Thriller मोड़... जिंदगी के ( completed )
[color=rgb(184,]#18 The mission...[/color]
चंदन: हेलो जानेमन, क्या हाल है?
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चंदन: हां जानेमन, लेकिन एक दिक्कत हो गई है। जिसे मैं उस बूढ़े की पोती समझ रहा था, वो तो उसके मैनेजर की बहन निकली। जायदाद के चक्कर में मैं उससे प्यार का नाटक कर बैठा, अब क्या किया जाए, कुछ समझ नही आ रहा अभी।
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चंदन: नही भाग के कहां जाऊंगा, ये जॉब भी तो बड़ी मुश्किल से मिली है, फिलहाल अभी ऐसे ही रहने दो, कुछ सोचते हैं इस बारे में।
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चंदन: हां बाबा, आई लव यू टू, एंड अल्सो मिसिंग द थिंग इनसाइड योर लेग टू मच।
पृथ्वी ये सुन कर सन्नाटे में आ जाता है, और उल्टे पांव वापस लौट जाता है। उसके समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या था आखिर? उसका एक मन कहता था कि जा कर सबको सच बता दे, मगर दूसरा मन तुरंत माना करता कि वो लोग तेरा विश्वास नही करेंगे तो अनामिका की जिंदगी कैसे बचाएगा? वो एक पार्क में बैठ कर यही सब सोच रहा होता है कि तभी उसके फोन पर उसकी भाभी निधि का फोन आता है।
पृथ्वी: हेलो, भाभी, मुझे माफ कर दीजिए। मैने आप सब का दिल दुखाया है।
निधि: अरे पृथ्वी, माफी मांगने की कोई जरूरत नही है, आप घर आओ आपस अब बस, वैसे भी आपने इन दिनों में बहुत झेल लिया है।
पृथ्वी: भाभी, आना तो चाहता हूं, पर आपकी देवरानी को ले कर।
निधि: मतलब फिर कोई पसंद आ गई आपको?
पृथ्वी: भाभी कोई नही, बस आप की पसंद ही मुझे भी पसंद आ गई।
निधि: और वाह! लेकिन क्या अब वो लोग मानेंगे, खास कर अनामिका तुमको अपनाएगी क्या अब?
पृथ्वी: भाभी उसकी शादी तय हो गई है, पर वो लड़का बहुत गड़बड़ लगता है मुझे।
निधि: तुम मिले क्या?
पृथ्वी: मिला, वो भी इनके साथ शामिल था। मगर आज मैं उसकी सच्चाई से वाकिफ हुआ हूं।
निधि: क्या हुआ?
पृथ्वी उसे सारी बात बता देता है।
निधि: ये तो बहुत गलत हो जाएगा उस बेचारी के साथ। तुम सब बता क्यों नही देते उन लोगों को?
पृथ्वी: कौन विश्वास करेगा मेरी बात का, जब मैं खुद उसको एक बार धोखा दे चुका हूं। फिर भी एक कोशिश करके देखता हूं।
निधि: हां एक कोशिश तो करो, बाकी जैसी ऊपर वाले की इच्छा।
पृथ्वी: "हां भाभी बोल कर देखता हूं।" मन में,"पर सब ऊपर वालें के भरोसे नहीं छोडूंगा।"
थोड़ी देर बाद वो आनंद के केबिन में होता है।
पृथ्वी: आनंद भाई, आपने मुझे माफ कर दिया न?
आनंद: अरे भाई हमने भी तो तुम्हारे साथ ऐसा गंदा खेल खेला, हिसाब बराबर। अब कभी ये माफी वाली बात बीच में मत लाना। आओ बैठो, घर कब निकल रहे हो?
पृथ्वी: जी कल शायद निकल जाऊं, आज बस आप सब से बात करना चाहता हूं।
आनंद: हां बोलो, माफी वाली बात छोड़ कर। हाहहा...
पृथ्वी भी हंसते हुए: जी भाई जी, अब वो बात नही करूंगा कभी, पर एक बात बतानी है आपको, कैसे बोलूं ये समझ नही आ रहा।
आनंद: अनामिका के बारे में?
पृथ्वी: जी उसी के बारे में।
आनंद संजीदा होते हुए: देखो पृथ्वी, दादाजी ने मुझे सब बता दिया है, और चंदन की बात रहने भी दो तब भी ना मैं और न ही अनामिका अब इस तरह का कोई रिश्ता तुमसे नही रखना चाहेंगे।
ये सुन कर पृथ्वी का चेहरा उतर जाता है।
पृथ्वी: मैं अपनी बात नही कर रहा, मुझे चंदन कुछ गडबड लग रहा है, मैं बस वही बताने आया था आपको। ये मत समझिए की मेरे मन में अब को जज्बात है अनामिका के लिए उसके चलते ये बोल रहा हूं, लेकिन चंदन एक बहुत गड़बड़ लड़का है। अनामिका के लिए सही नही होगा।
आनंद: हो गया तुम्हारा? चंदन के बारे में तुम मुझसे ज्यादा जानते हो क्या? उसी के वजह से अनामिका अपने अवसाद से बाहर आई, और उसी ने आगे बढ़ कर उसका हाथ मांगा था। तो हम उसे कैसे गलत मान लें, वो भी तुम्हारे कहने पर?
पृथ्वी ये सुन कर चुप हो जाता है और उठ कर बाहर चला जाता है। बाहर उसे अनामिका दिखती है, दोनो एक दूसरे को देख कर नजरें चुराने लगते हैं। रमाकांत जी ये देख लेते हैं, और वो पृथ्वी को अपनी को बुलाते हैं।
रमाकांत जी: पृथ्वी, एक बात पूछनी थी तुमसे? क्या तुम सच में अनामिका के लिए श्योर हो?
पृथ्वी: जी दादाजी, लेकिन... वैसे एक बात मैं आपसे बोलना चाहते हूं, चंदन के बारे में।
रमाकांत जी: वो बाद में, पहले मेरी बात सुनो, अभी भी तुम अपनी बात सही से और सही समय पर कहना नही सीख पाए शायद?
पृथ्वी: मतलब?
रमाकांत जी: अपनी बात बताने के लिए सही जगह और सही समय बनाना सीखो सोल्जर।
पृथ्वी चौंकते हुए: बिलकुल मेजर,मिशन ऑन नाउ......
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