Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
06-19-2018, 12:36 PM,
#7
RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
फिर एकदम से वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे होंठों को चूसने लगा और बोलने लगा- जब से जय ने तुम्हारे बारे में बोला, तभी से तुम्हें देखना और पाना चाहता था। आज देखते ही तुम मुझे पसन्द आ गईं।
फिर मुझे चूमने लगा और बोला- नाईटी में तुम गजब की लग रही हो, अब जरा अन्दर के भी दीदार करा दो मेरी जान!
मैं बोली- हुजूर.. आज मैं आपकी हूँ.. जो चाहो करो.. आपके स्वागत में मेरा हुस्न हाजिर है।
जय ने चूमते हुए मेरे नाईटी को निकाल दिया।
अब मैं उसके सामने सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में थी, जयदीप मुझे आँखें फाड़े मुझे देखते हुए बोला- तुम ऐसे में कयामत लग रही हो.. मेरा बस चले तो तुमको सदा ऐसे ही रखूँ।
फिर उसने मेरी पैन्टी के ऊपर से चूम लिया, बोला- मैं चुदाई से पहले पैन्टी-ब्रा को निकालता नहीं.. फाड़ देता हूँ, तुम बुरा तो नहीं मानोगी?
मैं बोली- जैसा आपको अच्छा लगा.. करो। 
इतना बोलते ही जय ने ब्रा को जोर से पकड़ कर एक झटके में फाड़ दिया और मेरी चूचियाँ छलक कर बाहर आ गईं।
जय भींच कर मेरी चूची चूसने लगा।
फिर पैन्टी पकड़ा और जोर से खींच कर फाड़ दिया, जिससे मेरी गुलाबी चूत उसके सामने आ गई।
अब मैं उसके सामने पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी, मेरे बड़े-बड़े स्तन उसके सामने सख्त आम की तरह तने हुए थरथरा रहे थे।
मेरे स्तनों को देख कर वो पागल हो गया, एक मम्मा मुँह में लेकर चूसने लगा, मुझ पर तो जैसे चुदाई का नशा सवार होने लगा। मैं अपनी आँखें बँद करके पड़ी हुई थी।
करीब 15-20 मिनट तक वो ऐसे ही मेरे बदन को चूमता रहा, फ़िर वो उठा और अपने कपड़े निकालने लगा।
जब उसने अपना बाबूराव निकाला तो मैं देखती रह गई। वो करीब 8 इंच बड़ा और 4 इंच मोटा था।
मुझसे रहा नहीं गया, मैं लपकी और उसका मोटा बाबूराव मुँह में लेकर चूसने लगी।
वो हैरान रह गया.. शायद जय यह नहीं सोच रहा था। 
वो बोला- साली तू तो रन्डी निकली। 
मैं भी अब बेशर्म हो गई थी और उसका लन्ड चूसने लगी।
वो बोला- साली कुतिया.. आज तो तेरे दोनों छेदों को मैं फ़ाड़ दूँगा।
मैं बोली- हाँ.. मेरे राजा.. आज तो मुझे अपनी रन्डी बना दे.. फ़ाड़ डाल मेरे छेदों को.. आह्ह..
उसने अपना लन्ड मेरे मुँह में से निकाला और बोला- बोल साली पहले रन्डी किधर डालूँ?
मैं बोली- आज तक मैंने अपनी गाण्ड एक ही बार मरवाई है, आज तू इसको दुबारा चोद दे।
वो बोला- चल मेरी रानी.. कुतिया बन जा।
तो मैं कुतिया की तरह उसके सामने अपनी गाण्ड खोल कर बैठ गई।
उसने ढेर सारा थूक लिया और मेरी गाण्ड के छेद पर लगा दिया, फिर उसने अपना सुपारा मेरी गाण्ड के छेद पर टिकाया और एक जोर का धक्का मारा।
‘आईईइ..’ मैं जोर से चिल्लाई।
एक ही झटके में उसने अपना पूरा लन्ड मेरी गाण्ड के अन्दर डाल दिया।
मैं रोने लगी,’छोड़ दो मुझे.. आह्ह्ह्ह प्लीज़ उईईईइ.. मैं मर गई।’
वो मेरे चूतड़ों को धीरे-धीरे सहला रहा था।
फिर उसने अपना लन्ड बाहर निकाला और फिर एक और जोर का धक्का दे दिया।
मैं फिर चिल्लाई लेकिन इस बार वो नहीं रुका और धक्के पे धक्का मारने लगा।
मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं रो रही थी, लेकिन वो कमीना नहीं रुका और धक्के पे धक्का लगाता ही गया।
करीब 10 मिनट के बाद मेरा दर्द दूर हुआ।
मेरी गाण्ड में से ‘फ़चक… फ़चक…’ की आवाज आ रही थी।
आख़िरकार दुबारा मुझे मोटे लण्ड से गाण्ड मरवाने का सपना पूरा हुआ था।
अब मेरा दर्द पूरा गायब हो गया था और मुझे बड़ा मजा आने लगा था। 
अब मैं मस्ती में चिल्ला रही थी- आह्ह्ह्ह्ह.. मेरे राजा.. फाड़ दे मेरी गाण्ड को.. आहहहह और जोर से आहहहह… मुझे अपनी रन्डी की तरह चोद..उईईईईईई…
तभी उसने अपना लन्ड मेरी गाण्ड में से निकाला और मेरे नीचे आ गया।
मैं समझ गई और उसके ऊपर चढ़ गई, मैंने उसका लन्ड पकड़ लिया और अपनी गाण्ड के छेद पे सैट कर लिया और धक्का दिया।
इस बार उसका बाबूराव बड़े आराम से मेरी गाण्ड के अन्दर चला गया।
अब मैं उसके लन्ड के ऊपर मेरी गाण्ड पटक-पटक कर चुदने लगी। वो भी नीचे से धक्के मार रहा था। 
‘फ़चक… फ़चक’ पूरे कमरे में यही आवाज आ रही थी।
मुझे उसकी रन्डी बन कर बहुत मजा आ रहा था।
वो मेरी गाण्ड फाड़ता रहा। 
फिर जय बोला- रानी मैं झड़ने वाला हूँ.. कहाँ निकालूँ?
मैंने कहा- मेरी गाण्ड में ही छोड़ दो। 
तो वो जोर-जोर से धक्के मारते-मारते मेरी गाण्ड के अन्दर ही झड़ गया।
फिर मैं उठी और जय के लण्ड को रूमाल से साफ किया फिर अपनी चूत पोंछी। जय के वीर्य से रूमाल पूरा भीग गया था। 
वो बोला- तुम थोड़ा आराम कर लो। उसके बाद चूत मारूँगा.. चुदोगी न। 
मैं बोली- ऐसे लवड़े से कौन नहीं चुदना चाहेगा.. मेरे जयदीप आज में तेरी रन्डी हूँ.. तू जैसे चाहे मुझे चोद ले। 
मेरी ब्रा-पैन्टी तो पहले ही फट चुकी थी। मै वैसे ही नाईटी पहन कर जय के बगल में जा लेटी। 
जय भी कपड़े पहन चुका था और उसने फोन करके काफी के लिए बोला।
फिर हम दोनों बातें कर ही रहे थे कि दरवाजे पर घन्टी बजी।
जय ने दरवाजा खोला, वेटर काफी ले आया था। 
काफी और सिगरेट रख बोला- सर कुछ और? जय बोला- नहीं.. जाओ। 
वो चला गया।
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