XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
08-18-2021, 12:08 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
भाभी को नंगी करके नैना ने अब मेरी तरफ ध्यान देना शुरू किया लेकिन इससे पहले कि वो मेरे शरीर के किसी कपड़े को छू पाती, भाभी ने उसको रोक दिया और वो स्वयं ही मुझ को निर्वस्त्र करने लगी.मेरा कुरता उतारने के बाद जैसे ही वो मेरे पजामे की तरफ बढ़ी और उसके नाड़े को खोल कर नीचे किया, वैसे ही मेरा फनधारी नाग एकदम उछला और भाभी के नाक को हल्का प्यार भरा छू कर सीधा सलामी की मुद्रा में खड़ा हो गया.
भाभी थोड़ी सी भौंचक्की हुई लेकिन जल्दी ही सम्भल गई और मेरे लौड़े को चूमने लगी.मैंने भाभी को प्यार से उठाया और उनको गले लगा लिया और उनके होटों पर एक ज़बरदस्त कामुक चुम्मी जड़ दी..
फिर मैंने भाभी के सॉलिड और गोल मुम्मों को चूसना शुरु किया और उनके चूचुक को धीरे धीरे अपने होटों में गोल गोल घुमाया और चूसा. एक हाथ भाभी की चूत में डाला और महसूस किया तो वो एकदम गीली हो चुकी थी.
मैं झुक कर भाभी की चूत में मुंह डाल कर उनकी चूत के लबों को चूसने लगा और उनकी भग को थोड़ा चूसा.भाभी ने अपने दोनों हाथ मेरे सर और बालों में फंसा रखे थे और ज़ोर से मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत में फंसा रखा था और मैं भी मस्ती में उनकी चूत में भग को चूस रहा था.
अब उनको तैयार हुई देख कर मैं भाभी को लेकर बिस्तर पर आ गया और उनको चित लिटा कर जल्दी से उनकी खुली टांगों में बैठ कर अपने लंड को भाभी की टाइट चूत के मुंह पर रख कर एक हल्का धक्का दिया और धीरे धीरे लंड को पूरा अंदर डाल कर थोड़ी देर रुक गया.
अब भाभी की चूत अंदर से सिकुड़ने लगी और मैं समझ गया कि भाभी शीघ्र ही छूटने वाली हैं, मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी. जल्दी ही भाभी का शरीर एक हल्की सी कंपकंपाहट के साथ हिलने लगा और मैंने कस कर भाभी को अपने से चिपटा लिया.भाभी हाय हाय करते हुए झड़ गई लेकिन मैंने फिर धीरे धीरे से भाभी को चोदना शुरू किया और साथ ही अपने मुंह को भाभी के मोटे मुम्मों पर टिका कर चूचियों क चूसना जारी रखा.
अब भाभी को चुदाई का बहुत आनन्द आने लगा और वो चूतड़ उठा उठा कर हर धक्के का जवाब दे रही थी और अपनी आँखें बंद किये हुए ही मेरे से चिपक चिपक कर चुदवा रही थी.अब मैंने धक्कों की स्पीड तीव्र कर दी, उर्वशी भाभी अपना सर हिलाते हुए फिर एक बार स्खलित हो गई.
नैना ने इशारा किया और तब मैं भी अपना छुटाने के लिए तैयार हो गया और लंड द्वारा भाभी के गर्भाशय द्वार को ढून्ढ कर अपने लंड पिचकारी छोड़ दी.नैना ने जल्दी से भाभी के चूतड़ों के नीचे एक तकिया रख दिया और उनकी चूत पर एक मोटा तौलिया भी रख दिया ताकि वीर्य सारा का सारा चूत के अंदर ही रहे जिससे गर्भाधान की सम्भावना बढ़ जाती है और भाभी की टांगें भी हवा में ऊपर कर दी कुछ समय के लिए!
भाभी के साथ मैं थोड़ी देर के लिए लेट गया और उनके शरीर पर हल्के हल्के हाथ फेरने लगा जिससे मुझको बड़ा ही आनन्द आ रहा था.थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे और फिर भाभी ने आँखें खोली और मुझको ताबड़तोड़ लबों पर चूमने लगी और मैं भी उनके जवाब में भाभी को चूमता रहा.
अब भाभी का एक हाथ मेरे लौड़े पर पड़ा हुआ था और वो उसको सहलाने की कोशिश करने लगी ताकि वो फिर से खड़ा हो जाए लेकिन मेरा लंड तो अपने आप खड़ा था तो भाभी को ज़्यादा ज़हमत नहीं उठानी पड़ी.मेरे अकड़े हुए लेकिन गीले लंड को नैना ने तौलिये से साफ़ किया और कहा- भाभी को घोड़ी बना कर चोदो.
भाभी बोली- यह घोड़ी कैसे बनना होता है? मैं तो पहले कभी घोड़ी बन कर नहीं चुदी. ठाकुर साहिब तो सिर्फ इसी तरीके से चोदा करते हैं जैसे सतीश ने अभी चोदा… वैसे ही चोदते आये हैं आज तक!मैंने भाभी से पूछा- क्या तुम कभी घोड़ी बन कर नहीं चुदी? क्या तुम्हारा कभी चूत से पानी नहीं छूटा?
भाभी बोली- नहीं तो कभी पानी नहीं छूटता लेकिन आज सतीश से चुदा कर तो बहुत ही आनन्द आया और मुझको लगा कि मेरे अंदर से कुछ पानी छुटा है, लेकिन वो गया कहाँ?नैना ने भाभी को उठा कर बैठाया और बिस्तर पर पड़े पानी के दाग भी दिखाए.भाभी एकदम हैरान हुई देख रही थी.
तब नैना बोली- लगता है आप कभी भी अपने पति से संतुष्ट नहीं हुई थी. क्यों सच है ना?भाभी कुछ सोचते हुए बोली- हाँ, ठीक कह रही हो तुम शायद, मुझको आज तक ऐसा आनन्द नहीं आया जैसे कि सतीश ने आज मुझको दिया है.
अब नैना ने भाभी को घोड़ी बना दिया और मुझको इशारे से कहा कि चढ़ जाऊं पीछे से और मैं भी जल्दी ही भाभी के चूतड़ों के पीछे से भाभी की चूत का निशाना बनाया और हल्के से धक्का मारा और भाभी की टाइट चूत में लंड को घुसेड़ दिया और भाभी एक बार बिदकी और जब लंड पूरा अंदर समा गया तो वो सामान्य हो गई तो मैं भी हल्के धक्कों से शुरू कर तेज़ स्पीड पर आ गया.भाभी भी आनन्द लेती हुई चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी.
दस पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद भाभी बहुत ही ज़ोर से झड़ गई और उनका सारा शरीर एक झनझनाहट से हिलने लगा. मैंने अब काफ़ी तेज़ी से घुड़दौड़ शुरू कर दी और फिर लंड को पूरा निकाल कर फिर अंदर डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी और भाभी और भी तेज़ी से मेरे हर धक्के का जवाब देने लगी.
अब नैना के इशारे पर मैंने भाभी की चूत में उनकी बच्चेदानी का मुंह ढूंढ कर ज़ोरदार वीर्य की पिचकारी मार दी.इससे पहले कि भाभी पलंग पर लेटती मैंने कस कर उनके चूतड़ों को पकड़ लिया और उनको ऊपर ही उठाये रखा और नैना ने उनके पेट के नीचे मोटा तकिया रख दिया.भाभी आँखें बंद कर के पेट के बल चित लेटी रही.
मैं उठा और बाथरूम में जाकर अपनी सफाई करके आ गया.नैना ने फिर भाभी को पलंग पर लिटा दिया और उनसे आहिस्ता से बातें करने लगी और मैं दोनों को छोड़ कर बैठक में आ गया.

कहानी जारी रहेगी.
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