XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
08-17-2021, 12:38 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
भाभी भैया और सब का ग्रुप सेक्स

फिर हम सब काफी थक चुके थे सो वो हम सब फर्श पर गद्दे बिछा कर एक दूसरे की बाँहों में सो गए.अगले दिन हम सब उठे और रात की ग्रुप चुदाई से सभी काफी खुश थे, सबके दिलों के अरमान पूरे हो चुके थे.नैना ने हम सबको मेरे कमरे में ही चाय-वाय पिलाई.
भैया भाभी को चूम रहे थे और भाभी मेरे लौड़े से अठखेलियाँ कर रही थी और मैं भी उनके मोटे और मुलायम चूतड़ों के साथ खेल रहा था.फिर हम सब चाय पीने के बाद उठे और भाभी और भैया अपने कमरे में नंगे ही चले गए.
मैं भी नाश्ता करने के बाद कॉलेज भाग गया.
दोपहर जब कॉलेज से वापस आया तो पता चला कि भैया और भाभी खाना खाने के बाद अपने कमरे में ही हैं.मैंने खाना खाने के बाद सोचा कि चलो देखें भैया भाभी सच्ची में सो रहे हैं या फिर वो मस्ती कर रहे हैं.
दरवाज़ा थोड़ा भिड़ा हुआ था, मैंने चुपके से झाँक कर देखा, भैया और भाभी नंगे ही एक दूसरे की बाहों में सो रहे थे.मैं भी वापस आ गया और अपने कमरे में आलखन करने लगा.

तभी नैना भी आ गई और आगे का क्या प्रोग्राम यह पूछने लगी.मैं बोला- तुम बताओ आगे क्या करना चाहिए?नैना बोली- छोटे मालिक, मेरी बात आज दिन को भाभी से हुई थी, वो चाहती हैं कि तुम भाभी को गर्भवती करो क्यूंकि भाभी ने बहुत पहले भैया के वीर्य का टेस्ट करवाया था तब उसमें कीड़े बहुत ही कमज़ोर पाये गए थे और डॉकटरो का कहना था की भैया बाप नहीं बन सकते.
मैं बोला- यह बात भाभी जब मुझ से कहेगी तो मैं जैसा तुम कहोगी, वैसा ही करूँगा लेकिन बगैर भाभी की मर्ज़ी के उनके साथ कुछ नहीं करूंगा सिवाए चुदाई के.नैना बोली- ठीक है, मैं भाभी को कह देती हूँ, आगे भाभी जैसे ठीक समझे वो करे. वैसे आज भैया के साथ क्या प्रोग्राम रखेंगे हम?
मैं बोला- तुम बताओ नैना रानी, तुम इस खेल की डायरेक्टर हो?नैना हँसते हुए बोली- ऐसा करते हैं, आज पारो को भी हमारे ग्रुप में शामिल कर लेते हैं अगर भाभी राज़ी हो तो? पारो को भी एक बार उनसे चुदवा देंगे तो उनका कॉन्फिडेंस शायद और भी बढ़ जाए.मैं बोला- ठीक कह रही हो, नैना चूत की खिलाड़िन, नैना चूत की महराजिन और नैना चूत की डॉक्टर, ट्रेनर और चूत कंट्रोलर यह सब कुछ है तुम में!नैना बोली- बस बस छोटे मालिक, बहुत तारीफ हो गई मेरी!
इतने में भाभी अपने कमरे से अपनी नाइटी पहने हुए निकली.नैना ने सीधे से पूछा- भैया ने चोदा क्या?भाभी मुस्कराते हुए बोली- हाँ दो बार चोद डाला उन्होंने.
हम सब बड़े खुश हुए लेकिन भाभी ने सिर्फ़ नैना की तारीफ करते हुए कहा- वाह नैना महारानी, तुमने जादू कर दिया. भैया मुझ को ऐसे चोद रहे हैं जैसे हमारा नया नया ब्याह हुआ है.नैना भी खुश होकर बोली- चलो, यह ठीक हो गया है. अब आपकी क्या मर्ज़ी है बच्चे के बारे में?
भाभी कुछ शर्माती हुई बोली- अगर सतीश दया कर दे और मुझको अपना वीर्य दान दे दे तो मैं धन्य हो जाऊँगी.मैं बोला- अब तो भैया भी सक्षम हैं न, वो कर देंगे आपका कल्याण क्यों?भाभी बोली- ऐसा संभव नहीं सतीश यार, तुम ही कर सकते हो मेरी मदद, बोलो क्या कहते हो?मैं बोला- भैया के होते यह सम्भव नहीं, जब भैया फिर टूर पर जाएंगे तो कोशिश की जा सकती है.
नैना बोली- छोटे सरकार ठीक कह रहे हैं, कल कोशिश कर देखते हैं. आज क्या करने का इरादा है?भाभी बोली- तुम बताओ क्या प्रोग्राम रखें रात के लिए?
नैना बोली- मैं सोच रही थी आज रात को पारो अपनी कुक को भी शामिल कर लेते हैं अपने ग्रुप में. तीन औरतों से भैया को भिड़ा देते हैं. उनका कॉन्फिडेंस बहुत बढ़ जाएगा, अगर आप बुरा ना मानें तो?भाभी बोली- बहुत अच्छा प्लान है. पारो सब जानती है ना?नैना बोली- बिल्कुल, वो हमारी साथिन है, क्यों छोटे मालिक?मैं बोला- आप निश्चंत रहें भाभी जी!नैना बोली- आज हम सब के लिए स्पेशल डाइट बना रही है और आशा है कि उससे आप सबको फायदा होगा, ख़ास तौर पर मर्दों को.
भैया अपने कमरे से निकले और हमें बातें करते देख कर हमारी तरफ ही आ गये, आते ही बोले- स्पेशल डाइट? वो क्या है नैना रानी बताओ तो सही?नैना बोली- आप खुद ही देख लेना खाने के बाद, मैं अभी सबके लिए चाय लाती हूँ आप बैठक में बैठिये.
चाय पीने के बाद भैया हम सबको अपनी कार में लखनऊ शहर घुमाने ले गए.1954 में लखनऊ एक बहुत ही छोटा शहर था, सिवाए 2 इमामबाड़े के लखनऊ में कुछ ख़ास नहीं था देखने को!फिर भी भैया गोमती नदी की सैर करवा आये.
घर आकर भैया ने मुझको अपने कमरे में बुलवाया और कहा- सतीश यार, तुम हमारे लिए इतना कर रहे हो, कुछ हमारा भी फ़र्ज़ बनता है, आओ कुछ ड्रिंक वैगरह कर लेते हैं.मैंने कहा- भैया मैं कुछ नहीं पीता हूँ सिवाए कोकाकोला के, आप शुरू करो, मैं कोक पीता हूँ.भैया बोले- यार, यह कुछ नहीं है सिर्फ बियर ही है, इसमें कुछ नशा नहीं होता.

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08-17-2021, 12:39 PM,
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मैं बैठ गया और भैया ने एक गिलास में अपने लिए बियर डाली और दूसरे में मेरे लिए, मैंने थोड़ी सी पी, स्वाद कुछ बकबका लगा लेकिन मैं भैया की खातिर सारी पी गया.भैया पूरी बोतल गटक गए.
कॉलेज में दूसरे लड़के बताते थे कि बियर में कोई ख़ास नशा नहीं होता फिर भी मैंने इसकी आदत नहीं डाली थी.
फिर नैना ने कहा- खाना लग गया है.हम उठ कर बैठक में चले गए.पारो ने आज खाने में ख़ास तौर पर गुरदे कपूरे सूखे बनाये और साथ में मटन चोप्स बनाई थी जो बहुत ही टेस्टी थी और साथ में नान थे.
बाद में नैना ने सबके लिए स्पेशल बनाई डिश देसी अण्डों का हलवा सबको दिया, जिसको सबने बहुत पसंद किया और कहा- पहले कभी नहीं खाया ऐसा हलवा!खाना खाकर कोक पीया सबने और फिर सब मेरे कमरे में इकट्ठे हो गए.तब तक नैना और पारो भी रसोई से फ़ारिग़ होकर हम सबके साथ आकर ग्रुप में शामिल हो गई.
मैंने नैना को कहा- कमरे में 3-4 मोटे गद्दे बिछा दो ताकि सारी कारवाई नीचे ही की जाए.दोनों ने झट ऐसा ही किया.पारो को देख कर भैया ने कहा- पारो भी अच्छी खासी औरत है यार सतीश, क्या यह भी शामिल होगी आज की चोदमचोद में?मैं बोला- लगता तो है भैया, यह भी शामिल होगी हमारे साथ..
फिर नैना बोली- आप दोनों मर्द यहीं बैठो, हम सब औरतें तैयार होकर आती हैं. उसके बाद आपको इनमें से सही औरत को पहचानना होगा. अगर ठीक से पहचान लिया तो उसको आप चोद सकोगे अगर नहीं पहचान पाये तो दूसरी औरत को पहचानना होगा.
थोड़ी देर बाद तीनों औरतें अजीब अजीब कपड़े पहन कर कमरे में आई.पहले भैया की बारी थी.जब पहली औरत उनके आमने से निकली तो वो बोले- चाल ढाल से तो तुम्हारी रश्मि भाभी लग रही है, फिर भी मेरे ख्याल में यह तो शायद पारो है.
इतना सुनते ही उस औरत ने अपना घूँघट हटा दिया और वो सच में ही पारो ही थी.घूँघट हटाते ही उसके सारे कपड़े अपने आप से उतर गए और वो सीधे ही भैया की गोद में बैठ गई.
अब दूसरी औरत आई और मेरे सामने आ कर खड़ी हो गई थी.मैं झट से पहचान गया कि वो भाभी हैं, मैंने ज़ोर से कहा- भाभी जी हैं यह!
और जैसे ही घूंघट हटा तो देखा वाकयी में वो भाभी ही थी. भाभी के भी सारे कपड़े अपने आप उतर गए थे और वो नंगी होकर मेरे सामने आ कर मेरी गोद में बैठ गई..
अब रह गयी नैना, वो भी आई और अपने कपड़े उतार कर चुदाई को सही ढंग से चलाने का काम करने लगी.
अब जब हम दोनों मर्दों ने कपड़े उतारे तो सब यह देख कर दंग रह गए कि भैया का लंड एकदम तना हुआ था, मेरा भी वैसे ही तना हुआ था.नैना ने हम दोनों को लाइन में खड़ा कर दिया और पहले पारो को आवाज़ दी कि वो पहले भैया के खड़े लंड को चूसे और उसको चाटे और उसका छुटाने की कोशिश करे.
पारो झट से आई और भैया के खड़े लंड को चूसने लगी और उधर भाभी भी नीचे बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी.लेकिन न पारो, न ही भाभी हम दोनों के लंड को छुटा पाये और वो वैसे के वैसे ही तने खड़े रहे.
अब नैना ने आदेश किया कि दोनों औरतें घोड़ी बन जाएँ और दोनों आदमी उनको पीछे से चोदेंगे.
मैं और भैया झट से अपने काम में लग गए.भैया ने नैना के इशारों के मुताबिक पहले धीरे धीरे से चुदाई की पारो की और फिर आहिस्ता से स्पीड तेज़ कर दी.वो ध्यान से मेरे चुदाई के तरीके को देख रहे थे.मैं तो भाभी की चूत से लंड पूरा निकाल कर फिर धीरे से सारा लंड अंदर डाल देता था, ऐसा मैंने कई बार किया.
भैया भी ठीक वैसे ही करने लगे और थोड़े टाइम में ही पहले भाभी का छूट गया और जल्दी ही पारो भी चिल्लाती हुई छूट गई.
अब नैना ने पारो की जगह ले ली और भैया को खूब सताने लगी.जैसे ही भैया मेरी तरह अपने को रोक कर धक्का मारते, नैना अपनी चूत को तेज़ी से आगे पीछे करने लगती.और जैसे ही नैना को लगता कि भैया का छूटने वाला है, वो झट से रुक जाती और भैया एक गहरी सांस लेते और उनका वीर्य बाहर आते आते रुक जाता.
यह सिलसिला भैया और नैना के बीच काफी देर से चलता रहा और नैना भी कोई 3-4 बार छूट गई थी.इस बीच मैं भी भाभी को 3-4 बार छूटा चुका था और जब भाभी बोली ‘सतीश, अब और नहीं…’ तो मैंने उनको छोड़ा.
फिर मैं पारो को साथ शुरू हो गया. मैं पलंग पर बैठ गया और पारो को अपनी गोद में बिठा लिया और उसको चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर पारो को आगे पीछे करने लगा.वो इतनी गर्म हो चुकी थी लो वो 5 मिन्ट में झड़ गई और उसकी चूत से निकला दूधिया पानी मेरे हाथ पर जमा हो गया.
मैं उठा और पारो का दूधिया पानी भाभी के मम्मों पर लगा दिया और फिर उसको चूसने लगा. भाभी में अब फिर से हरकत होने लगी और मैं अब उसकी टांगों में बैठ कर लंड को चूत में पेल कर उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख दिया और पूरी स्पीड से भाभी की चुदाई करने लगा.
यह सिलसिला अभी और चलता लेकिन भाभी, नैना और पारो ने अपने हाथ खड़े कर दिए और कहा- अब और नहीं.भैया ने सब औरतों को इकट्ठा किया और एक तरफ मुझको खड़ा किया और दूसरी तरफखुद खड़े हो गए और बीच में तीनों औरतों को खड़ा किया और सबको कहा कि एक दूसरे की बाँहों को पकड़ लें और फिर वो सबको लेकर कमरे का चक्कर लगाने लगे और ज़ोर ज़ोर से गाने लगे- हरा दिया भई सबको हरा दिया. सब चूतें हारी और यह लण्डों की जीत हुई है.
नैना बोली- यह सब कमाल है स्पेशल डिश का है, उसने जिताया इनको और हराया हमको.

कहानी जारी रहेगी.

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08-17-2021, 12:39 PM,
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घोड़ी बन कर चूत चुदाई

नैना बोली- यह सब कमाल है स्पेशल डिश का है, उसने जिताया इनको और हराया हमको!भाभी बोली- वो कैसे?नैना बोली- वो ऐसे कि यह डिश ख़ास तौर से आदमियों के लिए बनाई जाती है और यह बड़े बड़े नवाबों की ख़ास-उल-ख़ास डिश होती थी और इस हलवे को खाकर वो एक रात में दर्जनों औरतों को चोद देते थे.लेकिन यह डिश अगर औरत खाए तो वो बड़ी ही कामवासना से भर जाती है और काम क्रीड़ा में ज़्यादा देर नहीं टिकती लेकिन कई बार चुदवाने के लिए तैयार रहती हैं, यही कारण है कि औरतें हार गई और आदमी अभी भी डटे हैं मैदान-ऐ-जंग में!
भैया बोले- क्यों नैना रानी, अब और क्या प्रोग्राम है?नैना बोली- आप दोनों मर्दों ने तो खूब ऐश कर ली, अब हमारी बारी है क्यूंकि हमारी चूतें अभी तक भूखी प्यासी हैं.भैया अपने लोहे के समान खड़े लौड़े को देखते हुए कहा- हाँ हाँ, आ जाओ फिर से मैदान में, एक एक की बजा कर रख देंगे हम दोनों.
नैना ने कहा- हमको नहीं बजवानी अपनी चूत, हमको तो चटवानी हैं अपनी अपनी, करोगे क्या?मैं बोला- क्यों नहीं, ज़रूर करेंगे आपकी सेवा, क्यों भैया?भैया सोच में पड़ गए.

भैया को सोचते देख कर भाभी बोली- अरे जाने दो नैना रानी, भैया ने यह काम कभी किया ही नहीं, क्यूंकि यह तो इनके लिए नीच काम है ना! क्यों जी?भैया अगल बगल झाँकने लगे.मैंने मौके की नज़ाकत को भांपा और कहा- अरे भाभी आप क्या बातें कर रही हैं, अगर भैया ने यह काम पहले नहीं किया तो क्या हुआ हम सिखा देंगे न भैया को और पूरा परफेक्ट बना देंगे उनको.
मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और उनको गद्दे पर लिटा दिया, पहले मैंने उन मोटे उरोजों को चूसा और फिर उनकी चूचियों को मुंह में डाल कर चूसा.भाभी ने जोश में अपनी कमर उठा दी और मेरे मुंह को अपनी चूत में डाल दिया.मैं बड़े मज़े से अब उनकी सफाचट चूत के होटों को चूसने लगा और फिर धीरे से अपनी जीभ का कमाल दिखाने लगा.
उधर नैना भैया को उठा कर भाभी और मेरे पास ले आई और भैया और नैना हमारी चूत चुसाई को बड़े ध्यान से देखने लगे.पारो भी खाली नहीं बैठना चाहती थी तो वो भी भैया के पीछे खड़ी होकर उनके अंडकोष को हाथों में मसलने लगी.
भाभी ने बड़ी ज़ोर ज़ोर से अपने मज़े उजागर करने लगी, वो ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी और अपनी कमर को उठा कर अपनी चूत मेरे मुंह के साथ जोड़ दी, और फिर वो थोड़ी देर और चुसाने के बाद एकदम झड़ना शुरू हुई और मेरे मुँह को अपनी संगमरमर वाली जाँघों में ज़ोर से दबा दिया.
.पारो भी भैया के लंड को अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी, थोड़ी देर में भैया को भी मज़ा आने लगा और वो अपने लंड को पारो के मुंह में आगे पीछे करने लगे.
नैना ने भैया के मुंह के साथ अपना मुंह जोड़ दिया और उनके होटों को चूसने लगी, कभी जीभ भी मुंह के अंदर डाल देती.भैया ने पारो के मुंह में अंदर बाहर हो रहे लंड को और तेज़ी से अंदर डालना शुरू कर दिया. पारो को नैना ने आँख मारी और इशारा किया- बस और नहीं, कहीं भैया का छूट न जाए!
अब नैना ने भैया को अलग किया और खुद नीचे लेट गई और अपनी टांगें पूरी तरह से चौड़ी कर दी और पारो ने भैया के हिचकिचाते हुए मुंह को बालों से भरी चूत में डाल दिया.नैना ने भैया के सर को अपनी चूत में भग के ऊपर रख दिया और हाथ से उनको भग को चूसने के लिए प्रेरित करने लगी.भैया भी जल्दी समझ गए और अब पूरी मुस्तैदी से नैना की चूत को चूसने लगे.और जैसे जैसे भैया सीखते गए वो भी एक एक्सपर्ट की तरह नैना की चूत को चाटने और चूसने लगे.
भाभी और मैं एकदम मस्ती से चूत चटाई में व्यस्त थे.फिर भैया भी अपने बड़प्पन को भूल गए और आम आदमियों की तरह ही औरतों की सेवा में लग गए.
जब नैना छूट गई तो उसने सबको कहा- ताली बजाओ… भैया सीख गए एक और चुदाई सबक!
अब हम सब थक कर आलखन करने लगे.नैना उठी और नंगी ही अपने मम्मे हिलाती हुई बाहर गई और जल्दी ही सबके लिए ग्लासों में कोक डाल कर ले आई.कोक पीते ही हम सब काफी फ्रेश हो गए.

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08-17-2021, 12:39 PM,
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मेरा सर भाभी की नंगी गोद में पड़ा था और भैया पारो की गोद में सर रख कर आलखन फरमा रहे थे. यह देख कर नैना बड़ी खुश हो रही थी कि उसका बनाया हुआ प्लान पूरा खरा उतर रहा था.भैया अब पूरी तरह से चुदाई कार्य सीख गए थे और बड़ी मस्ती से सबको चोद रहे थे.
नैना बोली- क्यों देवियो और देवताओ, आपकी क्या मरजी है, अब खेल बंद करें या अभी और चुदाई करनी है?सबने बोला- अभी कुछ देर और… लेकिन क्या करना है यह तुम ही बताओगी?नैना ने कहा- आओ घोड़ियों की रेस खेलते हैं.सब बोल पड़े- यह घोड़ियों की रेस क्या चीज़ है नैना रानी?
नैना बोली- हम में से दो औरतें घोड़ी बन जाएंगी और ये दोनों घोड़े हम पर पीछे से चढ़ेंगे. जो औरत बच जायेगी वो इस खेल की कप्तान होगी और वो यह देखेगी कि कौन सी घोड़ा-घोड़ी की जोड़ी आखरी टाइम तक टिकती है. जो घोड़ा या घोड़ी हार मान जायेगा उस की टीम हार गई मानी जायेगी. क्यों मंज़ूर है?भैया कुछ थके हुए लग रहे थे लेकिन फिर भी इस नई गेम के लिए तैयार हो गए.
नैना ने कहा- भैया जी, आप अपने लिए सवारी पसंद कर लीजिये?भैया ने कहा- पसंद क्या करना है, जो भी मेरे साथ पार्टनर बनाना चाहे वो आ जाए.पारो बोली- नैना और भाभी यह गेम खेलेंगी और मैं रेफरी का काम करूंगी.नैना बोली- भैया अब चुन लो अपना पार्टनर?
भैया ने भाभी की तरफ देखा तो वो थोड़ी सी मेरी तरफ देख रही थी और नैना ही थी जो उनकी तरफ देख रही थी.भैया ने नैना को आँख मारी और कहा- मैं अपनी घोड़ी नैना को बनाऊँगा और उसकी सवारी करूंगा. क्यों सतीश ठीक है न? तुम भाभी को अपनी घोड़ी बना लो!मैं बोला- जैसे आप कहें भैया, वैसे भाभी से भी पूछ लेते हैं कि उनकी क्या मर्ज़ी है? क्यों भाभी?भाभी मुस्कराते हुए बोली- जैसा तेरे भैया कहें, वही ठीक है.
पारो बोली- दोनों घोड़ियाँ अपनी अपनी जगह पर घोड़ी बन जाएँ और घोड़ों का इंतज़ार करें. किसी घोड़ी या फिर घोड़े को कुछ पीने या खाने की इच्छा हो तो बता दे, नहीं तो फिर रेस शुरू होती है अब!और यह कह कर उसने एक सीटी बजाई और कहा- चढ़ जाओ शहसवारो!
नैना और भाभी गद्दे पर घोड़ी बन कर तैयार हो गई और भैया घोड़े की तरह हिनहिनाते हुए आये और नैना की चूत और गांड को सूंघने लगे.यह देख कर सब घोड़ियाँ और घोड़े ज़ोर से हंस पड़े.
मैंने भी भैया की तरह ही पहले भाभी की चूत और गांड को सूंघा और फिर हिनहिनाते हुए घोड़ी बनी भाभी पर पीछे से मोटे लंड को पेल दिया.भाभी थोड़ी देर के लिए उचकी और फिर मेरा पूरा लंड अंदर ले गई और अपनी गांड को मेरी अंडकोष के साथ जोड़ दिया.
उधर भैया भी बिल्कुल मेरी नक़ल कर रहे थे, वो भी लंड अंदर डाल कर नैना को पीछे से हाथ डाल कर उसके मम्मों के साथ खेल रहे थे और साथ में धक्के भी काफी तेज़ मारने शुरू हो गए थे.
मैं धीरे धीरे घोड़ी को दौड़ा रहा था ताकि वो थक ना जाए. मैंने एक हाथ अंदर डाल कर भाभी की चूत के भग को सहला रहा था जिस से भाभी और भी गर्म हो रही थी.लेकिन भाभी छिपी आँखों से भैया को भी देख रही थी कि वो कैसे चुदाई का खेल कर रहे थे और मेरा भी साथ निभा रही थी अपने चूतड़ों को आगे पीछे कर के!कोई 10 मिन्ट गुज़र चुके थे, भाभी एक बार छूट चुकी थी लेकिन मैं अब घोड़ी को सरपट भगा रहा था.
उधर भैया भी अब घोड़ी को बेलगाम कर के उसके ऊपर लेट चुके थे.लेकिन नैना भैया को हारने देना नहीं चाहती थी तो वो उनको संभाल रही थी, बार बार उसको अपने चूतड़ों के धक्के से इशारा भी कर रही थी कि घुड़सवार धीरे चलो!मैंने महसूस किया कि भाभी भी यही चाहती थी कि भैया ही जीतें सो उन्होंने जानबूझ कर तीसरी बार जब उनका छूटा तो वो लेट गई और कहने लगी- मैं हार गई… बस और नहीं!नैना और भैया अभी भी धक्काशाही में लगे हुए थे.
पारो ने ज़ोर से सिटी बजा कर कहा- भैया और नैना जीत गए यह घुड़दौड़!भैया पसीने पसीने हो रहे थे और नैना भी थकी हुई लग रही थी लेकिन मैं और भाभी अभी भी फ्रेश लग रहे थे. हम दोनों उठे और भैया और नैना को जीत की बधाई दी और कहा- नैना का चेला कैसे हार जाता यारो!
फिर पारो ने हम चारों की सेवा शुरू कर दी, मीठा शरबत रूह अफ्ज़ा बनाया हुआ रखा था, वो सबने पीया और कुछ थकावट कम होने लगी.फिर भाभी ने नैना और पारो को 100-100 रूपए का इनाम दिया और उन दोनों को बड़ा धन्यवाद दिया कि बड़ा अच्छा प्रोग्राम हो गया.फिर वो दोनों नंगे ही अपने कमरे में चले गए.

कहानी जारी रहेगी.

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08-17-2021, 12:39 PM,
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भाभी के गर्भाधान की तैयारी

फिर भाभी ने नैना और पारो को 100-100 रूपए का इनाम दिया और उन दोनों को बड़ा धन्यवाद दिया कि बड़ा अच्छा प्रोग्राम हो गया.फिर वो दोनों नंगे ही अपने कमरे में चले गए.
अगले दिन मैं समय पर कॉलेज चला गया और जाने से पहले भैया को ‘हैप्पी टूर’ बोल गया क्योंकि वो 2 दिन और एक रात के लिए दूसरे शहर जाने वाले थे.
कॉलेज से लौटने पर नैना ने मेरा स्वागत किया और ठन्डे पानी का गिलास मुझ को दे गई.मैंने भाभी के बारे में पूछा तो वो बोली- भाभी और पारो कुछ खरीदना था, वो शहर गई हैं.
फिर वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन रुक रही थी जैसे कुछ झिझक महसूस कर रही हो.मैं बोला- क्यों नैना डार्लिंग, कुछ ख़ास बात है क्या? कह दो बेझिझक!नैना बोली- आज वो दोनों सेठानियाँ आई थी और आपका पूछ रही थी.मैं बोला- वो मेरे बारे में क्या पूछ रही थी?
नैना मुस्कराते हुए बोली- उनकी चूतों में खुजली हो रही थी, तो वो मिटवाना चाहती थी.मैं भी ज़ोर से हंस दिया- यूँ कहो न कि वो चुदवाना चाहती थी… तो तुमने क्या कहा उनको?नैना बोली- मैंने तो पहले उनका चेकअप किया, दोनों को माहवारी आये दो दो महीने हो चुके थे यानि वो पूरी तरह से गर्भवती हो चुकी थी और बड़ी खुश थी, बता रही थी कि उनके परिवार में सब बड़े खुश थे खासतौर पर उनके सेठ लोग!

मैं हँसते हुए बोला- नैना रानी, तुमने मुझको इतनी छोटी उम्र में ही बाप बना दिया है. उधर गाँव में 4-5 औरतें भी गर्भवती हो गई थी और उनका बाप भी मुझको बनाया जा रहा है, उफ्फ्फ, क्या समय आ गया है. यह सब किया कराया उन के पतियों का है और तुम नाम मेरा जड़ रही हो.नैना भी हँसते हुए बोली- वो पड़ोस वाली आंटी भी आई थी और वो भी पूरी तरह से गर्भवती है और तुमको चूमना और चोदना चाहती थी.मैं बोला- चूमना और चोदना तो ठीक है लेकिन खामखाह में मुझको बाप ना बनाओ यारो.
नैना बहुत हंस रही थी और कह रही थी- मुझ को भी अगर शामिल किया जाए तो आप कम से कम एक दर्जन बच्चों के बाप बन चुके हो छोटे मालिक.मैं बोला- नैना रानी, यह हंसने वाली बात नहीं है लेकिन यह सब मुझ को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि मैं एक दिन बहुत ही बड़ी मुसीबत में फंसने वाला हूँ.
नैना बोली- आप भाभी का गर्भाधान कर दो फिर हम सोचेंगे कि इस बारे में क्या किया जाए. मैं थोड़े टाइम बाद आपके वीर्य का टेस्ट करवाना चाहती हूँ, क्या कारण है कि जिस औरत को भी आप सही समय में चोदते हो, वो गर्भवती कैसे हो जाती है?मैं बोला- हाँ नैना रानी, यह टेस्ट करवा लेते हैं, यह करना बहुत ज़रूरी है. तुमने उन सेठानियों और पड़ोस वाली आंटी को क्या कहा फिर?नैना बोली- क्या कहना था, सब को डरा दिया कि इस समय गर्भ पूरी तरह से ठीक नहीं है तो से चुदाई से परहेज़ करना चाहिए आप सबको, अपने पतियों से भी!
मैं उदास हो कर बोला- उफ़्फ़, दो दो संगमरमर के बने बुतों को मुझ को चोदने नहीं दिया. कितनी मुश्किल से तो इतनी खूबसूरत औरतें हाथ लगी थीं और तुमने जल्दी से उनको गर्भवती बना दिया.नैना हँसते हुए बोली- आप बेफिक्र रहे छोटे मालिक, ऐसे कई और ग्राहक आएंगे जैसे सेठानियों की खबर उनकी जानकार सहेलियों में फैलेगी और इनसे ज़्यादा खूबसूरत औरतें तुम्हारे पीछे भागेंगी.
मैं खुश होते हुए बोला- अगर यह खबर मम्मी पापा को पता चल जाती है तो मेरे तो मुंह में कालिख पुत जायेगी.नैना बोली- आप घबराएं नहीं छोटे मालिक, वो दोनों बड़े ही खुश होंगे कि गांव और शहर के आधे से ज़्यादा बच्चों के वो दादा और दादी बने बैठे हैं.यह सुन कर मैं और नैना तो हंसी के मारे लोट पोट हो गए.
फिर मैं सीरियस होते हुए बोला- नैना रानी, सच बताना यह गर्भाधान वाली बात तुमने पारो को बताई है कभी?नैना बोली- कसम से छोटे मालिकम गर्भाधान वाली बात मैंने पारो को कभी नहीं बताई. मैं जानती हूँ कि यह बात अगर फ़ैल जाती है तो अनर्थ हो जाएगा. पारो यही जानती है कि ये सेठानियाँ और पड़ोस वाली भाभी सिर्फ चुदाने आती हैं और कुछ नहीं.
मैंने नैना को आलिंगनबद्ध किया और उसके होटों पर चूम लिया और नैना ने मेरे लौड़े को हाथ लगाया तो वो बैठा हुआ एकदम टन्न से खड़ा हो गया.तब मैं बोला- लौड़ा हो तो सतीश जैसा, नहीं तो ना हो!फिर हम दोनों खूब हँसे.
नैना कुछ संजीदा होते हुए बोली- भाभी का गर्भाधान ज़रूरी है और हमारे पास सिर्फ 3 दिन हैं फिर वो दोनों चले जाएंगे. वैसे भाभी के गर्भ वाले दिन आज से शुरू होंगे तो हमारे पास समय है कि भाभी की इच्छा पूरी की जा सके.
इतनी देर से चूत चुदाई और गर्भाधान की बातें चल रही थी तो मेरा लंड तो अब खड़ा क्या हुआ, बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था.मैंने नैना को कहा- थोड़ी से दे दे यार!वो बोली- कोई आ न जाए ना!
फिर भी मैंने उसकी साड़ी को उसकी कमर के ऊपर में कर दी और पीछे से खड़े खड़े ही चोदने लगा.वास्तव में उसकी चूत भी पनिया गई थी और वो भी आनन्द ले रही थी इस अचानक चुदाई का!दस मिन्ट की अंदर बाहर की जंग में नैना कांपती हुई छूट गई और उसने मेरे एकदम गीले लंड को अपने पेटीकोट से साफ़ कर दिया.

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08-17-2021, 12:39 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
हम जैसे ही कमरे के बाहर निकले तो पारो और भाभी कोठी के गेट पर पहुँच गई थी और रिक्शा वाले को पैसे दे रही थी.मैंने नैना को शरारत में उसके चूतड़ों को दबा दिया.
भाभी और पारो जैसे ही अंदर आई तो नैना ने उन दोनों को घेर लिया और देखने लगी कि क्या शॉपिंग की दोनों ने.
मैं अपने कमरे में आकर लेट गया, फिर जब खाना लग गया तो हम दोनों बैठक में मिले और मैंने भाभी को ज़ोर की जफ़्फ़ी डाली और बाहर से ही उसकी चूत पर हाथ फेरा.
भाभी ने भी मेरे लंड को पैंट के बाहर से छुआ और कहा- अरे वाह, यह तो अभी से खड़ा है, कहीं तुम दोनों बच्चों ने हमारे पीछे से कुछ गलत काम तो नहीं किया, बोलो?
मैंने कान को हाथ लगाते हुए कहा- नहीं मैडम जी, हमने कुछ भी गलत काम नहीं किया बल्कि सारे वही काम किये जो आप भी करती हैं.यह सुन कर भाभी तो बेतहाशा हंसी.
खाना खाने के बाद मैं भाभी के साथ उनके कमरे में ही चला गया, वहीं हम दोनों लेट गए उनके पलंग पर!
भाभी मुझको बड़े गौर से देख रही थी और कुछ सोच रही थी.कुछ देर ऐसे ही देखने के बाद भाभी बोली- सतीश यार, तुम शक्ल-ओ-सूरत से एक छोटी उम्र के मासूम लड़के लगते हो लेकिन जब मैं तुम्हारे लंडम को देखती हूँ तो तुम एक पूरे जवान मर्द की तरह लगते हो! यह कैसे मुमकिन है?मैं बोला- यह सब कुदरत का खेल है, पिछले साल तक तो मेरी आवाज़ एक छोटे लड़के की तरह पतली थी लेकिन लंडम तब भी कई औरतों को खुश कर चुका था.
भाभी बोली- तुम्हारी तो मौज है सतीश.मैं बोला- मौज क्या है भाभी, कॉलेज में जिस लड़की की तरफ देखता हूँ वो ही मुंह फेर लेती है कि यह तो अभी बच्चा है, बड़ी मुश्किल है भाभी कोई भी लड़की नहीं पटती.
तब तक भाभी ने मेरा लंड मेरी पैंट से निकाल लिया था और उसको बड़े गौर से देख रही थी, वो सीधा रॉड की तरह एकदम खड़ा था और इधर उधर झूल रहा था.मैंने भी भाभी की साड़ी चूत के ऊपर कर दी थी और उसकी सफाचट चूत को बड़े ध्यान से देख रहा था.
मैं बोला- आपकी चूत इतनी सुन्दर है लेकिन अगर इस पर बाल होते न, तो यह और भी सेक्सी लगती. मुझको बालों से भरी चूत बहुत ज़्यादा पसंद है.भाभी बोली- अगली बार आऊँगी तो इस पर घने बाल उगा कर लाऊंगी सिर्फ तुम्हारे लिए सतीश.
मैंने चूत पर हाथ लगाया तो वो बहुत ही गीली हो रही थी, मैं बिना अपनी पैंट उतारे ही भाभी पर चढ़ गया, भाभी ने भी अपने टांगें फैला दी थीं और चूत एकदम से सामने आ गई थी.मैंने धीरे से लंड को चूत में डाला और फिर आहिस्ता से अंदर बाहर करने लगा, गीली चूत होने के कारण फच फच की आवाज़ आने लगी..
मैं धीरे धीरे चुदाई की स्पीड बढ़ाने लगा, फिर मैंने भाभी के चूतड़ों के नीचे हाथ रख दिए और चूत को ऊपर उठा दिया ताकि लंड पूरा अंदर तक जा सके.कभी तेज़ और कभी धीरे और कभी पूरा निकाल कर सिर्फ आगे का हिस्सा अंदर और फिर कभी लंड के मुंह को भाभी के भग पर रगड़ना… इन सब तरीकों से मैं भाभी को चोद रहा था और मेरी इस मेहनत का फल यह मिला कि भाभी का जब छूटा तो वो इतने ज़ोर से चिल्लाई और उसका सारा जिस्म एकदम से अकड़ गया, मुझको इतने ज़ोर की जफ़्फ़ी डाली कि मेरा अंग अंग चरमरा गया.
मैं भाभी का छूटने के बाद भी अपने लंड को चूत के अंदर डाले ही भाभी के ऊपर लेटा रहा और मैं भाभी के मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से चूमने लगा.तब भाभी अपनी टांगें सिकोड़ने लगी, जिसका मतलब था कि मैं उनके ऊपर से हट जाऊ.ं.मैंने भाभी को एक हॉट किस की और फिर उठ गया और अपने कमरे में आ लेट गया.फिर ना जाने कब मेरी नींद लग गई.
रात को नैना ने भाभी को पूरी बात समझा दी थी कि कैसे गर्भाधान की क्रिया शुरू होगी और कैसे इसका समापन होगा और यह भी बता दिया था कि इस सारे काम में 2-3 दिन लग सकते हैं.
भाभी ने कहा था कि वो कोशिश करके भैया को एक आध दिन और रोक लेंगी अगर इसकी ज़रूरत पड़ी तो!
रात को जब मैं और भाभी खाना खा चुके तो नैना हमारे लिए एक खास खीर बना कर ले आई जो हम दोनों को खानी थी.खीर अति स्वादिष्ट थी और मैंने और भाभी ने दो दो बार खाई.
फिर हम दोनों मेरे बेडरूम में आ गए और एक दूसरे को देखने लगे.तभी नैना आ गई बोली- छोटे मालिक, आप कुरता पायजामा पहन कर तैयार हो जाइए, मैं भाभी को ख़ास तौर से तैयार करके लाती हूँ.
नैना और भाभी उनके कमरे में चली गई और मैं वहीं बैठा बोर हो रहा था.थोड़ी देर बाद वो भाभी को शादी वाले जोड़े में सजा कर लाई मेरे कमरे में! आते ही उसने कहा- हज़ूर नवाब साहिब, आपकी मलिका सुहागरात के लिए तैयार है.मैं भी उसी लहजे में बोला- ऐ हसीं बांदी, क्या तुम्हारी मलिका हुसन का मुजस्मा है?वो बोली- आप खुद ही उनका दीदार कर लीजिये, यह हुस्न का तौहफा आपके लिए यह कनीज़ ख़ास तौर से तैयार करके लाई है.मैं बोला- बहुत खूब ऐ खूबसूरत कनीज़, तुमने हमारी बहुत अरसे की दिली मुराद को पूरा किया है, हम तुमको इनामात से सरोबार कर देंगे.नैना बोली- अगर जान की ईमान पाऊँ तो अर्ज़ करने की गुस्ताखी कर रही हूँ कि आप और मालिकाए आला की मदद करने के लिए यह नाचीज़ आपके इस शाही हरम में आपके रूबरू रहने की इजाज़त मांगती है!
तभी भाभी घूँघट की आड़ से बोली- अरे तुम यह क्या गिटर पिटर कर रहे हो, कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या बोल रहे हो तुम दोनों.

कहानी जारी रहेगी.

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08-17-2021, 12:39 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
भाभी के गर्भाधान का प्रयास

थोड़ी देर बाद वो भाभी को शादी वाले जोड़े में सजा कर लाई मेरे कमरे में! आते ही उसने कहा- हज़ूर नवाब साहिब, आपकी मलिका सुहागरात के लिए तैयार है.मैं भी उसी लहजे में बोला- ऐ हसीं बांदी, क्या तुम्हारी मलिका हुसन का मुजस्मा है?वो बोली- आप खुद ही उनका दीदार कर लीजिये, यह हुस्न का तौहफा आपके लिए यह कनीज़ ख़ास तौर से तैयार करके लाई है.मैं बोला- बहुत खूब ऐ खूबसूरत कनीज़, तुमने हमारी बहुत अरसे की दिली मुराद को पूरा किया है, हम तुमको इनामात से सरोबार कर देंगे.नैना बोली- अगर जान की ईमान पाऊँ तो अर्ज़ करने की गुस्ताखी कर रही हूँ कि आप और मालिकाए आला की मदद करने के लिए यह नाचीज़ आपके इस शाही हरम में आपके रूबरू रहने की इजाज़त मांगती है!
तभी भाभी घूँघट की आड़ से बोली- अरे तुम यह क्या गिटर पिटर कर रहे हो, कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या बोल रहे हो तुम दोनों.
यह सुनना था कि मैं और नैना ज़ोर से हंस दिए, इस सारे चक्कर में भाभी का घूंघट भी खुल गया था और वो हैरत से हम दोनों को देख रही थी कि इन दोनों को क्या हुआ है जो खामख्वाह ही हंस रहे हैं.
नैना ने भाभी का चेहरा फिर घूंघट में डाला और उनको पलंग पर बैठा दिया.मैं धीरे से सजी धजी भाभी के करीब जा ही रहा था कि उससे पहले ही नैना ने मुझको एक गुलाब का फूल पकड़ा दिया और आँखों से इशारा किया कि यह मैं भाभी का घूंघट उठाने के बाद उनको पेश करूँ.
मैंने ऐसा ही किया, बड़े धीमे से भाभी का घूंघट उठाया और उनको गुलाब का फूल पेश किया और बोला- माशाल्लाह, क्या हुस्न है ऐ मलिका-ऐ-आलिया… मेरे ख्वाबों की हसीं परी, आपकी खिदमत में यह अदना सा तौहफा पेश है.भाभी बोली- सतीश यार, यह क्या चल रहा है? कहाँ है मलिका-ऐ-आलिया और कहाँ है मेरा तौलिया?इतना सुनना था कि मेरा और नैना का हंसी के मारे बुरा हाल हो रहा था.

भाभी हैरान और परेशान हम दोनों को टुकर टुकर देख रही थी.फिर नैना ने भाभी को समझाया कि यह सिर्फ एक खेल है जो हम अक्सर एक दूसरे के साथ खेलते हैं क्यूंकि लखनऊ एक नवाबों का शहर है इसलिए लखनवी तहज़ीब तो दिखानी ही पड़ेगी ना!
नैना खेल को आगे बढ़ाते हुए बोली- छोटे मालिक, आप अब आगे बढ़ कर मलिका-ऐ-आलिया का घूंघट हटा दीजिये.
घूँघट हटने के बाद मैंने उनके लबों को चूम लिया और उनके सारे जिस्म को गौर से देखने लगा जैसे कि अक्सर नया दूल्हा अपनी नई ब्याहता दुल्हनिया को बड़ी उमंग से देखता है.मैं बोला- ऐ लखनऊ की हसीं दर हसीं मलिकाये-आलिया, अगर आपकी इजाज़त हो तो मैं आपके संगमरमरी जिस्म को देखने की जुर्रत कर सकता हूँ क्या?तब भाभी भी मलिका-ऐ-आलिया के रोल को खलते हुए बोली- ऐ हमारे सरताज, इस लौंडिया की क्या हिम्मत जो नवाब-ए-अवध को हमारे इस अदना से जिस्म को ना देखने देने की जुर्रत कर सके!
इतना सुनना था कि मैं पहले भाभी की साड़ी उतारने लगा और इस काम में नैना भी पूरी तरह से शामिल हो गई, पहले धीरे से उनकी साड़ी उतार दी फिर उनके ब्लाउज पर हाथ साफ़ किया और आखिर में उनके पेटीकोट को उतार दिया.
तब भाभी ने आगे बढ़ कर मेरे पायज़ामे का नाड़ा खोल दिया और कुरता भी उतार दिया, मेरे खड़े लंड को झुक कर भाभी ने प्रणाम किया और कहा- हे लंडम, जी मुझको एक पुत्र प्रदान करो!मैंने भी एक हाथ ऊँचा कर के कहा- तथास्तु… पुत्रवती भव!!!नैना भी मुस्कराते हुए बोली- चलो, अब आगे की कार्यवाही शुरू करते हैं. छोटे मालिक अब आप भी शुरू हो जाएँ.
मैंने झुकी हुई भाभी को अपने हाथों से उठाया और कहा- भाभी, नाटक खत्म हुआ, अब आप बताओ कैसे चुदना पसंद करेंगी?भाभी शर्माते हुए बोली- जैसे तुम चाहो और जिससे बच्चा होने की संभावना अधिक हो, वैसे ही चोदो मुझको.मैं बोला- इस मामले की माहिर तो अपनी नैना रानी है, वो ही बता सकती है कि कैसे चुदाई करें हम! डॉक्टर नैना रानी, आप बताओ कैसे चोदना है भाभी को?
इस बीच भाभी मेरे लंड से खेल रही थी और उसको इधर उधर कर रही थी लेकिन वो फिर अटेंशन में सीधा खड़ा हो जाता था.नैना ने कहा- सबसे पहले भाभी को घोड़ी बना कर चोदेंगे आप छोटे मालिक, जैसे आप पहले भी कर चुके हैं, जब मैं इशारा करूँगी आप अपना वीर्य भाभी की चूत में छोड़ेंगे. आगे मैं देख लूँगी, ठीक है?
अब मैंने भाभी को गले से लगा लिया और उनके मोटे और मुलायम चूतड़ों को दबाने लगा. भाभी भी अपनी चूत को मेरे खड़े लंड से रगड़ रही थी.इसी तरह हम एक दूसरे को गले लगा कर प्रगाढ़ आलिंगन में बंधे हुए सारे कमरे का चक्कर लगाने लगे.मेरा लौड़ा भाभी की चूत के ऊपर हल्की हल्की रगड़ लगा रहा था जिससे भाभी का जोश एकदम से बहुत तीव्र हो रहा था.
फिर मैं एकदम से नीचे बैठ गया और अपना मुंह भाभी की चूत में डाल दिया. भाभी वहीं लेटने लगी लेकिन नैना उनको उठा कर ऊपर पलंग पर ले गई और मुझको भी वहाँ आने का इशारा करने लगी.

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08-17-2021, 12:39 PM,
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भाभी ने पलंग पर लेटने के बाद अपनी गोल सफेद टांगों को खोल दिया और मैंने झट से अपनी पोजीशन लेकर उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया.थोड़ी देर में ही भाभी इतनी गर्म हो गई कि उन्होंने मुझको मेरे बालों से पकड़ कर मुझको चूत से हटा कर अपने ऊपर कर लिया और मेरे मुंह को बेतहाशा चूमने लगी.
मैंने भी उनकी चुम्मियों का जवाब वैसे ही दिया और फिर उनको घोड़ी बनने के लिए उकसाया.जब भाभी घोड़ी बन गई तो मैं भी उस चूतड़ों के बीच से अपना लंड उनकी उभरी हुई चूत में धीरे धीरे डालने लगा, लंड जब पूरा अंदर चला गया तो मैं ज़रा रुक गया और आज की भाभी की चूत की पकड़ को सराहने लगा, इतनी तेज़ और मज़बूत पकड़ भाभी की चूत में पहले कभी नहीं थी, यह ज़रूर नैना की ख़ास डिश का कमाल था.
अब मैंने धीरे धीरे चुदाई की स्पीड बढ़ा दी, लंड को पूरा निकाल कर फिर धीरे से अंदर डालने का क्रम शुरू कर दिया. लंड पूरा निकाल कर धीरे धीरे से पूरा डालना भी एक कला होती है जो चूत के शहसवार अच्छी तरह से जानते हैं क्योंकि लंड को पूरा निकालने का मतलब है कि लंड की टिप कभी भी चूत के बाहर नहीं आनी चाहिए.इस तरीके से पूरे लंड का घर्षण और गर्जन कायम रहता है और औरतों को लंड का पूरा मज़ा मिलता रहता है.
और उधर नैना भी भाभी को गर्म करने की कोशिश कर रही थी, वो उसके गोल और मोटे मम्मों के साथ खेल रही थी.फिर वो भाभी की चूत में हाथ डाल कर उसकी भग को रगड़ने लगी, थोड़ी देर में भाभी खूब हिलते हुए झड़ गई..
मैंने अपनी चुदाई स्पीड फिर एकदम आहिस्ता कर दी ताकि भाभी को फिर गर्म करके उसका एक बार और छुड़ाया जाये.मैं अब पूरा का पूरा लंड एक साथ अंदर डाल कर उसको भाभी की चूत में थोड़ा थोड़ा घुमाने लगा, यह स्टाइल भाभी को बहुत पसंद आया और वो जल्दी जल्दी अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी.
नैना जो अभी भी भाभी की चूत में हाथ डाले हुए थी और उसके भग को रगड़ रही थी, नीचे से ही मुझको इशारा किया और मैं अपने लौड़े का घोड़ा सरपट दौड़ाने लगा.इस रेस में भाभी एक बार फिर एकदम से अकड़ी और फिर चूतड़ हिलाती हुई झड़ गई और उनकी चूत से बहुत सा पानी नीचे गिरा.
अब नैना ने मुझको इशारा किया कि मैं अपना छूटा लूँ जल्दी ही!मैंने लंड से भाभी की चूत के अंदर उसके गर्भाशय के मुंह को तलाश लिया और जब मेरा लंड उनके ठीक गर्भाशय के मुंह पर था तो मैंने अपना वीर्य का बाँध खोल दिया और भाभी की चूत को अपने वीर्य से पूरा भर दिया.जैसे ही गर्म वीर्य भाभी की चूत और गर्भाशय पर गिरा, भाभी एक बार फिर झड़ गई और वो पलंग पर लेटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उनके चूतड़ अपने हाथों में पकड़ रखे थे.
नैना ने जल्दी से भाभी के पेट के नीचे 2 मोटे तकिये रख दिए ताकि उनके चूतड़ ऊपर रहें और वीर्य नीचे न बह जाए.मैं भी उठ कर अपना लंड को साफ़ करने के लिए बाथरूम में चल गया.तब तक भाभी सामान्य हो चुकी थी.
फिर हम पलंग पर लेट गए, एक तरफ़ नैना नंगी लेट गई और दूसरी तरफ़ भाभी, बीच में मैं लेट गया.भाभी कुछ थकी हुई लगी और वो झट ही सो गईं.
मैंने नैना की चूत में ऊँगली डाली तो वो एकदम गीली हो रही थी. मैंने देखा कि भाभी तो काफी गहरी नींद में थी तो मैं पहले नैना को चूमता रहा और फिर उसके मम्मों को चूसा और फिर उसकी भग को थोड़ी देर मसला और फिर जब वो मुझको खुद ही लंड से खींच कर अपने ऊपर आने का न्योता देने लगी तो मैं भी उसके ऊपर चढ़ गया.
नैना के साथ चुदाई एक इंस्ट्रक्टर के साथ चुदाई के समान था क्यूंकि वो बड़े ध्यान से मेरी हर चेष्टा को देखती थी और जहाँ मैं गलती करता था वो मेरा कान पकड़ने में नहीं हिचकिचाती थी.
लेकिन मैं नैना को चोदते हुए ख़ास ख्याल रखता था कि उसके द्वारा बताये हुए तरीके का पूरी तरह से पालन हो क्यूंकि मैं उसके कमज़ोर पॉइंट अब जान गया था तो मुझको अपनी मर्ज़ी के मुताबिक उसको छुटाना आता था. अब भी वैसा ही हुआ, मैंने जल्दी से नैना रानी का छूटा दिया और उसके बाद एक मधुर चुम्बन और प्रगाढ़ आलिंगन के बाद हम दोनों सो गए.

कहानी जारी रहेगी.

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08-17-2021, 12:40 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
भाभी का गर्भाधान

सुबह उठा तो देखा कि नैना रानी तो नहीं थी लेकिन भाभी मस्त सोई थी. मैं उठा और टेबल पर रखी चाय पीकर अपने कपड़े पहनने लगा.तब तक मैं नंगी लेटी भाभी के जिस्म को ही देखता रहा, एकदम लेटी औरत सदा ही काफी सेक्सी लगती है.
थोड़ी देर बाद भाभी को वैसे हो सोते छोड़ कर मैं कॉलेज की तैयारी में लग गया और जल्दी ही नहा धोकर तैयार होने लगा.तब भाभी भी जाग गई और बड़ी ही मस्त अंगड़ाई लेती हुई उठी और मुझको एक बड़ी ही हॉट जफ़्फ़ी डाल दी और फिर मुझको बेतहाशा चूमने और मेरे लंड को पकड़ने लगी.
मैं बोला- क्या हुआ भाभी? इतनी मेहरबान क्यों हो रही हो?भाभी मुझको कस कर फिर से जफ़्फ़ी डालने लगी और बोली- वाह सतीश राजा, यार तुमने तो कमाल कर दिया.मैं हैरान होकर बोला- ऐसा क्या किया है मैंने भाभी जान?भाभी बोली- रात को तुम सोये सोये ही मुझ पर 3 बार चढ़े हो और 2 बार नैना पर भी चढ़े, अपने आप चढ़ जाते हो और फिर जब मेरा छूट जाता था तुम अपने आप ही उतर जाते थे. यह कैसे होता है यार? तुम्हारी आँखें तो पूरी तरह से बंद थी.मैं बोला- मैं खुद नहीं जानता यह कैसे होता है भाभी. अगर मैंने आपको सोये सोये चोद कर गलती की है तो मुझको माफ़ कर दीजिए.
भाभी एकदम प्यार से बोली- नहीं सतीश, मैं तो अपनी हैरानी बता रही थी तुमको!मैं बोला- मैं अपनी इस कमज़ोरी को जानता हूँ लेकिन नैना कहती है कि मेरा शरीर बहुत अधिक यौन क्रिया करने में सक्षम है तो वो बगैर मेरे चाहे ही ऐसा हो जाता है.
इतने में नैना भी आ गई और भाभी को सुबह की चाय देते हुए बोली- मैंने सुन लिया है भाभी आप जो कह रही हैं वो बिल्कुल सही है, छोटे मालिक को रात को कुछ नहीं पता रहता कि वो क्या कर रहे हैं.भाभी बोली- जो सतीश की पत्नी बनेगी, उसकी तो मौज ही मौज है.

नैना बोली- अच्छा भाभी, छोटे मालिक तो कॉलेज जा रहे हैं और वापस आकर फिर से आप को चोदेंगे ताकि गर्भ ठहरने की सम्भावना बढ़ जाए. ठीक है न? भैया तो शाम को को ही आएंगे ना?भाभी ने कहा- वो कह रहे थे कि उनको लौटते हुए शाम हो जायेगी.
कॉलेज से लौटा तो जल्दी से खाना खाकर मैं तैयार हो गया और नैना भाभी को ले कर मेरे कमरे में आ गई.नैना बोली- भाभी, जी आपको पूर्ण रूप से कामवासना से ओतप्रोत होना है तो मैं इस काम में आपकी मदद करती हूँ और छोटे मालिक भी यही काम करेंगे.
हम तीनों जल्दी ही वस्त्रहीन हो गए और नैना ने भाभी को पलंग पर लिटा दिया, फिर मैंने भाभी के गोल सॉलिड मम्मों को मुंह में ले लिया और उनको चूसने लगा.काली गोल चूचियों को चूसना भाभी को बहुत अधिक मज़ा देता था, वो काम मैंने शुरू कर दिया.
थोड़ी देर में भाभी गर्मी से उफन गई और उनकी चूत में उंगली डाली तो वो एकदम गीली हो रही थी.तब नैना ने मुझको इशारा किया, मैंने भाभी को पलंग पर चिट लेटा दिया और उनकी चौड़ी संगममर जैसी टांगों में बैठ कर चुदाई का काम शुरू कर दिया.
भाभी जल्दी ही चुदाई में पूरी तरह से रंग गई और खूब ज़ोर ज़ोर से मेरे धक्कों का जवाब देने लगी.कोई 10-12 मिन्ट बाद मैंने महसूस किया कि भाभी के गर्भाशय का मुंह खुल रहा है और बंद हो रहा है. तभी भाभी का छूट गया और मेरे जांघों को भिगो गया.अब मैंने फिर धीरे धीरे से और फिर जल्दी ही तेज़ तेज़ चुदाई करने दी.इस बीच नैना भाभी के मम्मों को चूस रही थी और साथ ही उसके भग को भी मसल रही थी.अब भाभी ने अपनी कमर को ऊपर को उठा कर झटका देना शुरू कर दिया और मैं समझ गया कि भाभी फिर स्खलित होने वाली हैं, मेरे धक्कों की स्पीड बहुत ही तेज़ हो गई और मैंने अपने दोनों हाथ भाभी के चूतड़ों के नीचे रख कर उनको ऊपर उठा लिया और गहरे और तेज़ धक्के मारने लगा.
भाभी जोश में तड़फड़ा रही थी और अपने सर को इधर उधर कर रही थी, नैना ने इशारा किया और मैंने भी निशाना साध कर ठीक उनके गर्भाशय पर लंड को बिठा कर अपना तीव्र फव्वारा छोड़ दिया.मैंने भाभी के चूतड़ों को ऊपर उठाये हुए ही अपने लंड के साथ जोड़ दिया.नैना ने बाद में बताया कि मैं और भाभी एक दूसरे के साथ जुड़े हुए बुरी तरह से कांप रहे थे.
भाभी को नीचे पलंग पर लिटा कर नैना ने उनके चूतड़ों के नीचे मोटे तकिये को रख दिया और मुझको नीचे आने के लिए कहा.मैं बगल में लेट गया और ज़ोर ज़ोर से हांफ़ने लगा, जब थोड़ा हांफ़ना कम हुआ तो नैना ने वहीं रखा खास शरबत का गिलास हम दोनों को पकड़ा दिया.
भाभी भी आँख मूंद कर लेटी हुई थी, जब शरबत दिया गया तो उन्होंने पहले मुझको होटों पर किस किया और साथ ही कस के जफ़्फ़ी डाली और कहा- थैंकयू सतीश यार! यू आर ग्रेट!
अब मैं जल्दी से उठा और अपने कपड़े पहन कर बैठक में आ गया क्यूंकि मुझको अंदेशा था कि भैया कभी भी वापस आ सकते हैं.जब सब सामान्य हुए तो चाय का इंतज़ाम पारो ने कर दिया.चाय पी कर मैं अपनी कोठी के बगीचे में टहलने लगा.
कोई 6 बजे भैया वापस आये और काफी थके हुए लगे, आते ही नहाये धोये और बैठक में आकर बोले- सतीश यार, मेरा काम यहाँ खत्म हो गया है, कल सवेरे हम निकल जाएंगे अपने गाँव के लिए!मैंने कहा- अभी कुछ दिन और रुक जाते, बड़ा मज़ा आ रहा था आपके और भाभी के साथ!भैया बोले- फिर आएंगे और फिर यह मज़ा दोबारा करेंगे.
उस रात हम सब अपने अपने कमरों में सोये और भाभी को नैना ने पहले ही कह रखा था कि आज की रात भैया से ज़रूर चुदवाना.
अगले दिन भैया और भाभी जाने के लिए तैयार हो गए थे, नैना थोड़ी देर के लिए भाभी को उनके कमरे में ले गई और थोड़ी देर में ही दोनों वापस भी आ गई और दोनों ही बड़ी खुश लग रही थी.नैना ने मुझको आँख मारी और सर हिला दिया जिसका मतलब था कि काम हो गया था.थोड़ी देर बाद नाश्ता करके वो दोनों अपनी कार में बैठ कर गाँव चले गए और मैं कॉलेज चला गया.

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08-17-2021, 12:40 PM,
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कॉलेज की लड़कियाँ

थोड़ी देर बाद नाश्ता करके भैया और भाभी अपनी कार में बैठ कर गाँव चले गए, मैं भी नाश्ता करके कॉलेज चला गया.आज कॉलेज के मुख्य गेट पर मुझको शानू और बानो मिल गई.पाठकों को याद होगा नैनीताल ट्रिप में ये लड़कियाँ उन चार लड़कियों का ग्रुप था जो मेरे संपर्क में आईं थी. और मेरे ही कॉलेज में पढ़ती थी.
शानू बोली- सतीश यार, तुम तो ईद का चाँद हो गए हो, कभी मिलते ही नहीं?मैं बोला- सॉरी दोस्तो, पीछे कुछ दिन बहुत बिजी था, मेरे घर में बहुत मेहमान आये हुए थे. बोलो क्या सेवा करें आप दोनों की?शानू बोली- अभी टाइम है कुछ मिन्ट का तुम्हारे पास?मैं बोला- हाँ हाँ, है क्यों नहीं, आप जैसी हसीनों के लिए टाइम ही टाइम है, तुम अर्ज़ करो क्या काम है?शानू बोली- चलो फिर थोड़ी देर के लिए कैंटीन चलते हैं अगर कोई पीरियड नहीं है तुम्हारा तो?मैं बोला- ठीक है आओ!
कैंटीन पहुँच कर मैंने पूछा- क्या खाएंगी या पियेंगी दोनों?बानो बोली- एक एक कोक मंगवा लो यार!मैं काउंटर पर गया और 3 कोक का आर्डर दे आया और वापस आकर उन दोनों के साथ बैठ गया.
पाठकों को याद दिला दूँ कि ये दोनों वही लड़कियाँ थी जिन्होंने मेरा अपहरण किया था जब मैं निम्मी और मैरी के कमरे से निकला था नैनीताल के होटल में.
कोक पीते हुए मैं बोला- शानू और बानो, कैसे हो आप दोनों, बड़े अरसे के बाद आपको मेरी याद आई जब कि बहुत सेवा की थी मैंने आप दोनों की नैनीताल में!शानू हँसते हुए बोली- वही सेवा तो करवाने के लिए आई हैं तुम्हारे पास सतीश राजा.मैं बोला- बोलो, क्या करना है मुझको?

शानू बोली- तुमने नैनीताल में बताया था कि तुम्हारे पास एक कोठी है जिसमें तुम रहते हो?मैं बोला- हाँ है तो सही, बोलो क्या काम है?शानू बोली- नैनीताल वाला किस्सा दोहराना है यार बस, और क्या करना है!मैं थोड़ी देर चुप रहा और फिर बोला- देखो शानू, वहाँ मेरी हाउसकीपर भी है और एक कुक भी है, वहाँ तुमको वैसी प्राइवेसी नहीं मिल पाएगी जैसा कि नैनीताल में थी. बोलो उनके रहने से तुम दोनों को कोई प्रॉब्लम नहीं तो फिर मैं बात कर लेता हूँ उन दोनों से?शानू बोली- ठीक है कल सुबह बता देना.
मैं बोला- सिर्फ आप दोनों ही हैं या फिर कोई और भी है?शानू बोली- अगर किसी और को बुलाएँ तो तुम को ऐतराज़ तो नहीं न?मैं बोला- कोई और लड़का या लड़की?बानो बोली- लड़की ही होगी. हम तुमको उससे मिलवा भी देंगे.मैं बोला- अपने कॉलेज की है या कहीं और की?शानू बोली- हमारी क्लास फेलो है यार, लंच टाइम में तुम को मिलवा देते हैं उसको!मैं बोला- उफ़ मेरे मौला 3 तुम और एक मैं?दोनों हंस पड़ी और शानू बोली- हमने देखा है कि कैसे तुम 4 को भी संभाल लेते हो!
मैं बोला- लेकिन हमारी हाउसकीपर की एक शर्त होती है, मेरे साथ जो भी लड़की आती है मेरे घर में वो सारे कार्यक्रम में उपस्थित रहती है और वो उस कार्यक्रम का संचालन भी करती है, बोलो मंज़ूर है?शानू बोली- यह कैसी शर्त है सतीश यार. एक बूढ़ी औरत का वहाँ क्या काम?मैं बड़े ज़ोर से हंसा- बूढ़ी औरत? अरे नहीं वो तो 22-23 की है और सेक्स में एक्सपर्ट है, तुम से यही कोई 3-4 साल बड़ी होगी.शानू बोली- अच्छा हम सोच कर लंच टाइम में तुमको बताती हैं.
फिर हम सब अपनी अपनी क्लासों में चले गए.
लंच टाइम में शानू और बानो मिली और उनके साथ एक बहुत ही खूबसूरत लड़की भी थी जिसका नाम उर्मिला था.एकदम खिलता हुआ चेहरा, लालिमा भरी रंगत थी उसके चेहरे की और सिल्क की साड़ी में वो बेहद हसीन और सेक्सी लग रही थी. गोल गोल उभरे हुए उरोज और उसी तरह के गोल और मोटे चूतड़.मैं तो उसको देखता ही रह गया.
फिर मैंने उनसे पूछा- क्यों शानू जी क्या फैसला किया आपने?शानू बानो और उर्मि को देखते हुए बोली- ठीक है जैसा तुम ठीक समझो!
मैं बोला- एक और बात, क्या आप सब नॉन-वेज हैं या फिर टोटली वेज हैं?शानू बोली- क्यों यह क्यों पूछ रहे हो?मैं बोला-वाह शानू जी, आप हमारे घर आएँगी तो हम ठाकुर लोग आपको ऐसे थोड़े ही जाने देंगे? कुछ खातिर वातिर भी तो करना फ़र्ज़ बनता है हमारा.शानू हँसते हुए बोली- वैसे उर्मि भी ठाकुरों के खानदान से है और हम सब नॉन-वेज हैं.
मैं बोला- ठीक है, कल का लंच आप सब हमारे घर में करेंगी. क्यों ठीक है न?शानू सबको देखने के बाद बोली- ठीक है सतीश यार, तुम इतनी तक़ल्लुफ़ में क्यों पड़ रहे हो?
जब घर पहुँचा तो नैना ने खाना परोस दिया और पास ही बैठ गई.मैंने उसको सारी बात बताई और कहा- कल लंच और आगे के कार्यक्रम के लिए मैं उन कॉलेज की लड़कियों को बोल आया हूँ और यह भी बता दिया है कि तुम हम सबके साथ रहोगी.
नैना हँसते हुए बोली- वाह छोटे मालिक, आप तो दिन पर दिन बहुत ही समझदार हो रहे हो!मैंने नैना को समझा दिया कि उन तीन लड़कियों में से दो तो मैंने चोद रखी हैं और तीसरी मेरे लिये नई कली है. साथ ही मैंने उसके गोल चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया.
वो भी मेरी गोद में आकर बैठ गई, मैंने उस को हॉट किस किया और उसके मम्मों को भी दबाया.मेरा खाना खत्म हो चुका था, वो बर्तन लेकर चली गई.उसको ठुमक ठुमक चलते देख कर सुमी भाभी की बहुत याद आ रही थी. क्या चीज़ थी यार और क्या चुदवाती थी!हाँ, उसकी पुरानी प्यास थी लेकिन उसने कैसे उस पर काबू रखा, वो वाकयी सराहनीय था.चलो नैना ने उसके पति को भी ठीक कर दिया और साथ में उसको एक बच्चे के सुख के भी योग्य बना दिया.
लेकिन उसका अपना क्या हुआ?जब वो वापस आई तो मैं उसके हाथ को पकड़ कर अपने कमरे में ले गया और वहाँ उसको एक बहुत ही गर्म चुम्मी होटों पर कर दी.मैंने जान कर अपनी एक टांग उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को छूने के लिए डाल दी.
तब मैंने उसको पूछा- नैना डार्लिंग, यह जो तुम्हारे पास बच्चों के बारे में जो हुनर है, उसका सही इस्तेमाल करो न, तुम पता लगाओ कैसे क्या करना है और मैं तुमको जगह और धन दिलवा दूंगा.नैना बोली- वो सब मैंने पता कर लिया है, आप अगर इजाज़त दें तो मैं कोठी में एक छोटी कोठरी में अपना छोटा सा क्लिनिक खोल दूंगी.मैं बोला- ठीक है, मैं आज ही मम्मी से बात करता हूँ, उनकी इजाज़त लेकर मैं यह तुम्हारे लिए कर देता हूँ, ठीक है?नैना बोली- ठीक है.
फिर मैंने उसको कहा- तो चलो फिर एक छोटी सी चूत ही दे दो, बस इत्ता सा ही अंदर डालूँगा, सिर्फ डाला और निकाला, यही होगा!नैना हँसते हुए बोली- मुझको सब मालूम है तुम कितना डालोगे और कितना निकलोगे.यह कहते हुए उसने अपनी साड़ी इत्यादि उतार दी और मैंने भी पैंट कमीज उतार दी.
फिर हम एक धीमी प्यारी सी चुदाई में लग गए, न ज़ोर का धक्का न ज़ोर का उछाला.धीरे धीरे कभी न खत्म होने वाली चुदाई जिसमें दो जान एक शरीर हो जाते हैं, ना छुटाने की जल्दी न निकालने की जल्दी, हल्की प्यारी सी चूमा चाटी और फिर अंतहीन रगड़ा रगड़ी और साथ ही शारीरिक गर्मी उसकी मेरे में और मेरी उस में!यह खेल खलते हुए ही हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए.

कहानी जारी रहेगी

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