XXX Hindi Kahani घाट का पत्थर
05-30-2020, 01:35 PM,
#9
RE: XXX Hindi Kahani घाट का पत्थर
एक दिन राज काम से लौटकर अपने कमरे में आया तो क्या देखता है कि उसका सब सामान, बिस्तर, ट्रंक आदि बंधा पड़ा है। पहले तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास न हुआ, परंतु दूसरे ही क्षण वह क्रोधित हो उठा था। इतने में जमींदार साहब कमरे में आ गए। राज कुछ घबरा-सा गया और उसने सिमटकर मुंह नीचे कर लिया।

'क्यों राज, तुम्हारे चेहरे का रंग क्यों पीला पड़ गया?'

जमींदार साहब की आवाज में काफी नरमी देखकर राज ने अपना चेहरा ऊपर उठाया और इतना ही बोल पाया 'नहीं, परंतु यह सब....।'

'तुम्हारा ही असबाब है। तुम आज रात की गाड़ी से बंबई जा रहे हो, अपनी इच्छा से नहीं, बल्कि मेरी आज्ञा से।'

'परंतु इतनी जल्दी....।'

'किंतु परंतु मैं कुछ नहीं सुनना चाहता। जल्दी से मुंह-हाथ धो लो, जो आवश्यक वस्तुएं ले जानी हैं बांध लो। खाना तैयार करने के लिए कह दिया है। समय कम है और काम अधिक। मुनीमजी और हरिया गाड़ी पर बिठा आवेंगे।'

राज प्रसन्नता से फूला न समाया। वह समझ न सका कि यह सब स्वप्न था या सत्य। उसकी आंखों में प्रसन्नता के आंसू थे। शीघ्र ही वह तैयारी करने में लग गया। मुनीमजी और हरिया उसका हाथ बंटाने लगे। जैसे-जैसे राज के जाने का समय निकट आता था जमींदार साहब का दिल बैठता जाता। पंरतु उन्होंने कोई ऐसा भाव अपने मुख पर न आने दिया।

अंत में समय आ ही पहुंचा। स्टेशन गांव से कोई चार कोस की दूरी पर था। जाना भी जल्दी था। हरिया सारा सामान लेकर नीचे सड़क पर जा चुका था। जमींदार साहब ने सौ-सौ के पांच नोट राज को देते हुए कहा 'इन्हें सावधानी से बॉक्स में रख लेना और मुनीमजी, यह लीजिए, आप टिकट लेकर बाकी पैसे राज को दे देना।'

'पिताजी यदि जीवन भी लगा दं तो भी आपका एहसान नहीं चुका सकता, फिर भी यदि नाचीज किसी काम आ सके तो अवश्य आदेश दीजिएगा।' यह कहते हुए राज ने जमींदार साहब के पांव छुए।

जमींदार साहब ने उठाकर उसे गले लगाया। उनकी आंखों में आंसू थे। उन्हें ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई अमूल्य वस्तु उनसे सदा के लिए दूर जा रही हो।

'अब तुम एक नए जीवन में प्रवेश कर रहे हो। देखना, इस बूढ़े बाप को न भूल जाना।'

'यह भी संभव है क्या कि मैं आपको भूल जाऊं? मैं कोई सदा के लिए तो जा नहीं रहा हूं, अवसर मिलने पर आपको मिलता ही रहूंगा।'

'देखो, सेठ श्यामसुंदर का पता ले लिया है न?'

'जी। वह मेरे पास है।'

'मेरी ओर से उन्हें बहुत-बहुत पूछना और कहना कि कभी समय मिले तो कुशल-मंगल का पत्र ही लिखते रहा करें।'

'अच्छा अब आप विश्राम कीजिए, मैं चलता हूं।' राज ने पिता के पांव अंतिम बार छुए और सड़क की ओर चल पड़ा।

'मुनीमजी, टिकट दूसरे दर्जे का लेना और किसी में जगह न मिलेगी।'


जमींदार साहब की आंखों से आंसू टपक पड़े। वह देर तक ड्योढ़ी में खड़े राज को देखते रहे। जब वह आंखों से दूर हो गया तो हवेली में प्रवेश किया, चारों ओर सन्नाटा-सा छा रहा था। एक थके यात्री की भांति, जिसका कोई निर्दिष्ट न हो, वह बरामदे में बिछे तख्त पर जा बैठे।
*
Reply


Messages In This Thread
RE: XXX Hindi Kahani घाट का पत्थर - by hotaks - 05-30-2020, 01:35 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 2,249 10 hours ago
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 1,097 11 hours ago
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 907 11 hours ago
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,743,152 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 575,020 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,337,374 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,020,702 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,795,215 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,198,725 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,155,104 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)