11-30-2020, 12:43 PM,
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desiaks
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RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“तुम गलत समझते थे। वह और रंजना बहुत ही कम मिला करती हैं। मीना अपना ज्यादातर वक्त अपने ढंग से ही गुजारती है।”
सैनी कटुतापूर्वक मुस्कराया।
-“हो सकता है, इस हफ्ते अपना वक्त वह कुछ ज्यादा ही अपने ढंग से गुजारती रही है।”
-“क्या मतलब?”
-“जो चाहो मतलब निकाल सकते हो।”
इन्सपैक्टर चौधरी मुट्ठियाँ भींचे आगे बढ़ा। उसका चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था।
राज ने कार का दरवाजा खोला और पैर जोर से जमीन पर पटका।
इन आहटों ने इन्सपैक्टर को रोक दिया। उसने दुष्टतापूर्वक मुस्कराते सैनी को घूरा फिर पलटकर चला गया। कुछ दूर जाकर उनकी तरफ से पीठ किए खड़ा रहा।
-“मेरा मुँह बंद कराना चाहता था।” सैनी खुशी से चहका- “इसका गुस्सा किसी रोज खुद इसी को ले डूबेगा।”
मिसेज सैनी लॉबी का दरवाजा खोलकर बाहर निकली। उसके चेहरे पर व्याकुलतापूर्ण भाव थे।
-“क्या हुआ सतीश?” उन दोनों की ओर बढ़ती हुई बोली।
-“हमेशा कुछ न कुछ होता ही रहता है। मैंने इन्सपैक्टर को बताया, इस हफ्ते मीना बवेजा काम पर नहीं आई तो वह मुझे ही इस के लिए जिम्मेदार समझने लगा। जबकि उसकी उस घटिया साली के लिए मैं कतई जिम्मेदार नहीं हूँ।
मिसेज सैनी ने पति की बाँह पर कुछ इस अंदाज में हाथ रखा मानों किसी भड़के हुए पशु को शांत कराना चाहती थी।
-“तुम्हें जरूर गलतफहमी हुई है, डार्लिंग। मुझे यकीन है, मीना की किसी हरकत के लिए वह तुम्हें जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता। शायद वह मीना से मनोहर के बारे में पूछताछ करना चाहता है।”
-“क्यों?” राज बोला- “क्या वह भी मनोहर को जानती थी?”
-“बिल्कुल जानती थी। मनोहर उसका दीवाना था। ऐसा ही था न, सतीश?”
-“बको मत।”
वह पति से अलग हट गई। ऊँची एड़ी के अपने सैंडलों पर कुछ इस ढंग से लड़खड़ाती हुई मानों पीछे धकेल दी गई थी।
-“बताइए मिसेज सैनी। यह बात महत्वपूर्ण हो सकती है क्योंकि मनोहर मर चुका है।”
-“मर चुका है?” वह झटका सा खाकर बोली और राज से निगाहें हटाकर अपने पति को देखा- “क्या मीना भी इसमें शामिल है?”
-“मैं नहीं जानता।” सैनी ने कहा- “बस बहुत हो गया। अंदर जाओ, रजनी। तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है। यहाँ सर्दी में खड़ी रहकर तुम बेवकूफी कर रही हो।”
-“मैं नहीं जाऊँगी। तुम इस तरह मुझ पर हुक्म नहीं चला सकते। मुझे पूरा हक है जिससे चाहूँ बात कर संकू।”
-“नहीं, इस हरामजादे के सामने तुम कोई बकवास नहीं करोगी।”
-“मैंने ऐसा कुछ नहीं....।”
-“बको मत। तुम पहले ही काफी बकवास कर चुकी हो।”
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11-30-2020, 12:44 PM,
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RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
दीवार से चिपके खड़े राज को अंदर कदमों की आहट सुनाई दी। उसने दरवाजे की चौखट और परदे के सिरे के बीच बनी पतली सी झिर्री से अंदर झाँका।
सैनी लड़की की कुर्सी के पीछे गावदी की भांति खड़ा था। उसकी ठोढ़ी पर बैंड-एड चिपकी थी। उसके हाथ ऊपर उठे और लड़की के वक्षों पर कस गए।
सैनी बोला, "अपनी टाँगें खोलो ना!"
लड़की सिसकते हुए फुसफुसा कर धीरे से बोली, "ऊँम्म... कुछ हो गया तो..!"
सैनी फिर उसकी गर्दन पे अपने होंठ रगड़ते हुए बोला, "मैं भला अपनी जान को कुछ होने दुँगा... प्लीज़ एक बार कर लेना दो ना... तुम्हें मेरी कसम..!"
लड़की सैनी की प्यार भरी चिकनी चुपड़ी बातें सुन कर एक दम से पिघल गयी। उसने लरजते हुए टाँगों में फंसी अपनी कैप्री को अपने पैरों मे गिरा दिया और फिर उसमें से एक पैर निकाल कर खड़े-खड़े अपनी टाँगें फैला दी। सैनी ने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर लड़की की गाँड से नीचे ले जाते हुए उसकी चूत की फ़ाँकों पर रख कर अपने लंड के सुपाड़ा को लड़की के चूत के छेद पर टिकाने की कोशिश करने लगा पर खड़े-खड़े उसे लड़की की चूत के छेद तक अपना लंड पहुँचाने में परेशानी हो रही थी।
" तुम्हारी फुद्दी के छेद पर लंड लगा क्या?" सैनी ने पूछा।
"ऊँम्म्म मुझे नहीं मालूम..!" लड़की बोली।
"बताओ ना..!" सैनी ने फिर पूछा तो लड़की ने कसमसाते हुए कहा, "नहीं..!"
लड़की की चूत की फ़ाँकों में अपने लंड को रगाड़ कर छेद को तलाशते हुए सैनी ने फिर पूछा, "अब..?"
लड़की ने फिर से ना में गर्दन हिला दी और सैनी ने फिर से अपने लंड को एडजस्ट किया और जैसे ही सैनी के लंड का दहकता हुआ सुपाड़ा लड़की की चूत के छेद से टकराया तो लड़की के पूरे जिस्म ने एक तेज झटका खाया। उसके होंठों पर शर्मीली मुस्कान फैल गयी और उसने अपने सिर को झुका लिया।
सैनी ने पुछा, "अब?"
लड़की ने हाँ में सिर हिलाते हुआ कहा, "हुँम्म्म्म!"
सैनी ने धीरे-धीरे अपने मूसल लंड को ऊपर की ओर चूत के छेद पर दबाना शुरू कर दिया। सैनी का लंड लड़की की तंग चूत में धीरे-धीरे अंदर जाने लगा। लंड के सुपाड़े की रगड़ लड़की को अपनी चूत की दीवारों पर मदहोश करती जा रही थी। उसके पैर खड़े-खड़े काँपने लगे और आँखें मस्ती में बंद होने लगी थी। सैनी ने लड़की को थोड़ा सा धक्का देकर ठीक एक पेड़ के नीचे कर दिया और उसकी पीठ को दबाते हुए उसे झुकाना शुरू कर दिया। लड़की ने अपने हाथों को पेड़ के तने पर टिका दिया और झुक कर खड़ी हो गयी। लड़की की बाहर की तरफ़ निकाली गाँड देख कर सैनी एक दम से पागल हो गया। उसने ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिये। सैनी की जाँघें लड़की के चूतड़ों से टकरा कर थप-थप कर रही थी और लड़की बहुत कम आवाज़ में सिसकारियाँ भरते हुए चुदाई का मज़ा ले रही थी। उसके पैर मस्ती के कारण काँपने लगे थे। सैनी ने लड़की की चूत से लंड बाहर निकाला और फिर से एक झटके के साथ लड़की की चूत में पेल दिया। लड़की एक दम से सिसक उठी। सैनी ने फिर से अपने लंड को रफ़्तार से लड़की की चूत के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। पाँच मिनट बाद लड़की और सैनी फिर से झड़ गये। सैनी ने अपना लंड लड़की की चूत से बाहर निकाला और तिरपाल पर पड़ी हुई पैंटी को फिर से उठा कर अपना लंड साफ़ करने लगा।
लड़की दीवार से अपना कंधा टिकाये हुए मदहोशी से भरी आँखों से ये सब देख रही थी। उसकी कैप्री अभी भी उसके एक पैर में फंसी हुई ज़मीन पे पड़ी हुई थी। सैनी ने अपना लंड साफ़ करने के बाद अपना अंडरवियर और पैंट पहनी और लड़की के पास आकर झुक कर बैठ गया और उसकी जाँघों को फैलाते हुए उसकी चूत को पैंटी से साफ़ करने लगा। लड़की बेहाल सी ये सब देख रही थी। फिर लड़की ने अपने कपड़े ठीक किये
पीछे से एक स्वर उभरा।
-“किसी चीज की तलाश है, सर?”
राज ने आवाज की दिशा में देखा। वही वेटर तंदूरी चिकन की प्लेटें ट्रे में उठाए मेहराबदार दरवाजे में खड़ा था।
-“मेन्स टायलेट।” राज ने कहा।
-“वो सामने है सर।” वेटर के होठों पर मुस्कराहट थी लेकिन लहजे में गुर्राहट- “साफ तो लिखा है।”
-“शुक्रिया। मेरी निगाह काफी कमजोर है।”
-“ठीक है। उधर जाइए।”
राज टायलेट में चला गया।
जब तक वह दोबारा बाहर निकला प्राइवेट रूम खाली हो चुका था। सैनी के खाली गिलास के पास चिकन की प्लेटें अनछुई रखी थीं।
राज बार में आ गया।
काउंटर के पास वही वेटर खड़ा था।
-“वे कहां चले गए?” राज ने पूछा।
-“वेटर ने यूँ उसे घूरा मानों पहले कभी नहीं देखा था फिर एक केबिन की ओर चला गया।
राज रेस्टोरेंट से बाहर निकला।
गली सुनसान पड़ी थी। सैनी कि जिप्सी भी जा चुकी थी।
राज ने अपनी कार में सवार होकर आस-पास के इलाके का चक्कर लगाया।
मेन रोड और सुभाष मार्ग के कार्नर के पास अचानक वही लड़की दिखाई दे गई।
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