XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर
07-12-2018, 01:18 PM,
#7
RE: XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर
पहले तो चमेली तिलमिलाई फिर हर धक्के का मज़ा लेने लगी, " जीजाजी आप 
आदमी नही सांड (बुल) है.... जहाँ चूत देखी पिल परे.... अब जब मेरी बुर 
में घुसा ही दिया है तो देखूँगी की तुम्हारे लौरे मे कितना दम है.... 
चोदो राजा चोदो इस बार चुदाई का पूरा सुख उठाउंगी... हाई मेरे चुदक्कर जीजा 
फाड़ कर लाल कर दो इस बर को .... और ज़ोर से कस-कस कर धक्का मरो .... ओह 
अहह इसस्स्स्सस्स बहुत मज़ा आ रहा है" चमेली जानती थी कि मैं बाथरूम 
में हूँ इसलिए मेरे निकलने के पहले झार लेना चाह रही थी जब की मैं 
बाथ-रूम से निकल कर इन दोनो की चुदाई का खेल बहुत देर से देख रही थी. 
चमेली गंदे-गंदे शब्दों का प्रयोग कर जीजाजी को जल्दी झरने पर मजबूर कर 
रही थी और नीचे से चूतर उठा-उठा कर मदन के लंड को अपनी बुर में निगल 
रही थी. जब की जीजाजी केयी बार चोद चुकने के कारण झार ही नही रहे थे. 
एक बार चमेली झार चुकी थी लेकिन जीजाजी उसकी बुर मे लंड डालकर चोदे जा 
रहे थे मैं उन दोनो के पिछे खरे हो कर घमासान चुदाई देख रही थी 
मेरी बुर भी पनिया गयी पर मेरी हिम्मत इस समय और चुदवाने की नही हो रही 
थी इस लिए चमेली को नीचे से मिमियाते देख बरा मज़ा आ रहा था. चमेली ने 
एक बार फिर साहस बटोरा और बोली, "ओह मा! कितनी बार झारो गे मुझे लेकिन मैं 
मैदान छ्होर कर हटूँगी नही... राजा और चोदो .....बरा मज़ा आ रहा 
है....चोदूऊऊ ओह बलम हरजाई ....और कस....कस कर चोदो और ंज़ोर से 
मारो धक्के फार दो बुर...... ओह अहह एसस्स्स्स्स्स्सस्स हाँ! सनम आ बा भी 
जऊऊऊ चूत का कबाड़ा कर के ही दम लोगे क्या? अऊऊऊ अब आ भी जाऊओ" 

जीजाजी उपर से बोले, "रूको रानी अब मैं भी आ रहा हूँ" और दोनो एक साथ झार 
कर एक दूसरे में समा गये. 

जीजाजी चमेली के उपर थे उनका लॉरा उसकी बुर में सुकड रहा था, गंद 
कुछ फैल गयी थी. मैने पीछे से जाकर जीजाजी की गान्ड मे अपनी चून्चि 
लगा दी. जीजाजी समझ गये बोले, "क्या करती हो" मैने चूची से दो-तीन 
धक्के उनकी गंद (आस) में लगाए और बोली, "चोदु लाल की चूची से गंद मार रही हूँ. 
जहा बुर देखी पिल पड़ते हैं" चमेली जीजाजी के नीचे से निकलती हुई बोली, " 
दीदी मैं भी मारूँगी मेरी तुमसे बड़ी है" सब हसने लगे 
चमेली की चुदाई देख कर मैं गरम हो गयी थी लेकिन मम्मी के आने का समय 
हो रहा था, फिर चाय भी पीनी थी इस लिए मन पर काबू करते हुए बोली, "अब 
सब लोग अपने अपने कपरे पहन कर शरीफ बन जाइए. मम्मी के आने का समय 
हो रहा है". फिर हमलोग अपने अपने कपरे ठीक से पहन कर चाय की टेबल 
पर आ गये. चमेली केटली से चाय डालते हुए बोली, "दीदी देख लो चाय ठंडी 
हो गयी हो तो फिर से बना लाउ" 

जीजाजी चाय पीते हुए बोले, "ठीक है, चमेली इस बार केटली में चाय इसीलिए 
बना कर लाई थी कि दुबारा चाय गरम करने के लिए नीचे ना जाना परे और 
दीदी अकेले-अकेले.." जीजाजी चमेली की तरफ गहरी नज़र से देख कर मुस्काराए. 

"जीजाजी आप बरे वो हैं" चमेली बोली. 

"वो क्या?" 

"बरे चोदु हैं" सब हंस परे. 

तभी नीचे कॉल बेल बजी. मॅमी होंगी, मैं और चमेली भाग कर नीचे 
गयी. दरवाजा खोला तो देखा तो कामिनी थी. "अरे कामिनी तू? आ अंदर आ जा" 
चमेली बोली "आप की ही कमी थी" "क्या मतलब" " अरे छोड़ो भी कामिनी उसकी 
बात को वह हर समय कुछ ना कुछ बिना समझे बोलती रहती है. चल उपर अपने 
जीजाजी से मिल्वाउ" 

कामिनी बोली, "मेरी बन्नो बरी खुस है लगता है जीजाजी से भरपूर मज़ा मिला 
है.." फिर चमेली से बोली "तू भी हिस्सा बटा रही थी क्या?" चमेली शरमा 
गयी, "वो कहाँ, वो तो जीजाजी...." मैने उसे रोका, " अब चुप हो जा... हाँ! बोल 
कामिनी क्या बात है" कामिनी बोली, "चाची नही है क्या? मॅमी ने जीजाजी को कल 
रात को खाने पर बुलाया है" चमेली से फिर रहा ना गया बोली, " कामिनी दीदी 
जीजाजी को.... कल की ....दावत देने आई है" कामिनी बोली, "चल तू भी साथ आ 
जाना. हाँ! जीजाजी कहा है....चलो उनसे तो कह दूं" मैं बोली, "मुझे तो नही 
लगता मॅमी इसके लिए मम्मी राज़ी होंगी, हाँ! तू कहेगी तो जीजाजी ज़रूर मान 
जाएँगे" कामिनी ने कहा "पहले ये बता, तुम दोनो को तो कोई एतराज नही, बाकी 
मैं देख लूँगी" "मुझे क्या एतराज हो सकता है और चमेली की मा से भी बात 
कर लेंगे पर...." कामिनी बोली, "बस तू देखती जा, कल की कॉकटेल पार्टी मे 
मज़ा ही मज़ा होगा" 

इसी बीच मॅमी आ गयी. कामिनी चाचिजी चाचिजी कह कर उनहे पिछे लगी 
गयी, उनके तबीयत के बारे में पुंच्छा, दीदी की बाते की फिर अवसर पा कर 
कहा, "चाचिजी एक बहुत ज़रूरी बात है आप मॅमी से फोन पर बाते कर लें". 
उसने झट अपने घर फोन मिला कर मॅमी को पकड़ा दिया. मेरी मॅमी कुछ देर 
उसकी मॅमी की आवाज़ सुनती रही फिर बोली, " ऐसी बात है तो चमेली को कल रात 
रुकने के लिए भेज दूँगी उसकी मॅमी मेरी बात टलेगी नही.... बबुआजी (मदन) 
को बाद में सुधा के साथ भेज दूँगी..... अभी कैसे जाएगी..... अरे भाभी! 
ये बात नही है..... जैसे मेरा घर वैसे आप का घर...... ठीक है कामिनी 
बात कर लेगी...... हमे क्या एतराज हो सकता है...... इन लोगो की जैसी 
मरजी....... आप जो ठीक समझें..... ठीक है ठीक.... सुधा प्रोग्राम बना 
कर आपको बता दही...... चमेली तो जाएगी ही .... नमस्ते भाभी" कह कर 
मॅमी ने फोन रख दिया. मॅमी मुझसे बोली, "कामिनी की मॅमी तुम सब को कल 
अपने घर पर बुला रही हैं तुम सब को वहीं खाना खाना है, उन्हे कल रात 
अपने मायके जागरण में जाना है, भाई साब कन्हि बाहर गये हैं, कामिनी घर 
पर अकेली होगी वे चाहती हैं कि तुम सब वही रात में रुक जाओ. तुम्हारे 
जीजाजी रुकना चाहें तो ठीक नही तो तुम उनको लिवा कर आ जाना, चमेली रुक 
जाएगी"मैं कामिनी की बुद्धही का लोहा मान गयी और मॅमी से कहा, "ठीक है 
मॅमी! जीजाजी जैसा चाहें गे वैसा प्रोग्राम बना कर तुम्हे बता दूँगी".
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