Thriller मोड़... जिंदगी के ( completed )
[color=rgb(184,]#5 The Woods Villa....[/color]
उस साए ने खंजर का वार अमर की ओर किया, और अमर ये देखते ही झटके से एक तरफ को करवट लेते हुए गिरा और जोर से चिल्लाया: "बचाओ......"
उसकी आवाज सुन कर हस्पताल में हलचल मच जाती है, ड्यूटी स्टाफ उसके कमरे में अंदर आते हैं और देखते हैं कि अमर के बिस्तर पर एक बड़ा सा खंजर गड़ा हुआ होता है। अमर ने अगर जो छलांग ना लगाई होती तो उसकी मौत निश्चित थी। मगर कमरे में कोई भी ऐसा नहीं दिखता जिस पर शक किया जा सके।
थोड़ी देर में डॉक्टर चंदन भी वहां आ जाते हैं और अमर का हाल चाल पूछते हैं। अमर ने चंदन को कल जो उसे महसूस हुआ था वो बता दिया।
चंदन: ये तो वाकई में आश्चर्य की बात है, लेकिन हॉस्पिटल में तो कोई भी आ जा सकता है, यहां तो तुम खतरे में रहोगे, वैसे भी अब तुमको हॉस्पिटल की कोई जरूरत है नही।
अमर: पर में जाऊंगा कहां? कहने के नाम पर मेरे अपने में बस तुम ही एक हो जिसको मैं अपना दोस्त कह सकता हूं।
चंदन: हां लेकिन मैं खुद एक कमरे के फ्लैट में रहता हूं वो भी अकेले, और मेरा घर तो जहां है वहां कोई सुरक्षा के इंतजाम नहीं है। वहां रहना भी खतरे से खाली नही है।
अमर: फिर मैं कहां जाऊंगा, और इस हॉस्पिटल का बिल? वो।कैसे भरूंगा?
चंदन: उसकी चिंता मत करो, रमाकांत अंकल ने सब पेमेंट कर दी है पहले ही। उनसे ही बात करता हूं सुबह होते ही, वही कुछ कर सकते हैं।
सुबह 10 बजे, डॉक्टर चंदन के रूम में।
अनामिका: चंदन, दादाजी ने मुझे कहा है की उसे होटल के एक रूम में रुकवाने के लिए।
चंदन: पर अंकल खुद क्यों नही आए?
अनामिका: उनके घुटनों में कल रात से दर्द बहुत बढ़ा हुआ है, इसीलिए उन्होंने मुझे भेजा है, आनंद भी आजकल छूटी पर है।
चंदन: अनु तुमको कोई दिक्कत तो नही उसे वहां रखने पर?
अनामिका: चंदन उसे तो होटल के एक रूम में ही रहना है न, और वैसे भी वहां स्टाफ के लोग उसकी देखभाल करेंगे, मेरा उसे कौन सा मिलना जुलना होगा ज्यादा।
चंदन: ठीक है फिर मैं उसके डिस्चार्ज पेपर बनवा देता हूं और सिस्टर को कह देता हूं उसको रेडी करवाने।
अनामिका: हां ये कुछ कपड़े है, उसको दे देना, अभी तो वो हॉस्पिटल के कपड़ों में ही होगा, और उसका तो कोई सामान है भी नही।
चंदन: अनु, ये उसी के कपड़े है न??
अनामिका: हां चंदन, अब रखे रखे खराब ही हो रहे थे, और इसके पास कुछ है भी नही, कद काठी में दोनो एक जैसे ही हैं लगभग तो आ जायेंगे उसको।
चंदन: चलो अच्छा है, तुम कुछ कोशिश कर तो रही ही आखिर। तुम बैठो, मैं सब फॉर्मेलिटी पूरी करवा कर उसे लेके आता हूं।
कुछ देर बाद चंदन वापस रूम में आया और पीछे पीछे एक।व्हील चेयर पर अमर को लाया गया। अमर ने अनामिका को देखते ही मुस्कुरा कर पूछा।
"कैसी है आप?"
"जी ठीक हूं।"
अनामिका, अमर को देखते ही थोड़ी सा उदास हो जाती है जो अमर की आंखों से छुपा नहीं रहता।
चंदन: अमर, अनामिका आपको अपने होटल ले जाने आई है, रमाकांत अंकल ने कहा है आप वहां सुरक्षित रह सकते हैं।
अमर: अरे ये तो अच्छा है, मैं रमाकांत जी का ये आभार कैसे चुकाऊंगा, वैसे भी उन्होंने मुझ जैसे अनजान के लिए इतना कुछ पहले ही कर दिया है।
अनामिका: ये सब कोई आभार की बात नही है, जैसा दादाजी ने किया वो कोई भी अच्छा इंसान दूसरे इंसान के लिए करता। आप ये सब न सोचें और अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें। वैसे भी सुबह जैसा हुआ है, लगता है कोई आपकी जान के पीछे भी पड़ा है।
अमर: जी लगता तो ऐसा ही है।
चंदन: अब आप लोग निकालिए। अनामिका मैं अमर को गाड़ी तक छोड़ देता हूं, साथ में एक वॉकिंग स्टिक भी है, जिसकी सहायता से अब अमर थोड़ा बहुत चल सकता है, लेकिन ज्यादा चल फिर नही करनी है अमर अभी तुमको समझे।
अमर और अनामिका गाड़ी में बैठ कर चल देते हैं, 20 मिनिट के बाद गाड़ी एक बड़े गेट के अंदर जाती है, जिसके अंदर एक बहुत बड़ी हवेली बनी होती है, और गेट के बगल में एक बोर्ड लगा था
"The Woods Villa".......
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