RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
मम्मी और कोमल भी खाने के साथ डाइनिंग टेबल पे आ गई और हम सब मिल कर खाना खाने लगे.
पापा रेहान की तरफ देखते हुए बोले.
पापा-हंजी तो रेहान कैसी चल रही है आपकी स्टडी.
रेहान-एकदम बढ़िया.
पापा-लगता तो नही है.
करण-पापा इसने फिरसे कुछ उल्टा सीधा किया क्या.
पापा-इसके कॉलेज के प्रिंसी का फोन आया था.
रेहान-क्या कहा उन्होने.
पापा-आपकी उपलब्धियाँ बता रहे थे कि कुछ दिन पहले आपने लड़को के साथ मिलकर एक लड़के को इतना पीटा कि वो हॉस्पिटल में अड्मिट है.
पापा की बात सुनकर रेहान धीरे से मूह में फुसफुसाया.
रेहान-साला बूढ़ा.
और किसी ने तो उसकी बात नही सुनी मगर पास मुझे उसकी बात सुनाई दे गई.
करण-रेहान कब सुधरेगा तू.
रेहान-अब भैया मेरी क्या ग़लती है उसने मुझे गाली दी तो बस मैने....
पापा-आपने अपनी बहादुरी दिखा दी उसके उपर और भी रास्ते है तुम उसकी शिकायत भी कर सकते थे प्रिन्सिपल के पास जाकर.
रेहान-ये शिकायत-विकायत मुझसे नही होती अगर कल को कोई अपनी कोमल का हाथ पकड़ ले बाज़ार में तो क्या मैं पहले शिकायत करने जाउन्गा उसकी.
पापा-तुम ज़ुबान लड़ा रहे हो मेरे साथ.
मम्मी-अब बस भी करो खाना तो खा लेने दो उसे वरना ऐसे ही उठ कर चला जाएगा वो.
रेहान-अरे मम्मी यहाँ कोई मूवी नही चल रही जो खाना छोड़ कर चला जाउन्गा मैं अब खाने से क्या दुश्मनी.
उसकी बात ने हमारे साथ-2 पापा को भी मुस्कुराने पे मज़बूर कर दिया.
पापा-ये नही सुधर सकता.
करण-पापा देखना इसकी भाभी सुधारेगी इसे अब.
कोमल-देखना कही भाभी को ही ना बिगाड़ दे ये बदमाश पता चले भाभी भी लोगो के सर फाडती फिरती है इसके साथ.
मैं कोमल की तरफ आँखें निकालते हुए मुस्कुराने लगी.
फिर सभी ने खाना ख़तम किया और सब अपने-2 रास्ते निकल पड़े. पापा ऑफीस, रेहान न्ड कोमल कॉलेज न्ड कारण जॉब ढूँडने......
सब के जाने के बाद मैं और मम्मी जी ही बाकी बचे थे घर में. कुछ देर तक बैठ कर हमने बातें की और फिर मैं अपने रूम में आ गई करने के लिए कुछ था नही सो सोचा थोड़ा आराम कर लिया जाए वैसे भी सारी रात तो बिना सोए ही बितानी थी. मेरी आँख लगी ही थी कि मेरा मोबाइल बज उठा मैने देखा तो स्क्रीन पे 'भाभी' लिखा आ रहा था. मैने जल्दी से फोन पिक किया.
मे-हेलो भाभी.
करू-मेरी स्वीतू कैसी है तू.
मे-मैं ठीक हूँ भाभी आप बताओ भैया और मम्मी पापा कैसे हैं.
करू-सभी ठीक है तू अपना दिल लगाकर रह बस वहाँ.
मे-हां भाभी.
करू-कैसे है करण के फॅमिली वाले.
मे-बहुत अच्छे हैं सभी. मम्मी पापा का सुभाव बहुत अच्छा है न्ड एक नटखट ननद है न्ड दूसरा बदमाश देवर.
करू-बच के रहना अपने इस बदमाश देवर से.
मे-ऐसा क्यूँ कह रही हैं आप.
करू-अरे तुम्हारा ये बदमाश देवर तेरी भाभी पे ही लाइन मार रहा था तेरी शादी में.
मे-क्या..?
करू-और नही तो क्या. ऐसे गंदे-2 इशारे कर रहा था कि दिल कर रहा था कि पकड़ कर कान के नीचे बज़ा दूं इसके.
मे-हहेहहे.
करू-हंस क्या रही है तू अब.
मे-वैसे भाभी क्या इशारे कर रहा था आपको.
करू-तुझे तो ना मैं कच्चा चबा जाउन्गा...बेवकूफ़ लड़की.
मे-भाभी मैं तो मज़ाक कर रही थी.
करू-अच्छा छोड़ ये सब ये बता रात कैसी रही.
मे-कोन्सि रात.
करू-बेवकूफ़ तेरी सुहागरात.
मे-एकदम मस्त बिल्कुल आपके नंदोई जी की तरह.
करू-ओये होये मैं मरजावां.
मे-किसके उपर मरेंगी अब आप.
करू-बकवास मत कर. अच्छा मैं रखती हूँ याद करती रहा कर.
मे-ओके भाभी.
करू भाभी से बात करने के बाद मैं सोने की कोशिश करने लगी और मेरी आँख लग गई.
मेरी आँख फिर तब खुली जब कोई मुझे ज़ोर-2 से हिलाता हुआ उठा रहा था.
मैने आँखें मलते हुए देखा तो सामने कोमल खड़ी थी.
कोमल-भाभी कितना सोती हो आप शाम के 5 बज रहे हैं.
मे-अब मम्मी कोई काम तो करने देती नही सोऊ नही तो और क्या करू.
कोमल-अच्छा अब जल्दी से फ्रेश होकर बाहर आओ.
मैं फ्रेश होकर बाहर गई तो कोमल हाथ में 2 चाय के कप पकड़ कर मेरा ही वेट कर रही थी. मैने उसके हाथ से एक कप पकड़ा और फिर वहीं चेयर पे बैठ कर चाय पीने लगी. कोमल ने मुझे उठाते हुए कहा.
कोमल-भाभी चलो ना उपर छत पे चलते है.
मैं और कोमल छत की ओर बढ़ गई. छत पर ठंडी-2 हवा चल रही थी जो कि इस आग बरसा रही गर्मी से थोड़ी बहुत राहत दे रही थी. कोमल ने छत पे बने हुए एक छोटे से रूम से 2 चेयर निकली और हम दोनो उनके उपर बैठ गई और चाय पीने लगी. हमारे बीच की खामोशी को कोमल ने तोड़ते हुए कहा.
कोमल-भाभी आपको कैसा लगा हमारे घर में आकर.
मे-बहुत अच्छा. यहाँ मुझे बिल्कुल ऑड नही लगा आकर रहना.
कोमल-ओके और आपको सबसे अच्छा कॉन लगा इस घर में.
मे-उम्म्म फिलहाल तो कुछ नही बता सकती बट सभी अच्छे हैं.
कोमल-अच्छा और हमारी कोई बात या हम में से कोई बुरा तो नही लगा आपको.
मे-नही मेरी ननद रानी आप सभी अच्छे हो अब मेरी इंटरव्यू लेना बंद कर और ये बता कि रेहान कैसा लड़का है.
कोमल-आप क्यूँ पूछ रही हो.
मे-अब आपके भैया ने मेरी ड्यूटी लगाई है उसे सुधारे तो उसके बारे में जान ना तो पड़ेगा ना.
कोमल-अरे भाभी आप भूल जाओ कि आप रेहान भैया को सुधार सकती हो.
मे-क्यूँ क्या इतना बुरा है वो.
कोमल-नही भाभी. बात बुरे या अच्छे की नही है. बल्कि मैं तो कहूँगी कि रेहान भैया बहुत अच्छे हैं. बस वो अपने बनाए रास्तो पे चलते हैं शायद यही बात उनके पापा को पसंद नही आती.
मे-ह्म्म्म तो ये बात है.
कोमल-भाभी आप रेहान भैया का मॅटर इतना सीरियस्ली मत लो उनकी और पापा की तो हमेशा बहस होती रहती है.
मे-ओके तो आप बताओ ननद रानी जी आपकी स्टडी कैसी चल रही है.
कोमल-बस बढ़िया चलती है भाभी. खूब एंजाय करती हूँ मैं तो.
मे-किसके साथ..?
कोमल-व.वो स्टडी के साथ भाभी और किसके साथ.
मे-अच्छा मुझे तो लगता है वो सामने छत पे जो लड़का खड़ा है उसके साथ एंजाय हो रहा है आपका.
मैने साथ वाले 2 घर छोड़ कर छत पे खड़े एक लड़के की तरफ इशारा करते हुए कहा. असल में मैं कब्से नोटीस कर रही थी कोमल बार-2 उसकी तरफ देख रही थी और वो जनाब तो थे कि आँख हमारी ओर से हटा ही नही रहे थे.
कोमल ने अपने सर पे हाथ मारते हुए कहा.
कोमल-धत तेरे की पकड़ी गयी. भाभी आप तो बहुत चालाक हो आपने एक मिनिट में पकड़ लिया हमे.
मे-अब मेरी आँखों के सामने सब कुछ होगा तो दिखेगा ही अब अंधी तो हूँ नही मैं. वैसे कॉन है वो.
कोमल-हमारे पड़ोस का ही लड़का है नाम है जॉन...
मे-अच्छा तो जॉन के संग इश्क़ लड़ाया जा रहा है.
कोमल-जी भाभी. प्लीज़ आप बताईएगा मत किसिको.
कोमल ने मेरा हाथ अपने हाथों में पकड़ते हुए कहा.
मे-अरे कोमू मैं क्यूँ बताउन्गी भला.
कोमल-थॅंकयू भाभी.
फिर कोमल ने जॉन को बाइ करते हुए फ्लाइयिंग किस की और जवाब में जॉन ने भी आँख दबाते हुए किस की और फिर हम दोनो नीचे आ गयी. नीचे करण अभी-2 आए थे और उनके हाथ में पकड़ी मिठाई देखते ही मैं समझ गई कि उन्हे जॉब मिल गई होगी. उन्हो ने मेरे पास आकर मुझे बाहों में भरते हुए कहा.
करण-मुझे जॉब मिल गयी रीत.
कोमल भी हम दोनो के साथ गले मिल गई और बोली.
कोमल- भैया.
करण आज बॅंक की जॉब इंटरव्यू के लिए गये थे और आख़िर उन्हे जॉब मिल गई थी.
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