XXX CHUDAI नौकरी के रंग माँ बेटी के संग
09-20-2017, 11:36 AM,
#5
RE: XXX CHUDAI नौकरी के रंग माँ बेटी के संग
कहते हैं कि औरतों को ऊपर वाले ने यह गुण दिया है कि वो झट से यह समझ जाएँ कि सामने वाली की नज़र अच्छी है या गन्दी…
मेरी नज़रों का निशाना अपनी चूचियों की तरफ देखते ही भाभी के गाल अचानक से लाल हो गए और वो शरमा कर खड़ी हो गईं।
मैं भी हड़बड़ा कर खड़ा हो गया और हम दोनों एक दूसरे से नज़रें चुराते हुए चुपचाप खड़े ही रहें… मानो हम दोनों की कोई चोरी पकड़ी गई हो!
‘समीर जी, आप ऐसा करें कि फिलहाल मेरे दूध का बर्तन रख लें मैं बाद में आपसे ले लूंगी…’ भाभी ने अपने शर्म से भरे लाल-लाल गालों को और भी लाल करते हुए मेरी तरफ देख कर कहा और कुछ पल के लिए वैसे ही देखती रहीं..
मैं कमीना, जैसे ही भाभी ने दूध का बर्तन कहा, मेरी नज़र फिर से उनकी चूचियों पर चली गईं जो तेज़ तेज़ साँसों के साथ ऊपर नीचे होकर थरथरा रही थीं…
अचानक मेरी नज़रें उनकी गोलाइयों के साथ घूमते घूमते चूचियों के ठीक बीच में ठहर गईं जहाँ दो किशमिश के दानों के आकार वाले उभार मेरे तजुर्बे को सही ठहरा रही थीं…
यानि रेणुका भाभी ने सचमुच अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी।
इस बात का एहसास होते ही उनकी चूचियों के दानों को एकटक निहारते हुए मैंने एक लम्बी सांस भरी…
मेरी साँसों की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि भाभी का ध्यान मेरे चेहरे से हट गया और उनकी आँखें नीचे झुक गईं…
यहाँ भी बवाल… नीचे हमारे लंड महाराज बाकी की कहानी बयाँ कर रहे थे।
अब तो रेणुका का चेहरा सुर्ख लाल हो गया… एक दो सेकंड तक उनकी निगाहें मेरे लंड पे टिकीं, फिर झट से उन्होंने नज़रें हटा लीं।
‘अब मुझे जाना चाहिए… आप को भी दफ्तर जाना होगा और वन्दना भी कॉलेज जाने वाली है…’ रेणुका जी ने कांपते शब्दों के साथ बस इतना कहा और शर्मीली मुस्कान के साथ मुड़ कर वापस चल दीं।
उनके चेहरे की मुस्कान ने मेरे दिल पे हज़ार छुरियाँ चला दी… मैं कुछ बोल ही नहीं पाया और बस उन्हें पीछे से देखने लगा अपनी आँखें फाड़े फाड़े!
हे भगवन… एक और इशारा जिसने मुझे पागल ही कर दिया… उनका गाउन पीछे से उनकी चूतड़ों के बीच फंस गया था… यानि…
उफ्फ… यानि की उन्होंने उस गाउन के अन्दर न तो ब्रा पहनी थी और ना ही नीचे कोई पैंटी-कच्छी…!!
मेरा हाथ खुद-ब-खुद अपने लंड के ऊपर चला गया और मैंने अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया।
रेणुका तेज़ क़दमों के साथ दरवाज़े से बाहर चली गईं…
मैं उनके पीछे पीछे दरवाज़े तक आया और उन्हें अपने खुद के घर में घुसने तक देखता ही रहा।
मैं झट से अपने घर में घुसा और बाथरूम में जाकर अपन लंड निकाल कर मुठ मारने लगा।
बस थोड़ी ही देर में लंड ने ढेर सारा माल बाहर उगल दिया…
मेरा बदन अचानक से एकदम ढीला पड़ गया और मैंने चैन की सांस ली।
मैं बहुत ही तरो ताज़ा महसूस करने लगा और फटाफट तैयार होकर अपने ऑफिस को चल दिया। 
जाते जाते मैंने एक नज़र रेणुका भाभी के घर की तरफ देखा पर कोई दिखा नहीं।
मैं थोड़ा मायूस हुआ और ऑफिस पहुच गया।
ऑफिस में सारा दिन बस सुबह का वो नज़ारा मेरी आँखों पे छाया रहा.. रेणुका जी के हसीं उत्तेज़क चूचियों की झलक… उनकी गांड की दरारों में फंसा उनका गाउन… उनके शर्म से लाल हुए गाल और उनकी शर्माती आँखें… बस चारों तरफ वो ही वो नज़र आ रही थीं।
इधर मेरा लंड भी उन्हें सोच सोच कर आँसू बहाता रहा और मुझे दो बार अपने केबिन में ही मुठ मारनी पड़ी।
किसी तरह दिन बीता और मैं भागता हुआ घर की तरफ आया… घर के बाहर ही मुझे मेरी बेचैनी का इलाज़ नज़र आ गया।
घर के ठीक बाहर मैंने एक गोलगप्पे वाले का ठेला देखा और उस ठेले के पास रेणुका अपनी बेटी वन्दना के साथ गोलगप्पे का मज़ा ले रही थीं।
मुझे देखकर दोनों मुस्कुरा उठीं।
मैंने भी प्रतिउत्तर में मुस्कुरा कर उन दोनों का अभिवादन किया।
‘आइये समीर जी… आप भी गोलगप्पे खाइए… हमारे यहाँ के गोलगप्पे खाकर आप दिल्ली के सारे गोलगप्पे भूल जायेंगे… ‘
मेरी उम्मीदों के विपरीत ये आवाज़ वन्दना की थी जो शरारती हसीं के साथ मुझे गोलगप्पे खाने को बुला रही थी।
मैं थोड़ा चौंक गया और एक बार रेणुका जी की तरफ देखा.. मुझसे नज़रें मिलते ही वो फिर से सुबह की तरह शरमा गईं और नीचे देखने लगीं, फिर थोड़ी ही देर बाद कनखियों से मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगीं… 
उनकी इस अदा ने मुझे घायल सा कर दिया और मैं अन्दर ही अन्दर गुदगुदी से भर गया।
लेकिन जल्दी ही रेणुका जी की तरफ से अपनी नज़रें हटा कर वन्दना की तरफ देख कर मुस्कुराने लगा।
‘अच्छा जी… आपके यहाँ के गोलगप्पे इतने स्वादिष्ट हैं जो मुझे दिल्ली के गोलगप्पे भुला देंगे…?’ मैंने भी उसे जवाब दिया और उनकी तरफ बढ़ गया।
ठेले के करीब जाकर मैं उन दोनों के सामने खड़ा हो गया और गोलगप्पे वाले से एक प्लेट लेकर गोलगप्पे खाने को तैयार हो गया।
‘भैया इन्हें बड़े बड़े और गोल गोल खिलाना… ये हमारे शहर में मेहमान हैं तो इनकी खातिरदारी में कोई कमी न रह जाये।’ वन्दना ने मेरी आँखों में एक टक देखते हुए शरारती मुस्कान के साथ गोलगप्पे वाले को कहा।
Reply


Messages In This Thread
RE: XXX CHUDAI नौकरी के रंग माँ बेटी के संग - by sexstories - 09-20-2017, 11:36 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 13,861 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 6,656 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 4,591 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,756,529 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 577,463 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,343,621 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,027,981 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,805,042 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,206,184 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,168,381 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)