09-16-2017, 10:22 AM,
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RE: Sex Kahani उड़ी रे....मेरी पतंग उड़ी रे
नताशा की उम्र मुझे 18 वर्ष से ज़्यादा की नही लग रही थी. हाइट करीबन 5'4" रंग मीडियम लेकिन बॉडी बोले तो एकदम झक्कास!! उफ्फ! टाइट टी-शर्ट में च्छूपे हुए मीडियम से बड़े उसके अनार, पतली कमर और टाइट जीन्स से ढके हुई उसकी मांसल जांघे और राउंड शेप के चूतड़. हॅयियी. एस, मेरा मन उसको देख कर तड़फ़ उठा. वाकई में मेरा दिल बल्ले-बल्ले करने लगा. उसकी टी-शर्ट के टाइट होने की वजह से उसके बूब्स की नुकीली नोक मेरे कलेजे को चीरती जा रही थी. मेरे लंड में रह-रह कर तनाव पैदा हो रहा था. मन कर रहा था कि माँझा और पतंगे को छ्चोड़कर उसके मम्मो को हथेली में लेकर मसल दूं. उफ़फ्फ़! क्या कातिल जवानी थी उसकी. वो भी इतनी देर में तीन-चार बार नज़रें घुमा कर मुझे उपर से नीचे तक देख रही थी. उसकी नज़रें रह-रह कर मुझ पर टिक जाती. मेरी नज़रें तो काइट पर कम उसके उपेर ज़्यादा थी.
मेरी बहन जोकि मेरी चरखी पकड़े हुए थी अचानक बोली, "भैया, मुझे ज़रा नीचे जाना है, तुम ज़रा चरखी पकड़ लो ना."
मेरी काइट उस समय काफ़ी उपेर थी इसलिए मैने कहा, "ज़रा 10-15 मिनिट रूको, रश्मि. अभी चरखी कौन पकड़ेगा?"
लेकिन रश्मि बोली, "अर्जेंट काम है भैया. लो मैं किसी दूसरे को पकड़ाती हूँ."
सयोंग से उस समय नताशा के हाथ में कोई चरखी नही थी. मेरी बहन उसको जानती भी थी. उसने नताशा को बुलाया और कहा, "प्लीज़ यह चरखी थोड़ी देर के लिए पकड़ लो. मुझे अर्जेंट काम से नीचे जाना है."
नताशा ने मेरी चरखी रश्मि के हाथ से ले ली. अब मेरी उस समय की चाहत के हाथ में मेरी डोर हो गयी.
मैने उसे हाई हेलो किया, "हाई. आइ'म राज शर्मा."
नताशा ने जवाब दिया, "हाई. आइ'म नताशा."
फिर मैं काइट उड़ाने में लग गया. बीच-बीच में उसको देखने के बहाने सिर पीछे कर उसे कुच्छ-ना-कुच्छ बात कर लेता. इससे मुझे मालूम हुआ कि वो चार साल पहले ही अपने गाओं से मुंबई में आई है और सेकेंड एअर Bआ में है. उसके बोलने के अंदाज़ से लग गया कि वो मुंबई में काफ़ी एंजाय कर रही है. उसकी गाओं वाली शरम हैया ख़तम हो चुकी है. वहाँ उसे पतंगे कभी उड़ाने कोनही मिली थी. लेकिन उसे काइट उड़ते हुए देखना खूब पसंद है.
मैने महशूष किया कि नताशा का चरखी पकड़ना पर्फेक्ट्ली नही आता है. मैने उसे बताया की काइट उड़ाने वाले के हाथ के इशारे को समझ कर कैसे चरखी पकड़ी जाती है. कैसे उड़ाने वाले के पीछे खड़ा हुआ जाता है. इतना सब बताने से उसने चरखी पकड़ने का अंदाज़ बदला और मुझे भी काइट उड़ाने में आसानी होने लगी. मैं बार-बार पीछे देखकर उसके मम्मो का आँखों से रसवादन कर लेता था. उसका चेहरे की सुंदरता को पी लेता था. वो भी मेरी आँखों में आँखें डाल कर मुझे ताक्ति रहती. जिसे मेरा उत्साह बढ़ रहा था. मेरे कॉलेज का एक्सपीरियेन्स मेरे काम आ रहा था. तभी मुझे एक आइडिया सूझा
मैं अब अपनी उड़ती हुई पतंग को एक साइड में ले गया और पीछे की तरफ होने लगा जिससे नताशा भी मेरे साथ पीछे होने लगी. मेरे अनएक्सपेक्टेड पीछे होने से मेरा बदन उसके जिस्म से रगड़ खा जाता. इसे मेरे बदन में चिंगारियाँ पैदा होने लगी. मैं अपनी काइट को नीचे उतारने के बहाने अपनी कोहनी से उसके मम्मो को टच करने लगा. फिर वापस से ढील दे कर काइट को और आयेज बढ़ा देता. ऐसा आधे घंटे में मैने ना जाने कितनी बार किया होगा. उसके मम्मे से मेरी कोहनी के हल्के टच से मेरे जिस्म में अंगारे भर रहे थे. उसकी तरफ से कोई नाराज़गी ना देखकर मुझे लगा मज़ा तो उसे भी आ रहा है. मैं अपनी इस कोहनी की हरकत का बड़े ही अंदाज़ से लुत्फ़ उठा रहा था. इस बीच मेरी केयी पतंगे कट गयी. तुरंत ही दूसरी नयी काइट उड़ा देता. और इस लुत्फ़ का मज़ा उठाता रहा.
तभी मेरी बहन रश्मि वापस आ गयी. उसके साथ मेरी फॅमिली के दूसरे मेंबर्ज़ भी आ गये. रश्मि ने आते ही कहा, "नताशा, ला अब चरखी मुझे...."
मज़ा खराब होते हुए देख मैने तुरंत ही बीच में बोल दिया, "रश्मि, जा. तू पापा की चरखी पकड़ ले. नताशा अभी मेरी चरखी पकड़ी हुई है."
नताशा ने मोहक अंदाज़ से मुस्कराते हुए कहा, "रश्मि, मैं ठीक हूँ यहाँ. तू अपने पापा की चरखी ले ले."
अब मुझे यकीन हो गया कि मेरा तीर निशाने पर लगा हुआ है. आटा कूदी फसली. मच्चली जाल में आ रही है. मैं अपने नये शिकार को पा कर बड़ा खुश हो रहा था. उसके बड़े और नुकीले मम्मो को अब मसल्ने का उपाय खोजने लगा. तभी मेरी यह इच्च्छा पूरी होने आ गयी.
नताशा ने कहा, "राज , मुझे भी काइट उड़ाने दो ना."
मैने पूछा, "तुम्हे आता है काइट उड़ाना."
नताशा ने इनकार में सिर हिलाते हुए कहा, "नही. मैने कभी भी काइट नही उड़ाई है."
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09-16-2017, 10:23 AM,
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RE: Sex Kahani उड़ी रे....मेरी पतंग उड़ी रे
तब मैने मौके को ताड़ते हुए कहा, "रूको अभी. यहाँ तो तुम्हारे हाथ में आते ही कोई ना कोई तुम्हारी काइट काट देगा." फिर मैने दूसरी छ्होटी टेरेस के बारे में बताया, जोकि वहाँ से दिखाई तो नही पड़ रही थी, कहा, "वहाँ से उड़ाते है. वहाँ पतंगे बहुत कम है और तुम्हारी काइट को कोई जल्दी से काटेगा नही और तुम्हे भी उड़ाने में मज़ा आएगा."
मैने जल्दिबाज़ी में अपनी काइट के माँझे को बीच से ही तोड़ दिया. कौन उतारने का झंझट करे. मुझसे ज़्यादा जल्दी इस वक़्त और किसे होगी, फ्रेंड्स?
मैने 10-12 पतंगे साथ में ली और स्टेरकेस के दूसरी तरफ चल पड़ा. मेरे पीछे-पीछे नताशा हाथ में चरखी पकड़े हुए चल पड़ी. किसी ने हमे नही पूछा की कहाँ जा रहे हो. सब अपनी पतंगे उड़ाने में मशगूल थे. हम दोनो उस छ्होटी टेरेस पर चढ़ गये. वहाँ से बड़ी टेरेस वाले नही दिखाई दे रहे थे और उन लोगो को हम नही दिखाई दे रहे थे. अगाल बगल में बिल्डिंग्स नीचे थी जिसे हमे कोई तकलीफ़ नही थी. मैने वाहा पहुँचते ही काइट को उड़ाया और चरखी खुद पकड़ कर काइट उसके हाथ में दे दी. पहली बार उड़ाने के कारण उसे काइट संभालने में काफ़ी दिक्कत हो रही थी इसलिए काइट को मैने वापस अपने हाथ में ले ली.
अब मैने वही पुरानी टॅक्टिक्स अपनाई. इस बार जगह छ्होटी होने से मैं बार-बार और जल्दी-जल्दी अपनी कोहनी से उसके मम्मो पर रगड़ देने लगा. बस इतना ध्यान रखा कि कोई ज़ोर से ना मार दूँ. मैने महशूष किया की नताशा के मम्मे मुझे इस बार ज़्यादा कड़क लगे. इस पर गौर करते हुए पीछे मूड कर देखा तो मेरा मुँह आश्चर्या से खुला रह गया. नताशा अपना सीना थोडा आगे की और कर के आँखे बंद किए हुए खड़ी है. यानी खुद मेरी कोहनी की रगड़ खाने के लिए उतावली हो रखी है. मैने झूमते हुए काइट को उड़ाते हुए कोहनी से थोड़े ज़्यादा दबाते हुए उसके दोनो मम्मो पर बारी बारी रगड़ मारी. वॉववव! उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी. उफ़फ्फ़! यह सुनकर मेरा लंड तो दंडनाता हुआ खड़ा हो गया. मेरा जोश बढ़ गया. अब मुझे एक कदम और आगे बढ़ाना था. फिर एक आइडिया दीमाग में आया. आरे वह मेरे शैतान दीमाग!!!
मैने नताशा के हाथ में फिर से काइट थमा दी. उसे उड़ाने में दिक्कत होने पर मैने उसका हाथ थाम कर उसे उड़ाने के बारे में सिखाने लगा. सिखाना तो बहाना था. मैं तो अपनी जाँघो से उसके गोल-गोल चूतड़ को रगड़ रहा था. मेरा लंड मेरी जीन्स के अंदर कहीं च्छूपा हुआ था लेकिन था बड़ा अलर्ट. उसके चूतड़ का अहसास पाते ही फुंफ-कारने लगा. उसके हाथो को काइट उड़ाने के बहाने अपने हाथों से पकड़ रखा था. उसकी कोमल स्किन की छुहन मेरे जिस्म में बिजली पैदा कर रही थी. काइट को संभालने के कारण हम दोनो के हाथ एक साथ आगे पीछे हो रहे थे. जिसे मेरे हाथ उसके मम्मो को टच कर रहे थे. मैं अब उसके मम्मो के एकदम नज़दीक पहुँच चुका था. वो भी मज़े लेती हुई अपने हाथो को थोड़े ज़ोर से आगे पीच्चे कर रही थी जिसे उसके मम्मो पेर हाथो की टक्कर भी ज़ोर से होने लगी. इसके साथ ही उसकी सिसकारियाँ बढ़ने लगी. उसकी आँखे बंद होने लगी.
मैने इसका फयडा उठाते हुए अपनी झंघों का ज़ोर उसके चूतड़ पर बढ़ा दिया. मेरा लंड शायद उसकी चूतड़ के क्रॅक्स के बीच लगा हुआ था. शायद इसलिए की दोनो की मोटी जीन्स पहने होने के कारण मालूम नही पड़ रहा था. फिर भी मैं कोशिश में लगा हुआ था. अब मेरे हाथ बार-बार उसके उन्नत और बड़े मम्मो के पास ही रह रहे थे. मैं अपने गालों को उसके गालों से टच करने की कोशिश करने लगा. हमारा ध्यान अब काइट उड़ाने पर नही बल्कि एक दूसरे में खो जाने में हो रहा था. काइट तो हमारी कोई पेच लगा कर काट चुका था लेकिन हम दोनो इस नये पेच लड़ाने में लगे हुए थे. अब मेरे हाथ सीधे उसके मम्मो को थाम चुके थे. उफफफफ्फ़! उसके मांसल और कड़क मम्मे मेरी हथेलियों के बीच में थे. मैं उनको सहला रहा था. वो आँखें बंद किए हुए सिसकारी लेते हुए अपने चूतड़ का ज़ोर मेरे लंड की तरफ बढ़ा रही थी.
इसी बीच मैने अपने घुटने से उसके घुटनो को मोड़ा और हम दोनो टेरेस के फर्श पर जा बैठे. अब उसका मुँह मेरी तरफ. उसका कोमल चेहरा, बंद आँखें, भारी साँसें और रूस से भरे तपते होंठ मुझे चूमने का इन्विटेशन देते हुए मेरी ओर बढ़े. मैं झट से अपने दोनो हथेलियों से उसको थाम लिया और अपने होंठो को उसके रसीले होंठो पर रख दिया. अफ... मादक रसीले होंठ... नरम और गरम... तपते हुए उसके होंठ... संतरे की फांको के जैसे मीठे होंठ...
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09-16-2017, 10:23 AM,
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RE: Sex Kahani उड़ी रे....मेरी पतंग उड़ी रे
नताशा भी अपनी आँखें बंद किए हुए मेरे तपते होंठो का जूस अपने नीचले होंठ से पी रही थी. मेरे दोनो हाथ अब उसके कोमल गालों को छ्छू रहे थे. उसकी रेशमी जुल्फें हमारे दोनो के चेहरे पर बिखरी हुई थी. उन्न रेशमी ज़ुल्फो के नीचे हम दोनो एक ज़ोर दार चुंबन लेने में लगे हुए थे. मैं उसके गालों को, कान को और उसकी बंद आँखों को अपनी हथेली से सहला रहा था. दोनो दीन-दुनिया से बेख़बर एक दूसरे के आगोश में खोए चुंबन पर चुंबन ले रहे थे. मैं अब अपने हाथों को नीचे लाते हुए उसकी टाइट टी-शर्ट में छिपे हुए उसके 2-2 गथीले और उभरे हुए उसके मम्मो को सहलाने लगा. सहलाते ही नताशा के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. सिसकारी के साथ ही उसके मुँह से थूक बाहर निकलने लगा. मैने झट से उसके दोनो मम्मो को थोड़ा ज़ोर से दबा दिया
"हाई दायया... थोड़ा धीरे..." बस इतना ही निकला उसके मुँह से.
मैने फिर से अपनी जीभ उसके मुँह में थेल्ते हुए उसके उसकी नरम जीभ का स्वाद लेने लगा और उसके मम्मो को सहलाते रहा. अब वो बेसब्री हो उठी. उसके हाथ मेरे सीने से फिसलते हुए मेरी जीन्स की चैन के पास आ गिरे. मैने थोडा बैठते हुए उसे अपनी बाहों में जाकड़ लिया. मैं उसके मम्मो को अब टी-शर्ट के अंदर से बाहर निकालने की कोशिश करने लगा. वो मेरी जीन्स की चैन को खोलने की कोशिश कर रही थी. तभी नीचे टेरेस एक-साथ ज़ोर दार आवाज़ गूँज उठी. शायद किसी की काइट किसी ने काटी थी. हम दोनो एक दूसरे की आँखों में देखा. एक दूसरे को छ्चोड़ने का सवाल नही था लेकिन यहाँ कपड़े उतारना भी ख़तरे से खाली नही था.
तभी मैने कहा, "नताशा, चलो नीचे चलते हैं."
वो बोली, "कहाँ? अब रहा नही जा रहा है राज शर्मा."
"नीचे एक रूम है. मैं पहले नीचे उतरता हूँ. पीछे पीछे तुम भी एक-दो मिनिट बाद नीचे आ जाना," मैने उसे कहा.
उसको छोड़ते हुए मैने फिर से उसके मदमुस्त होंठो का एक चुंबन ले लिया और नीचे टेरेस पेर उतर कर सीधा 2न्ड फ्लोर के खाली रूम, जोकि मेरा और मेरे फ्रेंड्स का ऐषगाह था, की तरफ निकल पड़ा. 3 मिनिट बाद नताशा भी वहाँ पर आ गयी. मैने रूम के पीछे वाली खिड़की को खोला और यहाँ-वहाँ देखने के बाद नताशा को रूम के अंदर खिड़की से जाने को कहा. नताशा के घुसने के बाद मैं भी अंदर घुस गया. अब रूम में हम दो ही थे. दो जिस्म दो जान जोकि एक जान होने वाले थे. मैने नाइट बल्ब जला दिया और नताशा को अपनी बाहों में भर लिया.
क्रमशः................
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09-16-2017, 10:23 AM,
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RE: Sex Kahani उड़ी रे....मेरी पतंग उड़ी रे
मैने कहा, "नताशा, मेरा पानी निकल जाएगा."
नताशा ने कहा, "तो निकल जाने दो. रुके क्यों?"
मैने कहा, "नही. अभी नही. लास्ट में एक साथ पानी निकालूँगा."
इसके साथ ही मैने अपनी जीन्स को नीचे कर अंडरवेर और जीन्स को निकाल फेंका और उसके चोली में छिपे ख़ज़ाने को मुँह से रगड़ने लगा. मैं अपने लंड को थोड़ा आराम देना चाहता था. मैं अपने दोनो हाथों से उसके मम्मो को मसल और दबा रहा था. नताशा की सिसकारी मम्मो को दबाने के साथ ही निकल पड़ी. अब मैं समझा कि उसके मम्मे बड़े सेन्सिटिव है. टच करते ही उसके जिस्म में एक झूर-झूरी फैल जाती है. शायद काइट उड़ाते वक़्त मेरे लगे उसके मम्मो पर धाक्के के कारण ही अभी वो इस हालत में मेरे साथ है. फिर नताशा को मेज पर लेटा कर उसकी ब्रा को खोल बाहर निकाला और उसके मम्मो को चूमने, चाटने लगा. उसके बड़े साइज़ के, कड़क, सुडोल और उन्नत मम्मे मुझे जी भर कर मासल्न को कह रहे थे. मैं उन्न मम्मो पर टूट पड़ा. वो भी आँखे बंद किए बड़े आराम से सिसकारियाँ लेती हुई रगडवा रही थी. मैने अपने मुँह में जी भर कर चूसा.
इसी बीच नताशा ने अपनी जीन्स और पॅंटी को अपनी टॅंगो से नीचे धकेल कर पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित्त लेट गयी. अब मैं अपने मुँह को नीचे लेटे हुए उसकी कोमल और रेशम जैसी झांतो को चूमते हुए अपने मुँह को उसकी चूत पर टीका दिया. उसकी चूत जोकि उसके जूस से पूरी तरह गीली हो चुकी थी. मैने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी जांघों और उसकी झांतों को चाटने लगा. गुद-गुडी हो रही थी नताशा को. अपनी दोनो झंघों को सिकोड रही थी. मैं अपनी एक हथेली उसकी झंघों के बीच फँसा कर अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा. उसकी जुवैसी चूत मेरे जीभ के टच होते ही और जूस निकालने लगी. मस्ती से भरी हुई नताशा ने अब अपनी दोनो झंघों को खोल कर अपनी चूत को मेरे सामने परोस दिया. मैं उसके चूत-दाने को अपनी एक अंगूली से रगड़ने लगा. जिसे उसकी सिसकारियाँ ज़ोर पकड़ने लगी. साथ ही मैं अपने एक हाथ से उसके एक मम्मे को मसल रहा था. फिर मैने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर घुसा दी और मुँह से उसकी चूत की चुदाई करने लगा.
अब नताशा बेसबरा हो कर बैठ गयी. उसे सहन नही हो पा रहा था. उसने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और अपने गालों से रगड़ने लगी. अब वो मेरे लंड के करतब देखना चाहती थी. उसने मेरे लंड को मुँह में डाला और चूसने लगी. मैं उसका इशारा समझा और देर नही करते हुए उसकी दोनो टाँगो को मेज पर फैलाया और अपने लंड का सुपरा उसकी जुवैसी चूत के मुँह पर लगा दिया. नताशा मेरे लंड को पकड़े हुए अपनी चूत के द्वार से रगड़ रही थी. उसकी चूत मेरे लंड को सटकाने के लिए बेकाबू हो रही थी. मैने अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर फिट किया और एक हल्का सा धक्का दिया. लंड फिसल कर बाहर आ गया. तब मैने उसकी दोनो टाँगो को और चोडा किया और अपने लंड का धक्का ज़रा ज़ोर से मारा. लंड सीधा एक चोथाई उसकी चूत में जा घुसा और बाहर निकली उसकी हल्की चीख.
"हाीइ... उफ़फ्फ़.... ज़रा धीरे से... हाईईइ..." नताशा मेरे लंड का झटका खाते ही हल्की सी चीखी.
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RE: Sex Kahani उड़ी रे....मेरी पतंग उड़ी रे
"हां.... दबओ मेरे मम्मो को.... बड़ा मज़ा आ रहा है.... मेरे निपल्स को पिंच करो.... उफफफ्फ़.... पूरा अंदर जा रहा है तुम्हारा लंड.... चूत को बड़ा मज़ा आ रहा है ऐसे.... बड़ा सख़्त है तुम्हारा लंड..... एसस्स... एसस्स.... नोच डालो मेरे मम्मो को..... उफफफ्फ़..... हाईईइ..... तुम्हारा लंड..... मेरी चूत..... उफ़फ्फ़ क्या चुद रही है मेरी चूत..... बड़ा.... और बड़ा.... एस्स..... एसस्स.... एसस्स...." चुद्वाते हुए नताशा की सिसकारियाँ बढ़ने लगी.
तभी एक हल्की चीख मारते हुए नताशा मेरे सीने से चिपकटे हुए मुझ पर लेट गयी और गहरी-गहरी साँसे लेने लगी. उसका पानी फिर से निकल गया. लंबी-लंबी गहरी-गहरी साँसे लेते हुए मेरे होंठो को चूमने लगी. मैने उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए अपने सीने से दबा लिया और हम 4-5 मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे
जब काफ़ी देर हो गयी और नताशा भी शांत हो गयी तो मैने नताशा को मेज से नीचे उतार कर उसकी दोनो कोहनी को मेज से लगा कर उसे घोड़ी बना दिया. जिसे उसकी चूत पीछे से उभर कर बाहर आ गयी. मेरा लंड लोहे की रोड की तरह अब भी सख़्त था. मैने उसकी चूत को चौड़ा किया और एक जोरदार झटका देते हुए उसकी चूत में डाल दिया. मैने उसके दोनो कंधों को पकड़े हुए अपने लंड के धक्के देने शुरू कर दिए. मेरी जांघे उसके चूतड़ से टकराती हुई मेरे लंड को उसकी चूत की पूरी गहराई तक पहुँचा रही थी. लेकिन 30-35 झटकों में ही नताशा का पानी निकलने लगा. मेरा लंड अभी तक मैदान-ए-जंग में वैसा का वैसा ही खड़ा रह गया.
जब उसका पानी निकल गया तो वो मेज पर से हाथ हटा कर मेरे सामने नीचे बैठ गयी. अब नताशा की और चुद्वाने की हिम्मत नही बची थी. वो मेरे लंड को अपने मुँह से ही झाड़ देने में लगी हुई थी. मेरा लंड कड़क, खड़ा, होशियार और पानी चोद्ने को उतावला. मैने उसके बाल पकड़ कर उसके मुँह को चूत की तरह चोद्ने लगा. अपना लंड बाहर निकाल कर उसके मुँह में पूरा का पूरा पेल रहा था. मेरा पानी अब निकलने ही वाला था कि तभी बाहर आवाज़ होने लगी. सब लोग पतंगे उड़ा कर नीचे आ रहे थे. मुझे मेरी बहन रश्मि की भी आवाज़ भी सुनाई दी. अब रूम में रहने का सवाल ही नही था. मैं बड़ा मयूष हो गया. मयूष तो नताशा भी थी. लेकिन किसी के भी अंदर आने का डर जो ठहरा. मेरा लंड जल्दी से सिकुड़ने लगा. अब सख्ती ख़तम होने लगी.
नताशा फुफउसाते हुए बोली, "विशाल, क्या करें अब? तुम्हारा लंड तो अभी तक झाड़ा ही नही है."
मैने भी धीमे से बोलते हुए कहा, "कोई बात नही. अब तुमसे फिर मुलाकात होगी तभी ही झदेगा यह."
नताशा बोली, "लेकिन कब? ऐसा मौका कब मिलेगा."
मैं बोला, "अब मेरे लंड को झाड़ने के लिए तुम्हे जल्दी ही मुझसे मिलना होगा. चलो अच्च्छा है. इसी बहाने तुम अब मुझसे जल्दी ही मिलॉगी."
नताशा बोली, "अब कैसे करें?"
मैने कहा, "तुम बाहर निकलो और बाजू में बाथरूम है. वहाँ जा कर बाहर चले जाना. किसी को भी शक नही होगा. मैं भी थोड़ी देर में बाहर आ जाऊँगा."
हमने अपने-अपने कपड़े पहने और मैं नताशा को बाहर भेज कर 2-3 मिनट बाद खुद भी बाहर आ गया. देखा नताशा मेरी बहन रश्मि से बात कर रही है. फिर उसे बात करते हुए बाइ-बाइ कर नीचे उतरने लगी. मैं भी चुप-चाप पास में आकर खड़ा हो गया और अप्पर टेरेस पर जाने लगा. मेरी आज की कहानी यही ख़तम होते दिखी. बड़ी खीज हो रही थी कि 5-7 मिनट और मिल जाते तो क्या हो जाता?
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