Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
09-04-2018, 11:20 PM,
#7
RE: Sex Kahani सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी
कुछ देर बाद राज अंकल मेरे नजदीक आए और उन्होंने मेरे गालों पर एक ज़ोरदार पप्पी ली और 2 दिन बाद वापस आने का वादा करके चले गए।

फिर एक दिन वह हुआ.. जिसकी मैंने कभी उम्मीद भी नहीं की थी। शाम के 9 बज रहे थे.. राज अंकल की कार दरवाजे पर आकर रुकी थी। अंकल का रात को इस तरह आना.. कोई नई बात नहीं थी.. लेकिन मैंने दरवाजे पर जाकर देखा कि आज अंकल के साथ एक और आदमी भी था।

राज अंकल- हाय शाज़िया कैसी हो? इससे मिलो, यह मेरा दोस्त जय है!

अम्मी ने धीरे से ‘हाय’ करके अपना हाथ आगे बढ़ाया था।
‘और जय यह है मेरी प्यारी सी नन्हीं सी भतीजी फ़ातिमा..’
राज अंकल ने मेरे गाल खींचते हुए.. जय को मेरी तरफ इशारा किया।

जय ने ललचाई हुई नज़रों से मुझे नीचे से ऊपर तक देखा था.. उस वक़्त मैंने रेड स्कर्ट और ब्लैक टॉप पहना हुआ था। मैं बिना जवाब दिए अपने कमरे में चली गई थी।

मैं अपने कमरे में चली गई थी और खिड़की से उनकी बातें सुनने लगी थी।
राज अंकल अम्मी को कमरे में ले कर गए थे.. जय बरामदे में ही रुका था।
‘शाज़िया यह मेरा दोस्त जय है.. आज रात यह हमारे साथ रुकेगा..।’

अंकल अम्मी को समझा-बुझा रहे थे.. लेकिन अम्मी मानने को तैयार नहीं थीं।
‘अरे.. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.. बस मैं तुम और जय.. एक रात की तो बात है..’
मैं समझ चुकी थी कि राज अंकल अम्मी को जय से चुदवाने के लिए राजी कर रहे थे।

शाज़िया- तुम्हारी बात अलग है राज.. तुम मेरे शौहर के दोस्त हो.. लेकिन एक गैर मर्द के साथ मैं नहीं कर सकती।
अम्मी परेशानी से अपना सिर पकड़े सोफे पर बैठी थीं।

राज अंकल- मैं और जय बचपन के दोस्त हैं.. यहाँ तक कि मैंने उसकी पत्नी की भी ली है.. अब अगर वह कुछ माँगता है.. तो मैं कैसे मना कर दूँ.. और फिर यह बात इस कमरे से बाहर थोड़े ही जाने वाली है? मैंने जय को बोला है कि तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त अल्ताफ की बीवी हो।
‘तुमने मुझसे पूछ कर बोला था क्या..? मैं ऐसा नहीं कर सकती राज..’
राज अंकल ने अम्मी के गालों को अपने दोनों हाथों में लेते हुए अपनी बात पर जोर देकर कहा।

‘लेकिन घर में मेरी बेटी फ़ातिमा भी है.. वह क्या सोचेगी.. अब वह छोटी नहीं रही है..?’
अम्मी ने अपनी शंका ज़ाहिर करते हुए जवाब दिया था.. जबकि जय अंकल बाहर बरामदे में बैठे सिगरेट पी रहे थे।

‘हाँ मुझे बहुत अच्छी तरह से मालूम है कि वो ‘बड़ी’ हो गई है.. उसकी तुम फ़िक्र मत करो.. मैं उसको सम्हाल लूँगा।

फिर अम्मी धीरे-धीरे राजी हो गई थीं। राज अंकल अम्मी को अपनी गोद में लिए हुए थे और उनके कुरते में हाथ डाल कर उनके चूचों को मसल रहे थे। जिससे उनका विरोध अब कम हो गया था।

रात होने को थी.. मेरा दिल धड़कने लगा था.. मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था कि मेरी अम्मी मेरे सामने ही दो-दो मर्दों से चुदेगीं.. कैसे चुदेगीं.. आह्ह्ह चाचा का और उनके दोस्त का कड़क लण्ड भला अन्दर कैसे घुसेगा..? यह सोच कर तो मेरी चूत में भी पानी उतारने लगा था।

रात को अम्मी मेरे कमरे में आईं और मुझे ठीक से सुला दिया और चादर ओढ़ा कर लाईट बन्द करके कमरे बन्द करके चली गईं।
मैंने धीरे से चादर हटा दी और उछल कर खिड़की पर आ गई।

जय अंकल शायद शराब पी रहे थे.. उसका यह रूप भी मेरे सामने आने लगा था। अपना लण्ड मसलते हुए वो धीरे-धीरे शराब पी रहे थे।
‘उसे चादर उढ़ा दी है.. वो गहरी नींद में सो गई है..’
यह सुनते ही राज अंकल ने अम्मी को अपनी बाँहों में भरते हुए चूम लिया।

मुझे उनके कमरे से अब जय अंकल की भी आवाज सुनाई दे रही थी..
मेरा दिल धड़क रहा था कि अम्मी की आज दो मर्दों से चुदाई होगी।
राज ने अम्मी को जय के पास जाने को कहा।

अम्मी धीरे-धीरे शरमाते हुए अंकल की तरफ़ बढ़ रही थीं.. उनके पास आकर वो रुक गईं.. और अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से उन्हें निहारने लगीं।

तभी अम्मी मेरे सामने मुँह करके आ गईं.. मैंने देखा कि उन्होंने आज बेहद ही कीमती ड्रेस पहना हुआ था.. छोटी सी ब्लैक रंग की बैकलेस कुर्ती और उसके साथ लाल रंग की जालीदार सलवार.. यह ड्रेस शायद जय अंकल अम्मी के लिए लाए थे।

मैं सोचने लगी कि अरे.. वाह अम्मी ऐसी ड्रेस में..
मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा था, ये दोनों हरामजादे आज रात को मेरी अम्मी की चुदाई करेंगे।

अम्मी का तराशा हुआ गुदाज गोरा जिस्म.. ट्यूबलाईट की रोशनी में जैसे चांदी की तरह चमक उठा। उनकी ताजी शेव की हुई चूत की फ़ांकें.. सच में किसी धारदार हथियार से कम नहीं थीं। कैसी सुन्दर सी दरार थी.. चिकनी शेव की हुई रसीली चूत।

‘उफ़्फ़्फ़.. शाज़िया.. आप भी ना.. अभी किसी मॉडल से कम नहीं हो।’ जय अंकल ने अम्मी के गोरे सफ़ेद जिस्म को चूमते हुए कहा था।
‘हा.. हा.. हा.. अच्छा जी.. राज भाईजान की मेहरबानी है.. यह जो तुम्हारे सामने हूँ।’
अम्मी उनसे लिपट कर बातें कर रही थीं। कभी तो वो मेरी नजरों के सामने आ जातीं.. और कभी आँखों से ओझल हो जाती थीं।

तभी जय अंकल ने अम्मी का हाथ पकड़ कर अपने सामने सामने खींच लिया और कुर्ती के ऊपर से ही उनके सुडौल चूतड़ों को दबाने लगे। अम्मी की लम्बाई चाचा के बराबर ही थी..

उफ़्फ़.. अम्मी ने गजब कर दिया.. उन्होंने जय अंकल की जीन्स की ज़िप धीरे से खोल दी।
‘क्यूं आपको.. मेरे सामने शर्म आ रही है क्या? अपने लण्ड को क्यूं छुपा रखा है.. जानेमन?’

तभी मेरी धड़कन तेज हो गईं.. अंकल ने अम्मी की सलवार के नीचे से अम्मी की गाण्ड को दबा दिया। अम्मी ने अपनी टांग कुर्सी पर रख दी.. ओह्ह्ह तो जनाब ने अम्मी की गाण्ड में उंगली ही घुसेड़ दी है।
वो अपनी उंगली गाण्ड में घुमाने लगा.. अम्मी भी अपनी गाण्ड घुमा-घुमा कर आनन्द लेने लगीं।
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