vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:13 PM,
#6
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मैं सब बड़े इंटेरेस्ट से देख रहा था और तभी मेरा ध्यान आकांक्षा की तरफ गया. देख कर मैं खुद चौंक गया. वो खुद भी बड़े इंटेरेस्ट से देख रही थी. उसका लेफ्ट हॅंड पिल्लो पर था और चेहरा उसी हाथ के पाम मे. जिस वजह से वो थोड़ी झुक गयी थी और उसका टॉप थोड़ा सा नीचे लटक रहा था. आज पहली बार मैने अपनी बेहन की छाती की ओर ध्यान दिया और देखता ही रह गया. किसी पानी भरे हुए बलून को देख कर जो फीलिंग आती हैं,वो फीलिंग मुझे आने लगी. गोरे चिट उसके मम्मो के बीच की गहरी क्लीवेज मुझे दिख रही थी. मुझे अब एहसास होने लगा था की मेरा लंड अब खड़ा होने लगा हैं और अगर जल्द ही मैने अपना ध्यान नही हटाया तो बड़ी और लंबी सी गड़बड़ हो जाएगी. और ज्यों मैने यह सोच कर उपर की ओर देखा, आकांक्षा की ओर मेरी नज़रे मिल गयी और मैं सॉफ देख सकता था कि वो समझ गयी हैं कि मेरी आखे क्या देख रही थी...

मैं आकांक्षा की गोरी गोरी छाती को घुरे जा रहा था. हम दोनो ही टीवी की तरफ नही देख रहे थे. टीवी पर अब भी सीन शुरू था मगर यहाँ, इस रूम मे मेरे और आकांक्षा के बीच एक अलग सा सीन चल रहा था. जो ही हमारी नज़रे एक दूसरे से मिली, मैं सकपका गया और किसी बिल्ली के बच्चे की तरह उसकी ओर देखने लगा. एक पल के लिए तो मानो मेरा दिल ही रुक गया था. मेरे ज़हन मे केयी सारे दृश्य आने लगे थे. आकांक्षा का चीखना -चिल्लाना, फिर मेरे पेरेंट्स का नींद मे से उठ जाना, फिर उनका उनके बेडरूम मे से बाहर आना, सबसे पहले मम्मी का मुझे सोफा पर बैठ कर खाना खाते देखना, उस वजह से ऑलरेडी उनका पारा उपर चढ़ना और अल्टिमेट्ली,आकांक्षा का मेरे पेरेंट्स के सामने अपनी राम-कथा सुनाना और फिर मेरे पापा का मुझे कुत्ते की तरह पीटना या अगर नसीब अच्छा हो तो सिर्फ़ 1 थप्पड़ लगा कर मेरे रूम मे भेज देना. देखा जाए तो मेरी कोई ग़लती नही. हम मर्द बचपन से ही गोल गोल दिखने वाली चीज़ो की तरफ अट्रॅक्ट होते हैं. उसमे भी अगर हम जानते हो कि लड़कियो की छाती कितनी सुंदर होती हैं और ऐसी ही एक सुंदर,कोमल और गोरी-भारी चेस्ट मेरे सामने हो तो नज़र फिसलना लाज़मी हैं. आखे यह नही देखती कि वो किसके बूब्स देख रही हैं. वो सिर्फ़ अपना काम करती हैं. 

अब ये सब मेरे दिमाग़ मे किसी मूवी की तरह चल रहा था और एक बेहद ही फोकस्ड फॅन की तरह मैं एक टक एक दिशा मे देखा जा रहा था,ये सब सोचते हुए. अब दोस्तो, माँ कसम कहता हूँ, मेरा बिल्कुल उस बात की ओर ख़याल नही था कि मैं सोच भी आकांक्षा के बूब्स की तरह देख कर ही रहा था. अब सीन ये था कि जब मैं आक्च्युयली आकांक्षा के बूब्स को घूर रहा था और आकांक्षा ने मुझे रंगे हाथ,आक्च्युयली, रंगे आख पकड़ लिया था, और वो जानती थी कि मैं ये बात जानता हूँ कि उसने मुझे पकड़ लिया हैं,फिर भी मैं दोबारा से नीचे उसके ही बूब्स को ही घुरे जा रहा हू. हालाकी मैं घूर नही रहा था, बल्कि दिमाग़ मे ये कॅल्क्युलेट कर रहा था कि अब मैं पापा का मुझे ज़ोड़ने का वेट करूँ या फट से रूम मे भाग जाउ? मगर, ऐज यूषुयल मेरी फूटी किस्मत, आकांक्षा ये बात नही जानती थी. किसी तरह 10-15 सेकेंड्स के बाद मैं अपनी आखो को आकांक्षा की बॉडी के उपर की मज़िल पर ले गया और देखा तो इस बार आकांक्षा अपनी लेफ्ट आख के उपर की उसकी तीखी आइ-ब्रो को उपर करके अपनी नींबू जैसी आखो से मुझे ऐसे घूर रही थी जैसे शंकर भगवान किसी को भस्म करने से पहले देखते होगे. ऑनेस्ट्ली, मैं वेट कर रहा था कि कब उसकी बड़ी बड़ी आखो से एक लेज़र बीम निकले और मैं भस्म हो जाउ! मगर ऐसा हुआ नही, इनस्टेड आकांक्षा ने बड़े ताव से अपनी गोद पर रखा हुआ तकिया सोफा पर पटका राइट हॅंड से, लेफ्ट हॅंड से अपनी प्लेट उठाई और जाकर किचन के बेसिन मे पटक दी. और सीधा अपने रूम मे चली गयी. 

बॅस! अब मैने सारे भगवानो को याद करना शुरू कर दिया. केयी भगवानो को रिश्वत भी दे दी और उल्टी गिनती करने लगा कि कब और कौनसी साइड से पापा का मजबूत और बेहद बड़ा हाथ मेरे गाल पर लॅंड करता हैं. अंजाने मे मेरी आखे बड़ी हो गयी .

5 मिनट बीत गये और अब भी बमबारी नही शुरू हुई थी. मैं धीरे से सीढ़ियो तक गया और वहाँ जाकर खड़ा हो गया. दिल की धड़कने 440 बोल्ट से भी ज़्यादा तेज़ भाग रही थी. मैं 2 मिनट वहाँ रुका. चमत्कार!!! आकांक्षा ना चीखी ना चिल्लाई, मेरा शरीर भी सही सलामत था और गाल भी नॅचुरल कलर मे ही थे अब तक. मैं नीचे ज़मीन पर नमाज़ पढ़ने की स्टाइल मे बैठ गया और उपरवाले का शुक्रिया अदा करने लगा. किसी तरह मैने झट से डिन्नर ख़त्म किया और चुप चाप,दबे पावं से सीढ़िया चढ़ कर अपनी रूम की ओर जाने लगा. सीढ़िया चढ़ने के बाद,लास्ट सीढ़ी पर पैर रखते ही मैने चोर की तरह आगे झुक कर हॉलवे के राइट साइड मे देखा. मैं देखना चाहता था कि आकांक्षा के रूम का दरवाजा बंद हैं या नही? नसीब अच्छा था, दरवाजा बंद था, मगर लाइट चल रही थी अंदर की. अब जैसा कि मैने कहा कि हम दोनो के रूम्स आमने सामने हैं और बाथरूम लेफ्ट से स्ट्रेट. मैं नही चाहता था कि मुझे चलता देख कर आकांक्षा अपने रूम से बाहर निकले तो मैं बड़े ही धीरे धीरे आगे चल रहा था,इस बात का पूरा ध्यान रखते हुए कि आवाज़ ना हो. फाइनली मैं आकांक्षा के रूम से 3 फुट की दूरी पर था और मेरा रूम सिर्फ़ 7 फुट की दूरी पर. मैने धीमे से अपने कदम बढ़ाए और तभी;

आकांक्षा: अभी आगे बढ़ेगा या मारु एक लात तुझे पीछे से??

जैसे ही मैने ये सुना मेरे मूह से चीख निकली. गान्ड फट कर हाथ मे आ गयी. देखा तो आकांक्षा बाथरूम मे से निकल कर अपने रूम मे जा रही थी और मैं चूतिया की तरह उसके रास्ते मे था. मैं झट से पलट कर आकांक्षा की ओर देखने लगा. सेम एक्सप्रेशन्स थे जो 5 मिनट पहले लिविंग रूम मे थे. मैने फिर से उपर वाले को याद किया और कहा;
मे: ओह्ह्ह..! उम्म.. हहा!.. मैं तो सोने ही जा रहा था.
आकांक्षा: तो क्या आज तक वालो को बुलाऊ?? जा ना.
मैने सोचा बेटा सम्राट, यहाँ रुके रहे तो ये तेरे आँड काट देगी. भागो!
मे: हुहह? नही नही.. जा रहा.. गुडनाइट..
इतना कह कर मैं सूपर फास्ट स्पीड से भाग कर अपने रूम मे चला गया और डोर लॉक कर दिया. मैं अपनी रूम मे आया, सबसे पहले साँस ली. देखा तो टी शर्ट पसीने से थोड़ी गीली हो गयी थी. मैने अपने आप से ही कहा,"साले गान्डू!". टी शर्ट निकाल कर मैं सिर्फ़ शॉर्ट्स मे ही अपने बेड पर लेट गया. जो कुछ हुआ वो सब मेरे दिमाग़ मे आने लगा. मैं सोचने लगा कि अगर वो कल किसी से कुछ कहती हैं तो मैं तो गया काम से! अब नींद तो आनी मुश्किल ही थी. मैं 2 मिनट बाद अपने बेड पर से उठा. तभी मुझे कुछ याद आया.स्टडी टेबल पे रखे हुए वायलेट मे से मैने वो सिम निकाला. मेरा सीक्रेट सिम!. मोबाइल मे डाला और ऑन कर दिया. 10:37 हो रहे थे. मेरे पास सॅमसंग गॅलक्सी स्मार्ट फोन हैं. डॅम सेक्सी फोन! बस स्टार्ट होने मे ज़रा टाइम लगता हैं. ऑल दा सॉफ्टवेर न्ड ऑल लोड करने मे. मैने लॅपटॉप अनलॉक किया और एनिग्मा के गाने स्टार्ट कर दिए. अब जिन्होने एनिग्मा नही सुना उसने कह दूं कि एनिग्मा के सॉंग्स बड़े ही सूथिन्ग और सेनुयल होते हैं. मोस्ट्ली वो किसी मूवी के सेक्स सीन मे प्ले किए जाते हैं. मैने सोचा नींद नही आ रही तो क्यू ना सूथिन्ग म्यूज़िक सुन लिया जाए. शायद नींद आ जाए. सॉंग्स लगा कर मैं अपने बेड पर आ गया. कुछ सेकेंड्स के बाद ही मेरा मोबाइल बजा. देखा तो कोई टेक्स्ट आया था. मैने देखा तो मेसेज था;
"हू'ज दिस?"
मैं अपने बेड पर से उठ कर बैठ गया,एग्ज़ाइट्मेंट मे. वो मसेज यूथिका का था. मैं झट से रिप्लाइ कर दिया,
"हे, इट्स मी. मेरा_लंबा. वी मेट ऑन दट साइट. यू गेव मी युवर नंबर."
मेरा स्क्रीन नेम मेरा_लंबा ही हैं. अब मैं बड़ी उत्सुकता से उसके रिप्लाइ का वेट करने लगा. तभी;
"हू?? आइ डोंट रिमेंबर टॉकिंग टू यू. हाउ दा हेल डिड यू गेट माइ नंबर? स्टॉप टेक्स्टिंग मी ओर आइ विल ब्लॉक यू. गुडबाइ!"
उसका रिप्लाइ पढ़ कर मेरा दिमाग़ गरम हो गया. एक तो साली ने खुद अपना नंबर दिया और अब चूत्कि को याद भी नही. मैने गुस्से मे उसको कॉल किया. 2 रिंग्स जाते ही उसने फोन काट दिया और एक टेक्स्ट की;
"आइ टोल्ड यू नोट टू टेक्स्ट मी. सो, डोंट कॉल मी आइदर.. समझ नही आता क्या?"
अब पानी सिर के उपर जा रहा था. मैं बहुत गुस्सा हो गया, मैने भी रिप्लाइ कर दिया;
" हेलो? लिसन, मिस आंग्री! एनफ विद युवर आटिट्यूड. तू कोई हेरोयिन नही कि तेरे नंबर के लिए मैं मर मर कर रहा हूँ या तेरा नंबर कही से लीक हो कर मेरे पास आ गया. समझी? आइ डोंट गिव आ फक हू एवर यू आर, ब्लडी कॉल गर्ल. यू गेव मी युवर नंबर, यू सेड युवर नेम वाज़ यूथिका. आइ सेव्ड युवर नंबर आंड फर्गेट अबाउत इट. सोचा मेसेज कर के देखता हू. नाउ यू फक ऑफ!"
इतना कह कर मैने फोन पटक दिया. मुझे बहुत गुस्सा आ गया था. मैं अपने आप से ही बात करने लगा;
"भैनचोद साली! माँ की चूत उसकी. आटिट्यूड दिखा रही थी. साली ये लड़किया अपने आप को समझती क्या हैं.? एक चूत,एक मांसल गान्ड और 2 बूब्स के अलावा और क्या हैं उनके पास? कुतिया, साली जो देखो वो करेगी,जिसके साथ चाहे करेगी. मेरा दिल तोड़ने का हक़ किसने दिया ....."
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:13 PM

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