Thriller Sex Kahani - कांटा
05-31-2021, 12:12 PM,
#88
RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
“जय भोलेनाथ की।” मदारी ने अपना रूल हिलाकर बड़े अवसाद भरे भाव से नारा लगाया और जैसे भारी अफसोस जताता हुआ बोला “तो एक पापी...ऊह शरीफ और दुनिया से रुख्सत हो गया। भोले भंडारी इसकी आत्मा को शांति दे।”

कोई कुछ न बोला। फिजां में एक अजीब सी तनाव भरी खामोशी छाई रही।

मदारी एकाएक शर्मा की ओर घूमा तो शर्मा सावधान हो गया। “फरमाएं जजमान।" वह शर्मा से बोला “यह कैसे हुआ?"

शर्मा पहले ही रीनी का बयान ले चुका था। उसने सारा वाक्या मदारी को बयान कर दिया।

रीनी ने शर्मा से कुछ भी नहीं छुपाया था। उसने अक्षरशः वह सब बता दिया था जो संदीप की मौत से पहले वहां हुआ था।

उसने शर्मा को यह भी बता दिया था कि संदीप की फोन पर अपनी भूतपूर्व बीवी कोमल से हुई तमाम बातें सुनने के बाद किस तरह उसका खून खौल उठा था, और वह कैसे जख्मी नागिन बनकर संदीप पर टूट पड़ी थी। मगर फिर कैसे एकाएक संदीप ने पासा पलट दिया था और सारा भेद खुल जाने के बाद वह उसी के रिवॉल्वर से उसकी जान लेने पर
आमादा हो गया था।

यह सच है कि भेद खुल जाने के बाद संदीप उसे किसी भी कीमत पर जिंदा नहीं छोड़ने वाला था और वह उसे शूट करने का पक्का इरादा भी बना चुका था। और रीनी ने भी अपनी मौत को तकरीबन स्वीकार कर ही लिया था, लेकिन ठीक तभी एक अप्रत्याशित घटना हुई थी।

उस वक्त बेडरूम के प्रवेश द्वार की ओर संदीप की पीठ थी। इससे पहले कि संदीप उसे शूट कर पाता, प्रवेश द्वार की तरफ से एक बेआवाज गोली पीछे से संदीप की पीठ में आकर धंस गई थी।

गोली बेहद नाजुक जगह पर लगी थी। संदीप के हलक से । केवल एक घुटी-घुटी सी चीख निकली थी। अगले ही पल वह रिवॉल्वर समेत औंधे मुंह फर्श पर ढेर हो गया था और देखते ही देखते उसका जिस्म निश्चेष्ट हो गया था।

उसी समय कोठी की एक मैड दूध का गिलास लेकर बेडरूम में यी थी। फिर उसी ने पुलिस को फोन किया था।

संदीप पर किसने गोली चलाई थी, उसे रीनी न देख सकी थी। न ही कोठी में मौजूदा किसी अन्य नौकर ने ही उसे देखा था।

“जय डमरूवाले की।” शर्मा खामोश हुआ तो मदारी ने नारा सा लगाया और बड़े शायराना अंदाज में बोला “फिर तेरी कहानी याद आयी।"

“ज...जी....।” शर्मा के चेहरे पर असमंजस के भाव आए।
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“नहीं समझे श्रीमान।” मदारी ने कहा “कोई बात नहीं, मैं समझाता हूं। जरा इससे पिछले कत्ल के वाक्ये को याद करो। दोनों आपस में काफी मिलते-जुलते हैं।"

“अ...आपका मतलब संजना के कत्ल से है सर?"

“बजा फरमाया शर्मा जजमान। जरा याद करो, वहां भी कुछ-कुछ ऐसा ही हुआ था। जो कत्ल करने जा रहा था, मेरा मतलब है कि जा रही थी, खुद वही कत्ल हो गई थी और उसे भी ठीक वैसे ही शूट किया गया था जैसे कि सियावर रामचंद्र जी ने ओट से बालि को शूट किया था।"

“ऑय एम सॉरी सर।” शर्मा ने प्रतिवाद किया “अभी यह स्थापित नहीं हुआ है कि मुल्जिमा ने जो बताया वह सच है।"

"हां। यह तो है श्रीमान।” मदारी तत्काल रीनी की ओर मुखातिब हुआ, फिर उसके करीब पहुंचकर उसके सहमे चेहरे
पर अपनी निगाहें गड़ाता हुआ बोला “माफी चाहता हूं श्रीमती जी। लेकिन हालात बहुत नाजुक हैं। लिहाजा न चाहते हुए भी आपसे यह पुलिसिया सवालात करने पड़ रहे हैं। उम्मीद है आप इसके लिए मुझे क्षमा कर देंगी और पूरे दम-खम से मेरे सवालों का जवाब देंगी।"

“ज..जो कुछ हुआ मैं पहले ही तुम्हारे इंस्पेक्टर को बता चुकी हूं।” रीनी ने अपनी खामोशी तोड़ी “और जो मैंने बताया वही सच है।"

“गुस्ताखी माफ श्रीमतीजी। मैंने आपके दावे को चैलेंज नहीं किया।" "त...तो फिर?" रीनी उलझकर बोली।

“अपनी भूतपूर्व बीवी और आपकी सौतेली बहन कोमल से... ।” मदारी ने एक उड़ती निगाह संदीप की लाश पर डाली, फिर बोला “मरहूम श्रीमान को आपने आखिर ऐसा क्या कहते सुन लिया था जो आप आपे से बाहर हो गई थीं और रिवॉल्वर लेकर फातिहा पढ़ने के लिए...।" उसने फिर संदीप की लाश को देखा “मरहूम श्रीमान पर चढ़ दौड़ी।"

“यह जानकर क्या मैं आपे में रह सकती थी इंस्पेक्टर कि मैंने जिसे दिलोजान से चाहा और सारी दुनिया के खिलाफ जिससे सात फेरे लिए, उसने कभी मुझे चाहा ही नहीं। उसने तो महज मेरे पापा की दौलत की खातिर मुझसे शादी की थी
और..."

“और क्या श्रीमती जी?"

"और यह कि...।” रीनी चाहकर भी अपनी उत्तेजना को दबा नहीं सकी थी “वह आज भी अपनी तलाकशुदा बीवी को प्यार करता है और उसे हर कीमत पर दोबारा हासिल करना चाहता है। इसके लिए वह पूरी तरह कमर भी कसे हुए था।"

“क...क्या कमर कसे हुए था?"

"उसने मेरे पापा के कत्ल की साजिश रची थी। उनके कत्ल के षड्यंत्र में उसने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।"

“उ...उसने फोन पर यह कहा था?" मदारी के चेहरे पर हैरत के भाव आए।

“हां। मैंने अच्छी तरह से सुना था। एक सुपारी किलर को मेरे पापा के कत्ल की सुपारी दी थी, जिसका नाम...।” वह एक क्षण ठिठकी, फिर उसने अपना वाक्य पूरा किया “गोपाल है।"

“ए...ऐसा इसने खुद फोन पर कहा था?"

“हां। मैंने खुद अपने कानों से सुना था। इसने फोन पर कोमल को यह भी बताया था कि उसी किलर गोपाल को यह मेरे कत्ल की सुपारी भी दे चुका था और अब मैं महज कुछ ही दिनों की मेहमान थी। उसके बाद य...यह पूरी तरह से
आजाद था। मेरे पापा की सारी दौलत इस कंगले को हासिल हो जाने वाली थी और वह बहुत जल्द कोमल के पास लौट जाने वाला था।"

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मदारी और शर्मा की निगाह आपस में मिली। मदारी के जेहन में तेजी से कुछ खदकने लगा था।
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