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RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
सुनील ने इसी तरह वहशियाना ढंग से रुखसाना का मुँह अपने लौड़े से चोदना शुरू कर दिया। वो बीच-बीच में धक्के ज़रा धीमे कर देता ताकि रुखसाना साँस ले सके और फिर ज़ोर-ज़ोर से रुखसाना के हलक तक धक्के मारने लगता। रुख़्साना के मुँह से ठुड्डी तक लार बह कर नीचे टपकने लगी। रुखसाना को सुनील का लंड अपने हलक के नीचे उतरता हुआ महसूस हो रहा था और बार-बार साँस घुटने से उसके मुँह से गों-गों की आवाज़ें आ रही थीं लेकिन फिर भी सुनील का वहशियानापन कहीं ना कहीं रुखसाना की हवस भड़का रहा था। फिर सुनील अचानक अपना लौड़ा रुखसाना के होंठों से हटाते हुए बोला, “उतारो... भाभी!” रुखसाना ने राहत की साँस लेते हुए चौंक कर सवालिया नज़रों से उसकी तरफ़ देखा तो सुनील ने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ फिर से कहा, “अपनी सलवार उतारो..!” रुखसाना तो शराब के नशे की खुमारी और चुदासी मस्ती के आलम में थी... उसकी भीगी चूत सुनील का बिला-कटा लंड लेने के लिये मचमचा रही थी। रुखसाना ने वैसे ही बैठे-बैठे अपनी कमीज़ के नीचे हाथ डाल कर अपनी सलवार का नाड़ा खोलना शुरू कर दिया। रुखसाना ने सलवार का नाड़ा खोलते हुए एक बार नज़र उठा कर सुनील की आँखों में देखा और फिर अपनी सलवार उतार कर बेड के एक तरफ़ रख दी। उसने जानबूझ कर पैंटी नहीं पहनी हुई थी। सुनील ने नीचे झुक कर उसकी टाँगों को पकड़ कर ऊपर उठा दिया जिसकी वजह से रुखसाना बेड पर पीछे की तरफ़ लुढ़क गयी। सुनील ने फिर उसे टाँगों से घसीट कर बेड पर सीधा लिटा दिया और उसकी टाँगों को खोल कर जाँघों के बीच में आ गया। उसने अपने लंड को एक हाथ से पकड़ा और रुखसाना की चूत की फ़ाँकों पर रगड़ते हुए अपनी एक उंगली को उसकी चूत के छेद के बीच में घुसा कर बोला, “भाभी आपकी चूत तो पहले से ही लार टपका रही है!”
सुनील की बात सुन कर रुखसाना ने मुस्कुराते हुए उसकी चौड़ी छाती में मुक्का झड़ दिया, “इसका तो शाम से ही ये हाल है... पर तुझे क्या फ़र्क पड़ता है... हरजाई कहीं का!” रुखसाना के जवाब में सुनील बोला, “तो ये लो भाभी मेरी जान!” और अपना लंड रुखसाना की चूत में एक धक्के के साथ पेल दिया। “आआआऊऊऊहहहह याल्लाआआहहहह ऊऊहहहह आहहहहह” रुखसाना जोर से सिसकते हुए सुनील से चिपक गयी। सुनील ने झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया और तेजी से अपने लंड को अंदर-बाहर करते हुए रुखसाना के होंठों को चूसने लगा। रुखसाना मस्ती के समंदर में गोते खाते हुए सुनील के नीचे मचल रही थी और वो लगातार अपना मूसल उसकी चूत में चला रहा था। रुखसना को अपनी चूत की दीवारों पे सुनील के लंड की रगड़ इंतेहाई लज़्ज़त दे रही थी। रुखसाना के हाथ खुद-ब-खुद सुनील की पीठ पर कसते चले गये। उसने अपनी टाँगें उठा कर सुनील की गाँड के नीचे लपेट कर कैंची की तरह कस दीं और उसकी खुद की गाँड बेकाबू होकर अपने आप ऊपर की और उछलने लगी। करीब दस मिनट की धुंआधार चुदाई में ही रुखसाना मस्ती के सातवें आसमान पे उड़ने लगी और फिर उसकी चूत में तेज सिकुड़न होने लगी और उसकी चूत ने सुनील के लंड के टोपे को चूमते हुए उस पर अपना प्यार भरा रस लुटाना शुरू कर दिया। सुनील भी चंद और झटकों के बाद रुखसाना की चूत में ही झड़ने लगा। झड़ने के बाद रुखसाना को बेहद सकुन मिल रहा था। शाम से जिसके लिये वो तड़प रही थी... उस लौड़े ने दस मिनट में रुकसाना को दुनिया भर की जन्नत की सैर करवा दी थी।
उसके बाद देर रात तक दोनों चुदाई के मज़े लूटते रहे। सुनील ने रुखसाना की गाँड भी मारी और फिर पहली दफ़ा सुनील ने रुखसाना की गाँड में से निकला गंदा लंड उससे चुसवाया। दरसल सुनील ने उसकी गाँड मारने के फ़ौरन बाद अपना गंदा लंड अचानक ही रुखसाना के मुँह में दे दिया। नशे और मस्ती के आलम में पहले तो रुखसाना को एहसास नहीं हुआ और जब उसे एहसास हुआ तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी और वो अपने मुँह में चूसते हुए उसपे ज़ुबान फिरा कर चुप्पे लगाते उसका गंदा लंड पुरी तरह चाट चुकी थी। आखिर में दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के आगोश में लेट कर सो गये। रात के तीन बजे के करीब रुखसाना की आँख खुली तो उसने देखा कि सुनील गहरी नींद में सोया हुआ था। कमेरे में ट्यूब लाइट अभी भी चालू थी। रुखसाना को पेशाब भी लगी थी तो उसने बिस्तर से उतर कर सिर्फ़ अपनी कमीज़ पहन ली। फिर सुनील के नंगे जिस्म और मुर्झाये हुए लंड को उसने एक बार प्यार भरी नज़र से देखा और फिर लाईट बंद करके कमरे से बाहर निकल गयी। शराब के नशे की खुमारी अभी भी छायी हुई थी तो रुखसाना झूमती हुई हाई पेन्सिल हील के सैंडलों में आहिस्ता-आहिस्ता सीढ़ियाँ उतर कर अपने कमरे में आयी और बाथरूम में जा कर पेशाब करने के बाद उसी हालत में अपने बेड पर आकर लेट गयी। भले ही वो हवस के नशे में और जिस्मानी सुकून के लिये ये सब कुछ कर रही थी पर दिल के एक कोने में उसे ये ख्याल आ रहा था कि यही उसका वजूद है... वो जिस्मानी रिश्ते के साथ-साथ कहीं ना कहीं सुनील में अपनी मोहब्बत भी ढूँढ रही थी पर उसे एहसास हो गया था कि सुनील के लिये शायद वो सिर्फ़ सैक्स और मौज मस्ती करने की जरूरत है। वो सोच रही थी कि क्या सुनील उसे सिर्फ़ उसके हसीन जिस्म के लिये चाहता है... और वो खुद भी क्या से क्या बन गयी है.... वो खुद भी तो सुनील के ज़रिये अपनी हवस की आग बुझा रही है... एक शादीशुदा औरत होकर भी वो आधी रात को अपने से आधी उम्र से भी कम जवान हिंदू लड़के के कमरे में जाकर खुद अपने कपड़े उतार के नंगी होके अपनी टाँगें और चूत खोल कर शराब के नशे में उससे चुदवाती है... उससे गाँड मरवाती है... अपनी गाँड में से निकला उसका गंदा लंड चाट कर चुप्पे लगाती है... बेहयाई से खुल कर गंदी- गंदी अश्लील बातें और गालियाँ बोलती है...! लेकिन इसमें गलत भी क्या है... उसका शौहर तो उसे छोड़ कर अपनी भाभी का गुलाम बना हुआ है... इतने सालों से वो अपनी हसरतों का गला घोंटती रही थी पर जब से सुनील से रिश्ता बना है उसकी ज़िंदगी कितनी खुशगवार हो गयी है... यही सब उधेड़बुन उसके दिमाग में चल रही थी कि पता नहीं कब उसे नींद आ गयी।
सुबह सात बजे रुखसाना उठी और खुद तैयार होकर नाश्ता तैयार करने लगी। इतने में सानिया भी आ गयी और वो भी कॉलेज जाने के लिये जल्दी से तैयार हुई। फिर तीनों ने एक साथ नाश्ता किया। जैसे ही सुनील नाश्ता करके उठा तो उसने सानिया से पूछा, “तुम्हें कॉलेज जाना हो तो छोड़ दूँ..?” सानिया ने सुनील की बात सुनते ही रुखसाना की तरफ़ देखा तो रुखसाना ने रज़ामंदी में सिर हिला दिया। सानिया ने अपना बैक-पैक कंधे पे लटकाया और फिर वो सुनील की बाइक के पीछे बैठ कर चली गयी। दर असल अब सुनील सानिया को अपने नीचे लिटाने की फ़िराक़ में था जिसका रुखसाना को अंदाज़ा नहीं था।
उस दिन जब दोनों बाइक पर निकले तो सानिया के दिमाग में उस शाम की बातें घूम रही थी जब सुनील ने उसे कहा था कि उसके कॉलेज के लड़के उसे देख कर गंदे-गंदे कमेंट्स कर रहे थे। सानिया जवान थी और उसकी चूत में खूब चुलचुलाहट होती थी। सान्या ने सुनील के बाइक पीछे बैठे हुए पूछा, “उस दिन तुमने ये क्यों कहा था कि वो लड़के जो भी मेरे बारे में गंदे कमेंट्स कर रहे थे... वो सही है... क्या मैं तुम्हें ऐसी लड़की लगती हूँ...?”
सुनील बोला, “नहीं-नहीं... मेरा मतलब वो नहीं था...!”
“तो फिर तुम्हारा मतलब क्या था... अगर कोई बोले कि मैं चालू लड़की हूँ तो तुम सच मान लोगे..?” सानिया ने नाराज़गी ज़ाहिर की तो सुनील बोला, “नहीं बिल्कुल नहीं... मैं किसी की कही हुई बातों पर यकीन नहीं करता..!”
“फिर तुमने क्यों कहा कि वो लड़के जो भी कह रहे थे सच कह रहे थे...?” सनिया बोली। “हाँ सच कह रहे थे... वो तुम्हारे जिस्म के बारे में कुछ गलत शब्द इस्तेमाल कर रहे थे... पर उन्होंने जो भी तुम्हारे फ़िगर के बारे में कहा... एक दम सच कहा था..!” सुनिल ने कहा तो सानिया उसकी बात सुन कर थोड़ा शरमा गयी। दोनों में से कुछ देर कोई भी कुछ ना बोला। सान्या का दिल जोरों से धड़क रहा था। उसका दिल बार-बार गुदगुदा रहा था। “वैसे क्या बोल रहे थे वो कमीने मेरे बारे में...?” सानिया का दिल अब सुनील से अपने बारे में सुनने को बेचैन होता जा रहा था। “वो कमीने जो भी बोल रहे थे उसे छोड़ो... मैं नहीं बता सकता!” सुनील बोला। “क्यों..?” सानिया ने पूछा तो सुनील बोला, “क्योंकि इस तरह तो मैं भी कमीना हुआ ना?”
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RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
“तुम क्यों? मैंने तुम्हें थोड़ा ना कहा है!” सानिया ने कहा। “कहा तो नहीं पर मुझे उनकी बातें सही लगी... अगर तुम सुनोगी तो तुम्हें लगेगा कि मैं भी उनकी तरह ही कमीना हूँ क्योंकि मैं भी उनके बातों से सहमत हूँ..!” सुनील की ये बात सुन कर सानिया बोली, “अरे तौबा मैं तुम्हें ऐसा नहीं कह सकती..!”
“चलो छोड़ो सब... तुम बेकार ही परेशान हो गयी!” सुनील ने कहा लेकिन सानिया बोली, “नहीं एक बार पता तो चले वो हरामजादे कह क्या रहे थे..!” सानिया बेझिझक कमीने और हरामजादे जैसे अल्फ़ाज़ बोल रही थी। सुनील ने कहा, “अभी नहीं... अभी तुम्हारा कॉलेज आने वाला है!” थोड़ी देर बाद सानिया का कॉलेज आ गया। सानिया सुनीळ की तरफ़ देख कर एक बार मुस्कुरायी और फिर कॉलेज की तरफ़ जाने लगी। “सानिया तुम्हारा कॉलेज कितने बजे खतम होता है..?” सानिया ने सुनील की तरफ़ मुड़ कर देखा और बोली, “साढ़े तीन बजे... क्यों?” सुनील ने एक बार गहरी साँस ली और फिर हिम्मत करते हुए बोला, “मेरे साथ घूमने चलोगी..?” जैसे ही सुनील ने सानिया से ये बात कही तो सानिया के दिल धड़कन बढ़ गयी। आज तक सानिया किसी लड़के के साथ डेट पर नहीं गयी थी। “बोलो ना... चलोगी..?” सुनील ने फिर पूछा तो सान्या बोली, “अगर अम्मी को पता चला तो..!” सुनील बोला, “नहीं पता चलेगा... तुम बारह बजे छुट्टी लेकर आ सकती हो?” सानिया ने हाँ में सर हिला दिया और बोली, “पक्का ना... घर पर तो किसी को पता नहीं चलेगा..?” सानिया तो खुद ही सुनील के साथ वक़्त बिताने को बेताब थी पर थोड़ी शरम-हया और घर वालों का डर अभी तक उसे बाँधे हुए थे। अब जब कि उसके ख्वाबों का शहज़ादा उसे खुद साथ में चलने को कह रहा था तो वो भला कैसे इंकार कर सकती थी! “ठीक है मैं बारह बजे आ जाऊँगी!” सानिया ने मुस्कुराते हुए कहा।
उसके बाद सुनील स्टेशन पर आ गया। सुनील ने ग्यारह बजे तक वहाँ काम किया और फिर वो उठ कर रशीदा के कैबिन में चला गया। “आओ सुनील... बैठो... कैसे हो?” रशीदा ने कहा तो सुनील बैठते हुए बोला, “मैं ठीक हूँ मैडम... मेरा एक काम करेंगी..?” ये सुनकर रशीदा कमीनगी से मुस्कुराते हुए बोली, “हाय मैं तो हमेशा तैयार हूँ... चल आजा टॉयलेट में?”
“नहीं-नहीं... वो काम नहीं... दर असल एक और जरूरी काम है... मुझे थोड़ी देर बाद निकलना है और आज अज़मल साहब भी नहीं हैं पर्मिशन लेने के लिये... अगर कोई और पूछे या अज़मल साहब कॉल करें तो क्या आप संभाल लोगी?” सुनील ने कहा तो रशीदा बोली, “हाँ-हाँ क्यों नहीं... ये भी कोई बात है... अरे तुम जान माँग लो तो वो भी हम हंसते हुए दे देंगे..!”
उसके बाद सुनील साढ़े ग्यारह सानिया के कॉलेज के लिये निकल गया। सुनील ठीक बारह बजे सानिया के कॉलेज के बाहर पहुँच गया। थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद उसे सानिया कॉलेज के गेट से बाहर आती हुई नज़र आयी। सानीया बेहद खूबसूरत और सैक्सी लग रही थी। उसने बेबी पिंक कुर्ती-टॉप के साथ सफ़ेद कैप्री और बेबी पिंक रंग की ही ऊँची वेज हील वाली सैंडल पहनी हुई थी। अपने बाल उसने पीछे पोनी टेल में बाँधे हुए थे और होंठों पे हल्की गुलाबी लिपस्टिक थी। कॉलेज के गेट से बाहर आकर सानिया बिना कुछ बोले सुनील के पीछे बाइक पर दोनों तरफ़ पैर करके बैठ गयी। सुनील बाइक चलाने लगा पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो सानिया को लेकर कहाँ जाये। “कहाँ चलें...?” सुनील ने आगे रास्ते पर देखते हुए पूछा तो सानिया उसके दोनों कंधों पे अपने हाथ रखते हुए बोली, “कहीं भी... जहाँ तुम्हारा दिल करे वहाँ ले चलो!”
“तुम्हें कोई ऐसी जगह पता है जहाँ पर हम दोनों अकेले कुछ देर तक बातें कर सकें?” सुनील ने पूछा। सानिया का दिल सुनील की बातें सुन कर मचलने लगा। सानिया की कईं सहेलियाँ अपने बॉय फ्रेंड्स के किस्से उसे सुनाया करती थीं कि कैसे उनके बॉय फ़्रेंड ने उन्हें बाँहों में भरा... कैसे किस किया… कहाँ-कहाँ हाथ लगाया... एक दो सहेलियों ने तो अपने बॉय फ्रेंड के लौड़े चूसने और चुदने के किस्से भी बयान किये थे। ये सब बातें सुन-सुन कर सानिया का दिल भी मचलने लगता था पर सानिया अपने खूंसठ बाप फ़ारूक से डरती थी और खासतौर पर बदनामी के डर से भी उसने खुद पे काबू रखा हुआ था और रोज़ाना खुद-लज़्ज़ती करके अपनी हवस की आग बुझानी पड़ती थी। सानिया बोली, “मालूम नहीं पर मेरी एक सहेली ने बताया था कि शहर के बाहर हाईवे पर एक बहोत बड़ा नेश्नल पार्क है... जंगल सा है... पर काफ़ी लोग वहाँ घूमने जाते हैं!”
उन्होंने वहीं जाने का फ़ैसला किया। दोनों थोड़ी देर में ही शहर से बाहर आ चुके थे। रास्ता एक दम विराना था और कुछ अगे जाने पर वो उस जंगल में पहुँच गये। जैसे ही वो उस जंगल में पहुँचे, तो वहाँ सुनील को एक बाइक स्टैंड नज़र आया। उसने सानिया को नीचे उतरने के लिये कहा और उसे उतार कर वो बाइक पार्क करने के लिये स्टैंड में चला गया। जैसे ही वो बाइक स्टैंड पर पहुँचा तो उसे वहाँ उसका कॉलेज का एक पुराना दोस्त मिल गया। उसने सुनील को देखते ही पहचान लिया। उसका नाम रवि था। रवि ने सुनील को पीछे से आवाज़ लगायी, “अरे सुनील तुम यहाँ?” तो सुनील ने घूम कर रवि को देखते हुए कहा, “अरे रवि तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो?”
“कुछ नहीं यार... मुझे यहाँ पर पार्किंग का ठेका मिला है... बस यही अपनी रोजी रोटी है... और तू सुना... तू यहाँ क्या कर रहा है...?” रवि ने कहा। सुनील ने कहा, “यार मुझे रेलवे में जॉब मिल गयी है... और मेरी पोस्टिंग यहीं हुई है...!”
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RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
रवि ने कहा, “यार ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुझे गवर्न्मम्ट जॉब मिल गयी है... और फिर पार्क में घूमने आये हो... अकेले हो या कोई और भी साथ मैं है?” सुनील मुस्कुराते हुए बोला, “हाँ यार मेरी फ्रेंड है साथ में..!” रवि बोला, “ओह हो... नौकरी और छोकरी... यार तुझे ये दोनों बड़ी जल्दी मिल गयी... भाई यहाँ पर घूमने तक तो ठीक है... पर ध्यान रखना यार... “पार्क में हर समय गार्ड गश्त करते रहते हैं.. यहाँ पर फैमिलीज़ आती हैं... इसलिये यहाँ पर वो बहुत सख्ती बरतते हैं!” ये सुनकर सुनील बोला, “ओह अच्छा... यार फिर तू किस दिन काम आयेगा!”
रवि हंसते हुए बोला, “हुम्म बेटा... मैं तेरा इरादा समझ गया... चल तू भी क्या याद करेगा... तू इस पार्किंग के पीछे वाले रास्ते से चले जाना... यहाँ से और कोई नहीं जाता... आगे जाकर काफ़ी घना जंगल है... वहाँ पर कोई नहीं होता...!” सुनील ने उसे धन्यवाद किया और उसके बाद बाइक पार्क की और सानिया को इशारे से आने के लिये कहा। फिर वो सानिया को लेकर रवि के बताये हुए रास्ते पर जाने लगा। उसके पीछे चलते हुए सानिया का दिल ज़ोर से धड़क रहा था वो इस तरह पहली बार किसी लड़के के साथ अकेली थी... वो भी कॉलेज बंक करके आयी थी। एक तरफ़ उसके दिल में सुनील के साथ वक़्त बिताने की लालसा भरी हुई थी और दूसरी तरफ़ उसे थोड़ा डर भी लग रहा था।
दोनों दस मिनट तक बिना कुछ बोले चलते रहे। अंदर की तरफ़ जंगल घना होता जा रहा था। थोड़ी दूर और चलने पर दोनों को एक बेंच दिखायी दी। दोनों उस पर जाकर बैठ गये। थोड़ी देर दोनों खमोश बैठे रहे... दोनों में से कोई बात नहीं कर रहा था। सानिया इधर-उधर देख रही थी जैसे अपना ज़हन किसी बात से हटाने की कोशिश कर रही हो पर एक जवान लड़की जब किसी जवान लड़के के साथ ऐसे सुनसान माहौल में हो तो उसके दिल में कुछ-कुछ होने लगता है! सानिया चुप्पी तोड़ते हुए बोली, “अब तो तुम बता ही सकते हो.!”
“क्या..?” सुनील ने पूछा तो बोली, “कि वो लड़के मेरे बारे में क्या कह रहे थे?” सुनील ने कहा, “छोड़ो तुम्हें बुरा लगेगा..!” सानिया बोली, “नहीं मैं बुरा नहीं मानती”! सुनील ने फिर एक बार उसे आगाह किया, “देख लो मुझसे बाद में नाराज़ मत होना...!” सानिया बोली, “नहीं होती नाराज़... अब बताओ भी!”
“वो कह रहे थे कि तुम्हारे वहाँ पर बहुत चर्बी चढ़ गयी है!” सुनील बताने लगा तो सानिया ने बीच में पूछा, “मेरे चर्बी... कहाँ?” सुनील ने कहा, “अब मैं तुम्हें कैसे कहूँ... तुम बुरा मान जाओगी..!” सानिया बोली, “मैं क्यों तुम्हारा बुरा मानुँगी... तुमने थोड़े ना कुछ कहा...!” सुनील की बात सुन कर सानिया को कुछ अंदाज़ा तो हो ही गया था और उसका दिल धधक -धधक करने लगा था। “वो तुम्हारी गाँड पर!” सुनील ने जानबूझ कर झेंपने का नाटक करते हुए कहा। “क्या..?” सानिया एक दम से चौंक उठी... उसे नहीं मलूम था कि सुनील ऐसे अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल करेगा। “हाँ वो कह रहे थे कि तुम्हारी गाँड पर बहुत चर्बी चढ़ गयी है!” ये बात सुनते ही सानिया का चेहरा सुर्ख लाल हो गया। उसने अपनी नज़रें झुकाते हुए सुनील को कहा, “तुम्हें तो ऐसे बोलने में शरम आनी चाहिये... वो तो है ही कमीने!”
सुनील बोला, “देखा मैंने कहा था ना कि तुम बुरा मान जाओगी... मैं इसी लिये तुम्हें नहीं बता रहा था... ठीक है अब मैं ऐसी बात नहीं करता!” सानिया थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली, “मैंने ये नहीं कहा कि तुम गलत बोल रहे हो... पर तुम ऐसे अल्फ़ाज़ तो इस्तेमाल ना करो..!” सुनील बोला, “अब मुझे जैसी वर्डिंग आती है वैसे ही बोलुँगा ना... अगर तुम नहीं सुनना चाहती तो मैं नहीं बोलता..!” सानिया सुनील की बात सुन कर चुप हो गयी। अपनी गाँड पर चर्बी चढ़ने की बात सुनकर उसका दिल गुदगुदा उठा था... दिल बार-बार सुनील के मुँह से अपने बारे में सुनने के लिये मचल रहा था। “अच्छा सॉरी.. मैं ही गलत हूँ..!” सानिया ने सुनील के गुस्से से भरे चेहरे को देखते हुए कहा। “अच्छा क्या तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड है...?” सानिया ने सुनीळ की ओर देखते हुए बड़ी बेकरारी से पूछा और धड़कते हुए दिल के साथ उसके जवाब का इंतज़ार करने लगी। सुनील भी अपने दिमाग के घोड़ों को तेजी से दौड़ा रहा था कि वो सानिया को क्या जवाब दे... ऐसा जवाब जिससे वो मुर्गी खुद ही कटने को तैयार हो जाये।
“क्या हुआ मैंने कुछ गलत पूछ लिया क्या?” सानिया बोली तो सुनील ने कहा, “नहीं ऐसी बात नहीं है... अब तुम्हें क्या बताऊँ... अगर मानो तो है भी और ना मानो तो नहीं है..!” सानिया बोली, “मतलब... मैं कुछ समझी नहीं...!” सुनील ने कहा, “हाँ मेरी गर्ल-फ्रेंड है पर वो सिर्फ़ मेरी नहीं है..!” सानिया हैरान होते हुए बोली, “तो क्या तुम्हारी गर्ल-फ्रेंड किसी और की भी गर्ल-फ्रेंड है?” सुनील बोला, “गर्ल-फ्रेंड नहीं... वो किसी की बीवी है..!”
सानिया ने पूछा, “क्या तुम्हारा चक्कर एक शादी शुदा औरत के साथ है..?” सुनील ने जवाब दिया, “हम दोनों के बीच में कोई कमिट्मेंट नहीं थी... और वैसे भी मैं अब उसे नहीं मिलता... अपने-अपने जिस्म की जरूरत पूरा करने का हम एक दूसरे के लिये ज़रिया भर थे... इससे से ज्यादा कुछ नहीं... तब मैं नादान था... इसलिये मैं बिना कुछ सोचे समझे इतना आगे बढ़ गया!” सानिया को तो जैसे अपनी ख्वाबों की दुनिया आग में जल कर खाक़ होती हुई नज़र आने लगी पर सुनील का जादू सानिया के सिर पर इस क़दर चढ़ा हुआ था कि वो सुनील को खोना नहीं चाहती थी। इसलिये उसने आखिर कोशिश करते हुए पूछा, “और अब उसे नहीं मिलते..?” “नहीं!” सुनील ने कहा तो सानिया ने पूछा, “और कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं बनायी?” सुनील ने फिर कहा, “नहीं..!”
सानिया के दिल को सुनील की ये बात सुन कर थोड़ी तसल्ली हुई। इसका मतलब सुनील ने नादानी में सैक्स किया था... उसे उस औरत के साथ इश्क़-विश्क़ नहीं था। सानिया बोली, “अच्छा छोड़ो ये सब बातें... आब तुम ये बताओ कि वो कमीने मेरे बारे में और क्या कह रहे थे..!” सुनील ने सानिया की तरफ़ देखा और बोला, “अरे नहीं बाबा... अब नहीं बोलता मैं कुछ... तुम फिर भड़क जाओगी!” सानिया अब सुनील की चटपटी बातों का मज़ा लेना चाहती थी। “अरे नहीं तुम बोलो... मैं बिल्कुल नहीं भड़कुँगी!”
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सुनील बोला, “अब मैं कैसे कहूँ... वो कह रहे थे कि तुम्हारे ये दोनों पहले से ज्यादा बड़े हो गये हैं!” सुनील ने अपनी आँखों से सानिया की टॉप में कैद... कसे हुए मम्मों की तरफ़ इशारा किया तो सानिया का चेहरा शरम से लाल हो गया। उसने अपनी नज़रें नीचे झुका ली। सुनील थोड़ी देर चुप रहा और फिर बोला, “और बताऊँ वो और क्या कह रहे थे...?” सानिया का दिल धक-धक करने लगा कि ना जाने अब सुनील उसे क्या बोल दे.... साथ ही चूत की धुनकी भी बजने लगी। “हाँ बताओ!” सानिया ने शर्माते हुए हाँ में सिर हिला दिया। सुनील को समझते देर ना लगी कि मुर्गी कटने के लिये बेताब हो रही है। सुनील खिसक कर सानिया के और करीब बैठ गया। उसकी जाँघें सानिया की जाँघों से सटने लगी तो सानिया के जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गयी। सुनील बोला, “पता है वो तुम्हारे बारे में और क्या कह रहे थे..!” फिर थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वो बोला, “वो कह रहे थे कि जरूर तुम्हारी झाँटें भी आ गयी होंगी!”
ये सुनते ही सानिया का दिल जैसे धड़कना ही भूल गया हो... साँसें जैसे हलक में ही अटक गयी हो... शरम और हया की जैसे कोई इंतेहा नहीं थी... पर अब वो क्या बोलती। सुनील के मुँह से ऐसे अल्फ़ाज़ सुन कर उसका पूरा जिस्म काँप गया था। उसने खुद को नादान दिखने का नाटक करते हुए पूछा, “ये क्या होती है...?” सुनील ने जब पूछा कि “तुम्हें नहीं पता झाँटें क्या होती है..?” तो सानिया ने इंकार में सिर हिला दिया। सुनील बोला, “अब मैं तुम्हें कैसे बताऊँ... देखोगी?”
सानिया का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। सुनील भी जान चुका था कि ये लड़की भी मस्ती करने के मूड में आ चुकी है और नादान बनने का सिर्फ़ नाटक कर रही है। सानिया के जवाब का इंतज़ार किये बिना सुनील खड़ा हुआ और इधर-उधर देखते हुए अपनी पैंट की ज़िप खोल दी। सान्या का दिल तो पहले ही जोर-जोर से धक-धक कर रहा था और अब हाथ-पैर काँपने लगे थे। सुनील ने ज़िप खोल कर अपने अंडरवियर के छेद को खोल कर अपने लंड को बाहर निकल लिया। सानिया ने सिर झुका रखा था इसलिये वो सुनील का लंड नहीं देख पा रही थी। फिर सुनील ने अपनी कुछ झाँटों को बाहर निकाला और सानिया के पास आकर उसके ठीक सामने खड़ा हो गया और अपनी काली झाँटों को हाथ से पकड़ कर दिखाते हुए बोला, “ये देखो... इसे कहते हैं झाँट!” सानिया को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि उसके ये कहने पर कि वो नहीं जानती कि झाँट क्या होती है... सुनील अपना लंड ही निकाल कर उसे दिखा देगा। जैसे ही सानिया ने सुनील की तरफ़ नज़र उठायी तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। उसकी आँखों के सामने सुनील का साढ़े-आठ इंच लंबा और बेहद मोटा लंड था। सुनील अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर हिलाते हुए बोला, “ये देखो... इसे कहते है लौड़ा... और ये बाल देख रही हो... इसे कहते झाँट!”
सानिया बोली, “हाय तौबा ये तुम क्या कर रहे हो..!” सानिया ने फिर से नज़रें झुका ली पर आठ इंच के तने हुए अनकटे लौड़े को देख कर उसकी पैंटी के अंदर जवान चूत में धुनकी बजने लगी थी और चूत की फ़ाँकें फड़फड़ाने लगी थी। सुनील एक बार मुस्कराया और उसने अपने लंड को अंदर कर लिया। “क्यों अच्छा नहीं लगा?” सुनील ने फिर से सानिया के पास बैठते हुए पूछा। “तुम बहोत बेशर्म हो...” सानिया ने नज़रें झुकाये हुए शर्माते हुए कहा। सुनील ने पूछा, “क्यों क्या हुआ?” तो सानिया बोली, “ऐसे भी कोई करता है क्या..?” सुनील बोला, “तुमने ही तो कहा था कि तुम्हें नहीं पता झाँट किसे कहते हैं... वैसे एक बात कहूँ... बुरा तो नहीं मानोगी..?” सानिया का दिल अब और गुदगुदा देने वाली जवानी के रस से भरपूर बातें सुनने का कर रहा था। “अभी तक मैंने तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है क्या?” सानिया का जवाब सुन कर सुनील मुस्कुरा उठा, “वैसे तुम्हारी गाँड पर सच में बहुत माँस चढ़ा है... बहुत मस्त और मोटी है!” सानिया सुनील के मुँह से ऐसी बात सुन कर एक दम से चौंक गयी, “हाय तुम ऐसी बात ना करो मुझे शरम आती है... मैं ऐसी बातें नहीं करती..!”
सुनील बोला, “अच्छा वैसे तुम्हारी मस्त गाँड देख कर मुझे सुहाना की याद आ जाती है!” “ये सुहाना कौन?” सानिया ने पूछा। “वही जिसके बारे में थोड़ी देर पहले तुम्हें बताया था... क्या मस्त गाँड थी उसकी... बिल्कुल तुम्हारी तरह... बाहर को निकाली हुई... हाइ हील की सैंडल पहन कर जब वो गाँड निकाल कर चलती थी तो दिल करता था कि उसकी गाँड को पकड़ कर मसल दूँ... जब मैं उसकी मारता था तो साली की गाँड से पादने जैसी आवाज़ आने लगती थी..!” हालाँकि सानिआ को सुनील की बातों में बेहद मज़ा आ रहा था लेकिन फिर भी शराफ़त का नाटक करती हुई बोली, “हाय अल्लआह ये तुम क्या बोल रहे हो... तुम्हें तो किसी लड़की से बात करना ही नहीं आता... बहोत गंदा बोलते हो तुम..!” सुनील ने कहा, “अब ये क्या बात हुई... मैंने कहा तो था कि मुझे ऐसे ही बोलना आता है... और मैंने सच में आज तक किसी लड़की से बात नहीं की जो मुझे पता चलता कि किसी लड़की से कैसे बात करते हैं!” सानिया बोली, “पर ऐसे भी नहीं बोलना चाहिये तुम्हें!” उसकी बात पर ध्यान ना देते हुए सुनील बोला, “अच्छा एक बात कहूँ तो मानोगी?”
“क्या..?” सनिया ने पूछा तो सुनील बोला, “पहले बताओ कि मानोगी?” सानिया ने हाँ मैं सिर हिला दिया। सुनील का आठ इंच का तन्नाया हुआ मोटा अनकटा लौड़ा देख कर उसकी चूत की तो पहले से धुनकी बज रही थी। “तुम भी मुझे अपनी झाँटें दिखाओ ना!” सुनील की ये बात सुनते ही सानिया के एक दम होश उड़ गये... वो बुत सी बनी उसको देखने लगी। “क्या हुआ सानिया... प्लीज़ दिखाओ ना... देखो अगर तुम मुझे अपना दोस्त मानती हो तो प्लीज़ दिखा दो ना... तुमने भी तो मेरी देख ली है... बोलो तुम मुझे अपना दोस्त नहीं मानती... मानती हो ना?” सानिया ने हाँ मैं सिर हिला दिया। सुनील बोला, “तो फिर दिखाओ ना..!” सानिया बोली, “अगर किसी को पता चल गया तो..?”
“नहीं चलता किसी को पता... तुमने मेरी देखी... किसी को पता चला... तुमने तो मेरा लौड़ा भी देख लिया है!” सानिया को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे और क्या ना करे। सुनील के लिये तो वो कितने दिनों से तड़प रही थी लेकिन उसे उम्मीद नहीं थी कि पहली ही डेट पे बात यहाँ तक पहुँच जायेगी। “अगर तुमने ने किसी को बता दिया तो..?” सानिया ने अपना शक ज़ाहिर करते हुए कहा तो सुनील बोला, “अब भला मैं क्यों बताने लगा... प्लीज़ दिखा दो ना... अपने दोस्त की इतनी सी भी बात नहीं मान सकती चलो मत दिखाओ... मैं आगे से तुम्हें कुछ नहीं कहुँगा...!” सुनील ने फिर से उसे जज़्बाती तौर पे ब्लैकमेल किया। “पक्का किसी को पता तो नहीं चलेगा ना?” सानिया बोली तो सुनील बेंच से खड़ा हो गया और इधर-उधर देखते हुए बोला, “मुझ पर भरोसा रखो... किसी को नहीं पता चलेगा..!”
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06-24-2019, 12:19 PM,
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RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
इससे पहले आज तक उसकी चूत में मोमबत्ती, हेयर-ब्रश का हैंडल, खीरा-बैंगन-केला वगैरह जैसी बेजान चीज़ें ही घुसी थीं लेकिन सुनील के इतने मोटे लंड का मोटा सुपाड़ा जैसे ही सानिया की चूत के अंदर घुसा तो दर्द के मारे सानिया एक दम से तड़प उठी। उसकी साँसें अटक गयीं और मुँह ऐसे खुल गया जैसे उसकी साँस बंद हो गयी हों... आँखें एक दम से पत्थरा गयीं। 'गच-गच' फिर से दो बार और ये आवाज़ आयी और साथ ही सुनील का पूरा का पूरा लंड सानिया की चूत की गहराइयों में उतर गया। "आअहहहह याआआलाहहहह ओहहहह..." सानिया एक दम से चिल्ला उठी। लेकिन अगले ही पल सुनील ने उसकी टाँगें अपने कंधों से उतार दीं और आगे झुक कर सानिया के रसीले गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नाजुक होंठों को अपने होंठों में भर लिया और उसके होंठों को अपने दाँतों से हल्का सा चबाते हुए चूसना शुरू कर दिया। गरम जवान लड़की के होंठ और चूत दोनों पा कर सुनील एक दम मस्त हो चुका था। "बस मेरी जान बस हो गया..!" सुनील ने ये कहते हुए फिर से सानिया के होंठों को चूसना शुरू कर दिया... ताकि वो चींख भी ना सके और फिर अपने मोटे मूसल जैसे लंड को अंदर-बाहर करने लगा। सानिया ने दर्द के मारे सुनील के कंधों पर अपने नाखून गड़ा दिये पर सुनील को कोई फ़र्क़ नहीं पढ़ा। वो अपना मूसल जैसा लंड उस जवान लड़की की चूत में पागलों की तरह पेलने लगा। सुनील नहीं रुका पर सानिया का दर्द अब धीरे-धीरे कमतर होने लगा था। उसकी चूत अब फिर से पानी छोड़ने लगी थी। लंड के सुपाड़े की तंग चूत की दीवारों पर हर रगड़ सानिया को जन्नत की ओर ले जने लगी। पाँच मिनट बाद ही सानिया ने मस्ती में आकर सिसकना शुरू कर दिया और वो भी धीरे-धीरे अपनी गाँड को ऊपर की ओर उछालने लगी। ये देख कर सुनील ने अपना लंड बाहर निकल कर एक झटके में उसे कुत्तिया की तरह घुटनों पर कर दिया और फिर पीछे से अपना मूसल लंड उसकी चूत में पेल दिया। फिर क्या था सुनील के जबरदस्त झटकों से उसका लंड सानिया की चूत के अंदर-बाहर होने लगा।
सुनील की माँसल जाँघें सानिया के चूतड़ों से टकरा कर 'थप-थप' की आवाज़ करने लगी। सुनील ने अपना लंड अंदर-बाहर करते हुए सानिया के दोनों चूतड़ों को फैला दिया और उसकी चूत के पानी से भीगे उसकी गाँड के छेद को अपनी उंगली से कुरेदने लगा। सानिया का पूरा जिस्म एक दम से काँप गया। बेजान चीज़ों से खुद-लज़्ज़ती के मुकाबले असल लंड से चुदवाने में इतना मज़ा आता है... ये आज सानिया को एहसास हो रहा था और वो भी सिसकते हुए सुनील के लंड को अपनी चूत की गहराइयों में महसूस कर रही थी। सानिया का पूरा जिस्म ऐंठने लगा था। उसे अपने जिस्म का सारा लहू चूत में इकट्ठा होता हुआ महसूस होने लगा। "ओहहहह सुनील येऽऽऽ मुझेऽऽऽ क्याआआ कर दियाआआ तुमनेऽऽऽ ऊउहहह हाआआय मैं पागल.... ओहहहह सुनील!"
"क्यों क्या हुआ मेरी जान... मज़ा नहीं आ रहा क्या?" सुनील ने पूछा तो सानिया सिसकते हुए बोली, "आआआहहह ऊँऊँहहह बहोत आ रहा है..!" सुनील ने पूछा, "और मारूँ क्या?" "हुम्म्म्म्म!" सानिया सिसकी। सुनील ने अपने झटकों की रफ़्तार और बढ़ा दी। अब सुनील का लंड सानिया की तंग चूत में पूरी रफ़्तार से अंदर-बाहर हो रहा था और फिर सानिया का जिस्म एक दम अकड़ने लगा। चूत का सैलाब बाहर जलजला बन कर बह निकला और उसका पूरा जिस्म झटके खाते हुए झड़ने लगा। सुनील भी उसकी गरम तंग चूत में ज्यादा देर नहीं टिक पाया और उसके चूत के अंदर ही उसके लंड ने वीर्य के बौंछार कर दी।
सानिया झड़ने के बाद बुरी तरह हाँफ रही थी। सुनील ने जैसे ही अपना लंड सानिया की चूत से बाहर निकाला तो सानिया आगे के तरफ़ लुढ़क कर उस तिरपाल पर लेट गयी और गहरी साँसें लेने लगी। सुनील कुछ देर वैसे ही घुटनों के बल बैठा रहा और सानिया के नरम और माँसल चूतड़ों को सहलाता रहा। अपनी साँसें कुछ दुरुस्त होने के बाद जैसे ही उसे अपने चूतड़ों पर सुनील का हाथ फिरता हुआ महसूस हुआ तो वो उठ कर बैठ गयी। उसने शर्माते हुए एक बार सुनील के तरफ़ देखा और फिर नीचे अपनी रानों में देखा तो उसकी चूत की फ़ाँकें उसकी चूत के गाढ़े पानी और सुनील की मनी से सनी हुई थी। सानिया शर्माते हुए बोली, "ये तुमने ठीक नहीं किया सुनील... मैं भी तुम्हारी बातों से बहक गयी!"
सुनील बोला, "अरे क्यों घबरा रही हो मेरी जान... यही तो जवानी के मज़े लूटने के दिन हैं... मैं तुम्हारा ख्याल रखुँगा ना... चलो इसे साफ़ कर लो!" "किससे साफ़ करूँ...?" सानिया ने पूछा तो सुनील ने सानिया की पैंटी उठायी और उसी से अपना लंड साफ़ करने लगा। ये देखकर सानिया एक दम से बोल पढ़ी, "अब मैं क्या पहनुँगी..?" सुनील ने हंसते हुए अपने लंड को साफ़ किया और फिर वो पैंटी सानिया की तरफ़ बढ़ाते हुए बोला, "क्यों कैप्री तो है ना... किसी को नहीं पता चलता... मैं तुम्हें घर वाली गली के बाहर छोड़ दुँगा... वहाँ से तुम पैदल चली जाना!" सानिया ने सिर झुकाये हुए सुनील के हाथ से पैंटी ली और अपनी चूत और रानों को ठीक से साफ़ किया। सानिया उसके सामने बेहद शरमा रही थी। सानिया की गोरी चिकनी जाँघें और चूत देख कर एक बार फिर से सुनील का लंड झटके खाने लगा था। उसने अभी तक अंडरवियर और पैंट नहीं पहनी थी। सुनील का लंड फिर से खड़ा होने लगा था। तभी अचानक सानिया की नज़र सुनील के झटके खा रहे लंड पर गयी जिसे देखते ही उसके दिल की धड़कने फिर से बढ़ने लगी। सानिया एक दम से खड़ी हो गयी और थोड़ा आगे खड़ी हो कर अपनी कैप्री पहनने के बाद अपनी कुर्ती पहन कर उसके हुक बंद करने लगी। सुनील सानिया की कैप्री में मटकते हुई उसके गोलमटोल चूतड़ों को देख कर पगल हो उठा। उसने जल्दी से अपनी अंडरवियर और पैंट पहनी पर उसे जाँघों तक चढ़ा कर छोड़ दिया और फिर अपनी पैंट को पकड़ कर सानिया के ठीक पीछे आकर खड़ा हो गया। सुनील ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया और उसकी लंबी सुराहीदार गर्दन पर अपने होंठों को लगा दिया। सानिया एक दम से चौंक गयी और सुनील की बाहों से निकलने की कोशिश करने लगी पर सुनील के होंठों की तपिश अपनी गर्दन पर महसूस करके वो एक दम से बेजान से हो गयी। "ऊँऊँहहह क्या क्या कर रहे हो तुम्म्म!"
"कुछ नहीं अपनी जान को प्यार कर रहा हूँ!" सुनील ने अपने होंठों को सानिया की गर्दन पर रगड़ते हुए कहा। "ऊँऊँहहह बस करो.. कोई देख लेगा आहहह...!" सानिया सिसकी तो उसकी कुर्ती के ऊपर से उसकी चूचियों को मसलते हुए सुनील बोला, "हुम्म्म यहाँ कोई नहीं देखेगा... प्लीज़ मेरी जान मुझसे रहा नहीं जा रहा आज... तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो... प्लीज़ एक बार और दे दो ना..?" सुनील लगातार सानिया की चूचियों को मसलते हुए उसकी गर्दन और गाल पर अपने होंठों को रगड़ रहा था और सानिया भी मस्त होती जा रही थी। "प्लीज़ जान एक बार और दे दो ना..!"
"क...क...क्या...?" सानिया ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में पूछा। "ऊम्म्म फुद्दी... तुम्हारी फुद्दी चाहिये!" सुनील बोला तो सानिया मस्ती में भर कर बोली, "हाय अल्लाहहहह... कैसी बातें करते हो तुम!" सुनील बोला, "प्लीज़ जान मेरे लिये इतना भी नहीं कर सकती... प्लीज़ एक बार... तुम्हें मज़ा नहीं आया क्या!" ये कहते हुए सुनील ने आगे की तरफ़ नीचे हाथ ले जाकर कैप्री का बटन खोल कर सानिया की कैप्री नीचे सरकानी शुरू कर दी। सानिया की कैप्री को उठा कर उसके घुटनों के नीचे सरका दिया और फिर अपनी टाँगों को फैला कर अपने घुटनों को मोड़ते हुए नीचे झुका और सानिया के कान में धीरे से बोला, "सानिया खोलो ना...!" सानिया ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में पूछा, "क्या?"
सुनील बोला, "अपनी टाँगें खोलो ना!" सानिया सिसकते हुए फुसफुसा कर धीरे से बोली, "ऊँम्म... कुछ हो गया तो..!" सुनील फिर उसकी गर्दन पे अपने होंठ रगड़ते हुए बोला, "मैं भला अपनी जान को कुछ होने दुँगा... प्लीज़ सानिया एक बार और कर लेना दो ना... तुम्हें मेरी कसम..!" सानिया सुनील की प्यार भरी चिकनी चुपड़ी बातें सुन कर एक दम से पिघल गयी। उसने लरजते हुए टाँगों में फंसी अपनी कैप्री को अपने पैरों मे गिरा दिया और फिर उसमें से एक पैर निकाल कर खड़े-खड़े अपनी टाँगें फैला दी। सुनील ने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर सानिया की गाँड से नीचे ले जाते हुए उसकी चूत की फ़ाँकों पर रख कर अपने लंड के सुपाड़ा को सानिया के चूत के छेद पर टिकाने की कोशिश करने लगा पर खड़े-खड़े उसे सानिया की चूत के छेद तक अपना लंड पहुँचाने में परेशानी हो रही थी।
"सानिया तुम्हारी फुद्दी के छेद पर लंड लगा क्या?" सुनील ने पूछा। "ऊँम्म्म मुझे नहीं मालूम..!" सानिया बोली। "बताओ ना..!" सुनील ने फिर पूछा तो सानिया ने कसमसाते हुए कहा, "नहीं..!" सानिया की चूत की फ़ाँकों में अपने लंड को रगाड़ कर छेद को तलाशते हुए सुनील ने फिर पूछा, "अब..?" सानिया ने फिर से ना में गर्दन हिला दी और सुनील ने फिर से अपने लंड को एडजस्ट किया और जैसे ही सुनील के लंड का दहकता हुआ सुपाड़ा सानिया की चूत के छेद से टकराया तो सानिया के पूरे जिस्म ने एक तेज झटका खाया। उसके होंठों पर शर्मीली मुस्कान फैल गयी और उसने अपने सिर को झुका लिया। सुनील ने पुछा, "अब?" सानिया ने हाँ में सिर हिलाते हुआ कहा, "हुँम्म्म्म!"
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