RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
रघू धीरे धीरे लौडा पेलता रहा जल्द ही वह अपने धक्कों का ज़ोर बढ़ाने लगा अब वह पाँच छह इंच लंड मेरी गान्ड से निकालता और फिर अंदर घुसेड देता मख्खन से चिकनी गान्ड मे आसानी से उसका लंड फिसल रहा था पूचुक पूचुक ऐसी मस्त आवाज़ भी आ रही थी
"हाय मज़ा आ गया मुन्ना! तेरे पे कुर्बान जाऊ मेरी जान क्या गान्ड है तेरी! मखमली कसी चूत समझ लो बच्चाचूत है, हाय हाय राजा, मैं तो तेरा गुलाम हो गया" कहता हुआ रघू हचक हचक कर मेरी गान्ड मारने लगा उसके और मंजू के बीच मे मे पिसा जा रहा था पर बहुत मज़ा आ रहा था रघू के धक्कों से अपने आप मेरा लंड मंजू की चूत मे अंदर बाहर हो रहा था
कुछ देर बाद मैं एक हिचकी के साथ कस कर झड गया लंड मे होते अती तीव्र सुख से मुझे गश सा आ गया "मुन्ना झड गया रघू बेटे अब तू भी मार ले उसकी"
रघू मुझे चोदते हुए बोला "नहीं अम्मा, अभी नहीं, ये अनमोल चीज़ मिली है तो अभी घंटे भर और मारूँगा आज रात भर मुन्ना की गान्ड मे लंड रहेगा मेरा तू पडी रह मुन्ना पूरा झड जाए तो बताना उसकी मलाई खाऊन्गा तेरी चूत से"
पाँच मिनिट बाद मंजू हमारे नीचे से निकली और सामने बैठ गयी उसकी चुदी बुर मे से मेरा वीर्य बह रहा था रघू ने जीभ निकालकर उसे चाटा और फिर मुझे गोद मे लेकर पलंग के सिरहाने से टिककर बैठ गया मेरे गाल और कान बड़े लाड से चूमते हुए बोला "थोड़ी देर रुकता हूँ, फिर तेरी मारूँगा मुन्ना अब एकदमा मस्त मारूँगा तुझे खुश कर दूँगा तू भी कहेगा कि क्या मारी है रघू दादा ने मेरी कुँवारी गान्ड! चल मीठा चुम्मा दे अब मुझे"
और मेरा सिर अपनी ओर मोडकर रघू मुझे चूमने लगा उसका लोहे जैसा लंड अब भी मेरे चूतडो के बीच गढ़ा था और मेरे पेट तक घुसा हुआ था मेरे पेट के उपर से उसके सुपाडे का आकर दिख रहा था मंजू उसपर प्यार से हाथ फेरकर बोली "बहुत नाज़ुक लौंडा है, देख तेरा लंड भी दिखता है इसके पेट की गोरी चमडी के नीचे"
अब झडने के बाद मस्ती उतरने के कारण मुझे ज़्यादा दर्द हो रहा था पर मैं उसे सहता हुआ रघू के चुम्मो का जवाब दे रहा था मुझे आज समझ मे आया था कि लड़कियों को चुदाने मे क्या मज़ा आता होगा! मैं इसी मूड मे था कि जैसे मैं रघू की चुदैल रंडी बना कर रहूं
रघू ने मेरी जीभ चुसी और अपनी चुसवाई मेरी गान्ड मे अपना लौडा मुठियाते हुए उसने हौले हौले मेरे निपल मसलने शुरू किए मैं सुख से सिसक उठा मुझे बिलकुल अंदाज़ा नहीं था कि मेरे निपालों मे इतनी मीठी अनुभूति हो सकती है मेरे आनंद को देखकर रघू मेरे निपलो को उंगली और अंगूठे मे पकडकर खींचखींचकर उन्हें मस्त करने लगा "अम्मा देख, लड़कियों जैसे खड़े हैं मुन्ना के बेर!"
मंजू ने बड़ी उत्सुकता से पास आकर उन्हें देखा और फिर झुककर मेरे निपल चूसने लगी बीच मे ही उसने दाँतों से हल्के से उन्हें काट खाया मैं दर्द और मीठी कसक से कराह उठा
"इसकी मा के भी मस्त निप्पल हैं मा पर गया है लड़की होता तो चुचियाँ भी मा जैसी बड़ी बड़ी होतीं इसकी" मंजू मज़ाक करते हुए बोली फिर झुक कर मेरा लंड अपनी चूची से रगडने लगी कुछ ही देर मे मैं फिर तन्ना गया और रघू की गोदी मे हिल डुलकर उसके लंड से अपनी गान्ड चुदवाने की कोशिश करने लगा
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