Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
07-03-2018, 12:08 PM,
#27
RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
करण ने कहा मुझे आपको 2 बातें बोलनी थी थॅंक्स और सॉरी.
मे-बट व्हाई?
करण-भूल गयी आप उस दिन आपने मेरी हेल्प की थी उसके लिए आपका थॅंक्स.
मे-न्ड सॉरी.
करण-मैं उस दिन थोड़ा डर गया था इसलिए आपको थॅंक्स नही बोल पाया उसके लिए सॉरी.
मे-ओह इट'स ओके कारण. वैसे आपको क्यूँ मार रहे थे वो लड़के.
करण-यार उन्हे कोई ग़लतफहमी हुई थी मैं तो खुद हैरान था कि ये मेरे साथ क्या हो रहा है. बस उसी टाइम पता नही आप कहाँ से आई और सब कुछ ठीक कर दिया.
मे-अच्छा . वो सब बातें आप बताओ कहाँ से आते हो.
करण-जी मैं इसी शहर से.
मे-ओके गुड.
करण-मैं यहाँ पे अभी तक अकेला ही हूँ क्या हम दोस्त बन सकते हैं.
आकाश-या बडी. बिल्कुल बन सकते हैं.
करण-ओके थॅंक्स यार. आप लोगो का साथ पाकर मुझे भी खुशी होगी.
महक-ओक तो चलो नेक्स्ट लेक्चर स्टार्ट होने वाला है.
हम सब वहाँ से उठ कर क्लास की तरफ चल पड़े. करण मुझे बहुत अच्छा लगा था. उसका बात करने का स्टाइल भी बड़ा अच्छा था. पहली नज़र में ही वो मुझे भा गया था. हम क्लास की ओर जा रहे थे तो मैने महक को कहा.
मे-मिक्कुर मैं वॉशरूम होकर आती हूँ आप लोग चलो.
महक-ओके.
मैं वॉशरूम की तरफ आ गयी. हमारी क्लास 2न्ड फ्लोर पे लगती थी और फ्लोर के ही एक कोने में वॉशरूम बना हुआ था. 2न्ड फ्लोर पे सिर्फ़ 2 क्लासस ही होती थी इसलिए वहाँ काफ़ी कम स्टूडेंट्स दिखाई देते थे. मैं वॉशरूम में घुस गयी और थोड़ी देर बाद बाहर निकली तो देखा वॉशरूम के बाहर आकाश खड़ा था. मैने उसे देखते हुए कहा.
मे-आकाश बाय्स वॉशरूम दूसरे कोने में है यहाँ नही.
आकाश-पता है मुझे.
मे-तो फिर यहाँ क्या कर रहे हो.
आकाश ने आगे कुछ नही बोला और मुझे गोद में उठा लिया.
मैने उसकी गोद में छटपटाते हुए कहा.
मे-आकाश उतारो मुझे ये क्या बदतमीज़ी है.
आकाश मुझे पास में ही बने एक रूम में ले गया. हमारी किस्मत अच्छी थी कि हमे इस हालत में किसी ने नही देखा था. आकाश ने डोर लॉक कर दिया. मैने देखा वो शायद केमिस्ट्री लॅब थी. मैने गुस्से से आकाश को देखते हुए कहा.
मे-क्या बदतमीज़ी है ये.
आकाश-रीत ज़्यादा नखरा मत करो अब जल्दी से अपनी पॅंट उतारो.
मे-ये मेरी बात का जवाब नही है.
आकाश-अरे क्या जवाब नही है. मेरा मन कर रहा है तुम्हारी लेने का इस लिए मैं तुम्हे यहाँ लेकर आया हूँ.
मे-मगर ये तरीका सही नही है.
आकाश-तो और कोन्से तरीके से चुदना चाहती हो तुम.
मैने गुस्से से कहा.
मे-शट अप अपनी बकवास बंद करो. मैं कोई खिलोना नही हूँ जिसके साथ तुम जेसे चाहो खेलते रहो.
आकाश-अरे यार नाराज़ क्यूँ होती हो. चलो अब आ ही गये हैं यहाँ तो करते है ना.
मे-मैं कुछ नही करवाउन्गी.
मैने गुस्से से कहा और अपनी पीठ उसकी तरफ करके खड़ी हो गई.
वो चलता हुआ मेरे पास आया और मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और कहा.
आकाश-नाराज़ हो क्या.
मैने कोई जवाब नही दिया उसने फिरसे कहा.
आकाश-कमोन रीत यार सॉरी. मुझसे ग़लती हो गई प्लीज़ बात करो ना.
मे-पहले वादा करो ऐसी बेहूदा हरकत दुबारा नही होगी.
आकाश-वादा रहा बस.
मैं उसकी तरफ घूम गई और मुस्कुराते हुए कहा.
मे-ह्म्म्म गुड बॉय. जो तुम करने चले थे ना उसे ज़बरदस्ती कहा जाता है और ज़बरदस्ती किसी लड़की को अच्छी नही लगती.
आकाश-यस मैं समझ गया डार्लिंग.
और वो मेरे होंठों पे अपने होंठ रख कर मुझे चूसने लगा. मैने अपने होंठ उसके होंठों के उपर से हटाते हुए कहा.
मे-अब कोई चालाकी नही मुझे जाने दो यहाँ से.
आकाश-रीत प्लीज़ यार अब तो मान जाओ.
मे-मैने कहा ना मुझे जाने दो.
आकाश-अच्छा रीत बाकी कुछ नही करूँगा बस तुम अपने होंठों का रस मेरे पप्पू को पिला दो आज.
मे-हट बदमाश. मैं नही करूँगी ये सब.
आकाश-प्लीज़ यार मेरे लिए इतना तो कर ही सकती हो.
आकाश ने अपना लिंग ज़िप खोल कर बाहर निकाल लिया.
मे-अंदर करो इसे प्लीज़.
आकाश ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लिंग के उपर रख दिया. मैने फॉरन अपना हाथ वहाँ से हटा लिया और उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई.
आकाश-ओके अगर मूह में नही लेना चाहती तो नीचे तो लेना ही पड़ेगा और उसने पीछे से अपने हाथ मेरी पॅंट के बटन पे रखे और उसे खोल दिया. मैने उसे रोकने की थोड़ी बहुत कोशिश की मगर वो नही रुका और उसने मेरी पॅंट को पैंटी के साथ खीच कर मेरी जांघों तक कर दिया और मेरे नितंब बिल्कुल नंगे हो गये. आकाश ने मुझे आगे को झुका दिया और अपना लिंग मेरी योनि के उपर रखा और एक ही धक्के में उसे मेरी पूरी योनि के अंदर कर दिया. मेरे मूह से एक आह निकल गई. आकाश ने धड़ा धड़ धक्के मारने शुरू कर दिए और मेरी सिसकारियाँ पूरी लॅब में गूंजने लगी. 
मे-आआहह आकाअश धीरे करो प्लस्ससस्स....दर्द हो रहा है......आहह आउच बहुत बड़ा है तुम्हारा ये....आहह.
आकाश ने मेरी कमर को थाम रखा था और तेज़-2 धक्के मार रहा था. फिर वो खुद चेर पे बैठ गया और मैं उसकी तरफ पीठ करके उसकी गोद में उसके लिंग के उपर बैठ गई. आकाश ने मेरी कमर को पकड़ा और अपनी गोद में मुझे उपर नीचे करने लगा. उसका लिंग मुझे अपने पेट तक जाता महसूस होने लगा. अब मैं खुद ही उसकी गोद में उसके लिंग के पर उठने बैठने लगी. इसी बीच पहले मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया और फिर कुछ ही देर बाद आकाश के लिंग ने भी अपना गरम लावा मेरी योनि में भरना शुरू कर दिया.

कॉलेज के दिन गुज़रते गये. हम लोग कॉलेज में फुल मस्ती करते थे. करण अब हमारे साथ घुल मिल गया था. उसके आने से हमारे ग्रूप में तुषार की जो कमी थी वो पूरी हो गई थी. भले ही वो थोड़ा ज़्यादा बोलता था लेकिन वो दिल का बहुत ही अच्छा इंसान था. वो हर वक़्त हर सिचुयेशन में हमे खुश रखता था. मैं धीरे-2 उसके करीब होने लगी थी. मुझे लगने लगा था कि तुषार के जाने से जो कमी मेरी ज़िंदगी में आई है वो कमी करण ज़रूर पूरी कर सकता है. यही रीज़न था कि मैं उसके करीब होती जा रही थी. मुझे ये भी पता था कि वो भी मुझे चाहता है मगर कभी ऐसा उसने मुझे महसूस नही होने दिया था. मैं चाहती थी कि वो जल्द से जल्द मुझे प्रपोज करे लेकिन वो बुढ़ू था कि कभी कुछ कहता ही नही था.


मैने आकाश को करण के बारे में बता दिया था वो भी बहुत खुश हुआ. वो भी करण को अच्छी तरह से जानता था. आकाश का मेरे साथ बिहेवियर वेसा ही था वो बस मौके की तलाश में रहता था कि कब मुझे पकड़ कर चोद सके. ऐसे ही एक दिन मैं सुबह कॉलेज के लिए रेडी हुई तो भाभी ने कहा कि आज बस से चली जाना क्योंकि भाभी को आज स्कूटी चाहिए थी. मैने आज रेड चुरिदार पहना था और बिल्कुल दुल्हन की तरह लग रही थी. महक आज नही आ रही थी. इसलिए मुझे अकेले ही जाना था. मैं बस स्टॉप पे पहुँच गई और बस का वेट करने लगी. तभी आकाश अपनी बाइक लेकर वहाँ से निकला. पहले वो आगे निकल गया लेकिन फिर वापिस आया और मेरे पास रुका और कहा.
आकाश-रीत आज स्कूटी कहाँ गयी.
मे-वो भाभी को चाहिए थी आज स्कूटी तो मैने सोचा बस से चली जाती हूँ.
आकाश-अरे बस से क्यों आओ बैठो ना.
मे-नही मैं चली जाउन्गी.
आकाश-मैने कहाँ ना जल्दी बैठो.
आख़िर मैं उसके साथ बैठ गई. मैं दोनो टाँगें एक साइड को करके बैठी थी. आकाश ने बाइक कॉलेज की तरफ दौड़ा दी. रास्ते में आकाश ने कहा.
आकाश-रीत क्यूँ ना किसी रेस्टौरेंट पे एक एक कप कॉफी हो जाए.
मे-ओके जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.
फिर उसने बाइक एक रेस्टौरेंट पे रोक दी और हम दोनो रेस्टौरेंट के अंदर चले गये. आकाश ने 2 कप कॉफी ऑर्डर की और फिर मुझसे कहा.
आकाश-रीत आज तो तुम दुल्हन ही लग रही हो.
मे-अच्छा जी.
आकाश-रीत आज मौका अच्छा है. कहो तो सुहागरात हो जाए.
मे-चुप करो तुम कहीं भी शुरू हो जाते हो.
फिर हमारी कॉफी आ गई और हम दोनो कॉफी पीने लगे.
आकाश-सोच लो रीत ऐसा मौका रोज़-2 नही मिलता.
मे-तुम प्लीज़ चुप रहोगे.
आकाश-अरे यार एक तो तुम्हारी ये जवानी है जो जीने नही देती उपर से तुम हो कि कुछ करने नही देती.
मैने सीरीयस होते हुए आकाश को कहा.
मे-देखो आकाश मेरी बात ध्यान से सुनो. मैं नही चाहती कि अब हमारे बीच ऐसा कुछ हो जिसकी वजह से मैं खुद को करण की नज़रों में गिरा हुआ महसूस करू.
आकाश-ओह तो माज़रा यहाँ तक पहुँच चुका है.
मे-हां आकाश प्लीज़ समझने की कोशिश करो मैं करण को चाहने लगी हूँ.
आकाश-देखो रीत मैं मानता हूँ कि तुम करण को प्यार करने लगी हो. लेकिन यार प्यार तो तुम तुषार को भी करती थी तब भी तो मैने तुम्हारे साथ सब कुछ किया ही था.
मे-तब बात और थी आकाश. उस टाइम मुझे प्यार का मतलब नही पता था. लेकिन अब हम बच्चे नही रहे मैं चाहती हूँ हमारे बीच जो कुछ भी हुआ वो सब तुम भूल जाओ प्लीज़.
आकाश काफ़ी देर बिना कुछ बोले बैठा रहा और फिर बोला.
आकाश-ओके रीत जैसा तुम चाहती हो वैसा ही होगा. लेकिन उसके लिए तुम्हे भी मेरी एक बात मान नी होगी.
मे-वो क्या.
आकाश-देखो रीत प्लीज़ ना मत करना. मैं आख़िरी बार तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ.
मे-उस से क्या होगा आकाश.
आकाश-प्लीज़ रीत आख़िरी बार वो भी आज ही. आज के बाद मैं कभी तुम्हे परेशान नही करूँगा.
मैने काफ़ी देर तक इस बात के उपर सोचा और आख़िरकार मैने उसे कहा.
मे-वादा करो कि आज के बाद तुम मुझे इस बात के लिए परेशान नही करोगे.
आकाश-यस प्रॉमिस डार्लिंग.
मे-ओके तो चलो. मगर हम लोग जाएँगे कहाँ.
आकाश-थॅंक्स रीत. तुम जगह की टेन्षन मत लो मैं करता हूँ इंतज़ाम.
आकाश ने अपना मोबाइल निकाला और अपने दोस्त को कॉल की और बात करने के बाद मुझे कहा.
आकाश-चलो जल्दी जगह का इंतज़ाम हो गया.
मे-मगर कहाँ.
आकाश-यार मेरा एक दोस्त है सुमित उसका फार्महाउस है वहाँ पे चलेंगे हम.
मे-वहाँ कोई और तो नही होगा ना.
आकाश-अरे नही यार हम दोनो के अलावा कोई नही होगा.
मे-ह्म्म्म .
फिर मैं और आकाश उसकी बाइक पे फार्महाउस की तरफ चल पड़े. शहर से बाहर करीब 10किमी की दूरी पे था सुमित का फार्महाउस. हम दोनो वहाँ पहुँचे तो वॉचमन को आकाश ने कहा.
आकाश-वो सुमित का फोन आया होगा.
वॉचमन-जी साहब. ये पाकड़ो चाबी. कोई और ज़रूरत हो तो बताना.
आकाश-नही बस थॅंक्स.
आकाश ने मुझे अंदर चलने का इशारा किया और मैं उसके साथ चल पड़ी. हम दोनो बेडरूम में आ गये और आकाश ने डोर लॉक किया और मुझे बाहों में भर लिया और मेरे होंठ चूसने लगा. फिर वो मुझसे अलग हुआ और बोला.
आकाश-रीत मैं 2मिनट में आया.
और वो वॉशरूम में घुस गया. ये बाथरूम 2 रूम्स के साथ सेप्रेट था. शायद आकाश दूसरे रूम में गया था. 2मिनट बाद वो वापिस आया और मुझे गोद में उठाकर बेड के उपर लिटा दिया और खुद भी मेरे उपर लेट गया.
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