Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
08-30-2020, 03:16 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
“बस मम्मी मुझे लाड़ कर रही थीं और मैं उनकी सेवा! देख रहा हूँ की डैडी और तू भी यहाँ प्यार और सेवा ही कर रहे हो। क्यों मम्मी ?”, जय बोला, और अपने लिंग को टीना जी द्वारा दबा देने की प्रतिक्रियावश उसने माँ के ममता भरे स्तनों को कस के दबा दिया। । “हाँ भैया, मः ‘मम्मी का हाल देख के तो साफ़ लगता है की खः 'खूब सेवा हुई है !”, सोनिया हाँफ़ते हुए बोली। मिस्टर शर्मा ने अचानक पुत्री के चोंचले को मुंह में दबा कर खींच कर चूसा, तो वो जोर से बिलबिला उठी और पीठ को अकड़ाने लगी।

। “अँहाँहः 'अ'आँघ'अह अह! ओह भगवान, आह डैडी! चूसो! मुझे एक और बार झड़ा दो !” | टीना जी मन्त्रमुग्ध होकर अपने पतिदेव को निपुणता से उनकी पुत्री की टपकती योनि को चूसत -चाटते हुए देख रही थीं। देख कर उनसे रहा नहीं गया। तुरन्त चीख कर उन्होंने अपने पुत्र को अपनी देह के ऊपर खींचा, और उसके कठोर लिंग को अपने भीगे हुए योनि द्वार पर रगड़ने लगीं।

ओह ओहहह! चोद जय मुझे ! तुझे तेरे बाप की कसम, चोद मुझे! तेरी हरामजादी माँ को इसी वक़्त तेरा काला मोटा मादरचोद लन्ड अपनी चूत में चाहिये !”

बाप के सामने बेटे से चुदती है? ले रन्डी, ले!”, जय गुर्राया, और अपने लिंग को बलपूर्वक माँ की कोमल, लाल, खुली हुई प्रजनन -गुहा में दबा कर पेल दिया।

अब विस्मय करने की बारी सोनिया की थी, उसने बड़ी हैरानी से अपनी माँ और भाई को ऐसे गन्दे शब्दों का उपयोग करते सुने और भाई के दैत्याकार लिंग के बैंगनी सुपाड़े को माँ की रोम-सज्जित योनि की कोपलों को पाटते हुए एक जोरदार ‘सुड़प्प' के घोष के साथ प्रविष्ट होते देखा। जय का दस इन्ची अश्वलिंग माँ के फूले हुए योनि -द्वार में एक ही भीमकाय ठेले के साथ पूरा-का-पूरा विलीन हो गया। । “ओहहहह! ऊँह ऊंघह! मादरचोऽद! जय, मुझे फिर चोद तू! बेटा, अपने लम्बे-लम्बे, काले-काले लौड़े से माँ की जलती चूत को चोद! ऊह, बाप के सामने चोद !!!!”

टीना जी ने पुत्र के गहरे खोदते लिंग के स्वागत में अपने कूल्हे उचकाये। जय मातृ देह में ऊर्जात्मक रूप से ठेलने लगा, और पुत्र दायित्व निभाता हुआ माँ की फड़कती योनि को अपने किशोर लिंग की उत्तेजक कठोरता से भरता गया।

अब जय माँ को उत्तेजीत करने के हर गुर में उस्ताद हो गया था। अपने हृष्ट-पुष्ट नौजवान कूल्हों को घुमाता हुआ, वो अपने चुस्त तन्दुरुस्त लिंग को ताबड़तोड़ उनकी फैल कर खुली हुई योनि में डालकर बारबार ठोकरें दे रहा था। अपने पौरुष के प्रतीक, माँस और नाड़ियों से बने, लम्बाकार लौहस्तम्भ को वो टीना जी की तंग, सिमटती माँद की सुलगती गहराइयों में घोंपे जा रहा था।

62 एक फूल दो माली जय के शक्तिशाली नौजवान लिंग के ठेलों की दिल दहलाने वाली गति के प्रभाववश पूरा बिस्तर चरमरा रहा था। पुत्र के घोंपते लिंग को योनि के ममता भरे आलिंगन में समाविष्ट कराने के वास्ते टीना जी अपने वक्राकार नितम्ब बिस्तर से उचकाती जा रही थीं। उनकी गगनोन्मुख योनि जय के किशोर लिंग को चुपड़-चुपड़ की जोरदार लिसलिसी ध्वनि निकालती हुई निगले जा रही थी। दोनो के निकट, मिस्टर शर्मा सोनिया की तंग, रिसती योनि को चाटते और चूसते हुए इसी प्रक्रिया में आवाजें कर रहे थी। कुंवारी यौवना सोनिया मारे आनन्द के बेसुधी में झूम रही थी। उसके पिता उसके फूले हुए गुप्तांगों को किसी भेड़िये जैसे चाटे जा रहे थे।

“ऊउहह, ऊँह! बेटीचोद, अपनी मोटी जीभ मेरी चूत में घुसा दे !”, सोनिया ने भी माँ की देखा-देखी रन्डी भाषा में बोलना शुरू कर दिया। कराहती हुई वो अपनी कोमल योनि को पिता की गहरी घुसती जिह्वा पर टिका कर मसलने लगी। “ऊऊहहह! चीभ से चोद! उँह! बड़वे! आह! बेटीचोद! चूस डैडी! मेरी चूत को चूस! आहह !” ।

नवयौवना सोनिया अपने पिता के सुपुड़ते मुँह में ही चरम यौन आनन्द की प्राप्ति पा रही थी। मिस्टर शर्मा निपुणता से अपने मुख द्वारा पुत्री की योनि से मैथुन कर रहे थे। उनकी सनसनाती जिह्वा के तले सोनिया अपनी कमसिन कमर को नागिन जैसी बलखा रही थी। | टीना जी की योनि में भी ऑरगैस्म हो रहा था। उनके पुत्र का वज्र सा कठोर लिंग उनकी फड़कती, उत्तिष्ठ योनि में अथक गति से ठेलता जा रहा था। नौजवान जय का दैत्याकार अंग निर्ममता से माँ के धड़कते उदिक्त चोंचले पर लगातार घर्षण कर रहा था, और उनके अति संवेदनशील इन्द्रियों को सहन की सीमा तक उत्तेजित कर रहा था!
Reply
08-30-2020, 03:16 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
ओहहहह, मादरचोद ! मैं झड़ रही हूँ!”, टीना जी चीखीं, “जय, मुझे चोद! माँ को कस के चोद, बेटा! अँह आँह ऑह आँह 'अ'अँह! चोद माँ की चूत !”

जय ने माँ की कसमसाती योनि को अपने लिंग पर कसते हुए अनुभव किया जिसके फलस्वरूप, वो अधिक उत्साह से उनपर ठेलने लगा। उसका लिंग सचमुच मातृ योनि की सेवा कर रहा था! टीना जी ऑरगैस्म के समय पुरुष द्वारा बलशाली ऊर्जा से सम्भोग क्रिया की अपेक्षा रखती थीं। उनका हट्टा-कट्टा पुत्र उनकी इसी इच्छा को पूरी कर रहा था! | माँ और बेटी बिस्तर पर साथ-साथ लेटे हुए थे। वासना के मारे दोनो कराह और कुलबुला रहे थे। उनकी इन्द्रियाँ पहले तो दैहिक आनन्द के शिखर तक पहुंची, फिर धीमे-धीमे थमने लगी। मिस्टर शर्मा ने सोनिया के लिसलिसे योनि द्वार से अपना मुँह उठा कर अलग किया और अपने होंठों पर जीभ फेरकर चेहरे पर चुपड़े हुए बेटी के मादा-द्रवों को पोंछा। जय ने अपने लिंग को माता की सिहरती योनि के अन्दर ही गड़ा कर रखा। जय का वीर्य स्खलित नहीं हुआ था और यह उसके जीतेन्द्रीय पौरुष और कामकला में कौशल्य का प्रमाण था!

जय अपने शिलालिंग को माँ की दवों से सनी योनि में ठेलने लगा। अपने ऑरगैस्म की सशक्त अनुभूतियों के शनैः-शनैः उतराव का अनुभव करती हुई टीना जी के चोंचले पर वो अपने पेड़ को संकेतात्मक रूप में रगड़े जा रहा था। फिर जय लोट कर पीठ के बल लेट गया और माता को अपने ऊपर खींच कर बैठा दिया। उसका लिंग अब भी मातृ योनि में ज्यों का त्यों प्रस्थापित था। टीना जी अपने कूल्हों को पुत्र के गहरे घोंपे हुए लिंग पर ऊपर-नीचे उचकाने लगीं। बड़ी कामोन्मत्त होकर रणचन्डी जैसी अपने अश्व रूपी युवा पुत्र की सवारी कर रही थीं वे।

अपनी नवयौवना पुत्री सोनिया की कामुक योनि को चाट लेने के उपरान्त मिस्टर शर्मा का लिंग उदिक्त होकर इस्पात सा कठोर हो चला था। किसी तंग, गरम, लिसलिसे छिद्र में उसे घुसेड़ देने की उनकी इच्छा अब प्रबल हो रही थी। अपनी हाँफ़ती बेटी पर चढ़ कर, वे अपने दैत्यकारी लिंग को उसकी संकरी कामगुहा में घुसेड़ने ही वाले थे कि, टीना जी ने अपने पतिदेव के लिंग का अप्रत्याशित रौद्र रूप को देख लिया।

ओहहह, दीपक! बेटीचोद, आज से पहले मैने तेरा लन्ड ऐसा फला - फूला कभी नहीं देखा! घुसेड़ दे मेरी गाँड में इसे !”, वे चीखीं, “चोद मेरी गाँड को अपने मोटे लन्ड से। साथ में हमारा मादरचोद बेटा जय मेरी चूत को चोदेगा! पति और बेटे से डबल चुदाई करवाऊंगी !” | मिस्टर शर्मा के समक्ष एक विकल्प सोनिया की तत्पर, चाटी और चूसी हुई योनि थी, दूसरा विकल्प पत्नी टीना की ललचाती तंग, गुलाबी गुदा-छिद्र था। उन्हें पुत्री की किशोर योनि के संग सम्भोग की तीव्र लालसा थी, परन्तु पत्नी की तंग, चिकनी गुदा से मैथुन करने का अवसर, वह भी तब, जब उन्हीं के बीज की उत्पत्ति, उनका सगा पुत्र, मातृ योने से मैथुन -क्रिया में संलग्न हो, उनके सामने ऐसा कामुक प्रलोभन प्रस्तुत कर था, जिसे वे अस्वीकार नहीं कर सकते थे। मिस्टर शर्मा ने अपने दानवी लिंग के भार को मुट्ठी में ढोते हुए मिसेज शर्मा के पीछे घुटनों के बल बैठ कर अपना स्थान ग्रहण किया। फिर टीना जी को आगे, जय की ओर दबाकर झुका दिया।

* जय, चोद दे पट्ठे !”, वे गुर्राये, “तू कस के अपनी माँ की चूत को चोद, मैं हरामजादी की गाँड मारता हूँ !”

“ओहहह! हाँ डैडी! दोनो मिल के माँ को चोदेंगे !”, जय कराह कर बोला। वो अपनी कामुक, रूपवती माता की छरहरी देह के भाजन में अपने पिता को सहयोग देने को व्याकुल था।

“टीना, मेरी रन्डी पत्नी, आज तो तेरी ऐश करा देंगे”, मिस्टर शर्मा अपनी पत्नी के कानों में बुदबुदाये, तेरी जवानी की आग बुझाने के लिये एक मर्द काफ़ी नहीं है, हरामजादी तेरी डबल चुदाई होगी ::आगे झुक जा साली, आने दे मेरे लन्ड को! ... जय बेटा, जरा मदद करो ... माँ की गाँड को डैडी के लन्ड के लिये खोल दो !” ।

आज्ञाकारी जय ने अपने लम्बे लिंग को माँ की योनि से निकाले बिना, उठकर अपनी नग्न माँ के खरबूजे जैसे नितम्बों को दोनों हाथों में भरा, और उन्हें चौड़ा पाट कर पिता के लिये पृष्ठ द्वार खोल दिया। |

मिस्टर शर्मा ने पत्नी के कूल्हों को दबोच कर अश्वासन धारण करते हुए लिंग के सिरे को उनके कसमसाते मलद्वार पर दाबा, जिसका मार्ग उनके पुत्र ने उनके हेतु खोला था।

* अँह 'अँह आँह! ऊह, दीपक ! प्राणनाथ, मेरी गाँड मारिये! कब से मैं तुम दोनो मर्दो से चुदना चाहती थी !” दीर्घ काल से मन में पनपती इच्छा की पूर्ती की मंगल घड़ी आ जाने से टीना जी के मुखमंडल पर हर्ष और अधीरता का भाव छा गया था।

मिस्टर शर्मा आगे को झुके, और अपने लिंग को एक ही ठेला मारकर पत्नी की उचकी हई गुदा में सुनिश्चितता और गहनता से स्थापित कर लिया। उनकी पत्नी का तंग गुदा मार्ग सदैव जैसा चिकना और उत्तेजना के मारे ज्वलन्त था, पर आज कुछ अतिरिक्त संकराव था ... इसलिये क्योंकि उनके पुत्र का परिपक्व लिंग उनकी पत्नी की योनि में टुसा हुआ था। पिता और पुत्र के लिंग के बीच केवल टीना जी के माँस का लोथड़ा था, दोनों लिंग परस्पर एक दूजे की हलचल और दबाव का आभास कर सकते थे। मिस्टर शर्मा को अपने लिंग पर जय के लिंग की फड़कन सुनाई दे रही थी। वे इन्च दर इन्च अपने दैत्याकार लिंग को टीना जी के गरम, चिकने मलमार्ग में जोतने लगे।
Reply
08-30-2020, 03:16 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
63 टीना जी की सेवा

सोनिया उनके पास बिस्तर पर लेटी पड़ी थी। कराहती हुई वो माँ की मलाईदार गुदा को पिता के आक्रोशित लिंग द्वारा छिद्रित होते देख रही थी। किशोरी नवयौवना अपनी सूनी पड़ी योनि में हस्तमैथुन करती हुई एक नहीं: ‘दो नहीं: ‘तीन-तीन कुरेदती उंगलियाँ घुसेड़े अपनी माँ को दक्षता से एक साथ दो-दो भारी-भरकम लिंगों के प्रचण्ड प्राहारों को असीम ममता और प्तिव्रता द्वारा प्रेमपूर्वक ग्रहण करते देख रही थी। माता के मुख पर आछंद अलौकिक आनन्द को देख, सोनिया ने निर्णय कर लिया की अगली बार वह भी दोहरे मैथुन का अनुभव लेगी, चाहे उसे अपने पिता और भाई के थके लिंगों को पुनरुक्ति करने के लिये कितना भी चूसना ना पड़े।

अपनी योनि को पुत्र के लिंग के तने पर मसलती हुई, टीना जी कराहीं, बिलबिलायीं। उनके पति का विशालकाय लिंग उनकी गुदा में पूरी तरह से गड़ गया था। जीवन में प्रथम बार उन्होंने दो मोटे लिंगों को अपनी देह में इकट्ठे ग्रहण किया था: कैसा दिव्य अनुभव था! अचानक उन्हें प्रतीत हुआ, कि उनका तन को जीवन की सर्वाधिक आवेगपूर्ण वासना के अनुभव के समक्ष घुटने टेक रहा है। कितना मीठा था पिता और पित्र के लिंग का दबाव। दोनों के शिला जैसे कठोर लिंगों की तने जैसी मोटाई किस कदर लुभावनी अनुभूतियों से उनकी योनि तथा गुदा की इंद्रियों को आनन्दित कर रही थी।

उनकी योनि स्वतः ही पुत्र के कामांग को चूस-चूस कर सिकोड़ रही थी, और उनका पुलकित गुदा छिद्र भी धड़क-धड़क कर पति के लिंग को दबोच रहा था। दो लिंगों को इकट्ठे ग्रहण करने के फलस्वरूप टीना जी को उनका आकार भी दुगुना प्रतीत होता था। उनके सम्पूर्ण जीवन में ऐसे आवेगपूर्ण दैहिक आनन्द का अनुभव अप्रत्याशित था।

“मजा आ रहा है, मम्मी ?”, सोनिया ने धीमे स्वर में पूछा। किशोरी अपने पूरे हाथ को योनि में गाड़े अधीरता से अपनी दव- रंजित योनि को रगड़ती हुई हस्तमैथुन कर रही थी, और अपनी माँ को दो पुरुषों से मैथुन करते देख रही थी।

“अम्मम, हाँ सोनिया !”, टीना जी ने हुंकार कर कहा, “सच, इस चूत ने घाट घाट का पानी पिया है, पर आज तो चुदाई का असली मजा आ रहा है !” ।

“डैडी, अपने बेटीचोद लन्ड से मम्मी की गाँड मारो!” सोनिया चीखी। “अ'अहह ! चोद कुतिया की चूत , जय!” वासना के मारे, बैचैन नवयौवना सोनिया की स्वयं की योनि व गुदा अनियंत्रित होकर फड़क रही थीं। “कह देती हूँ मम्मी, अगली बारी मेरी !”

ठीक है बेटा! तू भी चुद लेना डैडी और भैया से! ऊहः 'अ'आँह'' 'ऊहः ‘आँह ‘आँहः ‘आँह !”, बेसुध होकर टीना जी मस्त हथीनी जैसी चीत्कार कर रही थीं। । अचानक उनकी देह में न जाने किस ऊर्जा का संचार हुआ, कि वे रौद्र रूप धारण करके उचकने लगीं। एक पल अपनी योनि को जय के लिंग पर ऊपर-नीचे मसलतीं, दूसरे पल अपनी गुदा को पति के अंधाधुन्ध पेलते लिंग पर ठेल देतीं ::: अपने सगों से किये पापी सम्भोग के दोहरे आनन्द में एकदम तल्लीन हो गयी थीं! । “चोद मेरी चूत, जय!”, वे चिल्लायीं। * शाबाश दीपक ‘आँह ‘चोद बेटीचोदः ‘आँह ‘सदके जावां मेरे लालः 'अ'आँह, घुसा अन्दर लन्ड ! ऍह: ।
“मत तड़पाओ हरामजादों! अहहह अमम, आँह ऐंह! अबे दीपक, दम लगा के गाँड मार साले!आँह, देख तेरा बेटा तुझसे अच्छा चोद रहा है! : ऊई ‘आँहः उऊँह हरामी, बेटी की चूत चाटता है, तुझसे तो अच्छा तेरा बेटा चोद रहा है !” यह नहीं कि टीना जी को पति में कोई दुर्बलता नजर आयी थी। वे तो केवल अपने पति की स्पर्धात्मक भावना को जगा कर उनके पौरुष व कामबल को भड़काना चाहती थीं।
Reply
08-30-2020, 03:16 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
“साली रान्डी, पति की पीठ पीछे बेटे से चुदवाती है ? ठहर मैं तुझे सिखाता हूँ लन्ड क्या चीज है! चोद चोद कर सुन्न नहीं कर दिया, तो नसबन्दी करवा लूंगा !”, मिस्टर शर्मा ने पत्नी की चुनौती को स्वीकारा, और अत्यन्त तीव्रता से कामक्रिया करने लगे। फिर उन्हें अपने अनुभव का भी सहारा था, जिसके आधार पर उन्हें ठीक-ठीक पता था कि टीना जी किस शैली में गुदा-मैथुन का सर्वाधिक आनन्द प्राप्त करती हैं।

शाबाश दीपकः ‘आँह ऊँह आइयाँहः ये हुई मर्दो वाली बात ! देख मादरचोद जय, सीख ले बाप से गाँड मारना !”, टीना जी बोलीं, वे मन ही मन पति के लिंग के बढ़ असाधारण आवेग की दाद दे रही थीं। । “हाँ बेटा, तेरी कुतिया मम्मी की गाँड मारनी हो तो उसका स्टाइल चोदने से अलग होता है। आगे को नहीं , बल्कि ऊपर को झटके देने होते हैं।”, मिस्टर शर्मा ने पुत्र के दिव्य ज्ञान से अवगत कराया।

“ठीक है डैडी, पर थोड़ा सम्भल के, आपके टटटे मेरे टटटों को पीट रहे हैं। टीना जी ने पलट कर नीचे देखा, तो सचमुच उनके पति के अण्डकोष पुत्र के अण्डकोष पर छप्प - छप्प ध्वनि के साथ टक्कर कर रहे थे। टीना जी का मुख सैक्स और वासना के भावों के कारणवश विकृत हो रहा था, उनकी छरहरी देह कामना की तड़प के मारे ऐंठ रही थी।

“मादरचोदों, चोदो मुझे! चोदो सालों! शिट, बड़वों, चोदो और और कस के! प्लीज, चोदो मुझे ... ओहहह, प्लीज ! जय चोद, माँ की चूत! मार मेरी गाँड दीपक! पिलाओ मुझे दोनो लन्डों का वीर्य !”

“अबे रन्डी, इतनी क्या जल्दी है, अभी तो तेरी बेटी भी लाईन में है !”, ऐसा कह कर मिस्टर शर्मा ने सोनिया की दिशा में देखकर आँख मारी। “बोल बिटिया, जितनी तसल्ली से मम्मी की गाँड मारूंगा, बाद में तुझे उतना ही मज़ा आने वाला है।”

हाँ डैडी, आप मारो गाँड, फिर मैं प्यार से आपके लन्ड को चूस कर फिर खड़ा कर लूंगी !”, सोनिया ने चहकते हुए कहा।

“देख रन्डी, तेरी बेटी अभी से हरामीपना दिखा रही है!”, मिस्टर शर्मा ने पत्नी का चेहरा अपने चौड़े हाथों में लेकर उनकी मुंडी पीछे को घुमायी। पति - पत्नी आँखें मूंद कर मुंह से मुँह जोड़े चुम्बन करने लगे।

आँह 'बेटीचोदः' अँह, हरामी है तो तेरे लवड़े को ही फ़ायदा है! ऐं अः ऐंह ‘आँह” “अच्छा रन्डी, अपने बेटे जय का लन्ड कैसा लग रहा है चूत में ?” । “आँह ऐंह 'अरे दीपक ! तेरा बेटा तो तुझ पर ही गया है, मादरचोद का लन्ड नहीं अः आः ‘आँह हथौड़ा है!”

मादरचोद बचपन से तेरे मम्मों से दूध पी-पी कर लन्ड में मलाई जो जमा कर रहा है! क्यों बे ?”, पुत्र के सामने ही अपनी पत्नी के दोनों स्तनों को हाथों में मसलते हुए मिस्टर शर्मा ने पूछा। । “हाँ डैडी! आपके नक्शे कदम पर चलूंगा तो एक दिन अपनी कुतिया माँ से पिल्ले जनूंगा। फिर अपनी कुत्ती बेटियों को चोदूंगा!”

“अबे! बाप की जागीर पे हाथ मारता है ? हरामी, मेरी वाईफ़ को चोदेगा तो बदले में मुझे अपनी बेटियों को चोदने को देगा।”

“कमाल करते हैं आप। दादा जी के आशिर्वाद के बिना तो उनकी गाँड ही नहीं खिलेगी! गजब की गाँड मारते हैं आप डैडी !” ।
Reply
08-30-2020, 03:16 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
मिस्टर शर्मा ने पुत्र के मुख से अपनी कामकला की प्रशंसा सुनकार अपने कूल्हों की एक नियमित लय स्थापित कर दी। अपने भीमकाय लिंग को टीना जी के मलद्वार में पेलते हुए वे कराहते जा रहे थे। उनके लिंग के छिद्र से बराबर रिसाव हो रहा था, जो टीना जी की गुदा को चिकने मवाद से लथेड़कर उनके बलवान लिंग की सरसराती हलचल को और अधिक आनन्कारी और सुलभ कर दे रहा था।

शिट मम्मी! मजा आ रहा है !”, जय हाँफ़ता हुआ बोला। मिस्टर शर्मा की लय से लय मिला कर जय भी अधिक वेग से टीना जी से सम्भोग-क्रीड़ा करने लगा। जैसे ही पिता के लिंग को माँ की गुदा में कूदने का अहसास पाता, जय अपनी माँ की योनि को नौजवान लिंग की मोटाई को ठेल देता। अपने अनुभवी पिता से प्रणय कला के गुर सीख रहा था। ।

“ओह, माँ के लवड़ों, चोदो कस के !” टीना जी कराहीं। उनके त्रिया-चरित्र ने उनसे कहा कि पति और पुत्र के पौरुष बल को फिर परखा जाये। । “हिजड़ों, तुम्हारा लन्ड तो चूहे जैसे कुतर रहा है! ऐसे ही चलता रहा तो मुझे मोहल्ले से किराये के लौन्डों को बुलाकर चुदना पड़ेगा !” ।

“रन्डी, आज तो तेरी गाँड मार-मार के भोंसड़ी बना दूंगा! फिर तेरी हिम्मत नहीं होने कि किसी पराये मर्द के लन्ड को चूत में लेने की !”, ऐसा कह कर मिस्टर शर्मा अमानवीय गती से अपने फ़ौलादी लिंग द्वारा पत्नी के संग गुदा-मैथुन करने लगे। । “आह ! शाबाश मेरे शेर, अ आँह: अब आया ना गाँड में मजा : ‘आँह ऐंहः आँह : आँह: ऐं ऐंह हह आँह ::., टीना जी ने मिस्टर शर्मा को इस आवेग से पहले कभी क्रियारत नहीं देखा था। वे उनकी दाद दिये बिना नहीं रह पा रही थीं।

(4 अ आँह देख मादरचोद रवीः ‘आँह, तेरा बाप क्या गाँड मारता है ‘आँह मेरी गाँड का छेद अगर कोई लौन्डा देख ले तो मजाल है हिम्मत करे लन्ड डालने की!' 'आँह मार बेटीचोद !”, टीना जी दहाड़ीं। लाचार होकर वे अपनी देह को पति व पुत्र की वासना का पात्र बनते देख रही थीं। निरंकुशता से कामानन्द के वश में अपनी योनि को ऐंठ-सिकोड़ कर उचकाये जा रही थीं। दो-दो रौन्दते लिंगो के तले उनकी गुदा व योनि की बेहतरीन सेवा हो रही थी।

“अब मजा आया! : ‘आँह ऊँह उ उ ऊँह उचक मादरचोद! बिस्तर से उचक-उचक कर मार! : ऊँह बजा दे अपने टट्टे! : ऊँह 'अ'आँहचोदो कुत्तों ! उ ऊँह ऊँहकस के चोदो, नहीं तो दोनों की गाँड में बेलन दूंगी! ए ऐं: माँ की चूत के पट्ठों, चोदो जितना दम है तुम्हारे लन्ड में ! ऊँह : ऊँह” ।

जय ने अपनी गति में वृद्धी की, उसे अपने अण्डकोष में घुमड़ते वीर्य का आभास होने लगा। वो कराहता हुआ अपने लिंग को पाश्विक आवेग से माँ की कस कर भिंची हुई योनि में ताबड़तोड़ मारने लगा। मिस्टर शर्मा ने जल्द ही अपने पुत्र की लय का अनुसरण किया, अपने तड़पते पुरुषां द्वारा क्रमवार पत्नी की कसी हुई गुदा में हथौड़े जैसे प्रहार कर रहे थे वे। अपने ऑरगैस्म की अपेक्षा में टीना जी का सम्पूर्ण तन दर्द के मारे छटपटा रहा था। वे चीखती हुई अपने चेहरे को भींच रही थीं। कोड़े की तरह अपने नितम्बों द्वारा सटा-सट टांगेवाली जैसे वार करती हुई दोनों लिंगों को मीठी-मीठी प्रताड़ना दे रही थीं।

“आँहः ‘पुच, मेरे लाल, मेरी कोख के पिल्ले, चोद माँ की चूत! ''आअहः ‘चोद अपनी कुतिया माँ की चूत ! :ऊँह ऊँह तेरी कुतिया माँ तेरे पिल्ले जनेगी! चोद! :: ‘आँह ऊँहः ‘आँहः ‘आँह 'ऊँह
“दीपक, मार मेरी गाँड! :: ‘ऊऊऊऊऊँह : ! डार्लिंग, और कस के! मैं जानती हूँ तेरे लन्ड में और जान है!आँहह 'ऐंह 'ऐंह.”

ये हुई ना बात ! ऐंह ऐंह हरामी, अब तू मेरी बेटी को चोदने के लायक है! आँह ऐंह ऐंह !”
बाप रे! ओह, बड़वों, ‘आँह मैं झड़ने वाली हूँ! चोद मेरी चूत , चोद मेरी गाँड! :: ‘आँहः ‘आँह::: मादरचोदों चोदो टीना को! :: ‘ओहह ऊऊँह: ऐं ऐंह ऐं: मैं झड़ रही हूँ! हे राम! हरामजादों! मैं झः ‘झड़ रही हूँ !! ”

टीना जी के जीवन का सर्वाधिक अवेगपूर्ण ऑरगैस्म था यह। एक मिनट तक शक्तिशाली ऐंठनों के तले उनकी देह फड़कती रही, अपने पुत्र के रौन्दते लिंग को चारों दिशा से उनकी योनि सिकोड़ती रही, और वे गुदा द्वारा पति के चीरते लिंग को प्रेम से चूसती रहीं। मारे वासना के टीना जी की आँखें नम हो चलीं, उनकी हालत बेहोशी के कगार पर थी।
Reply
08-30-2020, 03:16 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
आखिरकार चरमानन्द की मादकता कुछ थमने लगी, और वे बगैर हिले-डुले लेटी पड़ी थीं, दो हाँफ़ते नरों के दरम्यान मसली हुई लाचार स्त्री जैसे।।
“तालियाँ, तालियाँ, मम्मी, आपने आज हरामीपन की हद कर दी! क्या सैक्सी स्टाइल से चुदी हैं आप !”, सोनिया कराही, अपनी जवान योनि से उंगलियाँ निकालकर बोली, “अब मेरी बारी !” ।

| मिस्टर शर्मा ने अपने भीमकाय लिंग को पत्नी के चिपटते गुदा छिद्र से खींच निकाला। उनके चमचमाते, काले, माँसल अंग के सिरे से दूधिया वीर्य की बूंदें टपक रही थीं। बुरी तरह थकी हुई, लेकीन पूर्णतय तृप्त टीना जी अपने पुत्र के लिंग से अलग हुईं, और अपनी पुत्री को अपना स्थान ग्रहण करते देखा।

सोनिया ने मुंह पलट कर ललचाती निगाहों से पिता के दैत्याकारी लिंग को ताड़ते हुए भाई के बदन पर आसन जमाया। मिस्टर शर्मा का लिंग सामान्य से कहीं दीर्घ प्रतीत होता था, हवा में लहराकर धड़कता हुआ, उसकी माँ के गुदा-द्रवों से सना हुआ काला माँस का लोथड़ा।

उसनी नीचे देखकर पाया कि जय का लिंग भी उतना ही मोटा और चिपचिपाहट से सना, वैसा ही चममा रहा था। फ़रक केवल इतना कि वो माँ की योनि से रिसे स्वादिष्ट सैक्स - द्रवों से सना था। । “ओह, जय भैया,”, अपने स्तनों को भाई की देह के ऊपर हिलाते हुए बड़ी मासूमियत से सोनिया पुचकारती हुई बोली, “पहले तुम्हारा लन्ड तो जरा चूस लू !” | मिस्टर और मिसेज शर्मा ने हैरानी से सोनिया को भाई के तने लिंग को चूसते देखा। सोनिया सुपड़ -सुपड़ आवाजें निकालती हुई जीभ को कुतिया की भांति लटकाती हुई उसके लिंग-स्तम्भ के चटखारे लेने लगी। मारे मस्ती के जय कराहने लगा, बहन के चूसते मुख ने उसके लिंग में रक्त - प्रवाह की अवृद्धी कर उसका लिंग सुजा कर और अधिक बड़ा कर दिया था! सोनिया भाई के वीर्य का पान करने के लिये अधीर हो रही थी, पर जानती थी कि जल्दी का काम शैतान का। भ्रातृ - लिंग से ‘पॉप्प' की आवाज के साथ सोनिया ने अपने होंठ हटाये, और अपने दोनों घुटनों को जय के कूल्हों के आजू-बाजू गाड़कर उसके लिंग का योनि-ग्रहण करने के लिये चढ़कर ऊपर बैठ गयी।

“चोद अपना लन्ड मेरे अन्दर, जय, वो मिमियाई, और अपनी नाजुक जाँघों के बीच हाथ घुसा कर उसके अकड़े हुए लिंग को दबोचा। “चोद साले, चोद बहन को! चोद ::...

उसके ये अल्फ़ाज बेलगाम कराहों में तब्दील हो गये। उसने अपने भाई के सुपाड़े को अपनी स्वर्ण - रोम-मण्डित योनि-द्वार पर ऊपर-नीचे रगड़ कर, फिर अपनी चिपचिपी योनि में घुसा दिया। | सोनिया आगे को झुकी और जय के कन्दों पर हाथ टेक दिया। उसके पुखता जवान स्तन जय के सीने के ऊपर झूम रहे थे। फिर वो आतुरता से मचलती हुई उचकने लगी, कराहती हुई अपनी तंग, मक्खन सी चिकनी योनि को भाई के मोटे, लम्बे लिम्रा की संतोषजनक कठोरता पर नीचे फिसलाकर उतारने लगी।

“ओह, जय! चोद मुझे! कितना मोटा और हार्ड है तेरा मुस्टंडा लन्ड !”, उसने आह भरी। “बहनचोद पूरा का पूरा अन्दर घुस रहा है! ऊउह, जय, टाइट है ना मेरी चूत ? मम्मी की चूत जितना ही मज़ा आ रहा है ना ?”

जय ने तत्परता से स्वीकृती में सर हिलाया। बहन की दबोचती प्रजनन -गुहा उसके लिंग पर नीचे सरकती जा रही थी, और वो साँड जैसे कराह रहा था। सोनिया आगे को पसर गयी, और स्तनों को भाई के सीने पर दबा डाला। मुन्डी मोड़ कर सोनिया ने पिता के लिंग को देखा।

कुछ ही देर पहले माँ की आँखों में उसी भाव को देखा होने के कारणवश जय को जल्द ही ज्ञात हो गया कि उसकी बहन क्या चाहती थी। हाथों को बढ़ा कर, उसने सोनिया के नितम्बों को हाथ में लिया, और खिंचकर अच्छी तरह से पाट दिया। पितृ-धर्म की निवृत्ति करते हुए जय ने बहन का गुदा-मार्ग पिता के लिंग के लिये खोल दिया था।

“डैडी, मेरी भी गाँड मारो !”, सोनिया गिड़गिड़ायी, और अपनी छोटी सी योनि को आतुरता से भाई के लिंग की दिशा में पटक दिया। “डैडी आपके लिये कबसे मेरी गाँड सूज कर फुदक रही है। दिखाओ अपनी मर्दानगी, डैडी, मारो बेटी की गाँड ... जैसे माँ की मरी थी! जल्दी डैडी !” ।

मिस्टर शर्मा लपक कर पुत्री की तंग गुदा के पीछे आ चढ़े। लगातार दो नाजुक गुदाओं पर आक्रमण करने की आस के मारे उनका विशाल लिंग धड़क रहा था। उनके निकट, बिस्तर पर पसरी हुई टीना जी अपने पति को पुत्री से गुदा- सम्भोग के लिये तैयार होते देख , अपनी योनि में ताजे स्त्राव का आभास कर रही थीं। उन्हें तो आँखों देखे पर विश्वास नहीं आता था। पहले तो अपने पुत्र द्वारा मुख-मैथुन और सम्भोग का आनन्द लिया, फिर पुत्र और पति के संग दोहरे संभोग की मस्ती, और अब दोनो मर्दो को अपनी अट्ठारह बरस की जवान बेटी के संग वही वहशियाना हरकत करने की तैयारी करते देख रही थीं वे ! अविश्वस्नीय कामुकता!

“बाप! मार मेरी गाँड !”, सोनिया ने अधीरता के मारे आदर त्याग कर पिता के पौरुष को ललकारा, “बेटीचोद, ऐसी टाइटम-टाइट गाँड है, तेरे लन्ड को छील देगी, असली मर्द है तो घुसा !” । | मिस्टर शर्मा ने हर्षपूर्वक पुत्री की गुदा पर लिंग के प्रस्थापन के लिये तैयार हो गये, और अपने रिसते सुपाड़े को सोनिया की रबड़ जैसे लचीले गुदा-छिद्र पर दबा डाला। जैसे उसका गुदा-छिद्र खिंच कर अपने पिता के मोटे लिंग की पृविष्टि के लिये खुलने लगा, सोनिया तीव्र आनन्द की अनुभूति से कंपकंपा उठी।

Reply
08-30-2020, 03:16 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
65 देहस्य शांतिः

अन्दर, अन्दर, और अन्दर, मिस्टर शर्मा का लिंग धकेलता गया, और पुत्री के कोमल, कुंवारे गुदा- छिद्र में ढूंस-ठूस कर उनके विशाल सम्भोगांग की मोटाई से भरता चला गया। अचानक जय को अपने फड़कते लिंग पर एक विलक्षण दबाव का अहसास हुआ। जैसे ही पिता का लिंग उसकी गुदा में आधा घुसा, सोनिया उचकने लगी,
और अपनी योनि को भाई के लिंग पर कसमसाने लगी, साथ ही साथ, आतुरता से अपने गुदा-छिद्र को पिता के लिंग पर वापस ढकेलती रही।

“ऊहहह! डैडी आप घुस गये मेरे अन्दर ! मेरी गाँड के अन्दर !”, सोनिया चीखी, “हे राम! कितना अच्छा लगता है! ओहहह, चोदो मुझे ! साले, दोनों चोदो मुझे !” ।

सोनिया के नितम्ब अति तीव्र गति से लोटने लगे, एक ही साथ दोनो विशाल लिंगों को अपनी देह में रौन्दवाने का भरसक प्रयत्न करते हुए।
ओह, बहनचोद, जय! चोद मेरी चूत ! चोद, कस के! :::: म्म्म्म, हे राम! दम लगा के, डैडी! मारो मेरी टाइट गाँड! कितना मस्त लग रहा है आपका लौड़ा मेरी गाँड में! ... भगवान के नाम मुझे चोदो !” | मिस्टर शर्मा अपने गुर्राते हुए अपने कूल्हों द्वारा रौन्दे जा रहे थे। अपने धुखते पौरुष-स्तम्भ को पुत्री की मक्खन सी चिकनी गुदा की भींचती संकराहट में गहरे, और गहरे मारते जा रहे थे वे। उनका मोटा, रक्त से धौंकता लिंग सोनिया की गुदा की लचीली माँसपेशी को विलक्षणता से खींच -तान रहा था।

कईं सेकन्ड तो जय टस से मस नहीं हुआ। बहन की कसी योनि माँसपेशियाँ उसके लिंग को प्रेम से दुह रही थी, और वो लम्बी-लम्बी आहें भरता रह गया था। फिर उसे अहसास हुआ कि पिता ने सोनिया की गुदा में मैथुन क्रिया प्रारम्भ कर दी है। वे अपने नितम्बों को भींच कर, अपने पत्थर से कठोर लिंग को सोनिया की सकुचाती गुदा में अन्दर-बाहर सरकाये जा रहे थे।

। “मार मेरी गाँड, बेटीचोद बाप !”, सोनिया ने आह भरी। उसका मुखड़ा वासना के मारे विकृत हो गया था। इतना मजा, इतनी तृप्ति तो राज और डॉली के साथ चुदाई में भी नहीं प्राप्त हुई थी। “उह : ऊहह ! भगवान! जय, मेरी चूत चोदता रह !”

सोनिया पूरा दम-खम लगा के उचके जा रही थी। भूखी नागिन जैसी, अपने दोनो छिद्रों में पिता और भाई के लिंगों को निगलने का प्रयत्न कर रही थी। मिस्टर शर्मा ने सैक्स-क्रीड़ा की गति अधिक की। उनकी पुत्री का गुदा- छिद्र उनके लिंग पर बार-बार लपक लपक कर चूसता जा रहा था, और उन्हें आनन्द से कराहने पर मजबूर किये जा रहा था। जय अण्डकोष में वीर्य उबलकर उमड़ने को बेचैन हो रहा था। जय अपनी बहन की टाइट, भीगती योनि को अपने पूरे सामर्थ्य से रौन्द रहा था।
Reply
08-30-2020, 03:16 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
पिता और पुत्र, दोनो मचलती, बलखाती रूपवान नवयौवना के संग अपना पूरा पौरुष बल लगा कर सम्भोग कर रहे थे। एक दूसरे से समन्वय बैठा कर, अपने दीर्घ लिंगों द्वारा उसकी संकरी योनि और गुदा में, एक ही लय में, प्रणय-लीला में रत थे वे।

। “चोद मेरी चूत ! मार मेरी गाँड !” सोनिया चिंघाड़ी। उसका सम्पूर्ण तन उसकी योनि और मलमार्ग के साथ फड़क रहा था। उसके दोनों सम्भोग-छिद्र अनियंत्रित होकर संकुचित होते जा रहे थे। दोनो रौन्दते लिंगों को लावण्यपूर्वक पुचकारते हुए अपने प्रेम की अभिव्यक्ति कर रहे थे। सोनिया का मुख-मंडल लाल हो गया था। लगातार उचकने और फुदकने के कारणवश उसकी नग्न देह से पसीने की अनेक बून्दें टपक रही थीं।

“चोद इसे, दीपक! तू भी, जय! दोनो अच्छी तरह से इसको चोदो !” टीना जी फुकारीं। वे लिंगों के प्रत्येक बलशाली और गहरे ठेले को देख रही थीं। अचानक उन्हें सूझी कि उनकी योनि पर ध्यान केन्द्रित करने की अवश्यकता है। वासना-ज्वर से पीड़ित वयस्का ने हस्त-मैथुन प्रारम्भ कर दिया। उनकी हवस भरी कल्पनाओं का प्रेरणा स्रोत थे मिस्टर शर्मा और उनका पुत्र, जो पास में उनकी पुत्री सोनिया के संग दोहरे सम्भोग का आनन्द ले रहे थे। |

पाठकों, यह देख कर अचरज न कीजिये के किस प्रकार दो नर एक मादा के संग सैक्स-क्रीड़ा में रत थे। यह तो प्रकृति का नियम है, मादा दानी है, आनन्द व सन्तोष का वितरण वह नर से अधिक सहजता से कर सकती है। नर स्वकेन्द्रित प्राणी है, अपनी देह की तृप्ति उसका सर्वप्रथम ध्येय होता है। स्त्री चाहे तो अपनी देह में स्थित तीनों छिद्रों द्वारा एक साथ तीन पुरुषों को दैहिक -आनन्द की प्राप्ति करा सकती है। साथ ही नारी हृदय अथाह करुणा, ममता और प्रेम का संचय है, जो विमुक्त होकर अपने प्रियों को हर्ष व सन्तोष प्रदान कर सकता है। पुरुष ऐसे नि:स्वार्थ आनन्दोपार्जन के काबिल कहाँ ? उसका तो एकमात्र लिंग होता है, जिससे एक समय में, वो एक ही स्त्री को यौन सन्तुष्टि दे सकता है। स्त्री के मुकाबले नर, अधिक शीघ्रता से उत्तेजित होता है, और वीर्य का स्खलन करता है। अतः नियति का विधान यही है कि वीर्य स्खलन के पश्चात नर को पुनः लिंग सजीव करने के लिये निश्चित समय की आवश्यकता है। अतः दो या उससे अधिक पुरुष ही सम्पूर्ण रूप से मादा को सन्तुष्ट कर सकते हैं। जैसे द्रौपदी और पाण्डव । बहरहाल, मैं पापी शर्मा परीवार की सैक्स गाथा आगे कहता हूँ। ।

“मादरचोदों! और अन्दर, और अन्दर चोदो !”, सोनिया ने आह भरी, “मैं झड़ने वाली हूँ! ओ: ‘उ ऊहह, हे राम! बस झड़ी! ओह, बहनचोद :: ‘अह अहः ‘आँह दे मारो मुझे अपने काले मोटे ल लन्डों से! उफ़्फ़ः ''आह' ऐंह ‘ऐंह! और कस के चोदो ! हरः ‘रामियों, और कस केऽ! | मिस्टर शर्मा और जय उसकी कमसिन देह में और बलपूर्वक सम्भोग क्रिया करने लगे, उनकी प्रणय लीला की आवेगपूर्ण लय के मारे पूरा बिस्तर बड़े वाहियात ढंग से चूं-चूँ चरमराता हुआ उछल रहा था। सोनिया ने अपनी पलकें कस के मुंद लीं। फिर उसकी योनि से द्रव प्राहित होने लगे, और योनि भाई के सम्भोगरत लिंग पर सिकुड़ने लगी। साथ में उसका गुदा छिद्र पिता के गुदा-भेदी लिंग को जकड़ - जकड़ कर चूसने लगा। । “उहहहह! अब मैं झड़ रही हूँ !”, वो चीखी, “ओह, भोसड़ वालों, अब तो सच में झड़ रही हूँ! चोदो मुझे, मैं .... ओह! ओ ओह ओह ! ओह, ओह, ओ ओहह, झड़ी • झड़ी !! अ अहह उफ़ :: ‘ऐंह :: ऊह'' 'अँह :: अअहः अह: ऊह अः ऊँ अह अह अह !”

सोनिया की तड़पती देह के हर कोने में विशाल लिंग के अने प्रहार हुए, जिनके प्रभाव से उसकी योनि निरन्तर भाई के मोटे लिंग पर लिपट कर कंपकंपाती रही। पिता के रौन्दते लिंग की मसलती कठोरता को उसकी गुदा लगातार चूसती रही। जंगली पशुओं की तरह मिस्टर शर्मा और जय किशोरी सोनिया के यौवन का आनन्दभोग लेते रहे। दोनो रौद्र पुरुष अपने शिला लिंगों को सोनिया के चूसते सम्भोग छिद्रों में जोतते हुए, अपने अण्डकोष के भीतर उबलते वीर्य को बचाये रखने में संघर्षरत थे।
Reply
08-30-2020, 03:16 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
सोनिया पूरे एक मिनट तक अपने ऑरगैस्म की छटपटाहट में उचकती और फुदकती रही। वो अपना पूरा बलबूता लगाकर अपने तन के भीतर गहरी पैठ जमाये दो लिंगों को दुहती रही। अन्त में उसके स्नायुओं से तीक्षण कामानन्द की लहरें थम गयीं, और छोड़ गयीं उसके पूरे तनबदन में सम्भोग-तृप्ति की भीनी-भीनी, मादक महक।
66 नारी शक्ति जिन्दाबाद मिस्टर शर्मा ने ध्यानपूर्वक पुत्री के गुदा छिद्र में से अपने लिंग को खींच कर बाहर निकला। वह सोनिया के गुदा-द्रवों से चुपड़ा हुआ था। ठिठोली करते हुए उन्होंने उसे हाथ में पकड़कर पत्नी की दिशा में लहराकर हिलाया।

डार्लिंग, साफ़ नहीं करोगी मेरे लन्ड को ?”, मिस्टर शर्मा अपनी बत्तीसी दिखाये हँस रहे थे।

“बेटीचोद, अपना लौड़ा मुँह में ले और खुद ही पोंछता बन !”, टीना जी ने नटखट अन्दाज में उन्हें डाँटा था। हँसते हुए मिस्टर शर्मा बाथरूम को चल दिये। सोनिया भाई के चिर - उत्तिष्ठ लिंग से हटकर अलग हुई और अपनी माँ के समीप लेट गयी। । “ओहह, मम्मी!”, उसने लम्बी आह भरी। “मजा आ गया! डैडी का लौड़ा मेरी गाँड में घुसकर कितना बड़ा लग रहा था।”

मुझे सब मालूम है, बिटिया।”, टीना जी ने अपनी नग्न पुत्री को कस के गले लगाकर उत्तर दिया।

सोनिया के पुखता, जवान स्तन माँ के स्तनों पर दब गये। अपनी नन्हीं बिटिया के उभरे हुए निप्पलों का अपनी त्वचा में गड़ने का आभास पाकर अचानक उनकी योनि में नवीन सरसराहट, एक विचित्र इच्छा उत्पन्न कर दी। वे कईं बार अन्य स्त्री के संग यौन सम्बन्ध बनाने का विचार कर चुकी थीं, पर हमेशा उसे अपने मन की कोरी कल्पना मानकर भुला दिया करती थीं। परन्तु अब, उनके समक्ष अपनी कल्पना को साकार करने का सुअवसर था ... स्वयं उनकी पुत्री के साथ! अपने ही बच्चों के साथ सैक्स क्रीड़ा करने से आने वाले वर्जित-आनन्द और पापकर्म से उत्पन्न मोहक आनन्द के मारे टीना जी ऐसी रोमांचित हो गयी थीं, कि वे मन के आवेग में में बह गयीं ...

कंठ से कराह निकालकर, टीना जी ने सोनिया को पीठ के बल लेटाया और पुत्री के छोटे-छोटे स्तनों का चुम्बन करने लगीं। उन्होंने चूस - चूस कर सोनिया के नन्हें-नन्हें निप्पलों को कड़ा कर दिया। सोनिया देह को तना कर कराहने लगी, और अदा से अलसाती हुई अपनी जाँघों को खोलने लगी। अपने स्तनों पर माँ के मुख का स्पर्श उसे भा रहा था। क्या वही स्पर्श उसे अपनी योनि पर :: : किशोरी सोनिया कल्पना कर रही थी कि क्या उसकी माँ डॉली की तरह क्या उसकी योनि पर अपने मुख से मैथुन करेंगी। टीना जी ने जैसे उसकी मन की बात भांप ली, वे अपनी कमर को नीचे ले गयीं, और अपने होंठों को सोनिया के पेट से सटाती हुई उसके मुलायम रोमों से सज्जित योनि - कोपलों पर ले गयीं।। | माँ-बेटी के निकट जय अपने वज्र से कठोर लिंग पर हस्तमैथुन करता हुआ माँ को अपनी जिह्वा को उसकी बहन की रसीली योनि की गुलाबी कोपलों पर हलके-हलके फेरता हुआ देख रहा था।

। “ओहहह, आह! चाट ले, मम्मी! चूस हरामजादी की चूत! डाल दे अपनी जीभ साली की चूत में, मेरी कुतिया मम्मी !” अपने काले लिंग पर निर्ममता से हाथों द्वारा घर्षण करता हुआ वो कराह कर बोला। वह टीना जी की जिह्वा को मंझे अंदाज में चाटता देख पछता रहा था कि उसने अपनी बहन की ललचाती योनि को पहले ही क्यों नहीं चाट लिया। पर उसने स्वयं को दिलासा दिया कि इसका अवसर फिर आयेगा!
Reply
08-30-2020, 03:17 PM,
RE: Vasna Story पापी परिवार की पापी वासना
मारे रोमांच के सोनिया की आँखें फटी की फटी रह गयी थीं। वो अपनी माँ के मुख को निर्लज्जता से उसकी योनि के संग मजेदार और गन्दी हरकते करता देख रही थी। टीना जी की जिह्वा तो उसकी जाँघों के बीच का चप्पा-चप्पा छान रही थी, एक पल उसकी योनि की कोपलों के दरम्यान सनसना कर उठती, दूसरे पल उसके मूत्र छिद्र को दबाती, फिर यदा कदा किसी फड़कते लिंग की भांती उसकी ज्वलन्त योनि में भेद कर गहरी उतर जाती। लाख कोशिशों के बावजूद सोनिया अपने कूल्हों की हलचल पर काबू नहीं कर पा रही थी, क्योंकि उसकी माँ अपनी अनुभवी जिह्वा द्वारा उसकी योनि को भूखी कुतिया की भांति चाटती चुपड़ती और चूसती हुई अति शीघ्रता से ऑरगैस्म के करीब ले आई थी।

“अहहहह, मम्मी! र रन्डी! ओ ओहह, रुकना मत ! रुकना मत ! चूसती रह मेरी चूत ! ओ : 'ऊऊहह ऊँह, मम्म ::: मम्मीऽ!”, अपने हाथों को माँ के सर के पीछे लगाकर दबाते हुए सोनिया चीखी।

माँ को अपनी बहन के साथ मुख-मैथुन करते देख जय की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। उसका लिंग बड़ी आक्रामक शली में फड़क रहा था। इससे पहले कि उसका वीर्यकोष स्फोटित हो, जय को अपने लिंग का कुछ न कुछ बन्दोबस्त तो करना ही था। उतावले जय ने अपने समक्ष विकल्पों पर गौर किया - वह हस्तमैथुन करके माँ
और बहन के ऊपर वीर्य स्खलित कर सकता था, अपने लिंग को बहन के मुख में डाल कर उसे लिंग चूस कर वीर्य स्खलन करवा सकता था, अथैव : जय ने अपनी माता के नितम्बों को लोलुपता से हवा में लहराते और झूमते हुए देखा।

टीना जी किसी मादा पशु की तरह अपने हाथों और घुटनों के बल बैठी सोनिया की पटी हुई जाँघों के बीच अपने सर को फुदकाये जा रही थीं। उनके सुडौल वक्राकार नितम्ब ललचाते अंदाज में बिस्तर से ऊपर उठकर झूम रहे थे। जय ने अवसर ताड़ा और बेझिझक होकर अग्रसर हुआ। लपक कर बिस्तर से उठा और अपनी योनि चाटती माँ के सम्पुष्ठ आ खड़ा हुआ। टीना जी अपना सर नीचे गाड़े और अपने नितम्ब गगन में उठाये थीं। इस मुद्रा में वे अपनी योनि को उत्कट अश्लीलता से पुत्र की वासना भरी निगाहों के सम्मुख प्रदर्शित कर रही थी ::: उनकी टपकती योनि जय को न्यौता दे रही थी, कि अपनी किशोर देह की आनन्दपूर्ति के लिये मनचाही शैली में वह उसका भोग करे। कुछ ही मिनटों पहले जय के ही लिंग द्वारा भेदित हो चुकी उनकी योनि की कोपलें अब भी रक्त-प्रवाह और कामोत्तेजना के प्रभाववश लालिमा- रंजित और फूली हुई थीं।

जय ने अपने लिंग को माँ की निर्लज्जता से खुली हुई योनि की दिशा में साधा पेल दिया अन्दर। फिर अपने लिंग के सूजे सुपाड़े को टीना जी भीगी प्रजनन गुहा में बैठाता दिया। इस प्रकार अपने सुपाड़े को माँ की रोमयुक्त योनि की कोपलों में सुरक्षित स्थापित करने के बाद, जय ने उनके कूल्हों को मजबूती से जकड़ा और फिर एक बलशाली ठेले के साथ लिंग को उनकी योनि की संकरी, सिकुड़ती माँसलता में उतार डाला। उसके अण्डकोष थप्प-चप्प ध्वनि के साथ उनके नितम्बों पर जा टकराये।

पुत्र के दैत्याकार लिंग को अपनी कोख में चीरता हुआ पाकर, टीना जी सहर्ष चीत्कार कर उठीं। उन्हें अनुभव होता आनन्द सचमुच स्वर्ग तुल्य था :: संसार में कितनी महिलायें होंगी जिन्हें सगी पुत्री की मीठी, भीगी योनि को चाटने का अवसर मिला होगा, वो भी तब जब उनका सगा पुत्र अपने विलक्षण कठोर लिंग द्वारा उनकी योनि के संग सम्भोगरत हो ? कोई भी कामुक, सैक्सी माँ इससे अधिक किसकी कामना कर सकती है ?
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,548,152 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 549,699 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,252,359 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 946,850 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,681,521 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,103,803 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,990,478 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,185,587 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,079,998 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,471 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 15 Guest(s)