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RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
नैना भाभी को लेकर बाहर चली गई और मैंने फिर झाड़ी थोड़ी सी हटाई और बाहर नदी की तरफ देखा तो कोई नई औरत नहीं आई थी लेकिन वो पहले से नहा रही लड़कियाँ अभी भी नहा रही थी.
नैना ने सबको इकट्ठा किया और वापस जाने के लिए ज़ोर डालने लगी, फिर वो उनको लेकर मेरी छुपने वाली झाड़ी के पास ही ले आई और कहा कि अपने अपने गीले कपड़े यहीं बदल लो.सब लड़कियाँ कपड़े बदलने लगी लेकिन मेरी नज़र तो उन 2 लड़कियों पर ही थी जिनको मैंने अभी तक नहीं चोदा था और उनके साथ में जूही भाभी भी थी.
जूही भाभी ने सबसे पहले अपना पेटीकोट जतारा और नए पेटीकोट को पहनने लगी और इस दौरान एक बार फिर मैंने उसके शरीर को पुनः देखा, चूत पर छाई घनी काली ज़ुल्फ़ें और उसके गोल उभरे हुए चूतड़ों को देखते हुए अपने लौड़े पर भी हाथ फेर रहा था और फिर जब उसने अपने गीले ब्लाउज को उतारा तो उसके गोल और सॉलिड ख़रबूज़े उछल कर बाहर आ रहे थे जैसे कि मेरा लंड करता है कभी कभी!भाभी काफ़ी सेक्सी चीज़ थी और उसको एक बार और चोदने का मन था.
बाकी 4 लड़कियों के शरीर से तो मैं अच्छी तरह से वाकिफ था सिर्फ उन दो लड़कियों से कोई वाकफियत नहीं हुई थी और ना ही उन्होंने चुदवाने की कोई इच्छा ज़ाहिर की थी.अब वो दोनों भी कपड़े बदलने के लिए झाड़ी के सामने आ गई थी.एक जो थोड़ी सांवली सी थी, जब अपना पेटीकोट उतार रही थी तो उसकी नज़र झाड़ी पर पड़ रही थी लेकिन मैं काफी पीछे की तरफ बाहर वालों की नज़र से दूर था.
जब उसने पेटीकोट का नाड़ा खोला तो वो एकदम उसकी पतली कमर से फिसल कर नीचे गिर गया, वो एकदम से नंगी हो गई और सेक्सी शरीर को देख कर मैं बड़ा ही उत्तेजित हो गया.जब उसने अपना ब्लाउज उतारा तो उसके छोटे से उरोज गोल और सॉलिड लग रहे थे.
उसके बाद दूसरी लड़की आई वहीं कपड़े बदलने के लिए… वो गोरी चिट्टी थी और उसके अंग भी काफी सुंदर लग रहे थे.उस लड़की ने अपने कपड़े ऐसे उतारने शुरू किये जैसे कि वो किसी ब्यूटी प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हो.सबसे पहले उसने अपना गीला ब्लाउज उतारा और उसको उतार कर वो चारों तरफ घूमी जैसे कि जज लोगों को दिखा रही हो, उसके मुम्मे काफी सुंदर थे गोल और मोटे और उन्नत उरोज लग रहे थे.
फिर उसने अपने पेटीकोट के नाड़े में हाथ डाला, सबकी तरफ देखा और फिर धीरे धीरे से नाड़े को खोलने लगी.नाड़ा खोलने के बाद भी उसने पेटीकोट को हाथ से पकड़े रखा और फिर चारों तरफ घूम कर देखा और फिर आहिस्ता से पेटीकोट को नीचे फिसलने दिया.उसके ऐसा करते ही सब लड़कियों ने ज़ोर से ताली मारी जैसे कि उसकी सुंदरता की तारीफ कर रही हों!वैसे इस लड़की का शरीर काफी सुन्दर था और अभी तक जितनी भी लड़कियाँ मेरे पास आई थी उन सबसे इस लड़की का शरीर बहुत सुंदर था और वो मुझ से अभी तक चुदाने नहीं आई थी.
अब नैना ने सब लड़कियों को इकठ्ठा किया और कहा- चलो हम मूती प्रतियोगिता रख लेते हैं जिसमें आपको पेशाब करना होगा और जिसकी धार सब से दूर तक जायेगी वो लड़की या औरत जीत जायेगी. मंज़ूर है क्या?तब तन्वी भाभी बोली- पर हम तो बैठ कर पेशाब करती हैं, वो धार दूर तक कैसे जायेगी?
नैना बोली- सब देखो, ऐसे पेशाब करेंगी हम… आदमियों की तरह!यह कह कर नैना ने अपने पेटीकोट को ऊपर उठाया और आदमियों की तरह खड़े होकर पेशाब की धार छोड़ दी और उसकी धार भी काफी दूर तक गई. अब तन्वी भाभी ने भी अपना पेटीकोट उठा कर धार छोड़ दी और नैना ने उसकी धार के आखरी पॉइंट पर एक छोटा पत्थर रख दिया.
इस तरह से बारी बारी सब लड़कियाँ आ रही थी और पेशाब की धार छोड़ रही थी और मैं यह सेक्सी नज़ारा देख रहा था.मैं झाड़ी के पीछे छुपा हुआ यह मूती प्रतियोगिता को देखता रहा और इस इंतज़ार में रहा कि देखें कौन यह अजीब कम्पटीशन जीतता है.मेरी उम्मीद के खिलाफ यह कम्पटीशन रिया ने ही जीता और सब लड़कियों ने खूब ज़ोर से तालियाँ बजाई.
नैना उन सबको वहीं छोड़ कर मेरे पास आई और बोली- सबने खूब मज़ा लिया आज तो! अच्छा रहा यह सारा प्रोग्राम खास तौर से यह मूती प्रोग्राम, सब लड़कियाँ बड़ी खुश लग रही हैं.
मैं बोला- यह दो लड़कियाँ जो अब तक नहीं चुदी हैं, उनका नाम क्या है?नैना बोली- वो जो थोड़ी सांवली है, उसका नाम धन्नो है, दूसरी जो गोरी सी है उसका नाम रेवा है.मैंने पूछा- क्या वो दोनों चुदाई में इंटरेस्टेड नहीं?नैना बोली- शायद नहीं हों! मैं आज उनसे पूछ लेती हूँ, अगर इंटरेस्टेड हों तो रात को उनकी बारी लगा देती हूँ और तनु भाभी को लंच के बाद कॉटेज में बुला लेती हूँ. क्यों ठीक है ना?मैंने कहा- ठीक है जैसा तुम कहो मेरी छोटी मालकिन.
नैना को थैंक्स करते हुए एक हॉट किस दे दी और एक गहरी जफ्फी डालते हुए कहा- नैना डार्लिंग, आज तुमने मेरी वर्षों पुरानी तीव्र इच्छा पूरी कर दी.नैना बोली- कौन सी इच्छा छोटे मालिक?मैं हँसते हुए बोला- वही बहुत सी लड़कियों और औरतों को एकदम नंगी और पेशाब करते हुये देखना का मुझको मौका देना! तुमने किस गज़ब से सब को नंगी दिखा दिया और वो भी मेरे ठीक सामने, यह कोई कम कमाल नहीं है. कैसे तुम उनको घेर कर झाड़ी के सामने ले आती थी और उनको कपड़े बदलने के लिए प्रेरित करती थी. वाह वाह नैना रानी.नैना मुस्करा रही थी और मेरे को जफ्फी डाल रही थी.
नैना ने सबको इकट्ठा किया और उनको किसी तरह कार में एडजस्ट किया और वापसी के लिए चल पड़ी.सब लड़कियाँ बड़ी खुश थी आज के प्रोग्राम से और मैं अपनी बाइक पर घर पहुँचा थोड़ी देर बाद!
कहानी जारी रहेगी.
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RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
तनवी भाभी का गर्भाधान
फिर सब कार में बैठ कर हवेली लौट गई और सब लड़कियाँ बड़ी खुश थी आज के प्रोग्राम से…मैं अपनी बाइक पर घर पहुँचा थोड़ी देर बाद!
सब लड़कियाँ डाइनिंग टेबल पर बैठी भोजन कर रही थी ज़ोर ज़ोर से मम्मी जी को बता रही थी कि उन्होंने नदी में कितना आनन्द लिया. खाने में पर्बती ने बड़े ही स्वादिष्ट व्यंजन बनाये थे जिनमें कीमा मटर, चापें और एक सब्ज़ी और मीठे में गाजर का हलवा था जो सबको बहुत ही पसंद आया.
खाने के बाद हम थोड़ी देर के लेट गए जिसमें तनवी भाभी और मैं एक कमरे में थे और बाकी सब अपने अपने कमरों में थे.क्यूंकि कमरे का दरवाज़ा खुला था तो हम दोनों अपनी हद में ही रह रहे थे लेकिन फिर भी मेरे हाथ भाभी के जिस्म पर रेंग रहे थे चाहे वो कपड़ो के ऊपर से ही था पर भाभी को यह बहुत ही अच्छा लग रहा था, भाभी भी यदा कदा मेरे लंड को छू लेती थी.
थोड़ी देर बाद नैना आई और बोली- चलो फिर कॉटेज चलते हैं.मैं और भाभी उठ कर चलने के लिए तैयार होने लगे, भाभी को नैना बाथरूम ले गई और थोड़ी देर बाद निकली और फिर हम सब कार में बैठ कर कॉटेज पहुँच गए.
चौकीदार ने मुझको बड़ी भावभीनी नमस्ते की और पूछा कि मैं कैसा रहा लखनऊ में…मैंने भी उसके परिवार के बारे में पूछा.
नैना भाभी को लेकर अंदर जा चुकी थी, मैं भी उनके पीछे अंदर आ गया.कॉटेज बिल्कुल वैसी ही थी जैसे मैं छोड़ गया था.भाभी और नैना शायद बैडरूम में जा चुकी थी, वहाँ पहुँचा तो देखा कि भाभी बिल्कुल नंगी खड़ी थी और नैना उसके मुम्मों को चूस रही थी.
मैंने अंदर जाते ही पहले नैना को भी साड़ी उतारने के लिए कहा और खुद ही उसको भी नंगी करने लगा, साड़ी उतार कर उसका पेटीकोट भी खींच दिया और फिर उसके ब्लाउज और ब्रा को भी हटा दिया.
भाभी नैना के मुम्मों की चुसाई से गर्म होना शुरू हो गई थी लेकिन अभी भी उसकी आँखें मेरे लंड को ढूंढ रही थी और मैंने भी जल्दी से अपनी पैंट कमीज उतार दी और कच्छे को उतारने जा ही रहा था कि भाभी ने कहा- सतीश रुको, इसको मैं उतारूंगी.मैं रुक गया और भाभी नीचे बैठ कर मेरे कच्छे को उतारने लगी तो मेरी और नैना की नज़रें मिली और हम दोनों ही हंस रहे थे कि देखो भाभी को कितने ज़ोर का थप्पड़ पड़ेगा.
भाभी इस खतरे से बेखबर हुई अंडरवीयर को उतारने में लगी हुई थी, और जैसे ही उसने अंडरवीयर को नीचे किया कि लंड लाल ने सीधा मुंह पर ज़ोर का थप्पड़ मारा और भाभी एकदम हैरान हुई नीचे गिर गई.नैना तो इसके लिए तैयार बैठी थी, उसने फ़ौरन भाभी को उठा कर बिठा दिया और उसको सहारा देकर मेरे पास ले आई.
तब मैंने कहा- भाभी, यह लंड ससुर बहुत ही हरामी है रे, कुछ भी देखता भालता नहीं और झट से थप्पड़बाज़ी पर उतर आता है. आपको चोट तो नहीं लगी ना?अब जब भाभी को समझ आई तो वो बड़े ज़ोर से खिलखिला कर हंस दी, हँसते हुए बोली- वाह रे सतीश यार तेरा यह लंडवा तो बड़ा ज़ालिम है रे? अभी चुतवा में तो डंडाबाज़ी करेगा ही, साथ में थप्पड़ भी मारता है.
हम तीनों हंस दिए, मैं और नैना, भाभी को तैयार करने में लग गये, जैसे उसकी चूत में उंगली करना और मुम्मों को चूसना और भग को मसलना.नैना ने मुझको इशारा किया और मैं भाभी की टांगों में बैठ कर उसकी चूत को जीभ से चाटने लगा और फिर उसके भग को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.भाभी मेरी चूत चुसाई से एकदम पगला गई क्यूंकि आज तक उसके साथ ऐसा कभी नहीं हुआ था और जीभ और मुंह की चुसाई से वो बहुत जल्दी ही सर को इधर उधर पटकने लगी और मेरे लौड़े को खींचने लगी..
नैना ने मुझको उसको घोड़ी बना कर चोदने का इशारा किया, मैंने बेड पर आते ही भाभी को घोड़ी बनने के लिए कहा और जब वो घोड़ी बन गई तो वो मुड़ मुड़ कर पीछे की तरफ देख रही थी, थोड़ी घबरा के बोली- यह क्या कर रहे हो सतीश?मैं हैरान होकर बोला- तुमको घोड़ी बना कर चोद रहा हूँ और क्या? कभी ऐसे नहीं चुदवाया अपने पति से?भाभी बोली- नहीं सतीश, वो तो हमेशा एक तरीके से ही चोदते थे और वो भी मुझको सीधे लिटा कर, उनको तो और कोई तरीका नहीं आता.
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RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
नैना बोली- देखो तनवी भाभी, यह घोड़ी वाले तरीके से चोदने से गर्भ जल्दी ठहरता है इसलिए तुमको घोड़ी बनवा रहे हैं, चलो घोड़ी बन जाओ, तुमको मज़ा भी बहुत आयेगा इस तरीके से.फिर नैना ने भाभी को घोड़ी बना दिया और मुझको अपना लौड़े को घोड़ी की खुली चूत में डालने के लिए कहा.
मैंने ऊँगली लगा कर देखा तो चूत तो बहुत रसीली हो रही थी, मैंने लंड को चूत के मुंह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का मारा और लौड़ा फटाक से टाइट चूत में चला गया.ज़ोर से लौड़े के चूत के अंदर जाने से भाभी को थोड़ा सा दर्द हुआ, वो बिदके घोड़े की तरह हिलने लगी लेकिन मैंने भी उसके गोल और उभरे हुए चूतड़ों को कस कर हाथ में पकड़ा हुआ था और अपने आहिस्ता धक्कों को शुरू कर दिया, पूरा निकाल कर सिर्फ लौड़े की टिप को अंदर रख कर मैंने पुनः धक्का मारा और अब बिना किसी हिचकिचाहट के लौड़ा अंदर बाहर होने लगा और मैं एक हाथ से उसके गोल मुम्मों को भी टीपने लगा और साथ ही एक उंगली उसकी चूत में डाल कर उसकी भग को भी छेड़ने लगा.
अब भाभी के चूतड़ अपने आप आगे पीछे होने लगे और हम दोनों एक दूसरे के धक्कों को समझ कर चुदाई की स्पीड बढ़ाने लगे.अब भाभी को पूरा आनन्द आने लगा और मेरी चुदाई की स्पीड भी बहुत तेज़ होने लगी, मैं उसके चूतड़ों को कस कर पकडे हुए उसको धक्के पर धक्के मारने लगा.
थोड़ी देर इसी तरह चोदने के बाद मुझको लगा कि भाभी की प्यासी चूत में कुछ हलचल होने लगी और कुछ ही क्षणों में उसकी चूत ने मेरे लंड को ज़ोर से पकड़ा और वो एकदम खुल गई, उसमें से काफी पानी निकलने लगा और साथ ही भाभी को भी एक झुरझुरी सी हुई और नीचे लेटने लगी लेकिन नैना ने उसको रोक दिया और उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसके भग को सहलाने लगी.
भाभी घोड़ी बनी हुई थी और में अपने घोड़े को फिर से रेस के लिए तैयार करने लगा, पहले धीरे धीरे घुड़ चाल शुरू की और फिर धीरे धीरे उसको बढ़ाते हुए तेज़ चाल में ले आया और भाभी को चुदाई का फिर से आनन्द आने लगा, वो भी बराबर जवाब देने में लगी हुई थी. फिर मैं उसके चूतड़ों को हाथ से सहलाने लगा और उनकी मुलायमता को महसूस करके आनन्दित हो रहा था.
थोड़ी देर और ऐसे चोदा तो भाभी फिर से छूटने की कगार पर पहुँच गई थी, मैंने अब घोड़े को सरपट दौड़ाना शुरू कर दिया और कुछ ही मिन्ट में भाभी का फिर छूट गया.
भाभी थक कर लेटना चाहती थी लेकिन मैंने उसको लेटने ही नहीं दिया और अब नैना के इशारे पर मैं उसको दुबारा धक्के मारने लगा, अब मैं उसकी चूत में अपनी धार को छोड़ने के लिए तैयार हो गया था तो मैंने उसके गर्भ का मुंह लंड के द्वारा ढूंढने की कोशिश शुरू कर दी और जल्दी उसको ढूंढ कर मैंने अपना फव्वारा छोड़ने के लिए तैयार हो गया और नैना को भी इशारा किया कि मैं फव्वारा छोड़ने के लिए तैयार हूँ.
जब उसने इशारा किया कि वो भी तैयार है, तभी मैंने एक ज़ोर की हुंकार भर कर उसके चूतड़ों को कसकर अपने हाथों में पकड़ कर फव्वारा छोड़ दिया.गर्म पानी का लावा जब भाभी की चूत में गिरा तो वो हैरान होकर सर इधर उधर करने लगी और फिर एक बार उसका छूट गया.
उधर नैना ने एक मोटा तकिया तैयार किया हुआ था, वो उसको भाभी की चूत के नीचे रख कर वहीं बैठ गई और भाभी को उठने नहीं दिया जब तक सारा वीर्य अंदर नहीं समा गया.
मैं उठ कर एक कोक की बोतल पीने लगा और नैना और भाभी को भी एक एक बोतल दे दी.थोड़ी देर में भाभी सामान्य हो गई.
आज मौका अच्छा था तो मैंने नैना को आँख मारी- आ जाओ जानी, बहुत दिनों से तुम्हारी ली नहीं!और वो मुस्कराते हुए ना करने लगी.
लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, अपनी तरफ खींच के लबों पर एक हॉट किस कर दी, उसको आलिंगन में लेकर मैंने अपना खड़ा लौड़ा उसकी चूत के ऊपर रख लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा और एक हाथ से उस को मोटे सॉलिड मुम्मों को छेड़ने लगा.उधर भाभी की तरफ देखा तो वो आँखें बंद करके सोई थी.
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RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
नैना तो काफी गर्म हो चुकी थी लेकिन मैं चाहता था कि मेरी गुरुआनी खुद कहे ‘अब और नहीं, अंदर डालो ना प्लीज!!’तो मैं उसके मुम्मों को चूसता रहा और भग में ऊँगली डाल कर उसको तैयार करता रहा. अब मैंने महसूस किया कि वो भी धीरे धीरे चुदवाने के लिए राज़ी हो रही है लेकिन मैं चाहता था कि वो खुद कहे तो मैं शुरू करूँ!और नैना शायद यह सोच रही थी कि मैं स्वयं ही पहल करके उसकी चुदाई शुरू करूँ.
इस कश्मकश में तनवी भाभी जागने लगी थी अब नैना ने हार कर बोला- छोटे मालिक, सोच क्या रहे हो? शुरू कर दो!मैं सीरियस होते हुए बोला- पक्का शुरू करूँ क्या?अब नैना हंस पड़ी और बोली- छोटे मालिक, मैं आप को अच्छी तरह से समझती हूँ, आप चाहते हो कि मैं आपसे कहूँ कि चुदाई शुरू करो मेरे छोटे से सोनु-मोनु!मैं खुश होकर बोला- वही तोह… फिर क्या आज्ञा है गुरुदेवी?नैना बोली- सोनु मोनु, जल्दी करो प्लीज… अब और नहीं रुका जाता.
मैं अब लंड को हाथ में लेकर नैना की टांगों के बीच बैठ गया और बेहद गीली चूत में अपना लोहे की तरह सख्त लंड डाल दिया जो एक ही धक्के में पूरा का पूरा अंदर चला गया.धीरे धीरे चुदाई करते हुए मैं अपनी स्पीड बढ़ाने लगा लेकिन नैना तो मेरी गुरु थी, वो नीचे से भी तेज़ी से धक्के मार रही थी और मुझको विवश कर रही थी कि मैं भी तेज़ धक्कों की स्पीड पर आ जाऊँ.
मैं भी एक आज्ञाकारी पति की तरह से स्पीड से धक्के मारने लगा, हर धक्के का जवाब नैना रानी दे रही थी और जल्दी ही इस धक्का शाही में नैना का तीव्र स्खलन हो गया ऐसा होना ही था क्योंकि इतने दिनों से वो चुदाई का तमाशा देख रही थी लेकिन उस बेचारी को एक बार भी चुदवाने का मौका नहीं मिला था.
नैना का स्खलन हुआ, उसने मुझ को बड़ी बेदर्दी से कस कर अपनी बाहों में बाँध लिया और मुझको लगा कि मेरा सांस रुक जाएगा. फिर उसने मुझको बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया.
जब नैना संयत हुई तो हमने देखा कि तनवी भाभी बड़े ध्यान से हमारी चुदाई का नज़ारा देख रही थी और अपनी ऊँगली अपनी चूत में डाल कर अपनी भग को सहला रही थी.भाभी ने एक बड़ी हसरत भरी नज़र से मुझको देखा, मैंने नैना के ऊपर से उठ कर भाभी को सीधा लिटा कर उसकी चूत में अपना गीला लंड डाल दिया और उसको चूमते हुए धक्का शाही शुरू कर दी.
भाभी के मोटे उरोजों को चूमते हुए, चुचूकों को मुंह में चूसते हुए मैंने भाभी को काफी ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया.भाभी को अब काफी आनन्द आ रहा था और वो मुझसे चिपट कर बड़े ही प्यार से चुदवा रही थ॥मुंह से मुंह जोड़ कर, छाती से छाती मिला कर और चूत से लंड को मिला कर चोदने का मज़ा ही और है.
नैना भी बाथरूम से निकल कर आ गई थी, मुझसे पूछ रही थी कि मैं क्या भाभी के अंदर छुटाऊंगा?मैंने चुदाई जारी रखते हुए हाँ में सर हिला दिया.मैं चाहता था कि भाभी का गर्भाधान पक्का हो जाए उसके गाँव से जाने पहले.और अब भाभी पूरी तरह चुदाई का आनन्द ले रही थी, जिस स्पीड से मैं लंडबाज़ी कर रहा था, वो जल्दी ही अपना पानी छोड़ते हुए झड़ गई.
उसके झड़ते ही मुझको नैना का इशारा मिला कि मैं भी जल्दी करूँ और नैना के हुक्म की तामील करते हुए मैंने बेहद स्पीड से चोदना चालू रखा और कुछ ही क्षणों में भाभी की चूत की तह तक मेरा गाढ़े वीर्य का फव्वारा छूट गया.नैना ने भाभी को लेटे रहने के लिए कहा और उसके चूतड़ों के नीचे मोटा तकिया रख दिया और टांगें भी ऊपर उठा दी.
मैं भाभी के ऊपर से उठ कर नंगा ही सारी कॉटेज का चक्कर लगा आया और देख कर खुश हुआ कि सब कुछ वैसे ही पड़ा है जैसे कि मैं छोड़ गया था.
वापस आया तो मैंने नैना से पूछा- भाभी को बताया कि घर पहुँचते ही अपने पति से चुदवाना है उसको?भाभी बोली- लेकिन मेरा पति तो कुछ कर नहीं सकता न, उससे कैसे चुदवाऊँगी?नैना ने पूछा- क्या तुम्हारा पति कभी भी तुमको नहीं चोदता? या फिर कोशिश तो करता है लेकिन वो तुमको पूरी तरह से तसल्ली नहीं दे पाता?
भाभी बोली- कई बार वो अपने आधे खड़े लंड से चढ़ने की कोशिश तो करता है लेकिन मेरे को कोई मज़ा नहीं आता है.नैना बोली- यानि उसका लंड खड़ा तो होता है लेकिन वो तुम्हारी चूत में भी डाल देता है लेकिन वो तुम को कोई मज़ा नहीं दे पाता. ऐसा है क्या?भाभी बोली- हाँ ऐसा ही है.नैना बोली- अच्छा घर चलो, मैं तुम को सारी बात समझाऊंगी और एक दवाई भी दूंगी उससे तुम्हारा काम ठीक हो जाएगा. यह बेहद ज़रूरी है कि तुम घर पहँचते ही अपने पति से ज़रूर चुदवाओ, नहीं तो वो तुम पर शक करेगा कि किसी और का बच्चा पेट में लेकर आई हो तुम! समझ गई ना?
नैना ने मुझसे भी कहा कि मैं भी कपड़े पहन लूँ ताकि यहाँ से निकल चलें.कपड़े पहन कर हम वहाँ से निकले लेकिन मैंने जाने से पहले चौकीदार को 10 रूपए इनाम में दिये.घर पहुँचे तो देखा, सब सो रहे हैं, मैं भी अपने कमरे में जाकर सो गया.
कहानी जारी रहेगी.
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दो फूल
कपड़े पहन कर हम वहाँ से निकले लेकिन मैंने जाने से पहले चौकीदार को 10 रूपए इनाम में दिये.घर पहुँचे तो देखा सब सो रहे है और मैं भी अपने कमरे में जा कर सो गया.शाम को उठा तो नैना चाय ले कर आ गई और बोली- छोटे मालिक आज का क्या प्रोग्राम है?मैं बोला- आपका क्या प्रोग्राम है? मैं तो वही करूँगा जो आप लोग करने को कहोगे.
नैना बोली- सब लड़कियों और भाभियों का तो काम हो चुका है अब रह गई सिर्फ वो दो लड़कियाँ. अभी तक तो उनकी ओर से कोई इच्छा नहीं हाज़िर हुई तो मैं सोचती हूँ उनको जाने दो! वैसे मैंने रिया को कहा है कि उनसे पूछे उनकी क्या इच्छा है. अगर उनकी कोई इच्छा नहीं हुई तो आज का दिन आप को छुट्टी दे देते है क्यों कैसी रहेगी यह बात?मैं बोला- ठीक है, मैं भी आज अपना लंड को हाथ में पकड़ कर सोऊँगा, कुछ इस छोटे भाई को भी आलखन मिल जाएगा.
अगले दिन दशहरा था तो घर के सब लोग इस पर्व को देखने की तैयारी में लगे हुए थे. एक दो बार निम्मो आई मेरे कमरे में चाय वाय देने और हर बार वो मेरी और मुस्करा कर चली जाती थी.थोड़ी देर बाद आई यह कहने के लिए कि ‘खाना तैयार है’ तो मैं उठा और झट से निम्मो को अपनी बाहों में ले लिया और कस कर उसको जफ्फी मारी.वो कसमसाती रही लेकिन मैंने भी नहीं छोड़ा और एक दो चुम्मियाँ उसके गीले होटों पर जड़ दी और उसके गोल मोटे स्तनों को भी दबाता रहा और उसके गालों को चूमता रहा.वो बोलती रही- छोड़ दो छोटे मालिक, कोई देख लेगा… जाने दो मुझको!लेकिन मैंने भी नहीं छोड़ा और अच्छी तरह से उसको हाथ वाथ लगा कर ही छोड़ा.
शाम को हम सब कार में बैठ कर बारी बारी लखनलीला मैदान में जाने के लिए तैयार हो गए और मेहमानों को भेज कर ही मैं और नैना कार में बैठे लेकिन अभी कार चली भी ना थी कि वो दोनों लड़कियाँ भागती हुई आई और कार के बाहर खड़ी होकर इंतज़ार करने लगी कि कैसे बैठेंगी कार में!मैं कार में से निकला और उनको पिछली सीट पर बिठा दिया जहाँ नैना और निम्मो भी बैठी थी, उन दोनों के बैठ जाने के बाद अब कोई जगह नहीं बची थी तो मैंने कहा- आप लोग चलो, मैं पैदल आता हूँ!
लेकिन नैना भी घाघ थी, वो बोली- नहीं छोटे मालिक, आप आ जाओ, इनमें से एक लड़की मेरी गोद में बैठ जायेगी, आप आ जाओ! आपके लिए जगह हो जायेगी.मैं भी ज़बरदस्ती बैठ गया और मैंने ध्यान से देखा तो मैं उस गोरी लड़की के साथ बैठा था जिसका नाम रेवा था.बैठते ही मेरी कोहनी उसके गोल मुम्मों में जाकर टिक गई और मैं बिल्कुल बेखबर हुआ उसके साथ जांघों के साथ जांघों को जोड़ कर बैठा हुआ था और ऐसा बेखबर बैठा था जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं.रेवा का भी हाथ एक दो बार मेरे लौड़े के ऊपर रखा हुआ लगा था लेकिन मैंने भी उसकी तरफ देखा तक नहीं.
जब दशहरा के मैदान पर पहुँचे तो नैना ने दोनों लड़कियों के हाथ पकड़े और मुझसे कहा कि आप सब पीछे पीछे आओ!मैदान एकदम खचाखच भरा हुआ था तो नैना ने मुझको अपने आगे कर लिया और मैं दोनों लड़कियों के एकदम पीछे हो गया और चलते चलते मेरे हाथ कभी रेवा के चूतड़ों पर लग रहे थे या फिर सांवरी को लग रहे थे और नैना कोशिश करती रही कि मैं उन दोनों लड़कियों के पीछे ही रहूँ और उस खींचा तानी में अक्सर मेरे लौड़ा रेवा की गांड में फिट हो जाता था और उसको सख्त लौड़ा बार बार टच करता रहा और वो भी कभी हाथ लगा कर लौड़े को छू रही थी और सांवरी तो कई बार लौड़े को छू चुकी थी.
एक जगह हम भीड़ के रेले में फंस गए और अब मेरा पूरा खड़ा लौड़ा रेवा को छू रहा था, उसके गोल चूतड़ों को बार बार छेड़ रहा था.उधर सांवरी अब कोशिश करके मेरे पीछे हो गई और उसके मुम्मे मुझको मेरी पीठ पर रगड़ रहे थे और उसकी उभरी हुई चूत भी मुझ को बार बार मेरे चूतड़ों पर लग रही थी.
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RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
अब मैं अपने हाथ भी रेवा के चूतड़ों पर रखने लगा ताकि किसी और मर्द का हाथ वहाँ ना लग जाए और यह हकीकत रेवा से छुपी नहीं थी, वो भी अपने चूतड़ों को आगे पीछे करके मेरे और ज़्यादा नज़दीक आने की कोशिश कर रही थी.अब मैं एक किस्म से दोनों लड़कियों के बीच में था यानि आगे रेवा थी और पीछे सांवरी थी और दोनों ही मुझ को दबा रही थी.
यह सारा तमाशा नैना देख रही थी और वो मुस्करा भी रही थी क्यूंकि उसको लग रहा था कि ये दोनों अनछुई कलियाँ भी शायद मेरे हरम में दाखिल होने के लिए काफी तैयार लग रही थी.
नैना की वजह से हम सब सही सलामत आगे विशिष्ट मेहमानों के लिए लगी कुर्सियों पर बैठने के लिए पहुँच गए और जो कुर्सियाँ खाली पड़ी थी उनमें से एक में रेवा बैठ गई और दूसरी पर मैं, उसके साथ वाली पर सांवरी बैठ गई और नैना, निम्मो और पर्बती हमारे पीछे वाली सीटों पर बैठ गई.जब सब बैठ गई तो मैंने अपने चारों तरफ देखा तो सबसे आगे सीटों पर मम्मी पापा और विशिष्ट अतिथि उनके साथ बैठे थे और बाकी की सीटों पर कई स्त्रियाँ और कन्यायें बैठी थी, जिनको मैं नहीं जानता था.
अब मैंने अपनी बाईं तरफ देखा तो रेवा और मेरी दायें तरफ सांवरी बैठी थी और हम सबकी टांगें एक दूसरे को छू रही थी और मैंने अपनी टांगों का दबाव दोनों अनछुई कलियों की टांगों पर बनाये रखा, वे भी इस दबाव का जवाब हल्के से दबाव से दे रही थी.मैंने पीछे मुड़ कर देखा और जब मेरी नज़र नैना से मिली तो मैंने एक हल्की सी आँख उसको मारी.
थोड़ी देर बाद लखनलीला के लखन जी रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण को जलाने के लिए आगे बड़े और अपने जलते हुए तीर उन तीनों पर बारी बारी से चला दिए.इन तीनों के बुतों पर तीर लगते ही वो एकदम से धू धू कर जल उठे और उनमें भरे हुए पटाखे बहुत तीव्र आवाज़ से फट पड़े और उनके फटने की ध्वनि से लड़कियाँ औरतें और बच्चे घबरा से गए और उठने लगे अपनी सीटों से लेकिन मैंने रेवा और सांवरी को बिठाए रखा और ऐसा करते हुए मैंने उन दोनों को अपने और भी निकट बिठा लिया और दोनों की कमर में अपने हाथ डाल कर अपने से चिपटाए रखा.दोनों ने मेरी तरफ बड़ी प्यार भरी नज़रों से देखा.
जब रावण जल गया तो हम सब खड़े हो गए लेकिन मैंने उन सबको रुके रहने के लिए कहा ताकि भीड़ निकल जाने दें और फिर चले.इस सारे समय मैंने दोनों लड़कियों को कमर से पकड़ रखा था और अपने से चिपकाए रखा था और अँधेरा भी बढ़ गया था सो किसी ने कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया.
फिर जब भीड़ छंट गई तो हम भी कार की तरफ चल दिए लेकिन कार तो मम्मी और पापा को लेकर चली गई, हम सब वहीं खड़े कार का इंतज़ार करते रहे और जब कार वापस आई तो मैंने सबसे पहले दोनों भाभियों को और बाकी लड़कियों को बिठा दिया.रेवा और सांवरी को भी कहा कि वो चली जायें लेकिन दोनों ने कहा ‘वो मेरे साथ जाएंगी…’हम वापसी में भी एक दूसरे को हाथ लगाते हुए घर पहुँचे.
वो रात आये हुए सब मेहमानों की आखिरी रात थी हमारी हवेली में तो बहुत ही अच्छा और उम्दा खाना बनाया गया था जिसको खाकर सबने बहुत तारीफ की और पर्बती को शाबाशी दी गई.नैना को मैंने मेले में हुई बातों से वाकिफ करवा दिया था और उसका भी मानना था यह दोनों लड़कियाँ भी तैयार हो जाएँगी.मैंने नैना को उनसे पूछने को कहा.
खाने के बाद हम सब बच्चे और दोनों भाभी जान बैठक में बैठे हुए गप्पें मार रहे थे. मैं रेवा और सांवरी के बीच बैठा था और बाकी सब सामने वाले सोफे पर बैठी थी और अक्सर मेरा हाथ उनके बाज़ू से टकरा जाता था और एक दो बार रेवा का हाथ मेरी गोद में आ लगा लेकिन मैंने कोई ध्यान नहीं दिया.
जब हम सब उठने वाले थे तो बड़ी भाभी बोली- सतीश भैया, जाने से पहले एक छोटी सी मुलाकात हो जाए तुम्हारे कमरे में क्यों?मैंने नैना की तरफ देखा और उसने बात को शुरू किया- भाभी जी, अब छोटे मालिक के कमरे में जाना ठीक नहीं होगा. मम्मी पापा भी अभी जाग रहे हैं तो आप अपने कमरे में सब लेट जाओ, मैं वहाँ आकर बता दूँगी कि क्या कैसे करें? ठीक है ना?मैं अब अपने कमरे में आ गया और और अपना कुरता पजामा पहन कर इंतज़ार करने लगा.
इंतज़ार करते हुए थोड़ी देर ही हुई थी कि नैना आ गई और मुस्कराते हुए बोली- वो दोनों भी आपके पास आने के लिए राज़ी हो गई हैं. वैसे उनकी मर्ज़ी बहुत थी लेकिन वो बन रही थीं कि कोई उनसे ख़ास तौर से कहे तो वो जाएँ.मैंने नैना से पूछा- क्या तुमने अपनी तरफ से पूछा या फिर उन दोनों ने खुद ही पहल की?
नैना फिर मुस्कराई और बोली- वो ऐसा है छोटे मालिक, मुझको इतना तो ख्याल है कि हम नहीं चाहते कि उनसे ज़बरदस्ती की जाए. मैंने उनसे पूछा कि वो कब वापस जा रही हैं तो वो दोनों बोली कि उनको लेने आने वाले भाई का फ़ोन आया था कि वो परसों आएंगे तो वे दिन और ठहरेंगी. मैंने उनसे कह दिया कोई बात नहीं जब तक वो चाहे वो ठहर सकती हैं.
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desiaks
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RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
मैं बोला- फिर उन्होंने क्या कहा?नैना बोली- उनको आप से अकेले में मिलने की बहुत इच्छा है. मैंने कहा कि वो आज रात आ सकती हैं मिलने के लिए अगर उनकी मर्ज़ी है तो!दोनों ने कहा कि वो आएँगी आज रात ज़रूर.मैंने कहा- क्या तुमने उनको बता दिया कि मिलने पर क्या संभव है?नैना बोली- साफ़ साफ़ तो नहीं बताया लेकिन इतना ज़रूर पूछा कि क्या वो कुंवारी हैं? दोनों ने कहा कि ‘नहीं उनकी तो सील टूटी हुई है.’
हम यह बातें कर ही रहे थे कि दरवाज़ा जो खुला था थोड़ा खटका और फिर वो दोनों अंदर आ गई.मैंने बड़ी गरम जोशी से कहा- आइये आपका ही इंतज़ार कर रहे थे हम दोनों !दोनों काफी शरमा रही थी और उनकी सुन्दर फुलकारी साड़ियाँ बहुत ही सुंदर लग रही थी उनके शरीर पर!
नैना ने कोक की बोतलें मंगवा के रखी हुई थी, वो उनको पीने को दी और फिर बातों ही बातों में नैना ने उनसे पूछ लिया कि क्या वो किसिंग के लिए या फिर चुदाई के लिए आई हैं?दोनों ने सर नीचे किये ही कहा कि जैसा सतीश जी कहें वो उनको मंज़ूर है.मैं बोला- तो फिर देर काहे की आइये शुरू करें.
मैं उन दोनों के पास गया और उनको अपने आलिंगन में ले लिया और फिर मैंने उनको लबों पर एक एक गर्म चुम्मी जड़ दी.पहले रेवा को और फिर सांवरी को लबों पर चूमने और चाटने लगा और उनके ब्लाउज के ऊपर से उनके गोल और सॉलिड मुम्मों को दबाने लगा.दोनों ने आँखें बंद की हुई थी लेकिन मैं समझ रहा था कि उनको बहुत आनन्द आ रहा था.अब नैना ने आगे बढ़ कर उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए.
सब से पहले रेवा के कपड़े उतारे और वो बहुत ही खूबसूरत जिस्म वाली लड़की लग रही थी, उसके उरोज उन्नत और सॉलिड थे और एकदम मस्त सफेदी लिए हुए थे.मैं सांवरी के कपड़े उतारने लगा और उसके ब्लाउज को उतारते ही उसके सॉलिड सांवले मम्मे जम्प करके सामने आ गए.सांवरी का जिस्म सांवला ज़रूर था लेकिन निहायत ही सेक्सी और आकर्षण वाला जिस्म था.
जब मैंने उसका पेटीकोट नीचे किया तो उसके काले चमकीले बालों से भरी हुई चूत एकदम आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी.उधर नैना भी रेवा को नग्न कर के मेरे सामने ले आई.अब नैना मेरे कपड़े उतारने के लिए आगे बढ़ी तो रेवा ने उसको रोक दिया, स्वयं आगे आकर मेरे कुर्ते को उतार दिया और जैसे ही उसने मेरा कुरता उतारा, मैंने झुक कर उन दोनों का अभिवादन किया.
और फिर जब उसने मेरा पजामा उतारा तो मैंने अपने खड़े लंड के साथ फिर एक बार झुक कर दोनों का अभिवादन किया ठीक उसी तरह जैसे कि रेवा ने नदी किनारे अपने कपड़े उतारते हुए किया था.रेवा यह देख कर झेंप गई लकिन मैं बड़ा ही आनन्दित महसूस कर था.
मैंने रेवा को उसके लबों पर चूमना शुरू कर दिया अपनी जीभ को उसके मुंह में डाल कर उसकी जीभ से खेलने लगा.उधर नैना ने सांवरी को पकड़ रखा था और उसको लेकर पलंग की ओर बढ़ रही थी और उसको लिटा कर उसके मुम्मों और चूतड़ों को छेड़ रही थी.
मेरा एक हाथ रेवा की चूत में गश्त लगा रहा था और उसकी मुलायम चूत के बालों में ऊँगली चलाते हुए कभी कभी उसकी भग पर भी उंगली चला रहा था.रेवा की चूत एकदम गीली हो चुकी थी, मैंने उसको अपनी बाहों में उठा लिया और उसकी चूत को लंड के सामने लाकर उसकी चूत में अपना लोहे के समान लंड घुसेड़ दिया. एक ही धक्के में लंड पूरा का पूरा अंदर घुस गया और मैंने उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर उसको लंड के ऊपर आगे पीछे करने लगा और साथ में अपने मुंह में उसके मुम्मों के गोल चूचुकों को चूसने लगा.
रेवा ने अपने बाहें मेरे गले में डाल रखी थी और वो झूला झूलते हुए चुद रही थी.अब मैंने एक उंगली रेवा की गांड में भी डाल दी जिससे वो बहुत भड़क उठी और तेज़ी से मेरे हाथों के झूले में आगे पीछे होने लगी और जल्दी ही अपनी गर्दन को एकदम पीछे कर के ज़ोर से हुंकार भरती हुई झड़ गई.
जैसे ही उसकी चूत से ढेर सारा पानी छूटा, वो कांपती हुई मेरे जिस्म से चिपक गई.मैंने उसको ले जाकर पलंग पर लिटा दिया और वहीं लेटी हुए सांवरी के साथ दूसरी तरफ जा कर लेट गया.
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RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
अब नैना उठ कर रेवा के पास आ गई और उसके जिस्म को पौंछने लगी और उसकी चूत में से निकल रहे रस को साफ़ करने लगी.इधर मैंने सांवरी की टांगों में बैठ कर उसकी चूत में हाथ डाला तो वो नैना ने पूरी तरह से तैयार कर रखी थी. उसके होटों पर एक गर्म चुम्मी जड़ते हुए मैंने अपने खड़े लंड को सांवरी की चूत के ऊपर रख दिया और एक हल्का सा धक्का मारा और लंड सारा का सारा अंदर चला गया.
मैं अब बड़े धीरे धीरे सांवरी की फैली हुई टांगों के बीच चूत के अंदर गए लंड को आगे पीछे करने लगा.सांवरी की टांगों को मैंने हवा में उठा दिया था सो उसको बड़े ही हल्के और कभी तेज़ धक्कों से इत्मीनान से चोदने लगा.
वो भी हर धक्के का जवाब दे रही थी और अपनी चुदाई में पूरी तरह से सहायक बन रही थी, उसके छोटे मगर सॉलिड मुम्मे मेरी छाती से चिपके हुए थे और बाद में मैं उनके चूचुकों को अपने मुंह भी ले रहा था और गोल गोल चूस रहा था.
थोड़ी देर में मैंने महसूस किया कि सांवरी जल्दी ही छूट जायेगी, मैंने धक्कों की स्पीड बहुत ही तेज़ कर दी और उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर मैं बहुत ही गहरी स्ट्रोक्स मारने लगा जो पूरी उसकी चूत के अंत तक जा रही थी.जब वो हाय-हाय करने लगी तो मैंने उसकी कमर को कस कर अपने हाथों में ले कर बहुत ही तेज़ स्पीड से उसकी चुदाई शुरू कर दी.
वो जल्दी ही ‘उफ्फ मेरी माआआआ मैं गई…’ कहती हुए छूट गई. तब उसने अपनी बाहों में मुझको पूरी ताकत से बाँध लिया और कमर से मुझको अपनी कैद में ले लिया.मैं ज़रा भी नहीं हिल सकता था जब तक सांवरी पूरी तरह से स्खलित नहीं हो गई.उसके बाद ही उसने मुझको अपनी लोहे के समान गिरफ़्त से आज़ाद किया, उसके ऊपर से उठने से पहले मैंने उसको एक भाव भीनी चुम्मी दी उसके लबों पर और उसके मुम्मों को चूमते हुए मैं उसके ऊपर से उठ गया.
नैना ने इशारे से मेरी नज़र उसकी चूत में से निकले पानी की तरह दिलाई जो उस वक्त बिस्तर की चादर के ऊपर पड़ा हुआ था.नैना बोली- वाह, कमाल की छुटास है सांवरी की चूत की, ऐसी मैंने कभी न देखी ना सुनी थी इससे पहले!रेवा भी आ गई और सांवरी की चूत से निकले पानी को देख कर वो भी हैरान थी.
सांवरी चुप रही और कुछ नहीं बोली और ना ही हम में से किसी ने इस बात को दुबारा उठाया.नैना बोली- क्यों लड़कियों, अब क्या मर्ज़ी है तुम दोनों की?रेवा और सांवरी एक साथ बोली- एक बार और कर देते सतीश जी तो मज़ा आ जाता!नैना बोली- आप दोनों तो कल रात भी रुक रही हो ना, कल फिर तुम्हारा काम कर देंगे छोटे मालिक. क्यों छोटे मालिक?मैं बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं, अगर दोनों की यही इच्छा है तो कल फिर इनको मज़ा दे देंगे.
नैना बोली- चलो तो फिर आप कपड़े पहनो और मैं आपको आप के कमरे में छोड़ आती हूँ.दोनों कपड़े पहनने लगी और मैं उनको बड़ी हसरत से देखता रहा क्यूंकि रेवा और सांवरी दोनों ही सुंदर शरीर की मालकिन थी और उनकी टाइट चूतों को चोद कर बड़ा आनन्द आया था.
जाने से पहले दोनों ही मेरे पास आईं और मेरे खड़े लंड को चूम कर जाने लगी तो मैंने रोक दिया और उनको होटों पर एक मस्त चुम्मी देकर कहा- कल फिर आप का स्वागत करेंगे हम सब!यह कह कर वो चली गई.नैना कहने लगी- अभी तो रात के 11 बजे हैं, आप कम से कम दो और लड़कियों का काम कर सकते हैं. क्यों छोटे मालिक?
कहानी जारी रहेगी.
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RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
मेहमान लड़कियों की चूत की आखिरी चुदाई
नैना कहने लगी- अभी तो रात के 11 बजे हैं आप कम से कम दो और लड़कियों का काम कर सकते हैं, क्यों छोटे मालिक?मैं बोला- मुझको तो कोई ऐतराज़ नहीं लेकिन नैना डार्लिंग क्या यह सब मम्मी के जागते हुए संभव है क्या? अभी हमने रिस्क लिया था लेकिन रिस्क बार बार लेना उचित होगा क्या?
नैना बोली- शायद आप ठीक कह रहे हैं छोटे मालिक, मैं उनको कह आती हूँ कि और किसी का यहाँ आना सम्भव नहीं आज!मैं बोला- नैना डार्लिंग उनमें ऐसी कौन है जिसको खुश करना ज़रूरी है अभी? सब तो चुद चुकी है एक दो बार कम से कम, ऐसा करो उन सबको यहाँ बुला लेते हैं और खूब मस्ती करते हैं सब मिलकर, क्यूँ यह ठीक है ना? जो बहुत गर्म हो जायेगी उसको चोद भी देंगे हम सब मिल कर, क्यों यह ठीक है ना?
नैना एकदम खुश हो गयी और बोली- मैं उनको बुला लाती हूँ. साली कुछ की चूत में तो बहुत ही खुजली होवत है रे!मैं बोला- तो इन सब का लाइए ना, हम खुजली मिटावन का ही तो काम करते हैं न!नैना ज़ोर से हंस दी और लड़कियों के कमरे में चली गई.
उन सबके कमरे दूसरे फ्लोर पर ही मेरे कमरे के साथ लगे हुए थे तो उन लड़कियों को वहाँ लाने में कोई ख़ास वक्त नहीं लगा.सबने अपनी अपनी नाइटी पहन रखी थी, सबने आते ही मुझको जफ्फी मारी और मैंने भी उनके मुम्मों और चूत को हाथ लगाया.एक भाभी और 4 अनब्याही कन्याएँ आ धमकी और सब मेरे इर्द गिर्द घूम रही थी.
नैना ने पूछा- अब आप कैसे क्या करना चाहती हैं?सबसे तेज़ रिया ही थी, वो बोली- चुपके चुपके और शांत ढंग से हम एक गेम खेलते हैं… ताश के पत्ते बांटे जाएंगे हम सबमें, जिसका पत्ता सब से कम नंबर का होगा उसको अपनी नाइटी उतारने होगी, इसके बाद जब सबकी नाइटी उतर जायेगी तो फिर हम तय करेंगी कि कौन सी लड़की पहले चुदेगी सतीश से! ठीक है ना?
नैना बोली- मेरे ख्याल से हम ऐसे ताश के पत्ते खेलते हैं जिसका पत्ता सब से बड़ा निकलेगा, उसको पहले चोदा जाएगा और इसी तरह हम यह तय कर लेते हैं कि किसकी बारी कब! क्यों यह ठीक नहीं क्या? इससे छोटे मालिक को भी वक्त मिल जाएगा आलखन के लिए?सबने कहा- हाँ हाँ यह ठीक रहेगा.
ताश के पत्ते बंटने लगे और जब सबने अपने पत्ते खोले गए तो जूही भाभी नो.1 पर थी और प्रेमा न. 2 पर और इसी तरह ही बाकी सबका नंबर लग गया.नैना ने कहा- जूही भाभी और प्रेमा अपनी नाइटी उतार दें और बाकी भी सब अपनी अपनी नाइटी उतार दें और सब आपस में प्यार करना शुरू कर दें. छोटे मालिक के पास इतना वक्त नहीं होगा कि हर किसी लड़की को तैयार करें सो आप सब अपनी अपनी साथिन के साथ लग जाओ, चूमो, चाटो और खूब आनन्द लो लेकिन ध्यान रहे कि कोई भी शोर नहीं होना चाहिए.
मैं बोला- नैना रानी, मैं चाहता हूँ कि आज सब लड़कियाँ मिल कर या फिर बारी बारी मेरा चोदन करें. एक समय में कम से कम दो लड़कियाँ मुझ पर पीछे से हमला करेंगी और फिर मेरा चोदन करेंगी. मेरे हाथ बाँध दिए जायें ताकि मैं किसी को रोक नहीं सकूँ. क्यों यह खेल कैसा रहेगा सुंदरियों?
सब लड़कियाँ और भाभी चहक उठी और नैना ने फैसला किया कि सब अपनी अपनी बारी से दो दो कर के मुझको चोदेंगी.
सबसे पहले नैना ने मेरे हाथ एक दुपट्टे से बाँध दिए और फिर मुझको नंगा करके खड़ा कर दिया और सबसे पहली टोली जिस में जूही भाभी और प्रेमा शामिल थी, ने मिल कर मुझको पीछे से पकड़ा और मुझ को खींचते हुए बेड पर ले गई.जूही भाभी मुझको बेतहाशा होटों पर चूमने लगी और उनके मोटे मुम्मे मेरी छाती में धंसे जा रहे थे लेकिन मैं उनको हाथ नहीं लगा सकता था.
उधर प्रेमा ने मेरे लंड को अपने कब्ज़े में किया हुआ था और वो उसको ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी.अब भाभी ने अपनी पोजीशन प्रेमा के साथ बदली और वो मेरा लंड चूसने लगी और प्रेमा मेरे सारे चेहरे को चुम्मियों से गीला करने में लगी हुई थी, वो भी बार बार अपने मुम्मों को मेरी छाती से रगड़ रही थी.
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08-18-2021, 11:51 AM,
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RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
थोड़ी देर में ही जूही भाभी मेरे ऊपर बैठ सी गई और मेरे लंड को अपनी चूत में डाल कर जल्दी जल्दी ऊपर नीचे होने लगी. उसकी आँखें मेरी आँखों पर टिकी हुई थी और वो ऐसे व्यवहार कर रही थी कि मेरे द्वारा किये हुए सारे ज़ुल्मों की सजा मुझको अभी दे देना चाहती थी.इस कश्मकश में जूही भाभी बहुत ही जल्दी ही छूट गई और कंपकपाती हुई मेरे ऊपर लेट गई और तब नैना ने उसको मेरे ऊपर से उठाया और प्रेमा ने जल्दी से उसका स्थान लेने के लिए आगे आने लगी.
फिर कुछ सोच कर उसने मुझ को पलंग पर से उठा दिया और कहने लगी कि वो खड़ी होकर चुदवाना चाहती है, मुझको सहारा देकर उसने उठाया और खुद पलंग पकड़ कर झुक कर खड़ी हो गई और मैंने उसके पीछे खड़े होकर अपने अकड़े लंड को उसके चूतड़ों पर रख दिया और प्रेमा ने हाथ डाल कर उसको चूत के मुंह पर रख कर कहा- धक्का मारो मेरी सरकार!
मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लंड एकदम गीली चूत में फटाक से घुस गया. जैसे ही मेरा गर्म लोहे के समान सख्त लंड प्रेमा के अंदर गया तो वो एकदम से तिलमिला उठी.मैंने भी बड़ी तेज़ धक्काशाही शुरू कर दी और अपने बंधे हाथों को प्रेमा के चूतड़ों पर रख कर बड़ी तेज़ स्पीड से चुदाई शुरू कर दी क्योंकि मैं चाहता था कि वो जल्दी ही झड़ जाए तो तीसरी चूत से मिलन हो जाये.
प्रेम की टाइट चूत में भी जल्दी ही हरकते उल अंसार होने लगी और वो जल्दी ही हाय हाय करती हुई झड़ गई.झड़ते वक्त उसकी चूत में सिकुड़न होने लगी और उसकी चूत मेरे लंड को दोहने की कोशिश करने लगी लेकिन आखिर में चूत को ही हारना पड़ा.
जैसे ही प्रेमा झड़ी, उसी वक़्त दो और लड़कियाँ आ गई और मुझसे चिपट कर मुझको चूमने और चाटने लगी. उनमें से एक रिया थी और दूसरी सुधा थी.रिया नीचे बैठ कर मेरे गीले लंड को चूसने लगी और सुधा मेरी छाती के छोटे निप्पल को चूसने लगी. सुधा के ऐसे करने से मुझको बहुत गुदगुदी हो रही थी लेकिन मैं भी हँसते हुए उछल कूद रहा था.
मैंने बंधे हाथों से ही सुधा के सॉलिड बूब्स को छूना शुरू कर दिया और अपने मुंह को नीचे कर के उनके निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और अपने लंड को भी रिया के मुंह में आगे पीछे करने लगा.
अब रिया उठी और पलंग पर घोड़ी बन गई, मैं भी उसके पीछे बैठ गया और अपने लंड को चूत के मुंह पर रखा और एक धक्के में पूरा का पूरा अंदर कर दिया.रिया पूरे जोश में थी, वो शुरू से हर धक्के का जवाब डबल धक्के से दे रही थी और मेरी इस चुदाई को पूरी तरह से एन्जॉय कर रही थी क्यूंकि उसको पता था कि कल वो सब अपने अपने घरों में चले जाएँगी.
रिया की तेज़ी की वजह से वो जल्दी ही छूटने के कगार पर पहुँच रही थी लेकिन मैं रिया को काफ़ी चाहने लगा था तो मैं अपनी स्पीड धीरे कर देता था जिसके कारण रिया का छूटना भी रुक जाता था.यह सब नैना की तेज़ नज़रों से नहीं छुप सका, उसने मेरे कान में कहा- मालिक जल्दी कीजिये, अभी लाइन में और भी हैं.
मैंने फिर अपनी स्पीड तेज़ कर दी और अंतिम क्षणों में इतने तेज़ धक्के मारे कि रिया जल्दी ही स्खलित हो गई और ज़ोर से मेरे लंड से अपने चूतड़ों को चिपका दिया और काफी कांपती रही कुछ देर तक!सुधा रिया के हटने की इंतज़ार कर रही थी और जैसे ही रिया हटी तो सुधा मेरे से लिपट गई और मुझको बड़ी बेरहमी से चूमने लगी और मेरे सारे शरीर पर हाथ फेरती रही.
फिर उसने मुझको बिस्तर पर बैठा दिया और खुद अपनी टांगें चौड़ी कर मेरे सामने बैठ गई, अपनी टांगें मेरी दोनों तरफ करके खुद मेरे लंड की सीध में बैठ गई और मेरे बंधे हाथों को अपनी पीठ के पीछे ले गई जिससे हम दोनों छाती से छाती जोड़ कर बैठ गए.अब उसने अपनी गीली चूत में मेरा लंड फिट किया और खुद ही धक्का मार कर लंड को पूरा अंदर ले गई.
मेरे बंधे हाथ सुधा की पीठ के पीछे थे, मैंने उनको उसके चूतड़ों के नीचे फिट किया और उनके सहारे सुधा मुझको सही मायने में चोदने लगी.धक्कों की स्पीड अब पूरी सुधा के हाथ में थी, उसने पहले धीरे धीरे धक्कों से शुरू कर के तेज़ धक्कों की और बढ़ने लगी और मैं भी उसके गोल सॉलिड मुम्मों को चूसने में लगा हुआ था.
जब वो धक्कों की तेज़ स्पीड पकड़ने लगी तो मैंने अपनी एक हाथ की मध्य तर्जनी को उसकी गांड में डाल दिया. और वो तो अब इतनी तेज़ी से धक्के मारने लगी कि कुछ ही क्षणों में वो धराशायी हो गई और उसकी चूत ने मेरे लंड के रस को दूध की तरह दोहने का प्रयत्न शुरू कर दिया.फिर वो बेइन्तेहा जोश से मुझसे चिपकी रही काफी देर तक और वो शायद अभी भी ना हटती अगर नैना उसको मुझको छोड़ने के लिए ना कहती.
अब नैना ने कहा- चुदाई में अब इंटरवल दिया जाता है, छोटे मालिक के बंधे हाथ खोल दिए जाएँ ताकि वो बाथरूम वगैरह जा सकें.
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