08-02-2020, 01:06 PM,
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hotaks
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Thriller विक्षिप्त हत्यारा
सुनील ने सारे कागजों का एक बार फिर पढा और फिर उन्हें मेज पर रख दिया ।
"सेठ जी" सुनील तनिक उत्तेजित स्वर में बोला - "सोहन लाल की इस स्टेटमेंट से यह जाहिर होता है कि गीगी ओब्रायन का शरीर हत्या के समय ही बुरी तरह काटा गया था जबकि आपके कथनानुसार यह काम गीगी ओब्रायन की हत्या के कई घन्टों बाद हुआ था । आप राजनगर से बम्बई गये, वहां राम ललवानी ने सुनीता को बचाने की एक स्कीम बताई और फिर उस स्कीम के अनुसार मनोहर ललवानी बाद में जाकर गीगी ओब्रायन के शरीर की धज्जियां उड़ाकर आया जबकि वास्तव में उसके शरीर की वह हालत हत्यारे द्वारा हत्या के ही समय की जा चुकी थी । राम ललवानी ने आपको धोखा दिया ।"
सुनील चुप हो गया ।
"यह बात मुझे भी सूझी थी ।" - सेठ धीरे से सहमतिसूचक ढंग से सिर हिलाता हुआ बोला - "इस स्थिति में पुलिस के सामने इस बात का दावा कैसे किया जा सकता है कि लाश की वह हालत मनोहर ललवानी ने बनाई थी । सुनीता ने नहीं ?"
सुनील चुप रहा ।
"बेटा, तुम्हारे सामने केवल सोहन लाल की स्टेटमेंट की प्रतिलिपि पड़ी है । ओरिजिनल स्टेटमेंट अब तक सोहन लाल के वकीलों ने पुलिस को को सौंप दी होगी या सौंपने वाले होंगे । स्टेटमेंट में कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि सुनीता मेरी बेटी है । लेकिन राम ललवानी से पूछताछ करने के बाद वे इस तथ्य को जरूर जान जायेंगे । अब मुझे तो दो तरीकों में सुनीता की, और किसी हद तक अपनी भी, सलामती दिखाई देती है कि या तो सुनीता कौन है इस बारे में राम ललवानी अपनी जुबान बन्द रखे, जिसकी कि मुझे आशा नहीं, और या फिर वह हत्यारा पकड़ा जाये जिसने पिछली रात को फ्लोरी नाम की उस लड़की की हत्या की है जिसका तुमने थोड़ी देर पहले जिक्र किया था ।"
"सेठ जी" - सुनील धीरे से बोला - "शायद आपको यह बात मालूम नहीं है कि मुकुल फरार हो चुका है ।"
"अच्छा ! फिर तो उसका फरार हो जाना ही पुलिस की निगाहों में सन्देह का कारण बन सकता है ।"
"जरूरी नहीं है । मुकुल अपने साथ एक लड़की भी भगा कर ले गया है । पुलिस शायद इसे इश्क का मामला ही समझे ।"
"लेकिन इतनी बड़ी दुनिया में मुकुल को तलाश कहां किया जाये ।"
"मुकुल के फरार हो जाने की जानकारी अभी किसी को नहीं है । इसलिए सम्भव है वो अभी राजनगर में ही हो । एक दो स्थान मेरी निगाहों में हैं जहां मुझे मुकुल के होने की सम्भावना दिखाई देती है ।"
"कौन से स्थान हैं वे ?"
"फोर स्टार नाईट क्लब और राम ललवानी की शंकर रोड वाली कोठी । मुकुल समझता है कि इस बात की जानकारी राजनगर में किसी को नहीं है कि वह राम ललवानी का सगा भाई है इसलिए वह इन दोनों जगहों में से कहीं होगा तो उनकी ओर किसी का भी ध्यान नहीं जायेगा ।"
"मुकुल फोर स्टार नाइट क्लब में है या नहीं, यह बता तो मैं दो मिनट में पता लगा देता हूं ।"
"कैसे ?"
"क्लब का एक कर्मचारी क्लब खुलने से पहले मेरा निजी नौकर था । मैं फोन करके उससे पूछता हूं ।"
"पूछिये ।"
सेठ उठा और लम्बे डग भरता दूसरे कमरे में चला गया ।
सुनील ने एक नया सिगरेट सुलगा लिया ।
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Thriller विक्षिप्त हत्यारा
सेठ ने बड़े नर्वस ढंग से सिगार के तीन-चार कश लिये और फिर बोला - "इक्कीस साल की आयु में वह आर्थिक रूप से भी स्वतन्त्र हो गई । उसे किसी भी सूरत में मेरी मोहताज रहने की जरूरत नहीं रही थी । जैसा कि मुझे बाद में मालूम हुआ, तब तक वह हेरोइन और एल.एस.डी. जैसे तीव्र नशा करने वाली चीजों के इन्जेक्शन लेने लगी थी और उनकी खूब आदी हो चुकी थी । जिन विलायती हिप्पियों के साथ वह घूमती-फिरती थी वे ही उसे ऐसी चीजों के सेवन की प्रेरणा देते थे और उन हरकतों को आज की तेज रफ्तार जिन्दगी का एक हिस्सा मान कर वह सब कुछ करती थी । उसके छः महीने बाद वो मुझे छोड़कर चली गई । सीधी जुबान में कह जाये तो घर छोड़ कर भाग गई ।"
"ओह !" - सुनील ने अपनी जुबान से केवल इतना ही निकाला - "कहां ? बम्बई ?"
"हां ।"
"फिर ?"
"बम्बई पहुंचने तक वह हेरोइन और एल.एस.डी. के नशे की इतनी आदी हो चुकी थी कि वह उसके बिना जीवित नहीं रह सकती थी । बेटा, मैंने सुना है कि इन तीव्र नशों का भी भिन्न-भिन्न लोगों पर भिन्न-भिन्न प्रकार का प्रभाव होता है । कुछ लोग एल. एस. डी. का इन्जेक्शन लेते हैं और फिर दो-दो दिन तक पिनक में पड़े रहते हैं । कुछ लोगों में सैक्स की भावनायें प्रबल हो उठती हैं । कुछ लोग अपने मस्तिष्क पर से अपना अधिकार खो बैठते हैं और उपद्रवी बन जाते हैं । उस स्थिति में वे बड़ी भंयकर हरकतें करते हैं । ऐसी ही स्थिति में एक बार सुनीता ने अपने ब्वायफ्रैंड की खोपड़ी पर कोका कोला की बोतल तोड़ दी थी । सुनीता को एक महीने की जेल की सजा हुई थी । एक अहसान उसने मुझ पर जरूर किया कि बम्बई जाकर उसने किसी पर यह प्रकट करने की कोशिश न की वह मेरी बेटी थी ।"
"फिर ?"
"उसी दौर में सुनीता राम ललवानी के सम्पर्क में आई । राम ललवानी बम्बई में गुलनार नाम का रेस्टोरेन्ट चलाता था लेकिन वास्तव में गुलनार मादक द्रव्यों के व्यापार का अड्डा था । राम ललवानी को किसी प्रकार मालूम हो गया कि सुनीता के पास ढेर सारी दौलत थी । उस दौलत के लालच में उसने किसी प्रकार सुनीता को फांसकर उससे शादी कर ली । शादी के बाद उसे यह भी मालूम हो गया कि उसकी बीवी मेरी लड़की थी ।"
"कैसे ?"
"उसने खुद ही बता दिया होगा । आखिर उसे अपने पति से अपनी वास्तविकता छुपाने की क्या जरूरत थी ?"
सुनील चुप रहा ।
"फिर मार्च सन पैंसठ में वह भंयकर घटना घटी जिसके बाद मुझे इन तमाम बातों की खबर हुई ।"
"कौन-सी घटना ?"
"सुनीता ने एक लड़की का खून कर दिया ।"
"खून !"
"हां, बेटे, लड़की गीगी ओब्रायन नाम की कोई नर्तकी थी जो राम ललवानी के रेस्टोरेन्ट में नृत्य करती थी ।"
"लेकिन उस लड़की का खून तो राम ललवानी के छोटे भाई मनोहर ललवानी ने किया था ?"
"दुनिया यही समझती है लेकिन वास्तव में उस लड़की का खून सुनीता ने किया था ।"
"क्यों ?"
"भगवान जाने क्यों ?"
"फिर ?"
"फिर राम ललवानी ने बम्बई से मुझे ट्रंक कॉल की थी । मैं तत्काल बम्बई पहुंच गया था एयरोड्रोम पर ही मुझे राम ललवानी मिल गया । वह मुझे सीधा सुनीता के पास ले गया । बेटे, सुनीता की हालत देखकर मेरा दिल दहल गया । इतनी उजड़ी हुई औरत मैंने अपनी जिन्दगी में कभी नहीं देखी थी । बम्बई की दो ढाई साल की मादक पदार्थों पर निर्भर जिन्दगी ने उसे तबाह करके रख दिया था । वह उस समय भी नशे में थी और मुझे एक जिन्दा लाश जैसी मालूम हो रही थी । जो कुछ मेरी निगाहें देख रही थी, उस पर मुझे विश्वास नहीं होता था । मुझे विश्वास नहीं होता था कि हेरोइन, एल. एस. डी. और मरिजुआना जैसे तीव्र नशे किसी इन्सान की इस हद तक भी दुर्गति कर सकते थे । सुनीता अपनी स्थिति से बेखबर मेरे सामने बैठी थी और उसकी हालात देखकर मेरा कलेजा फटा जा रहा था । मैंने अपनी बेटी को बुलाया । बड़ी मुश्किल से उसने मुझे पहचाना और फिर उसने मुझे बताया कि उसने एक लड़की की छाती में चाकू घोंप दिया था । उस समय एक कर्त्तव्य-परायण नागरिक की तरह चाहिये तो यह था कि मैं अपनी बेटी को पुलिस हवाले कर देता लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया । मैं अपने दिल के हाथों मजबूर था । मैंने उसे पुलिस के हवाले नहीं किया ।
बेटा, अगर तुम मेरी जगह होते तो क्या करते ?"
"मेरी कोई बेटी नहीं ।" - सुनील धीरे से बोला ।
सेठ चुप रहा ।
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Thriller विक्षिप्त हत्यारा
"फिर हत्यायें करनी आरम्भ कर दी हैं !" - सेठ का मुंह खुले का खुला रह गया - "क्या मतलब ?"
"मेरा संकेत पिछली रात को मेहता रोड पर हुई फ्लोरी नाम की लड़की की हत्या की ओर है । फ्लोरी की हत्या बिल्कुल उसी पैट्रन पर हुई है जिस प्रकार पांच साल पहले बम्बई में मनोहर ललवानी तीन हत्यायें कर चुका है । फ्लोरी की हत्या ही पुलिस के मन में यह सन्देह उपजाने के लिये काफी होगी कि मनोहर ललवानी जिन्दा है । इसलिये राम ललवानी चिन्तित है लेकिन वह राज नगर की पुलिस को निकम्मी समझकर भारी गलती कर रहा है । मैं अपनी जुबान न भी खोलूं तो भी पुलिस को सारी कहानी समझने में अधिक देर नहीं लगेगी ।"
सेठ ने अपना सिर झुका लिया ।
"सेठजी, बात बहुत बढ चुकी है । यह ऐसा मामला नहीं है जिस में आप अपने दामाद की खातिर अपना पैसा और प्रभाव इस्तेमाल करके सारा मामला रफा-दफा कर सकें ।"
इतना कहकर सुनील कुर्सी से उठा और जेब में हाथ डाले सेठ के सामने खड़ा हो गया ।
"बैठो ।" - वह कम्पितत स्वर में बोला ।
"सेठ जी" - सुनील हिचकिचाता हुआ बोला - "मैं..."
"प्लीज, मिस्टर सुनील, प्लीज सिट डाउन ।"
सुनील बैठ गया । उसके सामने एक करोड़पति सेठ का अभिमान टूटा जा रहा था । लेकिन न जाने क्यों सुनील को इससे कोई खुशी नहीं हो रही थी ।
"थैंक्यू ।"
सूनील चुप रहा ।
"तुम कैसे जानते हो कि सुनीता मेरी लड़की है ?"
"मुझे निश्चित रूप से इस बात की जानकारी नहीं है । मैं केवल इतना जानता हूं कि सुनीता अग्रवाल नगर के एक करोड़पती सेठ की इकलौती बेटी है ।"
सेठ मंगत राम ने एक गहरी सांस ली और बोला - "सुनीता मेरी इकलौती बेटी है ।"
सुनील चुप रहा ।
"बेटे" - सेठ आर्द्र स्वर में बोला - "जिस ढंग की जिन्दगी सुनीता ने आज तक गुजारी है, भगवान ऐसी जिन्दगी में किसी दुश्मन को न डाले । आज मैं अपनी बेटी की सूरत देखता हूं तो मुझे महसूस होता है कि मेरा संसार की सबस निरर्थक और निकृष्ट वस्तु का नाम है । पैसा सारा रुपया भी सुनीता को दोबारा से एक हंसती-खेलती, उमंगों और आशाओं से भरी हुई जवान लड़की नहीं बना सकता और उसकी यह हालत इसलिये हुई क्योंकि बचपन में उसकी मां मर गई थी और मुझे नोट गिनने से फुरसत नहीं थी । नतीजा यह हुआ कि वह बेहद गलत किस्म की सोहबत में पड़ गई । कोई उसे रोकने-टोकने वाला नहीं था इसलिये जो उसके जी में आता था, वह करती थी । सुनीता कोई भोली-भाली मासूम बच्ची नहीं रही है, इस बात की जानकारी मुझे तब हुई थी जब सुनीता के स्कूल की प्रिन्सीपल ने मुझे बताया कि सुनीता गर्भवती थी । और, बेटे, वह उस समय दसवीं जमात में पढती थी और मुश्किल से पन्द्रह साल की थी ।"
एक क्षण के लिये सेठ रुका और फिर बोला - "प्रिन्सीपल की सावधानी से ही मेरी इज्जत मिट्टी में मिलने से रह गई थी । एक बहुत बड़ा स्कैण्डल होते-होते रह गया था । सुनीता की उस हालत के लिये जिम्मेदार था, सुनीता के स्कूल का अंग्रेज टीचर जिसने बाद में मुझे बाकायदा ब्लैकमेल करने की कोशिश की । लेकिन मेरे रुतबे ने और ढेर सारे रुपये ने किसी प्रकार स्थिति सम्भाल ली । सुनीता का गर्भपात कराया गया । उसने स्कूल छोड़ दिया और फिर कभी पढाई-लिखाई की ओर झांक कर भी नहीं देखा । बेटे, जिस बात ने मेरा दिल दहला दिया था, वह यह थी कि जो कुछ सुनीता ने किया था, उसके लिये वह कतई शर्मिंदा नहीं थी ।"
"फिर ?" - सुनील ने मन्त्रमुग्ध स्वर में पूछा ।
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