RE: Sex Kahani उड़ी रे....मेरी पतंग उड़ी रे
खैर टेरेस पर पहुँच गया. अंधेरा होने लगा था. इसीलिए सभी लोग नीचे आ गये. टेरेस कोई नही था. मैं अपने लंड को सहलाते हुआ अपनी पतंगे और माँझा लेने उपेर छ्होटी टेरेस की ओर जाने लगा. मन बड़ा उदास था और लंड मयूष. जब मैं पतंगे और मंजा समेट रहा था की किसी के उपेर आने की आवाज़ सुनाई दी. वाउ! यह तो नताशा ही थी.
"नताशा तुम!" मैने आश्चर्या से पुछा. "अभी तक तुम गयी नही?"
"कैसे जाती विशाल तुमको छोड़ कर?" नताशा ने धीरे से कहा, "ऐसा मज़ा देने वाले को ऐसे ही छोड़ देती मैं?"
मैने नताशा को खुशी से झूमते हुए अपनी बाहों में ले लिया. अंधेरा हो रहा था और किसी के देखने का डर भी नही था.
"किसी ने देखा तो नही तुम्हे?" मैने अपनी बाहों में च्छूपाते हुए पूछा.
मेरी बाहों में सिमट-ती हुई नताशा बोली, "नही. किसी ने नही देखा. जब सीढ़ी पर कोई नही था तब मैं उपर च्चढ़ गयी."
अब मैं नताशा को अपनी बाहों में ज़ोर से जकड़ते हुए उसके होठों को चूमने लगा. नताशा भी मेरे चुंबन का जवाब चुंबन से देने लगी.
बीच में ही मैने उसे पूच्छा, "डर नही लगा तुम्हे?"
"डर कैसा? काम अधूरा है तो पूरा तो करना पड़ेगा की नही?" ऐसा कह कर नताशा नीचे बैठ कर मेरी जीन्स की चैन खोल डाली.
जब मैं अपनी जीन्स और अंडरवेर को नीचे कर रहा था तो वो अपनी टी-शर्ट को निकाल फेंकी. उसकी ब्रा गायब थी. उसने मेरे लंड को अपने दोनो मम्मो के बीच डाल कर मेरे लंड को मसलना शुरू किया और मम्मो से मेरे लंड को चोद्ने (टिट-फक्किंग) लगी. उसके सेंसेटिवे मम्मो की चुदाई ने मेरे लंड को फिर से लोहे जैसा सख़्त बना दिया. 5-7 मिनट तक मेरे लंड को अपने मम्मो के बीच दबाते हुए खूब चुची-चुदाई की. फिर मेरे लंड को मुँह में लिया और लंड को चूसने लगी. 3-4 मिनट की चूसाई के बाद मेरे लंड का पानी निकलने को तय्यार था. मैने नताशा के मुँह को पकड़ा और अपने लंड को बाहर निकाला और उसकी हथेली को अपनी हथेली के साथ लगा कर अपने लंड को झाड़ने लगा. मेरा निशाना उसके मम्मे थे. 4-5 बड़ी-बड़ी पिचकारी उसके मम्मो पेर बारी-बारी से मारी जिसे उसके दोनो मम्मे मेरे रस से ढक गये और फिर अपने लंड को उसके मम्मो के बीच दबा कर अपना बाकी का रस निकाला.
अपने अंडरवेर से उसके मम्मो को पोंच्छ कर उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसको चूमने लगा.
"फिर कब मिलॉगी नताशा?"
"अब हमारा मिलना तो होता ही रहेगा. अब हम जल्दी-जल्दी मिलेंगे."
मैं उसको नीचे छोड़ कर उस रूम में वापस गया. मेज और समान ठीक से रखने के बाद सब तरफ नज़र दौड़ाई कि कोई गड़बड़ ना रह जाए. तभी कोने में मुझे नताशा की ब्रा पड़ी हुई मिली. अब समझ में आया कि उपर टेरेस पर उसकी ब्रा क्यों नही थी.
आज 15 दिन हो गये. नताशा और मेरी 2 बार मुलाकात हो चुकी है. एक बार इस टेरेस पर और एक बार उस रूम में उसकी खूब चुदाई कर चुका हूँ मैं.
दोस्तो कहानी अच्छी लगे तो कुछ कॉमेंट्स छोड़ कर बताना..ज़रूर....
समाप्त
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