06-30-2019, 07:10 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
गपशप
भीषण ठंड वाली रात….वर्षा से भीगती सर्द हवाओं से दांत किटकिटाती हुई. सभी अपने–अपने घर–झोंपड़े में दुबके हुए थे. अचानक एक कुत्ता दंपति अपने पिल्लों के साथ भटकता हुआ उधर से गुजरा. उन्हें रात बिताने के लिए आसरे की तलाश थी. लेकिन घरों के दरवाजे बंद थे. तभी बिजली कड़की और उसकी चमक पिल्ले की आंखों में समा गई.
‘मां, उधर देख….वहां कोई नहीं है. हमारी रात वहां मजे से कटेगी.’
कुतिया कांप उठी, बोली, ‘उधर नहीं वह भगवान का घर है.’
‘तो क्या हुआ? हम भी तो उसी के बनाए हुए हैं.’
‘लेकिन यह घर आदमी का बनाया हुआ है और आदमी का मानना है कि ईश्वर के घर में पत्थर की मूर्तियां रह सकती हैं. हम जैसे कमजोर जीव नहीं.’ बिजली फिर कड़की. इस बार दूसरा पिल्ला कहने लगा, ‘उसे छोड़ो बापू. इधर देखो, कितना बड़ा घर है. एकदम साफ–सुथरा और इसके दरवाजे भी खुले हैं. हम यहां आराम से रह सकते हैं.’
‘नहीं बेटा! परिस्थितियों से त्रस्त बेबस कुत्ते ने कहा. बेटा वह मस्जिद है. खुदा का ठिकाना. अल्लाह के बंदे यहां उसकी इबादत करते हैं.’
‘रात बिताने के अल्लाह के घर से अच्छी भला और कौन–सी जगह हो सकती है.’ सर्दी से कांपता हुआ पिल्ला बोल.
‘मौलवी साहब का कहना है कि हमारे छूने से मस्जिद नापाक हो जाएगी.’ कुत्ते ने समझाने की कोशिश की.
‘पिताजी, क्या तुम मुझे छूकर नापाक हो जाते हो?’
‘धत्! ऐसा भी कहीं होता है?’ कहते हुए कुत्ते ने पीठ थपथपाई.
‘मां, मेरे छूने से क्या तू अपवित्र हो जाती है?’ पिल्ले ने अपनी मां से भी वही सवाल किया.
‘कैसी बात करता है पगले, तू तो मेरे कलेजे का टुकड़ा है.’ कहते हुए कुतिया ने पिल्ले को अपने अंक में भर लिया. पिल्ला अपने सवालो का समाधान चाहता था. इसलिए पीछे हटता हुआ बोला— ‘जब मेरे छूने से आप दोनों नापाक नहीं होते तो वह; जिसके बारे में बताते हैं कि वह सबका मां–बाप है, कैसे नापाक हो सकता है?’
कुतिया और कुत्ता दोनों में से किसी के भी पास इस सवाल का जवाब नहीं था. इसलिए वे दाएं–बाएं सट गए. ताकि वह इधर–उधर देखकर ज्यादा सवाल न पूछे. थोड़ी दूर जाने के बाद ही एक सूखी–सी ठेकरी उन्हें दिखाई पड़ी. कुत्ता अपने परिवार के साथ वहीं लेट गया. पिल्ले मौसम की मार झेल नहीं पाए और सुबह होते–होते वहीं ढेर हो गए. मिट्टी से वास्ता क्या? कुतिया और कुत्ता दोनों ने एक नजर अपने पिल्लों के बेजान पड़ चुके शरीरों को देखा. मिट्टी को माथे से लगाया और नए ठिकाने की तलाश में चल दिए.
मुंह–अंधेरे एक आदमी निकला. मृत पिल्लों में से उसने एक को उठाया और थोड़ी दूर जाकर दायीं ओर को उछाल दिया. उसके कुछ ही मिनटों के बाद एक और आदमी बाहर आया. इधर–उधर देखकर उसने दूसरे पिल्ले की लाश को उठा लिया. फिर उसे जोर–जोर से घुमाने लगा और अपनी पूरी ताकत से घुमाते हुए बायीं ओर उछाल दिया.
सुबह होते ही गांव में घमासान मच गया. जान बचाने के लिए कुतिया और कुत्ता को जंगल में शरण लेनी पड़ी. दिन–भर हाय–तोबा, चीख–पुकार, मारकाट मची देख उनकी गांव लौटने की हिम्मत ही न पड़ी. रात होते–होते सबकुछ थम गया. आसरे की तलाश उन दोनों को फिर गांव खींच लाई. किंतु गांव तो अब श्मशान में बदल चुका था. चारों ओर लाशें बिखरी पड़ी थीं. घर–झोंपड़ियां तबाह हो चुके थे.
‘सुबह अपने बच्चों की मौत पर तो मैंने छाती पर पत्थर रख लिया था….मगर आज गांव में जो देखा….इतनी लाशें गिरी हैं कि कोई रोने वाला भी नहीं है.’ कुतिया ने कहा….उदास तन और भरे–भरे मन से.
‘हम कोई आदमी थोड़े ही हैं जो अपना–पराया देखें. आ, रात से जो अब तक मरे हैं उन सभी पर रो लेते हैं.
कुछ देर बाद ही वह उजाड़ और मनहूस गांव कुत्ता दंपति की रुलाई से थरथराने लगा.
|
|
06-30-2019, 07:10 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
जैसा उन्होंने किया, वैसा कोई न करे
कुत्ता अपने परिवार से मिला तो बहुत थका हुआ था. कुतिया उसके इंतजार में थी. परिवार के मुखिया को आते देख वह फौरन उसके पास दौड़कर पहुंच गई.
‘क्यों जी, इतने दिनों में क्या तुम्हें मेरी जरा–भी याद नहीं आई?’ कुतिया ने प्यार–भरा उलाहना दिया.
‘मैं मीलों चलकर तेरे पास पहुंचा हूं, क्या यह छोटी बात है! इस बीच न जाने कितनी बार अजनबी कुत्तों ने मुझपर हमला किया. न जाने कितनी बार मैं गाड़ियों के नीचे आकर कुचलने से बचा. न जाने कितनी बार हिंस्र आदमी ने मोटा डंडा लेकर मेरा पीछा किया. पर मैं तेरी याद दिल में लिए भागता रहा, बस भागता ही रहा. जरा सोच आदमी का अगर एक भी डंडा मेरी पीठ पर पड़ जाता तो….’
‘जाने दो जी, मैं समझ गई, आप ऐसी बात मुंह से मत निकालिए.’ कुतिया ने रोक दिया. कुछ देर दोनों एक–दूसरे से सटकर खड़े रहे. मानो मूक संवाद कर रहे हों. आखिर कुतिया ने ही मौन भंग किया:
‘आप इतनी दूर से चलकर आए हैं. रास्ते में कुछ अनोखी चीजें भी देखी होंगी. क्या मुझे कुछ नहीं बताएंगे?’
‘देखा तो बहुत कुछ, परंतु जो बातें मैं खुद भूल जाना चाहता हूं, उन्हें तू जानकर क्या करेगी!’ कुत्ता बोला.
‘मेरी जिंदगी तो बच्चों को पालने–पोसने में ही निकली जा रही है, कहीं आ–जा भी नहीं पाती. बाहरी दुनिया को जानने का सिवाय तुम्हारे रास्ता ही क्या है?’ कुतिया ने अपनापा जताया तो कुत्ता बताने लगा—
‘जब मैं आ रहा था तो रास्ते में दो भाई मिले. दोनों घर से साथ–साथ कमाई करने चले थे. बड़ा मेलजोल रहा होगा दोनों में. इसलिए दोनों ने एक ही पोटली में गुड़, चने और आटा बांध रखा था. भूख लगती तो छोटा भाई आग जलाता. बड़ा मोटी–मोटी रोटियां सेकता. फिर दोनों मिल–जुलकर चूरमा बनाते और मिल बांटकर खाते. बच जाता तो मेरे आगे भी डाल देते. मुझे उनके डाले गए चूरमे का लालच नहीं था. खुले जंगल में पेट भरने को कुछ न कुछ तो मिल ही जाता है. मैं तो उनके आपसी प्यार पर मर मिटा था. जो मानुस जात में कम ही देखने को मिलता है. इसलिए काफी दूर तक उनके साथ चलता रहा…’ कुत्ता कहानी सुनाता–सुनाता अचानक रुक गया.
‘आगे क्या हुआ जी. रुक क्यों गए…’
‘अब रहने दे…यहां से आगे की कहानी कही नहीं जा रही…’
‘परंतु आपने तो मेरे भीतर इतनी ललक जगा दी है. दोनों भाइयों का आगे क्या हुआ, यह जानने के लिए मैं बड़ी उतावली हो रही हूं.’ कुतिया ने कहा. कुत्ता चुप्पी साधे रहा.
‘आपने बताया कि आप जंगल से गुजर रहे थे. कहीं ऐसा तो नहीं कि उनमें से किसी एक भाई को खूंखार जानवर उठा ले गया हो?
‘अगर ऐसा हो जाता तो मैं उसे दुर्घटना मान लेता और उस जानवर को गालियां देता हुआ बाकी का सफर आसानी से पूरा कर लेता.’
‘फिर?’ कुतिया सचमुच उतावली हुई जा रही थी.
‘दोनों जंगल से होकर गुजर रहे थे. जहां रात होती, सो जाते. भोर की किरन दिखाई पड़ते ही सफर फिर शुरू हो जाता. एक सुबह बड़ा भाई जागा तो बड़ा प्रसन्न था. कारण पूछने पर उसने बताया—‘रात मैंने एक सपना देखा है?’
‘कैसा सपना?’ छोटे ने पूछा.
‘बहुत अच्छा सपना. हुआ यह कि मैंने एक व्यापार शुरू किया, उसमें मुझे जबरदस्त मुनाफा हुआ. जिससे मैं सिर्फ छह महीने में करोड़पति बन गया हूं…मेरे पास खूब बड़ा बंगला है, गाड़ी है, नौकर–चाकर हैं. साथ मे एक खूबसूरत पत्नी भी है…!’
‘अच्छा, और कुछ?’ छोटे ने प्रश्न किया, ‘सपने में कुछ और भी तो देखा होगा?’
‘रहने दे, और जो हुआ वह बताने की मेरी हिम्मत नहीं है. तू तो जानता है कि मेरा सपना कभी झूठा नहीं होता.’
‘फिर भी बताओ तो भइया?’
‘तो सुन, मैंने देखा कि व्यापार में तुझे बहुत घाटा हुआ है. तेरी हालत भिखारियों जैसी हो गई है….’ बड़े ने कहा. छोटे ने बात को हंसकर टालने की कोशिश की. परंतु नाकाम रहा. उसका चेहरा लटक गया. तब बड़े ने उसको तसल्ली देते हुए कहा— ‘तू फिक्र क्यों करता हूं. मैं तो हूं न, तेरे साथ, तेरा भाई.’
बड़े की तसल्ली काम न आई. छोटे का मुंह लटका तो लटका ही रह गया. बड़े ने उसके बाद भी समझाने की काफी कोशिश की. पर सब बेकार. दोनों पूरे दिन चलते रहे. मैं भी उनके पीछे–पीछे चलता रहा, लेकिन अब उनके पीछे चलने का सारा जोश समाप्त हो चुका था. खैर शाम हुई. दोनों भाइयों ने साथ–साथ खाना खाया और सो गए…’ कुत्ता फिर चुप हो गया.
‘अब क्या हुआ जी?’ कुतिया ने फिर टोका तो कुत्ता अनमना–सा बताने लगा—‘सुबह मेरी सबसे पहले आंख खुलीं. रोज बड़ा भाई पहले उठता था. उसकी खटपट से ही मैं जागता था. उस दिन कोई आहट न हुई तो मैं भी देर तक सोता रहा. जागा तो सिर पर सवार सूरज को देखकर हैरान रह गया. कहीं वे मुझे छोड़कर तो नहीं चले गए—सोचता हुआ मैं उन्हें खोजने लगा. मगर जो देखा उससे तो मेरे होश ही उड़ गए. जिस जगह वे सोए थे, वहां उनके शव पडे़ थे. दोनॊं के मुंह से झाग निकल रहे थे.’
‘किसी विषधर ने डस लिया होगा?’ कुतिया के मुंह से आह निकली.
‘दुःख तो यही है कि कोई विषधर उन्हें डसने नहीं आया था. वे खुद एक–दूसरे के लिए विषधर बने थे.’ कुत्ता पल–भर के लिए रुका, फिर बोला— ’छोटा भाई यह सोचकर परेशान था कि एक दिन उसका बड़ा भाई उससे अधिक धनवान हो जाएगा. जिससे समाज में उसकी इज्जत घट जाएगी, लोग उसे निकम्मा कहा करेंगे. इसलिए उसने बड़े के चूरमा मे जहर मिला दिया था.
‘उफ! और छोटा भाई, उसको किसने मारा?’
‘बड़े भाई ने, वह यह सोचकर घबरा गया था कि सपने की बात सच होते ही वह तो मालदार हो जाएगा, जबकि छोटा गरीब रह जाएगा. उस हालत में वह बार–बार उसके पास मदद के लिए आया करेगा. छोटे भाई की तंगहाली देख लोग उसे ताने दिया करेंगे— इससे तो अच्छा है कि पहले ही उससे छुटकारा पा लिया जाए. इसलिए मौका देख उसने भी छोटे के भोजन में जहर मिला दिया था.’
’नासपीटे, कुलच्छ्ने! एक सपने से ही डर गए.’ कुतिया ने गालियां दीं. लेकिन अगले ही पल उसका मन उदासी से भर गया, बोली—’कुछ भी हो जी, दोनों थे तो इंसान ही. आज की रात हम उन दोनों के लिए शोक करेंगे और श्वानदेव से प्रार्थना करेंगे कि जैसा उन्होंने किया, वैसा कोई न करे.
|
|
06-30-2019, 07:11 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
पार्थ.... यू आर वेरी वाइल्ड जिया....
जिया.... आंड यू हॅव लॉट्स ऑफ स्टेम्ना पार्थ... मज़ा आया तुम्हारे साथ...
पार्थ.... फिर कब ये मज़ा लेना है जिया....
जिया.... सम अदर टाइम बेबी, यू हॅव टू वेट आंड अपेस मी टू.
पार्थ.... क्या अभी अपेस नही किया तुम्हे....
जिया.... उफफफ्फ़, अभी तो फुल ऑन थे पार्थ... पर दोबारा इतना ईज़ी नही... कुछ तो मेरे लिए मेहनत करो बेबी....
पार्थ.... ओके सेक्सी.... आज से दिल और दिमाग़ पर एक ही चॅनेल चलेगा.... जिया के लिए मेहनत करना...
जिया.... हीहीही... फन्नी हां....
तभी जिया का फोन बजने लगता है, और वो अपने कपड़े पहन कर वहाँ से चली जाती है. जिया को जाते देख पार्थ ठंडी आहें भरने लगता है..... "उफफफफ्फ़ ये मुझे फिर कब मिलेगी"
जिया वहाँ से बाहर निकल कर, टॅक्सी लेती है और वापस पब की ओर आने लगती है. तभी उसके मोबाइल पर टेक्स्ट होता है, और टेन्षन से उसके पसीने चलने लगते हैं... वो तुरंत कॉल मनु को लगाती है, और उस से मिलने की इक्षा जाहिर करती है.... मनु भी उसे अपने घर बुला लेता है....
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
इधर देल्ही से दूर... शिमला के हसीन वादियों मे.... एक प्यारा सा लड़का अपने फोन की घंटी बार-बार चेक कर रहा था, कोई लाइन आया कि नही. लगातार बर्फ-बारी से जन-जीवन अस्त-व्यस्त था... पर इन सब से परे ... वो लड़का बस फोन को ही पिच्छले तीन दिन से तक रहा था... एक कॉल तो आए...
अपने परिवार से दूर, अपने घर से दूर.... उन मखमली बिस्तर को छोड़, शिमला की ठंड मे एक सामान्य से भी नीचे जीवन बिता रहा.... मानस... छोड़ आया था अपने पिता हर्षवर्धन की पूरी दौलत, और वो ऐशो-आराम की ज़िंदगी.....
मानस का इंतज़ार बेवजह था, ना तो फोन लाइन ठीक होने वाली थी, ना ही शिमला की बर्फ-बारी रुकने वाली थी, और ना ही उसकी कोई खबर जिसकी तलाश मे मानस भटकता हुआ शिमला आया था. अजीब ही विडंबना थी, मानस के लिए आज का भी दिन ख़तम हो रहा था, और आज का दिन भी इंतज़ार मे ही कट गया.
|
|
06-30-2019, 07:11 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
इधर मनु अपने कमरे मे बैठ कर आराम से टॉम & जेर्री का मज़ा ले रहा था, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, और सामने जिया खड़ी थी.....
मनु..... अंदर आओ...
जिया..... मनु, सॉरी यार, पर तुम जैसा सोच रहे है ना, वैसा कुछ भी नही था... लेट मी क्लियर ऑल दा थिंग्स....
मनु..... आराम से बैठ जिया. श्रमण... जिया मेडम को अटेंड करो....
मनु इतना कह कर आराम से टॉम & जेर्री एंजाय करने लगा.... श्रमण उसके पास आ कर सिर झुका कर खड़ा हो गया. जिया गुस्से मे लाल आखें किए बस मनु की ओर ही देखे जा रही थी. मनु कुछ देर और टॉम & जेर्री का लुफ्त उठाने के बाद ... उसे बंद करते हुए...
"आररीए श्रमण, तुम ने जिया मेडम का कुछ भी ख्याल नही रखा"
जिया.... इट'स ओके मनु. प्लीज़ तू मेरी बात तो सुन...
मनु.... चिल यार जिया, अब तुम मेरी होने वाली पत्नी हो, इतनी टेन्षन मे क्यों है....
जिया.... देखो मनु, ना तो मैं तुम से शादी करना चाहती हूँ और ना ही मानस की हालत के लिए मैं ज़िम्मेदार हूँ.... प्लीज़ मुझे क्लियर करने दे सारी बातें.
मनु..... स्ट्रेंज ना जिया, चार साल पहले हुई बात का क्लरिफिकेशन आज देने आई है... व्हाट दा हेल जिया.... तुम्हे नही लगता कि अब तुम्हारी किसी भी क्लरिफिकेशन का कोई मायने नही होगा.....
जिया..... तो तू क्या चाहता है मनु ये बता....
मनु.... ह्म ! वैसे तुम ही कुछ ऐसा ऑफर कर दो, जो मुझे ये बात किसी को भी बताने से रोक दे. वैसे दादा जी आज भी बहुत सदमे मे हैं, अपने बड़े पोते के यूँ अचानक चले जाने से... सोच ले यदि उन्हे भनक भी पड़ी... तो तुम्हारे पापा अगले दिन सड़क पर, और तुम्हारी सारी ऐशो आराम ... पता नही शायद उस वक़्त तुम अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए क्या करो.... लेकिन बड़ा अफ़सोस सा हो रहा है तुम्हारे पापा के लिए.... किया किसी ने भरेगा कोई और....
जिया..... मनु प्लीज़, एक तो उस कांड मे मेरा कोई रोल नही था... पर हां तेरा कहना भी सही है, अब क्लरिफिकेशन कोई मायने नही रखता... पर मनु... सुन्न नाअ... हम इतने दिनो से साथ रहे हैं, वी आर गुड फ्रेंड्स यार.... क्या तू अब मुझे ब्लॅकमेल करेगा....
मनु..... ह्म ! डार्लिंग, तुम ही तो मेरी एकलौती दोस्त बची हो.... डॉन'ट वरी मैं किसी से कुछ नही कहूँगा, बस तुम्हारा उररा सा चेहरा देखना था.... हां और अच्छा लगा जो तुमने शादी के लिए सीधा मना कर दिया... मेरी मुस्किल आसान कर दी...
जिया, मनु के गले लगती..... पर तू अब भी बंदर ही रहेगा, पापा ने जब से शादी के बारे मे बताए तब से मैं सदमे मे हूँ..... पर मनु इतने दिन बाद ये बात बाहर कैसे आई... यार मैं बेवजह फसि हूँ मानस के मॅटर मे....
मनु..... अब मुझे क्या पता उस समय हुआ क्या था, खैर जाने दे उन बातों को.... यू जस्ट चिल....
जिया..... तू पक्का कमीना है मनु, जानती हूँ नही बताएगा सोर्स कभी. खैर अपने इस चम्चे को भेज, तेरे लिए कुछ गिफ्ट लाई हूँ... और हां मेरा ऑफर हमेशा वॅलिड है... कभी मैं तुम्हारे काम आउ तो बता देना....
मनु.... अच्छा, चल ठीक है जब भी कोई ऐसा काम होगा मैं तुझे बता दूँगा... श्रमण मेडम से ज़रा मेरा गिफ्ट ले आना....
जिया के पिछे-पिछे श्रमण भी चल दिया.... जिया कार की बॅक सीट से झुक कर एक पॅकेट उठाने लगी.... श्रमण ठीक उसके पिछे लगभग 5 इंच की दूरी पर खड़ा. उफ़फ्फ़ ये सेक्सी लेग्स और जब जिया झुकी तो उसका कमर से ले कर नीचे सॅंडल तक का लुक....
श्रमण उसे खा जाने वाली नज़रों घूर रहा था. उसके गोरी सफेद खुली टाँगो को, और पिछे निकले उसके हिप को बड़े गौर से देख रहा था.... जिया अचानक ही मूडी, श्रमण को घूरते देख उसने पकड़ लिया..... "यू रास्कल, तुम घूर क्यो रहे थे"
श्रमण.... सॉरी मेडम, आखें थोड़ी भटक गयी थी... प्लीज़ फर्गिव मी...
|
|
06-30-2019, 07:11 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
जिया हस्ती हुई उसके माथे पर आए पसीने को अपनी उंगलियों से सॉफ की, और उसके हाथ मे पार्सल देती कहने लगी..... "हा हा हा... डरते हुए काफ़ी क्यूट लगते हो".... फिर जिया एक पेपर पर उसे अपना नंबर लिख कर, बढ़ाती हुई कही..... "जब भी तुम्हारे पास फ्री टाइम हो, कॉल करना... सी यू सून स्वीटहार्ट"
श्रमण, जिया की कातिल अदाओं से घायल हो कर अपने दिल को थाम लिया... "उफफफफफ्फ़... हाय्यी ये अदा".... श्रमण मुस्कुराता हुआ वापस लौटा..... और पार्सल मनु को दे कर उसके पास खड़ा हो गया....
मनु, पार्सल खोलते हुए..... "बड़ा कातिल मुस्कान मुस्कुरा रहा है, मिल गया नंबर तुझे"
श्रमण, शरमाते हुए..... "हां मनु भाई... आप को कैसे पता"
मनु.... तेरे चेहरे पर लिखा है बे. पर बेटा बच कर रहना....
श्रमण.... मैं समझा नही मनु भाई....
मनु.... तू समझ जाएगा...... जा कॉफी ले कर आ....
मनु ने पार्सल खोला. बड़े से पार्सल मे... एक छोटा सा लेटर.........
"हाई हॅंडसम......
डू यू रिमेंबर मी. पेरहप्स नोट ... आइ थॉट यू वॉवुल्डन'ट रिमेंबर ... आइ जस्ट एक्सप्लेन अन इन्सिडेन्स........ टू यियर्ज़ अगो ... आ पार्टी नाइट ... व्हेन यू वर वित युवर फ्रेंड द्रोण.... रिमेंबर दट चिट चॅट.....
"ओह्ह्ह माइ गॉड क्या सेक्स बॉम्ब है ये, देख ना द्रोण. इसकी कातिल सी आखें, ये मस्त चेहरा और इसका अट्रॅक्टिव फिगर. उफ़फ्फ़ इसका फिगर तो दिल मे छेद सा करते जा रहा है.... मखमली तराशा बदन..... बिल्कुल चिकनी... इसके बूब्स तो देख.... कितने मस्त और टाइट हैं.... लगता है किसी ने निचोड़ कर ढीले नही किए.... और उफफफ्फ़ ये क्लीवेज़ की गहराई... ऐसे दिखा रही है, मार डालेगी लगता है"......
ऑन दिस युवर नोबेल कॉंप्लिमेंट युवर फ्रेंड ऑल्सो शेर हिज़ व्यू....
"आहह... इसकी बॅक तो देख... बिना कपड़े के कैसे सपाट चिकने लगेगा.... ऐसा लगेगा जैसे संगमरमर के फर्श पर बूम के कर्व निकले हो".....
आंड व्हाट अन अवेसम सम्मरी........... मनु यू रॉक्स डार्लिंग...
"साले... बस केवल उतना ही नही, पूरा बदन संगेमरमर का होगा.... बिल्कुल तराशा.... वो भी वेक्ष किया हुआ... हा हा हा.... उफ़फ्फ़ ये कर्व फिगर.... उपर से इस हॉट & सेक्सी गर्ल का ये पारंपरिक नाक की नथ्नि.... जैसे जान निकाल रही हो.... इसे देख कर तो मेरा मन कर रहा है.. दिन रात इससे लिटा कर बिठा कर, उठा कर, कामसूत्र के जितने पोज़ हैं उतने पोज़ मे बजाता रहूं..... उफफफ्फ़ इस पर तो स्लो और रफ सेक्स का मज़ा... क्या कहने.... डॅम हॉट सेक्सी स्लट बिच".
डॅम कूल कॉंप्लिमेंट हां मनु डियर. चान्स नही मिला उस वक़्त इस कॉंप्लिमेंट को रेस्पॉंड करने का. बट डॉन'ट वरी डियर, आइ आम बॅक.... गेट रेडी टू फेस युवर नाइटमेर.... वित लव...
मुआहह......
|
|
06-30-2019, 07:11 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
मनु अपनी आँख मूंद कर उस पल मे जा कर झाँकने लगता है..... "उफफफ्फ़ राम्या..... लगता है नागिन अपना बदला लेने आई है. बेबी... हम लौन्डो की आपस की बात ऐसी ही होती है... ऑड मॅनर किसी की बात सुन'ना.... आओ, अब तुम्हारे भी सितम देख लेंगे"
मनु मुस्कुराता वो लेटर अपने जेब मे डाल लेता है, और स्नेहा को फोन कर के उस से कल के ऑक्षन के बारे मे सारे इन्फर्मेशन माँगने लगता है.....
इधर जब से ऑक्षन की खबर आई थी वंश और राजीव फूले नही समा रहे थे..... रात को ही दोनो ने अपनी एक अर्जेंट मीटिंग रखी.....
वंश.... राजीव ये सब से सही मौका है... दोनो बाप बेटे के झगड़े मे एस. एस ग्रूप का पूरा पवर अपने हाथ मे लेना.... एक बार ये डील हमारे साथ हो जाए, फिर तो उस हर्षवर्धन को अपना पाँव मे गिरा देंगे... और उसका बाप शमशेर मूलचंदानी, जो जादू की छड़ी दिखाता रहता है, उसे उसकी भी औकात पता चल जाएगी.....
राजीव.... यार, पर वो कुत्ता तो है रौनक.... वो साला इस बार भी कोई ना कोई पंगा करेगा....
वंश.... वो ऐसा नही कर पाएगा.... क्योंकि उस कुत्ते को कौन सी हड्डी दे कर शांत करना है वो मैं जान गया हूँ.... बस कल किसी तरह ये ऑक्षन हमारे हक़ मे हो....
वंश वहाँ से चला जाता है.... और उसके जाते ही राजीव मुस्कुराते हुए सोचता है.... "तू तो हर्षवर्धन और रौनक से भी ज़्यादा कमीना है.... बस ये डील हो जाने दे... फिर तो धीरे-धीरे तुम्हारी भी औकात पता चल जाएगी".
मनु के इस छोटे से इन्फर्मेशन से, पूरा एस.एस ग्रूप अपनी-अपनी प्लॅनिंग मे लग गया था. बात वही पुरानी थी, प्रभुत्व और धन का नशा. एस.एस ग्रूप को दो लोगों ने शुरू किया था, शम्षेर और अजिताभ ने. और जब इन दोनो ने अपना सारा कारोबार नये लोगों पर शिफ्ट किया तो ग्रूप 6 भागो मे बाँट दिया.
हर्षवर्धन, रौनक, वंश, राजीव और सुकन्या ... इन सब को कंपनी के 15% शेयर मिले और 25% शेयर, दोनो भाई मानस और मनु के नाम पर था..... मानस घर छोड़ते वक़्त अपने शेयर मनु के नाम पर कर के चला गया था, और तब से सारे बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स की निगाहे उन एक चौथाई शेयर पर थी, जो मनु के पास था.
मनु को अनुभव कम था, इसलिए उसने आज तक कभी अपने कंपनी के शेयर पब्लिस नही किए, और इसी वजह से सारे बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स उसकी कंपनी का दीवालिया निकालने मे लगे थे. पूर्ण अधिपत्य हासिल करने के लिए मनु के 25% हथियाने का खेल कब से शुरू था, और मनु के फ़ैसले ने सब को जैसे हसीन सपने दिखाना शुरू कर दिए हो....
|
|
06-30-2019, 07:12 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
अगली सुबह 12 बजे.... डाइरेक्टर्स चेंबर....
सारे बोर्ड डाइरेक्टर्स बैठे हुए थे, 12 से 1, 1 से 2 बज गये.... सब बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे... चिढ़'ते हुए सब लगातार... "व्हाट दा हेल ऑफ दिस मीटिंग" ...... "वॉट दा हेल ऑफ दिस मीटिंग"
सारे बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स चिल्लाने लगे और मनु से कॉन्टेक्ट करने की कोसिस करते रहे... पर कोई रेस्पॉंड नही. फाइनली ... 4पीएम बजे मनु ने मीटिंग हॉल मे शिरकत किया....
सभी लोग नाराज़गी दिखाते, उसके मिस-बिहेव पर सवाल उठाने लगे.... मनु सब को शांत करते हुए कहा....
"मैने, मीटिंग शुरू हो 12 बजे ऐसा लिखा था, मीटिंग मे मैं 12 बजे आऊ, ऐसा नही कहा था. बाइ दा वे मैने ये समय आप सब को सिर्फ़ इसलिए दिया ताकि आप सब बिड की डील आपस मे फाइनल कर सके, शांति से.. सो, शुड वी स्टार्ट" ????
सारे बोर्ड डाइरेक्टर्स एक दूसरे का मूह देखने लगे.....
सुकन्या..... इसमे फाइनल क्या करना है, मनु मेरा भतीजा है, वो अपनी बुआ से ही डील करेगा....
मनु..... हां तो बस डील बताओ ना, या फिर कंपनी ऐसे ही आप के नाम कर दूं....
सूकन्या की बात पर जैसे ही मनु ने हँसते हुए जबाव दिया.... वैसे ही उस महॉल मे तो गहमा-गहमी शुरू हो गयी... सब एक दूसरे पर आरोप लगाना शुरू कर दिए... और मनु को अपनी ओर मिलाने के लिए तरह-तरह के प्र-लोभन देने लगे.....
अचानक ही वहाँ का महॉल बिल्कुल शांत हो गया.... शम्षेर मूलचंदनी मीटिंग हॉल मे सिरकत करते चेयर पर बैठ गये....
शम्षेर..... आप सब बोर्ड मेंबर्ज़ को देखते हुए मुझे लगता है कंपनी का फ्यूचर सही हाथों मे नही..... मनु के दिए गये समय मे भी आप सब बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स फ़ैसला नही कर पाए, जब कि मनु इस डील को फेयर करने के लिए, ओपन डील रखा और आप सब मिल कर एक नतीजे पर पहुँचें इसलिए वक़्त भी दिया..... लेकिन लगता है आप सब अभी बड़े डिसिशन लेने के लायक नही हुए".
"आप सब को दी गयी ज़िम्मेदारी और हरकतों को देखते हुए, मैं अभी से मनु को एस.एस ग्रूप का एमडी अनाउन्स करता हूँ..... अब भी नियम वही रहेंगे..... सारे बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर अपने प्रपोज़ल रखेंगे लेकिन फाइनल डिसिशन एमडी का ही होगा. अभी से सारे बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स मनु को रिपोर्ट करेंगे..... यदि किसी को मेरे फ़ैसले पर ऐतराज हो तो अभी कहे".....
शम्षेर की बात सुन कर सभी लोगों का मूह खुला ही रह गया..... किसी के लिए ये पचा पाना मुस्किल था कि, कल का लड़का उसके सिर पर बैठ गया.... लेकिन कॉर्पोरेट का पुराना उसूल, दिल मिले ना मिले, गले लगा कर हाथ मिला कर बधाइयाँ देते रहिए....
|
|
06-30-2019, 07:12 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
शम्षेर अनाउन्स करने के बाद वहाँ से चले गये, और बाकी सारे लोग मनु को बधाई देने मे लग गये..... तुरंत ही पूरे ऑफीस मे इन्फर्मेशन चली गयी.... जिसे बर्बाद होना था वो अब मालिक बन चुका था..... और बाकी सभी लोग, किसी मात खाए खिलाड़ी की तरह वहाँ से निकल गये...
इधर राजीव, वंश और रौनक तीनो मीटिंग से निकल कर राजीव के घर पहुँचे....
तीनो हॉल मे बैठे थे, एक नौकर तीनो को शराब सर्व किया..... तीनो अपनी हार भुनाते बैठ कर पीने लगे. तभी राजीव की सेक्सी वाइफ तनु उन तीनो के बीच सिरकत करती, आ कर बैठ गयी, और तीनो को शराब पीते देख टॉंट करने लगी.....
"मुबारक हो, मूलचंदानी का वारिस ही अब कंपनी संभालेगा. उस लड़के को तुम सब के सिर पर बिठा दिया, जिसकी खुद की कंपनी डूब रही है. पता चला तुम सब मेहनत करते रहो, और सारा क्रेडिट उन्हे मिलता रहे"
तनु की बात पर वंश और राजीव बस तमाशा देखते रहे.... रौनक ने अपना पेग ख़तम कर के एक और पेग बनाने लगा..... बड़ी अदा से तनु ने उसका पेग बनाती सेक्सी अदा से उसकी ओर बढ़ा दी.... रौनक ने वो पेग झट से अपने हाथ मे लिया और एक बार मे खाली कर दिया...
"रौनक जी आप सब भी इस शराब के ग्लास की तरह है... प्यार से आप तीनो इसे भरते रहेंगे... और वो मूलचंदानी झटके मे खाली करते रहेंगे.... मेरी मानो तो समय आ गया है जब वो मूलचंदानी शराब के प्याले भरे, और हम उसे खाली करे".
रौनक को फिर एक पेग बना कर तनु बढ़ा दी, पर रौनक उसे नीचे रख कर, वहाँ से बिना कुछ कहे चला गया.....
वंश..... ये तो भाग गया....
टानू.... भाग तो रहा है वंश, पर तीर निशाने पर लगा है.... अब बस एक बार और थोड़ा सा ब्रेन वॉश करूँगी, फिर ये खुद-व-खुद हमारी ओर होगा...
राजीव.... एक बार ये हमारी तरफ हो जाए, फिर लीगली कंपनी के चेर्मन हम होंगे, और तब सारे शेर को पब्लिक कर के उनकी जड़े खोद देंगे....
तनु.... तुम लोग भरम मे जी रहे हो क्या.... तुम तीनो के मिला कर भी 45% ही होते हैं, बाकी के 55% तो उन्ही के पास है.
वंश.... सूकन्या, हर्षवर्धन या मनु मे से किसी एक से मिल भी जाए, पर मनु और हर्षवर्धन कभी एक नही होंगे.
तनु.... वंश अब भी ग़लत ख्यालात मे जी रहे हो, तीनो को एक होते देर नही लगेगी....
राजीव.... लेकिन वो कैसे तनु....
टानू..... क्योंकि सूकन्या तो अपना फ़ायदा देख कर मनु के साथ ही जुड़ेगी, लेकिन हर्ष भले मनु से मिले कि ना मिले, उसकी बेटी काया तो मनु को ही सपोर्ट करेगी. और यदि ऐसा हुआ तो हर्ष को ना चाहते हुए भी मनु से मिलना होगा.....
वंश.... ह्म ! तो अब...
तनु...... मेरे पास एक आइडिया है, लेकिन वंश तुम्हे अभी फ़ैसला करना होगा कि क्या तुम दिल से हमारे साथ हो....
वंश.... साथ ना होता तो क्या यहाँ बैठा होता....
तनु..... ह्म ! फिर ठीक है वंश.... तुम अब तमाशा देखते जाओ.....
|
|
06-30-2019, 07:12 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
मीटिंग से वापस आते ही इनकी कहानी शुरू हो गयी थी, और इधर मनु एमडी बनते ही... अपनी जीत की खुशी ना मना कर, अपने अगले टारगेट की ओर रुख़ किया. अब पूरा ग्रूप ही उसके इशारों पर नाचने वाला था....
मनु ने, जाय्निंग के पहले घंटे मे ही पूरे ग्रूप को हिला दिया. एक सर्क्युलर जारी करते हुए, पूरे ग्रूप मे काम कर रहे हर एम्पॉलये का सॅलरी मे 20% का इज़ाफ़ा दे दिया... मनु की इस हरकत पर सूकन्या उस पर भड़कती हुई, उस पर अपने पोस्ट का मिसयूज़ करने का इल्ज़ाम लगाने लगी.... लेकिन मनु मुस्कुराते बस इतना ही कहा.... "आप चिंता ना करो बुआ... आज का इनवेस्टमेंट कल का फ़ायदा है"
सूकन्या गुस्से मे भन्नाती सीधा वॉशरूम मे घुस गयी..... सूकन्या वॉशरूम के अंदर दो घूँट विश्की के पिति, अपना चेहरा नोच रही थी, और अपने बाप शम्षेर को पेट भर कर गालियाँ दे रही थी.
सुकन्या, काफ़ी गुस्से मे लगातार बस यही सोच रही थी की... "आख़िर क्यों पापा ने ऐसा किया, क्या उन्हे अपनी बेटी नही दिखी इस पोस्ट के लिए".... वो चिढ़ि-चिढ़ि बस अपनी धुन मे थी, तभी शम्षेर का पीए अर्जुन कामत, वॉशरूम के अंदर घुस गया....
अर्जुन को देख कर सूकन्या अपने हॅंड पर्स को उस पर फेंक कर मारते कहने लगी..... "तू भागता है कि नही यहाँ से" ... सूकन्या उसे गुस्से मे ऐसे घूर रही थी, मानो वो उसे खा जाएगी.
अर्जुन तेज़ी से सूकन्या की ओर बढ़ा, और बूब्स को कपड़ों के उपर से दबाते हुए उसके होंठ चूमने लगा. सूकन्या उसे धक्के देती, पिछे हटाई...
"डॉन'ट टच मी रास्कल. हरामजादे, जब पापा यहाँ ऑफीस आ रहे थे तो क्या तू उनके पिच्छवाड़े मे घुस गया था"
अर्जुन, फिर से ज़बरदस्ती उसके बूब्स को अपने दोनो हाथों से दबाते हुए कहने लगा.... "उनके नही तुम्हारे जानेमन... ओह कम ऑन सू तुम्हे देख कर तो आज कंट्रोल नही हो रहा. देखो इसका हाल"... इतना कह कर अर्जुन ने अपनी जिप खोल कर अपना लिंग बाहर निकाल दिया....
सूकन्या..... हट जा कुत्ते की जात, साले गंदे नाली कीड़े.... तेरी वजह से ही वो एमडी बन गया है...
अर्जुन गुस्से मे उसे एक थप्पड़ मारता कहने लगा..... "शांत हुआ गुस्सा, या और दूं खींच कर. भूल गयी वो किसका बेटा है, काव्या का. याद दिलाऊ क्या काव्या के बारे मे"
सूकन्या, थोड़ी शांत होती हुई..... "उसकी याद मत दिलाओ, मर गयी अच्छा हुआ, पर अभी तो सब तुमहरे सामने हुआ. तुम चाहते तो मनु को एमडी बन'ने से रोक सकते थे"....
अर्जुन.... तुम पागल हो, देखो अभी मेरा मूड बहुत अच्छा है, इसे खराब क्यों कर रही हो...
अर्जुन, अपनी बात कहते-कहते फिर से उसके बूब्स दबाने लगा..... सूकन्या भी थोड़ी मूड मे आती उसके लिंग को अपने हाथ मे पकड़ कर मसल्ति हुई कहने लगी.... "अर्जुन कन्फ्यूज़ ना करो, अभी तुम ने ऐसा क्यों होने दिया"
"उफफफफ्फ़ ... ज़रा मूह मे भी लो इसे.... सुकन्या मैने कई बार कॉल किया था, चाहो तो कॉल चेक कर लो, पर मीटिंग हॉल मे शायद कॉल जॅमर लगा था"....
|
|
|