XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
08-17-2021, 12:51 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
चूत चुदाई चलती ट्रेन में

लखनऊ से दिल्ली का सफर शुरु हुआ:
अगले दिन से हमने दिल्ली और आगरा के लिए तैयारी शुरू कर दी. कॉलेज में भी काफी गहमा गहमी थी इस ट्रिप के बारे में!और जल्दी ही वो दिन भी आ गया जब हम सबने सफर पर जाना था. दिन भर कॉलेज में खूब चहल पहल रही और सब लड़के लड़कियाँ काफी उत्सुक थे.
हमारे ग्रुप में अभी भी केवल जस्सी और नेहा और इधर पूनम और मैं ही थे, दोपहर को एक और लड़की ने हमारे ग्रुप में शामिल होने की इच्छा ज़ाहिर की.नेहा ने उसको कैंटीन में बुला लिया और हम सबको भी इकट्ठे कैंटीन में बुला लिया.

नेहा ने कहना शुरू किया- इनसे मिलो, यह डॉली है और मेरी ही क्लास में पढ़ती है. यह कह रही थी कि उसको कोई लड़कियों का ग्रुप नहीं मिल रहा जिस में वो शामिल हो सके यह हमारे पास आई है और हमारे ग्रुप में शामिल होना चाहती है.पूनम बोली- वैसे तो हमारे ग्रुप में हम तीन ही लड़कियाँ हैं लेकिन डॉली को ग्रुप में शामिल होने से पहले उसको सब कुछ बता दो ताकि वो सब समझ कर ही ग्रुप ज्वाइन करे. क्यों ठीक है सतीश?मैंने हामी में सर हिला दिया.
तब नेहा और जसबीर उसको लेकर दूसरे बेंच में बैठ गई और उसको सब कुछ साफ़ समझाने लगी. ख़ास तौर से हमारे ग्रुप का उन्मुक्त व्यवहार उसको अच्छी तरह से समझा दिया.फिर वो दोनों उसको लेकर हमारे पास आ गई और नेहा ने कहा- डॉली को सब समझा दिया है और उसको हमारे उन्मुक्त व्यवहार के बारे में भी बता दिया है और वो हमारे साथ ही हमारे ग्रुप में शामिल होना चाहती है.
मैं बोला- ठीक है, हमको खुशी होगी कि आप हमारे ग्रुप में शामिल हो रहीं हैं. मुझको यह उम्मीद है कि आप चारों को एक ही कूपे में जगह मिल जायेगी और मुझ को शायद 2 बर्थ वाले या फिर 4 बर्थ वाले केबिन में जगह मिल जायेगी. और दिल्ली और आगरा में मैं सिंगल रूम प्रेफर करूँगा अगर मिल सका तो. इस तरह हम को एक दूसरे से मिलने में काफी आसानी रहेगी. क्यों गर्ल्स?सबने हामी में सर हिला दिया.
हम लोगों को कॉलेज से जल्दी छुट्टी हो गई क्योंकि हमने तैयारी करनी थी. सो हम सबने स्टेशन पर मिलने का वायदा किया और अपने घर चले गए.
पूनम और मैंने खाना खाया और मैं अपने कमरे में आकर आलखन करने लगा.थोड़ी देर बाद पूनम भी आ गई, मेरे साथ ही मेरे पलंग पर लेट गई और धीरे से उसका हाथ मेरे कुर्ते के बटन से चलता हुआ मेरे लंड के ऊपर आ गया और पयज़ामे के बाहर से उसके साथ खेलने लगा.
लंड महाशय रात की मेहनत के बाद अभी थोड़ी सुप्त अवस्था में थे. मैंने पूनम की तरफ देखा, उसकी आँखों में देखा और फिर मैं समझ गया कि इसकी चूत चुदवाने के लिए ज़ोर डाल रही है.मैं उठ कर दरवाज़ा बंद करके फिर लेट गया पूनम के साथ और फिर पूनम अपनी साड़ी थोड़ी सी अपनी टांगों के ऊपर ले आई थी और मेरा भी पायजामा खिसका कर नीचे कर रही थी.
मेरा लंड भी अब धीरे धीरे उन्मुक्त होने लगा था और मैंने पूनम की उठी साड़ी के अंदर हाथ डाल कर देखा, वो भी काफी गर्म हो रही थी.पूनम ने स्वयं ही अपना ब्लाउज खोल दिया था और ब्रा को भी हटा दिया था तो उसके भी मम्मे उन्मुक्त हो चुके थे.मैं भी पूनम की बालों से भरी चूत के साथ खेल रहा था और उसकी भग को भी सहला रहा था.
पूनम अब और इंतज़ार किये बगैर मेरे ऊपर अपनी साड़ी को समेट कर बैठ गई और अपने एक खाली हाथ से उसने मेरा लंड को चूत के अंदर डाल दिया और धीरे धीरे से ऊपर नीचे होने लगी.यदा कदा मैं भी नीचे से धक्का लगा देता था और आहिस्ता आहिस्ता चूत और लंड की लड़ाई तेज़ होने लगी.
मेरे धक्के तेज़ी पकड़ने लगे और फिर जब यह महसूस हुआ कि पूनम की चूत में कम्पन शुरू हो रहा है तो मैंने अपने धक्के बहुत ही तीव्र कर दिए और आखरी पड़ाव पर पहुँच कर मेरे धक्के एक रेल के इंजन की तरह तेज़ी से अंदर बाहर होने लगे थे, लंड एकदम लाल हो रहा था और उसका गुस्सा चूत को भी महसूस हो रहा था और उसने अपनी आदत के मुताबिक खुलना बंद होना शुरू कर दिया था.
पूनम एक लम्बी सांस लेकर मेरे ऊपर से नीचे आ गई और मैंने उससे पूछा- क्यों ठकुराइन, अभी और ताश का पत्ता फेंकूं या फिर अभी और नहीं?पूनम बोली- बस करो मेरे प्यारे ठाकुर, फिर कभी देखेंगे तुम्हारी पूरी ठकुराई.फिर हम एक दूसरे की बाँहों में बंध कर सो गए.
रात को हम सब लड़के लड़कियाँ स्टेशन पर मिले.वहाँ दोनों मैडमों की मदद के लिए मुझको और एक दूसरी लड़की को नियुक्त किया गया.हम दोनों ने तय किया कहाँ लड़के बैठेंगे और कहाँ लड़कियाँ बैठेंगी. अपनी 4 फ्रेंड्स को एक केबिन दे दिया और इसी तरह बाकी की चार लड़कियों को दूसरे केबिन में एडजस्ट कर दिया और बाकी बची 2 लड़कियों को दो सीट वाले कूपे में बिठा दिया.इसी तरह लड़को को भी 4-4 वाले 2 केबिन और बाकी को 2 वाले में बिठा दिया, मैडमों को भी एक 2 वाले कूपे में एडजस्ट कर दिया.
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