RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
सुनील: “अच्छा मैं अभी फ्रेश होकर बाहर से खाना ले आता हूँ... आप प्लीज़ खाना बनाने का तकल्लुफ़ मत कीजियेगा... क्या खायेंगी आप...?”
सुनील के दिल में अपने लिये परवाह और फ़िक्र देख कर रुखसाना का गुस्सा कम हो गया और उसने थोड़ा नरमी से जवाब दिया, “कुछ भी ले आ सुनील!”
सुनील उठ कर बाहर जाने लगा तो न जाने रुखसाना के दिमाग में क्या आया और वो सुनील से पूछ बैठी, “तूने ऐसी हर्कत क्यों की सुनील?”
उसकी बात सुन कर सुनील फिर से कुर्सी पर बैठ गया और सिर को झुकाते हुए शर्मसार लहज़े में बोला, “मुझे माफ़ कर दीजिये भाभी... मुझसे बहुत बड़ी गल्ती हो गयी... ये सब अंजाने में हो गया!” उसने एक बार रुखसाना की आँखों में देखा और फिर से नज़रें झुका ली।
“अंजाने में गल्ती हो गयी...? तू तो पढ़ा लिखा है... समझदार है अच्छे घराने से है... तू उस बेहया-बदज़ात अज़रा की बातों में कैसे आ गया...?” सुनील ने एक बार फिर से रुखसाना की आँखों में देखा। इस दफ़ा रुखसाना की आँखों में शिकायत नहीं बल्कि सुनील के लिये फ़िक्रमंदी थी।
सुनील नज़रें नीचे करके बोला, “भाभी सच कहूँ तो आप नहीं मानेंगी... पर सच ये है कि इसमें मेरी कोई गल्ती नहीं है... दर असल कल अज़रा भाभी बार-बार ऊपर आकर मुझे उक्सा रही थी... मैं इन सब बातों से अपना दिमाग हटाने के लिये बाहर बज़ार चला गया... बज़ार में अपने काम निपटा कर मैं लौटते हुए व्हिस्की की बोतल भी साथ लाया था। दोपहर में मैंने सोचा आप दोनों खाने के बाद शायद सो गयी होंगी तो मैं अपने कमरे में ड्रिंक करने लगा। इतने में अचानक अज़रा भाभी ऊपर मेरे कमरे में आ गयीं और बैठते हुए बोली कि अकेले-अकेले शौक फ़र्मा रहे हो सुनील मियाँ हमें नहीं पूछोगे... पीने का मज़ा तो किसी के साथ पीने में आता है... उनकी बात सुनकर मैं सकपका गया और इससे पहले कि मैं कुछ कहता वो खुद ही एक गिलास में अपने लिये ड्रिंक बनाने लगी। फिर ड्रिंक करते -करते वो फिर मुझे अपनी हर्कतों से उक्साने लगीं। मुझे ये सब अटपटा लग रहा था लेकिन अज़रा भाभी तेजी से ड्रिंक कर रही थीं और उन्हें नशा चढ़ने लगा तो उनकी हर्कतें और भी बोल्ड होने लगीं। उन्होंने अपनी कमीज़ के हुक खोल दिये और मेरी टाँगों के बीच में अपना हाथ रख कर दबाते हुए गंदी-गंदी बातें बोलने लगीं। मैंने उन्हें वहाँ से जाने को कहा और आपका वास्ता भी दिया कि रुखसाना भाभी आ जायेंगी लेकिन अज़रा भाभी ने एक नहीं मानी और मुझे नामर्द बोली... मैं फिर भी चुप रहा तो उन्होंने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये और मेरे सामने नंगी होते हुए मुझे गंदी-गंदी गालियाँ देकर उक्साने लगी कि तू हिजड़ा है क्या जो एक खूबसूरत हसीन औरत तेरे सामने नंगी होके खड़ी है और तू मना कर रहा है... भाभी मैंने भी ड्रिंक की हुई थी और आप यकीन करें कि अज़रा भाभी की उकसाने वाली गंदी-गंदी बातों से और उन्हें अपने सामने इस तरह बिल्कुल नंगी खड़ी देख कर खासतौर पे सिर्फ़ हाई हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी... मैं कमज़ोर पड़ गया और मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि मुझसे और रुका नहीं गया....!” ये कहते हुए सुनील चुप हो गया।
रुखसाना अब उसकी हालत समझ सकती थी। आखिर एक जवान लड़के के सामने अगर एक औरत नंगी होकर उक्साये तो उसका नतीजा वही होना था जो उसने अपनी आँखों से देखा था। “भाभी मैं सच कह रहा हूँ... मेरा ये पहला मौका था... इससे पहले मैंने कभी ऐसा नहीं किया था... हो सके तो आप मुझे माफ़ कर दें भाभी..!” ये कह कर सुनील ऊपर चला गया। सुनील ने बिल्कुल सच बयान किया था और वाकय में ये उसका चुदाई करने का पहला मौका था। फिर वो थोड़ी देर में फ्रेश होकर नीचे आया तो अभी भी शर्मसार नज़र आ रहा था। रुखसाना ने उसे ढाढस बंधाते हुए कहा कि उसे शर्मिंदा होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है क्योंकि उसकी कोई गल्ती नहीं है। फिर सुनील खुश होकर ढाबे से खाना लेने चला गया। रुखसाना भी उठी और तैयार होकर थोड़ा मेक अप किया और फिर टेबल पर प्लेट और पानी वगैरह रखने लगी। थोड़ी देर में सुनील भी खाना लेकर आ गया। हालांकि सुबह का नाश्ता तो सुनील ने कईं दफ़ा फ़ारूक के साथ नीचे किया था लेकिन आज पहली बार सुनील रात का खाना रुखसाना के साथ नीचे खाना खा रहा था। रुखसाना ने नोटिस किया कि हमेशा खुशमिजाज़ रहने वाला सुनील इस वक़्त काफ़ी संजीदा था और कुछ बोल नहीं रहा था। इसी बीच रुखसाना ने बड़े प्यार और नरमी से पूछा, “सुनील एक और बात बता... वो अज़रा भाभी उस दिन रात को दोबारा भी आयी थी क्या तेरे कमरे में... तेरे साथ.... हमबिस्तर...?”
“जी भाभी वो आयी थीं रात को करीब तीन-साढ़े तीन बजे... मैं गहरी नींद सोया हुआ था... गरमी की वजह से कमरा खुला रखा हुआ था मैंने... जब मेरी आँख खुली तो वो पहले से ही मेरे ऊपर सवार थीं... मैंने फिर एक बार उन्हें संतुष्ट किया और फिर वो नीचे चली गयीं... काफी नशे में लग रही थीं वो!” सुनील ने काफ़ी संजीदगी से जवाब दिया।
खाना खतम करने के बाद जब रुखसाना बर्तन उठाने के लिये उठी तो सुनील ने उसे रोक दिया और बोला, “रहने दें भाभी! मैं कर देता हूँ...!” रुखसाना ने कहा कि नहीं वो कर लेगी पर सुनील ने उसकी एक ना सुनी और उसे बेड पर आराम करने को कह कर खुद बर्तन लेकर किचन में चला गया और बर्तन साफ़ करके सारा काम खतम कर दिया। सुनील फिर से रुखसाना के बेडरूम में आया तो वो बेड पर पीछे कमर टिकाये हुई थी। सुनील ने एक गिलास पानी रुखसाना को दिया और बोला “भाभी जी... बताइये कौन सी दवाई लेनी है आपको!” रुखसाना ने उसे बताया कि उसका दर्द अब काफ़ी ठीक है और अब किसी दवाई की जरूरत नहीं है। तभी सुनील के नज़र साइड-टेबल पे रखी हुई बाम पर गयी तो वो बोला, “चलिये आप लेट जाइये... मैं आपकी कमर पर बाम लगा कर मालिश कर देता हूँ... आपका जो थोड़ा बहुत दर्द है वो भी ठीक हो जायेगा!”
वो सुनील को मना करते हुए बोली, “नहीं रहने दे सुनील... मैं खुद कर लुँगी...!”
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