RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
सुनील की तरह रुखसाना ने भी एक ही घूँट में गिलास खाली कर दिया। आज उसे शराब पिछली रात से थोड़ी ज्यादा स्ट्रॉंग और तीखी लगी क्योंकि आज सुनील ने दोनों गिलासों में नीट व्हिस्की डाल राखी थी। फिर सुनील ने कामरे की लाइट ऑफ करके नाइट लैम्प ऑन कर दिया और अपने फोन पे कम वल्यूम पे पुराना गाना चला दिया, “आओ मानायें जश्न-ए-मोहब्बत... जाम उठायें जाम के बाद...!” और रुखसाना को बाहों में भर कर धीरे-धीरे थिरकने लगा। नाइट लैम्प की मद्दिम सी नीली रोशनी के साथ-साथ कमरे में खुली खिड़कियों से चाँद की चाँदनी भी बिखरी हुई थी । गर्मी का मौसम था लेकिन बाहर से हल्की-हल्की ठंडी पूर्वा हवा बह रही थी। रुखसाना को सुनील का तैयार किया हुआ ये रंगीन और रुमानी समाँ बेहद दिलकश लग रहा था और वो भी सुनील के सीने में चेहरा छुपाये और उसकी कमर में बांहें डाल कर उससे चिपक कर गाने की धुन पे धीरे-धीरे थिरकने लगी। सुनील के हाथ में व्हिस्की की बोतल थी और दोनों एक दूसरे के आगोश में थिरकते-थिरकते बीच-बीच में उस बोतल से व्हिस्की के छोटे-छोटे घूँट पी रहे थे। वही गाना बार-बार लूप में चल रहा था।
थिरकते हुए सुनील के हाथ रुखसाना की कमर से चूतड़ों तक हर हिस्से को सहला रहे थे। एक पराये मर्द... वो भी उम्र में उससे पंद्रह साल छोटा... उससे इतनी तवज्जो... इतनी मोहब्बत.... इतना सुकून उसे मिलेगा... रुखसाना ने ज़िंदगी में कभी सोचा नहीं था। जल्दी ही रुखसाना पे शराब का नशा भी सवार होने लगा था और इतने रोमांटिक माहौल में वो सुरूर में मस्त हो चुकी थी और उसे इस वक़्त दीन-दुनिया की कोई खबर नहीं थी। वो आज इस सुरूर-ओ-मस्ती के समंदर में डूब जाना चाहती थी। इसी बीच कब व्हिस्की की बोतल उसने सुनील के हाथ से अपने हाथ में ले ली उसे पता हा नहीं चला। नशे की खुमारी में सुनील के कंधे पे सिर टिकाये उससे लिपट कर थिरकती हुई वो बीच-बीच में व्हिस्की के छोटे-छोटे सिप ले रही थी।
सुनील ने अब रुखसाना के कपड़े उतारने शुरू कर दिये... वहीं थिरकते-थिरकते खड़े-खड़े ही। मदहोशी में रुखसाना ने ज़रा भी मुखालिफ़त नहीं की बल्कि वो तो नंगी होने में सुनील का साथ दे रही थी जब वो धीरे-धीरे उसके कपड़े खोल रहा था। थोड़ी ही देर में उसका शरारा सूट उसके जिस्म से अलग हो चुका था! नाइट लैंप और चाँदनी रात की मद्दिम सी रोशनी में अब वो बिल्कुल नंगी आँखें बंद किये सुनील के कंधे पे सिर रख कर उससे लिपटी हुई नाच रही थी। फिर सुनील उससे थोड़ा अलग हुआ और रुखसाना को कुछ सरसराहट सुनायी दी। उसका दिल ये सोच कर धोंकनी की तरह बजने लगा कि सुनील भी अपने कपड़े उतर रहा है। फिर एक सख्त सी गरम चीज़ रुखसाना को अपनी रानों पर चुभती हुई महसूस हुई तो उसका जिस्म एक दम से थरथरा गया ये सोच कर कि सुनील का तना हुआ लंड उसकी रानों से रगड़ खा रहा था।
फिर अचानक से पता नहीं क्या हुआ… सुनील उससे बिल्कुल अलग हो गया। रुखसाना को नशे की खुमारी में समझ में नहीं आया कि आखिर हुआ क्या... लेकिन तभी अचानक कमरे की ट्यूब- लाइट ऑन हो गयी और कमरा पुरी तरह रोशन हो गया। अचानक तेज़ रोशनी से रुखसाना की आँखें चौंधिया गयीं। रुखसाना कमरे के ठीक बीचोबीच शराब की बोतल हाथ में पकड़े और सिर्फ़ ज़ेवर और सुनहरे रंग के हाई पेन्सिल हील के सैंडल पहने एक दम मादरजात नंगी खड़ी थी। सुनील लाइट के स्विच के पास खड़ा रुखसाना के तराशे हुए संगमरमर जैसे गोरे नंगे जिस्म को निहारते हुए अपने मूसल जैसे लंड को हाथ में लेकर सहला रहा था। नशे की हालत में भी रुखसाना शरमा गयी लेकिन उसने अपना नंगापन छुपाने की कोशिश नहीं की। “सुनील! ये क्या... प्लीज़ बंद कर दे ना मुझे शर्म आती है... कितना शैतान है तू!” रुखसाना कुनमुनाते हुए नशे में लरज़ती आवाज़ में बोली। वो हाई हील के सैंडल पहने नशे में ठीक से एक जगह खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। “ऑफ़ कर दे और मेरे करीब आ ना... जानू!” वो कुनमुनाते हुए सुनील के लौड़े की तरफ़ देखते हुए बोली और नशे में झूमती हुई अचानक धम्म से फ़र्श पे टाँगें फ़ैला कर बैठ गयी। उसने अपनी पीठ पीछे बेड से टिका रखी थी। सुनील लाइट बंद किये बगैर रुखसाना की तरफ़ बढ़ा। सुनील का तना हुआ लौड़ा हवा में लहरा रहा था जिसे देख कर रुखसाना की चूत फड़फड़ाने लगी। सुनील उसके पास आया और उसके चेहरे के बिल्कुल सामने अपना लौड़ा लहराते हुए खड़ा हो गया।
“वॉव भाभी इस वक़्त आप जन्नत की हूरों से भी ज्यादा हसीन लग रही हो... आपको इस तरह देख कर तो मुर्दों के लंड भी खड़े हो जायें!” सुनील अपना लौड़ा उसके चेहरे को छुआते हुए बोला तो रुखसाना ने मुस्कुराते हुए नज़रें झुका लीं। रुखसाना की तारीफ़ सुनील ज़रा भी बढ़ा चढ़ा कर नहीं कर रहा था बल्कि हकीकत बयान कर रहा था। ट्यूब-लाइट की रोशनी में घुटने मोड़ कर टाँगें फैलाये बैठी रूखसाना का दमकता हुआ चिकना नंगा जिस्म... बालों में झूमर... गले में सोने का नेकलेस... कानों में लटकते हुए सोने के बूँदे... दोनों हाथों में एक-एक चौड़ा कंगन और पैरों में बेहद ऊँची और पतली हील वाले कातिलाना सुनहरी सैंडल... होंठों पे लाल लिपस्टिक.... गालों पे लाली... बेशक रुखसाना क़यामत ढा रही थी। उसकी नशीली आँखों में शरम भी थी और शरारत भी थी... थोड़ी घबराहट के साथ-साथ बेकरारी और प्यास भी मौजूद थी। सुनील का लंड तो बिल्कुल लोहे के रॉड जैसा सख्त हो गया था। फिर अपने लौड़े का सुपाड़ा रुखसाना के लरज़ते लबों पे लगाते हुए सुनील बोला, “लो भाभी इसे अपने नर्म होंठों से प्यार कर दो ना!” इससे पहले सुनील को लंड चुसवाने का एक ही बार तजुर्बा था... जब अज़रा ने उसका लंड चूस-चूस कर उसका पानी निकाल कर पिया था। सुनील को बेहद मज़ा आया था। रुखसाना को भी खास तजुर्बा नहीं था लंड चूसने का। दास साल पहले शादी के बाद शुरू-शुरू में फ़ारूक़ उससे लंड चुसवाता था। उसके बाद तो उसने सिर्फ़ अज़रा को ही फ़ारूक लंड चूसते और उसकी मनी पीते हुए देखा था।
सुनील का जवान बिला-कटा लंबा-मोटा लंड रुखसाना को अपने चेहरे के सामने सख्त हो कर लहराता हुआ बेहद हसीन लग रहा था और उसने धीरे से अपने होंठ सुनील के लंड के चिकने सुपाड़े पे रख दिये और चूमने लगी और फिर एक हाथ से उसे पकड़ कर एक बार उसे आगे से पीछे तक सहलाने के बाद अपने होंठ खोल कर सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और अपनी ज़ुबान उसके इर्द-गिर्द फिराने लगी। सुनील की मस्ती में आँखें मूँद गयी और होठों से सिसकरी निकल पड़ी, “ऊउहहह भाआआआभी...! रुखसाना को भी अपनी मुट्ठी और होंठों और ज़ुबान पे सुनील के सख्त गरम लौड़े का एहसास दीवाना बना रहा था। सुनील के लंड की गर्मी रुखसाना की मुट्ठी और होंठों से उसके जिस्म में समाती हुई सीधी उसकी चूत तक जा रही थी। फिर रुखसाना ने मज़े से चुप्पे लगाने शुरू कर दिये। जल्दी ही रुखसाना उसका आधे से ज्यादा लंड मूँह में अंदर-बाहर लेते हुए चूस रही थी। सुनील इतना उत्तेजित हो गया कि उसने रुखसाना का सिर पकड़ के अचानक जोर से धक्का मारते हुए अपना पूरा लौड़ा रुखसाना के हलक तक ठेल दिया। रुखसाना की तो साँस ही घुट गयी और वो तड़प उठी। सुनील ने अपना लौड़ा फ़ौरन बाहर खींच लिया तो रुखसाना खाँसते हुए जोर-जोर से साँसें लेने लगीं। “सॉरी भाभी... मैं रोक नहीं पाया खुद को!” सुनील बोला। रुखसाना की साँसें बहाल हुई तो उसने मुस्कुराते हुए सुनील को तसल्ली दी कि कोई बात नहीं। रुखसाना ने फिर अपने थूक से सना हुआ लौड़ा मुट्ठी में ले लिया और सहलाते हुए दूसरे हाथ में अपनी बगल में फर्श पे ही रखी व्हिस्की की बोतल लेकर एक छोटा सा घूँट पी लिया। उसके बाद उसने फिर सुनील के लंड के सुपाड़े को मुँह में ले कर चुप्पा लगाया तो सुनील को अलग ही मज़ा आया।
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