Sex Kahani चूत के चक्कर में
06-12-2017, 11:15 AM,
#3
RE: Sex Kahani चूत के चक्कर में
अगली सुबह रामलाल की नींद कजरी के बुलाने की आवाज से खुलती है । रामलाल घर से बाहर निकालता है और कजरी से पूछता है " क्या हुआ ?"
कजरी " मालिक हमरे उ रात से ही घर नहीं आये हैं और आज खेतों में धान की रुपाई करना बहुत जरुरी है। थोड़ी ही देर में धुप तेज हो जायेगी तो काम करना मुश्किल हो जाएगा ।"
रामलाल " कहाँ है रमुआ ?"
कजरी " मालिक कहीं पी के पड़े हुईहै "
रामलाल " ठीक है तुम खेतों पे चलो मैं भी आता हूं "
कजरी " ठीक है मालिक "
रामलाल जल्दी से अपने सारी नित्यक्रिया पूरी करके खेतों पे पहुचता है । कजरी वहां पहले से ही धान की रुपाई कर रही होती है । कजरी अपनी साड़ी घुटनों तक उठा के कमर में खोंसी रहती है ताकि उसकी साडी खेत में भरे पानी से भीगे नहीं । रामलाल भी अपना कुरता उतार कर वही पास में एक पेड़ पर टांग देता है और अपनी धोती उठा के कमर पे बांध लेता है । धीरे धीरे दोनों खेतों में धान की रुपाई करने लगते हैं । करीब एक घंटे बाद अचानक आसमान में बादल छा जाते हैं और बारिश होने लगती है। बारिश के कारण मौसम सुहावना हो जाता है और दोनों को गर्मी से छुटकारा मिल जाता है। अब दोनों बारिश में भीगते हुए धान की रुपाई करने लगते हैं । 
तभी रामलाल पलट के कजरी के तरफ देखता है तो वो उसकी तरफ पीठ करके झुक के धान की रुपाई कर रही होती है । बारिश के कारण उसकी साडी भीगके उसके बदन से चिपक गयी रहती है । रामलाल को अब उसकी गांड एकदम साफ झलक रही होती है । रामलाल का लंड सलामी देने लगता है और उसकी काम भावनाएं भड़कने लगती हैं। वो धीरे धीरे कजरी के तरफ बढ़ने लगता है । जब वो उसके पास पहुचता है तो अचानक कजरी पलट जाती है पर उसका पैर फिसल जाता है। कजरी गिरने से बचने के लिए हाथ से कुछ पकड़ने की कोशिश करती है । उसके हाथ में रामलाल की धोती आ जाती है पर वो उसे गिरने से नहीं बचा पाती। नतीजा ये होता है कजरी पानी में छपाक से गिरती है और उधर रामलाल की धोती और लंगोट खुलके कजरी के हाथ में आ जाता है। कजरी की आँखों के सामने रामलाल का लंड झटके खा रहा होता है वो एकटक उसे देखने लगती है। उधर पानी में गिरने से कजरी के कपडे और भीगके उसके शरीर से चिपक जाते है और रामलाल को अब उसकी चूचियो का आकार साफ़ झलक रहा होता है । रामलाल से अब बर्दाश्त नहीं हो होता वो झुक के कजरी को अपनी गोद में उठा लेता है और उसे लेके खेत के किनारे पेड़ के नीचे लाके लिटा देता है । कजरी भी उसका कोई विरोध नहीं करती ये देख के रामलाल की हिम्मत बढ़ जाती है । रामलाल अब कजरी की साड़ी ऊपर उठा देता है जिससे उसकी चूत उसके सामने आ जाती है । रामलाल उसकी चूत की फांको को फैला कर उसकी चूत के दाने को अपने उंगलियों में लेके मसलने लगता है। कजरी को तो जैसे करंट लग गया हो वो एकदम से आनंद से अकड़ जाती है ।
धीरे धीरे जब कजरी की चूत हल्का हल्का पनियाने लगती है तो रामलाल उसमे एक ऊँगली डाल के अंदर बाहर करने लगता है। कजरी की अनान्द के मारे सिसकारियां निकलने लगती हैं। उसने ऐसे अनान्द की अनुभूति पहले कभी नहीं की थी । रामू तो बस लंड घुसा के अपना काम निपटा के सो जाता था पर रामलाल जो कर रहा था उससे कजरी को आज ये एहसास हो रहा था कि कामक्रिया का अनान्द क्या होता है। रामलाल की ऊँगली अब कजरी के चूत के रस से सन चुकी थी । रामलाल ने अपने लंड पे थूक लगाया और कजरी के पैरों के बीच आ गया। कजरी तो जैसे उसकी गुलाम जो गयी थी उसने कोई प्रतिकार नहीं किया। रामलाल ने अब अपना लंड उसकी चूत जे मुँह पे सेट किया और एक जोर का धक्का लगाया उसका लंड थोड़ा सा कजरी की चूत में घुस गया। कजरी जे मुह से हलकी सी घुटी हुई चीख निकल गयी। रामलाल अब अपने लंड को हल्का हल्का आगे पीछे करने लगा। थोड़ी देर बाद उसने एक और धक्का मारा अबकी बार रामलाल का लंड सरक के कजरी के चूत में पूरा का पूरा घुस गया। कजरी को ऐसा लगा जैसे रामलाल के लंड ने उसकी चूत को पूरा भर दिया हो। अब रामलाल कजरी के ऊपर लेट गया और अपना लंड जोर जोर से कजरी की चूत में पेलने लगा। कजरी असीम अनान्द में सराबोर खो गयी उसने अपनी दोनों टाँगे उठा के रामलाल की कमर पे रख ली जैसे की रामलाल का लंड उसकी चूत की और गहराई तक जा सके। रामलाल ने भी अब अपने धक्कों की स्पीड बढ़ाई तो कजरी के मुह से अजीब अजीब आवाजे आने लगी " हाय दैया ....उफ़्फ़ ...आह ....हाय अम्मा ....मार डाला मालिक ......और जोर से ....हाय ....हाय.... रमुआ ने तो कभी ऐसा मजा नहीं दिया .....और जोर से ......"
कजरी की ये बातें रामलाल को और उत्तेजित करने लगी और वो भी कजरी की चूत में लंबे लंबे शॉट मारने लगा । तभी कजरी का बदन पूरी तरह से अकड़ गया और वो झड़ गयी। रामलाल भी फिर अगले ही शॉट में कजरी की चूत में अपना वीर्य उगलते हुए झड़ गया।
रामलाल कजरी के ऊपर से हट के उसके बगल में लेट गया। कजरी भी कुछ देर वही ज़मीन ओर उस बगल पड़ी रही । फिर उसे दीन दुनिया का ध्यान आया और वो जल्दी से अपने कपडे सही करते हुए गाँव को चली गयी। कजरी ने जाते वक्त पलट के एक बार भी रामलाल की तरफ नहीं देखा रामलाल को लगा शायद वो भावनओं में बह गयी और अब उसे पश्चाताप हो रहा होगा। रामलाल ने भी सोचा की अब अगर कजरी पहल नहीं करेगी तो वो भी नहीं करेगा । फिर रामलाल ने अपने कपडे जो वही खेत में पड़े थे उठाये उन्हें साफ किया फिर पहन कर गाँव की तरफ चल दिया।

घर पहुच कर रामलाल ने नहाने की सोची और वो साफ कपडे लेके गाँव की नदी पे नहाने चला गया। नदी से लौट के रामलाल घर पंहुचा तो देखा कजरी आँगन में चूल्हे पे बैठ खाना बना रही थी। रामलाल ने उसकी तरफ देखा पर कजरी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। रामलाल ने और उसे परेशान करना उचित नहीं समझा और खाट लेके घर के बाहर चला गया। कुछ देर बाद कजरी खाना बना के चुपचाप चली गयी रामलाल ने भी खाना खाया और खाट पे लेट के आराम करने लगा। 
शाम को रामलाल की नींद टूटी तो सूरज अस्त होने को था । रामलाल ने सोचा की आज गांव की चौपाल पे चलते हैं सो वो जा पंहुचा चौपाल पर। वहां पंडितजी , मौलवी साहब और लखन सिंह पहले से मौजूद थे। रामलाल को देखते ही लखन सिंह खुश हो गए और बोले " आओ रामलाल बेटा कभी हम बुजुर्गों के साथ भी बैठ लिया करो "
रामलाल " क्या ताऊ मजाक करते हो आप लोग और बुजुर्ग अभी तो आप लोग जवान हो यकीन न हो तो मौलवी साहब से पूछ लो "
ये बात सुन कर पुजारी जी और लखन सिंह ठहाके लगाके हँसने लगे और मौलवी साहब झेंप गए ।
मौलवी साहब ने सफाई देते हुए कहा " देखो मियां हमारे मजहब में कोई भी मर्द उतनी बेगमे रख सकता है जितनी को वो खिला पिला सके।"
मौलवी साहब की बात सुनके पुजारी जी बोले " बहुत बढ़िया है मौलवी तेरे धर्म में हमारे यहाँ तो सात जन्म तक उसी एक के साथ बंधे रहना रहता है।"
ये सुनकर मौलवी साहब ने पुजारी जी से कहा " तो भी तो तुम हर जगह मुह मारते रहते हो ।"
अब हम सब ठहाके लगा रहे थे और झेपने की बारी पंडितजी की थी। पंडित जी ने बात पलटते हुए अब निशाना मेरी तरफ कर दिया " रामलाल बेटा तुम अब शादी कर लो कब तक ऐसे रंडुवा रहोगे ?"
रामलाल " नहीं पंडितजी मुझे अब शादी नहीं करनी ।"
पंडित जी " अरे बेटा रामलाल तुम एक बार हाँ तो करो एक से एक सुन्दर और जवान लड़कियों के रिश्ते हैं मेरे पास ।"
रामलाल " नहीं पंडितजी अब मैं इस उम्र में अपने से आधी उम्र की लड़की से शादी करता अच्छा लगूंगा। "
पंडितजी " क्या गलत है उसमें बेटा न जाने कितने लोग करते हैं और तुम अपनी बाकी की जिंदगी ऐसे ही गुजरोगे ?"
रामलाल " हाँ चाचा "
अब लखन सिंह बोल पड़े " मैं पंडित की बात से सहमत हूँ की तुम्हे अब शादी कर लेनी चाहिए और मैं तुम्हारी बात से भी सहमत हूँ की तुम्हे अब बहुत छोटी लड़की से शादी नहीं करनी चाहिए। मेरी एक सलाह है कि तुम अपनी उम्र की किसी विधवा से शादी करलो ।"
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