कितनों का तो पानी निकल गया होगा।


हां हो सकता है । क्योंकि मेरी बुर भले ही पेशाब की धार फेंक रही थी लेकिन मेरी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी ना जाने मेरे बदन में कैसी हलचल मची हुई थी उन लोगों के सामने पेशाब करते समय,,( ऐसा कहते हुए निर्मला की नजर शुभम की पेंट की तरफ गई जिसमें तंबू बन चुका था और एक बार फिर से अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए निर्मला बोली।)

तेरा भी तो खड़ा हो चुका है।

मेरा तो हमेशा ही खड़ा रहता है ना जाने कब जरूरत पड़ जाए।

कैसी और किसको जरुरत पड़ जाए। ( निर्मला जानबूझकर अनजान बनते हुए बोली।)

अरे उसी को जिसकी बूर इस समय एकदम गीली हो चुकी है।


नहीं ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं है । (निर्मला मुस्कुराते हुए बोली,, निर्मला अपनी बुर की गीलेपन को भाप गई थी इसलिए वह बार-बार अपने हाथ से अपनी पैंटी को एडजस्ट कर रही थी।)

अब इतना भी अनजान मत बनो मेरी जान अब तो मैं तुम्हारी नस नस से वाकिफ हो चुका हूं मैं जानता हूं कि तुम्हारी बुर ईस समय पानी फेंक रही है और एकदम लंड के लिए तैयार हो चुकी है।


अब तो सच में तू बहुत बड़ा हो चुका है।

तो क्या मेरी रानी ऐसी मद मस्त बुर को चोद चोद कर पानी निकाल देना किसी बच्चे का खेल नहीं है।
( अपने बेटे की जैसी मर्दाना भरी बात को सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी और गर्वित होने लगी।)

मुझे तो सच में इस समय तेरे लंड की बहुत जरूरत हो रही है जी में आ रहा है कि गाड़ी का स्टेरिंग छोड़कर तेरी लंड पर बैठ जाऊं।

तो आजा मेरी जान मेरी रानी देर किस बात की है । (इतना कहने के साथ ही सुबह जल्दी से अपने पैंट की चैन खोलकर लंड को बाहर निकालकर हिलाने लगा यह देखकर निर्मला से बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह एक हाथ से स्टेरिंग को संभालते हुए दूसरे हाथ से अपने बेटे के लंड को पकड़कर मुठीयाने लगी। )

सच में रैं तु तो बहुत गर्म हो चुका है।

ईतने करीब बेहद गर्म जवान बदन वाली औरत बैठी हो तो कौन गरम नहीं हो जाएगा।( उत्तेजना से अपने सुखते गले को थुक से गीला करने की कोशिश करते हुए बोला।)

चल बहुत बातें बनाता है।( इतना कहते हुए निर्मला एक हाथ से स्टेरिंग को संभाल रही थी तो दूसरे हाथ से गेयर की जगह अपने बेटे के मोटे लंबे लंड को इधर-उधर घूमाते हुए मसल रही थीे । निर्मला जिस जोश के साथ अपने बेटे के लंड को मसल रही थी और इधर-उधर घुमा रही थी इतनी गर्म जोशी के साथ तो वह आज तक कार के गियर को भी नहीं बदली थी। हां इधर इतना फर्क जरूर था कि गाड़ी के गियर बदलने से गाड़ी के हालात उसकी रफ्तार उसकी चाल में उतार चढ़ाव आता है और इधर लंड को इधर उधर ऐंठने से निर्मला के बदन में भी गजब का मादक उतार-चढ़ाव आ रहा था उसकी सांसो की गति तेज होती जा रही थी और बुर से पानी का रिसाव निरंतर बढ़ता जा रहा था। लंड की मोटाई को अपनी हथेलियों में मापते हुए जैसे कि उसे कुछ याद आया हो और वह तुरंत बोली।

अरे तुझे एक बात बताना तो मैं भूल ही गई।

कौन सी बात मेरी जान ( शुभम एकदम मस्त होता हुआ अपने दोनों हाथ को पीछे सीट पर टीकाते हुए अंगड़ाई लेने के अंदाज में बोला।)

अरे जब मैं वहां बैठकर पेशाब कर रही थी तो बिल्कुल मेरे करीब एक और औरत बैठकर उस झाड़ी में पेशाब कर रही थी। लेकिन जब वह पेशाब करते करते यह बोली कि " बाप रे बाप इंसान का लंड है या गधे का" तब मैं बिल्कुल हैरान हो गई कि आखिर वह बोल क्या रही है । (निर्मला लगातार अपने बेटे के लंड को मुठ्ठीयाते हुए बोल रही थी।)
लेकिन जब में उसकी नजरों का पीछा करते हुए कुछ ही दूर पर झाड़ियों की तरफ देखी तो मैं हैरान हो गई क्योंकि उन झाड़ियों के पीछे खड़े होकर तु पेशाब कर रहा था। और सच कहूं तो उस समय उस औरत की बात को सुनकर मुझे बड़ा गर्व महसूस हो रहा था क्योंकि वह जिस दिन की तारीफ कर रही थी वह मेरे बेटे का लंड था ।और उसी लंड पर मेरा पूरी तरह से हक और कब्जा हो चुका था।( निर्मला ऐसी बातें करते हुए जोर-जोर से अपने बेटे के लंड को मसल रही थी और अपनी मां के नरम नरम उंगलियो और गर्म हथेलियों की रगड़ पाकर शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। और गर्म सांसे छोड़ते हुए बोला।

ओहह मम्मी ऐसे तो तुम मेरा पानी निकाल दोगी।

आंह हां,,,,,, ऐसा मत करना अपना यह पानी संभाल कर रखो अभी बहुत काम आएगा। देखो शाम ढल चुकी है। अंधेरा होने वाला है और रात को मैं गाड़ी
नहीं चला पाऊंगी क्योंकि सुबह से चलाते चलाते थक चुकी हूं।
थोड़ी ही देर में शहर शुरू हो जाएगा और हम अच्छा सा होटल देख कर वहीं रुक जाएंगे और आराम करने के बाद सुबह निकलेंगे तब तक हम लोगों को थोड़ा सुकून भी मिल जाएगा और तुम्हारा जो यह पानी है बेकार नहीं जाएगा (निर्मला लंड की तरफ इशारा करते हुए बोली)

थोड़ी ही देर में शहर आ गया गांव जाने के लिए इस शहर से होकर गुजरना पड़ता था जिसका पूरी तरह से निर्मला को पता था और वैसे भी रात को अक्सर निर्मला बहुत जरूरी होता है तभी ड्राइविंग करती है। उन दोनों को भूख भी लगी थी सड़क के दोनों तरफ छोटी-छोटी होटल में बनी हुई थी जिसके मीनारें पर जगमगाती हुई लाइटें उस होटल का नाम बयां कर रही थी। या छोटी छोटी होटल लगभग गेस्ट हाउस ही था जिसमें लोग घंटे 2 घंटे के लिए ही कमरा बुक करते थे और अक्सर इनमें कॉल गर्ल्स ही आाती थी। निर्मला भी एक अच्छे से होटल में अपनी कार को प्रवेश करा कर पार्किंग में खड़ी कर दी। कार से बाहर निकलकर निर्मला और शुभम दोनों होटल के अंदर प्रवेश करने लगे। होटल के इर्द-गिर्द खड़े लोगों की नजर निर्मला और शुभम पर ही टिकी हुई थी। निर्मला का गदराया बदन और उसकी खूबसूरत उफनती जवानी को देख कर उन लोगों की अाह ही निकल जा रही थी
निर्मला को देखकर सभी लोग आपस में खुशर फुसर करने लगे ज्यादातर की नजरें निर्मला की बड़ी-बड़ी गांड पर ही टीकी हुई थी। लड़के और लड़कियों का जमावड़ा अगल-बगल देखकर शुभम को कुछ ज्यादा समझ में नहीं आ रहा था लेकिन निर्मला कुछ-कुछ समझ रही थी कि यह सब क्या है आनन फानन में वह काउंटर तक पहुंच गई। काउंटर मेन की नजर जैसे ही निर्मला पर पड़ी वह तो हक्का-बक्का रह गया और उसकी खूबसूरत चेहरे को तो कभी साड़ी में से झांकती हुई इसकी बड़ी-बड़ी दोनों जवानियों को देख कर पिघलने लगा था। अपने थूक को गले में गटकते हुए काउंटर मेन बोला।
मे आई हेल्प यू मैम।

मुझे कमरा चाहिए।

कितने घंटे के लिए?

मतलब (निर्मला नर्वस होते हुए बोली)

मेरा मतलब1 घंटे के लिए या 2 घंटे के लिए या फिर 3 घंटे के लिए

निर्मला को उस काउंटर में उनकी बात सुनते ही सारा मामला समझ में आ गया था वह समझ गई थी यहां अक्सर लोग अपनी प्यास बुझाने ही आते हैं तभी तो यहां घंटे के हिसाब से कमरा बुक करता है निर्मला की हालत खराब होने लगी थी यहां से वापस जाना भी ठीक नहीं था। क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि यहां पर जितने भी होटल है सभी इसी तरह की है। पर यहां तो वहां अनजाने में आ गई है लेकिन अगर इधर से किसी दूसरी होटल की तरफ करी तो उस होटल में कदम रखने के लिए उसके पास अब इतना हिम्मत बिल्कुल भी नहीं है इसलिए वहां सारा मामला समझते हुए भी अनजान बनते हुए बोली।

2 घंटा 3 घंटा क्या होता है मुझे पूरी रात के लिए कमरा चाहिए।

( निर्मला की बात सुनते ही उस काउंटर मेन का मुंह खुला का खुला रह गया और वह ज्यादा कुछ बोल नहीं पाया बस इसके मुंह से इतना ही निकला।)
बाप रे और इतना कहते हुए वहां निर्मला से उसका नाम पुछकर कमरे की चाबी उसे थमाते हुए बोला।

मैं ज्यादा तो कुछ नहीं पूछ लूंगा मैडम बस इतना जानना जरूरी चाहूंगा कि इस लड़के ने तुम्हें लाया है या तुम इसे लाई हो।
( उस काउंटर मेन की बात सुनकर निर्मला के बदन में हलचल सी मच ने लगी एक अजीब सा एहसास उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रहा था। उसकी बात सुनते ही उसके तन बदन में रंगीनियां छाने लगी और वह मन ही मन में सोचने लगी कि जब ओखली में सर दे ही दिया है तो घबराने से क्या फायदा इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली

मैंने इसे लाई हो।( इतना कहने के साथ ही वह मुस्कुराते हुए सीढ़ियों की तरफ जाने लगी जहां पर काउंटर मेन ने उंगली से इशारा किया था। लेकिन जाने से पहले वहां खाने का ऑर्डर भी दे चुकी थी ज्योति काउंटर मैंने उसे 15 मिनट में ही खाना उसके कमरे में पहुंच जाएगा इतना कहकर उसे तसल्ली दिया था। शुभम कि समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब मामला क्या है वह बस अपनी मां के पीछे पीछे चला जा रहा था जैसे ही निर्मला कमरे के सामने पहुंची तो वह उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गनगना गई। आज जिंदगी में पहली बार इस अद्भुत एहसास से वहां गुजर रही थी उसे पूरी तरह से समझ में आ रहा था कि वह काउंटर मेन और इर्द गिर्द खड़े लोग उसकी तरफ देखकर उसे क्या समझ रहे थे। इसलिए तो उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और पैंटी की भी हालत खराब हो चुकी थी। निर्मला जल्दी से चाबी लगाकर दरवाजा खोलकर कमरे में प्रवेश करी और पीछे-पीछे शुभम भी कमरे में आ गया। मम्मी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है आखिर यह सब हो क्या रहा है।
( निर्मला अपने बेटे की तरफ देखी जो की पूरी तरह से आश्चर्य में ही था उसे देख कर मुस्कुराते हुए बोली।)

बेटा तू जानता है यह होटल, लहोटल ना हो करके एक गेस्ट हाउस ही है। और यहां पर लोग अक्सर घंटे 2 घंटे के लिए ही कमरा बुक करते हैं।
( शुभम को कुछ कुछ समझ में आ रहा था लेकिन पूरी तरह से कुछ भी क्लियर नहीं था इसलिए अभी भी उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव साफ नजर आ रहे थे इसलिए निर्मला बोली)
शुभम ईधर पर मर्द लोग लड़कियों और औरतों को कमरे में लेकर आते हैं और उन्हें चोदकर अपनी प्यास बुझाते हैं। और इसलिए ही यहां पर कमरा घंटे 2 घंटे के लिए बुक होता है।

और तू जानता है कि वह मुझे क्या समझ रहा था?
( शुभम आश्चर्य से ना में सिर हिलाते हुए निर्मला की तरफ देखते हुए जवाब दिया।)

वह मुझे धंधेवाली समझ रहा था। और सबसे बड़ी बात यह कि यहां पर तो अक्सर आदमी लोग ही औरतों को लाते हैं उसे ऐसा लग रहा था कि मैं तुझे यहां लेकर आई हूं इसलिए तो यह सोचकर ही उसकी हालत खराब हो रही थी और वह भी पूरी रात के लिए।
( यह सुनते ही शुभम का मुंह कैसे खुला का खुला रह गया और उत्तेजना की वजह से उसका लंड पैंट में गदर मचाने लगा। शुभम कुछ कह पाता इससे पहले ही कमरे की घंटी बजने लगी बाहर वेटर खाना लेकर आया था।)
04-01-2020, 03:04 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कमरे के बाहर वेटर खाना लिए खड़ा था ।दो तीन बार घंटी बजाने के बाद निर्मला खुद आगे बढ़कर कमरे का दरवाजा खोली और वेटर को देख कर मुस्कुरा दी, वेटर बहुत ही वासना माई आंखों से निर्मला के खूबसूरत बदन का ऊपर से नीचे तक जायजा लेते हुए बिना कुछ बोले ही एक नजर कमरे के अंदर खड़े शुभम पर डालकर मंद मंद मुस्कुराने लगा,,, शायद वह शुभम की उम्र को देखकर यही सोच रहा था की, इतनी भारी भरकम मशीन को यह कैसे चला पाएगा इसलिए तो वह कमरे में खाना टेबल पर रखते हुए एक नजर निर्मला पर डालते हुए धीरे से बोला,,,
मैडम अगर जरूरत पड़े तो मुझे बुला लेना।
( और इतना कहकर वह बेहतर मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चला गया निर्मला भी जवाब में मुस्कुरा दी, वह चाहती तो वेटर को छोटे से उम्र के शुभम की मर्दाना ताकत को वह अपने खूबसूरत होठों से बयां कर के उसकी कुटिल हंसी को बंद कर सकती थी । लेकिन इस तरह की बयानबाजी के लिए उस वेटर से बहस में उतरना उसे उचित नहीं लगा। वेटर जा चुका था उसके जाते ही निर्मला ने कमरे का दरवाजा भी बंद कर दी। निर्मला मुस्कुराते हुए शुभम की तरफ देखने लगी तो शुभम उस बेटर की बात को अच्छी तरह से समझते हुए बोला।

मम्मी यहां लगता है सब मौके की तलाश में ही है,, देख नहीं रही थी वह वेटर कैसे तुम्हें प्यासी नजरों से देख रहा था।

जानती हो शुभम अच्छी तरह से जानतेी हूं, यह होटल ही कुछ दूसरी ही तरह का है, तभी तो सब की प्यासी नजरें औरत की खूबसूरत बदन पर मंडराती रहती हैं। और तो और उसने तो बातों ही बातों में मुझे खुला ऑफर भी दे दिया। तुझे पता है वह वेटर यह सोच रहा था कि मेरे खूबसूरत गदराई बदन की प्यास को शायद तू नहीं बुझा पायेगा,,,, साला हरामी उसे क्या पता है कि मेरे बेटे का लंड किसी गधे के लंड से कम नही है।
( निर्मला की ऐसी बात सुने तो एक ही शुभम हंसने लगा और को हंसता हुआ देखकर निर्मला बोली।)

तू क्यो दांत निकाल रहा है?

तुम्हारे मुंह से साला हरामी सुनकर मुझे अच्छा लग रहा है इसके लिए।

क्या करूं माहौल का असर तो कुछ तो होना ही है।

एक बात कहूं मम्मी अगर बुरा ना मानो तो।

बोल मुझे तेरी बात का कुछ भी बुरा नहीं लगता (इतना कहने के साथ ही निर्मला अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू हटाकर अपनी साड़ी खोलने लगी,,, और शुभम साड़ी के हटते ही अपनी मां की बड़ी बड़ी छातियों की तरफ देखते हुए बोला।)

आज सच में तुम इस होटल के कमरे में एकदम रंडी लग रही हो।
( अपने बेटे के मुंह से अपने लिए रंडी शब्द सुनकर निर्मला कनखियों से शुभम की तरफ देखने लगी, एकटक देखते हुए शुभम को शायद ऐसा लगा कि उसकी मां उसकी बात का बुरा मान गई है लेकिन तभी निर्मला मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली।)

तू सच कह रहा है मुझे भी ऐसा ही लग रहा है । होटल के नीचे खड़े औरत के प्यासे मुझे जिस तरह से प्यासी नजरों से देख रहे थे मुझे तो ऐसा ही लग रहा था कि कहीं कोई आकर मेरी कीमत ना पूछ ले,,,,( इतना कहने के साथ ही निर्मला अपनी कमर पर बंधी साड़ी को पूरी तरह से खोलकर नीचे फर्श पर गिरा दी और इस समय उसके बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट ही रह गया था जिसमें से उसका दूधिया बदन ट्यूब लाइट की रोशनी में भी अपनी चमक बिखेर रहा था। निर्मला कुछ सोचते हुए)

शुभम यह सब देख कर और इधर माहौल के हिसाब से मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है ।

कैसा आईडिया मम्मी!

क्यों ना हम वही करें जो कि होटल के लोग हम दोनों के बारे में सोच रहे हैं।

मैं कुछ समझा नहीं!

अरे इसमें समझने वाली क्या बात है, बात बिल्कुल सीधी सी है यहां के लोग और वह काउंटर मेन यही सोच रहे हैं कि मैं एक धंधे वाली हूं और मैं पूरी रात के लिए तुझे कमरे में लेकर आई हूं।,,,

तो? ( आश्चर्य के साथ शुभम बोला)

तो क्या चल आज की रात ऐसा करते हैं कि तू समझ कि मैं सच में तुझे आज की रात के लिए कमरे में लेकर आई हूं और मैं एक धंधे वाली हूं और पूरी रात,, तुझे अपना गुलाम बनाकर तुझ से चुदवाऊंगी।
( इतना सुनते ही शुभम मुस्कुराने लगा)

वाह सच में बहुत ही मस्त आईडिया है। सच में ऐसा लग रहा है कि तुम मुझे कमरे में पूरी रात के लिए लेकर आई हो और मुझसे छुपाना चाहती हो सच मेरे पूरे बदन में ना जाने कैसी हलचल सी मचने लगी है।
( शुभम का इतना कहना था कि तभी निर्मला ने झट से पेटीकोट की डोरी अपने हाथों से खींची और पेटिकोट पूरी तरह से कमर से एकदम ढीली होकर अगले ही पल निर्मला की पेटीकोट उसके बदन को छोड़ते हुए नीचे उसके कदमों में गिर गई,,, निर्मला की माल चिकनी दूधिया जांघे चमकने लगी। निर्मला कि लाल रंग की पेंटिं अपना अलग कहर ढा रही थी क्योंकि उस छोटी सी पेंटिं के अंदर दुनिया भर का खजाना छुपा हुआ था। निर्मला को अगले ही पल ब्लाउज के बटन खोलते हुए देखकर शुभम का लंड पूरी तरह से टन टनाकर खड़ा हो गया। निर्मला अपनी बाहों में से ब्लाउज के बटन खोलकर ब्लाउज को निकाल ही रही थी कि ब्रा से झांकते हुए दोनों बड़े बड़े दूध को देखकर शुभम से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर जैसे ही दोनों दूध को पकड़ने को चला ही था कि निर्मला पीछे की तरफ से हंसते हुए शरारती अंदाज में बोली।

आं,,,,,,हां,,,,, हां,,,,,,,, इतनी जल्दी भी क्या है पहले चलो चल कर बात करने नहा लेते हैं और उसके बाद जो करना है,,,,( और इतना कहने के साथ ही आगे के शब्द को कहे बिना ही निर्मला अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर खुद ही शुभम को पकड़ कर अपनी बाहों में खिच ली,,, यह हरकत इस बात का सबूत था कि माहौल के हिसाब से निर्मला खुद पर ही नियंत्रण नहीं रख पा रही थी और वास्तव में जैसे कि एक प्यासी औरत खास करके कॉल गर्ल अपने ग्राहक को रिझाने के लिए इस तरह की हरकत करती है ठीक उसी तरह से निर्मला भी शुभम को अपनी बाहों में लेकर उसके होठों को चूमने लगी,,,।
शुभम भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसका लंड पेंट से बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहा था। वह भी उत्तेजना बस कस कर अपनी मां को अपनी बाहों में भींचने लगा,, जिसकी वजह से पेंट में बना तंबू सीधे निर्मला की बुर से टकरा रहा था और इस कारण दोनों की कामोत्तेजना में निरंतर बढ़ोतरी होती जा रही थी। दोनों एक दूसरे में समाने के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आ रहे थे लेकिन निर्मला शुभम को अपनी बांहों में फंसे हुए हैं धीरे-धीरे करके उसे बाथरूम की तरफ ले जाने लगे और जैसे ही बाथरूम के दरवाजे के करीब पहुंचे तो एक हाथ आगे बढ़ा कर बाथरूम के दरवाजे का हैंडल घुमा कर दरवाजा खोल दी और दोनों बाथरूम में घुस गए। बाथरूम में घुसते ही निर्मला ने एक हाथ से बाथरूम का दरवाजा बंद है करने के तुरंत बाद ही अपने बदन पर बचे बाकी कपड़े भी निकालकर पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गई। कुछ ही सेकंड में शुभम भी निर्मला की तरह पूरी तरह से नंगा हो गया दोनों के बदन की शोभा बढ़ा रहे उनके अंगों का कठोर पन बढ़ने लगा था।
04-01-2020, 03:05 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला एक पल भी गंवाए बिना तुरंत घुटनों के बल बैठ गई और शुभम का तना हुआ लंड अपने मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दी। निर्मला ने आरंभ में ही शुभम पर हावी होना शुरू कर दी, शुभम की तो हालत खराब होने लगी कुछ ही पल में उसके मुख से गर्म सिसकारी छूटने लगी। वह भी धीरे-धीरे करके अपनी कमर को आगे पीछे हिलाने लगा मुखमैथुन का भरपूर आनंद लेते हुए निर्मला एक हाथ से अपनी कचोरी की तरह फुल़ी हुई बुर को मसल रही थी।
जिससे उसका आनंद दुगुना होता जा रहा था शुभम जल्दी से एक हाथ ऊपर की तरफ बढ़ा कर बाथरूम का पावर ऑन कर दिया और ठंडे पानी की बौछार बारिश की बूंदों की तरह दोनों के तपते तन बदन को
संतुष्टि जनक ठंडक प्रदान करने लगी। दोनों पूरी तरह से कामातुर हो चुके थे । शुभम अपनी मां के होटो के बीच अपने मोटे तगड़े लंड को इस तरह से अंदर-बाहर कर रहा था कि मानो जैसे कि वह उसके मुंह में नहीं बल्कि उसकी गुलाबी पत्तियों के बीच बुर की पतली दरार में लंड को अंदर बाहर करते हुए चोद रहा हो। दोनों को भरपूर आनंद मिल रहा था। कुछ ही देर बाद उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंचते हुए एक हाथ से अपनी रसीली बुर को जोर-जोर से मसलते हुए उसके मदन रस को बाहर निकाल रही थी, और साथ ही अपने बेटे के तगड़े लंड को मुंह की गहराई में उतारते हुए अपने गले में लंड से निकलने वाली गरम पिचकारी को महसूस करना चाहती थी। जिस तरह से निर्मला लैंड को मुंह में आइसक्रीम कौन की तरह इधर-उधर जीभ घुमाकर चाट रही थी इस हरकत की वजह से शुभम को अपने ऊपर और ज्यादा कंट्रोल कर पाना बेहद नामुमकिन सा लग रहा था, इसलिए वह भी जोर-जोर से मुंह में धक्के लगाना शुरु कर दिया और अगले ही पल एक चीख के साथ उसने अपना सारा लावा पिचकारी के तौर पर गले में उतारना शुरू कर दिया,,, जबरदस्त प्रेशर के साथ निकली हुई गरम पिचकारी को अपने गले में महसूस करके निर्मला पूरी तरह से कामोत्तेजना के सागर में गोते लगाते हुए अपनी बुर से भी पानी की बौछार करने लगी। शॉवर से बरस रही कृत्रिम बारिश और दोनों के बदन से पानी की बौछार कुल मिलाकर दोनों को पूरी तरह से अपनी आगोश में लेते हुए आनंदित कर रही थी। दोनों झड़ कर चरम स्खलन का आनंद ले चुके थे दोनों पूरी तरह से नग्न अवस्था में स्नान करने के बाद बाथरुम से बाहर आ गए लेकिन दोनों के अभी भी कपड़े का रेशा तक नहीं था,, दोनों उसी तरह से नग्न अवस्था में ही डिनर करने के बाद अपने असली कार्यक्रम की तरफ आगे बढ़ने लगे।

शुभम आज की रात हम दोनों के लिए एक अद्भुत रात है क्योंकि मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह से हमें किसी होटल में रुकना पड़ेगा और कोई मुझे कॉल गर्ल समझेगा मैं तो अभी तक यकीन नहीं कर पा रही हूं कि मुझे देखकर कोई यह कह सकता है।

तुम बहुत खूबसूरत हो इसलिए तो सबकी नजर तुम पर ही टिकी हुई थी तुम्हारा गदराया जिस्म तुम्हारी जवानी देखकर उन लोगों के भी होश उड़ गए हैं।,, तभी तो वह लोग तुम्हें खा जाने वाली नजर से देखकर गर्म आहे भर रहे थे।

अपने बेटे के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर निर्मला पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी और मुस्कुराते हुए बोली।

चल अब ज्यादा चापलूसी मत कर,,, जिस काम के लिए तुझे लाई हूं वह काम शुरू कर,,,,
( अपनी मां का बदलता हुआ अंदाज और बोलने का ढंग देख कर आश्चर्य से वह अपनी मां की तरफ देखने लगा लेकिन अगले ही पल वह समझ गया और मुस्कुराने लगा और मुस्कुराते हुए बोला।)

चल तु भी मुझे ज्यादा मत सिखा मुझे मालूम है कि तु मुझे यहां किसलिए लाई है और मुझे क्या करना है।,,,


( शुभम की बातें सुनते ही निर्मला समझ गई थी अब बहुत मजा आने वाला है इसलिए मुस्कुराते हुए बोली)

क्या पता है रे तुझे बातें तो ऐसीे करता है जैसे कि बहुत बड़ा हो गया है।


बड़ा नहीं हुआ तो क्या हुआ लेकिन तुझे जिस काम के लिए मुझे यहां लेकर आई है मेरा वह हथियार तो बहुत बड़ा है तभी तो तू अपनी प्यास बुझाने के लिए मुझे लेकर आई है।


बड़ा घमंड है तुझे अपने हथियार पर दिखा तो सही कितना तगड़ा हथियार है तेरा।( बिस्तर पर उसी तरह से नग्न अवस्था में ही आराम से लेटते हुए बोली।)

अगर देख लेगी ना,,,, तो ही तेरी बुर पीनी छोड़ देगी, वैसे भी लगता है कि तेरी बुर में बहुत पानी भरा हुआ है तभी तो उसे बाहर निकलवाने के लिए इतना तड़प रही है।,,,( शुभम एक बार पानी छोड़ चुके अपने ढीले लंड को हांथ मे पकड़कर हीलाते हुए बोला,, अपने बेटे की ढीले पड़े झूलते लंड की तरफ देखकर मुस्कान बिखेरते हुए बोली।)

ओहहह बड़ा नाज है तुझे अपने लंड पर लेकिन देख तो सही कैसा झूल गया है, जरा सा भी टाइट नहीं है लगता है कि तुझे यहां लाकर मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी,,,,
( अपनी मखमली जांघो पर उंगलीया फिराते हुए बोली)

टाइट भी हो जाएगा मेरी जान और ऐसा टाईट होगा कि तेरी बुर के परखच्चे उड़ा देगा, बस एक बार जरा सा इसको प्यार तो कर, यह प्यार करने से दुगुना बड़ा हो जाता है ।इसमे ईतनी जान आ जाती है कि तेरी बुर का सारा रस निचोड़ डालेगा लेकिन फिर भी इसकी प्यास नहीं बुझेगी।

तो यह बात है चल तेरे ढीले लंड को प्यार भी करूंगी, लेकिन तुझे उससे पहले अपनी जीभ से मेरी बुर साफ करना पड़ेगा और वह भी अच्छे से चाट चाट कर ताकी ईसकी मलाई का स्वाद तू अच्छी तरह से ले सके,,,,, चल मादरचोद अब ज्यादा देर मत कर शुरू कर अपना काम.
( इतना कहने के साथ ही निर्मला अपनी दोनों टांगों को चौड़ा करके अपनी हथेली को बुर पर रगड़ने लगी,, और गर्म सिसकारी लेते हुए शुभम को ऊकसाने लगी,, शुभम एक हाथ में अपने लंड को पकड़ कर आगे बढ़ने लगा। अगले ही पल वहां अपनी मां की मोटी मोटी जांघों को अपने हाथों से खिलाते हुए बुर को एकटक निहारते हुए बोला,,,।)

वाह रे मेरी छम्मक छल्लो तेरी बुर तों रसमलाई का कटोरा लग रहा है इसमें तो डूबने का मन कर रहा है।

तो डूब जा रे हरामी तुझे रोका किसने है।

बड़ी उतावल लग रही है तुझे कुत्तिया, लगता है कि तुझे कुतिया बनाकर चोदना पड़ेगा।,,,

चोदना बाद में भोसड़ी के पहले तो मेरी बुर का रस मलाई चाट कर साफ कर,,,,,
( दोनों पूरी तरह से धंधेदारी चरित्र में ढल चुके थे दोनों को इस तरह से वार्तालाप करके बेहद कामोत्तेजना का अनुभव हो रहा था। एक दूसरे को गाली देने में एक गजब का अनुभव दोनों को प्राप्त हो रहा था। दोनों टांगों को अपने हाथों से फैला कर शुभम बुरनुमा कटोरी में अपना मुंह डाल दिया,,,, और जैसे ही तपती बुर मे प्यासे होठो का स्पर्स हुआ निर्मला के तन-बदन में चिंगारियां फूटने लगी।

सससहहहहहहहहह,,,,, हरामी तू तो आग लगा दिया मेरे बदन में बस अब अपनी जीभ का कमाल दिखा तब मुझे लगेगा कि से सच में बड़ा हो गया है।

तू चिंता मत कर मेरी रंडी रानी तेरी बुर ईस तरह से चाटूंगा कि तू एकदम से तड़प उठेगी मेरे लंड को अपनी बुर मैं डलवाने के लिए (और इतना कहने के साथ ही शुभम अपना कार्यक्रम आगे बढ़ाने लगा शुभम की जीत कुछ ही सेकंड में निर्मला की बुर की गहराई नापने लगी जिस तरह से शुभम के लंड में ज्यादा दम था उसी तरह से उसकी जीभ भी उसके लंड से कम नहीं थी,,, वह भी बुर की गुलाबी पत्तियों को रगड़ते हुए अंदर बाहर हो रही थी। शुभम तो लपालप मीठी खीर की तरह बुर से झर रही मदन रस की बूंदों को चटखारे लगाकर गटक जा रहा था। निर्मला की तो हालत खराब होने लगी थी उत्तेजना के मारे वह दाएं बाएं अपना सिर पटक रही थी साथ ही दोनों हाथ आगे बढ़ा कर शुभम के बालों को अपनी मुट्ठी में भींचते हुए जोर-जोर से अपनी कमर को ऊपर की तरफ उचका रही थी। ऐसा लग रहा था वह जैसे खुद ही अपनी बुर से अपने बेटे का मुंह चोद रही हो,,,, साथ ही अपनी गर्म शिसकारियों से पूरे कमरे में शोर मचा रही थी।

सससहहहहहहह,,,,, आहहहहहहहह,,,,,, सच में रे तू तो पूरा का पूरा मादरचोद है तुझे यहां लाकर मैंने कोई गलती नहीं की बड़ा जान है तुझमें,,,, बस ऐसे ही चाट और जोर से चाट मेरी बुर की पूरी मलाई निकाल ले,,,,
आहहहहहहहह,,,,,, बड़ा मजा आ रहा है।

तू भी तो बहुत मस्त माल है एकदम छिनार है मैंने आज तक तेरे जैसी गर्म औरत नहीं देखा तभी तो तेरी बुर चाटने में इतना मजा आ रहा है।

दोनों के बीच का यह वार्तालाप,,, कमरे के वातावरण को और भी ज्यादा जोशीला बना रहा था बंद कमरे में मां बेटे दोनों संपूर्ण रूप से नग्नावस्था होकर के एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश कर रहे थे। निर्मला नीचे से अपनी कमर को उपर की तरफ बार-बार दे रही थी यह उसका जवाबी कारवाही था। जिससे शुभम को और भी ज्यादा उत्तेजन दे रहा था थोड़ी ही देर में चीख के साथ निर्मला बंद बनाकर पानी भरने लगी जिसे अमृत समझ कर शुभम गटागट अपने गले से नीचे उतार ले गया।
लेकिन इतने से निर्मला कहां मानने वाली थी उसकी बुर में तो अब आग लग चुकी थी, जोकि अपने बेटे के लंड के लिए पूरी तरह से तड़प रही थी। शुभम भी अपनी मां की रसीली बुर को चाट कर पूरी तरह से चुदवासा हो चुका था उसका लंड किसी लोहे के रोड की तरह तन कर खड़ा हो गया था। जिसे देखकर निर्मला बोली।

वाह रे मादरचोद तेरा लंड तो फिर से खड़ा हो गया है। लगता है कि सच में आज ये मेरी बुर के परखच्चे उड़ा देगा।,,,, चल भोंसड़ी के देखु क्या सच में तू एक औरत को अच्छे से चोद पाता है कि नहीं,,,,,,

ए रंडी भोसड़ी चोदी तुने अभी मेरे लंड की ताकत देखी कहां है तू क्या तेरी जेसी 3 4 औरत एक साथ चुदना चाहे तो उन्हें भी मैं उन चारों को एक जैसा ही मजा दूंगा वह भी बिना झड़े,,,,, बस अब तैयार हो जा मेरी रानी देख तेरा राजा तेरी बुर का कैसा बजाता है बाजा।


मादरचोद लगता है सच में तुम आकर चोदना को जरूर अपनी मां को चोदकर इतना ताकतवर हुआ है तभी तो तुम इतना विश्वास के साथ कह रहा है सच-सच बताना तुने अपनी मां को चोदा है कि नहीं।
( निर्मला सच में एक धंधे धारी रंडी की तरह गंदी बातें करके अपने बेटे को और भी ज्यादा उकसा रही थी,,,, अपनी मां की मां की बातें सुनकर शुभम अपने लंड को हिलाता हुआ बोला।)
04-01-2020, 03:05 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तू सच कह रही है मेरी जान मैं सच में अपनी मां को चोदा हुं और उसी नें तो मुझे चोदना सिखाया,,,, नहीं तो मैं भला कहां जान पाता कि बुर किसे कहते हैं कैसी होती है चूची किसे कहते हैं कैसी दिखती है चुदाई क्या होती है। लेकिन आज जितना भी मैं सीखा हूं आज सब कुछ मैं तुझे दिखाऊंगा रंडी,,,,, देखना आज मैं तेरी बुर में पूरा घुस जाऊंगा तो तुझे इतना मजा दूंगा कि तू दिन रात मेरे लंड के लिए तड़पेगी।

तो देर किस बात की है भड़वे अाजा चढ़ जा मुझ पर मैं भी तो देखु सच में तुझे बातें करना ही आता है या चोदने भी आता है।
( इतना कहने के साथ ही एक बार फिर से निर्मला ने अपनी टांगे फैलाकर अपने मुख्य द्वार को शुभम की आंखों के आगे कर दी जिसे देख कर सुभम एक दम से चुदवासा हो गया,,, शुभम भी जल्दी से अपनी पोजीशन बनाते हुए टांगों के बीच पहुंच गया और दोनों हाथों से अपनी मां की मखमली टांगो को पकड़ कर अपनी जांघों पर चढ़ाता हुआ अपने मोटे तगड़े लंड के सुपाड़े को बुर के बीचो-बीच टीकाकर एक जबरदस्त करारा झटका मारा और समूचा लंड एक ही झटके में पूरा का पूरा बुर में समा गया। एक साथ हुआ जबरदस्त हमला निर्मला झेल नही पाई और उसके मुंह से चीख निकल गई।

ओहहहहहहह,,,,, मां ,,,,,,, मर गई रे हरामजादे,,,,,,, ससससससस,,,,,, सच मे,,,,, आदमी का लंड है या गधे का,,,, हरामजादे,,,,, भोसडी़ के,,,,, आहहहहहहहह,,,,,


चुप सालीे रंडी अभी तुझे दिखाता हूं अपने लंड का असली ताकत अभी तो सिर्फ घुसा है,,, अब तो तुझे जम कर चोदूंगा,,, तब तो तू और ज्यादा चिल्लाएगी (इतना कहने के साथ ही वह लंड को बाहर की तरफ निकालकर फीर से जोरदार धक्का मारा और एक बार फिर से उसकी चीख गुंजने लगी। इसके साथ ही शुभम अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया बड़ी तेज रफ्तार के साथ उसका लंड बुर के के अंदर बाहर हो रहा था।।
साथ ही निर्मला की गर्म सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी। दोनों तरफ से गंदी गंदी गालियों की बौछार हो रही थी जिससे उन दोनों का मजा दुगना बढ़ता जा रहा था। कुछ देर तक यूं ही चोदने के बाद शुभम बोला,,,

चल अब कुत्तिया बन जा साली,,, तुझे मे पीछे से चोदूंगा
मैं भी देखना चाहता हूं कि पीछे से तेरी बड़ी-बड़ी गांड चोदने में कितना मजा आता है।
( इतना सुनते ही निर्मला सिहर उठी क्योंकि शुभम गांड चोदने की बात कर रहा था इसलिए वह बोली।)

ननननन ना,,, ऐसा मत करना वहां बहुत दुखेगा,,,,

बस इतने से डर गई मेरी जान तू चिंता मत कर मैं वहां नहीं डालूंगा क्योंकि मैं देख रहा हूं कि तेरा छेंद बहुत छोटा है मेरा लंड घुस ही नहीं पाएगा।( इतना सुनने के बाद निर्मला को इत्मीनान हुआ और वह तुरंत घोड़ी बन गई अपनी मां की बड़ी-बड़ी और गोरी गांड को देखकर शुभम का मान एकदम से ललच उठा और वह तुरंत एकदम पीछे जाकर के अपने दोनों हाथ से अपनी मां की गोरी गोरी गांड पकड़कर लंड का सुपाड़ा बुर से सटाकर अंदर डाल दिया,,, एक बार फिर से

दोनों के चेहरे पर संतुष्टि जनक एहसास साफ झलक रहा था। ना तो निर्मला ने और ना ही शुभम ने कभी जिंदगी में इस तरह की कभी कल्पना किया था की उनके साथ ऐसा कुछ होगा। बेहद अद्भुत और अकल्पनीय रात्रि संगम बेहद आनंददायक एहसास दोनों के तन-बदन में गुदगुदी कर रहा था। दोनों के बीच बहुत ही गहरा रिश्ता बन चुका था जो कि एक पति पत्नी के बीच ही होता है दोनों एक दूसरे में समाने के लिए हमेशा तत्पर ही रहते थे जहां मौका मिला नहीं की दोनों एक दूसरे की आगोश में खो जाते थे। निर्मला के चेहरे पर मुस्कुराहट तेर रही थी क्योंकि रात में जिस तरह का वह चरित्र निभाई थी उस तरह कि उसने कभी भी सपने में नहीं सोची थी। निर्मला ने वाकई में बिल्कुल कॉल गर्ल की तरह ही, अपना चरित्र निभाई थी जिसमे की अश्लील वार्तालाप के साथ साथ गंदी औरतों का रंडी पन भी साफ झलक रहा था। कुछ ही देर में दोनों शहर से दूर आ चुके थे अब गांव की हद शुरू होने वाला था।
सुबह की ठंडक धीरे धीरे कम हो रही थी और दोपहर की चिलचिलाती धूप अपना असर दिखा रहीे थी। गर्मी की कड़कती धुप मे भी निर्मला के बुर की नमी बरकरार थी। वाकई में निर्मला बहुत ही प्यासी औरत थी जिसने वर्षों तक अपने प्यास को ऐसी सुराही में दबा कर रखी थी,, जिसका पानी एकदम रसीला और मीठा हो चुका था और वह अपनी जवानी की सुराही के मीठे रस से अपने ही बेटे को भिगो रही थी। और उसकी प्यास बुझा भी रही थी और अपने प्यास को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी । निर्मला और शुभम ईस सफर का पूरी तरह से आनंद लेते हुए आगे बढ़ रहे थे। आज सुबह से भी यह दोनों कई घंटों का सफर तय कर चुके थे। शुभम की हालत खराब हो रही थी क्योंकि गर्मी काफी थी। शुभम परेशान होता हुआ बोला।

क्या मम्मी अभी कितना दूर होगा मेरी तो हालत खराब हो गई है और गर्मी भी कितनी ज्यादा है।

बस बेटा थोड़ी देर और अपना गांव शुरू होने वाला है। (निर्मला स्टीयरिंग संभालते हुए बोली) मैं जानती हूं यहां गर्मी बहुत है लेकिन सच बताऊं तो गांव में मजा भी बहुत आता है। और मजा लेने के लिए थोड़ी बहुत परेशानी तो उठानी पड़ती है।

तुम सच कह रही हो मम्मी अब देखो ना,,, कहां पता था कि हम दोनों को इस तरह से होटल में रुकना पड़ेगा और वह भी मुझे एक ग्राहक के तौर पर और तुम्हें कॉल गर्ल के तौर पर लेकिन सच कहूं तो मजा बहुत आया मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि, होटल में इस तरह से चुदाई का कार्यक्रम होगा।

सच रे बहुत मजा आया एक अजीब सा एहसास होने लगा है,,, मेरे तन-बदन में तो अभी भी ना जाने कैसे झुनझुनी सी मची हुई है। धंधा करने वाली औरतें किस तरह से अपने ग्राहकों को खुश करतीे हैं और किस तरह से उनसे मजे लेती हैं इस बात का एहसास मुझे कल रात को होटल में ही हुआ,,( दोनों हाथ से स्टेरिंग संभालते हुए शुभम की तरफ देखते हुए बोली)

सच में मम्मी कल तुम बहुत सेक्सी लग रही थी एक नया रूप निखर कर आया था मैं तो कभी सोच भी नहीं सकता था कि आप इस तरह से गंदी गंदी गालियों के साथ बातें करेंगी।

अरे पागल मैंने भी कहां सोची थी लेकिन कल यह सब करके मुझे बहुत ही सुकून महसूस हो रहा है सच गाली देकर चुदवाने में और भी ज्यादा मजा आता है।

अगर मम्मी किसी शख्स ने सच में तुम्हें धंधे वाली समझकर तुम्हारी कीमत पूछ लिया होता तो,,,,

तो क्या बता देती,,,, मेरी कीमत,,,, वैसे अगर सच में ऐसा होता तो क्या कीमत होती मेरी एक रात की( कुछ सोचते हुए निर्मला शुभम से बोली)

सच बताऊं क्या तुम्हारी कोई कीमत नहीं है।

हं,,,,,,( निर्मला आश्चर्य के साथ शुभम की तरफ देखते हुए)

अरे मेरा मतलब है कि तुम बिल्कुल अनमोल हो तुम्हारा कोई मोल नहीं है तुम्हें तो बस किस्मत से पाया जा सकता है।
( अपने बेटे की इस तरह की बातें सुनकर निर्मला मन-ही-मन मुस्कुराने लगी।)
04-01-2020, 03:05 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
बात ही बात में गांव आ गया था लेकिन अभी भी निर्मला का गांव दस 15 किलोमीटर दूर था।,,, निर्मला हाइवे के किनारे गाड़ी को धीमे करते हुए।

देखिए सड़क अपने गांव की तरफ जाती है लेकिन अपनी भी तो आप ही सफर तय करना बाकी है अब मुझे गाड़ी को कच्ची सड़क पर उतारनी होगी,,,
( इतना कहने के साथ ही निर्मला खाली सड़क देखकर गाड़ी को दूसरी तरफ घुमा दी और कच्ची सड़क पर धीरे-धीरे उतारने लगी क्योंकि सड़क काफी उबड़ खाबड़ थी सड़क क्या थी एक चोड़ी सी पगडंडी ही थी।
शुभम चारों तरफ अपनी नजरें दोड़ा रहा था चारों तरफ हरियाली फैली हुई थी उसे बहुत ही सुकून भरा नजारा लग रहा था।,, तभी एक झटका सा लगा और शुभम का सिर कार की छत से टकरा गया,,,,।

ओहहहहहह,,,, मां ,,,,,, क्या मम्मी क्या कर रही हो ठीक से चलाओ ना।

अरे ठीक ही तो चला रही हूं देख नहीं रहा इतना बड़ा खड्डा है अच्छा हुआ कि गाड़ी दूसरी तरफ नहीं गई संभल गई,,,,,,( स्टेरिंग घुमाकर गाड़ी को कंट्रोल में करते हुए) तुझे तो बस हल्का सा धक्का लगा है मेरी को गांड का बाजा बज गया है।,,,, घंटों से ड्राइविंग करते करते ऐसा लग रहा है कि मेरी गांड सूज गई है।,,,( निर्मला गाड़ी को धीरे-धीरे आगे बढ़ाते हुए मुस्कुराते हुए बोल रही थी।)

क्या बात है मम्मी बिना गांड मरवाए ही तुम्हारी गांड सुझ गई है।


तो क्या तुझे क्या लगता है गांड मराने के बाद ही गांड सोचती है अरे इतने घंटों से पेट पर बैठे-बैठे जो गांड मरा रही हूं वह क्या कम है।,,,

मुझे क्या पता,, यह तो तुम्हीअच्छी तरह से जानती होगी की गांड किस वजह से सुज जाती है,, मुझे इसमें किसी भी प्रकार का अनुभव नहीं है तुम्हें ज्यादा अनुभव होगा,,,,( शुभम शरारती अंदाज में बोला)

तुझे क्या लगता है कि मैंने कभी गांड मरवाई हूं।

मुझे क्या पता मरवा भी सकती हो मैंने तो आज तक नहीं मारी,,,, तुम्हारी गांड,,,,

तेरी मारने की इच्छा है क्या?( बात ही बात में वहां शुभम के मन की बात जानना चाहती थी,, कि शुभम क्या बोलता है और वैसे भी रात में जिस तरह से गांड के छोटे से छेद पर शुभम ने अपने लंड का सुपाड़ा भिडाया था,,, तभी निर्मला के बदन में अजीब सी झुनझुनाहट मच गई थी। उसके भी दिल के कोने में गांड मारने वाली बात को लेकर चहल पहल मची हुई थी। रात वाले वाक्ये के बाद से निर्मला के मन में भी गांड चुदाई करवाने की इच्छा प्रज्वलित हो रही थी लेकिन उसके मन में घबराहट भी थी इसीलिए वह शुभम के मन की बात जानना चाहती थी।


मेरा क्या है मैं तो कहीं भी डाल दूंगा,,,, मुझे तो तुम्हारी खूबसूरत चीज में से हर जगह से आनंद ही आनंद मिलता है, लेकिन एक बात कहूं तो मेरा मन भी तुम्हारा गांड मारने को करता है। लेकिन तुम जब देखो तब नानुकुर करती रहती हो कभी मौका ही नहीं दी, अगर तुम राजी होती तो कल रात होटल में इसका उद्घाटन कर दिया होता,,,,
( अपने बेटे की इस तरह की बातें और उसका इरादा जानकर उत्तेजना के मारे निर्मला का गला सूखने लगा और वह आश्चर्य के साथ अपने बेटे को देख रही थी और बोली।)

तू पागल हो गया है भला ऐसा कैसे हो सकता है।

क्या नहीं हो सकता?

अरे तू ही सोच उसका छेद कितना छोटा होता है और तेरा लंड कितना मोटा है मैं तो मर ही जाऊंगी,,, ( निर्मला को इस तरह की बातें करने में गुदगुदी हो रही थी उसे अच्छा लग रहा था लेकिन मन ही मन वह अपनी घबराहट को क्लियर कर लेना चाहती थी क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके छोटे से छेद में उसके बेटे का मोटा लंड किसी भी हाल में घुस नहीं पाएगा।)

तुम सच में पागल हो मम्मी,,, अरे धीरे-धीरे सब कुछ हो जाएगा ऐसा तो है नहीं कि मैं सीधा लंड टिकाया और उस में डाल दिया,,, मैं भी जानता हूं की तरह से तो मैं तो मजा ले पाओगे और नाम नहीं है ऐसे में सिर्फ दर्द ही होगा और मेरे सारे अरमान धरे के धरे रह जाएंगे।
( अपने बेटे की बात सुनकर वह पूरी तरह से वाकिफ हो गई थी उसका बेटा गांड मारने के लिए पूरी तरह से उत्सुक है। अपने बेटे की उत्सुकता को देखकर उसके बदन में भी हलचल सी मच ने लगी इसलिए वह कैसे कर पाएगा यह जानने के लिए बोली,,।)

तो कैसे करेगा तू इतनी सी छोटे से छेंद में तेरा मोटा लंड जाएगा केसे?

तुम्हारी चुदाई कर कर के इतना तुम्हें समझ गया हूं कि मुझे कब क्या और कैसे करना है। अरे पहले मैं तुम्हारे खूबसूरत बदन से प्यार करूंगा तुम्हारी बुर चाट लूंगा ताकि तुम पूरी तरह से उत्तेजित हो सको,,, फिर अपनी जीभ से तुम्हारी गोरी गोरी गांड का भुरे रंग का छेंद चाटुंगा ताकि तुम एकदम कामोत्तेजित हो जाओ एकदम चुदवासी हो जाओ और खुद ही मेरे लंड को अपनी गांड में डलवाने के लिए बोलो,,,
( निर्मला अपनी नजरों को एक छोटी सी पगडंडी पर दिखाते हुए स्टेरिंग को संभाले हुए अपने बेटे की गर्म बातों को बड़े ही चटखारे लेकर सुन रही थी और उत्तेजित भी हो रही थी,,, और फिर बोली,,,।)

तो क्या ऐसा करने पर तेरा मोटा लंड चला जाएगा?

बुर का छेंद भी को छोटा होता है जब उसमें चला जाता है तो क्या उसमें नहीं जाएगा,,,,


लेकिन बुर तो अपने आप फेलता जाता है उधर का छेद थोड़ी- फेलेगा।।

सब फेलेगा थूक लगा लगा कर गीला कर दूंगा,, अगर उससे भी काम नहीं बनना तो नारियल का तेल लगाकर एकदम लसीला कर दूंगा अब तो आराम से जाएगा बस तुम एक बार हां कह दो,,,

( अपने बेटे की बातें और उत्सुकता देखकर निर्मला भी उत्सुक हो गई इसलिए बोली।)

चल तू बोलता है तो मैं हां कर देती हूं लेकिन कोई भी परेशानी नहीं होनी चाहिए जो भी करना सोच समझ कर करना।

तुम चिंता मत करो मम्मी मै बहुत आराम से करूंगा,,,
( शुभम खुश होता हुआ बोला और अपने बेटे की खुशी देखकर निर्मला भी मन ही मन प्रसन्न होने लगी लेकिन ऐसा बातें सुनकर उसकी बुर में नमी बढ़ने लगी उसे पेशाब सी महसूस होने लगी,,,। आधे से ज्यादा सफर तय कर चुके थे बस तीन 4 किलोमीटर ही घर रह गया था वह मन ही मन सोच रही थी कि घर जाकर ही पेशाब करेगी,,,, इसलिए वहां रुकी नहीं। दोनों गांव के अद्भुत खूबसूरत नजारे का दर्शन करते हुए मन ही मन प्रसन्नता के भाव लिए आगे बढ़ते चले जा रहे थे।

ऊंची नीची पगडंडियों से होते हुए गाड़ी झटका खाते हुए आगे बढ़ती चली जा रही थी और जिस तरह से गाड़ी चल रही थी निर्मला को काफी झटका महसूस हो रहा था जिसकी वजह से ऊसके पेशाब का प्रेशर बार-बार बढ़ता चला जा रहा था।,,, निर्मला से यह प्रेशर बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसे ऐसा लग रहा था कि कभी भी उसकी पेशाब निकल जाएगी वह चारों तरफ नजरें दौड़ाते हुए चली जा रही थी अब तक रास्ते में उसे कोई भी राहगीर नहीं मिला था कोई भी गांव वाला नजर नहीं आ रहा था धूप ही इतनी कड़क थी कि सब लोग अपने-अपने घर में बैठे हुए थे। बार-बार वह अपनी सीट से ऊपर की तरफ अपनी गांड उठा ले रही थी ताकि वह अपनी पेशाब को रोक सके लेकिन सड़क ही ऐसी उबड़-खाबड़ थी कि झटका लगने पर ऐसा लग रहा था कि पेशाब की धार फूट पड़ेगी। आखिरकार तंग आकर उसने एकाएक ब्रेक लगाई। पेड़ के नीचे घनी छांव में गाड़ी रुकने की वजह से शुभम अपनी मां से बोला।

मम्मी यहां तो कोई घर दिखाई नहीं दे रहा है फिर भी यहां गाड़ी क्यों रोक दी,,,,

अरे गाड़ी रोकना मेरी मजबूरी थी क्योंकि वह नहीं रुक रही थी, ( इतना कहने के साथ ही वह कार का दरवाजा खोलकर बाहर आ गई)

क्या रुक नहीं रही थी?

अरे मुझे बड़े जोरों से पेशाब लगी है, अगर गाड़ी नहीं रोकती तो मेरी पेंटी गीली हो जाती।,,,
( अपनी मां की बात सुनकर उसे आश्चर्य से देखते हुए बोला।)

लेकिन मम्मी यहां करोगी कहां?

और यही सड़क के किनारे और कहां (सड़क के थोड़ा किनारे खड़े होते हुए बोली)

मम्मी यहां कोई देख लेगा तो!

अरे कौन देखेगा यहां देख पूरा गांव सन्नाटे मैं है,, कोई नजर आ रहा है ? सब के सब इतनी कड़कती धुप अपने-अपने घर में घुसे बैठे हैं यहां कौन देखेगा?
( इतना कहने के साथ ही निर्मला झट से अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी यह देखकर शुभम एक दम से गनगना गया। वह देखता ही रह गया कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसकी मां ने अपनी पैंटी को भी जांघ तक सरका कर नीचे बैठ कर मूतना शुरू कर दी। अपनी मां की बड़ी-बड़ी और गोरी गांड को देख कर एक बार फिर से शुभम के तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई आज बिल्कुल करीब से वह अपनी मां को पेशाब करते हुए देख रहा था करीब 2 कदम की दूरी पर ही सुभम खड़ा था और दो कदम की दूरी पर है उसकी मां नीचे बैठ कर अपनी नंगी गांड दिखाते हुए मुत रही थी,,
शुभम का लंड पेंट में फिर से खड़ा हो गया। जी तो कर रहा था कि वह भी पीछे से उसी की तरह बैठकर अपने लंड को सीधे उसकी बुर मे उतार कर बैठे बैठे ही चोदना शुरू कर दे। और वह ऐसा कर भी देता अगर ऐसी खुली सड़क पर यह नजारा होने की वजाय कहीं और किसी बंद कमरे में होता तो। अब तक तो वह पूरा का पूरा लंड बुर में डाल दिया होता। शुभम बार-बार इधर उधर नजर दौड़ाकर यह देख रहा था कि कहीं किसी की नजर यहां तो नहीं पहुंच रही है लेकिन उसे पूरी तरह से तसल्ली हो गई थी कि दूर-दूर तक कोई भी नहीं था इसलिए वह भी इत्मीनान से अपनी मां को पेशाब करते देख रहा था। शुभम से भी वहां नहीं जा और वाली वहीं पर खड़ा हो कर के अपना लंड बाहर निकालकर मुतना शुरू कर दिया। दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।

कुछ ही मिनटों बाद दोनों अपने गांव के घर पहुंच गए घर के लोग बड़े प्यार से दोनों का सत्कार किए।

आज बहुत सालों बाद शुभम अपने गांव आया था साथ ही निर्मला भी काफी सालों बाद ही अपने घर लौट रही थी इसलिए सबसे बहुत खुश होकर मिल रही थी। उसकी दोनों भाभियां भी बड़े गर्मजोशी के साथ निर्मला को अपने गले लगाकर मिल रही थी पास में ही खड़ा शुभम यह सब देख रहा था। तभी शुभम की बड़ी वाली मामी की नजर शुभम पर गई तो वह,,,, निर्मला से बोली,,,

अरे वाह अपना लालू तो कितना बड़ा हो गया है,, गोद में था जब तुम यहां से इसको लेकर गई थी बड़ा प्यारा लगता था और तों और अब तो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गया है।,,,,( शुभम खड़ा होकर उन सबको देख कर मुस्कुरा रहा था तभी निर्मला बोली)

यह तुम्हारी बड़ी मामी है बेटा ईनके पैर छुओ,,,,
( इतना सुनते ही शुभम आज्ञाकारी पुत्र की भांती आगे बढ़ा,, और जैसे ही अपनी मामी के पैरों में झुकने को हुआ कि तभी उसकी मामी उसकी बांह पकड़ कर उसे रोकते हुए खड़ा कर दि और तुरंत,,, उसे अपने गले लगाते हुए बोली,,,

मेरा प्यारा बेटा देखो तो मेरे से भी लंबा हो गया है। मेरी आंखे तरस गई थी अपने भांजे को देखने के लिए और यह निर्मला है कि कभी भी यहां आने का नाम ही नहीं लेती मैं तो छोटे देवर की शादी ना होती तो मैं कभी भी अपने शुभम को देख नहीं पाती,,,
( इतना कहते हुए वह शुभम को कसके अपने गले लगाई हुई थी,,, सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था कि शुभम के बदन में घंटियां बजने लगी उसकी जांघों के बीच के हथियार में जैसे जान सी आ गई हो तो धीरे-धीरे उठने लगा,,,, और ऊठता भी कैसे नहीं,,,,,, उसकी मामी की दोनों जवानियां उसके सीने पर दस्तक जो दे रही थी,,, शुभम को साथ में सो सो रहा था कि उसकी मामी की बड़ी-बड़ी दोनों गोल चूचियां उसके सीने से दब रही है और वह भी एकदम नरम नरम,,,,, शुभम अब तक वैसे ही खड़ा था उसकी मम्मी ने ही उसे गले लगाई हुई थी लेकिन जैसे ही शुभम को उनकी बड़ी बड़ी चूची यों का एहसास अपने सीने पर हुआ वह उन्हें बाहों में भरे बिना नहीं रह सका,, और वह भी अपने दोनों हाथ को उसकी मामी के पीछे पीठ पर रखकर सहलाने लगा,,, उसकी मम्मी और बाकी सभी को यही लग रहा था कि मामी और भांजे का प्यार दिखाई दे रहा है लेकिन शुभम के मन में कुछ और चल रहा था वह तो अपनी मामी की बड़ी-बड़ी चूचियों को मुंह में भर कर पीना चाहता था। आते ही उसने देख लिया था कि उसकी बड़ी वाली मामी की गांड काफी बड़ी और चौड़ी थी और यही तो शुभम की सबसे बड़ी कमजोरी भी थी। तभी शुभम को अपने से अलग करते हुए,,, उसकी बड़ी मम्मी अपनी बड़ी बेटी तनु से सामान अंदर ले जाने के लिए बोली तो जैसे ही तनु सामान उठाकर कमरे में जाने लगी वैसे ही शुभम की नजर तनुं पर पड़ी,,, तनु की लंबाई करीब करीब 5:30 फीट की थी,,,, गोरा रंग पतला बदन,,, गांड पर का घेराव अभी ज्यादा नहीं उभरा,,, था,,, फिर भी बदन पर मादकता छाई हुई थी कुल मिलाकर बेहद खूबसूरत लग रही थी। पीछे से ही जब यह हाल था तो आगे से तो पूरी तरह से धमाका नजर आती होगी,,, तनु को पीछे से देखते हुए शुभम यही सोच रहा था तब तक वह कमरे के अंदर चली गई,,, तभी निर्मला ने शुभम को उसकी छोटी मामी के पैर छूने के लिए बोली और शुभम छोटी मामी की तरफ बढ़ा छोटी मां की और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी गोरी चिट्टी भरे बदन की मादक शरीर वाली मामी को देख कर शुभम का दिल जोरों से ऊछलने लगा,,, शुभम को लगा की यह मामी भी उसे अपने सीने से लगाएगी तो इनकी भी दोनों जवानी को अपने अंदर महसूस कर पाएगा,,, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ वह बिना गले लगा ही आशीर्वाद दे दी। शुभम घर के बाकी लोगों से भी बड़े प्यार से मिला घर के लोग सभी खुश थे शादी का माहौल था इसलिए घर पर धीरे-धीरे मेहमान इकट्ठा होना शुरू हो गए थे।
निर्मला बेहद खुश नजर आ रही थी, और खुश होती भी क्यो नहीं बरसों बाद तो अपने मायके आई।थी,,,
सुदामा और निर्मला नहा धोकर खाना खाकर आराम करने चले गए घर काफी बड़ा था और अलग-अलग कमरे भी बने हुए थे इसलिए निर्मला और शुभम को एक कमरा दे दिया गया यह वही कमरा था जिसमे निर्मला अपने स्कूल के दिनों में पढ़ाई करती थी और रहती भी थी बरसों बाद उसी कमरे में आकर निर्मला को बेहद सुकून महसूस हो रहा था। निर्मला और शुभम काफी थक चुके थे इसलिए नहाने के बाद थोड़ा बदन हल्का हुआ और खाना खाते ही दोनों ऐसा सोए कि सुबह में ही उनकी नींद खुली,,,,।
04-01-2020, 03:06 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला तो पहले से ही बिस्तर से उठकर बाहर जा चुकी थी।,,, हंस हंस के आ रही बातों की आवाज सुनकर शुभम की भी नींद खुली तो वह बिस्तर से उठ कर बैठ गया और कान लगाकर सुनने लगा कि कुछ औरतों की आवाज कहां से आ रही ं उठकर,,,, सुबह के 8:00 बज रहे थे वह घड़ी की तरफ देखकर बिस्तर पर से खड़ा हो गया और बाहर जाने को हुआ ही था कि बिस्तर के पास की बंद खिड़की के करीब से आवाज आ रही थी वह वापस मुड़कर खिड़की के पास आया और हल्के से खिड़की को खोलकर देखा तो बाहर का नजारा देखकर दंग रह गया। घर के पीछे कुछ औरतें नहा रही थी वह हमें कैसे खिड़की को खोला था जिसमें से उसे साफ नजर आ रही थी कि उसकी बड़ी बड़ी मामी और छोटी मामी के साथ-साथ तनु और जो कि हैंड पंप चला रही थी और उसकी मां भी वहीं बैठ कर नहा रही थी। लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह थी कि,,,, तीनो के तीनो अर्धनग्न अवस्था में नहा रही थी तनु का बदन भीग चुका था, जिसकी वजह से उसका ड्रेस उसके बदन से चिपक गया था और वह जल्दी-जल्दी हेडपंप चला रही थी,,,,, शुभम साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी मां केवल पेटीकोट को अपने बदन से लपेटी हुई थी जो कि ठीक से लिपटी हुई भी नहीं थी भीगने की वजह से उसके मखमली बदन से नीचे की तरफ सरक रही थी। निर्मला की नंगी चिकनी पीठ शुभम की आंखों के सामने सुनहरी धूप में चमक रही थी। उसकी दोनों मामीयों का भी यही हाल था। लेकिन दोनों मामलों की नंगी चूचियां जोकि पके हुए आम की तरह बड़ी-बड़ी थी वह साफ तौर पर नजर आ रही थी क्योंकि दोनों ने पेटीकोट को ऊपर की तरफ नहीं खींची थी,,, जिससे दोनों मामी की गोल-गोल जवानियां आंख ऊठाए खिड़की की तरफ ही देख रही थी। छोटी मामी का रंग एकदम गोरा था और बड़ी मामी का रंग थोड़ा दबा हुआ था लेकिन फिर भी मैंने इतनी जबरदस्त लग रहे थे कि छोटी मा्मी से भी कई गुना ज्यादा सेक्सी बड़ी मामी लग रही थी। दोनों बाल्टी में से बारी बारी से मग भर भर कर पानी को अपने बदन पर डाल रहीे थी। गीले कपड़ों में तनु की जवानी साफ नजर आ रही थी सीने पर के दोनों चूचियां अभी नींबू के ही आकार की थी यह शुभम अच्छी तरह से समझ गया था बाहर का नजारा देखकर शुभम का लंड पूरी तरह से पेंट में खड़ा हो गया था। एक साथ चार चार खूबसूरत जवानी से भरपूर औरतों के दर्शन और वह भी अर्धनग्न अवस्था में करके शुभम अपने आप को धन्य समझ रहा था। गांव आने से उसका जरूर कुछ ना कुछ फायदा होने वाला है ऐसा उसे लगने लगा था अगर किस्मत ने चाहा तो अपनी मां के साथ साथ 3 दिन जवानी का स्वाद जरूर चख पाएगा ऐसा सोचकर उसके लंड कि अकड़ और ज्यादा बढ़ने लगी थी।। अपनी बड़ी वाली मामी की हरकत देखकर उसके बदन में उत्तेजना की चीटियां चिकोटी काटने लगी थी,,, क्योंकि बार-बार वह बाल्टी से मग में पानी भरकर उसे अपने पेटीकोट के अंदर डालते थे लेकिन साथ ही एक हाथ अंदर की तरफ डालकर अपनी बुर को रगड़ भी रही थी, ऐसा लग रहा था कि जैसे वह उसे साफ कर रही थी,,, ओर यह देखकर निर्मला और उसकी छोटी मामी के साथ साथ तनु भी हंस रही थी वह लोग आपस में कुछ बातें कर रहे थे जो कि ठीक से सुनाई नहीं दे रहा था। वह लोग क्या बातें कर रहे हैं यही सुनने के लिए वह अपने लंड के साथ साथ अपना कान भी खड़ा कर लिया था।

हल्की सी खुल़ी खिड़की में से शुभम अपनी नजरों को और कान को चौकन्ना कर के बाहर के नजारे का आनंद लूट रहा था।,, वैसे भी इस तरह से अर्धनग्न अवस्था में औरतों को नहाते हुए देख पाना भी बेहद आनंद दायक और किस्मत की बात होती है यह सबके हिस्से में नहीं आती।,,, शुभम की किस्मत जोरों पर थी एक तो वैसे भी पहले से ही उसे बेहद खूबसूरत औरत का साथ मिल चुका था जिसके साथ हुआ हर पल संभोगरत होकर धीरे-धीरे उसके मादक रस को अपने अंदर उतार रहा था। और आपकी आंखों के सामने 3 खूबसूरत नारियां अर्धनग्न अवस्था में नहाते हुए अपनी जवानी का जलवा बिखेर रही थी। जिसमें उसकी मां भी शामिल थी यह जवानी का जलवा शुभम के लिए बेहद लजीज हलवा था। जिसको खाने के लिए शुभम तड़प रहा था लेकिन अभी यह तय नहीं था कि यह हलवा कब उसकी थाली में आने वाला है।,,, शुभम ने आंखों से ही इन तीनों हलवो की मिठास को महसूस कर लिया था,,।
आम का सीजन भी शुरू हो गया था लेकिन पेड़ पर मिलने वाले आम की मिठास से शुभम को कोई मतलब नहीं था। क्योंकि आम से भी ज्यादा स्वादिष्ट और मजेदार तो उसे चुचियों में आ रहा था। आम से ज्यादा तो वह अब तक चुचियों को चूस कर उनका रस पी चुका था। वैसे भी या उम्र ही चूचियों को दबा दबा कर पीने की होती है ना की आम को,,, क्योंकि जितना अधिक संतुष्टि चूचियों की नरमाहट और ऊसकी गोलाई में मिलती है उतना मजा ना तो आमको दबाने में आता है और ना ही उसके रस में।
शुभम एकटक खिड़की से बाहर देख रहा था जहां पर उसकी मां और उसकी दोनों मामियां और उसकी चचेरी बहन नहाने का आनंद ले रही थी।,, तभी शुभम के कानों में उसकी मां की आवाज सुनाई दी जो कि उसकी बड़ी मामी से बोल रही थी,,,

भाभी बहुत रगड़ रगड़ कर साफ कर रही हो लगता है कल रात को भैया ने कुछ ज्यादा ही माल निकाल दिया,,,,

अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं है बहुत दिन हो गए थे, साफ करें तो आज सबके साथ नहाते हुए साफ कर रही हूं।,,,
( शुभम तो दोनों की बातें सुनकर एकदम सन्न रह गया क्योंकि पास में ही तनु मुस्कुराते हुए हेंडपंप चला रही थी लेकिन दोनों को इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी की उनकी बड़ी लड़की उनके साथ है फिर भी वह लोग इस तरह की बातें कर रही थी,,, शुभम का लंड पेंट में जोर मारने लगा था उसे क्या था उसे इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी कि वह लोग तनु की मौजुदगी में इस तरह की बातें करते हैं उसे तो बस मजा लेने से मतलब था। और आंखों को सेंकते हुए वह मजा भी ले रहा था।,,, तभी ऊसकी छोटी मामी अपने पैर को ब्रश से रगड़ते हुए बोली।

दीदी युं छिपा छिपाकर क्यों रगड़ रही हो हमें भी तो दिखाओ कौन सा ऐसा खजाना है जिस पर जंग लग गया है और इस तरह से रगड़ रगड़ कर साफ करना पड़ रहा है।

अरे मेरा क्या अलग है मेरे पास भी वही है जो तुम लोगों के पास है देखना हो तो अपना अपना खोलकर देख लो,, ( इतना कहकर वह हंसने लगी,, तनु भी हंस रही थी उसे इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी किसकी मम्मी इस तरह की अश्लील मजाक कर रही हैं। सभी निर्मला की आवाज शुभम के कानों में पड़ी जो कि तनु को ब्रश पकड़ाते हुए,,, पीठ मलने का इशारा करते हुए बोली,,,।

हां भाभी छोटी भाभी ठीक कह रही है मैं भी देखना चाहती हूं कि मेरी भाभी की वो कैसी दिखती है।
04-01-2020, 03:06 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
क्या निर्मला तुम भी,, सबके पास एक जेसी ही तो है मेरी पास क्या कोई खास है।,,,

भाभी तुम बहुत खास हो इसीलिए तो मैं कह रही हूं,,,
( निर्मला तनु को थोड़ा पीठ के और नीचे ब्रश रगड़ने के लिए इशारा करते हुए बोली जिसकी वजह से तनु पीठ के नीचे रगड़ने लगी लेकिन पेटीकोट एकदम कमर के नीचे तक सरक गई जिसकी वजह से निर्मला की लाल रंग की पेंटिं साफ नजर आने लगी अपनी मां की लाल रंग की पेंटिं को देखकर शुभम का लंड ठोकर मारने लगा,,,, शुभम देखते ही देखते उत्तेजना की ओर अग्रसर होता जा रहा था वैसे भी जिंदगी में पहली बार वह इस तरह का नजारा देख रहा था एक साथ चार चार खूबसूरत जवानी का रस हेडपंप के नीचे बिखर रहा था जिसे लूटने वाला केवल वही था।,,,)

रहने दो निर्मला मेरी बच्ची खड़ी है वरना मैं सच में तुम्हें दिखा देती,,,

तो दिखा दो ना तनु को इससे कोई एतराज नहीं है,,, क्यों तन्हा तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है ना वैसे भी हम औरतों को औरतों के साथ थोड़ी बहुत मस्ती करने की झूठ तो होनी ही चाहिए,,,,( तनु को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी वह हां में सिर हिला कर अपना मंतव्य बता चुकी थी,,,, सबकी सहमति हो जाने पर शुभम का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे लगने लगा था कि आज वह उसकी बड़ी मामी की रसीली बुर के दर्शन कर लेगा,,,,, वह खिड़की के पल्लू के ओट से अपनी नजरें टिकाएं बाहर के नजारे का मजा लूट रहा था ।अपने आप पर सब्र ना होने की वजह से उसने अपने पजामे को नीचे सरका कर अपने लंड को हाथ में लेकर हीलाना शुरू कर दिया,, क्या करें ऐसा गर्म नजारा देखकर तो किसी का भी लंड पिघल जाए,, वह तो शुभम था जो कि मर्दाना जोश से भरा हुआ था इसलिए अभी तक उसका लंड पीघला नहीं था। शुभम को उत्सुकता से बाहर की तरफ देख रहा था उसे अब उस पल का इंतजार था जब उसकी बड़ी मामी,,, अपना पेटीकोट हटाकर अपनी जांघों के बीच का वह मुख्य द्वार का दर्शन कराएंगी जिसमें से गुजरने के लिए ऊसका लंड खड़ा हो गया था
तभी उसकी बड़ी मामी ने जो कहा उसे सुनकर शुभम के तन-बदन में उत्तेजना कि चीटियां चुटकी काटने लगी।,,,

चलो ठीक है मैं दिखा दूंगी,,, लेकिन पहले मेरी एक शर्त है अगर तुम लोग मानो तो,,,, निर्मला और तुम तनु नहीं,,

कैसी शर्त (शुभम की छोटी मामी बोली)

यही कि तुम दोनों को भी अपनी अपनी दिखानी होगी,,,

चलो मंजूर है (झट से शुभम की मां बोल पड़ी,, अपनी मां कि इस तरह के उतावलापन देखकर शुभम को जरा भी अचरज नही हुआ,,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां कितनी ज्यादा बेशर्म हो चुकी है लेकिन फिर भी इसमें भी सुभम का ही फायदा था एक साथ तीन तीन रसीली बुर के दर्शन करने का मौका बड़े भाग्य से मिलता है। इसलिए तो शुभम अपने आप को बड़ा भाग्यशाली समझ रहा था अब तो उसका दिल और जोरो से धड़कने लगा था। वह धीरे-धीरे अपने लंड को मुट्ठी में भरकर हिला रहा था और कल्पना कर रहा था कि,,, उसका मोटा लंड ऊसकि बड़ी मामी की बुर के अंदर बाहर हो रहा है इसलिए उसके बदन में उत्तेजना कुछ ज्यादा ही अनुभव रही थी।,,,तभी वह देखा कि उसकी बड़ी मामी एकदम से खड़ी हो गई,, उसके बदन पर कुछ भी नहीं था ऊपर की बड़ी बड़ी चूचियां एकदम साफ नजर आने लगी सूचियों का साइज उसकी मां की चुचियों की तरह ही था,,,, लेकिन निर्मला की चुचियों का आकार एकदम खरबूजे की तरह गोल था,,, और उसकी बड़ी मामी की चूचियों का आकार बड़े बड़े पपीते की तरह था। जिसे मुंह में भरकर पीने के लिए सुभम बेताब हो गया। वह ध्यान से अपनी मामी के खूबसूरत बदन को देख रहा था हल्का सा सांवला रंग था लेकिन बड़े ही मादक बदन की मालकिन थी। थोड़ी सी मोटी सी लेकिन बहुत खूबसूरत लग रही थी,,, पानी से पूरा बदन भीगा हुआ था कमर के ऊपर का हिस्सा पूरी तरह से नग्न था। ऊसके खूबसूरत बदन पर मात्र केवल पेटीकोट ही था जो कि पानी में भीग कर कमर से भी नीचे सरक गया था। जहां से उसकी कमर के नीचे का और जांघों के बीच के द्वार के ऊपरी हिस्से का कट़ाव साफ नजर आ रहा था। इतना देखते ही शुभम की हालत खराब होने लगी उसकी सांसो की गति तेज होने लगी और लंड पर ऊसका हाथ बड़ी तेजी से चलने लगा। बड़ी मामी पर शुभम की छोटी मामी और उसकी मां के साथ-साथ खुद उसकी बेटी की भी नजर बराबर बनी हुई थी वह निर्मला की पीठ को ब्रश से रगड़ते हुए अपनी मां के खूबसूरत बदन को देख कर मुस्कुरा रही थी। सुबह की बड़ी मामी मुस्कुरा रही थी बारी-बारी से तीनों की तरफ देख रही थी और अपने दोनों हाथ से अपनी सरकती हुई पेटीकोट को पकड़कर धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगी,,, जैसे-जैसे निर्मला की पेटीकोट नीचे की तरफ सरक रही थी।

जैसे जैसे शुभम को उसकी बड़ी मामी की टांगो के बीच का त्रिकोण आकार वाला स्थल नजर आ रहा था जिसे देख कर उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,, देखते ही देखते उसकी बड़ी मामी ने झटके से अपनी पेटीकोट को एकदम नीचे सरका कर पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,। यह देखकर शुभम के होश उड़ गए उसके लंड का कड़क पन बढ़ने लगा। यह नजारा पूरी तरह से उत्तेजना से भरा हुआ था क्योंकि परिवार की औरतें खुद उनकी बड़ी लड़की अपनी मां को पूरी तरह से नंगी होते हुए देख रही थी और मुस्कुरा रही थी शायद उसे यह सब अच्छा लग रहा था तभी तो वह भी कोई एतराज नहीं जता रही थी। वैसे भी गांव में इस तरह के मजाक का स्तर परिवार में औरतों के बीच होता ही रहता है इसलिए उन लोगों के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन शुभम के लिए यह बेहद अद्भुत और आश्चर्यजनक वाली बात थी लेकिन मादकता से भरा हुआ एहसास भी था। जिसके एहसास में वह पूरी तरह से अपने आप को घोल दे रहा था।,,,

लो देख लो बहुत देखने के लिए तड़प रही थी ना तुम दोनो,,, ( मुस्कुराते हुए शुभम की बड़ी मामी बोली तब जाकर शुभम फिर से गौर से देखने लगा,,, उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसकी मां ने अंदर पेंटी नहीं पहनी थी अंदर से बिल्कुल नंगी ही थी। मोटी मोटी जांघे एकदम चिकनी जिसपर पानी की बूंदे मोतियों की तरह फिसल कर नीचे गिर रही थी। शुभम की नजर जांघो से होती हुई,,, उसकी टांगों के बीच के उस पतली दरार पर टिक गई जोकि,,, झाटों के झुरमुट में छिपी हुई थी,,, बुर के पर ढेर सारे घुंघराले बाल उगे हुए थे,,, जिसमें से दो की गुलाबी पत्तियां ऐसा लग रहा था कि अपने दोनों हाथ से झांटो के झुरमुट को हटाकर उसमें से झांक रही हो,,,, बेहद उन्माद से भरा हुआ दृश्य था। आज पहली बार सुबह औरत की बुर पर इतने सारे बाल देख रहा था जिसे देखते ही वह समझ गया कि मामी शायद सफाई का ध्यान नहीं रखती लेकिन फिर भी उसे बोल के ऊपर इतने ज्यादा काले घुंघराले बाल शोभनीय लग रहे थे।
उसके हाथ की गति धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी,,, उसकी छोटी मामी के साथ साथ उसकी मां भी हंसते हुए बड़ी मामी की बुर का मजा ले रही थी शादी उसकी बड़ी लड़की भी बड़े ध्यान से देख कर मुस्कुराते हुए इधर-उधर शर्मा कर अपनी नजर फेर ले रही थी तनु की इस हरकत को देखकर शुभम की छोटी मामी बोली,,,।

देख लो तनु अपनी मां की खूबसूरत बुर को, इस उम्र में भी वह तुम्हारी बुर को भी टक्कर मार रही हैं,,

तुम ही देखो चाहती मैं तो जा रही हूं कपड़े सुखाने( इतना कहकर तनु वहां से कपड़ों का ढेर लेकर चली गई क्योंकि वह जानती थी कि यह तीनों मिलकर अश्लील मजाक करने वाले हैं और उसे थोड़ी शर्म महसूस हो रही थी तनु के जाते ही निर्मला ने तुरंत अपने हाथ आगे बढ़ा कर,,, झट से अपने बीच वाली उंगली से शुभम की मामी की बुर की गुलाबी पत्ती को कुरेदते हुए बोली,,,,

वाह भाभी अभी तक तुम्हारी बुर टाईट है,,, भैया तो तो मजा आ जाता होगा तुम्हें पेलने मैं,,,
( इतना कह कर निर्मला के साथ साथ उसकी छोटी नानी भी हंसने लगी लेकिन शुभम अपनी मां की यह बात सुनकर एकदम से उत्तेजित हो गया वह अपनी मां का छिनार पन देखकर और भी ज्यादा मदहोश होता जा रहा था।)

अरे तुम्हारे भैया को खेती से फुर्सत मिले तब ना मेरे ऊपर ध्यान दें,, अगर मेरे ऊपर ध्यान देते तो इस तरह से यह खेती की (अपनी बुर की तरफ उंगली से इशारा करते हुए) कटाई हो गई होती हो ओर यह जमीन भी एक दम चिकनी नजर आती है।)

ओह तभी इतनी टाइट है लगता है महीनों से इसमें कुछ नया नहीं है ।

हां यार क्या करूं कामकाज से फुर्सत मिले तब ना इतना कहने के साथ ही वह फिर से पेटीकोट को ऊपर की तरफ खींच कर नहाना शुरू कर दी और नहाते हुए बोली,,,

चल अब तू दिखा (अपनी देवरानी की तरफ इशारा करते हुए बोली)

नहीं मैं नहीं दिखाऊंगी,,,
चल अब नाटक मत करो मैंने जिस तरह से दीखा दी उसी तरह से तुमको भी दिखाना पड़ेगा वरना,,,

नहीं दीदी मैं नहीं दिखाऊंगी मुझको शर्म आती है,,,
( अपने बदन को सीकोड़ते हुए बोली।)

क्या भाभी क्यों नाटक कर रही हो देखो बड़ी भाभी ने कितने आराम से दिखा दी तुम्हें दिखाने में क्या हो रहा है।( शुभम अपनी मां की बात सुनकर मस्त हुआ जा रहा था क्योंकि जिस तरह से वह उत्साहित थी उसकी ओर देखने के लिए उससे कहीं ज्यादा गुना उत्साहित वह खुद था अपनी मामी की बुर देखने के लिए,,)

चलो दिखाओ नहीं तो हम लोगों को जबरदस्ती करना पड़ेगा,,,


नहीं मैं नहीं दिखाऊंगी,,,

भाभी यह ऐसे नहीं मानेंगेी लगता है जबरदस्ती करना ही पड़ेगा,,,
( इतना कहने के साथ ही निर्मला ने अपनी छोटी भाभी की पेटीकोट को पकड़कर खींचना शुरु कर दी साथ ही उसकी बड़ी भाभी भी उसका साथ देते हुए दूसरी तरफ से उसकी पेटीकोट पकड़ कर पीछे की तरफ खींचना शुरु कर दी वह बैठकर अपनी पेटीकोट को बचाने की कोशिश कर रही थी लेकिन दो औरतों की ताकत के आगे वाला उसकी क्या चलने वाली थी,,,। वह अपने आपको बचा नहीं पाई और दोनों ने मिलकर उसकी पेटीकोट को खींचकर उसे भी पूरी तरह से नंगी कर दी शुभम की आंखें फटी की फटी रह गई क्या गजब का नजारा उसकी आंखों के सामने पेश हो रहा था,,, 2 औरतें मिलकर एक औरत को नंगी कर रहीं थी,,, उसकी छोटी मामी नीचे बेठी की बेठी रह गई,,, शुभम अपनी छोटी मामी को पूरी तरह से नंगी देख रहा था एकदम गोरा बदन था खरबूजे जैसी मगर छोटी चूचियां बेहद खूबसूरत लग रही थी। लेकिन जिस चीज को देखने के लिए उसका मन तड़प रहा था वह तो वह अपनी जांघो को सिकोड कर छुपाई हुई थी,,, शुभम इस इंतजार में था कि कब ऊसकी छोटी मामी,,, खड़ी होकर अपनी रसीली बुर के दर्शन करवाएेगी लेकिन जिस तरह से वह जिद कर रही थी ऐसा लग नहीं रहा था कि उसके बुर के दर्शन हो पाएंगे,,, लेकिन ऐसा लग रहा था कि किस्मत शुभम का हि साथ दे रही थीै तभी तो जैसे उसकी मन की बात को जानते हुए उसकी मां और उसकी बड़ी मामी उसकी एक एक टांग को खींच कर अलग करने लगी,, और अगले ही पल दोनों मैं मिलकर छोटी मामी की टागों को अलग कर दी जिससे कि,, जैसा नजारा सुभम देखना चाहता था ठीक वैसा ही नजारा उसकी आंखों के सामने नजर आने लगा,,,
शुभम साफ साफ देखता रहा था कि उसकी छोटी मामी की बुर ऊसकी आंखों के सामने सुनहरी धूप में चमक रही थी,,, और वह यह देखकर हैरान था कि जहां बड़ी मामी की बुर बालों से भरी हुई थी वही छोटी मामी की बुर तो एकदम चिकनी थी ऐसा लग रहा था कि कल रात को ही क्रीम लगाकर अपनी बाल को साफ की हो,,, क्या देख कर उसकी मां भी हैरान थी तभी तो वह बोली,,,

वाह भाभी तुम तो छुपे रुस्तम निकली,,, बड़ी भाभी की बुर पर बाल हीलाते बाल है और तुमने तो अपनी बुर को चीकनीं करके रखी हो,,,,, लगता है कि छोटे भैया तुम्हारी रोज लेते हैं तभी तो देखो कितनी हरी-भरी लग रही है तुम्हारी बुर (अपने दोनों हाथों से जांघो को खोलते हुए,,,, कुछ भी कहने की बजाए छोटी मामी शर्मा रही थी और उसकी शर्म को देख कर कुछ भी कहने की जरूरत नहीं थी,,,।)

चलो अब तो इसने भी दिखा दी अब तुम्हारी बारी है निर्मला रानी,,,,

हां,,,,हां,,,,, जरुर दिखाऊंगी मैंने कब ईनंकार र्की हूं,,,( इतना कहने के साथ ही निर्मला खड़ी हो गई,,, शुभम अच्छी तरह से जानता था कि पिछले कुछ महीनों में उसकी मां के अंदर बहुत कुछ बदल चुका है तभी तो वह इस तरह से अपनी बुर दिखाने के लिए तैयार हो गई
निर्मला जिस तरह से खरीदें शुभम को सिर्फ उसकी पीठ ही नजर आ रही थी उसके कमर के नीचे तक पेटीकोट सरक गया था जिससे उसकी लाल पेंटिं ना जाने कब से नजर आ रही थी,,, उसकी दोनों मां मियां निर्मला की खूबसूरत गोरे बदन को देखकर अपनी आंखें गरम कर रहेी थी, क्योंकि वह लोग भी अच्छी तरह से जानती थी कि निर्मला बेहद खूबसूरत औरत है उसका पूरा बदन और के शरीर की बनावट बेहद कामुक है। देखते ही देखते निर्मला अपने पेटिकोट को नीचे सरका दी,, शुभम अच्छी तरह से देख पा रहा था कि उसके मां के गोरे बदन पर सिर्फ लाल रंग की पेंट ही रह गई थी जिसे देख कर, दोनों की आंखों में चमक आ गई थी तुम दोनों के चेहरे की उत्साह को देखकर शुभम को लग रहा था कि उसके गोरे बदन को देखकर दोनों आश्चर्यचकित हो गई है लेकिन तभी अपनी बड़ी मामी की बात सुनकर वह भी दंग रह गया,,।

अरे निर्मला तुमको साड़ी के नीचे भी कच्छी पहनती हो,,, क्या हमेशा ही पहनती हो या सिर्फ आज ही पहनी हो,,,

भाभी यह कच्छी और ब्रा तो हमेशा पहनती हूं,,,( इतना कहने के साथ ही निर्मला पेंटी के दोनों छोर को अपने हाथ से पकड़ ली,,, शुभम को समझ नहीं आ रहा था कि कच्ची किसे कहते हैं लेकिन जब उसकी मां ने ब्रा और कच्छी एक साथ बोली तो वहं समझ गया कि पेंटी को भी कच्छी कहा जाता है,,,। कच्छी शब्द सुनकर शुभम को बड़ा अजीब लग रहा था,,, लेकिन इस शब्द से उसके तन-बदन में कामुकता की लहर दौड़ में लगी थी और वह जोर जोर से मुठ मारने लगा था।,,,

निर्मला तुमको यह सब पहनना अच्छा लगता है।( उसकी बड़ी मामी आश्चर्य के साथ बोली और यह बात तो सुभम को भी बेहद आश्चर्यजनक लग रही थी।)

अरे तो क्या भाभी औरतों को तो यह सब पहनना चाहिए,,,
( इतना कहने के साथ ही वह धीरे-धीरे नीचे की तरफ अपनी पेमटी को सरकाने लगी। )

पर यहां गांव में तो बहुत सी औरतें नहीं पहनती हम खुद नहीं पहनती हैं,,,।
( अपनी मामी की बात को सुनकर शुभम को यह समझने में बिल्कुल भी देर नहीं लगेगी तभी यह दोनों पेटीकोट के नीचे एकदम नंगी थी क्योंकि यह दोनों पेंटी पहनती ही नहीं थी,,,।)

चलो अच्छी बात है तुम कहती हो तो हम दोनों भी पहनेंगे लेकिन हमें भी तुम्हारी तरह ही अच्छी सी ब्रा और पैंटी दे कर ही जाना।,,,
( शुभम की मम्मी उत्सुकता से बोली)

ले लेना भाभी मैं तुम दोनों को देकर जाऊंगी,,,, लेकिन सबसे पहले मैं जो दिखा रही हूं वह तो देख लो,,,,


अरे तू तो एकदम बेशर्म हो गई है ऐसी तो बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन अब देखो कैसी अपनी बुर देीखाने के लिए लालायित हुए जा रहीे हैं।

निर्मला अपनी भाभी की बात सुनकर थोड़ा झेंप सी गई,,,, जल्दी ही उसने इस बात पर गौर कर ली कि वास्तव में वह एकदम बेशर्मो वाली हरकत कर रही थी,,,
फिर भी वह बात को संभालते हुए बोली,,,।

। ऐसी बात नहीं है माफी अब तुम दोनों जने दिखा दी मगर मैं नहीं दिखाऊंगी तो तुम दोनों जन मेरे बारे में क्या सोचोगी और वैसे भी तो मैं कहां किसी आदमी के सामने दिखा रही हो अपनी भाभियों को ही तो दिखा रही हूं और एक औरत को दिखाने में कैसी शर्म,,,,, चलो अच्छा जाने दो नहीं दिखाती,, इतना कहने के साथ ही जानबूझकर वह नीचे झुक कर अपनी पेटीकोट को ऊपर उठाने को हुई ही थी की शुभम की छोटी मामी बोली,,,,

नहीं है तो चीटिंग है मुझसे को जबरदस्ती दीखवावाली और खुद की बारी आई तो बहाना कर रही हो,,,

हां निर्मला ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा चलो जल्दी से दिखाओ,,,,

दिखा तो रही थी तुम ही सब कह रही हो कि बेशर्म हो गई है,,,

अच्छा नहीं कहेंगे बस अब तो दिखा दो,,,,

ठीक है कहती हो तो दिखा देती हूं । (इतना कहने के साथ ही वह पेटीकोट को वापस छोड़ दी,, शुभम का हांथ जोरों से चल रहा था अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की बुर बेहद हसीन और खूबसूरत है और उस पर बालों का तो नामोनिशान नहीं था क्योंकि हमेशा वह क्रीम से साफ ही रखती थी,,,, तीनों की बातों ने शुभम के बदन में कामोत्तेजना की जबरदस्त लहर को भड़काने का काम कर रही थी। वह जोर जोर से मुट्ठ मार रहा था। तभी उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपनी पेंटी को पकड़कर नीचे की तरफ सरकाने लगी,,, वैसे तो शुभम को सिर्फ उसकी मां की पीठ की तरफ का ही हिस्सा दिख रहा था और वैसे भी उसे इस समय उसकी मां की बुर भले ही ना दिखाई देती हो उसके दिलो-दिमाग पर तो बस उसकी बुर।ही छाई हुई थी इसलिए देखने की जरूरत नहीं थी। देखते ही देखते निर्मला ने अपनी पैंटी को पूरी तरह से उतारकर एकदम नंगी हो गई। निर्मला को संपूर्ण नग्नावस्था में देखकर शुभम की दोनों मामियो का मुंह खुला का खुला रह गया,,,

बाप रे निर्मला तुम्हारी बुर तो एकदम खूबसूरत और कितनी चिकनी है एकदम मक्खन की तरह मेरा दिल तो कर रहा है कि जीभ से चाट लुं।

तो चाट लो ना रोका किसने है।


सच में तुम्हारे जितनी खूबसूरत बुर हमारी होती तो हमारे पति दिन-रात हमसे चिपके हुए होते।
( इतना सुनकर निर्मला अपनी खूबसूरती की तारीफ अपनी ही भाभियों के मुंह से सुनकर मन ही मन प्रसन्न होने लगी,, और शुभम अपनी मामी की मस्त बातों को सुनकर जोरदार प्रेसर के साथ लंड की पिचकारी दीवार पर दे मारा,,,, शुभम झड़ चुका था।,,, और तीनो भी नहा कर जा चुकी थी।
04-01-2020, 03:06 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
इधर शुभम और निर्मला गांव पहुंच चुके थे और दूसरी तरफ शहर में अशोक को जिसका इंतजार था वह भी पहुंच चुकी थी उसकी छोटी बहन मधु,,,। अशोक को तो खुला दौर मिल गया था क्योंकि कुछ दिन तक घर पर उसके और उसकी छोटी बहन मधु के सिवा और कोई भी नहीं था इसलिए अशोक पूरी तरह से अपनी छोटी बहन के साथ गुलछर्रे उड़ा लेना चाहता था बिना किसी रोक-टोक के,,, और घर पर आते ही अशोक अपनी छोटी बहन मधु को पीते अपने बेडरूम में लेकर गया और जाते ही अपने साथ-साथ उसके भी कपड़े उतारकर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,,, मधु को यह सब अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन क्या करें वह मजबूर हो चुकी थी क्योंकि उसके बड़े भाई अशोक के सिवा उसका कोई सहारा नहीं था और वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बड़ा भाई उसकी मदद बस उसके बदन के एवज में ही कर सकता है,,,, इसलिए उसके पास उसके बड़े भाई का साथ देने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं था। वह भी बिस्तर पर उसका साथ देने लगी बहुत दिनों से अशोक भी प्यासा था क्योंकि उसने अपनी सेक्रेटरी को छोड़ दिया था। इसलिए ऊसके लंड में भी बहुत खुजली हो रही थी। मधु जैसी खूबसूरत जवानी को पाकर उससे रहा नहीं गया और वह अपने लंड को उसके मुंह में डाल दिया,,, मधु भी जवान थी वह जानती थी कि उसके बड़े भाई के लंड में इतना दम नहीं है उसे तो मोटा अोर बड़ा लंड चाहिए था लेकिन फिर भी कर भी क्या सकती थी उसकी बुर मे भी बहुत दिनों से कुछ गया नही था।,,, इसलिए थोड़ी बहुत प्यास तो उसके मन में भी थी। इसलिए वह भी अपने भाई का साथ देते हुए उसके लंड को चूसना शुरू कर दि।
थोड़ी देर तक अशोक अपने लंड को अपनी छोटी बहन के मुंह में डालकर उससे चुसवाता रहा,,,, इसके बाद सीधे ही वह अपनी बहन को उठा कर बिस्तर पर ले गया,, और फिर अपने हाथों से उसकी टांगो को फैला कर उसकी नमकीन बुर का स्वाद अपनी जीभ से चाट कर लेने लगा,,, अपने बड़े भाई की इस हरकत पर मधु भी एकदम प्यासी हो गई उसकी बुर से पानी निकलने लगा,, और अगले ही पल जीभ की जगह अशोक अपना लंड बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया।


दूसरी तरफ शुभम खिड़की से बाहर का नजारा देखकर संतुष्ट हो चुका था और इस बात का पता लगभग ऊसे चल चुका था कि उसकी बड़ी मामी लगभग लंड की प्यासी है,, वह मन ही मन यह सोचने लगा कि अगर जरा सी कोशिश की जाए तो उसे बड़ी मामी के साथ साथ उसकी छोटी मामी और बड़ी मामी की लड़की तनु तीनों की बुर चोदने को मिल जाएगी,,,, वह मन ही मन में यह ख्याल बोलने लगा कि अगर ऐसा हुआ तो उसकी दसों की 10 उंगलियां घी में होंगी।। एक नया तरीके का अनुभव उसे महसूस करने को मिलेगा क्योंकि उसने अभी तक अपनी मां को ही चोदते आ रहा था। किसी गैर औरत को अभी तक चोदा नहीं था,,, हां इतना जरूर है कि अगर अब तक वह शहर में होता तो वह अपनी शीतल मैम की चुदाई जरूर कर चुका होता। लेकिन वह सारा ध्यान इस समय गांव की तीनो जवानीयो पर केंद्रीत किए हुए था वह तीनों की बुर का मजा लेना चाहता था और देखना चाहता था कि इन तीनों की बुर का स्वाद किस तरह का होता है।,,,
धीरे-धीरे उसे भी गांव में मज़ा आने लगा था गांव का खुलापन खुली हवा और ज्यादातर गांव की औरतो का आपस में गंदा मजाक करना बेहद पसंद था। शुभम की नजर दिन-रात अब तीनों के फिराक में रहने लगी,, हालांकि वह अपनी मां से भी काफी इंप्रेस था क्योंकि यहां आने के बाद उसके रुप यौवनं में कुछ ज्यादा ही निखार आ गया था। लेकिन 2 दिन बीत चुके थे,, अभी तक वह अपनी मां की चुदाई नहीं कर पाया था क्योंकि देर रात तक कोई ना कोई औरत निर्मला को अपने पास बिठाकर गप्पे लड़ाती रहती और इतने वर्षों मे आने के बाद निर्मला उन्हें इनकार भी नहीं कर पाती थी और ऐसे में शुभम सो जाता था और निर्मला भी बिस्तर पर जाते ही ढेर हो जाते थी। हालांकि उसकी बुर में भी चीटियां रेंग रही थी क्योंकि उसकी आदत अब रोजाना लंड लेने को करने लगी थी।,,,

ऐसे ही शुभम एक दिन नहाकर अपने कमरे में टॉवेल लपेट कर अपनी अंडरवियर को धो रहा था। इधर-उधर ढूंढने के बाद भी उसे अंडरवियर नहीं मिल रही थी वह काफी परेशान हो रहा था और इस हाल में बाहर जा भी नहीं सकता था।,,, बहुत गुस्से में इधर उधर बिस्तर उधेड़बुन रहा था लेकिन कहीं भी उसे उसकी अंडर बीयर नहीं मिल पा रही थी।,,, इसी अफरा-तफरी में उसकी कमर के टावर टूट कर नीचे गिर गई और वह पूरी तरह से नंगा हो गया उसका मजबूत तगड़ा लंड खड़ा नहीं था लेकिन फिर भी,,, इस तरह से जानू के बीच झूल रहा था कि इस अवस्था में कोई भी औरत देख ले तो उसकी बुर से पानी अपने आप फेंक दें,,, उसे इस बात की चिंता बिल्कुल भी नहीं थी कि वह इस समय कमरे में पूरी तरह से नंगा होकर इधर-उधर घूम रहा है वह तो बस परेशान था अपनी अंडरवियर के लिए,,, वह कमरे के चारों तरफ इधर-उधर नंगा ही घूम कर अपनी चड्डी ढुंढ रहा था। लेकिन इस बात का अनुभव उसे भी हो रहा था कि,,, उसकी टांगों के बीच का लंबा लंड झूल रहा है लेकिन इस बात से वह बिल्कुल भी बेफिक्र हो चुका था,,,। तभी वह अपनी चड्डी को इधर-उधर ढूंढता हुआ बिस्तर के नीचे नजर डाला तो वहां पर उसे उसकी मां की पैंटी नजर आई और वह उसे हाथों में लेकर देखने लगा,,, यू एकाएक उसके हाथों में उसकी मां की पैंटी आ जाने की वजह से उसके तनबदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई।। वह एक तक अपनी मां की पैंटी को हाथों में लेकर उसे खींच-खींच कर देखने लगा और सोचने लगा कि उसकी मां की भारी-भरकम गांड इतनी छोटी सी पेंटी में कैसे समा जाती है। तभी उसे वह पल याद आने लगा जब उसकी मामी लोग उसकी मां की पैंटी को देख कर उसे कच्छी कह रही थी। कच्छी शब्द उसके जेहन में आते ही उत्तेजना के मारे का लंड खड़ा होने लगा,,,। उसे कच्छी शब्द पेंटी शब्द से ज्यादा मादक लग रहा था। इस शब्द में उसे कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव हो रहा था तभी तो वह अपनी मां की कच्छी को लेकर कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव करते हुए अपने लंड को खड़ा कर लिया था। उससे रहा नहीं गया और वह अपनी मां की चड्डी को अपनी नाक से लगाकर सुँघने लगा,, धुली हुई पेंटिं से भी अजीब सी मादक खुशबू उसके नाक में प्रवेश करके उसके तन-बदन में उत्तेजना की चिंगारी भड़का रही थी।,,, कुछ देर तक ऐसे ही सुंघकर मस्त होता हुआ वह वापस उसे बिस्तर के नीचे रख दिया और फिर से एक बार अपनी चड्डी को ढूंढने लगा,,,
वह बेखबर होकर अपनी चड्डी को ढूंढ ही रहा था कि तभी दरवाजा भाड़ाक की आवाज के साथ खुला,,, और वह तुरंत दरवाजे की तरफ मुड़ कर खड़ा होकर देखने लगा कि आखिर हुआ क्या,,, उसे इस बात का एहसास बिल्कुल भी नहीं था कि, वह कमरे में पूरी तरह से नंगा हो चुका है,,, दरवाजा खुलने से वह एक दम से चौंक उठा था,,, लेकिन उससे भी ज्यादा शौक होती थी उसकी बड़ी मामी जो कि दरवाजा खोली थी वह तो शुभम को इस तरह से नंगा देखकर एकदम हैरान रह गई और ज्यादा हैरानी उसे शुभम के लंबे लंड को देखकर हो रही थी। उसकी नजरें सुभम के लंड पर ही टिकी हुई थी उसका मुंह खुला का खुला रह गया था आंखें फटी की फटी रह गई थी जिंदगी में उसने आज तक इस तरह का मजबुत तगड़ा लंड नहीं देखी थी। उसका तो पूरा वजूद ही हिल गया था शुभम भी एकाएक दरवाजे पर अपनी बड़ी मामी को खड़ी देखकर हैरान हो गया लेकिन,,, उसे इस बात से और ज्यादा झटका लगा कि इस समय वह कमरे में पूरी तरह से नंबर खड़ा था और तो और उसका लंड भी पूरी तरह से टाइट होकर सीधा खड़ा था,,, जिसको उसकी मांमी आंखें फाड़े देख रही थी,,,, शुभम बड़ी अजीब सी स्थिति में फंस चुका था,,। उसके पास इतना भी समय नहीं था कि वह पास में पड़ी टावल को उठाकर अपनी कमर से लपेट सके,,,, हैरान कर देने वाली बात यह थी कि उसकी मामी दरवाजे पर खड़ी होकर के बस उसके लंड को ही देखे जा रही थी।,,,
शुभम पूरी तरह से शर्मिंदा हो चुका था वह ज्यादा देर तक एैसे खड़ा नहीं रह सका। वग झट से आगे बढ़कर बिस्तर पर पड़ी टावल उठा कर अपनी कमर से लपेट लिया तब जाकर के उसकी मामी का ध्यान भंग हुआ,,,।
और उसे भी इस बात से शर्मिंदगी हुई थी वह भी बेशर्मों की तरह शुभम के लौड़े को देखे जा रही थी। वग शर्मा के झट से वहां से चली गई,,,, शुभम जल्दी जल्दी कपड़े पहनने लगा,।
दूसरी तरफ उसकी मामी सीधे अपने कमरे में आ कर बिस्तर पर बैठ कर हांफने लगी उसे तो अब भी अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि जो नजारा वह अभी-अभी शुभम के कमरे में देख कर आई है वह सच है। वह मन ही मन सोचने लगी कि, क्या हुआ जो देखी थी वह सच है क्या शुभम का लंड वाकई में इतना बड़ा और मोटा है। वह तोें किसी गधे का लंड दिख रहा था।
। वह बिस्तर पर बैठे-बैठे उत्तेजना के मारे,, शुभम के
लंड की तुलना अपने पति से करने लगी तो उसे इस बात का एहसास हो गया कि शुभम की लंबे मोटे लंड के आगे उसके पति का लंड तो काफी छोटा था।
लंड की तुलनात्मक असर को देखकर उसकी बुर गीली होने लगी,, एक अजीब सा एहसास उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रहा था।
04-01-2020, 03:07 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
उसने कभी ऐसा सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी आंखों के सामने ऐसा नजारा देखने को मिलेगा,,, वह तो निर्मला को किसी काम की वजह से उसके कमरे में ढूंढते हुए पहुंच गई थी,,,। लेकिन उसे क्या मालूम था कि कमरे में कुछ और ही नजारा आंखों को देखने को मिलेगा। शुभम के नंगे बदन और खास करके उसके मोटी तगड़े लंबे-लंड की मोटाई और उसका कड़कपन देख कर उसे अब तक हैरानी हो रही थी बिस्तर पर बैठे-बैठे यही सब सोचते हुए उसकी बुर पानी छोड़ रही थी। और वैसे भी जो काफी समय से प्यासी हो जो कि पानी की एक बूंद के लिए भी तरस गई हो उसकी आंखों के सामने हरा भरा सावन नजर आए तो ऐसे में उसकी प्यास बढ़े नहीं तो और क्या हो,,, उसका तो पूरा वजूद डगमगा गया था इस तरह का एहसास उसके मन में कभी भी नहीं हुआ था जिस तरह का एहसास आज उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रहा था। बार-बार ना चाहते हुए भी उस की आंखों के सामने कभी उसके पती का छोटा और पतला ककड़ी नुमा लंड तो कभी उसके भांजे का मजबुत और तगड़ा केला नुमा लंड आ जा रहा था जिसके बीज वह मन ही मन में तुलना करने लगी थी। क्योंकि उसकी बुर मे भी अभी तक सिर्फ उसके पति का ही लंड गया था।,,, यह सारे विचार उसके मन में अजीब सा तूफान ला रहे थे। अब तक सूखी जमीन पर जैसे बारिश की फुहार बरस रही हो इस तरह से उसकी बुर की अंदरूनी और बाहरी सतह मदन रस की फुहार से गीली होने लगी थी। ना चाहते हुए भी अपने आप उसके हाथ साड़ी के ऊपर से ही बुर के ऊपर पहुंच गए,,,, और अपने मन पर काबू ना कर सकने की स्थिति में अपने आप ही उसने अपने हाथ से बुर को साड़ी के ऊपर से ही दबोच ली और ऐसा करने पर उसके मुख से हल्की सी सिसकारी निकल गई वह आगे बढ़ती इससे पहले ही उसे कोई बुलाने लगा और वह झट से कमरे से बाहर आ गई।,,,

दूसरी तरफ शुभम हैरान था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे बाहर जाएं,,, कैसे बह अपनी मामी से आंख मिलाएं,,, क्योंकि जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में हुआ था लेकिन फिर भी उसे दरवाजे में कड़ी लगाकर रखना चाहिए था। और वैसे भी उसके शरीर कोई सामान्य हालत में नहीं था वह पूरी तरह से नंगा था और उस पर भी उसकी पूरी तरह से खड़ा था जैसे लग रहा था कि किसी को चोदने जा रहा हो,,, वह मन ही मन सोचने लगा कि अगर कांड सामान्य स्थिति में होता ना की पूरी तरह से उत्तेजनात्मक तब वह अपने बारे में कुछ सफाई पेश कर सकता था लेकिन जिस हाल में उसकी मम्मी ने उसे देखा था और उसके लंड के दर्शन किए थे ऐसे में तो ऐसा ही लग रहा था कि उसके मन में कुछ और चल रहा था तभी तो तोें ऊसका लंड इतना खड़ा था।वह यही सब सोच कर हैरान हुएं जा रहा था।
उसके मन में शंका था कि कहीं की मामी ने घर में सभी को बता दिया तो की शुभम कमरे में एकदम नंगा था और उसका लंड खड़ा था उसके बारे में ना जाने लोग कैसीे-कैसी बातें करेंगे। लेकिन उसे इस बात की संतुष्टि थी कि उसकी मम्मी ने उसे तब नहीं देखी जब वह उसकी मम्मी की पैंटी को लेकर हाथों से छू कर देख रहा था और नाक से लगाकर उसके मदन रस की खुशबू को शुंघ कर अपने छातियों में उतार रहा था। अगर कहीं उस समय उसकी मामी ने देख लिया होता तो उसकी इज्जत की धज्जियां उड़ गई होती और उसके और उसकी मां के बीच के संबंध में शायद ऊन्हे शक हो जाता,, अच्छा हुआ कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ वरना आज ना जाने क्या हो जाता ऐसा मन में सोचते हुए वह अपने कपड़े जल्दी-जल्दी पहनने लगा,,, वह पेंट पहन कर देख रही अपनी जीप बंद कर रहा था,,, एकाएक उसकी आंखों के सामने उसकी बड़ी मामी की जांघो के बीच का वह नजारा याद आने लगा,, उस बेचारे को याद करते ही उसके बदन में उत्तेजना के लहर दोड़ने लगी,,,
तुरंत ही उसके तन बदन में मादकता का असर होने लगा बार-बार उसकी आंखों के सामने उसकी मामी की जांघो के बीच झांटों का झुरमुट नाचने लगा,,, पहली बार वह औरत की बुर के ऊपर इतने ढेर सारे घुंघराले बाल देख रहा था। हालांकि वह अपनी मां की बुर पर कई बार देख चुका था लेकिन वहं बाल एकदम हल्के हल्के थे जो कि ना के बराबर थे। इसलिए तो मामी के झाटों के बाल को लेकर उसके मन में अजीब सी उत्सुकता भरी हुई थी। एक बार फिर से उसके मन में उसकी मामी की बालों वाली बुर में लंड डालने की इच्छा प्रबल होने लगी और इस बात को लेकर वह मन ही मन में सोचने लगा कि अच्छा ही हुआ कि उसकी मांमी ने उसके मोटे तगड़े लंड को खड़ा हुए हालत में देख ली।,, अगर जिस तरह का सपना वह मन ही मन में बुन रहा है। और अगर वास्तव में उसकी मामी की बुर में बहुत दिनों से लंड नें प्रवेश नहीं लिया है तो यह नजारा उसके मन में चुदासपन को जगाने में मदद करेगी,,,, और अगर सच में ऐसा हो गया तो जैसा वह सोच रहा है बाल वाली बुर में लंड डालने का मौका उसे जल्दी ही मिल जाएगा,,,,,,
यह सोचकर उसके तन-बदन में हलचल सी मचने लगी और उसके होठों पर मुस्कुराहट तेरने लगी।,,,

दूसरी तरफ उसकी मामी के दिलो-दिमाग पर शुभम का लंड पूरी तरह से हावी हो चुका था उसका किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था। जब भी वह कोई काम करने लगती तो बार-बार उसकी आंखों के सामने शुभम का खड़ा लंड आ जाता था और वह काम नहीं कर पाती थी बल्कि उस लंड के ख्याल में खोई रहती थी।
शादी को कुछ ही दिन रह गए थे इसलिए घर के सभी लोग आज खरीदी करने जा रहे थे बाजार यहां से करीबन 20 किलोमीटर दूरी पर था और घर पर ही कार होने की वजह से सब लोग उसी में जाने वाले थे।
शुभम बार-बार अपनी मम्मी के सामने आकर यह देखना चाह रहा था कि उसे देखते ही उसके चेहरे पर किस तरह के बदलाव और भाव आते हैं और सच में जब भी सुबह उसकी आंखों के सामने आता था तो शर्म के मारे उसकी नजरें नीचे हो जा रही थी। जबकि ऐसे हालात में शुभम को शर्म आनी चाहिए थी लेकिन ना जाने कैसी कशमकश में उसकी बड़ी मामी फंसी हुई थी कि वह सुबह से नजरें नहीं मिला पा रही थी जब भी शुभम को देखती तो उसकी नजर अपने आप ही उसकी टांगों के बीच चली जाती थी। और इस बात पर सुभम का ध्यान लगा हुआ था। वह अपनी बड़ी मामी की नजरों को अच्छी तरह से भाप ले रहा था कि ज्यादातर उसकी नजर किस अंग पर जा रही थी,,,,, और इस बात को लेकर उसके मन में प्रसन्नता के भाव पनप रहे थे।
उसकी बड़ी मामी का मन किसी काम में नहीं लग रहा था इसलिए जब उससे बाजार जाने के लिए पूछा गया तो वह तबीयत का बहाना करके इंकार कर दी,,, शुभम इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि घर के सभी लोग बाजार जाने वाले हैं लेकिन इस तरह से उसकी मामी का इंकार कर देना,, उसे अपने लिए रास्ता खुलता नजर आने लगा इसलिए वह भी ना जाने का मन बना लिया था और इसलिए अपने कमरे में चला गया ताकि कोई उसे जाने के लिए पूछे नहीं,,,, निर्मला सभी यह बोलकर अपने कमरे में चली गई कि वह कुछ ही देर में तैयार होकर आती है। जैसे ही कमरे में पहुंची तो शुभम बिस्तर बैठ कर कुछ सोच रहा था शायद वह मामी को पाने के बारे में सोच रहा था।
कमरे में आते ही निर्मला शुभम से बोली,,,

बेटा जल्दी से तैयार हो जाओ हमें बाजार जाना है वहां बहुत सारी खरीदी करना है।
( शुभम तो पहले से ही मन बना लिया था कि वह भी बाजार नहीं जाएगा इसलिए मुंह बनाते हुए बोला,,।)

नहीं मम्मी मैं क्या करूंगा वहां जाकर वैसे भी मैं थक चुका हूं मुझे आराम करना है जो भी खरीदी करना मेरे लिए भी कुछ खरीद लेना,,,
( शुभम की बात सुनते ही निर्मला उसके माथे पर अपनी हथेली रखते हुएे बोली,,।)

क्या बात है बेटा तेरी तबीयत तो ठीक है

हां मामी मेरी तबीयत बिल्कुल ठीक है बस मेरा मन नहीं कर रहा जाने को मैं कुछ देर आराम कर लूंगा तो सही हो जाएगा,,,


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