RE: Sex Kahaniya अंजाना रास्ता
अंजाना रास्ता --2
गतान्क से आगे................
बाकी दिन और कुछ खांस नही हुआ…बस ये था कि उस दिन दीदी और मेरे बीच कुछ
ज़्यादा बाते नही हुई..धीरे धीरे दिन बिताने लगे और एक हफ़्ता और गुजर
गया.. इस बीच मे राज के साथ एक दो बार साइबर केफे भी गया था..अब मुझे
सेक्स के बारे मे काफ़ी नालेज हो गई थी…अंजलि दीदी भी अब फिर से मेरे साथ
नॉर्मल हो गयी थी..
एक दिन की बात है फ्राइडे का दिन था मैं रूम मे कंप्यूटर गेम खिल रहा था
उन दिनो स्कूल और कॉलेज की छुट्टियाँ चल रही थी. दीदी रूम मे आई और मुझे
बोली के मैं उनके साथ बॅंक चलू क्योंकि उनको एक ड्राफ्ट बनवाना है…अंजलि
दीदी उस दिन हरा सूट और ब्लॅक पाज़ामी पहने हुए थी.. दीदी के रेशमी बाल
एक लंबे हाइ पोनी टेल मे बँधे थे .
“ ज़ल्दी कर अनुज बॅंक बंद होने वाला होगा…और मुझे आज ड्राफ्ट ज़रूर
बनवाना है” दीदी अपने संडले पहनते हुए बोली..वो झुकी हुई थी..और उनके
झुकने से मुझे उनके सूट के अंदर क़ैद वो गोरे गोरे उभार नज़र आ रहे
थे..मेरा दिल फिर से डोल गया था. बॅंक घर से ज़्यादा दूर नही था सो हम चल
दिए. मैने चलते चलते वोही महसूस क्या जो मे हर बार महसूस करता था ज़ॅब
दीदी मेरे साथ होती थी. लगभाग हर उम्र का आदमी दीदी को घूर रहा था….उनकी
आखो मे हवस और वासना की आग सॉफ साफ देखी जा सकती थी. पर दीदी उनलोगो पर
ध्यान दिए बगैर अपन रास्ते जा रही थी. मुझे अपने उप्पर बड़ा फकर महसूस हो
रहा था कि मे इतनी खोबसूरत लड़की के साथ हू हालाकी वो मेरी बड़ी चचेरी
बहन थी. खैर हम 10 मिनट मे बॅंक पहुच गये बॅंक मे बहुत भीड़ थी..हालाकी
ड्राफ्ट बनवाने वाली लाइन मे ज़्यादा लोग नही थे वो लाइन सबसे कोने मे
थी…दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और हम उस लाइन की तरफ़ बढ़ चले.
“अनुज तू यहा बैठ..और ये पेपर पकड़..मैं लाइन मे लगती हू” दीदी बॅग से
कुछ पेपर निकालते हुए बोली.
मैं साइड मे रखी बेंच पर बैठ गया और दीदी कुछ पेपर और पैसे लेकर लाइन मे
लग गयी..भीड़ होने की वजेह से औरत और आदमी एक ही लाइन मे थे. मैं खाली
बैठा बैठा बॅंक का इनफ्राज़्टरूट देखने लगा.और जैसा हर सरकारी बॅंक होता
है वो भी वैसे ही था ...जिस लाइन मे दीदी लगी थी वो लाइन सबसे लास्ट मे
थी और उसके थोड़ा पीछे एक खाली रूम सा था जिसमे कुछ टूटा फर्निचर पड़ा
हुआ था..उस जागह काफ़ी अंधेरा भी था. शायद टूटा फर्निचर छुपाने के लिए
जान भूज कर वाहा से बल्ब और ट्यूब लाइट हटा दिए गये थे..इसलिए वाहा इतना
अंधेरा था..खैर ये तो हर सरकारी बॅंक की कहानी थी.. दीदी जिस तरफ़ लाइन
मे खड़ी थी वाहा थोड़ा अंधेरा था. मुझे लगा कही दीदी डर ना जाय क्योंकि
उन्हे अंधेरे से बहुत डर लगता था…तभी दीदी मुझे अपनी तरफ़ देखते हुए
थोड़ा मुस्कुराइ और ऐसा जताने लगी की..मानो कहना चाहती हो कि ये हम कहा
फँस गये. गर्मी भी काफ़ी थी..तभी एक आदमी और उस लाइन मे लग गया..वो देखने
मे बिहारी टाइप लग रहा था..उमर होगी कोई 35 साल के आस पास. उसने पुरानी
सी शर्ट और पॅंट पहने हुए था और वो शायद मूह मे गुटका भी चबा रहा था..एक
तो उसका रंग काला था उप्पर से वो लाइन के अंधेरे वाले हिस्से मे लगा हुआ
था..उसको देख कर मुझे थोड़ी हँसी भी आरहि थी.
“कितनी भीड़ है बेहन चोद “. वो अंधेरी साइड मे गुटका थुक्ता हुआ बोला.
तभी उसका फोन बजा.फोन उठाते ही उसने फोन पर भी गंदी गंदी गाली देने शुरू
कर दी..जैसे..तेरी बेहन की चूत ,,मा की लोड्े,,तेरी बहन चोद
दूँगा..वागरह वागारह..दीदी भी ये सब सुन रही थी शायद पर क्या कर सकती थी
वो..मुझे भी गुस्सा आ रहा था.. कुछ मिनिट्स के बाद मैने कुछ ऐसा देखा
जिससे मेरे दिल की धड़कन तेज होगयी अब वो बिहारी दीदी से चिपक कर खड़ा
था. उसकी और दीदी की हाइट लगभग सेम थी जिससे उसका अगला हिस्सा ठीक दीदी
की पाजामी के उप्पर से उनके उभरे हुए चूतर पर लगा हुआ था. वो लगातार दीदी
को पीछे से घूर भी रहा था..दीदी के सूट का पेछला हिस्सा थोड़ा ज़्यादा
खुला हुआ था जिससे उनकी गोरी पीठ नज़र आ रही थी . तभी वो थोड़ा पीछे हुआ
और मैने देखा कि उसके पेंट मे टॅंट बना हुआ है .फिर उसने अपना राइट हॅंड
नीचे किया और अपने पॅंट को थोड़ा अड़जस्ट क्या..अब उसका वो टेंट काफ़ी
विशाल लग रहा था..मेरा दिल जोरो से धड़क ने लगा. मेरे लंड मे हरकत शुरू
होने लगी ये सोच कर ही कि अब ये गंदा आदमी मेरी खूबसूरत दीदी के साथ क्या
करेगा. हालाकी वो और दीदी अंधेरे वाले हिस्से मे थे फिर भी उस आदमी ने
इधर उधर देखा और.फिर अपने आपको धीरे से दीदी से चिपका लिया उसका वो टेंट
अंजलि दीदी के पाजामे मे उनके उभरे हुए चुतड़ों के बीच कही खोगया था. और
जैसे ही उसने ये किया दीदी थोड़ा आगे की तरफ़ खिसकी..दीदी का चेहरा
अंधेरे मे भी मुझे लाल नज़र आ रहा था. तनाव उनके चेहरे पर सॉफ देखा जा
सकता था..ये सारी बाते बता रही थी कि दीदी जो उनके साथ हो रहा था उससे अब
वाकिफ्फ हो चुकी थी. दीदी की तरफ़ से कोई ओब्जेक्सन ना होने की वजह से
उसके होसले बढ़ने लगे थे वो दीदी से और ज़्यादा चिपक गया . जैसा कि मैने
बताया था कि अंजलि दीदी ने अपने रेशमी बालो की हाइ पोनी टेल बाँधी हुई
थी.उस आदमी का गंदा चेहरा अब दीदी के सिर के पीछले हिस्से के इतना पास था
कि उसकी नाक दीदी की बालो मे लगी हुई थी और शायद वो उनके बालो से आती
खुसबू सुंग रहा था..दीदी की पोनी टेल तो मानो उनके और उस बिहारी के बदन
से रगड़ खा रही थी. मेरी बेहद खूबसूरत जवान बड़ी बहन के बदन से उस लोवर
क्लास आदमी को इस तरह से चिपका देखा मेरा लंड मेरे ना चाहने पर भी खड़ा
होने लगा था.
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