Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
06-19-2018, 12:41 PM,
#33
RE: Sex Kahani ह्ज्बेंड ने रण्डी बना दिया
इधर मेरी चूत रानी पानी छोड़ रही थी, मेरी पैन्टी गीली हो रही थी, मैं मदहोश हो रही थी, मुझे लग रहा था कि चाहे जो हो जाए मैं चुद कर ही जाऊँगी यहाँ से। 
अब मेरी चूत पानी छोड़ चुकी थी और मेरा चूत रस बह रहा था। लण्ड चूसते हुए मैं एक हाथ से उसके अंडकोषों को सहलाने के साथ रह-रह कर उनको दबा भी देती थी..। मैं पूरा लण्ड से मुँह से निकाल कर बोली- मेरी चूत के मालिक, रात को तो चोदना ही.. पर उससे पहले एक बार अपना लण्ड मेरी चूत में अभी ही डाल दो।
वह बोला- आह्ह.. साली.. चूस.. मुझे तेरे मुँह में ही झड़ना है.. ले जल्दी से.. नहीं तो अभी कोई आ जाएगा।
मैं बोली- आने दो.. मुझे डर नहीं.. जब तक तीन-चार धक्के मेरी चूत में तुम्हारे लण्ड से नहीं लगवा लूँगी.. मानूंगी नहीं..
वह बोला- साली तू औरत है.. या सेक्स की भूखी है?
मैं बोली- एक बार मेरी ले लो.. ताकि मुझे भी तसल्ली हो जाए.. और तेरे लण्ड का स्वाद भी मेरी चूत को मिल जाएगा। फिर चाहे तुम मेरे मुँह में ही झड़ जाना।
वह बोला- ठीक है.. खड़ी हो साली..
यह कह कर मुझे आगे की तरफ झुका कर मेरा लहँगा उठाकर मेरी पैन्टी को निकाल कर अपनी जेब में रख लिया।
बोला- जान यह अब मेरे पास रहेगी।
यह कहते हुए मेरी चूत पर लण्ड लगा कर एक ही बार में पूरी ताकत लगा कर मेरी पनियाई हुई चूत में अपना लण्ड पेल दिया।
मेरे मुँह से सिसकारियाँ छूटने लगीं- उफ़्फ़ फफ्फ़.. अहह सीयह..
‘आह्ह.. ले साली.. मेरा पूरा लंड खा गई है.. तेरी फूली चूत.. मेरी रानी..’
मैं तेज़ी से चूतड़ आगे-पीछे करने लगी- चोद मुझको.. मेरी चूत का बाजा बजा दे.. आह्ह..
इतना सुनते ही उसने धक्के तेज़ कर दिए और मुझे चोदने लगा।
‘उहह.. अहह.. साले.. तेरा लंड मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा है.. उफफ फफ्फ़.. अहह..।’
मैं सीत्कार करती रही और 20-25 धक्कों के बाद मेरी चूत से लण्ड निकाल कर मेरी मुँह में दे दिया।
मैं तड़फ कर रह गई.. चूत के पानी से भीगा रस मुँह से चाटने लगी।
तभी उसके लण्ड ने पिचकारी निकाली.. जो सीधे मेरे मुँह के अन्दर चली गई। वो अपना वीर्य छोड़ने लगा.. उसका लण्ड वीर्य का मोटा फव्वारा छोड़ रहा था। मैंने उसके सारे रस को निगल कर.. लण्ड को चाट कर साफ कर दिया।
वह लण्ड को सीधे अपनी पैन्ट में डाल कर बोला- अपना नम्बर दे.. मैं कॉल करूँगा कि तुमको कहाँ आना है। 
मेरा नम्बर लेकर बोला- मजा आया?
मैं बोली- बहुत पर प्यासी हूँ.. और चोद जाओ ना..
पर वह मेरी बात को अनसुना करके चला गया.. मैं प्यासी ही रह गई..
अपनी प्यासी चूत पर हाथ फेर कर मन मार कर कपड़े ठीक करके चल दी। 
मेरी चूत में आग लगी थी मुझसे चला नहीं जा रहा था, मेरा एक-एक पग रखना मुश्किल हो रहा था, बस मेरे मन में यह लग रहा था कि कोई यहीं मुझे दबोच ले.. और जी भर कर मुझे चोद दे।
मेरे अन्दर शर्म खत्म हो चुकी थी.. बस चूत की आग और एक मोटा लण्ड चाहिए है.. यही याद था।
तभी बगल से मुझे अरुण जी की आवाज सुनाई दी- इधर कहाँ से आ रही हो?
मैं सकपका गई.. मेरे चेहरे का रंग उड़ने लगा।
जल्दबाजी में मैं बोली- बस ऐसे ही थोड़ा मन घबरा रहा था.. तो इधर टहलने चली आई.. आप?
‘मैं कमरे से आ रहा हूँ..’ अरुण जी बोले। 
वे इतना कहते हुए मेरे पास आ गए और बोले- जान बल खा रही हो.. और तुम्हारे बदन से सेक्स की महक आ रही है.. क्या इरादा है?
मैं बोली- अगर मेरे इरादे में अपने इरादे का साथ दें.. तो मैं आप पर मर जाऊँ..
यह कह कर मैं अरुण जी से कस के लिपट गई और बोली- जान.. मेरा तो चुदने का इरादा है..
तभी अरुण जी ने मेरे लहंगे में हाथ डाल कर चूत को पकड़ा और आश्चर्य चकित होकर बोले- तुम बिन पैन्टी के.. और वो भी गीली चूत.. क्या बात है?
मैं बोली- बस इसे लण्ड चाहिए.. यही बात है.. ले चलो और मुझे चोदो.. चाहे कुछ भी हो.. पर मुझे चोद दीजिए।
अरुण जी बोले- अभी नहीं.. कोई आवश्यक काम है.. कल जरूर करूँगा।
यह कहते हुए उन्होंने मेरी चूत में दो उंगलियाँ पेल दीं और दोबारा आगे-पीछे करके बाहर कर लीं.. और बोले- चलो जयमाला का कार्यक्रम खत्म होने वाला है, 12:45 शादी का प्रोग्राम शुरू होगा।
यह कह कर अरुण जी चल दिए।
मैं भी पहुँची और थोड़ी रस्म अदाएगी करके मैं ह्ज्बेंड को खोजने लगी, ह्ज्बेंड मिल गए.. वे अपने दोस्तों के साथ थे..
मुझे देखते ही बोले- अरे डॉली.. क्या बात है?
मैं बोली- मेरे सर में दर्द है।
यह बहाना करके मैं कमरे में आराम करने के लिए जाने को बोली।
ह्ज्बेंड ने खाना पूछा.. मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
ह्ज्बेंड बोले- ठीक है जाओ आराम करो.. मैं तो नहीं आ पाऊँगा.. मुझे तो शादी के मण्डप में बैठना है.. लेकिन तुम भी कुछ समय के लिए शादी के मण्डप में आ जाना.. नहीं तो हो सकता है कि मेरे दोस्त के घर वालों को बुरा लगे।
मैं ‘हाँ’ बोल कर सीधे कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट कर कुछ पल पहले जो वासना का खेल खेलकर आई थी.. उसे याद करने लगी।
क्या मजेदार लण्ड था.. क्या तगड़ा मर्द था.. पर साले ने मेरे तनबदन में आग लगा कर छोड़ दिया।
बेदर्दी साला.. हरामी.. मेरी चूत की आग मुझे जला रही है..
मेरे तन पर कपड़े भारी लग रहे थे, मैं सारे कपड़े निकाल कर एक लाल रंग का नाईट ड्रेस पहन कर चूत और चूचों को मसलने लगी। तभी दरवाजे पर खटखट की आवाज हुई।
कौन होगा इस वक्त? यही सोचते हुए मैंने थोड़ा दरवाजा खोलकर देखा.. 
‘अरुण जी, अरे आप इस टाईम?’
वो बोले- तुम्हारी चूत की आग बुझाने चला आया। मुझसे तुम्हारी हालत देखी नहीं गई।
मैं इतना सुनते ही वहीं उनसे लिपट कर बोली- हाँ जान.. मेरी चूत को चुदाई चाहिए.. चोद दो साली को.. अपने लण्ड से.. मेरी जान.. तृप्त कर दो मुझे..
अरुण जी मुझे गोद में उठाकर बेड पर ले जाकर पटक कर मेरे ऊपर छा गए। अब मुझे उस पल का इन्तजार था.. जब उनका लण्ड मेरी चूत में घुस जाए.. क्यूँ कि मुझे फोरप्ले नहीं चाहिए था.. सीधे चुदाई ही चाहिए थी।
शायद अरुण जी को भी जल्दी थी, अरुण ने एक हाथ से मेरे चूचों को भींचा और एक हाथ से मेरी बुर पकड़ कर मसकते हुए बोले- मेरी जान.. आज एक जल्दी वाला राऊंड हो जाए.. क्यूँकि नीचे भी बहुत काम है।
मैं बोली- हाँ.. मुझे भी जल्दी वाला ही चाहिए।

मेरी नाईटी को ऊपर चढ़ाकर अरुण ने लण्ड मेरी चूत के मुँह पर रख कर दो बार ऊपर से ही रगड़ कर एक ही झटके से लण्ड को मेरी चूत में पेल दिया और मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं, मैं ‘आहह.. उह्ह.. आहह..’ कर रही थी।
मेरी सिसकियों के साथ अरुण का हाथ मेरे चूचियों को जोर से दबाने लगा, मैं भी अरुण के लण्ड पर चूत उछाल कर चुदने लगी।
धीरे-धीरे अरुण मेरी चूचियाँ मसकते हुए ‘गचा-गच..’ लण्ड मेरी चूत में पेलते जा रहे थे, मेरी चूत से ‘फच-फच’ की आवाजें आती रहीं।
मेरी चूत लण्ड खाती जा रही थी।
‘ऊऊहह.. उईई.. ओम्मम्मम्मा.. आआहह.. और पेलो.. चोदो मुझे.. मारो मेरी चूत.. आह.. सीउई.. मैं गईई..’
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