05-04-2021, 11:47 AM,
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desiaks
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग ४
वोमेन आन टॉप
मैंने सीधे उसे अपनी 'प्रेम गली ' से सटाया ,और हलके से दबाया।
धीरे धीरे , उस कड़ियल नाग का फन मेरी गली के अंदर फुफकार मार रहा था।
मेरी 'प्रेम गली ' की दीवारें उसे दबा रही थीं , निचोड़ रही थीं पूरी ताकत से ,
मेरा निपल अभी भी उनके मुंह में धंसा था।
" मजा आ रहा है न , मुन्ना। "
उनके कान में अपने जीभ की नोक घुमाते अपनी सेक्सी आवाज में मैंने फुस्फसा के पूछा।
सर हिला के उन्होंने हामी भरी।
"हाँ न और वो तेरी , .... तेरी उस बहन , उस तेरे माल की , उस कच्चे टिकोरे की भी तो कसी ,कसी ,एकदम टाइट ,.... बहुत मजा आएगा न जब रगड़ता ,दरेरता ,तेरा ,उसकी ,.... "
और मैंने बात जान बूझ कर बीच में छोड़ दी। साथ में एक जोरदार धक्के के साथ ,
मेरा आधा जोबन उनके मुंह में गया और उनका आधा लिंग मेरी कसी संकरी योनि के अंदर ,
" यार तुझे तो मैं बहनचोद बना के , … "
मैं हलके से बड़बड़ा रही थी लेकिन इस तरह की वो साफ साफ सुन रहे थे।
और वो 'बहुत कड़े ' थे।
पता नहीं मेरी बातों का असर था या ये उन्हें वो सब सुनना अच्छा लग रहा था। लेकिन कुछ भी हो असर बहुत साफ लग रहा था।
और मैंने अपना हमला जारी रखा।
मेरे लम्बे शार्प, रेड नेलपालिश लगे नाखून उनके निपल को जोर जोर से स्क्रैच कर रहे थे और फिर उसके बाद मेरी चपल जीभ ने उनके निप्स को फ्लिक करना शुरू कर दिया , और फिर ,
" छोटे छोटे , उस तेरी बहना के भी ऐसे होंगे न छोटे छोटे ,कच्चे टिकोरे , मस्त "
और फिर झपट कर मेरे होंठों ने उनके निप्स को कैद कर लिया , पहले चूसा और दांत से हलके हलके बाइट ,
उईईईईईई , वो चीखे कुछ दर्द से , कुछ मजे से।
" उसके भी निपल ऐसे ही हैं , मटर के दाने जैसे , सच्ची ,होली में हाथ अंदर डाल के रगड़ा था। कच्चे लेकिन कड़े कड़े ,
उसकी चड्ढी में भी हाथ डाला था , झांटे आ गयीं हैं , छोटी छोटी। "
मैं उनके कान में फुसफुसाती रही।
उनका औजार इतना सख्त , आजतक इतना कड़ा मैंने कभी महसूस नहीं किया था।
मैंने गाडी का गियर चेंज किया और मेरे दोनों हाथ उनके कंधे पे , मेरी शेरनी ऐसी पतली कमर के जोर से , पूरे ताकत के साथ धक्का मारा।
वो पूरा अंदर था ,
एकदम जड़ तक था मेरी गहराई में धंसा।
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05-04-2021, 11:47 AM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
धक्के पे धक्का
मैंने गाडी का गियर चेंज किया और मेरे दोनों हाथ उनके कंधे पे , मेरी शेरनी ऐसी पतली कमर के जोर से , पूरे ताकत के साथ धक्का मारा।
वो पूरा अंदर था , एकदम जड़ था मेरी गहराई में धंसा।
और अब में कभी जोर जोर से धक्के लगाती , तो कभी बस उसे अपने अंदर लिए निचोड़ती , अपनी योनि को हलके से एकदम पूरी ताकत से सिकोड़ने की कला और ताकत दोनों मेरे पास थी।
जो 'नट क्रैकर 'कहते हैं न वही.जैसे रैटल स्नेक किसी जानवर को पकड़ कर सिर्फ दबा दबा कर कड़कड़ा कर उसके अस्थि पंजर तोड़ के चूर चूर कर देता है , बिलकुल वैसे ही। मेरे 'गुलाबी सहेली ' उनके ' खूंटे ' के साथ वैसा ही कर रही थी।
मेरे दोनों हाथ उनके कंधे पर जमे थे और होंठ कभी हलके से उन्हें चूम लेते तो कभी कचकचा के , उनके निप्स , उनके गाल काट लेते।
और वो भी अब नीचे से मेरे सुर ताल पे साथ साथ धक्का लगा रहे थे। कभी मैं बहुत 'सॉफ्ट ' हो जाती तो कभी बहुत' ब्रूट' .
लेकिन आज उनमें भी एक नयी ताकत आगयी थी एक नया जोश ,
जैसे घुड़दौड़ में मचल रहे घोड़े को दौड़ने के लिए खुला छोड़ दिया जाय ,
जैसे कोई तूफान कहीं किसी डिब्बे में कैद पड़ा हो
कोई जिन्न किसी बोतल में सदियों से बंद पड़ा हो , और उसे आके कोई आजाद कर दे।
यही तो मैं चाहती थी ,खुल कर मस्ती , बिना किसी रोक टोक के एकदम वाइल्ड ,
ऐसी ताकत आज तक उन के धक्कों में मैंने कभी नहीं महसूस की थी।
और साथ में उनके हाथ जोर जोर से मेरे जोबन मसल रहे थे , रगड़ रहे थे। उनके होंठ मेरे निपल काट रहे थे।
और आज वो कोशिश कर रहे थे की मेरी जांघों के बीच जादुई बटन को , मेरे क्लिट को हाथ लगाएं ,
लेकिन वो उनके लिए मुश्किल हो रहा था क्योंकि धक्के मैं ही कंट्रोल कर रही थी .
कुछ देर बाद वो आलमोस्ट कगार पर पहुँच गए , और मैं भी बस वहां पहुँचने वाले थी।
बाजी किसी के भी हाथ लग सकती थी , लेकिन उन्होंने बेईमानी शुरू कर दी।
भेड़ गिनने वाली , यानी सेक्स से ध्यान हटा कर किसी और चीज के बारे में सोचना ,गिनती गिनना , या कुछ भी।
लेकिन उनकी कोई चीज मुझसे छुपती कैसे और इसका जवाब मेरे पास था। हथियारों का पूरा खजाना था मेरे पास , मेरे होंठ ,मेरे रसीले जोबन , मेरी उंगलिया।
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05-04-2021, 11:48 AM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
बन गए ' वो ' ....
लेकिन उनकी कोई चीज मुझसे छुपती कैसे और इसका जवाब मेरे पास था। हथियारों का पूरा खजाना था मेरे पास , मेरे होंठ ,मेरे रसीले जोबन , मेरी उंगलिया।
मेरे उरोज जोर जोर से उनके होंठ को कभी रगड़ते और कभी उनका मुंह खोल के मैं अपने निपल मुंह के में डालती,
तो कभी मेरे होंठ उनके इयर लोब्स को हलके से काट लेते। और मेरी योनि जोर जोर से अब लिंग को भींच रही थी सिकोड़ रही थी ,
और उनके पास कोई रास्ता नहीं था इस कामक्रीड़ा से बच कर भागने का।
मैंने कचकचा के उनके निप्स काट लिए और ,
और वो पूरी तेजी से , जैसे कोई बाँध टूट गया हो ,
सदियों से सोया ज्वालामुखी फूट पड़ा हो।
आधा मिनट और देर होती तो शायद मैं पहले ,…
लेकिन जैसे रस की दरिया बह निकली हो , गाढ़ा सफेद थक्केदार , मेरी योनि पूरी तरह भर गई और फिर मेरी जांघो पर बहकर ,
" आप , … तुम हार गए। "
मैंने उनकी आँखों में आँखे डालकर कहा।
" हूँ "
मुस्कराते हुए उन्होंने हामी भरी और जोर से मुझे अपनी बाहों में भींच लिया। जैसे वो चाहते ही हों हारना।
" और अब ,… तुम , मेरे ,.... गुलाम ,जोरू के गुलाम।"
हाँ , …हाँ ,… " और अपने आप उनकी कमर उछली और एक बार फिर झटके से ढेर सारा वीर्य ,
और इसी के साथ मैं भी , उनके चौड़े सीने पर ढेर हो गयी।
मेरी योनि जोर जोर से सिकुड़ रही थी , मेरी देह तूफान में पत्ते की तरह काँप रही थी।
बहुत देर तक हम दोनों होश में नहीं थे ,सिर्फ एक दूसरे की बाँहों में बंधे , भींचे.
छत पर पंखा अपनी रफ्तार से घर्र घर्र चल रहा था।
खिड़की का पर्दा धीरे धीरे हिल रहा था।
परदे से छन छन कर हलकी हलकी फर्श पर पसरी हलकी पीली धूप ,अब मेज पर चढ़ने की कोशिश कर रही थी
लेकिन हम दोनों एक दूसरे से चिपके , एक दूसरे के अंदर धंसे ,घुसे ,अलमस्त उसी तरह लेटे थे , अलसाये।
सफेद गाढ़े वीर्य की धार मेरी योनि से बहती गोरी जाँघों पे लसलसी ,चिपकी लगी थी और वहां से चददर पर भी , .... एक बड़ा सा थक्का ,…
और अबकी उन्होंने हलके से ही आँखे खोली और उनके होंठों ने जोर से कचकचाकर मेरे होंठों को चूम लिया ,
यही तो मैं चाहती थी।
मेरी मुस्कराती आँखों ने उन्हें देखा और होंठों ने पुछा कम , बताया ज्यादा
" जोरु के गुलाम , .... "
और एक बार फिर उनकी छाती के ऊपर मैं लेटी थी।
और उनके मुस्कराती नाचती आँखों ने हामी भरी
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05-04-2021, 11:48 AM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग ५ ,
बाजी एक बार फिर से , ...
अब तक
छत पर पंखा अपनी रफ्तार से घर्र घर्र चल रहा था।
खिड़की का पर्दा धीरे धीरे हिल रहा था।
परदे से छन छन कर हलकी हलकी फर्श पर पसरी हलकी पीली धूप ,अब मेज पर चढ़ने की कोशिश कर रही थी
लेकिन हम दोनों एक दूसरे से चिपके , एक दूसरे के अंदर धंसे ,घुसे ,अलमस्त उसी तरह लेटे थे , अलसाये।
सफेद गाढ़े वीर्य की धार मेरी योनि से बहती गोरी जाँघों पे लसलसी ,चिपकी लगी थी और वहां से चददर पर भी , .... एक बड़ा सा थक्का ,…
और अबकी उन्होंने हलके से ही आँखे खोली और उनके होंठों ने जोर से कचकचाकर मेरे होंठों को चूम लिया ,
यही तो मैं चाहती थी।
मेरी मुस्कराती आँखों ने उन्हें देखा और होंठों ने पुछा कम , बताया ज्यादा
" जोरु के गुलाम , .... " और एक बार फिर उनकी छाती के ऊपर मैं लेटी थी।
और उनके मुस्कराती नाचती आँखों ने हामी भरी [
आगे
और उनके मुस्कराती नाचती आँखों ने हामी भरी
" तो अब तुम हो गए मेरे पक्के गुलाम , क्यों,.... "
" हूँ हाँ ,.... " लग रहा था जैसे आधे तीहे मन से बोल रहे हों। और मैंने साफ साफ पूछ लिया ,
" बोल न , हो न जोरू के गुलाम। "
कुछ रूककर , कुछ सोचकर वो हलके से बोले , " वो ,.... वो तो मैं हमेशा से ही हूँ , … तुम्हारा ,… "
उनके अंदाज से मैं समझ गयी की मामला अभी कच्चा है।
मैं कुछ देर तक उनके इयरलोब्स निबल करती रही , उनके कान में जीभ की टिप घुमाती रही फिर पूछा ,
" अच्छा चल तुझे एक मौक़ा और देती हूँ , बोलो हो जाय ".
जैसे डूबने वाले को तिनके का सहारा मिल जाय एक दम उसी तरह उन्होंने दोनों हाथों से ये मौका दबोच लिया और जोर से बोल पड़े ,
" हाँ एक दम। " ख़ुशी से बोल पड़े वो।
अब मेरे होंठ उनके निप्स को लिक कर रहे थे। सर उठा के उनके खुश चेहरे को देखते हुए मैं बोली ,
" लेकिन एक शर्त है मेरी , मंजूर हो तो पहले हाँ बोलो , फिर आगे ,… "
" हाँ एकदम तेरी तो हर शर्त मंजूर है , बोलो न " वो ये दूसरा मौका छोड़ना नहीं चाहते थे।
" अगर अबकी तू हारा न , तो सिरफ मेरा नहीं बल्कि मेरी सारी मायकेवालियों का गुलाम बनना पडेगा। बोलो "
मेरी आँखों ने कित्ती बार उनकी लालची निगाहों को मेरी मम्मी के बड़े बड़े कड़े ३८ डी साइज के नितम्बो को चोरी चोरी देखते ,पकड़ा था।
" हाँ एकदम , बस एक मौका दे न , और अबकी बार देखना ,...."
उनकी बात मैंने बीच में काट के खूब जोर से अपने होंठों के बीच उनको होंठ को दबोच कर काट लिए और अपनी जीभ उनके मुंह में घुसेड़ दी। एकदम आने वाले दिनोंकी झांकी जब वो मेरे गुलाम होंगे ,
और साथ में दायां हाथ सीधे उनकी जाँघों के बीच , उनके थोड़े सोये ,थोड़े जागे खूंटे को पकड़ , जोर से दबोच लिया और मसलने लगी।
" क्या करती हो "
वो चीखे।
और जवाब में मैंने खूब कचकचा कर उनके जैसे किसी गरम मस्त माल के निप्स , उस तरह खड़े उनके निप्स को , जोर से काट लिया।
नीचे ' वो ' आलमोस्ट खड़ा हो गया था।
एक तेज झटके से साथ मैंने 'उसका ' घूंघट भी खोल दिया और मेरा अंगूठा सीधे उसके ' पी होल ' ( पेशाब के छेद ) पे।
हड़बड़ा कर वो उठे और सीधे बाथरूम की ओर ,
" बहुत जोर की 'सुसु ' आ रही है , बस आता हूँ अभी , "
रुक कर वो बोले और सीधे बाथरूम के अंदर।
मैंने मुश्किल से अपनी मुस्कराहट रोकी।
उनकी चोरी मुझसे छुपती। मैं जान रही थी वो क्यों बाथरूम गए हैं।
मैं ने देख रखा था ,
मैक्सिमम पावर की की वियाग्रा की टैबलेट , वो भी असली ,फॉरेन माल।
एक बार मैंने सोचा भी की किसी 'लोकल ' वाली से उसको चुपके से चेंज कर दूँ , फिर मैंने सोचा यार चलो कर लेने दो उनको भी ट्राई अपनी पूरी ताकत , हर तरकीब।
लेकिन मैं एकदम गलत थी , वो कुछ देर बाद जब बाथरूम से निकले तो एकदम बदले।
कैसे कहूँ ,मेरी तो आँखे फटी रह गयीं। उनका वो ,
खूब कड़ा , एकदम चट्टान , जैसे लोहे का राड हो और ,…
खूब गुस्से में हो , एकदम तना ,
और उसके साथ ही उनका भी एटीट्यूड ,एकदम स्ट्रांग वाइल्ड
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05-04-2021, 11:49 AM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
दूसरा राउंड
खूब कड़ा , एकदम चट्टान , जैसे लोहे का राड हो और ,… खूब गुस्से में हो , एकदम तना ,
और उसके साथ ही उनका भी एटीट्यूड ,एकदम स्ट्रांग वाइल्ड ,
मुझे लगा बेबी आज तो तू गयी। तुझे वो गोली बदल ही देनी थी ,लेकिन अब क्या हो सकता था।
मैंने झट से इम्प्रोवाइज किया ,एक नयी ट्रिक , नया पैंतरा ,
मैं झट से से घुटने के बल बैठ गयी , और सीधे एक हाथ से 'उसे ' पकड़ लिया।
आज तक इतना कड़ा मैंने उसे कभी नहीं महसूस किया था।
और फिर मेरे रसीले होंठ सीधे उसके ऊपरी हिस्से पे , खूब गरम गरम चुम्मी ली ५-६।
फिर होंठ के साथ उसका 'घूंघट' खोल दिया , और सुपाड़ा बाहर निकल आया ,
एकदम कड़ा , हार्ड एंड फ्यूरियस , और मेरी जीभ उसे लिक कर रही थी।
( दूसरा टाइम होता तो वो तुरंत मुझे रोक देते की कहीं 'फोर प्ले ' के चक्कर में कही 'रियल प्ले ' शुरू होने के पहले ही द एन्ड न हो जाय , लेकिन आज उन का कन्फिडन्स और एटीट्यूड एकदम अलग था। )
मेरी जीभ नदीदी भी थी और शरारती भी।
और उसकी टिप सीधे पी होल ( पेशाब के छेद ) पे सुरसुरी कर रही थी ,
और साथ साथ मेरी कोमल कोमल उंगलिया उनके कड़े लिंग को जोर से आगे पीछे 'फिस्टिंग ' कर रही थी। मेरी आँखे उनकी आँखों में सीधे देख रही थीं , उन्हें और उत्तेजित कर रही थीं।
और अचानक दूसरे हाथ ने जोर से उनके बॉल्स को पकड़ के हलके से दबा दिया।
और अब वो मस्ती से काँप रहे थे।
मेरे निपल्स भी मारे जोश के एकदम पत्थर हो रहे थे।
और एक झटके में मेरे गरम गरम भूखे होंठों ने उनके मोटे कड़े गुस्सैल सुपाड़े को गटक लिया और जोर जोर से चूसने लगी।
मेरे दूसरे हाथ की दो उंगलिया , उनके रियर होल के आसपास छेड़ रही थीं , दबा रहीं थी। कोई दूसरा दिन होता तो वो मुझे ये सब करने ही नहीं देते लेकिन आज ,… बात अलग थी।
जैसे स्कूली लड़की कोई नदीदी , जोर जोर से लालीपाप ,मजे ले ले के चूसे , बस मैं वैसे ही उनका सुपाड़ा खूब जोर जोर से मस्ती से चूस रही थी
, और साथ में कोमल कोमल हाथ लोहे के राड की तरह कड़े शिश्न को खूब जोर जोर से दबा दबा के , भींच के मुठिया रहे थे।
और ये सिर्फ मेरे रसीले होंठ , नदीदी जीभ ,मखमली होंठ और मुठियाते कोमल हाथ ही नहीं ,
बल्कि उनकी आँखों में झांकती , ललचाती उन्हें उकसाती , मेरी कजरारी बड़ी बड़ी आँखे भी उनकी मस्ती के तूफान को और हवा दे रही थी।
अचानक एक झटके में मैंने पूरे सर का धक्का मारा और पूरा सुपाड़ा अंदर अगले धक्के में आलमोस्ट पूरा लिंग मैंने घोंट लिया था।
वो सीधे चोट कर रहा था गाल एकदम फूले हुए थे , आँखे बाहर निकल रही थीं।
मैं आलमोस्ट चोक कर रही थी। लेकिन मेरी जीभ उनके कड़े कड़े शिश्न को नीचे से जोर जोर से चाट रही थी ,मेरे रसीले होंठ उनके लिंग से रगड़ रगड़ कर जा रहे थे ,
और वो भी कम नहीं थे ,
मेरे सर को जोर से पकड़ के लिंग पूरी ताकत से मेरे मुंह में ठेल रहे थे। पेल रहे थे।
मेरे गाल की मसल्स इसी धकम्पेल से थोड़ी थक गयी थी और पल भर के लिए मैंने उन्हें बाहर निकाला ,
और जो किसी भी मर्द के लिए 'वेट ड्रीम ' होता है , टिट फक , बस वही अपने गदराये गुदाज गोरे गोरे मांसल जोबन के बीच ,कस कस के दबा के , आगे पीछे और ,…
यही नहीं , अपने कड़े निप्स मैंने पहले उनके सुपाड़े फिर सीधे उनके पी होल में ,
वह पूरी तरह गनगना गए , लेकिन उन्हें जैसे अचानक याद आया की आज दांव पर बहुत कुछ है , और उन्होंने एक हलके से धक्के के साथ मुझे पलंग पर गिरा दिया और ,....
मेरी लम्बी लम्बी टाँगे सीधे उनके कंधे पे , उनका एक हाथ मेरी कमर पे दूसरे से उन्होंने जोर से मेरे जोबन को पकड़ रखा था , और एक ही धक्के में ,
क्या करारा धक्का मारा था ,
आलमोस्ट पूरा अंदर , लगता था जैसे किसी शिकारी ने बाँकी हिरनिया को मोटे भाले से बेध दिया हो।
कितनी ताकत थी उनकी कमर में ,
और इसी के लिए तो मैं तड़पती थी , इसी का सपना देखा करती थी लेकिन आज इसी से मैं डर रही थी।
क्या , … क्या आज वो मुझसे पहले 'डिस्चार्ज ' हो पाएंगे ?
कैसे समाऊँगी इस तूफान को मैं अपने अंदर ?
उनके नाखून मेरे कंधे में , मेरे उरोजों पर धंसे हुए और बिना कुछ सोचे , वो पूरी ताकत से धक्के पे धक्का लगा रहे थे, खूब गहरा , खूब तेज। दरेरता ,रगड़ता ,घिसटता ,उनका कड़ा चट्टान सा खूंटा मेरे अंदर घुस रहा था।
मेरे बिछुए रुन झुन कर रहे थे।
मेरी पायल छन छन हो रही थी ,
गले का हार भी मस्ती में झूम रहा था मीठी आवाज के साथ , ....
और मेरी चूड़ियाँ , … आधे दर्जन से ज्यादा तो चूर चूर हो चुकी थीं.
तभी मुझे याद आया , वो बाजी , वो मुकाबला और मैं भी अपने रूप में आगयी। मेरी लम्बी टांगो ने जोर से उनकी कमर को लपेट लिया खूब कस के।
और मैं भी अब हार जीत की चिंता छोड़ के सिर्फ मजा ले रही थी।
लेकिन तभी मुझे याद आया , अगर ये मजा मुझे रोज लेना है तो बस इस बाजी को मुझे जीतना ही पड़ेगा , वरना फिर ये पहले की तरह ,…
मेरी लम्बी टाँगे जोर से उनकी कमर पर कस गयीं ,
मेरी 'प्रेम गली ' ने उनके चर्मदण्ड को जोर जोर से भींचना , निचोड़ना शुरू कर दिया , ऊपर , लिंग के बेस से लेकर सीधे सुपाड़े तक। एकदम 'नटक्रैकर ' की तरह।
मेरे न जाने कितने हाथ उग आये , उनकी पीठ को सहलाते मेरे नाखून उनके नितम्बों में भिंच गए , गड गए। कभी मैं उनके निप्स स्क्रैच करती तो कभी निबल करती ,
और इसका असर हुआ , लेकिन उन्होंने भी पैंतरा बदल लिया।
अब उनके धक्को की तेजी कम हो गयी
लेकिन न उसकी ताकत और न गहराई में कोई कमी आई।
धीमे धीमे , मेजर्ड पूरा निकाल कर , फिर एक झटके में वो पूरा अंदर पेल देते और मैं एकदम काँप जाती
जिस तेजी से वो रगड़ता ,घिसटता घुसता।
और फिर वही पुरानी तरकीब , गिनती गिनने की , डिस्चार्ज डिले करने की।
और जब उन्होंने ध्यान अपना थोड़ा सा हटाया , बस मुझे मौका मिल गया।
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05-04-2021, 11:49 AM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
वोमेन आन टॉप
और एक बार फिर मैं ऊपर थी।
फिर से वोमेन आन टॉप।
करीब करीब आधे घंटे हो चुके थे ।
शुरू शुरू में तो बस हलके हलके मैं प्यार से कभी उन्हें चूमती , बाल सहलाती , इयर लोब्स किस कर लेती और उनके हर धक्के का जवाब उसी रफ्तार से देती , लेकिन धीरे धीरे मैंने रफ़्तार तेज की , और साथ में कम्प्लीट अटैक।
जोर जोर से मैंने उनके निप्स किस करने , बाइट करने शुरू दिए ( मैं जान गयी थी की , उनके निप्स भी उतने ही सेंसिटिव हैं जित्ते मेरे ) , मेरी उंगलिया हलके हलके , उनके देह पर टहल रहीं थी , सहला रहा थीं , काम की आग और भड़का रही थीं। फिर साथ में शब्दों के काम बाण भी ,
" क्यों मुन्ना मजा आ रहा है न ,बोल न "
"उन्ह , हूँ हाँ, ओह , हाँ "
सिसकियों के साथ उनकी आवाज निकल रही थी और एक बार फिर बाजी उनके हाथ से फिसल रही थी।
और फिर मैंने एक साथ दुहरा हमला , मेरी योनि ने पूरी ताकत से उनके लोहे के राड से कड़े शिश्न को निचोड़ लिया ,और साथ ही मेरे उरोज सीधे उनके होंठों पे हलक से ब्रश करते दूर हट गए।
" क्या करती हो " वो चीखे , और एक बार फिर मेरे निप्स उनके लिप्स पे , रगड़ते हुए उनके कान में मैं बोली ,
" बोल लोगे ,अरे सोच उस के निप्स कित्ते मीठे रसदार होंगे , छोटे छोटे कच्चे टिकोरे , अबकी तो मैं तुम्हे तेरे माल की कच्ची अमिया खिला के ही रहूंगी , बोल ,.... बोल खायेगा न। "
" हूँ हां दो न , " वो सिसक रहे थे।
" तो एक बार बोल दे न , नाम बस बोल दे न ,नाम लेने में शर्म। " मैंने और अांच बढ़ाई।
मेरे कड़े कड़े निपल्स बस इंच भर से भी कम दूरी पे थे , उनके होंठों से।
वो तड़प रहे थे ललचा रहे थे।
"बोल न , सिर्फ नाम " मैंने जोर से उनके निप्स पिंच कर के कहा।
" ओह्ह हां ,उन्ह , वो गुड्डी , ....ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह दो न "
और मैं ये मौक़ा नहीं छोड़ने वाली थी ,
" चल तू मान गए , गुड्डी तेरा माल है। और उसकी छोटी छोटी चूंचियां मस्त हैं , चल अबकी तेरे मायके चलेंगे न तो दिलवा दूंगी ,उसके कच्चे टिकोरे। ले ले "
और उन्होंने जवाब अपने होंठ खोल के दिया , मेरे निप्स अंदर।
पूरे निप्स मैंने अंदर ठेल के उनका मुंह बंद कर दिया ,
कलाइयां उनकी मेरे दोनों हाथों में कैद थीं और एक बार फिर मैंने फुल स्पीड में ,
क्या कोई मर्द पेलेगा , ऐसे जोर जोर से हचक हचक कर , ऊपर नीचे , कभी गोल गोल तो कभी आगे पीछे ,
और थोड़ी देर में उनका कंट्रोल खत्म हो गया था मेरे धक्को का जवाब वो दूनी स्पीड से देने की कोशिश कर रहे थे , पूरी ताकत से धक्के पे धक्का ,
मेरे होंठ कभी उनके होंठ चूमते कभी कचकचा के गाल काटते तो कभी हलके से निप्स की बाइट ,
और यही तो मैं चाहती थी इस रफ्तार से उनकी गाडी बहुत देर तक नहीं चल सकती थी और फिर साथ में मेरे कमेंट्स , उनकी मायकेवालियों के बारे में ख़ास तौर से उनके फेवरिट माल ,… कच्चे टिकोरे वाली के बारे में।
" यार घबड़ा मत , तुझे तो मैं बहनचोद बना के रहूंगी ,और हाँ ऐसे ही , मेरे साजन , …
मैं अपने से बोल रही थी , लेकिन उन्हें सुनाकर।
और उनके धक्को से लग रहा था की उन्हें कितना मजा आ रहा है। और ये भी की बस वो कगार पर हैं। "
मैने फिर छेड़ा ,
" उसकी कित्ती कसी होगी , ,अरे ज़रा जोर धक्के मार न मेरे राजा हलके धक्के से कैसे फटेगी मेरी ननदिया की , मेरे राज्जा। "
और फिर तो उन्होंने वो जोर से धक्का मारा नीचे से की ,
और फिर मेरा आखिरी हमला
और साथ में मेरी तरजनी जो हलके हलके उनके पिछवाड़े के छेद को सहला रही थी , गचाक से उनके धक्के के बराबर की ताकत से , गांड में .... दो पोर अंदर।
कुछ मेरी बातों का असर , और कुछ ऊँगली का ,
जोर के झटके से , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह , और सफेद गाढ़ा थक्केदार फुहारा
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05-04-2021, 11:49 AM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
बन गए जोरू के गुलाम
जोर के झटके से , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह , और सफेद गाढ़ा थक्केदार फुहारा ,
मस्ती से मेरी भी आँखे बंद हो रही थी लेकिन , .... मैंने पिछवाड़े घुसी ऊँगली को हलके से गोल गोल घुमाना शुरू किया और एक बार फिर जोर से अपनी चूत भींची।
ओह्ह ओह्ह बहुत तेज आवाज निकाली उन्होंने और एक बार फिर वही मलाई की धार ,
जैसे कोई बाँध टूट गया हो , बाढ़ आ गयी हो ,
तेज तूफान चल रहा रहा हो ,
और उसमे उनके इतने दिन के रोक के रखे गए मन पर पत्थर , यह नहीं करो वह नहीं बोलो , सब बह गए।
मस्ती के सागर में वो उतरा रहे थे ,गोते खा रहे थे।
मेरी ऊँगली धंसी हुयी जोर से मैं पुश कर रही थी ठेल रही थी , गोल गोल घुमा रही थी।
" अभी तो शुरुआत है , रजा , तेरे मायके में चल तेरी गांड मारूंगी "
और इस के साथ ही मेरी पूरी ऊँगली अंदर और सीधे , प्रेशर प्वाइंट पे।
और एक बार फिर ,.... बार बार
मैंने अपने माथे से बड़ी सी लाल बिंदी निकाल के उनके गोरे गोरे माथे पे लगा दिया , ।
" बन गए न अब जोरू के गुलाम , बोल "
" हाँ हाँ "
उनकी आँखे बंद थी , चेहरे पर इतनी ख़ुशी थी की बता नहीं सकती.
सिर्फ मेरे नहीं मम्मी के भी , बोल न मेरे जोरू के गुलाम। "
" हाँ हाँ हाँ। "
वो एक नयी दुनिया में पहुँच गए थे।
" तो बोल न चोदेगा उसको , अपने उस माल को ,
बोल , मेरी हर बात मानेगा न , जो मैं कहूंगीं वही खाना पडेगा ,वही पहनना पडेगा।
" हाँ हाँ , "
उनकी मुस्कान सब कुछ बोल रही थी .
"तो बोल , आज से क्या है तू "
मैंने हलके से पूछा , और उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाँहों में भींच के नीचे से एक बार फिर धक्का मारते हुए कहा ,
" जोरू का गुलाम "
कुछ उनके धक्के का असर , कुछ उनके मानने का , मैं जोर जोर झड़ने लगी। मेरी आँखे बंद हो गयीं , कुछ मजे से कुछ ख़ुशी से।
इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।
मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।
और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।
लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।
उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।
और जीत हम दोनों गए थे , वह मुझे और मैं उन्हें।
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05-04-2021, 11:51 AM,
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desiaks
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम - ६
बदले बदले मेरे सरकार नजर आते हैं
अब तक
"तो बोल , आज से क्या है तू "
मैंने हलके से पूछा , और उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाँहों में भींच के नीचे से एक बार फिर धक्का मारते हुए कहा ,
" जोरू का गुलाम "
कुछ उनके धक्के का असर , कुछ उनके मानने का , मैं जोर जोर झड़ने लगी। मेरी आँखे बंद हो गयीं ,
कुछ मजे से कुछ ख़ुशी से।
इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।
मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।
और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।
लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।
उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।
और जीत हम दोनों गए थे ,
वह मुझे और मैं उन्हें।
आगे
ऊप्स , मैं तो भूल ही गयी थी , मुझे अचानक याद आया।
मैंने मोबाइल का एक नंबर दबाया ,हॉट नंबर। मेरी हॉट हॉट मॉम का , और उनकी आवाज सुनते ही, , मैंने फोन , उन्हें पकड़ा दिया।
जिस तरह वो शर्मा रहे थे , ब्लश कर रहे थे , अनकम्फर्टेबल महसूस कर रहे थे ,
साफ लग रहा था की मम्मी कैसे जम कर उनकी रगड़ाई कर रही हैं।
लेकिन एक एक बात बहुत ध्यान से सुन रहे थे , कान पार के , और मैं सास -दामाद का ये संवाद बहुत ही ध्यान से सुन रही थी ,
अभी तो ये शुरुआत है मुन्ना।
और बात खत्म होते ही फोन उन्होने मुझे पकड़ा दिया , मुस्कराहट और ब्लश दोनों चेहरे पर अभी भी कायम थी।
" क्यों कैसा लगा अपनी मालकिन ,मेरा मतलब , मालकिनो से मिलकर। " मैंने छोड़ा।
जबरदस्त ब्लश किया उन्होंने , फिर शरमाते लजाते ,आँख झुका के बोले ,
' बहुत अच्छा '.
एक चुम्मी तो बनती थी न ऐसे मौके पे , और मैंने लपक के ले ली और जोर से उन्हें भींच के बोला ,
'जोरू के गुलाम'
और एक बार फिर उन्होंने ब्लश किया।
कपडे पहनते हुए उन्होंने बिंदी हटाने की कोशिश की तो मैंने घुड़ककर कहा , उन्न्ह क्या करते हो , और फिर थोड़ी सॉफ्ट टोन में प्यार से ,
अच्छी तो लग रही है देखो न , और उनके सामने शीशा रख दिया।
क्या कोई नयी दुलहन शरमायेगी , जिस तरह वो शरमाये।
और मेरे मन के पखेरुओं को पंख लग गए ,
कित्ता अच्छा लगेगा , इन कानों में झुमके ,
आँखों में काजल , हलका सा मस्कारा , होंठों पे पिंक लिपस्टिक बहुत फबती इन पे , बहुत ज़रा सा गालों पर फाउंडेशन ,
उनका चेहरा वैसे भी खूब गोरा था , मुलायम , नमकीन जैसे मेरी सहेलियां कहती थीं 'लौंडिया छाप ' बिलकुल वैसे, ।
और फिर नाक में नथुनी , ज्यादा बड़ी नहीं छोटी सी , मेरे होंठवा पे नथुनिया कुलेल करेला टाइप्स।
वो अभी भी शीशे में अपना चंदा सा मुखड़ा निहार रहे थे।
मैं कुछ और छेड़ती की बाहर के कमरे से आवाज आई , " खाना " .
वेटर खाना ले आया था।
ये रूम स्यूट टाइप था , बाहरी कमर ड्राइंग -डाइनिंग रूम टाइप और अंदर बेडरूम।
' वहीँ रख दो , बाद में आके बर्तन ले जाना। "
मैंने अंदर से बोला।
दरवाजा बंद होने की आवाज आई , वेटर चला गया था।
मैंने बहुत प्यार से उनके माथे पे लगी बड़ी सी लाल लाल बिंदी को चूमा और गोरे गोरे नमकीन गाल को सहलाते हुए कहा ,
' गुड बेबी , आज तुझे मॉम खाना खिलायेगी , अपने हाथ से। यू हैव बीन अ गुड बेबी , चलो आँखे बंद। "
और मैंने अपने रसीले होंठों से उनकी आँखे सील कर दीं।
मैं उनका हाथ पकड़ कर दुसरे कमरे में ले आई।
इट वाज 'डिफरेंट'।
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05-04-2021, 11:51 AM,
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desiaks
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
खाना विद अ डिफरेंस
इट वाज 'डिफरेंट'।
मुंह खोल , मुन्ना ,
और पहला कौर मैंने अपने हाथ से खिलाया। उनकी टेस्ट बड्स ने जैसे विद्रोह कर दिया हो , चेहरा एकदम गिनगिना गया।
लेकिन तुरंत मेरे होंठ 'ऐक्शन ' में आ गए और न सिर्फ उनके होंठो का खूब रसीला एक चुम्मा लिया ,उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ के , कचकचा कर , बल्कि जीभ भी उनके मुंह में ठेल दी और जो कौर अभी भी उनके मुंह में अटका था उसे सीधे पूरी तरह अंदर ठेल के ही उसने दम लिया।
अगला कौर भी खिलाया मेरे होंठों ने , खूब कुचा कुचाया , मेरे मुख रस से लिथड़ा।
और मुझे कोहबर याद अाया
जब तीन चार घंटे तक एक छोटी सी सुपाड़ी को एक छोटे से पान में रख कर मेरे मुंह में रखवाया गया था और फिर उसे एक दूसरे पान में रखकर , मेरे कूचे कुचाये पान को उन्हें ,…
" गुड ब्वॉय अच्छा लग रहा है न , " मैंने गाल पे चूमते पुछा और फिर अगला कौर ,
साथ में मेरा बायां हाथ पाजामे के ऊपर से 'उसे ' सहला रहा था , दबा रहा था।
कुछ ही देर में ' वो ' कुनमुनाने' लगा , जोर जोर से।
मेरा हाथ पाजामे के अंदर था और एक झटके में खीच कर चमड़ा खोल दिया , सुपाड़ा बाहर।
" लगता है फिर उस छिनाल ननद के कच्चे टिकोरे याद आ रहे हैं ,
चल कोई बात नहीं अबकी तुझे टिकोरों का भी स्वाद चखाउंगी , बस आने दो मौका। "
मैंने जोर से दबाया और एक बूँद , प्री कम की निकल के सुपाड़े पे।
मैंने अंगूठे से उसे समेटा और सीधे अपने गरम गरम होंठों होंठों पे ,
और उसके बाद , मेरे होंठ सीधे उनके होंठ पे।
उनका प्री कम ,… डेजर्ट की तरह।
' अरे सिर्फ कच्चे टिकोरे ही नहीं सब कुछ दिलवाऊँगी उसका बहुत तड़पाया है उसने मेरे मुन्ने को न "
मैंने फिर बोला।
कभी मेरे हाथ से कौर उनके मुंह में जा रहा था और कभी होंठों से।
साथ में ढेर सारे फोटोग्राफ्स , और कई सेल्फी भी हम दोनों की।
भला हो स्मार्ट फोन वालों का।
[i]उनके चेहरे का क्लोज अप ,चमकती दमकती बड़ी बड़ी लाल बिंदी ,मैं उन्हें 'क्या खिला ' रही थी , प्लेट्स में ‘क्या क्या’ था।
एक छोटा सा वीडियो भी। [[/i]
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05-04-2021, 11:51 AM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
मेरे भैया ये नहीं खाते ,वो नहीं खाते
उनके चेहरे का क्लोज अप ,चमकती दमकती बड़ी बड़ी लाल बिंदी ,
मैं उन्हें 'क्या खिला ' रही थी , प्लेट्स में ‘क्या क्या’ था। एक छोटा सा वीडियो भी।
और सब साथ साथ मम्मी को व्हाट्सऐप कर दिया।
कुछ देर में सारी प्लेटें साफ।
;" चलो , अब आँख खोल लो , कैसा लगा मेरे हाथ से खाने का मजा "
मैंने पूछा।
" बहुत बढ़िया एकदम मजा आ गया। " मुस्करा के बोले वो।
और मैं और जोर से मुस्कराई और साथ में अपनी उंगलिया उनके मुंह में।
चाट चुट के सब उन्होंने साफ कर दिया , मेरी ऊँगली में लगी सारी 'करी 'साफ सूफ के चाट।
" ऐसा कभी नहीं खाया "
वो बोले।
" सही कह रहे हो " मैंने मन ही मन सोचा। और फिर आँख मारते हुए ,हंस के पूछा ,
" क्यों एग करी कैसी थी। "
एकदम हालत खराब उनकी , लेकिन उनके रिएक्शन के पहले मैंने और चिढ़ाया ,
" अरे यार काटा तो नहीं। "
और वो कुछ रिएक्शन कर पाते , मैंने मोबाइल की फोटुएं दिखाई ,
सब 'ये नहीं खाते ,वो नहीं खाते 'वाली लिस्ट के।
उनका चेहरा एकदम ,… से ,
लेकिन मैंने झटके से पाजामे का नाड़ा खींच के खोल दिया।
वो एकदम तन्नाया , खूब कड़ा , और मेरी कोमल उँगलियों ने एक झटके में सुपाड़ा झटाक से खोल दिया।
एकदम जोश में , चॉकलेटी ,
और वो चॉकेलट मेरे मुंह में थी , मेरी स्वीट डिश , मैं चूस रही थी ,चुभला रही थी।
मस्ती से उनकी हालत खराब हो रही थी ,
एक पल के लिए मैंने निकाल के उसे बाहर ,उनकी आँख में आँख डाल के पूछा ,
" क्यों मुन्ना , चाहिए क्या। "
उन्होंने जोर जोर से हामी में सर हिलाया , लेकिन तबतक हम दोनों की निगाह सामने दीवाल घडी पे पड़ी। दो बज रहे थे , और ढाई बजे से उनकी मीटिंग थी ,क्लाएंट से।
" मिलेगा मिलेगा , रात को , जल्दी तैयार हो जाओ। "
वो तैयार हो के निकले तो मैंने मुश्किल से हंसी रोकी।
मेरी बड़ी बड़ी लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे चमक रही थी।
बिंदी निकालते ,मुस्करा के मैं बोली
" माना तेरे गोरे गोरे चेहरे पे बहुत अच्छी लगती है लेकिन , बाहर ,… "
हालाँकि मन ही मन मैं सोच रही थीं ,
" क्यों नहीं , एक दिन बाहर भी ,… बहुत जल्द। "
निकलते निकलते उन्होंने रुक के मुझे फ्लाइंग किस दिया और बोले ,शाम को जल्दी आऊंगा।
इट वाज अनॉदर फर्स्ट।
मैं वेट करुँगी मैंने बोला।
बिस्तर पर लेट कर मैं सोच रही थी ,
" मेरे भैय्या ये नहीं खाते , मेरे भैय्या वो नहीं खाते। भाभी आप भैया को जानती नहीं। "
आज देखती तो , … अब उसे पता चलेगा की कितने उसके भैय्या हैं और कितने मेरे सैंया।
कुछ दिन में ही पता चलेगा , .... सिर्फ मेरे सैयां। "
जल्द नींद आगयी। खूबी गाढ़ी और गहरी।
और सपने में ‘उन्हें’ देखती रही , एक से एक 'आउटफिटस 'में , मेकअप के साथ।
शाम को जब वो आये और उन्होंने नाक किया , तब नींद खुली।
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