RE: Sex kamukta मेरी बेकाबू जवानी
पंडित जी ने कहा “ अब मैं जो बोलू उसे आप दोनो बोलना”, और पंडित जी संस्कृत मे मंत्रो को पढ़ ने लगे. मे आज बहुत खुस थी कि मेरी शादी एक हिंदू आदमी से हो रही थी. पंडित जी बोले “ बिटिया इस चम्मच से उस थाली मे रखी दही को पी लो और अपने पति जी को भी पिलाओ.” मेने उस चम्मच से थाली मे रखे दही को लेके पहले पी लिया और अपने पति जी को भी पिला दिया. पंडित जी बोले “ बिटिया अब सिर्फ़ पति जी ही पूजा करेंगे और तुम उनकी गोद मे बैठे हुए दोनो हाथो को जोड़के अपने मन मे पति जी का चेहरा याद करो”. मैं हाथ जोड़के बैठी थी और पति जी को याद कर रही थी. पंडित जी बोले “ राज भाई अब आप ये गुलाब को लेके अपनी पत्नी के होंठो के पास रख के अपने होंठो को भी उस गुलाब पे रख दीजिए. पति जी ने गुलाब को मेरे होंठो के पास रख दिया और अपने होठ भी उसे पे रख दिए, वो गुलाब पानी मे भीगा हुवा था, और मेरे होंठो को पानी पानी कर रहा था, पंडित जी कुछ मंत्रो के बाद बोले “ राज भाई अब उसे इस हवन मे रख दीजिए और अपनी पत्नी के होंठो पे लगे पानी को अपने होंठो से पी लीजये ,” पति जी ने मेरे होंठो को चूम के पूरा पानी पी लिया. फिर और कुछ मंत्रो चार के पंडित जी ने हवन मे आग जला दी. पंडित जी बोले “ अब आप दोनो खड़े हो जाए”. फिर पंडित जी ने मेरी चुनरी को पति जी के कुर्ते के साथ बाँध दिया और हमे उस हवन के पास से गोल घुमा के कुछ मंत्रो चार करने लगे. इस तरह हम दोनो ने 7 बार हवन के गोल चक्कर लगाए. पंडित जी बोले “ राज भाई इस सिंदूर को अपनी होने वाली पत्नी के माथे पे लगा दीजिए.” पति जी ने मेरे माँग टीके को बाजू मे करके मेरी माँग सिंदूर से भर दी. पंडित जी बोले “ राज भाई अब ये मंगल सुत्र को अपनी होने वाली पत्नी के गले पहना दीजिए.” पति जी ने मेरे पीछे आके मेरे बालो को बाजू मे करके मेरे गले मे मंगल सुत्र को पहना दिया. पंडित जी बोले “ आज से तुम दोनो हिंदू शास्त्रो के अनुसार पति पत्नी हो गये, बिटिया आज से तुम राज भाई की पत्नी हो और इस घर की लक्ष्मी हो और आज से तुम्हारा हर सुख दुख का ख़याल वोही रखेंगे और तुम सिर्फ़ वोही करोगी जो तुम्हारे पति चाह ते हो और उनकी कोई भी बात का विरोध और गुस्सा नही करना”. फिर हमने पंडित जी के पैर च्छुए, पंडित जी हमे आशीर्वाद दे के चले गये. समय था रात के 01:00, ऐसा ही एक दिन था 01/05/1983 रात के 01:00 मेरा जन्म हुवा था, और ठीक आज से 13 साल बाद मेरा और एक जन्म हुवा है राज अंकल की पत्नी के रूप मे.
पति जी मुझे अपनी बाँहो मे उठा के, पहली बार मुझे उनके मास्टर बेडरूम मे लेके गये. मैं बेडरूम देख ते ही दंग रह गयी, उसमे एक आलीशान और बड़ा सा और मखमली गद्दे से बना हुवा बेड था, उसमे काफ़ी सारे नंगे लड़के लड़कियो के एक दूसरे को प्यार करते हुए तस्वीर थी, उसमे एसी भी था. मेने देखा कि पूरा बेड लाल गुलाबो से सज़ा हुवा था, हल्का सा संगीत बज रहा था, बहुत ही बढ़िया खुसबु आ रही थी. पति जी मुझे बेड के बीच मे बैठा ते हुए मेरे बाजू मे बैठ गये. पति जी ने कहा “ जया आज सच मे तुम एक रानी की तरह लग रही हो”.फिर पति जी ने मेरे होंठो को चूमते हुए कहा “ जया आज मे तुम्हारे साथ जो करूँगा उसे जिस्म की प्यास भुजाना कहते है और हम वही हर रोज करेंगे”. पति जी ने मेरे कान की बालिया चूमते हुए मेरे कान को हल्का सा काट दिया, मेरे गालो को चूमा. मेरे सिर पे रखी चुनरी को हाथो से उठा के उसे हवा मे उड़ा दिया, जो बेड के किनारे पे जा गिरी, और उनके सामने अब मैं सिर्फ़ चोली और लहँगे मे थी. वो मुझे बहुत कातिल नज़रो से देख रहे थे और मेरे बाजू मे बैठ के मेरे चेहरे को अपनी ओर करते हुए होंठो को चूमने लगे. मे नज़रे झुकाए बैठी थी और मेरे पूरे जिस्म मे ठंडी लहरे दौड़ रही थी. पति जी मेरे गले को चूमते हुए आगे की ओर आके मुझे पीठ के बल लिटा दिया और मेरे पेट को चूमने लगे, धीरे धीरे पति जी उपर आ रहे थे और मेरी चोली की डोर को अपने दांतो से खोल के उसे नंगा कर रहे थे. मे ये सब सहन नही कर पाई और मेने अपने हाथ पति जी के सिर पे रख के उनके बालो को खिच ने लगी, पति जी भी मेरे स्तनो को काट ने लगे. फिर पति जी ने लेटे हुए मुझे घुमा दिया और मे पेट के बल लेट गयी, और मेरी पीठ अब उनके सामने थी. पति ने जी मेरी चोली को पीछे से खीच के निकाल दिया, अब मेरी नंगी पीठ को चूमने लगे, अपने राइट हाथ मेरी छाती पे लाके स्तन को ज़ोर से दबा दिया और लेफ्ट हाथ से मेरे बालो को पकड़ के मेरी गर्दन पे काटने लगे. फिर पति जी ने मुझे छोड़ दिया और बाजू वाले टेबल से दूध ले के आए और हम दोनो ने उसे पी लिया. अब पति जी ने मुझे पीठ के बल लिटा के मेरे लहँगे को खोल के निकाल दिया और मेरे पैरो को चूमते हुए मेरी चड्डी के पास आए और मेरी चूत को अपने हाथो से दबाने लगे. फिर पति जी ने मेरी चड्डी निकाल दी और मेरी चूत को चाटने लगे और उनकी जीभ को अंदर डालने लगे. मे बहुत ज़्यादा रोमांचित हो गयी थी और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. अब पति जी मेरे पैरो के बीच मे आ गये और अपने लंड को मेरी चूत के मूह के पास रख दिया, और मुझे देख के बोले “ जया अब हम दोनो अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए मेरा ये लंड तुम्हारी चूत मे डाल के मज़े करेंगे, तुम्हे थोड़ा सा दर्द होगा, पहली बार हर लड़की को होता है, और हर लड़की की ज़िंदंगी मे पहले दर्द ही आता है और इसके बाद मे इतनी ख़ुसीया आती है कि उसकी ज़िंदंगी ही बदल जाती है.” ये सब बाते करते वक़्त पति जी ने अपना लंड कई बार मेरी चूत के मूह पर रखा था और अपने हाथो से चूत के मूह को खोलके लंड को चूत मे डाल ने की कोशिश कर रहे थे. मे अपने पति जी की बात को समझ रही थी कि कैसे मेरी ज़िंदंगी मे मेरे मम्मी पापा का सुख नही मिला और आज एक अंजान आदमी के साथ मेने शादी कर के उसके साथ अपने जीवन का हर सुख पाने के लिए आज अपने जिस्म को उनको समर्पित करके हमेशा के लिए उनकी पत्नी बन जाउन्गि. मैने आगे कुछ सोच के मेरी चूत मे एक ज़ोर का झटका लगाया और मे दर्द के काप उठी और अपने पैरो को छटपटाने लगी. पति जी ने मेरे होंठो को चूम के बंद कर दिया इस लिए मेरी मूह से सिर्फ़ उहह की आवाज़ निकल रही थी और मेरी आँखो मे आसू आ गये थे. मेने महसूस किया के पति जी का लंड मेरी चूत के मूह के थोड़ा अंदर घुस चुक्का था. फिर पति जी ने अपने लंड को बाहर निकाल के चूत के मूह पर रख दिया और मेने आँखो के इशारे से कहा बस और नही. पति जी ने मेरी बात को नज़र अंदाज करके होंठो को और ज़ोर से चूम ते हुए लंड को चूत के मूह मे डाल दिया, इस बार पति जी का लंड मेरी चूत मे पूरा घुस चुका था. मे ज़ोर ज़ोर से आहे भर रही थी और अपने हाथो से पति जी की पीठ को नाख़ून से ज़ोर से पकड़ लिया और अपने पैरो को पति जी की कमर पे रख के अपने आप को समर्पित कर दिया. फिर पति जी ने मुझे देखा और पूछा “ मेरी प्यारी पत्नी कैसा लग रहा है”, मेने कहा “ पति जी बहुत दुख रहा है और सहा नही जाता, लंड को निकाल दीजिए”, पति जी ने कहा “ पत्नी को अपने पति का हर दर्द बिना कुछ कहे सहना पड़ता है, पति जी की हर बात को अपने जीवन का उदेश्य मान के चलना है, ऐसे शिकायत नही करते”, मेने नज़र झुका के कहा “ पति जी मुझे माफ़ कर दीजिए, मुजसे ग़लती हो गयी, मैं पंडित जी की बात को भूल गयी थी, मेने पहले कभी इतना दर्द नही सहा है, लेकिन अब आप को कोई शिकायत का मौका नही दूँगी, आप जो चाहे करिए, आप हम दोनो की जिस्म की प्यास बुझा ने के लिए ही कर रहे हैं, जैसे मे दर्द सह रही हू वैसे आप को भी दर्द हो रहा होगा अपने लंड पर क्यूंकी वो इस छोटी सी चूत मे कैसे जा सकता है.” मेरी भोली सी बात को सुनके पति जी को यकीन हो गया थी अब मे कुछ नही कहूँगी और सब सहन कर लूँगी. पति जी ने फिर लंड को एक बार बाहर निकाला, तब मेने महसूस किया लंड बाहर निकाल ने के साथ पानी जैसा थोड़ा गढ़ा सा कुछ निकल रहा था. पति जी ने मेरे हाथ की उंगलियो को चूत के पास ले जाके चूत के मूह के पास रखा, मेरी उंगलिया गीली हो गयी और मेने उसे अपने चेहरे के पास ले जा के देखा कि मेरी सारी उंगलिया खून से लाल हो गयी थी. पति जी ने कहा “ किसी भी जवान लड़की की चूत मे जब लंड पहली बार जाता है तो चूत की झिल्ली टूट जाती है और वो उसे तोड़ने का हक सिर्फ़ उसके पति का ही होता है,क्यूंकी एक जवान लड़की की अमानत उस की चूत की झिल्ली ही होती है उसके पति के लिए और वो अपने पति से ये कहती है कि उसने अपने पति के सिवा कि सी और आदमी या मर्द या नौजवान को अपनी चूत मे लंड नही डाल ने दिया, जया आज तुमने मुझे सच मे मुझे पति जी का दर्जा दिया है, और आज से मैं ये कहता हू के मेरी पत्नी का जिस्म सिर्फ़ मेरा है और मैं उसकी किशी भी हद तब हिफ़ाज़त करूँगा.” मैने ये सब सुनके उनको अपने सही पति मान के उन्हे कहा “ हा पति जी आज से मेरा तन और मन सिर्फ़ आपका ही है, आप जैसा बोलेंगे, जैसा कहंगे और मेरे जीवन के हर पल मैं बस वोही करूँगी.” फिर पति जी मुझे बहुत दर्द देते हुए अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगे, मैं हर एक धक्के को झेल के उन्हे खुस कर रही थी, कही वो नाराज़ ना हो जाए. मेने उनके पूरे आगे पीछे के बदन को नोच दिया था और वो खून से पूरा लाल हो गया था.उधर मेरी चूत की हालत भी बहुत खराब थी, वो पति जी हर धक्के के साथ खून के आसू रो रही थी. मैं जब कभी कभी आँख खोल के देखती के वो धक्के लगाते लगाते बहुत खुस हो रहे थे. पति जी ने मुझे कहा “ मेरी रानी इस कमरे मे कई बरस बाद एक मीठा सा संगीत बज रहा है, ये जो तुम्हारी पायल और चूड़िया है वो बहुत ही अच्छी आवाज़ कर रही है, ऐसे ही आवाज़ गूँजी थी जब मेने पहली बार अपनी पत्नी की चूत की झिल्ली तोड़ी थी, आज तो तुमने मुझे मेरी पत्नी की याद दिला दी और हा आज तुम ही मेरी पत्नी हो, इस लिए मेरी बीती हुई ज़िंदगी के बारे मे कुछ मत पूछना और बस अपने आने वाले कल के बारे मे ही सोचना, अब तुम्हारा सिर्फ़ एक ही कर्म, धर्म और कर्तव्य है अपने पति की हर बात को मान के उन्हे हर पल अपने जिस्म से नंगा लगा के रखना और अपनी चूत मे हमेशा के लिए मेरे लंड के लिए जगह बना के रखना चाहे दिन हो या रात.” मे उनकी हर बात को नज़रे झुका के सुन रही थी और मन ही मन सोच रही थी के हर वक़्त कैसे नंगा रह के उनके जिस्म से लगी रहूंगी और मेरी इस नाज़ुक सी चूत मे उनका मोटा लंड कैसे रख पाउन्गी. पति जी थोड़ा रुक रुक के मुझे चोद रहे थे, चोदना किसे कहते ये भी मुझे पति जी ने ही बताया. फिर एक पल मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो पति जी के लंड के आजू बाजू लग गया, इस तरह से पति का लंड मेरी चूत मे और भी जल्दी अंदर बाहर होने लगा और मेरी चूत मे और गहराई तक जाने लगा. लंड ज़्यादा अंदर जाते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये और मे भी मस्ती से पति जी को चूम ने लगी, ये देख पति जी भी अपने लंड को जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगे और मेरी चूत मे पानी छोड़ दिया. पति जी का पानी मेरी पूरी चूत मे बहने लगा मानो कोई बाँध टूट के पानी जब बहुत ज़ोर से आता है वैसे ही उनके पानी ने मेरी चूत की हर जगह को भिगोना शुरू कर दिया.
क्रमशः........
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