RE: XXX Chudai Kahani प्यारी मौसी
प्यारी मौसी पार्ट--3
गतान्क से आगे........
सभी की सेवा करने का दिल कर रहा है.ये कहते हुए मैं एक
दम झाड़ गया. मौसी एक बार फिर से मेरे साथ साथ झाड़ गयी,
हम दोनो इस चुदाई से बिल्कुल पसीने से भीग गये थे.मैने मौसी की नंगी पीठ पर किस
किया.
फिर मैं जाकर फ्रेश हो गया.और नंगा ही घर में घूमने लगा.मौसी
ब्रेकफास्ट लगाने लगी और मैं बैठकर मौसी को देख रहा था,मौसी भी
ब्रेकफास्ट करने के लिए बैठने लगी तो मैने उनका हाथ खिचकर अपनी गोदी में
बिठा लिया जिससे मेरा लंड खड़ा हो गया और मौसी की गांद पर दस्तक देने
लगा.
मौसी बोली कि तेरा ये नाग फिर से खड़ा हो गया है.इसे शांत कर,मैने
कहा मौसी ये नाग तो तुम्हारे बिल में जाकर ही शांत होगा.
मैने मौसी के गाउन
को नीचे से उठाया और मौसी ने मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत में डाल
दिया.फिर हम ऐसे ही बैठकर ब्रेकफास्ट करने लगे और चुदाई भी.
ब्रेकफास्ट
करने के बाद मौसी नहाने जाने लगी तो मैने कहा कि मौसी मैं भी नहाउँगा
आज तुम्हारे साथ तो मौसी हसणे लगी और मैं भी उनके साथ बाथरूम में घुस
गया.
मैने मौसी का गाउन उतारा और कहा कि मौसी आज मैं नहलाउँगा तुम्हे.मैने
भी अपना अंडरवेर उतार दिया.
मैने मौसी को शवर के नीचे खड़ा किया और
फिर अपने पीछे बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया.
मौसी ने अपने आपको शवर के नीचे रख कर अपने हाथों को दीवाल से टीका
दिया,मैं ठीक उनके पीछे खड़ा था और अपने हाथ मे साबुन और एक छ्होटा
तौलिया लिए अपने मौसी को साबुन लगाने के लिए खड़ा था.
"मैं कहा से शुरू
करूँ?” मैने मौसी से पूछा"मेरे हाथ," मौसी बोली, "ठीक जैसे तुम अपने
हाथों पर साबुन लगाते हो, वैसे ही मेरे हाथों पर साबुन लगाओ.”
मैने
छ्होटे तौलिया पर साबुन लगाया और मौसी के हाथों को साबुन लगा कर धोना
शुरू कर दिया.
मैने पहले हाथों पर साबुन वाला तौलिया मला, फिर कंधों
पर फिर बगल मे और फिर पीठ पर साबुन से मला और फिर साबुन को पानी से धो
दिया.
फिर मैने मौसी को घुमा कर खड़ा कर दिया. और साबुन को पानी से धोने
लगा.
मैं अपने आपको मौसी से चिपका कर खड़ा था और हाथों को पीछे ले
जाकर साबुन को पानी से धो रहा था.
मेरा खड़ा लंड मौसी के पेट मे चुभ रहा
था, मौसी की चूंची मेरी छाती से रगड़ रही थी.
मेरा हाथ अब मौसी के
चूतर के ऊपेर घूम रहा था और फिर मैने मौसी के चूतर पकड़ कर मौसी को
अपने आप से चिपका लिया.
मौसी के हाथ भी मेरे गले के दोनो तरफ थे और वो
भी मेरे से अपने आप से चिपका कर खड़ी थी. "ओह्ह्ह, कुश..." मौसी धीरे से
फुसफुसा कर बोली."ष्ह्ह्ह," मैं धीरे से बोला, "फिर से घूम जाओ और मैं अब
तुम्हारे सामने साबुन लगाउँगा.”
मैं थोड़ा पीछे हटा और मौसी घूम कर खड़ी
हो गयी और फिर से अपने हाथों को दीवार से टिका दिया. मैने फिर से साबुन वाला
तौलिया उठा कर पीछे से मौसी के पेट पर मलना शुरू किया और धीरे धीरे अपने
हाथों को ऊपेर ले जाने लगा और थोड़ी देर के बाद मेरे हाथ मौसी की
चूंची पर थे जिनको मैने साबुन लगा
लगा कर धोना शुरू कर दिया.
मौसीने भी झुककर अपने चूतर मेरे लंड से लगा
दिए और उसकी ठोकर अपने गंद के छेद पर महेसुस करने लगी."ओह्ह्ह कुश,"
मौसी धीरे से बोली, "तुम अपनी मौसी की कितनी सेवा कर रहे हो,मुझे बहुत अच्छा
लग रहा है."
मौसी ने अपनी गंद को फिर से मेरे लंड से रगड़ा और उसके धक्के
अपनी गंद की छेद पर महसूस करने लगी. अब मैं थोड़ा पीछे हट गया. "अब
मैं आपकी पैर और पीछे साबुन लगा कर सॉफ करूँगा,"
मैं धीरे से बोला और
मौसी के पीछे बाथरूम में अपने घुटने के बल बैठ गया.
मैने फिर से
छोटे तौलिया पर साबुन लगाया और पहले मौसी के पैर के पंजे, फिर पैर के
पिंडली और जांघों पर साबुन मला और धीरे धीरे मैने अपना हाथ मौसी की
झांतों से धकि चूत तक ले गया.
फिर मैं मौसी की चूत पर साबुन मलने
लगा. "मौसी अपना एक पैर थोड़ा उठा कर टब के ऊपेर रखो और थोड़ा सा सामने
झुक जाओ, प्लीज़.
मुझे इससे तुम्हारे चूतर में साबुन लगाने मे आसानी होगी,”
मैं अपनी मौसी जान से बोला.
मौसी ने ठीक वैसे ही किया जैसा कि मैने कहा
और झुक अपने पैरों के बीच से मेरा तन्नाए हुए लंड को देखने लगी.
मौसी
देख रही थी कि मैने फिर से छोटे तौलिया मे साबुन लगाया और अपने हाथों
से मौसी के चूतरों पर साबुन लगाना शुरू कर दिया.
फिर मैने मौसी के
चूतरों को साबुन लगा करके मौसी की गांद के छेद पर भी साबुन लगाया.
मैं साबुन
मौसी की गांद की छेद पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ रहा था.
अब मैने अपने हाथों
में साबुन लगा कर मौसी के गांद के छेद पर लगा कर धीरे से दबाया और
अपनी उंगली गंद के अंदर कर दी. "ओह्ह्ह्ह...कुश जान," मौसी चीखी, "तुम मेरे
साथ क्या कर रहे हो?”
"मौसी,मैं सिर्फ़ ये देख रहा हूँ कि आपका पीछे का छेद
बिल्कुल सॉफ है कि नही" मैं अपनी मौसी से बोला और अपनी उंगली को और थोड़ा
सा अंदर कर दिया. मौसी हल्की सी कसमसाई.
मैने अपनी उंगली निकाल ली, लेकिन
फिर से अपनी उंगली
मौसी की गांद में घुसेड दी और धीरे धीरे अपनी उंगली मौसी की गांद मे
अंदर बाहर करने लगा.
मैं अब झुककर अपनी मौसी के पैरों के बीच से देखने
लगा कि मौसी के होंठ खुले हुए है और आँखें बंद हैं.
"मौसी, तुमको अच्छा
लगा," मैने धीरे से पूछा. "एम्म्म...तुम अपनी मौसी के शरीर की सफाई बहुत
अच्छी तरफ से कर रहे हो.
अपनी उंगली को थोडा और अंदर करो.” मैने अपनी
उंगली पूरी की पूरी मौसी की गांद मे घुसेड दी और मौसी के मुँह से हल्की सी
चीख निकल गयी.
मैं अपना चहेरा उठा कर अपनी मौसी को देखने लगा और
देखा कि मौसी की गोल गोल चूंची उसके उंगली के हर धक्के के साथ हिल रही
है.
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